27-09-2019, 06:44 PM
(This post was last modified: 27-12-2020, 04:14 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहन का खजाना
"क्यों भैया मजा आया न छुटकी बहिनिया के साथ ,अभी तो बस ,... "
उनकी निगाहें गीता के पेटीकोट पे अटकी थीं , कमर के नीचे बंधा ,जांघ तक चढ़ा।
और उन्हें देखते देख वो मुस्करा पड़ी ,
" सच में भैया बहुत नाइंसाफी है मैंने तो तेरा सब कुछ देख लिया ,छू लिया ,इतना मस्त मोटा और अपना , खजाना छुपा के बैठी हूँ। "
कुछ देर तक तो वो उनका चेहरा देखती रही फिर उकसाया
" अरे भैया देख क्या रहे हो खोल दो न अपने हाथ से बहन के पेटीकोट का नाड़ा "
उनके आँखों के सामने एक बार फिर गुड्डी का चेहरा घूम गया।
वो भी तो उन्हें ऐसे भैया बोलती थी ,ऐसे ही खूब प्यार से ,..
और आज कल तो वो कुरता शलवार ही पहनती है ,
शलवार का नाडा।
" शरमाते काहें हो ,भइय्या तुम सच में बहुत बुद्धू हो ,प्यारे वाले बुद्धू , अरे हर बहन यही चाहती है , इससे अच्छी बात क्या हो सकती है बहन के लिए की उसका भाई नाडा खोले , ,... खोलो न। "
और गीता ने खुद उसका हाथ पकड़ के अपने नाड़े पर रख दिया।
बस अपने आप उनके हाथ नाडा खोलने लगे , सरसरा के पेटीकोट नीचे ,
लेकिन मन उनका कहीं और , उस दिन जब वो मौका चूक गए थे।
शादी में ,
गुड्डी ने पहले उनसे केयरफ्री लाने को बोला था और जैसे ही वो निकले ,
ढेर सारी स्माइली के साथ गुड्डी का मेसेज आया
,"आल लाइन क्लीयर ,अब नहीं चहिये। आंटी जी चली गयीं। टाटा बाई बाई। मेरी छुट्टी खत्म "
और साथ में हग की साइन भी।
और लौटते ही उसने सच में हग कर लिया था , उसके रूई के फाहे ऐसे उभार उनके सीने से रगड़ रहे थे ,कितने सिग्नल दिए थे गुड्डी ने।
शाम को लेडीज संगीत था , नो ब्वायज ,लेकिन बाकी लड़को के साथ वो भी छुप के ,
गुड्डी ने चनिया चोली पहन रखी थी और जैसे उन्हें दिखा दिखा के ,कूल्हे मटका के गा , नाच रही थी ,
" कुण्डी मत खड़काना राजा ,सीधे अंदर आना राजा। "
और जब वो बाहर निकली तो सीधे उन्ही से भिड़ गयी , चिढाते बोली ,
"बदमाश मुझे सब मालूम है तुम छिप छिप के देख रहे थे न , "
और उसकी नाक पकड़ के बोली
" बुद्दू ,कुण्डी मत खड़काना सीधे अंदर आना ,समझे। "
और रात में भी , बोली ,.. भैया आज ऊपर आना , ... लेकिन वो बुद्धू इत्ते इशारे भी नहीं समझे।
उस रात अगर वो नाड़ा खोल देते ,
और फिर वो वापस आ गए ,
गीता की आवाज ,
" भैय्या कैसा लगा बहन का खजाना। "
"क्यों भैया मजा आया न छुटकी बहिनिया के साथ ,अभी तो बस ,... "
उनकी निगाहें गीता के पेटीकोट पे अटकी थीं , कमर के नीचे बंधा ,जांघ तक चढ़ा।
और उन्हें देखते देख वो मुस्करा पड़ी ,
" सच में भैया बहुत नाइंसाफी है मैंने तो तेरा सब कुछ देख लिया ,छू लिया ,इतना मस्त मोटा और अपना , खजाना छुपा के बैठी हूँ। "
कुछ देर तक तो वो उनका चेहरा देखती रही फिर उकसाया
" अरे भैया देख क्या रहे हो खोल दो न अपने हाथ से बहन के पेटीकोट का नाड़ा "
उनके आँखों के सामने एक बार फिर गुड्डी का चेहरा घूम गया।
वो भी तो उन्हें ऐसे भैया बोलती थी ,ऐसे ही खूब प्यार से ,..
और आज कल तो वो कुरता शलवार ही पहनती है ,
शलवार का नाडा।
" शरमाते काहें हो ,भइय्या तुम सच में बहुत बुद्धू हो ,प्यारे वाले बुद्धू , अरे हर बहन यही चाहती है , इससे अच्छी बात क्या हो सकती है बहन के लिए की उसका भाई नाडा खोले , ,... खोलो न। "
और गीता ने खुद उसका हाथ पकड़ के अपने नाड़े पर रख दिया।
बस अपने आप उनके हाथ नाडा खोलने लगे , सरसरा के पेटीकोट नीचे ,
लेकिन मन उनका कहीं और , उस दिन जब वो मौका चूक गए थे।
शादी में ,
गुड्डी ने पहले उनसे केयरफ्री लाने को बोला था और जैसे ही वो निकले ,
ढेर सारी स्माइली के साथ गुड्डी का मेसेज आया
,"आल लाइन क्लीयर ,अब नहीं चहिये। आंटी जी चली गयीं। टाटा बाई बाई। मेरी छुट्टी खत्म "
और साथ में हग की साइन भी।
और लौटते ही उसने सच में हग कर लिया था , उसके रूई के फाहे ऐसे उभार उनके सीने से रगड़ रहे थे ,कितने सिग्नल दिए थे गुड्डी ने।
शाम को लेडीज संगीत था , नो ब्वायज ,लेकिन बाकी लड़को के साथ वो भी छुप के ,
गुड्डी ने चनिया चोली पहन रखी थी और जैसे उन्हें दिखा दिखा के ,कूल्हे मटका के गा , नाच रही थी ,
" कुण्डी मत खड़काना राजा ,सीधे अंदर आना राजा। "
और जब वो बाहर निकली तो सीधे उन्ही से भिड़ गयी , चिढाते बोली ,
"बदमाश मुझे सब मालूम है तुम छिप छिप के देख रहे थे न , "
और उसकी नाक पकड़ के बोली
" बुद्दू ,कुण्डी मत खड़काना सीधे अंदर आना ,समझे। "
और रात में भी , बोली ,.. भैया आज ऊपर आना , ... लेकिन वो बुद्धू इत्ते इशारे भी नहीं समझे।
उस रात अगर वो नाड़ा खोल देते ,
और फिर वो वापस आ गए ,
गीता की आवाज ,
" भैय्या कैसा लगा बहन का खजाना। "