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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
#33
काजल ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर नही निकलता, परेशानी होती है..''
[Image: up_lxlScreenSnapz004.jpg]
अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर केशव का मुँह खुला रह गया

काजल : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे सारिका ने कुछ भी नही बताया...की हम दोनो के बीच कैसी-2 बातें होती थी पहले..''

[Image: TangibleScientificHind-max-1mb.gif]

केशव : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...''

काजल (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू .. ही ही''

केशव भी हंस दिया..

काजल : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''

अब मज़ा लेने की बारी केशव की थी.

केशव : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''

काजल : "अच्छा ...अब मुझसे छुपाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''

केशव : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप गयी...''

काजल : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''

केशव : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''

अब काजल भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..

काजल : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''

अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.

केशव कुछ नही बोला...बस मुस्कुराता रहा...

उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....

[Image: 0863c72fa79a22cbb8e6f4163464803a.gif]
केशव की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.

काजल : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''

वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर केशव के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.

केशव : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''

इतना सुनते ही काजल का मन हुआ की केशव से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
[Image: giphy.gif]
उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.

काजल : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''

उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..

केशव भी अब गेम में चुका था...वो भी काजल को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..

केशव : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''

केशव का हर शब्द काजल की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद केशव के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.

काजल : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ रहा ....''

उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...

केशव : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''

और केशव ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना विशालकाए लंड अपनी सग़ी बहन काजल की आँखो के सामने लहरा दिया.[Image: hot_big_dick.gif]
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 14-01-2019, 06:50 PM



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