28-09-2019, 01:40 PM
उसके नींद की झपकी बस आने वाली थी कि उसे पेड के नीचे उसी ऊंजाले ने चौका दिया। कमलसिंह को लगा कि अपने बिल से निकलने के बाद नागमणी वाले नाग ने अपने शरीर से मणी को निकाल कर रख दिया है और वे उसके प्रकाश में विचरण करने लगा ।
अपने मणी से कुछ दुरी पर नाग के पहुंचते ही कमलसिंह ने दरातियों की तेजधार से बंधे उस पिंजरे को ठीक उस स्थान पर ऊपर नीचें की ओर गिरा दिया , जहां से प्रकाश आ रहा था। अचानक अंधकार होता देख गुस्से से तमतमाये उस नागमणी वाले नाग ने उस पिंजरे पर अपनी फन से जैसे ही वार किया उसकी फन कट कर दूर जा गिरी ।
सब कुछ देखने के बाद जब कमलसिंह को इस बात का पूरा यकीन हो गया कि नाग मर चुका है तो वह धीरे – धीरे पेड से नीचे उतर कर पिंजरे के पास आया और उसने उस मणी को अपने पास रख कर वह चुपचाप पिंजरे को लेकर चला गया । सुबह होते ही कमलसिंह ने उस नाग को जमीन में गडडा खोद कर उसे दबा दिया।
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अपने मणी से कुछ दुरी पर नाग के पहुंचते ही कमलसिंह ने दरातियों की तेजधार से बंधे उस पिंजरे को ठीक उस स्थान पर ऊपर नीचें की ओर गिरा दिया , जहां से प्रकाश आ रहा था। अचानक अंधकार होता देख गुस्से से तमतमाये उस नागमणी वाले नाग ने उस पिंजरे पर अपनी फन से जैसे ही वार किया उसकी फन कट कर दूर जा गिरी ।
सब कुछ देखने के बाद जब कमलसिंह को इस बात का पूरा यकीन हो गया कि नाग मर चुका है तो वह धीरे – धीरे पेड से नीचे उतर कर पिंजरे के पास आया और उसने उस मणी को अपने पास रख कर वह चुपचाप पिंजरे को लेकर चला गया । सुबह होते ही कमलसिंह ने उस नाग को जमीन में गडडा खोद कर उसे दबा दिया।
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