17-11-2018, 01:44 PM
"पहली नजर का प्यार"
रात के तीन बज चुके थे, क्या हो गया था मुझे आज, सोलह साल की उम्र में पहली वार ऐसा हुआ था,
आखो से नींद उड़ गई थी बस एक चेहरा नजर आ रहा था, कानो में एक ही नाम गूज रहा था, जहन का भी यही हाल था, जहा देखो बस उस की तस्वीर ही दिख रही थी, बदलो को देखो तो बही चेहरा, सितारों को देखो तो बही चेहरा, चाँद को देखो तो बही चेहरा, गंगा की लहरों मै बही तस्वीर, जलती चिताओ में बही चेहरा, चिताओ से उठता धुँवा भी बही तस्वीर बना रहा था, जहा देखो बस हिन्द हिन्द हिन्द हिन्द हिन्द बस हिन्द नज़र आ रहा था.दिलो दिमाक बेचैन हो रहा था. सारा जिस्म पसीना पसीना हो रहा था, बेचैनी में बार बार करवटे बदल रही थी. सोलह साल की उम्र में मैरे साथ पहलीवार ऐसा हो रहा था. बार बार में खुद से सवाल कर रही थी की मैरे साथ यह क्या हो रहा है. तभी ऐसा लगा जैसे कोई रूह कानो मै फुसफुसा के बोली हो,सोफी तुझे प्यार हो गया है तुझे इश्क़ हो गया हैं.हां तुझे मुहब्बत हो गई हैं हिन्द से .
उस हिन्द से जिससे आज मै जीवन मै पहली वार मिली थी.पहली वार बमुश्किल घडी दो घडी की मुलाकात हुई थी. बस एक बार नजरो से नजरे मिली थी, बस दुआ सलाम हुआ था.
मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र, जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया.
आँख में थी हया हर मुलाक़ात पर, सुर्ख आरिज़ हुए वसल की बात पर.
उसने शर्मा के मेरे सवालात पे, ऐसे गर्दन झुकाई मज़ा आ गया.
ऐ फ़ना शुकर है आज बाद-ए-फ़ना, उसने रख ले मेरे प्यार की आबरू.
अपने हाथों से उसने मेरी क़बर पर, चादर-ए-गुल चढ़ाई मज़ा आ गया.
रात के तीन बज चुके थे, क्या हो गया था मुझे आज, सोलह साल की उम्र में पहली वार ऐसा हुआ था,
आखो से नींद उड़ गई थी बस एक चेहरा नजर आ रहा था, कानो में एक ही नाम गूज रहा था, जहन का भी यही हाल था, जहा देखो बस उस की तस्वीर ही दिख रही थी, बदलो को देखो तो बही चेहरा, सितारों को देखो तो बही चेहरा, चाँद को देखो तो बही चेहरा, गंगा की लहरों मै बही तस्वीर, जलती चिताओ में बही चेहरा, चिताओ से उठता धुँवा भी बही तस्वीर बना रहा था, जहा देखो बस हिन्द हिन्द हिन्द हिन्द हिन्द बस हिन्द नज़र आ रहा था.दिलो दिमाक बेचैन हो रहा था. सारा जिस्म पसीना पसीना हो रहा था, बेचैनी में बार बार करवटे बदल रही थी. सोलह साल की उम्र में मैरे साथ पहलीवार ऐसा हो रहा था. बार बार में खुद से सवाल कर रही थी की मैरे साथ यह क्या हो रहा है. तभी ऐसा लगा जैसे कोई रूह कानो मै फुसफुसा के बोली हो,सोफी तुझे प्यार हो गया है तुझे इश्क़ हो गया हैं.हां तुझे मुहब्बत हो गई हैं हिन्द से .
उस हिन्द से जिससे आज मै जीवन मै पहली वार मिली थी.पहली वार बमुश्किल घडी दो घडी की मुलाकात हुई थी. बस एक बार नजरो से नजरे मिली थी, बस दुआ सलाम हुआ था.
मेरे रश्के क़मर तू ने पहली नज़र, जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया.
आँख में थी हया हर मुलाक़ात पर, सुर्ख आरिज़ हुए वसल की बात पर.
उसने शर्मा के मेरे सवालात पे, ऐसे गर्दन झुकाई मज़ा आ गया.
ऐ फ़ना शुकर है आज बाद-ए-फ़ना, उसने रख ले मेरे प्यार की आबरू.
अपने हाथों से उसने मेरी क़बर पर, चादर-ए-गुल चढ़ाई मज़ा आ गया.