28-09-2019, 01:11 PM
वैसे तो कमलसिंह का टोकरा टोले का रहने वाला था । इस बिरली आदिवासी बस्ती के एक छोर पर स्थित मिटट्ी का बना पुश्तैनी मकान में कमलसिंह अपने परिवार के साथ रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी सुगरती के अलावा उसकी बुढी मां सीतम्मा भी थी।
कमलसिंह के मकान के पिछवाडे में उसका छोटा सा पुश्तैनी बाडा । उस बाडे में बरसात के समय मक्का और ज्वार लगा लेने से वह अपने परिवार के लिए साल भर की रोटी का बंदोबस्त तो कर लेता था लेकिन कई बार तो फसल के धोखा देने पर उसे यहां – वहां मजदूरी करने के लिए भी जाना पडता था ।
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कमलसिंह के बाडे में कई साल पुराना पीपल का पेड था। इस पेड के नीचे उसके पुश्तैनी कुल देवो की गादी बनाई हुई थी । कई पीढी से कमलसिंह और उसके पुरखे उस गादी की पूजा करते चले आ रहे थे।
चालीस साल की आयु पार कर चुके कमलसिंह निःसंतान था । अपने माता – पिता की एक मात्र संतान के घर में जब किलकारी नहीं गुंजी तो उसकी मां ने उससे बहुंत कहा कि वह दुसरी शादी कर ले लेकिन अपनी घरवाली सुगरती से बेहद प्यार करने वाले कमलसिंह ने किसी एक भी बात नहीं मानी । यहां तक की उसकी पत्नी सुगरती तक ने उससे कई बार कहा कि वह उसकी छोटी साली कमलती को ही घरवाली बना ले, लेकिन वह नहीं माना।
कमलसिंह के मकान के पिछवाडे में उसका छोटा सा पुश्तैनी बाडा । उस बाडे में बरसात के समय मक्का और ज्वार लगा लेने से वह अपने परिवार के लिए साल भर की रोटी का बंदोबस्त तो कर लेता था लेकिन कई बार तो फसल के धोखा देने पर उसे यहां – वहां मजदूरी करने के लिए भी जाना पडता था ।
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कमलसिंह के बाडे में कई साल पुराना पीपल का पेड था। इस पेड के नीचे उसके पुश्तैनी कुल देवो की गादी बनाई हुई थी । कई पीढी से कमलसिंह और उसके पुरखे उस गादी की पूजा करते चले आ रहे थे।
चालीस साल की आयु पार कर चुके कमलसिंह निःसंतान था । अपने माता – पिता की एक मात्र संतान के घर में जब किलकारी नहीं गुंजी तो उसकी मां ने उससे बहुंत कहा कि वह दुसरी शादी कर ले लेकिन अपनी घरवाली सुगरती से बेहद प्यार करने वाले कमलसिंह ने किसी एक भी बात नहीं मानी । यहां तक की उसकी पत्नी सुगरती तक ने उससे कई बार कहा कि वह उसकी छोटी साली कमलती को ही घरवाली बना ले, लेकिन वह नहीं माना।