15-01-2019, 07:22 PM
दूसरी फुहार
सावन में झूले पड़े
![[Image: menhadi-2.jpg]](https://i.ibb.co/CtdmvLY/menhadi-2.jpg)
बसंती जो नाउन थी, तभी आयी। सबके पैर में महावर और हाथों में मेंहदी लगायी गयी। मैंने देखा कि अजय के साथ, सुनील भी आ गया था और दोनों मुझे देख-देखकर रस ले रहे थे। मेरी भी हिम्मत भाभियों का मजाक सुनकर बढ़ गयी थी और मैं भी उन दोनों को देखकर मुश्कुरा दी।
हम लोग फिर झूला झूलने गये। भाभी ने पहले तो मना किया कि मुन्ने को कौन देखेग। भाभी की अम्मा बोलीं कि वह मुन्ने को देख लेंगी।
बाहर निकलते ही मैंने पहली बार सावन की मस्ती का अहसास किया।
रियाली चारों ओर, खूब घने काले बादल, ठंडी हवा… हम लोग थोड़ा ही आगे बढे होंगे कि मैंने एक बाग में मोर नाचते देखे, खेतों में औरतें धान की रोपायी कर रहीं थी, सोहनी गा रहीं थी, जगह जगह झूले पड़े थे और कजरी के गाने की आवाजें गूंज रहीं थीं।
![[Image: paddy-fields-2.jpg]](https://i.ibb.co/yhNWdDP/paddy-fields-2.jpg)
कजरी रास्ते में ही शुरू हो गयी और मुझे और भाभी को लेकर ,
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,लाल लाल सिन्दुरा,
ननद जी के रोरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,लाल लाल चुनरी
ननद जी के पियरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,सोने क कंगना
ननद जी के चूड़ी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के हाथे ढोलक मजीरा ,
ननद गावें कजरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के संग है एक सजना
अरे ,ननदी के दस दस रे साँवरिया.
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
हम लोग जहां झूला झूलने गये, वह एक घनी अमरायी में था, बाहर से पता ही नहीं चल सकता था कि अंदर क्या हो रहा है। एक आम के पेड़ की मोटी धाल पर झूले में एक पटरा पड़ा हुआ था।
झूले पे मेरे आगे चन्दा और पीछे भाभी थीं। पेंग देने के लिये एक ओर से चम्पा भाभी थीं और दूसरी ओर से भाभी की एक सहेली पूरबी थी जो अभी कुछ दिन पहले ससुवल से सावन मनाने मायके आयी थीं। चन्दा की छोटी बहन ने एक कजरी छेड़ी,
अरे रामा घेरे बदरिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी।
अरे रामा, बोले कोयलिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी,
पिया हमार विदेशवा छाये, अरे रामा गोदिया होरिल बिन खाली,
लवटि आवा हाली रे हरी,
भाभी ने चम्पा भाभी को छेड़ा-
![[Image: Bhabhi-6350a51c5836f50d1e4585ba5dcf8fde.jpg]](https://i.ibb.co/D1mZK5x/Bhabhi-6350a51c5836f50d1e4585ba5dcf8fde.jpg)
“क्यों भाभी रात में तो भैया के साथ इत्ती जोर-जोर से धक्के लगाती हैं, अभी क्या हो गया…”
चम्पा भाभी ने कस-कसकर पेंग लगानी शुरू कर दिया। कांपकर मैंने रस्सी कसकर पकड़ ली।
सावन में झूले पड़े
![[Image: menhadi-2.jpg]](https://i.ibb.co/CtdmvLY/menhadi-2.jpg)
बसंती जो नाउन थी, तभी आयी। सबके पैर में महावर और हाथों में मेंहदी लगायी गयी। मैंने देखा कि अजय के साथ, सुनील भी आ गया था और दोनों मुझे देख-देखकर रस ले रहे थे। मेरी भी हिम्मत भाभियों का मजाक सुनकर बढ़ गयी थी और मैं भी उन दोनों को देखकर मुश्कुरा दी।
हम लोग फिर झूला झूलने गये। भाभी ने पहले तो मना किया कि मुन्ने को कौन देखेग। भाभी की अम्मा बोलीं कि वह मुन्ने को देख लेंगी।
बाहर निकलते ही मैंने पहली बार सावन की मस्ती का अहसास किया।
रियाली चारों ओर, खूब घने काले बादल, ठंडी हवा… हम लोग थोड़ा ही आगे बढे होंगे कि मैंने एक बाग में मोर नाचते देखे, खेतों में औरतें धान की रोपायी कर रहीं थी, सोहनी गा रहीं थी, जगह जगह झूले पड़े थे और कजरी के गाने की आवाजें गूंज रहीं थीं।
![[Image: paddy-fields-2.jpg]](https://i.ibb.co/yhNWdDP/paddy-fields-2.jpg)
कजरी रास्ते में ही शुरू हो गयी और मुझे और भाभी को लेकर ,
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,लाल लाल सिन्दुरा,
ननद जी के रोरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,लाल लाल चुनरी
ननद जी के पियरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के सोहे ला ,सोने क कंगना
ननद जी के चूड़ी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के हाथे ढोलक मजीरा ,
ननद गावें कजरी रे साँवरिया।
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
भौजी के संग है एक सजना
अरे ,ननदी के दस दस रे साँवरिया.
घरवा में से निकलीं ,ननद भौजइया ,जुलुम दोनों जोड़ी रे साँवरिया।
हम लोग जहां झूला झूलने गये, वह एक घनी अमरायी में था, बाहर से पता ही नहीं चल सकता था कि अंदर क्या हो रहा है। एक आम के पेड़ की मोटी धाल पर झूले में एक पटरा पड़ा हुआ था।
झूले पे मेरे आगे चन्दा और पीछे भाभी थीं। पेंग देने के लिये एक ओर से चम्पा भाभी थीं और दूसरी ओर से भाभी की एक सहेली पूरबी थी जो अभी कुछ दिन पहले ससुवल से सावन मनाने मायके आयी थीं। चन्दा की छोटी बहन ने एक कजरी छेड़ी,
अरे रामा घेरे बदरिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी।
अरे रामा, बोले कोयलिया काली, लवटि आवा हाली रे हरी,
पिया हमार विदेशवा छाये, अरे रामा गोदिया होरिल बिन खाली,
लवटि आवा हाली रे हरी,
भाभी ने चम्पा भाभी को छेड़ा-
![[Image: Bhabhi-6350a51c5836f50d1e4585ba5dcf8fde.jpg]](https://i.ibb.co/D1mZK5x/Bhabhi-6350a51c5836f50d1e4585ba5dcf8fde.jpg)
“क्यों भाभी रात में तो भैया के साथ इत्ती जोर-जोर से धक्के लगाती हैं, अभी क्या हो गया…”
चम्पा भाभी ने कस-कसकर पेंग लगानी शुरू कर दिया। कांपकर मैंने रस्सी कसकर पकड़ ली।
![[Image: jhula-5.jpg]](https://i.ibb.co/nCPmvmK/jhula-5.jpg)