15-01-2019, 06:37 PM
वोमन आन टॉप
आलवेज आन टॉप।
पल भर में मैं उनके ऊपर थी।
+
मेरे गुलाबी होंठ हलके हलके उनके होंठों को छू रहे थे , उनके दोनों हाथों को मोड़ के उनके सर के नीचे मैने दबा दिया। दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी , और मैं उनके ऊपर।
मेरेकड़े कैसे उरोज बस हलके से उनके होंठों को रगड़ कर दूर हट गए ,और नीचे मेरी 'गीली गुलाबी सहेली' उनके खड़े खूंटे के बस ठीक उपर।
अपने कंचे ऐसे कड़े कड़े निपल उनके प्यासे पागल होंठों पे छुला के , तड़पा के , उनकी आँख में अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे डालते मैंने पूछा,
" क्यों , मुन्ना , … चाहिए। "
" हाँ हाँ ,… दो न , हाँ ," उन्होंने उचकने की कोशिश की , लेकिन उनकी दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी और शरारत से , ललचाते मेरे जोबन उनकी पहुँच के बाहर हो गए।
"ऐसे थोड़ी , … अरे जरा ठीक से मांगों , विनती करो तब , .... "मैंने भी अदा दिखाई /
" मुझे ये , तुम्हारे बूब्स , चाहिए। " वो बेताबी से बोले , लेकिन मैं ऐसे थोड़े पटने वाली थी।
" ऐसे थोड़ी , तू भी न , खुल के बोलो न , जरा इसकी तारीफ करो , कैसे हैं ये तो बताओ न। " मैंने कहा और अब मेरे ३४ सी उरोज बस इंच भर उनके होंठों से दूररहे होंगे।
" ओह्ह ओह्ह ये तुम्हारे बूब्स , सेक्सी ,बहुत रसीले हैं " कुछ खुले वो लेकिन ,…
" अरे ऐसे थोड़ी अंग्रेजी में नहीं , और जरा खुल के , तुम भी न " मैंने मुंह बनाया।
थोड़ा हिचक के फिर वो बोले , " तुम्हारे उरोज , रसीले कुच , बहुत मन कर रहा है , दो न "
वो एक दम बेताब थे। पर मैंने अपनें उभारों को एकदम दूर कर लिया, और मुंह बना के बोली ,
" लगता है तेरा एकदम मन नहीं कर रहां है , अगर ये चहिये तो एक दम साफ साफ , देसी देसी भाषा में खुल के , अब ये मत कहना की अपने मायके में तूने ऐसे बोलना सीखा नहीं। एकदमदेसी ,समझ लो , पूरा खुल कर लास्ट चांस। "
" नहीं नहीं प्लीज , सच्ची मेरा बहुत मन कर रहा है दो न। अपने ये गदराये जोबन , ये ये ,… ये रसीली चूंचियां ,.... दो न "
" हाँ हाँ हाँ बोलते रहो , बहुत अच्छा लग रहा ओह और बोलो , " और ये कहते मेरे इंच भर कड़े खड़े निपल अब खुल के ऊनके होंठो पे रगड़ रहे थे "
और मैने अपनी एडवांटेज थोड़ा और प्रेस किया , " बेबी माई लवली बेबी , बस एक छोटी सी बात और बोल दो तो ये निप्स अब तुम्हारे , बोलो। "
"पूछो न। "
उचकते हुए उन्होंने अपने होंठो के बीच मेरे उरोजों को दबोचने की कोशिश की , लेकिन मेरी कलाई की पकड़ तगड़ी थी और मेरे कबूतर उनकी पहुँच से दूर उड़ गए लेकिन बस थोड़ी दूर।
" हाँ ये बताओ " मैं रुकी और झुक के एक छोटा सा किस उनके होंठों पे जड़ा और हटा लिया , और पूछा ,
आलवेज आन टॉप।
पल भर में मैं उनके ऊपर थी।
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मेरे गुलाबी होंठ हलके हलके उनके होंठों को छू रहे थे , उनके दोनों हाथों को मोड़ के उनके सर के नीचे मैने दबा दिया। दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी , और मैं उनके ऊपर।
मेरेकड़े कैसे उरोज बस हलके से उनके होंठों को रगड़ कर दूर हट गए ,और नीचे मेरी 'गीली गुलाबी सहेली' उनके खड़े खूंटे के बस ठीक उपर।
अपने कंचे ऐसे कड़े कड़े निपल उनके प्यासे पागल होंठों पे छुला के , तड़पा के , उनकी आँख में अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे डालते मैंने पूछा,
" क्यों , मुन्ना , … चाहिए। "
" हाँ हाँ ,… दो न , हाँ ," उन्होंने उचकने की कोशिश की , लेकिन उनकी दोनों कलाइयां मेरी कसी पकड़ में थी और शरारत से , ललचाते मेरे जोबन उनकी पहुँच के बाहर हो गए।
"ऐसे थोड़ी , … अरे जरा ठीक से मांगों , विनती करो तब , .... "मैंने भी अदा दिखाई /
" मुझे ये , तुम्हारे बूब्स , चाहिए। " वो बेताबी से बोले , लेकिन मैं ऐसे थोड़े पटने वाली थी।
" ऐसे थोड़ी , तू भी न , खुल के बोलो न , जरा इसकी तारीफ करो , कैसे हैं ये तो बताओ न। " मैंने कहा और अब मेरे ३४ सी उरोज बस इंच भर उनके होंठों से दूररहे होंगे।
" ओह्ह ओह्ह ये तुम्हारे बूब्स , सेक्सी ,बहुत रसीले हैं " कुछ खुले वो लेकिन ,…
" अरे ऐसे थोड़ी अंग्रेजी में नहीं , और जरा खुल के , तुम भी न " मैंने मुंह बनाया।
थोड़ा हिचक के फिर वो बोले , " तुम्हारे उरोज , रसीले कुच , बहुत मन कर रहा है , दो न "
वो एक दम बेताब थे। पर मैंने अपनें उभारों को एकदम दूर कर लिया, और मुंह बना के बोली ,
" लगता है तेरा एकदम मन नहीं कर रहां है , अगर ये चहिये तो एक दम साफ साफ , देसी देसी भाषा में खुल के , अब ये मत कहना की अपने मायके में तूने ऐसे बोलना सीखा नहीं। एकदमदेसी ,समझ लो , पूरा खुल कर लास्ट चांस। "
" नहीं नहीं प्लीज , सच्ची मेरा बहुत मन कर रहा है दो न। अपने ये गदराये जोबन , ये ये ,… ये रसीली चूंचियां ,.... दो न "
" हाँ हाँ हाँ बोलते रहो , बहुत अच्छा लग रहा ओह और बोलो , " और ये कहते मेरे इंच भर कड़े खड़े निपल अब खुल के ऊनके होंठो पे रगड़ रहे थे "
और मैने अपनी एडवांटेज थोड़ा और प्रेस किया , " बेबी माई लवली बेबी , बस एक छोटी सी बात और बोल दो तो ये निप्स अब तुम्हारे , बोलो। "
"पूछो न। "
उचकते हुए उन्होंने अपने होंठो के बीच मेरे उरोजों को दबोचने की कोशिश की , लेकिन मेरी कलाई की पकड़ तगड़ी थी और मेरे कबूतर उनकी पहुँच से दूर उड़ गए लेकिन बस थोड़ी दूर।
" हाँ ये बताओ " मैं रुकी और झुक के एक छोटा सा किस उनके होंठों पे जड़ा और हटा लिया , और पूछा ,