28-09-2019, 12:57 PM
वे अपनी नाइट ड्रेस में ही जेल के अंदर 16 नम्बर के बैरक में जा पहुंचे । जेलर शैतान सिंह के आते ही जेल में होने वाली कानफुसी बंद हो गई और लोगो को जैसे सांप सुंघ गया ।
इस बीच जेल कैम्पस से डाक्टर जौहर साहब भी अपने पूरे साजो – सामान के साथ आ चुके थे । हाथो की नब्ज टटोलने के बाद डाक्टर जौहरी ने कमलसिंह की मौत की खबर सुनाकर सभी को स्तब्ध कर दिया था।
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पिछले चौदह सालो से जिला जेल में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कमलसिंह के अच्छे चाल – चलन की वजह से इस बार सरकार ने उसे आजादी की वर्षगांठ पर रिहा करने का कल ही फरमान सुनाया था । जेलर साहब स्वंय उसके बैरक में आकर उसकी बाकी की सजा की माफी की जानकारी उसे दे चुके थे। अपनी सजा की माफी की जानकारी मिलने के बाद से ही जब कमलसिंह उदास रहने लगा तो उसके संगी-साथियो को बडा ही आश्चर्य हुआ ।
किसी तरह यह बात उडते – उडते जेलर शैतान सिंह के कानो तक पहुंची तो वे एक बार स्वंय शाम के ढलने से पहले कमलसिंह से मिलने गये थे ताकि वे उसके नाते – रिश्तेदारो की सही – सही जानकारी प्राप्त कर उन्हे कमलसिंह की रिहाई की जानकारी दे सके । चार महिने पहले ही शैतान सिंह रीवा से ट्रांसफर होकर बदनुर जेल आये थे।
बार – बार अपने नाते – रिश्तेदारो के नाम – पते पुछने के बाद भी जब कमलसिंह कुछ बताने को तैयार नहीं हुआ तो जेलर साहब को बडा ही अटपटा सा लगा । अपनी सजा माफी के बाद से हर समय हसंता – खिलखिलाता बुढा हो चुका कमलसिंह को इस तरह उदास देखकर जेलर शैतान सिंह को काफी हैरानी हुई ।
इस बीच जेल कैम्पस से डाक्टर जौहर साहब भी अपने पूरे साजो – सामान के साथ आ चुके थे । हाथो की नब्ज टटोलने के बाद डाक्टर जौहरी ने कमलसिंह की मौत की खबर सुनाकर सभी को स्तब्ध कर दिया था।
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पिछले चौदह सालो से जिला जेल में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कमलसिंह के अच्छे चाल – चलन की वजह से इस बार सरकार ने उसे आजादी की वर्षगांठ पर रिहा करने का कल ही फरमान सुनाया था । जेलर साहब स्वंय उसके बैरक में आकर उसकी बाकी की सजा की माफी की जानकारी उसे दे चुके थे। अपनी सजा की माफी की जानकारी मिलने के बाद से ही जब कमलसिंह उदास रहने लगा तो उसके संगी-साथियो को बडा ही आश्चर्य हुआ ।
किसी तरह यह बात उडते – उडते जेलर शैतान सिंह के कानो तक पहुंची तो वे एक बार स्वंय शाम के ढलने से पहले कमलसिंह से मिलने गये थे ताकि वे उसके नाते – रिश्तेदारो की सही – सही जानकारी प्राप्त कर उन्हे कमलसिंह की रिहाई की जानकारी दे सके । चार महिने पहले ही शैतान सिंह रीवा से ट्रांसफर होकर बदनुर जेल आये थे।
बार – बार अपने नाते – रिश्तेदारो के नाम – पते पुछने के बाद भी जब कमलसिंह कुछ बताने को तैयार नहीं हुआ तो जेलर साहब को बडा ही अटपटा सा लगा । अपनी सजा माफी के बाद से हर समय हसंता – खिलखिलाता बुढा हो चुका कमलसिंह को इस तरह उदास देखकर जेलर शैतान सिंह को काफी हैरानी हुई ।