07-10-2019, 09:47 PM
बिछोह
मैं भी न कहाँ की बात कहाँ ले आयी ,
हाँ तो हमारी शादी के पंद्रह बीस दिन बाद वो चिट्ठी आयी
ट्रेनिंग उनकी चार पांच दिन बाद शुरू होनी थी बंगलौर में , पांच हफ्ते की , फरवरी के दूसरे हफ्ते तक चलेगी,
उसके डेढ़ महीने बाद ज्वाइन करना होगा , अप्रेल की पहली तारीख को , एक कम्पनी की टाउनशिप बनी है , वहीँ ,
उसमें पैकट वैकेट और पता नहीं क्या क्या था पर मुझे तो बस ये लग रहा था ये पांच हफ्ते कैसे कटेंगे।
और पहली बार मैंने उनकी अपनी सास की बात काटी ,
सास मेरी कहने लगी , तुम तो पांच हफ्ते रहोगे नहीं , बहू चाहो तो तुम तब मायके चली जाओ , कुछ दिन ,...
वो भी न एकदम क्या कहूं उन्हें , ... बोलने लगे , हाँ सच में चली जाओ , मेरे आने के पहले आ जाना ,
मैंने एकदम से मना कर दिया ,
" मैं कही नहीं जाने वाली , मैं दीदी के पास यही रहूंगी , ... आप क्या सोचते हैं , आप नहीं रहेंगे यहाँ तो , .. "
और मैंने जेठानी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया।
और उन्होंने मुझे दुबका लिया।
बस मुझे तो और हिम्मत मिल गयी , मैं बोलने लगी
हम लोग मिल के गप्पे मारेंगी , टीवी देखेंगी और ,...
मेरी जेठानी अपने देवर को छेड़ने का मौका क्यों छोड़तीं ,बोली
" और क्या रात भर सोयेगी , इतने दिनों की नींद पूरी करेगी , .... चैन से टाँगे फैला के "
और अब शर्माने की बारी मेरी थी।
मेरी सास भी मान गयीं , बोली
"चलो अच्छा है ,हम सब मिल के गप्प मारेंगे कार्ड्स खेलेंगे , ... "
लेकिन वो दो तीन दिन , न वो मुझे छोड़ते थे न मैं उन्हें ,...
और मेरे मायके न जाने का फायदा भी मुझे मिल गया ,
असल में वो जिस दिन गए , बस उसके अगले दिन मेरी वो पांच दिन वाली छुट्टी चालू हो गयी ,
और जिस दिन ख़तम हुयी शनिवार था वो ,...
उनके गए एक हफ्ते के करीब होने वाले थे , घर में तो सब लोग नौ साढ़े नौ बजे सो जाते थे , मैं ऊपर अपने कमरे में ,...
दिन तो बीत जाता था , रात काटे नहीं कटती थी।
दिन में भी बस लगता था वो यहीं हैं , ...
पर मेरी जेठानी सास , सब लोग , कभी ताश , कभी गाने , एक दो बार सिनेमा भी ,
लेकिन बीच बीच में , ..एकदम खाली खाली सा ,
ये नहीं की इनका फ़ोन नहीं आता था , सुबह सुबह जगाते यही थे ,
फिर कालेज जाने के पहले , लंच में , उस बीच भी मौका निकाल के एक दो बार ,
पर ट्रेनिंग उनकी टफ़्फ़ थी , एक्सरसाइज , और भी सेमीनार , रात में भी आठ दस बजे तक ,
कई बार सास ने सजेस्ट भी किया की मैं उनके साथ सो जाऊं ,
पर मैंने टाल दिया , आखिर रात में फोन पर उनसे जो ,...
जब तक फोन नहीं आता था मैं सिर्फ फोन को देखा करती थी ,
और उस समय अगर मंझली , छुटकी किसी मेरी बहन का फ़ोन आ गया तो इतना गुस्सा लगता था , इतना गुस्सा लगता था ,...
मैं बस झट से फोन काट देती थी।
पर उन्हें भी तो फिर कमरे में वो अकेले नहीं होते थे , कभी बाथरूम में जा के , एक रूम पार्टनर भी था ,...
जेठानी और सास मेरी दोनों , मुझे चिढ़ाती थीं ,
इतनी रात नहीं सोई होगी न सो ले जब तक वो नहीं है , एक बार आ गया न तो फिर ,...
उस समय जागने का ओवरटाइम और अब सोने का ओवरटाइम
पर नींद आये तब न , और मैं भी चाहती थी सोना ,
कम से कम सोने में , ...
जैसे जिस दिन से मैं इस घर में आयी उन्होंने कोई दिन , रात नागा नहीं किया उसी तरह सपने में भी कोई दिन नहीं , ...
सोते ही वो जैसे मौका देख रहे हों और फिर चालू
उनके जाते ही मेरी आंटी आ गयी , वो वही पांच दिन वाली ,
मैं यह भी कह के मन को दिलासा दिलाती , की वो होते तो भी तो बिचारे का उपवास ही होता ,
लेकिन साथ साथ बस मन करता की वो मुझे कस के दबोच लें , उनकी बाहों में भी भले घंटे आधे घंटे की सही नींद बहुत मस्त आती थी ,
और उस दिन शनिवार था , आंटी जी चली गयी ,
मैं बाल धोकर नहायी , कोई भी शादी शुदा ,
या जिसने भी एक बार भी मजा लिया है वो जानती है जिस दिन आंटी जी जाती है गुलाबो में कितनी जोर से खुजली मचती है ,
मन करता है , कुछ भी बस कुछ भी ,
लेकिन मैं दोनों जाँघों को कस के दबोचे , ...
मेरी जेठानी मेरी हालत समझ रही थीं , हलके हलके मुस्करा रही थीं , पर
और मैंने तय किया था की उसकी खुजली अगर दूर होगी तो बस मूसलचंद से ,...
पर मूसलचंद तो हजार किलोमीटर दूर पता नहीं नहीं क्या क्या ट्रेनिंग कर रहे थे , और यहाँ ओखल की हालत खराब , ...
और चिढ़ाने वाले ,
उस दिन गुड्डी भी दिन में आगयी थी वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , .
मुंडेर पर कोई कौवा मुआ पता नहीं कहाँ से ,
कांव कांव
और वो पीछे पड़ गयी ,
" भाभी , इस कौवे को दूध भात खिलाइये , कोई मेसेज ले आया है , लगता है कोई आने वाला है "
आने वाला तो हजार किलोमीटर दूर , ... मैं बस मुस्करा के रह गयी।
कोई और दिन होता तो उसे दस सुनाती ,
लेकिन मन तो मेरा भी यही कर रहा था ,
पर
पर
मैं भी न कहाँ की बात कहाँ ले आयी ,
हाँ तो हमारी शादी के पंद्रह बीस दिन बाद वो चिट्ठी आयी
ट्रेनिंग उनकी चार पांच दिन बाद शुरू होनी थी बंगलौर में , पांच हफ्ते की , फरवरी के दूसरे हफ्ते तक चलेगी,
उसके डेढ़ महीने बाद ज्वाइन करना होगा , अप्रेल की पहली तारीख को , एक कम्पनी की टाउनशिप बनी है , वहीँ ,
उसमें पैकट वैकेट और पता नहीं क्या क्या था पर मुझे तो बस ये लग रहा था ये पांच हफ्ते कैसे कटेंगे।
और पहली बार मैंने उनकी अपनी सास की बात काटी ,
सास मेरी कहने लगी , तुम तो पांच हफ्ते रहोगे नहीं , बहू चाहो तो तुम तब मायके चली जाओ , कुछ दिन ,...
वो भी न एकदम क्या कहूं उन्हें , ... बोलने लगे , हाँ सच में चली जाओ , मेरे आने के पहले आ जाना ,
मैंने एकदम से मना कर दिया ,
" मैं कही नहीं जाने वाली , मैं दीदी के पास यही रहूंगी , ... आप क्या सोचते हैं , आप नहीं रहेंगे यहाँ तो , .. "
और मैंने जेठानी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया।
और उन्होंने मुझे दुबका लिया।
बस मुझे तो और हिम्मत मिल गयी , मैं बोलने लगी
हम लोग मिल के गप्पे मारेंगी , टीवी देखेंगी और ,...
मेरी जेठानी अपने देवर को छेड़ने का मौका क्यों छोड़तीं ,बोली
" और क्या रात भर सोयेगी , इतने दिनों की नींद पूरी करेगी , .... चैन से टाँगे फैला के "
और अब शर्माने की बारी मेरी थी।
मेरी सास भी मान गयीं , बोली
"चलो अच्छा है ,हम सब मिल के गप्प मारेंगे कार्ड्स खेलेंगे , ... "
लेकिन वो दो तीन दिन , न वो मुझे छोड़ते थे न मैं उन्हें ,...
और मेरे मायके न जाने का फायदा भी मुझे मिल गया ,
असल में वो जिस दिन गए , बस उसके अगले दिन मेरी वो पांच दिन वाली छुट्टी चालू हो गयी ,
और जिस दिन ख़तम हुयी शनिवार था वो ,...
उनके गए एक हफ्ते के करीब होने वाले थे , घर में तो सब लोग नौ साढ़े नौ बजे सो जाते थे , मैं ऊपर अपने कमरे में ,...
दिन तो बीत जाता था , रात काटे नहीं कटती थी।
दिन में भी बस लगता था वो यहीं हैं , ...
पर मेरी जेठानी सास , सब लोग , कभी ताश , कभी गाने , एक दो बार सिनेमा भी ,
लेकिन बीच बीच में , ..एकदम खाली खाली सा ,
ये नहीं की इनका फ़ोन नहीं आता था , सुबह सुबह जगाते यही थे ,
फिर कालेज जाने के पहले , लंच में , उस बीच भी मौका निकाल के एक दो बार ,
पर ट्रेनिंग उनकी टफ़्फ़ थी , एक्सरसाइज , और भी सेमीनार , रात में भी आठ दस बजे तक ,
कई बार सास ने सजेस्ट भी किया की मैं उनके साथ सो जाऊं ,
पर मैंने टाल दिया , आखिर रात में फोन पर उनसे जो ,...
जब तक फोन नहीं आता था मैं सिर्फ फोन को देखा करती थी ,
और उस समय अगर मंझली , छुटकी किसी मेरी बहन का फ़ोन आ गया तो इतना गुस्सा लगता था , इतना गुस्सा लगता था ,...
मैं बस झट से फोन काट देती थी।
पर उन्हें भी तो फिर कमरे में वो अकेले नहीं होते थे , कभी बाथरूम में जा के , एक रूम पार्टनर भी था ,...
जेठानी और सास मेरी दोनों , मुझे चिढ़ाती थीं ,
इतनी रात नहीं सोई होगी न सो ले जब तक वो नहीं है , एक बार आ गया न तो फिर ,...
उस समय जागने का ओवरटाइम और अब सोने का ओवरटाइम
पर नींद आये तब न , और मैं भी चाहती थी सोना ,
कम से कम सोने में , ...
जैसे जिस दिन से मैं इस घर में आयी उन्होंने कोई दिन , रात नागा नहीं किया उसी तरह सपने में भी कोई दिन नहीं , ...
सोते ही वो जैसे मौका देख रहे हों और फिर चालू
उनके जाते ही मेरी आंटी आ गयी , वो वही पांच दिन वाली ,
मैं यह भी कह के मन को दिलासा दिलाती , की वो होते तो भी तो बिचारे का उपवास ही होता ,
लेकिन साथ साथ बस मन करता की वो मुझे कस के दबोच लें , उनकी बाहों में भी भले घंटे आधे घंटे की सही नींद बहुत मस्त आती थी ,
और उस दिन शनिवार था , आंटी जी चली गयी ,
मैं बाल धोकर नहायी , कोई भी शादी शुदा ,
या जिसने भी एक बार भी मजा लिया है वो जानती है जिस दिन आंटी जी जाती है गुलाबो में कितनी जोर से खुजली मचती है ,
मन करता है , कुछ भी बस कुछ भी ,
लेकिन मैं दोनों जाँघों को कस के दबोचे , ...
मेरी जेठानी मेरी हालत समझ रही थीं , हलके हलके मुस्करा रही थीं , पर
और मैंने तय किया था की उसकी खुजली अगर दूर होगी तो बस मूसलचंद से ,...
पर मूसलचंद तो हजार किलोमीटर दूर पता नहीं नहीं क्या क्या ट्रेनिंग कर रहे थे , और यहाँ ओखल की हालत खराब , ...
और चिढ़ाने वाले ,
उस दिन गुड्डी भी दिन में आगयी थी वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली , .
मुंडेर पर कोई कौवा मुआ पता नहीं कहाँ से ,
कांव कांव
और वो पीछे पड़ गयी ,
" भाभी , इस कौवे को दूध भात खिलाइये , कोई मेसेज ले आया है , लगता है कोई आने वाला है "
आने वाला तो हजार किलोमीटर दूर , ... मैं बस मुस्करा के रह गयी।
कोई और दिन होता तो उसे दस सुनाती ,
लेकिन मन तो मेरा भी यही कर रहा था ,
पर
पर