07-10-2019, 08:04 PM
उनकी 'बदमाशियां '
पर गुड्डो के जाने के बाद , जो कहते हैं न शहजादे की नाफ़रमानियां परवान चढ़ती गयीं , बस वही हुआ ,
अब तो दिन भर , न मौक़ा देखते थे न जगह। अब दिन में किचेन मेरे जिम्मे था , तो किचेन में भी , और कुछ नहीं तो पकड़ा पकड़ी , चुम्मा तो कभी भी कहीं भी ,
और मौका देखकर ब्लाउज के ऊपर से ही मसलना रगड़ना , ...
ऐसा नहीं की मैं मना नहीं करती थी पर वो भी जानते थे की ये मना करना कितना दिल से है ,
दिल तो मेरा भी वही करता था जो इनका करता था।
एक दिन तो हद कर दी इन्होने ,
मैं दिन में सास के साथ लेटी थी , हलकी सी नींद भी लग गयी थी , एक ओर जेठानी जी एक ओर मैं , बस पंचायत कर रही थीं हम तीनो मिल के , जाड़े की दुपहर , बड़ी सी रजाई , ...
बस ये आ गए और मेरी ओर से घुस गए , मैंने इन्हे कोहनी भी मारी , इशारा भी किया क्या करते हो , सासु जी हैं ,
पर , ये नम्बरी असुधारणीय ,... पहले तो मेरी पीठ सहलाते रहे , फिर पीछे से ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर मेरी ब्रा का स्ट्रैप ,…
सासु जी उठ के चल दीं , जेठानी से कह कर उन्हें पड़ोस में जाना है कई दिन से कोई बुला रहा था।
और जैसे ही वो निकली , मेरी ब्रा का स्ट्रैप खुल गया।
जेठानी जी तो सब समझ ही रही थीं ,
बस एक स्वगत संवाद बोला उन्होने , जा रही हूँ ज़रा बाहर का दरवाजा बंद कर दूँ और मेरा सीरियल भी आ रहा होगा।
बाहर का दरवाजा तो पता नहीं उन्होंने बंद किया की नहीं ,
पर जिस कमरे में मैं थी , उस की कुण्डी बंद कर दी , बाहर से वो भी जोर से ,
एकदम अपने देवर का फायदा सोचती रहती थीं वो ,
मैं लाख कहती रही अंदर से तो दरवाजा बंद कर लो , पर ,...
बंद किया उन्होंने अंदर से दरवाजा लेकिन पूरे ४५ मिनट के बाद ,
पहले एक राउंड ,
उनकी क्विकी भी बाकियों के फुल राउंड से ज्यादा टाइम लेती थी। कम से कम आधा घंटा।
और उनकी उंगलिया , होंठ उनके मूसलचंद से कम बदमाश थोड़े ही थे ,जब तक मेरे जोबन की ऐसी तैसी नहीं कर लेते , मैं सिसकने नहीं लगती , खुद मुंह खोल कर नहीं कहती , उनके धक्के नहीं चालू होते थे।
और दरवाजा बंद करने के बाद उनकी फेवरिट डॉगी पोज़
वहीँ मुझे निहुराकर , और सेकंड राउंड में तो टाइम लगना ही था , दिन दहाड़े , मेरी सास के कमरे में , उनकी पलंग पर , ...
लेकिन इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता था , मैं बस दिख जाऊं ,
और सच बोलूं , ... मन तो मेरा इनसे भी ज्यादा करता था जिस तरह से ये रगड़ते कुचलते मसलते थे न ,
बस मन करता था ये करते ही रहें
दो ढाई घंटे बाद मैंने दरवाजा खोला , बाहर से जेठानी खटखट कर रही थीं , चाय लायी थीं।
लेकिन उनका मन बढ़ाने में मेरी सास और जेठानी का भी पूरा हाथ था ,
मेरी सास ट्रेडिशनल सास लोगों से एकदम अलग , ...
मेरी रगड़ाई होती थी , लेकिन वो खुद नहीं , अपने बेटे से ,...
मेरे आने के बाद , रात का खाना साढ़े आठ बजे ख़तम हो जाता था , और मैं रुकना भी चाहूँ तो सास मेरी हाँक कर मुझे नौ बजे के पहले ,
मेरे कमरे में ऊपर छत पर खेद देती थीं , जहां भूखा शेर मिलता था।
और सुबह भी अगर मैं नौ बजे से पहले नीचे आयी तो सास एकदम चालू ,...
अरे अभी नयी बहू हो थोड़ा आराम करो , और बेड टी तो कमरे में ऊपर उनका लड़का अपने हाथ से बनाकर पिला ही देता था।
और दिन में भी , ....
तिझरिया में एक दो राउंड तो पहले दिन से ही , मेरी जेठानी खुद मुझे उनके कमरे में पहुंचा आयी थीं ,
लेकिन अब ,... कभी भी ,
बस वो ऊपर जाते और वहीँ से आवाज लगाते ,
" ज़रा एक ग्लास पानी पिला दो। "
मेरी जेठानी और सास दोनों मुस्कराने लगतीं , और मुझसे ज़रा भी देर होती तो ऊपर से फिर गुहार लग जाती।
जेठानी भी मेरी खिंचाई करने में ,
बोलतीं
" अरे पिला दे न , प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा पुण्य मिलता है। "
पर गुड्डो के जाने के बाद , जो कहते हैं न शहजादे की नाफ़रमानियां परवान चढ़ती गयीं , बस वही हुआ ,
अब तो दिन भर , न मौक़ा देखते थे न जगह। अब दिन में किचेन मेरे जिम्मे था , तो किचेन में भी , और कुछ नहीं तो पकड़ा पकड़ी , चुम्मा तो कभी भी कहीं भी ,
और मौका देखकर ब्लाउज के ऊपर से ही मसलना रगड़ना , ...
ऐसा नहीं की मैं मना नहीं करती थी पर वो भी जानते थे की ये मना करना कितना दिल से है ,
दिल तो मेरा भी वही करता था जो इनका करता था।
एक दिन तो हद कर दी इन्होने ,
मैं दिन में सास के साथ लेटी थी , हलकी सी नींद भी लग गयी थी , एक ओर जेठानी जी एक ओर मैं , बस पंचायत कर रही थीं हम तीनो मिल के , जाड़े की दुपहर , बड़ी सी रजाई , ...
बस ये आ गए और मेरी ओर से घुस गए , मैंने इन्हे कोहनी भी मारी , इशारा भी किया क्या करते हो , सासु जी हैं ,
पर , ये नम्बरी असुधारणीय ,... पहले तो मेरी पीठ सहलाते रहे , फिर पीछे से ब्लाउज के अंदर हाथ डाल कर मेरी ब्रा का स्ट्रैप ,…
सासु जी उठ के चल दीं , जेठानी से कह कर उन्हें पड़ोस में जाना है कई दिन से कोई बुला रहा था।
और जैसे ही वो निकली , मेरी ब्रा का स्ट्रैप खुल गया।
जेठानी जी तो सब समझ ही रही थीं ,
बस एक स्वगत संवाद बोला उन्होने , जा रही हूँ ज़रा बाहर का दरवाजा बंद कर दूँ और मेरा सीरियल भी आ रहा होगा।
बाहर का दरवाजा तो पता नहीं उन्होंने बंद किया की नहीं ,
पर जिस कमरे में मैं थी , उस की कुण्डी बंद कर दी , बाहर से वो भी जोर से ,
एकदम अपने देवर का फायदा सोचती रहती थीं वो ,
मैं लाख कहती रही अंदर से तो दरवाजा बंद कर लो , पर ,...
बंद किया उन्होंने अंदर से दरवाजा लेकिन पूरे ४५ मिनट के बाद ,
पहले एक राउंड ,
उनकी क्विकी भी बाकियों के फुल राउंड से ज्यादा टाइम लेती थी। कम से कम आधा घंटा।
और उनकी उंगलिया , होंठ उनके मूसलचंद से कम बदमाश थोड़े ही थे ,जब तक मेरे जोबन की ऐसी तैसी नहीं कर लेते , मैं सिसकने नहीं लगती , खुद मुंह खोल कर नहीं कहती , उनके धक्के नहीं चालू होते थे।
और दरवाजा बंद करने के बाद उनकी फेवरिट डॉगी पोज़
वहीँ मुझे निहुराकर , और सेकंड राउंड में तो टाइम लगना ही था , दिन दहाड़े , मेरी सास के कमरे में , उनकी पलंग पर , ...
लेकिन इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता था , मैं बस दिख जाऊं ,
और सच बोलूं , ... मन तो मेरा इनसे भी ज्यादा करता था जिस तरह से ये रगड़ते कुचलते मसलते थे न ,
बस मन करता था ये करते ही रहें
दो ढाई घंटे बाद मैंने दरवाजा खोला , बाहर से जेठानी खटखट कर रही थीं , चाय लायी थीं।
लेकिन उनका मन बढ़ाने में मेरी सास और जेठानी का भी पूरा हाथ था ,
मेरी सास ट्रेडिशनल सास लोगों से एकदम अलग , ...
मेरी रगड़ाई होती थी , लेकिन वो खुद नहीं , अपने बेटे से ,...
मेरे आने के बाद , रात का खाना साढ़े आठ बजे ख़तम हो जाता था , और मैं रुकना भी चाहूँ तो सास मेरी हाँक कर मुझे नौ बजे के पहले ,
मेरे कमरे में ऊपर छत पर खेद देती थीं , जहां भूखा शेर मिलता था।
और सुबह भी अगर मैं नौ बजे से पहले नीचे आयी तो सास एकदम चालू ,...
अरे अभी नयी बहू हो थोड़ा आराम करो , और बेड टी तो कमरे में ऊपर उनका लड़का अपने हाथ से बनाकर पिला ही देता था।
और दिन में भी , ....
तिझरिया में एक दो राउंड तो पहले दिन से ही , मेरी जेठानी खुद मुझे उनके कमरे में पहुंचा आयी थीं ,
लेकिन अब ,... कभी भी ,
बस वो ऊपर जाते और वहीँ से आवाज लगाते ,
" ज़रा एक ग्लास पानी पिला दो। "
मेरी जेठानी और सास दोनों मुस्कराने लगतीं , और मुझसे ज़रा भी देर होती तो ऊपर से फिर गुहार लग जाती।
जेठानी भी मेरी खिंचाई करने में ,
बोलतीं
" अरे पिला दे न , प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा पुण्य मिलता है। "