24-09-2019, 01:23 PM
Update 4
मेरा लण्ड भी फटने वाला हो गया। सरिता का दर्द से बुरा हाल था और वो जीतू का लण्ड निकालना चाहती थी लेकिन अलका ने उसके हाथ पकड़ रखे थे। सरिता के पूरे बदन पर पसीने की बूंदे उभर गयी उसने शायद इतना दर्द कभी नहीं सहा था।
अब जीतू ने लास्ट झटका मारा और बोला- “बेहन की लोडी… ये ले…”
और सरिता दर्द से पागल हो गयी और अपना सर पटकने लगी। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में था और जीतू भी दर्द से कराह रहा था।
अलका ने जीतू को थोड़ा होल्ड करने को कहा और सरिता से बोली- “सरिता, हिम्मत से काम ले और शांत हो जा पच्च-पुच्च… अभी तो शुरू हुआ है…”
फिर अलका मुश्कुराई और जीतू से बोली- “जीतू भाई, बस अब रुकना मत… इसकी तो पहली चुदाई है ये तो चिल्लाएगी ही…”
और जीतू ने अपना लण्ड बाहर की तरफ खींचना शुरू किया। सरिता के माथे से पसीना टपक रहा था और वो चीख रही थी- “ओह्ह… माँ अह्ह… बसस्स आराम से करो… मैं मर जाऊँगी… आअह्ह… अलका प्लीज़्ज़… आह्ह…”
सरिता की चूत इतनी टाइट थी की पूरी तरह से लण्ड से ठुंसी थी और उसकी चूत की चमड़ी भी लण्ड के साथ अंदर-बाहर हो रही थी। अब जीतू ने उसकी चुदाई तेज कर दी और उसकी गाण्ड की पिटाई भी करने लगा। उधर अलका भी नंगी होकर अपनी चूत चुदवाने लगी। सरिता अलका को भी देख रही थी जो आराम से चुदवाने का मजा ले रही थी।
अब सरिता को थोड़ा मजा आ रहा था, चूत गीली होने से उसका दर्द थोड़ा वीर्य होने लगा और वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी और सिसकने लगी- “आहम्म्म… ओह्ह… बस्स्स… आह्ह उम्म्म्म…” और थोड़ी ही देर में सरिता का पानी झड़ गया।
10 मिनट हो चुके थे और जीतू भी झड़ने वाला हो गया था। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और सरिता के मुँह की तरफ भागा। सरिता को सिर्फ़ कुछ पलों का आराम मिला और एक दूसरा बड़ा लण्ड जो उसकी चूत को फाड़ने की लिए तैयार था उसकी चूत में घुस गया। सरिता ने फिर दर्द से अपना मुँह खोल दिया और इतने में ही जीतू ने अपना गीला लण्ड सरिता के मुँह में डाल दिया।
अलका सब देख रही थी और वो बोली- “जीतू भाई, इसको पूरा वीर्य खिलाओ। कुतिया का मुँह बंद कर दो नहीं तो थूक देगी…”
और जीतू ने सरिता के जबड़े को दबा दिया और उसका गला पकड़कर पूरा वीर्य उसके मुँह में भर दिया। वो गूं-गूं-गूं करने लगी मानो वीर्य को बाहर थूकना चाहती हो। लेकिन वो ज्यादा देर वीर्य अपने मुँह में नहीं रख पाई और एक हल्के से घूंट के साथ सारा निगल गयी। अब जीतू ने अपना लण्ड उसके मुँह से बाहर निकाला। सरिता अब भी दर्द से कराह रही रही थी और अब उसके होंठों के साइड से जीतू का थोड़ा सा वीर्य चू रहा था। सरिता की चुदाई अभी भी ट्रेन के एंजिन की तरह चल रही थी।
इस बार वो लड़का 5 मिनट में ही झड़ गया और वो भी लण्ड निकालकर सरिता के मुँह की तरफ बढ़ा। सरिता पहले ही समझ गयी थी और ना ना करने लगी। लेकिन ना ना करते भी उसके लड़के का लण्ड उसके मुँह में घुस गिया यगा और उसने भी गरम-गरम वीर्य उसके मुँह में उड़ेल दिया। सरिता ने थोड़ा उसको खाया और थोड़ा उसके मुँह से टपक रहा था।
अब तीसरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और सरिता फिर से थोड़ी सी गरम हो गयी। अब वो चुदाई का मज़ा ले रही थी।
उधर अलका भी एक बार झड़ चुकी थी। वो सरिता के पास आई और बोली- “दर्द कम हुआ?
सरिता ने टूटती हुई आवाज में कहा- “हाँ… कम हो गय्या…”
अलका बोली- “चुदाई का मजा आ रहा है?”
और सरिता ने मानो शर्माकर सिर्फ़ अपना सिर हिला दिया।
अब जीतू बियर पीने लगा और सरिता के पास आया और बोला- “सरिता…”
सरिता ने कहा- “हाँ जी…”
जीतू- कैसा लग रहा है तुझे?
सरिता ने कोई जवाब नहीं दिया मानो वो अपनी चुदाई में बहुत व्यस्त हो।
जीतू ने उसके बालों से उसे पकड़ा और उसका सिर ऊपर उठाकर पूचा- बोल कैसा लग रहा है?
और सरिता बोली- “अच्छा सर…”
जीतू- और चुदाई करें?
सरिता कुछ नहीं बोली और पीछे से हो रही चुदाई के झटके सहती रही।
जीतू बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
सरिता चुप रही।
जीतू ने एक जोर का चांता उसके गाल पर जड़ दिया और फिर बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
इस बार सरिता धीरे से बोली- “मैं रन…दी हूँन…”
अब जीतू बोला- “बोल मुझे जोर-जोर से चोदो…”
और इस बार सरिता ने बिना किसी नखरे के बोल दिया- “मुझे जोर-जोर सए चोओदो…” अब सरिता की हालत पस्त होने लगी थी और तीसरा लड़का भी झड़ गया था। लेकिन अभी तो 4 और बाकी थे।
जीतू ने बोला- “अब एक काम करो, इसको लण्ड पर बिटाओ…” फिर जीतू ने चौत लड़के को बोला- “तू इसके नीचे घुस जा और अपने लण्ड की सवारी करवा…”
सरिता ने बड़े आराम से उनकी बात मान ली और उस लड़के के लण्ड पर चढ़ गयी। उसने उसका लण्ड अपने आप अपनी चूत के नीचे रखा और धीरे से उसे अंदर लेने लगी। ये तो और भी दर्दनाक था और वो फिर से चिल्लाने लगी- “आह्ह… उह्ह… माँ, बहुत दर्द हो रहा है…”
लेकिन अब किसी को उसके चिल्लाने का कोई फरक नहीं पड़ रहा था। उसकी चुदाई होते हुए पूरा सवा घंटा हो चुका था। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका था और उसकी चुदाई फिर से चालू हो चुकी थी। वो पस्त होकर उस लड़के पर गिर गयी। अब जीतू भी फिर उठा और अपना लण्ड खड़ा करने लगा, और अब वो उन दोनों के ऊपर चढ़ गया।
अलका बोली- “जीतू भाई, दो लण्ड नहीं ले पाएगी…”
जीतू बोला- “मैं इसकी गाण्ड मारने जा रहा हूँ…”
इस पर अलका फौरन सरिता के पास पहुँची और बोली- “तू तो गयी अब… लेकिन घबरा मत, थोड़ा दर्द होगा। अपनी गाण्ड जितनी खोल सकती है खोल…”
और सरिता ने हल्की सी आवाज में अलका से पूछा- अब क्या बाकी है? क्या करेंगे जीतू जी?
मेरा लण्ड भी फटने वाला हो गया। सरिता का दर्द से बुरा हाल था और वो जीतू का लण्ड निकालना चाहती थी लेकिन अलका ने उसके हाथ पकड़ रखे थे। सरिता के पूरे बदन पर पसीने की बूंदे उभर गयी उसने शायद इतना दर्द कभी नहीं सहा था।
अब जीतू ने लास्ट झटका मारा और बोला- “बेहन की लोडी… ये ले…”
और सरिता दर्द से पागल हो गयी और अपना सर पटकने लगी। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में था और जीतू भी दर्द से कराह रहा था।
अलका ने जीतू को थोड़ा होल्ड करने को कहा और सरिता से बोली- “सरिता, हिम्मत से काम ले और शांत हो जा पच्च-पुच्च… अभी तो शुरू हुआ है…”
फिर अलका मुश्कुराई और जीतू से बोली- “जीतू भाई, बस अब रुकना मत… इसकी तो पहली चुदाई है ये तो चिल्लाएगी ही…”
और जीतू ने अपना लण्ड बाहर की तरफ खींचना शुरू किया। सरिता के माथे से पसीना टपक रहा था और वो चीख रही थी- “ओह्ह… माँ अह्ह… बसस्स आराम से करो… मैं मर जाऊँगी… आअह्ह… अलका प्लीज़्ज़… आह्ह…”
सरिता की चूत इतनी टाइट थी की पूरी तरह से लण्ड से ठुंसी थी और उसकी चूत की चमड़ी भी लण्ड के साथ अंदर-बाहर हो रही थी। अब जीतू ने उसकी चुदाई तेज कर दी और उसकी गाण्ड की पिटाई भी करने लगा। उधर अलका भी नंगी होकर अपनी चूत चुदवाने लगी। सरिता अलका को भी देख रही थी जो आराम से चुदवाने का मजा ले रही थी।
अब सरिता को थोड़ा मजा आ रहा था, चूत गीली होने से उसका दर्द थोड़ा वीर्य होने लगा और वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी और सिसकने लगी- “आहम्म्म… ओह्ह… बस्स्स… आह्ह उम्म्म्म…” और थोड़ी ही देर में सरिता का पानी झड़ गया।
10 मिनट हो चुके थे और जीतू भी झड़ने वाला हो गया था। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और सरिता के मुँह की तरफ भागा। सरिता को सिर्फ़ कुछ पलों का आराम मिला और एक दूसरा बड़ा लण्ड जो उसकी चूत को फाड़ने की लिए तैयार था उसकी चूत में घुस गया। सरिता ने फिर दर्द से अपना मुँह खोल दिया और इतने में ही जीतू ने अपना गीला लण्ड सरिता के मुँह में डाल दिया।
अलका सब देख रही थी और वो बोली- “जीतू भाई, इसको पूरा वीर्य खिलाओ। कुतिया का मुँह बंद कर दो नहीं तो थूक देगी…”
और जीतू ने सरिता के जबड़े को दबा दिया और उसका गला पकड़कर पूरा वीर्य उसके मुँह में भर दिया। वो गूं-गूं-गूं करने लगी मानो वीर्य को बाहर थूकना चाहती हो। लेकिन वो ज्यादा देर वीर्य अपने मुँह में नहीं रख पाई और एक हल्के से घूंट के साथ सारा निगल गयी। अब जीतू ने अपना लण्ड उसके मुँह से बाहर निकाला। सरिता अब भी दर्द से कराह रही रही थी और अब उसके होंठों के साइड से जीतू का थोड़ा सा वीर्य चू रहा था। सरिता की चुदाई अभी भी ट्रेन के एंजिन की तरह चल रही थी।
इस बार वो लड़का 5 मिनट में ही झड़ गया और वो भी लण्ड निकालकर सरिता के मुँह की तरफ बढ़ा। सरिता पहले ही समझ गयी थी और ना ना करने लगी। लेकिन ना ना करते भी उसके लड़के का लण्ड उसके मुँह में घुस गिया यगा और उसने भी गरम-गरम वीर्य उसके मुँह में उड़ेल दिया। सरिता ने थोड़ा उसको खाया और थोड़ा उसके मुँह से टपक रहा था।
अब तीसरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और सरिता फिर से थोड़ी सी गरम हो गयी। अब वो चुदाई का मज़ा ले रही थी।
उधर अलका भी एक बार झड़ चुकी थी। वो सरिता के पास आई और बोली- “दर्द कम हुआ?
सरिता ने टूटती हुई आवाज में कहा- “हाँ… कम हो गय्या…”
अलका बोली- “चुदाई का मजा आ रहा है?”
और सरिता ने मानो शर्माकर सिर्फ़ अपना सिर हिला दिया।
अब जीतू बियर पीने लगा और सरिता के पास आया और बोला- “सरिता…”
सरिता ने कहा- “हाँ जी…”
जीतू- कैसा लग रहा है तुझे?
सरिता ने कोई जवाब नहीं दिया मानो वो अपनी चुदाई में बहुत व्यस्त हो।
जीतू ने उसके बालों से उसे पकड़ा और उसका सिर ऊपर उठाकर पूचा- बोल कैसा लग रहा है?
और सरिता बोली- “अच्छा सर…”
जीतू- और चुदाई करें?
सरिता कुछ नहीं बोली और पीछे से हो रही चुदाई के झटके सहती रही।
जीतू बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
सरिता चुप रही।
जीतू ने एक जोर का चांता उसके गाल पर जड़ दिया और फिर बोला- “बोल मैं रंडी हूँ…”
इस बार सरिता धीरे से बोली- “मैं रन…दी हूँन…”
अब जीतू बोला- “बोल मुझे जोर-जोर से चोदो…”
और इस बार सरिता ने बिना किसी नखरे के बोल दिया- “मुझे जोर-जोर सए चोओदो…” अब सरिता की हालत पस्त होने लगी थी और तीसरा लड़का भी झड़ गया था। लेकिन अभी तो 4 और बाकी थे।
जीतू ने बोला- “अब एक काम करो, इसको लण्ड पर बिटाओ…” फिर जीतू ने चौत लड़के को बोला- “तू इसके नीचे घुस जा और अपने लण्ड की सवारी करवा…”
सरिता ने बड़े आराम से उनकी बात मान ली और उस लड़के के लण्ड पर चढ़ गयी। उसने उसका लण्ड अपने आप अपनी चूत के नीचे रखा और धीरे से उसे अंदर लेने लगी। ये तो और भी दर्दनाक था और वो फिर से चिल्लाने लगी- “आह्ह… उह्ह… माँ, बहुत दर्द हो रहा है…”
लेकिन अब किसी को उसके चिल्लाने का कोई फरक नहीं पड़ रहा था। उसकी चुदाई होते हुए पूरा सवा घंटा हो चुका था। अब पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका था और उसकी चुदाई फिर से चालू हो चुकी थी। वो पस्त होकर उस लड़के पर गिर गयी। अब जीतू भी फिर उठा और अपना लण्ड खड़ा करने लगा, और अब वो उन दोनों के ऊपर चढ़ गया।
अलका बोली- “जीतू भाई, दो लण्ड नहीं ले पाएगी…”
जीतू बोला- “मैं इसकी गाण्ड मारने जा रहा हूँ…”
इस पर अलका फौरन सरिता के पास पहुँची और बोली- “तू तो गयी अब… लेकिन घबरा मत, थोड़ा दर्द होगा। अपनी गाण्ड जितनी खोल सकती है खोल…”
और सरिता ने हल्की सी आवाज में अलका से पूछा- अब क्या बाकी है? क्या करेंगे जीतू जी?