24-09-2019, 01:24 PM
Update 6
अलका हँस पड़ी और बोली- “तुम मानोगे तो हो नहीं और वैसे भी अब तो इसके साथ कुछ भी करो…” और ये कहकर उसने सरिता को बोला- “सरिता चल एक राउंड और होगा अभी जल्दी से टेबल पर चढ़ जा…”
इस पर सरिता एकदम डर गयी और बोली- “प्लीज़्ज़… अब बस करो, मेरी गाण्ड में बहुत दर्द हो रहा है…”
तब जीतू बोला- “ठीक है, हम सब सिर्फ़ तेरी चूत ही चोदेंगे पर तुझे इस बार सबका वीर्य खाना पड़ेगा…”
और सरिता ने हाँ में सर हिला दिया। वो फिर से टेबल पर चढ़ गयी और कुतिया बनकर अपनी चूत को परोस दिया और बोली- “जीतू चोदो मुझे…”
और फिर से उसकी चुदाई शुरू हो गयी, अब तक उसकी चुदाई होते 3 घंटे बीत चुके थे और वो अब भी दर्द से चिल्ला रही थी। अब सब थक चुके थे, सरिता अधमरी हालत में टेबल पर वीर्य में लथफथ पड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी चूत को सहला रही थी।
सबने अपने कपड़े पहन लिए।
सरिता अब भी नंगी थी और आँखें झुकाए बैठी थी। उसने अलका की तरफ देखा और बोली- अब मैं जाऊँ?
इस पर अलका ने उसके कपड़े उठाने शुरू किए। पर अचानक ही अलका के दिमाग में फिर कुछ आ गया और उसने सरिता के कान में कुछ कहा। जिसे सुनकर सरिता थोड़ी मुश्कुराई और ना में गर्दन हिलाने लगी। इस पर अलका बोली- “अरे आखिरी काम है कर ले जीतू भाई खुश हो जाएँगे…”
जीतू कोने में खड़ा अपनी शर्ट पहन रहा था और अचानक सरिता नंगी ही जीतू की तरफ बढ़ने लगी और जीतू के पास आकर बोली- “वो मैंईएन्न्न्…”
जीतू बोला- हाँ बोल क्या है…”
सरिता ने अपने गाल पर आते हुए बाल अपने कान के पीछे अटकाए और वहीं खड़ी रही।
इस पर अलका जीतू के पास आई और बोली- “जीतू ये थोड़ा चखना चाहती है…”
मैं भी कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन जीतू समझ गया और बहुत खुश हुआ और बोला- “अरे सरिता तूने तो दिल जीत लिया, चल बैठ नीचे…”
सरिता नीचे बैठ गयी और जीतू ने फिर से अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और सरिता ने अपना मुँह बंद कर लिया अब और थोड़ी ही देर में सरिता मानो कुछ-कुछ गटक रही थी। और अब मैं समझ गया कि जीतू उसको अपना पेशाब पीला रहा था। अगले ही पल जीतू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसका पेशाब सरिता के होंठों पर टपकता हुआ उसकी टाँगों पर भी गिरा।
अलका ने इस बार जोर-जोर से तालियां बजाई और सरिता मुश्कुराते हुए शर्मा गयी। अब वो अपने कपड़े पहनने लगी। सरिता अब एक रांड़ बन चुकी थी।
मैं जनता था की मैं ये सब कुछ रोक सकता था लेकिन शायद मैं ये सब कुछ देखना चाहता था और मैंने अपने आपको माफ कर दिया। आखिर ये दिन तो हर लड़की की ज़िंदगी में आता है कोई एक से चुदती है तो कोई अनेक से।
शाम को घर जाते वक़्त मैंने अपनी बहन को अलका के साथ देखा। अलका मेरी तरफ देखकर मुश्कुराई और बोली- “अब जीतू से डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब तुम्हारी बहन उसकी…” इतना बोलकर वो बोली- “क्या बन गयी है वो तेरी बहन बताएगी…”
सरिता शरमाने लगी और बोली- “सिर्फ़ फ्रेंड…” और लड़खड़ाते हुए अलका के साथ कैंटीन में चली गयी।
मैं एक बार फिर अपनी बहन को चुदवाने जाने के लिए देखता रहा। ये एक असली घटना है और शायद तुममें से कोई उस कालेज में रहा हो, 10 साल पहले तो मुझे और सरिता को पहचान जाओगे। सरिता आज भी एक रंडी है और पता नहीं कहाँ-कहाँ चुदवाती होगी।
अलका हँस पड़ी और बोली- “तुम मानोगे तो हो नहीं और वैसे भी अब तो इसके साथ कुछ भी करो…” और ये कहकर उसने सरिता को बोला- “सरिता चल एक राउंड और होगा अभी जल्दी से टेबल पर चढ़ जा…”
इस पर सरिता एकदम डर गयी और बोली- “प्लीज़्ज़… अब बस करो, मेरी गाण्ड में बहुत दर्द हो रहा है…”
तब जीतू बोला- “ठीक है, हम सब सिर्फ़ तेरी चूत ही चोदेंगे पर तुझे इस बार सबका वीर्य खाना पड़ेगा…”
और सरिता ने हाँ में सर हिला दिया। वो फिर से टेबल पर चढ़ गयी और कुतिया बनकर अपनी चूत को परोस दिया और बोली- “जीतू चोदो मुझे…”
और फिर से उसकी चुदाई शुरू हो गयी, अब तक उसकी चुदाई होते 3 घंटे बीत चुके थे और वो अब भी दर्द से चिल्ला रही थी। अब सब थक चुके थे, सरिता अधमरी हालत में टेबल पर वीर्य में लथफथ पड़ी थी और धीरे-धीरे अपनी चूत को सहला रही थी।
सबने अपने कपड़े पहन लिए।
सरिता अब भी नंगी थी और आँखें झुकाए बैठी थी। उसने अलका की तरफ देखा और बोली- अब मैं जाऊँ?
इस पर अलका ने उसके कपड़े उठाने शुरू किए। पर अचानक ही अलका के दिमाग में फिर कुछ आ गया और उसने सरिता के कान में कुछ कहा। जिसे सुनकर सरिता थोड़ी मुश्कुराई और ना में गर्दन हिलाने लगी। इस पर अलका बोली- “अरे आखिरी काम है कर ले जीतू भाई खुश हो जाएँगे…”
जीतू कोने में खड़ा अपनी शर्ट पहन रहा था और अचानक सरिता नंगी ही जीतू की तरफ बढ़ने लगी और जीतू के पास आकर बोली- “वो मैंईएन्न्न्…”
जीतू बोला- हाँ बोल क्या है…”
सरिता ने अपने गाल पर आते हुए बाल अपने कान के पीछे अटकाए और वहीं खड़ी रही।
इस पर अलका जीतू के पास आई और बोली- “जीतू ये थोड़ा चखना चाहती है…”
मैं भी कुछ समझ नहीं पाया, लेकिन जीतू समझ गया और बहुत खुश हुआ और बोला- “अरे सरिता तूने तो दिल जीत लिया, चल बैठ नीचे…”
सरिता नीचे बैठ गयी और जीतू ने फिर से अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और सरिता ने अपना मुँह बंद कर लिया अब और थोड़ी ही देर में सरिता मानो कुछ-कुछ गटक रही थी। और अब मैं समझ गया कि जीतू उसको अपना पेशाब पीला रहा था। अगले ही पल जीतू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसका पेशाब सरिता के होंठों पर टपकता हुआ उसकी टाँगों पर भी गिरा।
अलका ने इस बार जोर-जोर से तालियां बजाई और सरिता मुश्कुराते हुए शर्मा गयी। अब वो अपने कपड़े पहनने लगी। सरिता अब एक रांड़ बन चुकी थी।
मैं जनता था की मैं ये सब कुछ रोक सकता था लेकिन शायद मैं ये सब कुछ देखना चाहता था और मैंने अपने आपको माफ कर दिया। आखिर ये दिन तो हर लड़की की ज़िंदगी में आता है कोई एक से चुदती है तो कोई अनेक से।
शाम को घर जाते वक़्त मैंने अपनी बहन को अलका के साथ देखा। अलका मेरी तरफ देखकर मुश्कुराई और बोली- “अब जीतू से डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब तुम्हारी बहन उसकी…” इतना बोलकर वो बोली- “क्या बन गयी है वो तेरी बहन बताएगी…”
सरिता शरमाने लगी और बोली- “सिर्फ़ फ्रेंड…” और लड़खड़ाते हुए अलका के साथ कैंटीन में चली गयी।
मैं एक बार फिर अपनी बहन को चुदवाने जाने के लिए देखता रहा। ये एक असली घटना है और शायद तुममें से कोई उस कालेज में रहा हो, 10 साल पहले तो मुझे और सरिता को पहचान जाओगे। सरिता आज भी एक रंडी है और पता नहीं कहाँ-कहाँ चुदवाती होगी।