30-09-2019, 09:00 AM
नन्दोई जी
नन्दोई जी ने पाजामा उलटा पहना था। सबसे ज्यादा मेरी गाँव वाली जेठानी ,
" अरे नन्दोई जी , मंझली ननद तो हम लोगों के साथ सोयीं थी , किस ननद के साथ पाजामा उतारा था , जो पाजामा उलट गया , "
तो मेरी दूसरी जेठानी बोलीं ,
" अरे माना जीजा साली का रिश्ता है ही , लेकिन ज़रा हम लोगों को भी बता दो , कौन थी वो स्साली।
जरा उस स्साली की शलवार भी तो चेक कर लूँ , कहीं उसने भी तो उलटी नहीं पहन ली , ... "
मेरी निगाह तो मिली को ताड़ ही रही थीं ,
जेठानी जी का ये कमेंट सुन कर वो बेचारी अपनी लेगिंग देखने लगी ,
और फिर जब उसने मुझे देखते हुए देखा तो बेचारी की हालत खराब जैसे किसी चोर की चोरी पकड़ी गयी हो ,
एकदम शरम से लाल , मैं जोर से मुस्करायी
गनीमत थी किसी और ने मिली की ये हालत नहीं देखी , नन्दोई जी की सारी सलहजे तो उनके ही पीछे पड़ीं थी ,
मेरी सगी जेठानी भी तब तक आ गयी थीं , नन्दोई जी से बड़े इसरार से बोलीं ,
" अच्छा कुछ तो हिंट दे दीजिये , बीए वाली की इंटर वाली , अरे ननद भाभी की बातें , नन्दोई सलहज की बातें , हम लोग किसी से बताएंगे थोड़ी ही , "
तब तक गाँव वाली जेठानी से रहा नहीं गया , बोलीं
" अरे काहें बेचारे नन्दोई जी को तंग करती हो , इनका तो ससुराल में हक है ,
बस ज़रा इन ननदों की शलवार , चड्ढी खोलो , बुर में ऊँगली करो , ...
देखो किसकी बिल में मलाई छलछला रही है , बस पता चल जाएगा और जब तक चुदाई का पूरा हाल न बताये ,
ऊँगली बाहर न निकालो , बल्कि गंडियों में ,... "
लेकिन तभी गुड्डी रानी ,
वही इनकी ममेरी बहन , कक्षा ८ वाली , एलवल वाली , ... कमरे में आयी , बस वो कुछ बोलती उसके पहले मैंने बोल दिया ,
" सबसे पहले इनकी चेक करो ,... "
" अरे इसकी बिल में तो ननदोई का नहीं मेरे देवर की मलाई मिलेगी ,... उन्ही का माल है ये "
उसे चिढ़ाते हुए मेरी जेठानी चालू हो गयीं और उसे पकड़ के मेरी बगल में बैठा दिया।
लेकिन तबतक मंझली ननद और दुलारी आ गयीं और ननदों का पलड़ा थोड़ा बराबर हो गया ,
" अरे कउनो जरुरी है साली हो , सलहज भी तो हो सकती है , हमर कुल भौजाई मायके की छिनार हैं , "
" अरे काहें जर रही हो , सलहज का तो साली से पहले हक़ है नन्दोई पर , लेकिन ,... "
पर उनकी बात काटती मंझली ननद ने मुझे लपेटने की कोशिश की ,
" क्यों आपकी कहीं ये नई वाली सलहज तो नहीं , नया नया माल देखकर ,... "
" एकदम नहीं ", मैंने बात काटी , ...
" मैं रात भर इनके साले के साथ , और सुबह सुबह गुड्डी और गुड्डो दोनों कमरे में , चाहे तो पूछ लीजिये "
नन्दोई जी अब सरक कर मौके का फायदा उठाकर एकदम मेरे बगल में सट कर बैठ गए थे , और उनका हाथ मेरे कंधे पर ,...
लेकिन मैंने हाथ नहीं हटाया , उनका।
इस छेड़छाड़ में मुझे भी मजा आ रहा था ,
" ठीक है लेकिन ज्यादा दिन बचोगी नहीं ,"
मेरी मुस्कराहट ने हामी भरी , और जवाब मेरी ओर से जेठानी जी ने दिया ,
" अरे जिसने स्साले की बहन को नहीं छोड़ा , वो उसकी बीबी को , ... यही कहेंगी न आप लेकिन यहाँ कोई डरने वाला नहीं है। "
" चलो अभी तो कल हम लोगों को जाना है लेकिन होली अब तीन महीने बची है , होली में बचोगी नहीं। "
" लेकिन दीदी आप होली में आयेगा जरूर और नन्दोई जी को भी , ये मत कहियेगा की वहां के देवरो को याद आ रही है , ... "
मैंने बोला तो ननद जी से लेकिन निगाह मेरी नन्दोई जी की ओर थी
और हामी उन्होंने जोर से भरी , और बोला भी ,
" आऊंगा भी और डालूंगा भी , मना करोगी तो भी डालूंगा , पूरा , "
" मुझे मालूम है , ऐसे मना करने पर मानने वाले नन्दोई नहीं हैं आप , और अगर मना करने पर मान गए न तो सचमुच में सलहज से कुट्टी हो जायेगी और वो भी पक्की वाली "
मैंने भी इसरार करते हुए नन्दोई जी की ओर देखते हुए बोला।
" सोच लो , बुला तो रही हो , लेकिन इनकी पिचकारी ,... उस समय डर मत जाना । "
मंझली ननद भी मजा ले रही थीं।
" एकदम नहीं दीदी , बस आप का आइये तो होली में ,... अच्छा मौका रहेगा , चलिए अदला बदली कर लेंगे , आप के सैंया हमारे साथ , मेरे सैंया आप के साथ , बोलिये मंजूर। "
मैंने छेड़ा उन्हें।
एक पल के बाद चमकी उनकी ,
" बड़ी चालाक , मेरे भइया को मेरे ऊपर चढ़ाने पर तुली हो , ... तेरे मायके में होता होगा ऐसा। "
वो चमक कर बोलीं।
लेकिन मेरी जेठानियाँ थी न जवाब देने को , एक बोली
" अरी बिन्नो , किससे छिपा रही हो बचपन में लुका छिपी खेलने के बहाने , खूब पकड़वाया भी होगा और पकड़ा भी होगा। "
अब मुझे भी ससुराल में आये तीन दिन हो गए थे और मैं भी खुल के मजाक , छेड़छाड़ में हिस्सा लेने लगी थी ,
मैं अपनी मंझली ननद से बोली
" अरे दीदी एक बार ट्राई कर के देख लीजिये न , अब बचपन वाली बात नहीं है , अरे होली में तो ,...
फिर देखिये मैंने आपके सैंया के साथ मना नहीं किया , अब आप ही डर रही हैं ,
आप सोचिये न मैं तो अपने ननदोई के साथ मजे करुँगी , आप के भइया का ही उपवास हो जाएगा , वो भी होली के दिन , "
" नहीं नहीं तुम्ही दोनों रखो , आगे से अपने सैयाँ को पीछे से मेरे सैंया को ,... अरे होली है , मेरी छोटी भाभी हो ,
एक साथ दोनों ओर का मजा ले लेना। "
मंझली ननद भी अब मूड में थी , लेकिन नन्दोई जी जो अब तक हम लोगों की छेड़छाड़ का मजा ले रहे थे , उन्होंने भी मुंह खोल दिया।
बड़े भोले बन कर बोले ,
" मुझे कोई ऐतराज नहीं , मैं पीछे वाले से ही काम चला लूंगा , ... मैं छेद छेद में भेद नहीं करता। "
अब मैंने पाला पलट दिया , नन्दोई जी को छेड़ने में सारी ननदें , सलहजें एक साथ हो जाती थी तो मैं क्यों मौका छोड़ती , बोली
" सच में नन्दोई जी हमारे बहुत सीधे हैं , एकदम भेदभाव नहीं करते , न अपने साले की बहन में और अपनी बहन में , न मेरी ननद में न मेरी ननद की ननदों में , है न , क्यों दीदी। "
मैं अपनी मंझली ननद से हुंकारी से भरवा रही थी और वो भी ख़ुशी ख़ुशी अपनी ननदों की खिंचाई में मेरे साथ आ गयीं।
" एकदम सही कह रही है तू , ... देखा हमारी दो दिन पहले आयी भौजाई को भी आपके सब लक्षण पता चल गए। " खिलखिलाते हुए बोलीं।
तबतक नाश्ता लग गया और सब लोग बाहर , हां मेरा नाश्ता रोज की तरह गुड्डो कमरे में ले आयी।
नन्दोई जी ने पाजामा उलटा पहना था। सबसे ज्यादा मेरी गाँव वाली जेठानी ,
" अरे नन्दोई जी , मंझली ननद तो हम लोगों के साथ सोयीं थी , किस ननद के साथ पाजामा उतारा था , जो पाजामा उलट गया , "
तो मेरी दूसरी जेठानी बोलीं ,
" अरे माना जीजा साली का रिश्ता है ही , लेकिन ज़रा हम लोगों को भी बता दो , कौन थी वो स्साली।
जरा उस स्साली की शलवार भी तो चेक कर लूँ , कहीं उसने भी तो उलटी नहीं पहन ली , ... "
मेरी निगाह तो मिली को ताड़ ही रही थीं ,
जेठानी जी का ये कमेंट सुन कर वो बेचारी अपनी लेगिंग देखने लगी ,
और फिर जब उसने मुझे देखते हुए देखा तो बेचारी की हालत खराब जैसे किसी चोर की चोरी पकड़ी गयी हो ,
एकदम शरम से लाल , मैं जोर से मुस्करायी
गनीमत थी किसी और ने मिली की ये हालत नहीं देखी , नन्दोई जी की सारी सलहजे तो उनके ही पीछे पड़ीं थी ,
मेरी सगी जेठानी भी तब तक आ गयी थीं , नन्दोई जी से बड़े इसरार से बोलीं ,
" अच्छा कुछ तो हिंट दे दीजिये , बीए वाली की इंटर वाली , अरे ननद भाभी की बातें , नन्दोई सलहज की बातें , हम लोग किसी से बताएंगे थोड़ी ही , "
तब तक गाँव वाली जेठानी से रहा नहीं गया , बोलीं
" अरे काहें बेचारे नन्दोई जी को तंग करती हो , इनका तो ससुराल में हक है ,
बस ज़रा इन ननदों की शलवार , चड्ढी खोलो , बुर में ऊँगली करो , ...
देखो किसकी बिल में मलाई छलछला रही है , बस पता चल जाएगा और जब तक चुदाई का पूरा हाल न बताये ,
ऊँगली बाहर न निकालो , बल्कि गंडियों में ,... "
लेकिन तभी गुड्डी रानी ,
वही इनकी ममेरी बहन , कक्षा ८ वाली , एलवल वाली , ... कमरे में आयी , बस वो कुछ बोलती उसके पहले मैंने बोल दिया ,
" सबसे पहले इनकी चेक करो ,... "
" अरे इसकी बिल में तो ननदोई का नहीं मेरे देवर की मलाई मिलेगी ,... उन्ही का माल है ये "
उसे चिढ़ाते हुए मेरी जेठानी चालू हो गयीं और उसे पकड़ के मेरी बगल में बैठा दिया।
लेकिन तबतक मंझली ननद और दुलारी आ गयीं और ननदों का पलड़ा थोड़ा बराबर हो गया ,
" अरे कउनो जरुरी है साली हो , सलहज भी तो हो सकती है , हमर कुल भौजाई मायके की छिनार हैं , "
" अरे काहें जर रही हो , सलहज का तो साली से पहले हक़ है नन्दोई पर , लेकिन ,... "
पर उनकी बात काटती मंझली ननद ने मुझे लपेटने की कोशिश की ,
" क्यों आपकी कहीं ये नई वाली सलहज तो नहीं , नया नया माल देखकर ,... "
" एकदम नहीं ", मैंने बात काटी , ...
" मैं रात भर इनके साले के साथ , और सुबह सुबह गुड्डी और गुड्डो दोनों कमरे में , चाहे तो पूछ लीजिये "
नन्दोई जी अब सरक कर मौके का फायदा उठाकर एकदम मेरे बगल में सट कर बैठ गए थे , और उनका हाथ मेरे कंधे पर ,...
लेकिन मैंने हाथ नहीं हटाया , उनका।
इस छेड़छाड़ में मुझे भी मजा आ रहा था ,
" ठीक है लेकिन ज्यादा दिन बचोगी नहीं ,"
मेरी मुस्कराहट ने हामी भरी , और जवाब मेरी ओर से जेठानी जी ने दिया ,
" अरे जिसने स्साले की बहन को नहीं छोड़ा , वो उसकी बीबी को , ... यही कहेंगी न आप लेकिन यहाँ कोई डरने वाला नहीं है। "
" चलो अभी तो कल हम लोगों को जाना है लेकिन होली अब तीन महीने बची है , होली में बचोगी नहीं। "
" लेकिन दीदी आप होली में आयेगा जरूर और नन्दोई जी को भी , ये मत कहियेगा की वहां के देवरो को याद आ रही है , ... "
मैंने बोला तो ननद जी से लेकिन निगाह मेरी नन्दोई जी की ओर थी
और हामी उन्होंने जोर से भरी , और बोला भी ,
" आऊंगा भी और डालूंगा भी , मना करोगी तो भी डालूंगा , पूरा , "
" मुझे मालूम है , ऐसे मना करने पर मानने वाले नन्दोई नहीं हैं आप , और अगर मना करने पर मान गए न तो सचमुच में सलहज से कुट्टी हो जायेगी और वो भी पक्की वाली "
मैंने भी इसरार करते हुए नन्दोई जी की ओर देखते हुए बोला।
" सोच लो , बुला तो रही हो , लेकिन इनकी पिचकारी ,... उस समय डर मत जाना । "
मंझली ननद भी मजा ले रही थीं।
" एकदम नहीं दीदी , बस आप का आइये तो होली में ,... अच्छा मौका रहेगा , चलिए अदला बदली कर लेंगे , आप के सैंया हमारे साथ , मेरे सैंया आप के साथ , बोलिये मंजूर। "
मैंने छेड़ा उन्हें।
एक पल के बाद चमकी उनकी ,
" बड़ी चालाक , मेरे भइया को मेरे ऊपर चढ़ाने पर तुली हो , ... तेरे मायके में होता होगा ऐसा। "
वो चमक कर बोलीं।
लेकिन मेरी जेठानियाँ थी न जवाब देने को , एक बोली
" अरी बिन्नो , किससे छिपा रही हो बचपन में लुका छिपी खेलने के बहाने , खूब पकड़वाया भी होगा और पकड़ा भी होगा। "
अब मुझे भी ससुराल में आये तीन दिन हो गए थे और मैं भी खुल के मजाक , छेड़छाड़ में हिस्सा लेने लगी थी ,
मैं अपनी मंझली ननद से बोली
" अरे दीदी एक बार ट्राई कर के देख लीजिये न , अब बचपन वाली बात नहीं है , अरे होली में तो ,...
फिर देखिये मैंने आपके सैंया के साथ मना नहीं किया , अब आप ही डर रही हैं ,
आप सोचिये न मैं तो अपने ननदोई के साथ मजे करुँगी , आप के भइया का ही उपवास हो जाएगा , वो भी होली के दिन , "
" नहीं नहीं तुम्ही दोनों रखो , आगे से अपने सैयाँ को पीछे से मेरे सैंया को ,... अरे होली है , मेरी छोटी भाभी हो ,
एक साथ दोनों ओर का मजा ले लेना। "
मंझली ननद भी अब मूड में थी , लेकिन नन्दोई जी जो अब तक हम लोगों की छेड़छाड़ का मजा ले रहे थे , उन्होंने भी मुंह खोल दिया।
बड़े भोले बन कर बोले ,
" मुझे कोई ऐतराज नहीं , मैं पीछे वाले से ही काम चला लूंगा , ... मैं छेद छेद में भेद नहीं करता। "
अब मैंने पाला पलट दिया , नन्दोई जी को छेड़ने में सारी ननदें , सलहजें एक साथ हो जाती थी तो मैं क्यों मौका छोड़ती , बोली
" सच में नन्दोई जी हमारे बहुत सीधे हैं , एकदम भेदभाव नहीं करते , न अपने साले की बहन में और अपनी बहन में , न मेरी ननद में न मेरी ननद की ननदों में , है न , क्यों दीदी। "
मैं अपनी मंझली ननद से हुंकारी से भरवा रही थी और वो भी ख़ुशी ख़ुशी अपनी ननदों की खिंचाई में मेरे साथ आ गयीं।
" एकदम सही कह रही है तू , ... देखा हमारी दो दिन पहले आयी भौजाई को भी आपके सब लक्षण पता चल गए। " खिलखिलाते हुए बोलीं।
तबतक नाश्ता लग गया और सब लोग बाहर , हां मेरा नाश्ता रोज की तरह गुड्डो कमरे में ले आयी।