24-09-2019, 01:30 PM
Update 10
तभी अलका ड्रिंक लेकर आई और सबको इतना मस्त देखकर वोह मोटे लण्ड वाले से बोली- “आपका झड़ने वाला है तो अब आप सरिता के मुँह में अपना लण्ड डालिए…”
और पाँचवा आदमी उसकी जगह सरिता की चूत चोदने लगा। मोटे लण्ड वाले ने अपना लंबा तना हुआ गीला लण्ड सरिता को चूसने के लिए दे दिया और वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। बस थोड़ी देर में मोटे लण्ड वाले ने करीब 100 एम॰एल॰ वीर्य सरिता के मुँह में झाड़ दिया।
सरिता का मुँह पूरी तरह से भर गया।
अलका फारन बोली- “हे कुत्ती रांड़, सारा पी जा नहीं तो डंडे मारूँगी…”
और सरिता गपक करके सारा वीर्य पी गयी। अब वो अगला लण्ड चूसने को तैयार थी जो की उसके मुँह में समा चुका था।
उधर अलका रसोई से एक कटोरी में थोड़ी चीनी ले आई।
अब उसने सरिता की फिर से पोजीशन चेंज करवा दी। अब सरिता की गाण्ड में फँसा खीरा बाहर निकाला गया जो की सरिता की टट्टी और खून में सना था। दर्द के मारे शायद सरिता की टट्टी निकल गयी थी। अलका ने सरिता के नीचे फिर एक आदमी को बैठा दिया और सरिता को उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने को कहा।
सरिता बोली- “नहीं प्लीज़्ज़… मेरी चूत मार लो लेकिन ये मुझसे नहीं होगा, बहुत दुख रहा है…” अलका ने फिर से डंडी उठाई और सरिता की ओर भागी लेकिन सरिता उसके अपने पास पहुँचने से पहले ही अपनी गाण्ड में लण्ड ले चुकी थी।
अलका हँसी और बोली- “चल टाँगें चौड़ी कर और चूत खोल…”
अब एक और आदमी सरिता की खुली हुई टांगों के बीच खड़ा हो गया। अलका ने उसके लण्ड पर कंडोम चढ़ाया और बोली- “आप थोड़ा सा लण्ड अंदर घुसाओ, मैं ऊपर से चीनी डालती हूँ…”
मैं कुछ समझ नहीं पाया और ना ही मेरी रंडी बहन कुछ समझ पाई, लेकिन अलका और वोह आदमी दोनों मुश्कुरा रहे थे। अब उस आदमी ने धीरे-धीरे सरिता की चूत को चोदना शुरू किया और अलका थोड़ी-थोड़ी चीनी ऊपर से डालने लगी।
और बस अगले ही पल सरिता को पता चल गया की चीनी किसलिए डाली गयी थी। चीनी के दाने लण्ड के साथ सरिता की चूत को अंदर से रगड़ने लगे थे और सरिता की चूत अंदर ही अंदर से फट रही थी। चीनी के दानों की रगड़ से उसकी चूत अंदर से छिलने लगी और सरिता जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह… औह्ह ओफ्फ… अफ्फ…… हे माँ… बस-बस धीरे-धीरे प्लीज़्ज़, आराम से चोदो मुझे…”
अलका बोली- “चल अब गरम होकर चुदवा। जितना तेरी चूत से पानी बहेगा उतनी जल्दी चीनी घुल जाएगी…”
सरिता बोली- “हाँ… मैं तो मस्त होकर ही चुदवा रही हूँ आह… एस… और चोदो ना, मुझे रंडी बनाओ, खूब चोदो मुझे, आह… आह… मेरी गाण्ड में भी चीनी डालो अलका, चोदो और जोर से चोदो आह… आह…” अब सरिता पूरी मस्त हो चुकी थी और अपने गैंग-बैंग का पूरा मजा ले रही थी।
अलका ने इस बार सरिता को दो आदमियों के बीव में सैंडविच कर दिया। नीचे वाला तो उसकी चूत लगातार मार रहा था और अब चीनी की रगड़ से सरिता की चूत से खून आने लगा। अलका ने उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ी चीनी डाली और अब एक नये बंदे ने कंडोम पहनकर सरिता की गाण्ड में अपना लण्ड धंसा दिया और उसकी गाण्ड मारने लगा।
एक और बंदा सरिता के मुँह के पास बैठ गया और अपना लण्ड उसके हलक में दे दिया। सरिता की चूत और गाण्ड से छप-छप-छप की आवाज़ें आ रही थी और सरिता पूरी मस्त होकर जोर-जोर से सिसक कर रही थी- “उम्म… आह… एस… और जोर से, और जोर से, अलका मजा आ गया… तुन्न्ने तो मुझे रंडी बना दिया, आह… मेरे मम्मे को भी रगड़ दो प्लीज़्ज़… आह… मुझे वीर्य पिलाओ आह… एस… एस… मेरी माँ…”
अगले ही पल सरिता झड़ गयी और उसकी चूत से गाढ़ा सफेद वीर्य बह निकला, उधर अलका ने एक प्लेट में सभी आदमियों का वीर्य जमा कर लिया। सरिता को चोदकर उसको फर्श पर फेंक दिया। अब सब अपनी अपनी साँसें कंट्रोल कर रहे थे, जबकि सरिता पूरी तरह से पसीने और वीर्य में लिपटी हुई अब भी दर्द से सी… सी… कर रही थी।
10 मिनट हो चुके थे, अब अलका उठी और उसने गाढ़े वीर्य से भरी प्लेट सरिता के सामने रख दी और बोली- “कैसा लग रहा है अब तुझे…”
सरिता बोली- “आह्ह्ह… पूरी रंडी बना दिया आज तूने…”
अलका बोली- “लग रहा है ना अब तुझे की तू रंडी है…”
सरिता बोली- “हाँ… अब तो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मैं बहुत बड़ी रंडी हूँ…”
अलका बोली- तो ले चलूं तुझे कोठे पर?
सरिता बोली- अब बचा ही क्या है कोठे के लिए?
अलका हँस पड़ी और बोली- “चल ये वीर्य खा…”
सरिता ने प्लेट की तरफ देखा और बोली- “इतना सारा… और प्लेट को हाथ में लेकर धीरे-धीरे वीर्य प्लेट से खाने लगी। थोड़ी ही देर में वोह सारा वीर्य खा गयी और बोली- “आह… क्या और चोदोगे अभी?”
सब चुप थे और अलका बोली- “हाँ… अब दो-दो लण्ड एक साथ डालेंगे…”
ये देखकर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी उसको चोदने के लिए मचलने लगा।
सरिता ने यह सुनकर एक लंबी साँस ली और बोली- “दो-दो से तो मैं मर जाऊँगी, मुझसे चला भी नहीं जा रहा, प्लीज अब बस करो। तुम जब भी बोलोगी मैं फिर से आ जाऊँगी…” और सरिता रोने लगी।
लेकिन मैं तो उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसते देखना चाहता था और वही हुआ। उन लोगों ने सरिता की एक ना सुनी और उसके हाथ बाँधकर उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसाए।
क्या बीती सरिता पर और कैसे उसने दो-दो लण्ड की चुदाई सहन करी ये मैं अगले भाग में बताऊँगा और हाँ किस तरह मैंने अपनी बहन को उन लोगों के साथ मिलकर पीटा और चोदा ये भी बताऊँगा।
End
तभी अलका ड्रिंक लेकर आई और सबको इतना मस्त देखकर वोह मोटे लण्ड वाले से बोली- “आपका झड़ने वाला है तो अब आप सरिता के मुँह में अपना लण्ड डालिए…”
और पाँचवा आदमी उसकी जगह सरिता की चूत चोदने लगा। मोटे लण्ड वाले ने अपना लंबा तना हुआ गीला लण्ड सरिता को चूसने के लिए दे दिया और वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। बस थोड़ी देर में मोटे लण्ड वाले ने करीब 100 एम॰एल॰ वीर्य सरिता के मुँह में झाड़ दिया।
सरिता का मुँह पूरी तरह से भर गया।
अलका फारन बोली- “हे कुत्ती रांड़, सारा पी जा नहीं तो डंडे मारूँगी…”
और सरिता गपक करके सारा वीर्य पी गयी। अब वो अगला लण्ड चूसने को तैयार थी जो की उसके मुँह में समा चुका था।
उधर अलका रसोई से एक कटोरी में थोड़ी चीनी ले आई।
अब उसने सरिता की फिर से पोजीशन चेंज करवा दी। अब सरिता की गाण्ड में फँसा खीरा बाहर निकाला गया जो की सरिता की टट्टी और खून में सना था। दर्द के मारे शायद सरिता की टट्टी निकल गयी थी। अलका ने सरिता के नीचे फिर एक आदमी को बैठा दिया और सरिता को उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने को कहा।
सरिता बोली- “नहीं प्लीज़्ज़… मेरी चूत मार लो लेकिन ये मुझसे नहीं होगा, बहुत दुख रहा है…” अलका ने फिर से डंडी उठाई और सरिता की ओर भागी लेकिन सरिता उसके अपने पास पहुँचने से पहले ही अपनी गाण्ड में लण्ड ले चुकी थी।
अलका हँसी और बोली- “चल टाँगें चौड़ी कर और चूत खोल…”
अब एक और आदमी सरिता की खुली हुई टांगों के बीच खड़ा हो गया। अलका ने उसके लण्ड पर कंडोम चढ़ाया और बोली- “आप थोड़ा सा लण्ड अंदर घुसाओ, मैं ऊपर से चीनी डालती हूँ…”
मैं कुछ समझ नहीं पाया और ना ही मेरी रंडी बहन कुछ समझ पाई, लेकिन अलका और वोह आदमी दोनों मुश्कुरा रहे थे। अब उस आदमी ने धीरे-धीरे सरिता की चूत को चोदना शुरू किया और अलका थोड़ी-थोड़ी चीनी ऊपर से डालने लगी।
और बस अगले ही पल सरिता को पता चल गया की चीनी किसलिए डाली गयी थी। चीनी के दाने लण्ड के साथ सरिता की चूत को अंदर से रगड़ने लगे थे और सरिता की चूत अंदर ही अंदर से फट रही थी। चीनी के दानों की रगड़ से उसकी चूत अंदर से छिलने लगी और सरिता जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “ओह्ह… औह्ह ओफ्फ… अफ्फ…… हे माँ… बस-बस धीरे-धीरे प्लीज़्ज़, आराम से चोदो मुझे…”
अलका बोली- “चल अब गरम होकर चुदवा। जितना तेरी चूत से पानी बहेगा उतनी जल्दी चीनी घुल जाएगी…”
सरिता बोली- “हाँ… मैं तो मस्त होकर ही चुदवा रही हूँ आह… एस… और चोदो ना, मुझे रंडी बनाओ, खूब चोदो मुझे, आह… आह… मेरी गाण्ड में भी चीनी डालो अलका, चोदो और जोर से चोदो आह… आह…” अब सरिता पूरी मस्त हो चुकी थी और अपने गैंग-बैंग का पूरा मजा ले रही थी।
अलका ने इस बार सरिता को दो आदमियों के बीव में सैंडविच कर दिया। नीचे वाला तो उसकी चूत लगातार मार रहा था और अब चीनी की रगड़ से सरिता की चूत से खून आने लगा। अलका ने उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ी चीनी डाली और अब एक नये बंदे ने कंडोम पहनकर सरिता की गाण्ड में अपना लण्ड धंसा दिया और उसकी गाण्ड मारने लगा।
एक और बंदा सरिता के मुँह के पास बैठ गया और अपना लण्ड उसके हलक में दे दिया। सरिता की चूत और गाण्ड से छप-छप-छप की आवाज़ें आ रही थी और सरिता पूरी मस्त होकर जोर-जोर से सिसक कर रही थी- “उम्म… आह… एस… और जोर से, और जोर से, अलका मजा आ गया… तुन्न्ने तो मुझे रंडी बना दिया, आह… मेरे मम्मे को भी रगड़ दो प्लीज़्ज़… आह… मुझे वीर्य पिलाओ आह… एस… एस… मेरी माँ…”
अगले ही पल सरिता झड़ गयी और उसकी चूत से गाढ़ा सफेद वीर्य बह निकला, उधर अलका ने एक प्लेट में सभी आदमियों का वीर्य जमा कर लिया। सरिता को चोदकर उसको फर्श पर फेंक दिया। अब सब अपनी अपनी साँसें कंट्रोल कर रहे थे, जबकि सरिता पूरी तरह से पसीने और वीर्य में लिपटी हुई अब भी दर्द से सी… सी… कर रही थी।
10 मिनट हो चुके थे, अब अलका उठी और उसने गाढ़े वीर्य से भरी प्लेट सरिता के सामने रख दी और बोली- “कैसा लग रहा है अब तुझे…”
सरिता बोली- “आह्ह्ह… पूरी रंडी बना दिया आज तूने…”
अलका बोली- “लग रहा है ना अब तुझे की तू रंडी है…”
सरिता बोली- “हाँ… अब तो ऐसा महसूस हो रहा है जैसे मैं बहुत बड़ी रंडी हूँ…”
अलका बोली- तो ले चलूं तुझे कोठे पर?
सरिता बोली- अब बचा ही क्या है कोठे के लिए?
अलका हँस पड़ी और बोली- “चल ये वीर्य खा…”
सरिता ने प्लेट की तरफ देखा और बोली- “इतना सारा… और प्लेट को हाथ में लेकर धीरे-धीरे वीर्य प्लेट से खाने लगी। थोड़ी ही देर में वोह सारा वीर्य खा गयी और बोली- “आह… क्या और चोदोगे अभी?”
सब चुप थे और अलका बोली- “हाँ… अब दो-दो लण्ड एक साथ डालेंगे…”
ये देखकर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी उसको चोदने के लिए मचलने लगा।
सरिता ने यह सुनकर एक लंबी साँस ली और बोली- “दो-दो से तो मैं मर जाऊँगी, मुझसे चला भी नहीं जा रहा, प्लीज अब बस करो। तुम जब भी बोलोगी मैं फिर से आ जाऊँगी…” और सरिता रोने लगी।
लेकिन मैं तो उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसते देखना चाहता था और वही हुआ। उन लोगों ने सरिता की एक ना सुनी और उसके हाथ बाँधकर उसकी गाण्ड में दो-दो लण्ड घुसाए।
क्या बीती सरिता पर और कैसे उसने दो-दो लण्ड की चुदाई सहन करी ये मैं अगले भाग में बताऊँगा और हाँ किस तरह मैंने अपनी बहन को उन लोगों के साथ मिलकर पीटा और चोदा ये भी बताऊँगा।
End