13-01-2019, 07:43 PM
वो जैसे ही सारे पैसे अपनी तरफ करने लगा, गणेश ने रोक दिया और बोला : "मेरे पत्ते दोबारा देख भाई...इतना खुश मत हो अभी...''
बिल्लू और केशव ने फिर से गणेश के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी प्योर सीक़वेंस.
बिल्लू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''
और अब ठहाका लगाने की बारी गणेश की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.
अगली गेम शुरू होने को ही थी की केशव बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना है...बाकी कल खेलेंगे..''
काजल बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर केशव ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.
अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके
उनके जाते ही काजल बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..''
केशव : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते...''
काजल : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''
केशव उसकी बाते सुनता रहा...और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है ना..''
काजल : "हाँ ....ये वही है....''
केशव (झिझकते हुए) : "और अंदर....''
उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.
काजल : "अंदर...? मतलब ....''
पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...केशव उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..
काजल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो केशव के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..
अब ये बात वो केशव को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...
काजल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''
केशव ने हाँ में सिर हिला दिया.
काजल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''
और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..
अब केशव उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल काजल ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने काजल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज केशव के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.
तभी उपर से काजल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी केशव को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..
और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..
बिल्लू और केशव ने फिर से गणेश के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी प्योर सीक़वेंस.
बिल्लू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''
और अब ठहाका लगाने की बारी गणेश की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.
अगली गेम शुरू होने को ही थी की केशव बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना है...बाकी कल खेलेंगे..''
काजल बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर केशव ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.
अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके
उनके जाते ही काजल बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..''
केशव : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते...''
काजल : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''
केशव उसकी बाते सुनता रहा...और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है ना..''
काजल : "हाँ ....ये वही है....''
केशव (झिझकते हुए) : "और अंदर....''
उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.
काजल : "अंदर...? मतलब ....''
पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...केशव उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..
काजल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो केशव के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..
अब ये बात वो केशव को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...
काजल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''
केशव ने हाँ में सिर हिला दिया.
काजल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''
और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..
अब केशव उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल काजल ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने काजल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज केशव के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.
तभी उपर से काजल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी केशव को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..
और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..