15-01-2019, 06:02 PM
काजल की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था...उसके सिरे पर प्रिकम की बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...
काजल तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो...
केशव ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे काजल की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
काजल का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से केशव के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया...
और जैसे ही काजल के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......काजल ............''
केशव के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...
और अपना नाम सुनते ही काजल का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..
तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "काजल ......केशव....कहाँ हो तुम दोनो....''
काजल का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..काजल ने भी आते हुए केशव के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..
काजल ने एक ही झटके मे केशव के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी
''आईईईई माँ ...''
और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..
काजल : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''
मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''
काजल : "वो ....केशव अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''
उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और केशव को बचा लिया..
कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद काजल की हिम्मत नही हुई की वापिस केशव के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..
केशव ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर काजल लिख दिया..
अगले दिन केशव के उठने से पहले काजल ऑफीस के लिए निकल गयी..केशव भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा , उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.
उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन काजल के साथ हर तरह के मज़े ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.
उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की काजल उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..
उसे लग रहा था की शायद काजल काफ़ी दिनों से यही सब कुछ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.
खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...बिल्लू और गणेश तो कल भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी काजल के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कुछ और था.
शाम को 7 बजे के आस पास काजल भी आ गयी..केशव ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...केशव का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.
काजल उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
केशव अंदर बैठा टीवी देख रहा था...काजल ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "केशव...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
केशव सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
काजल उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...केशव ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
काजल एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए काजल के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
काजल : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
केशव : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
काजल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने केशव को अपने गले से लगा लिया...केशव ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
केशव के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
उसका लंड खड़ा होकर काजल के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...काजल को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.
काजल ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..
काजल : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''
केशव : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते हैं...''
काजल : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते हो..''
केशव : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड पर लाइन मरता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''
काजल ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं..
एकदम से चाय उबल गयी
काजल : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''