30-09-2019, 09:26 AM
गुड्डो - अनुज
अगले दिन तक घर आलमोस्ट खाली हो गया , सब लोग चले गए . गुड्डो को छोड़कर।
अनुज मेरे पीछे पड़ा था , भाभी कुछ कर के बस हफ्ते भर , ...
हफ्ते भर तो वो नहीं रुकी लेकिन मैंने जिद कर के पांच दिन उसे रोक लिया।
मन तो गुड्डो रानी का भी कर रहा था।
और पांच दिन में कोई दिन नागा नहीं गया।
और उसमें भी मेरा हाथ था ,
अनुज जिस तरह कहता था , भाभी कुछ जुगाड़ करवा दो ,
और मैं भी , ... आखिर इस शहर में तो वही मेरा देवर था , ...
और मेरी निगाह उसकी छुटकी बहिनिया पर भी थी ,
गुड्डी रानी पर।
बस अनुज को मैंने समझा दिया , अगर रोज रोज अकेले आने में मुश्किल है तो गुड्डी के साथ आओ न , ...
एक दिन तो हद हो गयी . गुड्डी अपनी दो सहेलियों के साथ आ गयी , अनुज भी बहाना बना के अपनी बहना के साथ , एस्कॉर्ट ड्यूटी पर ,...
मैं गुड्डी की दोनों सहेलियों के साथ लूडो खेलने बैठ गयी , और अनुज को हड़काकर भगा दिया ,
" कहाँ हरदम लड़कियों में घुसे रहते हो ".
गुड्डो तो खेल में थी नहीं , बस देख रही थी , उसे भी , ...
" गुड्डो यार इस जाड़े में ज़रा गरम गरम पकौड़ियाँ हो जाएँ "
बस वो भी मुंह बनाकर चली गयी , घंटे भर के बाद लौटी ,
और मैं समझ गयी , मौके का फायदा मेरे देवर ने भी उठाया और गुड्डो रानी ने भी।
और मेरी भी गुड्डी से दोस्ती अच्छी हो गयी और साथ में खुल कर छेड़छाड़ भी ,
अगले दिन तक घर आलमोस्ट खाली हो गया , सब लोग चले गए . गुड्डो को छोड़कर।
अनुज मेरे पीछे पड़ा था , भाभी कुछ कर के बस हफ्ते भर , ...
हफ्ते भर तो वो नहीं रुकी लेकिन मैंने जिद कर के पांच दिन उसे रोक लिया।
मन तो गुड्डो रानी का भी कर रहा था।
और पांच दिन में कोई दिन नागा नहीं गया।
और उसमें भी मेरा हाथ था ,
अनुज जिस तरह कहता था , भाभी कुछ जुगाड़ करवा दो ,
और मैं भी , ... आखिर इस शहर में तो वही मेरा देवर था , ...
और मेरी निगाह उसकी छुटकी बहिनिया पर भी थी ,
गुड्डी रानी पर।
बस अनुज को मैंने समझा दिया , अगर रोज रोज अकेले आने में मुश्किल है तो गुड्डी के साथ आओ न , ...
एक दिन तो हद हो गयी . गुड्डी अपनी दो सहेलियों के साथ आ गयी , अनुज भी बहाना बना के अपनी बहना के साथ , एस्कॉर्ट ड्यूटी पर ,...
मैं गुड्डी की दोनों सहेलियों के साथ लूडो खेलने बैठ गयी , और अनुज को हड़काकर भगा दिया ,
" कहाँ हरदम लड़कियों में घुसे रहते हो ".
गुड्डो तो खेल में थी नहीं , बस देख रही थी , उसे भी , ...
" गुड्डो यार इस जाड़े में ज़रा गरम गरम पकौड़ियाँ हो जाएँ "
बस वो भी मुंह बनाकर चली गयी , घंटे भर के बाद लौटी ,
और मैं समझ गयी , मौके का फायदा मेरे देवर ने भी उठाया और गुड्डो रानी ने भी।
और मेरी भी गुड्डी से दोस्ती अच्छी हो गयी और साथ में खुल कर छेड़छाड़ भी ,