28-09-2019, 01:44 PM
अपनी रिहाई की खबर सुनाने आये जेलर शैतान सिंह को जब कमलसिंह अपनी आपबीती व्यथा सुना रहा था तो शैतानसिंह जैसे कुख्यात जालिम जेलर की भी आंखे पथरा गई। कमलसिंह कहने लगा कि साहब जिस मणी के चक्कर मंे उसने अपनी जान से प्यारी पत्नि को ही अपना सबसे बडा दुश्मन समझ कर मार डाला तब वह जेल से रिहा होने के बाद बाहर जाकर क्या करेगा । जेलर के बार – बार पुछने के बाद भी कमलसिंह ने उसे वह मणी के कहां छुपा कर रखने की बात नहीं बताई।
आज जब कमलसिंह मर चुका था तब बार – बार जेलर शैतानसिंह को उसकी मौत पर और नागमणी के होने पर विश्वास नहीं हो रहा था । जेलर शैतान सिंह ने स्वंय आगे रह कर कमलसिंह का पोस्टमार्टम करवाने के बाद उसकी लाश को लेकर उसके गांव गया जहां पर गांव के अधिकांश लोग कमलसिंह और सुगरती को भूल चुके थे। एक खण्डहर हो चुके मिटट्ी के मकान के पीछे पुराने पीपल के पेड के पास जेलर शैतान सिंह ने गांव वालो की मदद से एक गडडा खुदवा कर वहीं कमलसिंह को दफन कर दिया।
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