13-01-2019, 11:38 PM
(This post was last modified: 29-11-2023, 05:10 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहु के मुह पे अपना मूठ निकाल के मुझे काफी सटिस्फैक्शन हुआ, मैं रिलैक्स होने के बाद वहीँ बहु के बगल में सो गया। बहु भी अपना मुह पोंछ अपनी पेटीकोट पहन मेरे बगल में लेट गई।
सूबह जब मेरी नींद खुली तो बहु कमरे में नहीं थी, शायद वो किचन में काम कर रही थी। मैं हाथ मुह धोकर कमरे से बहार आया, हमेशा की तरह बहार हॉल में शमशेर न्यूज़पेपर पढने के बहाने मेरी बहु की जिस्म के नुमाईश का जायजा ले रहा था।
मै - गुड मॉर्निंग शमशेर आज सुबह-सुबह उठ गया तु।।
शमशेर - गुड मॉर्निंग हाँ देसाई, कल रात जल्द ही सो गया था इसलिए जल्दी उठ गया।
मै - कैसी रही नींद?
शमशेर - अच्छी।।। तेरी बहु सरोज को याद कर थोड़ी देर जागा रहा रात में फिर अपनी पिचकारी से तेरी बहु के नाम की सफ़ेद पानी निकाल कर सो गया।
मै- साला तु नहीं सुधरेगा
शमशेर - क्या करूँ मेरी किस्मत तेरी तरह तो नहीं न की बहु के कमरे में सो सकूँ। लेकिन देसाई जी नुक़्सान भी है आप बहु के कमरे में सोते हो तो आप चाह के भी मुठ नहीं मार सकते है न?
मै- चुपकर।। (मैं सोचता हुआ की शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने कल रात सिर्फ मुठ ही नहीं मारी बल्कि बहु के मुह पे गिराया भी वो भी बहु के मर्ज़ी से।। )
मै - हाँ शमशेर, ये प्रॉब्लम तो है
शमशेर - देसाई आज सुबह से मैं यहाँ बाहर बैठा हूँ लेकिन बहु पास नहीं आयी मेरे वहीँ किचेन में काम कर रही है, बड़ा मन हो रहा है उसकी डीप नाभि और मोटी मोटी गांड देखने का।
मै - चुप हो जा, बहु ने सुन लिया तो क्या सोचेगी।
मै - चलो अब हमलोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं मैं बहु को भी बुलाता हू।
मै - बहुउउउ।।।।।
सरोज - जे बाबूजी आयी।।
सरोज पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी, उसकी गोरी और मोटी जाँघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी।।
सरोज - बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये
सरोज, शमशेर और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पडे। शमशेर और बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु के गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था। मैं सोच रहा था की कल रात जो भी हआ, उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है जैसे मानो कुछ हुआ ही न हो। क्या ये मेरी बहु है जिसके मुह पे कल रात मैं अपना लंड का पानी निकला था। क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूँगा वो भी इतनी जल्दी।
बीते रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया।
दोपहर १ ओ कलॉक हम तीनो डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे। मेरे बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थे और मेरे ठीक सामने दूसरी तरफ शमशेर।
हम सब कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु के जाँघो पे रख दिया। बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया मैं फिर से बहु के जाँघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही।
मै - बहु जरा रोटी देना एक और।। (ऐसा कहते हुये मैंने अपना हाथ बहु के बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया )
सरोज - ये लिजीये बाबू जी।। (बहु ने एक नज़र शमशेर को देखा)
मै - *डबल मीनिंग में* वह बहु।।। तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है।। (मैं बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुये कहा।)
बहु मेरा इशारा समझ रही थी की मैं रोटी की नहीं उसकी फूलि हुई और गरम बुर की बात कर रहा हू।
सरोज - हाँ बाबूजी बहुत गरम है।।
शमशेर - हाँ बहु तुम रोटी बहुत अच्छी बनाती हो। लेकिन बहु तुम इतना घी क्यों लगाती हो रोटी में।
मै - *डबल मीनिंग* शमशेर, बहु की रोटी का घी ही तो टेस्टी है। मुझे तो बहु की रोटी से निकलता हुआ घी बहुत पसंद है। बहु के रोटी में जितना घी उतना मजा।।
मै - (एक हाथ से रोटी को उठाते हुए।। ) देखो बहु कितना सारा घी निकल रहा है।। (ऐसा कहते हए मैंने बहु के बुर के बीच अपनी ऊँगली घुसा दी।।) क्यों बहु घी निकल रहा है ??
सरोज - हाँ बाबूजी, बहुत ज्यादा घी निकल रहा है मेरी रोटी से।। अब खा भी लीजिये।।देखिये न आपकी पूरी ऊँगली भींग गई मेरे घी से।
मै - (अपनी ऊँगली चाटते हुये।) बहु तुम तो जानती हो मुझे चाटना अच्छा लगता है। (इस बार मैंने अपना दूसरा हाथ बहु के बुर से हटा कर अपने जीभ से चाट लिया)
शमशेर - (हँसते हुए।।) देसाई, तुम्हारे इस हाथ में घी लगा है और तुम दुसरा हाथ चाट रहे हो ??
मै - अरे शमशेर, तुम नहीं जानते इस हाथ में भी बहु की रोटी का घी लगा है, इसकि स्मेल भी अच्छी है और चाटने में स्वाद भी।
इतना सब डबल मिनिंग बात कर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, मैंने बेशरमी से टेबल के नीचे बहु के सामने ही अपना लंड बहार निकाल लिया और रब करने लगा।
सूबह जब मेरी नींद खुली तो बहु कमरे में नहीं थी, शायद वो किचन में काम कर रही थी। मैं हाथ मुह धोकर कमरे से बहार आया, हमेशा की तरह बहार हॉल में शमशेर न्यूज़पेपर पढने के बहाने मेरी बहु की जिस्म के नुमाईश का जायजा ले रहा था।
मै - गुड मॉर्निंग शमशेर आज सुबह-सुबह उठ गया तु।।
शमशेर - गुड मॉर्निंग हाँ देसाई, कल रात जल्द ही सो गया था इसलिए जल्दी उठ गया।
मै - कैसी रही नींद?
शमशेर - अच्छी।।। तेरी बहु सरोज को याद कर थोड़ी देर जागा रहा रात में फिर अपनी पिचकारी से तेरी बहु के नाम की सफ़ेद पानी निकाल कर सो गया।
मै- साला तु नहीं सुधरेगा
शमशेर - क्या करूँ मेरी किस्मत तेरी तरह तो नहीं न की बहु के कमरे में सो सकूँ। लेकिन देसाई जी नुक़्सान भी है आप बहु के कमरे में सोते हो तो आप चाह के भी मुठ नहीं मार सकते है न?
मै- चुपकर।। (मैं सोचता हुआ की शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने कल रात सिर्फ मुठ ही नहीं मारी बल्कि बहु के मुह पे गिराया भी वो भी बहु के मर्ज़ी से।। )
मै - हाँ शमशेर, ये प्रॉब्लम तो है
शमशेर - देसाई आज सुबह से मैं यहाँ बाहर बैठा हूँ लेकिन बहु पास नहीं आयी मेरे वहीँ किचेन में काम कर रही है, बड़ा मन हो रहा है उसकी डीप नाभि और मोटी मोटी गांड देखने का।
मै - चुप हो जा, बहु ने सुन लिया तो क्या सोचेगी।
मै - चलो अब हमलोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं मैं बहु को भी बुलाता हू।
मै - बहुउउउ।।।।।
सरोज - जे बाबूजी आयी।।
सरोज पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी, उसकी गोरी और मोटी जाँघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी।।
सरोज - बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये
सरोज, शमशेर और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पडे। शमशेर और बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु के गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था। मैं सोच रहा था की कल रात जो भी हआ, उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है जैसे मानो कुछ हुआ ही न हो। क्या ये मेरी बहु है जिसके मुह पे कल रात मैं अपना लंड का पानी निकला था। क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूँगा वो भी इतनी जल्दी।
बीते रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया।
दोपहर १ ओ कलॉक हम तीनो डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे। मेरे बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थे और मेरे ठीक सामने दूसरी तरफ शमशेर।
हम सब कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु के जाँघो पे रख दिया। बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया मैं फिर से बहु के जाँघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा। इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही।
मै - बहु जरा रोटी देना एक और।। (ऐसा कहते हुये मैंने अपना हाथ बहु के बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया )
सरोज - ये लिजीये बाबू जी।। (बहु ने एक नज़र शमशेर को देखा)
मै - *डबल मीनिंग में* वह बहु।।। तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है।। (मैं बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुये कहा।)
बहु मेरा इशारा समझ रही थी की मैं रोटी की नहीं उसकी फूलि हुई और गरम बुर की बात कर रहा हू।
सरोज - हाँ बाबूजी बहुत गरम है।।
शमशेर - हाँ बहु तुम रोटी बहुत अच्छी बनाती हो। लेकिन बहु तुम इतना घी क्यों लगाती हो रोटी में।
मै - *डबल मीनिंग* शमशेर, बहु की रोटी का घी ही तो टेस्टी है। मुझे तो बहु की रोटी से निकलता हुआ घी बहुत पसंद है। बहु के रोटी में जितना घी उतना मजा।।
मै - (एक हाथ से रोटी को उठाते हुए।। ) देखो बहु कितना सारा घी निकल रहा है।। (ऐसा कहते हए मैंने बहु के बुर के बीच अपनी ऊँगली घुसा दी।।) क्यों बहु घी निकल रहा है ??
सरोज - हाँ बाबूजी, बहुत ज्यादा घी निकल रहा है मेरी रोटी से।। अब खा भी लीजिये।।देखिये न आपकी पूरी ऊँगली भींग गई मेरे घी से।
मै - (अपनी ऊँगली चाटते हुये।) बहु तुम तो जानती हो मुझे चाटना अच्छा लगता है। (इस बार मैंने अपना दूसरा हाथ बहु के बुर से हटा कर अपने जीभ से चाट लिया)
शमशेर - (हँसते हुए।।) देसाई, तुम्हारे इस हाथ में घी लगा है और तुम दुसरा हाथ चाट रहे हो ??
मै - अरे शमशेर, तुम नहीं जानते इस हाथ में भी बहु की रोटी का घी लगा है, इसकि स्मेल भी अच्छी है और चाटने में स्वाद भी।
इतना सब डबल मिनिंग बात कर मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका था, मैंने बेशरमी से टेबल के नीचे बहु के सामने ही अपना लंड बहार निकाल लिया और रब करने लगा।