20-09-2019, 12:49 PM
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Update 44
राहुल- निशा आइ अम सॉरी.....तुम अपने कपड़े पहन लो...मैं ये सब नहीं कर सकता... और राहुल तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.....निशा सवाल भरी नज़रो से राहुल को बाहर जाता हुआ देखने लगती हैं...... करीब 15 मिनिट बाद निशा अपने कपड़े पहन कर वहीं हाल में राहुल के पास जाती हैं.... निशा भी जाकर वहीं राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.....राहुल झट से निशा के सीने में अपना सिर रखकर रो पड़ता हैं..... आइ आम सॉरी निशा... आज मैने तुम्हार साथ बहुत ग़लत किया... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.... क्या करूँ मैं एक पल के लिए भी राधिका को अपने दिल से नहीं भुला पा रहा....बहुत मुश्किल हैं उसके बगैर जीना.....
निशा भी बड़े प्यार से राहुल के सिर पर अपना हाथ फेरती हैं और उसे किसी बच्चे की तरह अपने सीने में छुपा लेती हैं.....काफ़ी देर तक वो दोनो कुछ नहीं बोलते हैं और फिर निशा अपने घर फोन करके वो आज रात राहुल के पास रुकने को कहती हैं... उसकी मम्मी थोड़ा विरोध करती हैं मगर निशा के दबाव देने से वो भी मान जाती हैं.....
राहुल को एक तरफ निशा का साथ मिलने से थोड़ी ख़ुसी होती हैं वहीं उसे हर पल राधिका का गम सता रहा था..... शाम को करीब 5 बजे राहुल वो डायरी लेकर अपने रूम में आता हैं और वो डायरी पढ़ना शुरू करता हैं... इस वक़्त निशा भी उसके बगल में बैठी हुई थी...
नोट- डायरी को मैं डीटेल में नहीं बताउन्गा..अगर वैसा किया तो कम से कम 20 ,या 25 अपडेट्स और लगेंगे.इसलिए मैं शॉर्ट्ली बताते जाउन्गा.और फिर से वहीं सारी बातें रिपीट होगी.....
******************लाल डायरी का ऱहश्य******************
राहुल जब डायरी का पहला पेज खोलता हैं तब उसमें राधिका ने वहीं तारीख लिखा हुआ था जब वो पहली बार राहुल से मिली थी कॉलेज कॅंपस में....वो धीरे धीरे एक एक पन्ने पलटता जाता हैं........डायरी का राज़ राधिका के शब्दों में.....................
मैं कितनी खुस थी जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी....उस पहली मुलाकात को तुम मुझे भा गये थे.... मैने तो कभी सोचा नहीं था कि मेरी तुमसे दुबारा कभी मुलाकात होगी....मगर किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था....मेरा आइ कार्ड ना वहाँ पर गिरता और उसे लेकर ना तुम मुझसे मिलने मेरे घर आते और ना तुमपर वो हमला होता.... सच कहूँ मैं तो लगभग चौंक गयी थी तुम्हें अपने घर पर देखकर...फिर जब उन हमलावर ने तुमपर हमला किया तब मेरे दिल पर क्या गुज़री इसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते... मैं अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाई और मेरे दिल की बात जुबा तक आ गयी....और तुमने भी मुझे स्वीकार कर लिया....
तुम्हें पाकर मुझे ऐसा लगा की मुझे मेरी दुनिया मिल गयी....मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था...वक़्त बीतता गया और हमारे बीच दूरियाँ नज़दीकियों में बदलती गयी......फिर एक दिन मुझे पता चला कि निशा भी तुमसे ही प्यार करती हैं....और वो भी उस हद तक कि वो तुम्हारे बिन शायद जी नहीं पाएगी.... मेरे लिए यहाँ पर दोस्ती और प्यार में से मुझे किसी एक को चुनना था....मगर मैं दोनो को खोना नहीं चाहती थी... फिर मैने अपनी दोस्ती को चुना.....और तुमसे दूरियाँ बढ़ने लगी.....इस वजह से मैने अपने भैया के साथ जिस्मानी रिस्ता भी कायम कर लिया....ताकि मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ... और मैं तुम्हारी नज़रो में गिर जाऊ जिससे तुम मुझे छोड़ सको....
मैने ये बात कई बार तुम्हें बताने की कोशिश की मगर शायद मुझ में इतनी हिम्मत नही थी.....फिर मैने ये सब अपने नसीब पर छोड़ दिया.... तुम्हें भूलने के लिए मैने शराब को अपने गले लगाया...फिर भी मैं तुम्हें ना भुला सकी.....दिन रात मैं शराब पीती रहती और तुम्हें अपने दिल से निकालने की नाकाम कोशिश करती.... वक़्त बीतता गया और एक दिन निशा को मेरे भैया के रिस्ते का पता चल गया....वो तो मानो मुझपर बरस ही पड़ी...लेकिन मैने उसे अपनी कसम देकर रोक ली....फिर वो हुआ जो मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.....
एक रात मैं अपनी भैया के साथ सेक्स कर रही थी तभी बिहारी ने मेरे बापू को भड़का दिया और मेरे रिस्ते के बारे में उन्हें सारी बात बता दी....उस रात मेरे बापू ने मुझपर पहली बार अपना हाथ उठाया....फिर मैने उन्हें अपनी बीच संबंधो की वजह बताई...तब जाकर मेरे बापू को मुझ पर विश्वास हुआ.. मगर बिहारी से ये सब देखा नहीं गया... उसने मेरी जासूसी करने के लिए मोनिका नाम की लड़की को मेरे पीछे लगा दिया और मेरे भैया के बीच सारी सेक्स को रेकॉर्ड करके मुझे ब्लॅकमेलिंग करने की कोशिश की.....
मुझे अपनी फिकर नहीं थी मगर जब उसने तुम्हें और मेरे भैया बापू और निशा को अपना निशाना बनाया तब मैने अपने आप को उसके आगे समर्पण कर दिया....मैं अच्छे से जानती थी कि बिहारी मेरे साथ क्या करेगा मगर मुझे तुम्हारी खातिर सब मंज़ूर था.... फिर वो मुझसे एक दिन बिज्निस डील करने के वास्ते मुझे उसने बीच सड़क से उठवा लिया और मेरे साथ एक हफ़्ता गुजारने के लिए डील की....उसकी रखैल बनकर.... मगर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था....मैने अपनों की खातिर अपने आप को उसके हवाल कर दिया...फिर वो एक दिन मेरे घर पर गाड़ी भिजवाया मुझे लेने के लिए....
मैं भी बिना किसी सवाल जवाब के उसके पास चली गयी और वो तुम्हारा बाहर भेजने के लिए हाइ कमॅंड से एक हफ्ते की दरख़्वास्त दी....बिहारी अच्छे से जानता था की तुम्हारे रहते वो मुझे छू भी नहीं सकता...इस वजह से उसने तुम्हें मुंबई भेज दिया...और मुझे अपने अड्डे पर बुला लिया.....वहाँ पर मेरी मुलाकात उस शख़्श से हुई जिसने तुमपर कई बार जान लेवा हमला करवाया था...जानना चाहते हो..कौन है वो सख्श है....विजय....तुम्हारा दोस्त....और उसके साथ जग्गा भी था..वही जग्गा जिसकी मैने कॉलेज कॅंपस में सब लोगों से उसकी पिटाई करवाई थी....
फिर इन सब ने मेरे साथ नन्गपन का खेल खेना शुरू कर दिया... बिहारी ने तो मेरे सामने ये तक शर्त रख दी कि वो मुझे दो घंटे में सिड्यूस करेगा....मगर यहाँ भी उन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया.. मेरे जूस में उनलोगों ने कोई दवाई मिला दी थी... फिर मेरे साथ ऐसे गंदे गंदे सवालों का सिलसिला शुरू किया जिसका जवाब मुझे उन्हें बेशर्मी के साथ देना पड़ता....उन सब ने मुझसे वो सब कुछ कहलवाया जो अच्छे घर की लड़की मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसे शब्द नहीं बोलेगी.... आख़िरकार मैं अपने जिस्म के आगे हार गयी और उनके सामने अपने घुटने टेक दिए....
फिर उन सब ने बारी बारी मेरे साथ सेक्स किया... और फिर एक साथ सबने मिलकर मुझसे सेक्स करते रहे.... एक समय पर मैं एक साथ तीन तीन मर्दों की प्यास बुझाती....मुझसे उनलोगों ने वो सब करवाया जो बड़ी से बड़ी रंडिया भी करने से कतराती हैं... मगर हर दर्द में मैने तुम्हें महसूस किया.... फिर एक दिन काजीरी नाम की औरत वहाँ आई और उसने मेरा सौदा 10 लाख में कर दिया... वो मुझे ऐसे दरिंदों के बीच ले गयी जहाँ इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर बिल्कुल नहीं थी....उस रात मेरे साथ 6 आदीमयों ने बहुत रफ सेक्स किया...जिसकी वजह से मेरी नसें फट गयी थी और मेरे शरीर से ब्लीडिंग होना शुरू हो चुका था....
मगर इनलोगो ने भी मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं की...उसी हालत में मेरे साथ ये सब सेक्स करते रहें....और फिर जब एक हफ़्ता पूरा होने वाला था तभी विजय ने एक ऐसी घिनौनी चाल चली कि मैं अपनी ही नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गयी.... उसने मेरे बापू के साथ धोके से सेक्स करवा दिया....मेरे आँखों में पट्टी बाँधा और उधेर मेरे बापू की आँखों में भी पट्टी बाँधकर हमे पूरी नंगी हालत में सेक्स करवाया गया.... जब मेरे बापू को ये बात पता चली. तब वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पायें और अपनी जान दे दी....मैं वैसे भी अब तक बहुत नीचे गिर चुकी थी.... इन सब ने मुझे हर रात ड्रग्स का इंजेक्षन दिया... अब तो मैं भी ड्रग्स की अडिक्ट बन चुकी थी... मुझे विश्वास था कि तुम मुझे अब किसी भी हाल में नहीं अपनाओगे.....और मैं ऐसे ज़िल्लत भरी ज़िंदगी जीना नहीं चाहती थी...इस वजह से मुझे अपने आप को ख़तम करना पड़ा......
मैं जानती हूँ कि जब तू मेरी डायरी पूरा पढ़ चुके होगे तब तुम्हें भी मुझसे नफ़रत हो जाएगी.... कि मैं कितनी गिरी हुई लड़की थी...लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें ये सारी बातें अपने मूह से बता सकूँ... इस लिए मुझे इस डायरी का सहारा लेना पड़ा.... मेरे साथ जो भी हुआ मुझे उसका कोई दुख नहीं हैं पर सच तो ये हैं कि अब मैं तुम्हारी वो राधिका नहीं रही जिससे तुमने कभी प्यार किया था....बस इतनी ही कहूँगी कि तुम निशा का हाथ थाम लेना...वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं...अगर उसे तुम ना मिले तो वो मर जाएगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम नहीं थे....बस हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.......
डायरी पढ़ते पढ़ते इस वक़्त राहुल की आँखों में आँसू आ गये थे और वो ज़ोर से चीख पड़ता हैं...................................राधिका................
इस वक़्त राहुल बिल्कुल खामोश बैठा हुआ था...उसके हाथों में वही राधिका की डायरी थी.....और आँखों में आँसू....राहुल को ऐसा रोता हुआ देखकर निशा उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराती हैं......थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नॉर्मल होता हैं....
राहुल- आख़िर मुझे किस चीज़ की इतनी बड़ी सज़ा मिली...आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा .....आख़िर दोनो तरफ से हार मुझे ही मिली .....एक पल के लिए भी तुमने ये नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊँगा....शायद तुम मेरे प्यार को समझ नहीं सकी....मैने पहले भी तुमसे कहा था कि हमारा रिश्ता दिल का हैं ना कि जिस्म का.....मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुमने क्या किया....हां थोड़ा दुख ज़रूर हुआ....मगर इतना सब कुछ तुम अकेले सहती रही और मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा....क्या मिला तुम्हें अपने आप को बर्बाद करके.....आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.... और राहुल वहीं ज़मीन पर बैठ जाता हैं.....
निशा- हिम्मत रखो राहुल...जो बीत गया अब उसे दुबारा तो वापस नहीं लाया जा सकता.....बेहतर यही है कि हमे आज के लिए कल को भूलना होगा....
राहुल-नहीं निशा मैं नहीं भूल सकता अपनी राधिका को...ऐसा कभी नहीं हो सकता...आज भी वो मेरे दिल में बसी हुई हैं....जिस दिन मेरा दम निकलेगा शायद उस दिन मैं अपनी राधिका को भुला पाउन्गा.....जीते जी तो ये संभव नहीं....
निशा फिर राहुल के एक दम करीब आती हैं और उसे वहीं खड़ा करती हैं और उसके आँखों से बहते हुए आँसू पोछती हैं.....पोलीस वाले होकर भी तुम आज इतना कमज़ोर बन रहे हो राहुल.....थोड़ा हिम्मत रखो.....जो सच हैं उसे बदला नहीं जा सकता....आज राधिका हम सब के बीच नहीं हैं...और यही सच हैं...
निशा- मैं समझ सकती हूँ राहुल इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी...जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी राधिका की कमी महसूस हो रही हैं....कब तक आपने आप को सज़ा दोगे....
राहुल झट से निशा के सीने से लग जाता हैं- आइ आम सॉरी निशा मैने गुस्से में आकर ना जाने तुम्हें क्या क्या कहा...और तुम्हें राधिका के मौत का भी ज़िम्मेदार बना डाला.....मैं क्या करूँ मैं खुद इतना डिस्टर्ब हो गया हूँ कि मुझे समझ नही आ रहा की क्या सही हैं और क्या ग़लत....
निशा- इट'स ऑल राइट राहुल....तुम थोड़ा हाथ मूह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ....फिर निशा किचन में जाकर राहुल के लिए खाना लाती हैं और उसे अपने हाथों से बड़े प्यार से खिलाती हैं...राहुल किसी बच्चे की तरह निशा के सामने बिहेव कर रहा था.....निशा को राहुल पर इस वक़्त बहुत प्यार आ रहा था.....वो थोड़ी देर में पूरा खाना ख़तम करता हैं....
रात के करीब 9 बजे राहुल अपने बिस्तेर पर आकर बैठ जाता हैं और निशा भी खाना खा कर वहीं उसके पास बैठ जाती हैं......निशा बड़े प्यार से राहुल को देख रही थी....और राहुल भी चुप चाप वहीं खामोश बैठा था.....तभी निशा उसके एक दम करीब आती हैं और राहुल के चेहरे के पास अपना फेस कर देती हैं...इस वक़्त निशा राहुल के इतने करीब थी कि वो राहुल की साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी.....निशा के इतने करीब होने से राहुल तुरंत उससे दूर हूट जाता हैं और वो बिस्तेर से उठकर वहीं खड़ा हो जाता हैं......तभी निशा भी वहीं राहुल के पास आती हैं और उसके पीठ पर अपना सीना रखकर उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लेती हैं......
निशा की ऐसी हरकत से राहुल चौंक जाता हैं....और वो फिर से निशा के हाथों को अपने सीने से हटा देता हैं.....
निशा- क्या हुआ राहुल.....मुझसे कुछ ग़लती हो गयी क्या.....
राहुल- नहीं निशा ये ठीक नहीं हैं......
निशा- क्या ठीक नहीं हैं राहुल.....मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी बनना चाहती हूँ......मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.......आज मेरे तंन मन की प्यास बुझा दो राहुल.....मुझे प्यार करो राहुल.....बस प्यार....आज मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.....
राहुल- होश में आओ निशा....कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो.......ये सब ठीक नहीं हैं....
निशा- गौर से देखो मुझे...क्या कमी हैं मुझ में....हां मानती हूँ कि मैं राधिका जैसी कभी नहीं बन सकती और ना ही मैं उसकी जगह ले सकती हूँ पर मैं भी तो तुम्हें बे-इंतेहाः प्यार करती हूँ.... मैने तुम्हारी खातिर कितने आँसू बहाए हैं....हर पल तुम्हें याद किया हैं..मुझे आज अपना बना लो राहुल नहीं तो मैं जी नहीं पाउन्गि....
राहुल झट से निशा के चेहरे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखता हैं- किसने कहा कि तुम में कोई कमी हैं....जितनी खूबसूरत मेरी राधिका थी तुम भी उतनी ही खूबसूरत हो....तुम्हारी जैसी लड़की तो किसी किस्मेत वाले को नसीब होगी.....लेकिन मैं तुम्हारी किस्मेत नहीं हूँ निशा......
निशा- मैं जी नहीं पाउन्गि राहुल तुमसे दूर होकर...अगर यकीन ना आए तो मेरी डायरी खुद ही पढ़ लो...तुम्हें यकीन हो जाएगा कि मैं तुमसे कितनी मोहब्बत करती हूँ....मैने हर एक लम्हा तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर वो पल उस डायरी में लिखा हैं....
राहुल- मैं जानता हूँ निशा....तुम मुझे बहुत प्यार करती हो..मगर शायद अभी मैं तुम्हें उस दिल में जगह नहीं दे पाउन्गा....अभी मुझे थोड़ा वक़्त और लगेगा......
निशा- मुझे मंज़ूर हैं राहुल....मैं इंतेज़ार करूँगी..... और फिर निशा झट से राहुल के सीने से लग जाती हैं...राहुल भी उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं....निशा बड़े प्यार से राहुल के चेहरे को देखती हैं और अगले पल वो आगे बढ़कर धीरे से अपने होंठ राहुल के होंठो पर रख देती हैं और उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं....राहुल भी कोई विरोध नहीं करता और चुप चाप अपनी आँखें बंद कर लेता हैं....धीरे धीरे निशा की धड़कनें बढ़ने लगती हैं और उधेर राहुल का भी वहीं हाल होता हैं......
निशा बड़े प्यार से अपने होंठो को राहुल के होंठो पर रखकर उसे चूसे जा रही थी....निशा फिर राहुल का हाथ अपने हाथों में लेती हैं और उसे पहले अपने लबों पर रख देती हैं और उसके हाथों की उंगलिओ को बारी बारी बड़े प्यार से चूसने लगती हैं.....राहुल निशा के किसी भी हरकतों का कोई विरोध नहीं करता.....और बड़े गौर से निशा की आँखों में देखता हैं....इस वक़्त निशा की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी......निशा फिर राहुल का हाथ धीरे धीरे पहले अपने गालों पर फिराती हैं और फिर उसके हाथो को नीचे की ओर ले जाने लगती हैं.....जो काम राधिका ने किया था आज वही काम निशा भी कर रही थी....आज इतिहास खुद को दोहरा रहा था...
निशा राहुल के हाथों को अपने कंधे से सरकाते हुए अपने सीने की ओर ले जाती हैं और कुछ ही लम्हों में वो अपने सीने पर राहुल का हाथ रख देती हैं...... और धीरे धीरे अपने हाथों पर अपना दबाव डालती हैं.....इस वक़्त राहुल निशा के बूब्स पर अपना एक हाथ रखा हुआ था और निशा उसके हाथों पर प्रेशर बना रही थी....तभी राहुल को कुछ याद आता हैं और वो तुरंत अपना हाथ वहाँ से हटा लेता हैं.....राहुल के ऐसे हटने से निशा चौंक जाती हैं......
राहुल- नहीं निशा मैने कहा था ना ...मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.... अभी मुझे थोड़ा वक़्त लगेगा.....मेरा ज़मीर इसकी इज़ाज़त नहीं दे रहा.....आइ आम सॉरी...
निशा भी कुछ नहीं कह पाती और वहीं राहुल के सामने चुप चाप खड़ी रहती हैं....आज उसकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे.... निशा को ऐसा रोता देखकर राहुल बेचैन हो जाता हैं...
राहुल- क्या हुआ निशा...तुम ठीक तो हो...तुम्हारी आँखों में आँसू.....बात क्या हैं..
निशा- नहीं राहुल कुछ नहीं...शायद मैं ही बहक गयी थी...अच्छा हुआ तुमने मुझे होश में ला दिया....
राहुल- नहीं निशा.... मैं समझ सकता हूँ कि इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी... मगर मेरा तुमसे वादा हैं जब तक उन कुत्तों को मैं जान से नहीं मार दूँगा मैं चैन से नहीं बैठूँगा.....और ......
निशा- और क्या राहुल........
राहुल- और तुमसे शादी भी नहीं करूँगा......
निशा के चेहरे पर कई तरह से सवाल थे...उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो राहुल की बात से खुस होये या दुखी.....जो भी हो अब तो केवल इंतेज़ार ही उन्हें करना था....आने वाला वक़्त देखा ये था कि बिहारी ,विजय और ,जग्गा पर राहुल कौन सा क़हर बनकर टूटता हैं.
निशा के दिल में इस वक़्त हज़ारों सवाल उठ रहें थे मगर आज उसके किसी भी सवालों का जवाब उसके पास मौजूद नहीं था....वो तो बस यही सोच रही थी कि क्या कभी वो राधिका की जगह ले पाएगी.....अगर उसकी शादी राहुल से हो भी जाती हैं तो क्या राहुल उसे वो प्यार दे पाएगा जितना वो राधिका से करता था.........शायद नहीं....इन्ही सवालों में उलझी निशा के चेहरे पर परेशानी के भाव थे तभी राहुल की आवाज़ सुनकर वो अपने सोच से बाहर आती हैं.....
राहुल- तुम एक काम करो मेरे साथ अभी अपने घर चलो....
राहुल की बातो से निशा लगभग चौंक जाती हैं- तुम्हारे साथ .......अभी इस वक़्त......मगर क्यों???
राहुल- क्यों कि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से ये दुनिया तुम पर कोई उंगली उठाए....और शायद तुम यहाँ पर मेरे साथ रहोगी तो ऐसा हो भी सकता हैं की मैं कहीं बहक जाऊ.....और फिर कुछ ग़लत हो गया तो शायद मैं अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउन्गा....
निशा- मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं राहुल.....कुछ ग़लत नहीं होगा...बिलिव मी.....
राहुल- नहीं निशा...ट्राइ टू अंडरस्टॅंड....मानता हूँ कि ये फ़ैसला मेरा था मगर ये हमारे लिए ही अच्छा होगा....निशा भी कुछ ज़्यादा बहस नहीं करती और चुप चाप राहुल के साथ उसकी गाड़ी में बैठ जाती हैं..और रात के करीब 10 बजे राहुल निशा को उसके घर ड्रॉप करता हैं.....
सुबेह राहुल सबसे पहले पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर सबसे पहले ख़ान से मिलता हैं....
राहुल- ख़ान कुछ उन कमिनो का पता चला...कहाँ हैं वो तीनों....
ख़ान- ज़्यादा तो कुछ नहीं पर इतना कन्फर्म हैं कि वो तीनों इसी सहर में हैं....हम ने चारों तरफ से नाकाबंदी कर रखी हैं तो उनका इस सहर से बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता.......
राहुल- कहीं ऐसा तो नहीं कि हम ने नाकाबंदी करने में देर कर दी और वो तीनों इस सहर से बाहर.....
ख़ान- नहीं सर...ऐसा नहीं हैं....जब हम वहाँ पर पहुँचे थे तब उसके 1/2 घंटे पहले ही वो तीनों वहाँ से निकले थे...इतना कन्फर्म हैं कि मैने 1 घंटे के अंदर ही इस सहर में नाकाबंदी लगवा दिया था....
राहुल- ठीक हैं ख़ान....कहाँ पर हैं वो हरम्ज़्यादि काजीरी .....मैं उससे अभी मिलना चाहता हूँ.... फिर राहुल जैल के अंदर जाकर काजीरी से मिलता हैं... काजीरी जब राहुल को देखती हैं तब वो डर से वहीं सहम जाती हैं...
राहुल- कैसी है तू....लगता हैं रात भर सोई नहीं है ...देख तेरी आँखें कितनी लाल है...लगता हैं यहाँ पर तेरी खातिरदारी इन लोगों ने ठीक से नहीं की.....
काजीरी -मुझे जाने दो साहेब...जो कुछ मैं जानती थी मैने सब कुछ तो आप सब को बता दिया....अब क्या रह गया हैं....
राहुल- चिंता मत कर तुझे मैं छोड़ दूँगा मगर अभी नहीं कम से कम 5 साल के बाद.....ये बता बिहारी इस वक़्त कहाँ छुपा बैठा हैं....
काजीरी- मुझे नहीं मालूम साहेब....मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती....जैसे ही काजीरी ये बात ख़तम करती हैं तभी राहुल का एक करारा मुक्का उसके गालों पर पड़ता हैं और काजीरी के होंठों से खून निकल आता हैं....और वो दर्द से चीख पड़ती हैं.....
राहुल- अबकी बार सवाल नहीं पूछूँगा.....मुझे बस तेरा जवाब चाहिए...नहीं तो तेरी ऐसी सेवा करूँगा कि यहाँ से तू अपने चार कदमों से जाएगी....तेरी भलाई इसी में हैं कि जो कुछ जानती हैं सब कुछ बकती जा.....फिर धीरे धीरे काजीरी बिहारी के एक एक ठिकानों का पता बताती जाती हैं.....
राहुल- शाबाश!!!! अगर पहले ही सब कुछ बता दिया होता तो इतनी मार तो नहीं खानी पड़ती तुझे....चल अब यहाँ पर आराम से 5 साल मज़े करना.....और राहुल वहाँ से तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं....
राहुल- पोलीस फोर्स तैयार करो ख़ान....मैं डीजीपी सर से जाकर पर्मिशन लेकर आता हूँ.... करीब 1 घंटे बाद राहुल अपनी पोलीस फोर्स के साथ बिहारी को पकड़ने निकल पड़ता हैं....
ख़ान- सर उसे तो उमर क़ैद की सज़ा हम दिलवाएँगे.....सारी ज़िंदगी जैल में सडेगा तब साले को मालूम चलेगा.....
राहुल- नहीं ख़ान .....तुम ग़लत समझ रहे हो...मैं जानता हूँ बिहारी को ....हम कितना भी कुछ कर लें वो ज़्यादा से ज़्यादा एक हफ़्ता जैल में रह सकता हैं.....फिर वो कैसे भी छूट जाएगा और हम ज़िंदगी भर उसको अरेस्ट करते फिरेंगे..... इस बार उसे आरेस्ट नहीं करना हैं.....
ख़ान- अरेस्ट नहीं करना हैं ................मतलब????
राहुल फिर अपने जेब से एक काग़ज़ निकाल कर ख़ान को थमा देता हैं..ख़ान जब उस काग़ज़ को पढ़ता हैं तब उसके होश उड़ जाते हैं....
ख़ान- सर ये तो एनकाउंटर वॉरेंट हैं......यानी हमे उन तीनों का एनकाउंटर करना हैं.....
राहुल- हां ऐसे कुत्तों के लिए सिर्फ़ एक ही सज़ा हैं और वो हैं ...................मौत...
ख़ान- मगर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं...ऐसा करने से तो इस सहर में हंगामा खड़ा हो जाएगा......पब्लिक और मीडीया वाले इसे बढ़ा चड़ा कर दिखाएँगे और उसे निर्दोष साबित करेंगे...और हमारी कितनी बदनामी होगी आपको इसका अंदाज़ा भी हैं....फिर हम क्या जवाब देते फिरेंगे उन सब को.....
राहुल- तुम उसकी चिंता मत करो...मैने डीजीपी सर से सारी बातें कर ली हैं..उन्होने ही मुझे इसकी पर्मिशन दी हैं....मगर इतना याद रख हमे उन तीनों को इस सहर से बाहर किसी ऐसी सुनसान जगह पर ये काम करना हैं.... और हां सबसे पहले तुम बिहारी के बारे में सारा डेटा कलेक्ट करो...कौन हैं उसका करीबी और किसके साथ उसका रोज़ का उठना बैठना हैं...और उसकी कमज़ोरी क्या हैं...सब कुछ इमीडीयेट्ली....फिर ख़ान वहीं लॅपटॉप में इंटरनेट के थ्रू बिहारी से सारी रिलेटेड जानकारी कलेक्ट करता हैं.....
करीब 2 दिन के बाद उसे बिहारी के खिलाफ पुख़्ता सबूत हाथ लगता है और जो जानकारी उसे हासिल होती हैं उससे राहुल भी चौंक जाता हैं.....इन दो दिनों में बिहारी का भी पता चल गया था......तीनों एक ही जगह पर इसी सहर में छुपे हुए थे.....राहुल ने जैसे ख़ान को कहा था ख़ान ने वैसा ही किया था......
राहुल- ख़ान सबसे पहले अगर हमे दुश्मनों का शिकार करना हैं तो उसे बिल से बाहर निकालना होगा....और ये काम तुम ही अंजाम दे सकते हो.....जैसे ही वो बाहर आए उसका सबसे पहले किडनप करवा लो और इस सहर के बाहर ले चलो...किसी हिल स्टेशन की तरफ जहाँ कोई आता जाता ना हो....फिर मैं बताउन्गा कि उन सब को कैसी मौत मारना हैं...और मैने तो सोच भी रखा हैं उन कुत्तों को कैसी मौत मिलनी चाहिए......
सबसे पहले ख़ान उसके ख़ास ख़ास आदमियों को अरेस्ट करता हैं और दो तीन लड़की सप्लाइ की बात उनके आदमियों से कहलवाता हैं......बिहारी तो लड़की मामले में कहाँ चुप बैठने वाला था....वो भी झट से अपने आदमी से मिलने की जगह और दाम तय कर लेता हैं.......फिर उस नंबर को ट्रेस किया जाता हैं और उसका लोकेशन पता लगाया जाता हैं.....और दूसरे दिन वो तीनों अपने बिल से बाहर निकते हैं.....उसी जगह......राहुल अपने आदमियों के साथ वाहन पर घात लगाए बैठा था......बिहारी जब अपने आदमियों को देखता हैं तब वो झट से उनसे मिलने आता हैं......
जैसे ही वो उन सब के करीब जाता हैं तभी लगातार 6 गोली चलती हैं और कुछ देर में बिहारी के तीनों आदमियों की लाश वहीं ज़मीन पर पड़ी मिलती है...ये सब देखकर बिहारी ,विजय और जग्गा भागने की कोशिश करते हैं मगर पोलीस चारों तरफ से उन्हें घेर लेती हैं..... और तभी तेज़ी से एक वॅन उनके पास आकर रुकती हैं....और उसमें 5,6 आदमी निकलते हैं और बिहारी ,जग्गा और विजय को झट से उठाकर उस वॅन में लेकर तेज़ी से वहाँ से निकल जाते हैं.....वहाँ दूर खड़ी पोलीस चुप चाप देखती रहती हैं...
इधेर बिहारी ,जग्गा, और विजय एक तरफ तो खुस थे कि वे पोलीस के हाथों बच गये ....मगर उनकी खुशी ज़्यादा देर तक नहीं रहने वाली थी... अभी भी उनसब के मन में ये सवाल उठ रहे थे कि ये वॅन वाले उन सब के दोस्त हैं या दुश्मन.....इस वक़्त उस वन में दो और लोग बैठे हुए थे मगर उनके चेहरे पर नक़ाब था....और वो दोनो बड़े गौर से बिहारी, जग्गा, और विजय को देख रहें थे....इस तरह से उन्दोनो का घूर्ना देखकर वो तीनों फिर से सहम जाते हैं......अगले ही पल वो दोनो अपना हाथ बढ़ाकर अपने चेहरे की ओर ले जाते हैं और वो नक़ाब को अपने चेहरे से अलग कर देते हैं....जब वो दोनो अपने चेहरे से नक़ाब हटाते हैं तब बिहारी ,जग्गा, और विजय को ऐसा झटका लगता हैं जैसे किसी ने उनके शरीर से पूरा खून निचोड़ लिया हो....और हैरत से उन सब की आँखें फटी रह जाती हैं.
उस वन में राहुल और ख़ान बैठे हुए थे......राहुल और ख़ान को अपने सामने बैठा हुआ देखकर उन तीनों के होश उड़ जाते हैं....
बिहारी-राहुल.....त....उ.....तुम????
राहुल- मैं नहीं बिहारी अपनी मौत बुला मुझे......तूने क्या सोचा था कि तू मुझसे बच जाएगा...अगर तू पाताल में भी जाकर छुप जाता तो भी मैं तुझे वहाँ से ढूँढ निकालता....राहुल के मूह से इस तरह की बातें सुनकर उन तीनों का डर से गला सूखने लगता हैं....
थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी सहर से दूर एक सुनसान घाटी के पास जाकर रुकती हैं....फिर राहुल उन सब को एक एक कर बाहर निकलने को कहता हैं...और तभी ख़ान उनके पीछे जाकर उन तीनों के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.....इस वक़्त तीनों एक साथ लाइन से खड़े थे और उनके हाथों में वो हथकड़ी बँधी हुई थी....उनके चेहरे पर मौत का डर सॉफ छलक रहा था.....
राहुल तभी अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और उनके सामने वो रेवोल्वेर तान देता हैं....ये नज़ारा देखकर तीनों की डर से हालत खराब हो जाती हैं....
राहुल- चिंता मत करो मैं तुम्हें गोली नहीं मारूँगा......अगर तुम्हें इतनी आसान मौत दे दूँगा तो मुझे खुद अपने आप पर पछतावा होगा कि मैने ऐसा क्यों किया.... आख़िर तुम्हें भी तो एहसास होना चाहिए कि दर्द क्या होता हैं....जो तुम लोगों ने मेरी राधिका को दिया था.....उसके एक एक आँसू का तुमलोगों से मैं हिसाब लूँगा....फिर राहुल अपने जेब से अपना पर्स निकाल लेता हैं और उसमें राधिका की फोटो थी ....वो उन तीनों के सामने अपना पर्स रख देता हैं...
राहुल- गौर से देखो इसे.....क्या कसूर था इस मासूम का जो तुमलोगों ने इसके साथ ऐसा सुलूख किया.....यही ना कि वो खूबसूरत थी ...शायद आज मेरी राधिका की खूबसूरती ही उसकी मौत की वजह बन गयी.....जब तक तुम जैसे दरिंदे रहेंगे तब तब हर मासूम लड़की के साथ ऐसा हमेशा होता रहेगा....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात पहले बिहारी और फिर जग्गा और विजय के पेट पर मार देता हैं...दर्द से वो तीनों वहीं घुटनों के बल बैठ जाते हैं......
राहुल- बहुत घमंड था ना तुझे अपनी सत्ता और अपनी पॉवर का...उखाड़ ले जो उखाड़ना हैं....ज़रा मैं भी तो देखूं कि तू क्या कर सकता हैं.....फिर राहुल अपनी जेब से वो वॉरेंट निकालकर उनके सामने रख देता हैं.....गौर से देखो इस पेपर को.....ये तुम लोग की मौत का वारंट हैं.....और अब तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे तुम लोग को उपर पहुँचाने से नहीं रोक सकती......
बिहारी- हमे जो सज़ा देनी हैं दे दो राहुल हमे सब मंज़ूर हैं मगर प्लीज़ हमे जान से मत मारो......मैं उमरक़ैद की सज़ा भी काटने को तैयार हूँ....
तभी राहुल फिर से एक ज़ोर की लात बिहारी के पेट पर मारता हैं और बिहारी के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं....
राहुल- बहुत डर लग रहा है तुम्हें आज अपनी मौत को सामने देखकर.....मरना तो तुम सबको हर हाल में हैं....अगर आज मैने तुम सबको छोड़ दिया तो शायद मेरी राधिका भी मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी....और अब मैं अपनी राधिका की आत्मा को और दुख नहीं पहुँचाना चाहता.....तभी दो तीन लात और राहुल बिहारी के पेट और पीठ पर जड़ देता हैं......और बिहारी फिर से चीख पड़ता हैं......
राहुल- बोल क्यों किया तूने ऐसा.....मुझे जवाब दे.....क्यों तूने कृष्णा और बिरजू को फँसाया.....क्यों उसकी आड़ लेकर मेरी राधिका को ब्लॅकमेलिंग की...क्यों तूने उसके साथ हवस का गंदा खेल खेला.....अरे इंसान तो इंसान जो सुलूख तुम लोगों ने मेरी राधिका के साथ किया हैं वो तो कोई दुश्मन भी नही कर सकता......बरसों से उनकी वफ़ादारी का क्या इनाम दिया हैं तुमने.....बिरजू की ही बेटी को अपनी रखैल बनाया....और तो और उसे मार्केट में भी भेज दिया ...दरिंदों के बीच.....और तूने तो अपनी कमिनेपन की हद्द ही कर दी ........एक बाप को अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करवा डाला.....तूने तो एक बाप और बेटी के बीच रिश्तों के मायने ही बदल डाले....उनके बीच पवित्र रिश्तों को हमेशा के लिए कलंकित कर डाला...अरे तेरे से अच्छे तो जानवर हैं कम से कम वो वफ़ादारी के बदले वफ़ादारी तो निभाते हैं.....लेकिन तू तो उन सब से भी गया गुज़रा हैं....इंसान की खाल में तू तो भेड़िया हैं....
तभी ख़ान भी अपने गुस्से को नहीं रोक पाता और एक करारी लात बिहारी के पेट पर जड़ देता हैं....बिहारी वहीं दर्द से बैठ जाता हैं......
फिर राहुल विजय के पास जाता हैं और एक करकरा लात विजय के पेट पर जड़ देता हैं...विजय वहीं दर्द से बैठ जाता हैं....
राहुल- तूने तो कमाल की दोस्ती निभाई....भगवान ना करे कि तेरे जैसे दोस्त किसी को भी मिले.....मेरे साथ रहकर मेरी ही पीठ पीछे तू मेरी दोस्ती का फ़ायदा उठाता रहा....और मैं तुझपर आँख बंद कर विश्वास करता रहा.....काश मैने राधिका की बात बहुत पहले मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता....मैं तो खुद हैरान हूँ कि मैने तुझे पहचाने में इतनी बड़ी भूल कैसे कर दी....आज तो मुझे शरम आती हैं तुझे अपना दोस्त कहते हुए.....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात फिर से विजय के पेट पर मार देता हैं.....तभी ख़ान भी दो तीन लात विजय के उपर बरसाता हैं और विजय की चीखें इन वादियों में गूँज उतती हैं....
फिर वो जग्गा के पास जाता हैं और उसे भी एक ज़ोर का लात उसके पेट पर जड़ देता हैं....मैने सच में भूल की तुझे पहचानने में.....अगर उसी दिन मैं तुझे राधिका को छेड़ते हुए तेरे उपर कोई कड़ा आक्षन लिया होता तो तेरे जैसे दो टके गुंडे की ये मज़ाल नहीं होती कि तू मेरी राधिका को आज छू भी पाता.....इन्ही हाथों से तूने उसे छुआ था ना...फिर राहुल एक ज़ोर का लात उसके हाथों पर मारता हैं और जग्गा वहीं दर्द से चीख पड़ता हैं.
राहुल- निशा आइ अम सॉरी.....तुम अपने कपड़े पहन लो...मैं ये सब नहीं कर सकता... और राहुल तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.....निशा सवाल भरी नज़रो से राहुल को बाहर जाता हुआ देखने लगती हैं...... करीब 15 मिनिट बाद निशा अपने कपड़े पहन कर वहीं हाल में राहुल के पास जाती हैं.... निशा भी जाकर वहीं राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.....राहुल झट से निशा के सीने में अपना सिर रखकर रो पड़ता हैं..... आइ आम सॉरी निशा... आज मैने तुम्हार साथ बहुत ग़लत किया... मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था.... क्या करूँ मैं एक पल के लिए भी राधिका को अपने दिल से नहीं भुला पा रहा....बहुत मुश्किल हैं उसके बगैर जीना.....
निशा भी बड़े प्यार से राहुल के सिर पर अपना हाथ फेरती हैं और उसे किसी बच्चे की तरह अपने सीने में छुपा लेती हैं.....काफ़ी देर तक वो दोनो कुछ नहीं बोलते हैं और फिर निशा अपने घर फोन करके वो आज रात राहुल के पास रुकने को कहती हैं... उसकी मम्मी थोड़ा विरोध करती हैं मगर निशा के दबाव देने से वो भी मान जाती हैं.....
राहुल को एक तरफ निशा का साथ मिलने से थोड़ी ख़ुसी होती हैं वहीं उसे हर पल राधिका का गम सता रहा था..... शाम को करीब 5 बजे राहुल वो डायरी लेकर अपने रूम में आता हैं और वो डायरी पढ़ना शुरू करता हैं... इस वक़्त निशा भी उसके बगल में बैठी हुई थी...
नोट- डायरी को मैं डीटेल में नहीं बताउन्गा..अगर वैसा किया तो कम से कम 20 ,या 25 अपडेट्स और लगेंगे.इसलिए मैं शॉर्ट्ली बताते जाउन्गा.और फिर से वहीं सारी बातें रिपीट होगी.....
******************लाल डायरी का ऱहश्य******************
राहुल जब डायरी का पहला पेज खोलता हैं तब उसमें राधिका ने वहीं तारीख लिखा हुआ था जब वो पहली बार राहुल से मिली थी कॉलेज कॅंपस में....वो धीरे धीरे एक एक पन्ने पलटता जाता हैं........डायरी का राज़ राधिका के शब्दों में.....................
मैं कितनी खुस थी जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी....उस पहली मुलाकात को तुम मुझे भा गये थे.... मैने तो कभी सोचा नहीं था कि मेरी तुमसे दुबारा कभी मुलाकात होगी....मगर किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था....मेरा आइ कार्ड ना वहाँ पर गिरता और उसे लेकर ना तुम मुझसे मिलने मेरे घर आते और ना तुमपर वो हमला होता.... सच कहूँ मैं तो लगभग चौंक गयी थी तुम्हें अपने घर पर देखकर...फिर जब उन हमलावर ने तुमपर हमला किया तब मेरे दिल पर क्या गुज़री इसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते... मैं अपनी भावनाओं को काबू नहीं कर पाई और मेरे दिल की बात जुबा तक आ गयी....और तुमने भी मुझे स्वीकार कर लिया....
तुम्हें पाकर मुझे ऐसा लगा की मुझे मेरी दुनिया मिल गयी....मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था...वक़्त बीतता गया और हमारे बीच दूरियाँ नज़दीकियों में बदलती गयी......फिर एक दिन मुझे पता चला कि निशा भी तुमसे ही प्यार करती हैं....और वो भी उस हद तक कि वो तुम्हारे बिन शायद जी नहीं पाएगी.... मेरे लिए यहाँ पर दोस्ती और प्यार में से मुझे किसी एक को चुनना था....मगर मैं दोनो को खोना नहीं चाहती थी... फिर मैने अपनी दोस्ती को चुना.....और तुमसे दूरियाँ बढ़ने लगी.....इस वजह से मैने अपने भैया के साथ जिस्मानी रिस्ता भी कायम कर लिया....ताकि मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ... और मैं तुम्हारी नज़रो में गिर जाऊ जिससे तुम मुझे छोड़ सको....
मैने ये बात कई बार तुम्हें बताने की कोशिश की मगर शायद मुझ में इतनी हिम्मत नही थी.....फिर मैने ये सब अपने नसीब पर छोड़ दिया.... तुम्हें भूलने के लिए मैने शराब को अपने गले लगाया...फिर भी मैं तुम्हें ना भुला सकी.....दिन रात मैं शराब पीती रहती और तुम्हें अपने दिल से निकालने की नाकाम कोशिश करती.... वक़्त बीतता गया और एक दिन निशा को मेरे भैया के रिस्ते का पता चल गया....वो तो मानो मुझपर बरस ही पड़ी...लेकिन मैने उसे अपनी कसम देकर रोक ली....फिर वो हुआ जो मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.....
एक रात मैं अपनी भैया के साथ सेक्स कर रही थी तभी बिहारी ने मेरे बापू को भड़का दिया और मेरे रिस्ते के बारे में उन्हें सारी बात बता दी....उस रात मेरे बापू ने मुझपर पहली बार अपना हाथ उठाया....फिर मैने उन्हें अपनी बीच संबंधो की वजह बताई...तब जाकर मेरे बापू को मुझ पर विश्वास हुआ.. मगर बिहारी से ये सब देखा नहीं गया... उसने मेरी जासूसी करने के लिए मोनिका नाम की लड़की को मेरे पीछे लगा दिया और मेरे भैया के बीच सारी सेक्स को रेकॉर्ड करके मुझे ब्लॅकमेलिंग करने की कोशिश की.....
मुझे अपनी फिकर नहीं थी मगर जब उसने तुम्हें और मेरे भैया बापू और निशा को अपना निशाना बनाया तब मैने अपने आप को उसके आगे समर्पण कर दिया....मैं अच्छे से जानती थी कि बिहारी मेरे साथ क्या करेगा मगर मुझे तुम्हारी खातिर सब मंज़ूर था.... फिर वो मुझसे एक दिन बिज्निस डील करने के वास्ते मुझे उसने बीच सड़क से उठवा लिया और मेरे साथ एक हफ़्ता गुजारने के लिए डील की....उसकी रखैल बनकर.... मगर मेरे पास कोई चारा भी नहीं था....मैने अपनों की खातिर अपने आप को उसके हवाल कर दिया...फिर वो एक दिन मेरे घर पर गाड़ी भिजवाया मुझे लेने के लिए....
मैं भी बिना किसी सवाल जवाब के उसके पास चली गयी और वो तुम्हारा बाहर भेजने के लिए हाइ कमॅंड से एक हफ्ते की दरख़्वास्त दी....बिहारी अच्छे से जानता था की तुम्हारे रहते वो मुझे छू भी नहीं सकता...इस वजह से उसने तुम्हें मुंबई भेज दिया...और मुझे अपने अड्डे पर बुला लिया.....वहाँ पर मेरी मुलाकात उस शख़्श से हुई जिसने तुमपर कई बार जान लेवा हमला करवाया था...जानना चाहते हो..कौन है वो सख्श है....विजय....तुम्हारा दोस्त....और उसके साथ जग्गा भी था..वही जग्गा जिसकी मैने कॉलेज कॅंपस में सब लोगों से उसकी पिटाई करवाई थी....
फिर इन सब ने मेरे साथ नन्गपन का खेल खेना शुरू कर दिया... बिहारी ने तो मेरे सामने ये तक शर्त रख दी कि वो मुझे दो घंटे में सिड्यूस करेगा....मगर यहाँ भी उन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया.. मेरे जूस में उनलोगों ने कोई दवाई मिला दी थी... फिर मेरे साथ ऐसे गंदे गंदे सवालों का सिलसिला शुरू किया जिसका जवाब मुझे उन्हें बेशर्मी के साथ देना पड़ता....उन सब ने मुझसे वो सब कुछ कहलवाया जो अच्छे घर की लड़की मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसे शब्द नहीं बोलेगी.... आख़िरकार मैं अपने जिस्म के आगे हार गयी और उनके सामने अपने घुटने टेक दिए....
फिर उन सब ने बारी बारी मेरे साथ सेक्स किया... और फिर एक साथ सबने मिलकर मुझसे सेक्स करते रहे.... एक समय पर मैं एक साथ तीन तीन मर्दों की प्यास बुझाती....मुझसे उनलोगों ने वो सब करवाया जो बड़ी से बड़ी रंडिया भी करने से कतराती हैं... मगर हर दर्द में मैने तुम्हें महसूस किया.... फिर एक दिन काजीरी नाम की औरत वहाँ आई और उसने मेरा सौदा 10 लाख में कर दिया... वो मुझे ऐसे दरिंदों के बीच ले गयी जहाँ इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर बिल्कुल नहीं थी....उस रात मेरे साथ 6 आदीमयों ने बहुत रफ सेक्स किया...जिसकी वजह से मेरी नसें फट गयी थी और मेरे शरीर से ब्लीडिंग होना शुरू हो चुका था....
मगर इनलोगो ने भी मुझ पर थोड़ी भी दया नहीं की...उसी हालत में मेरे साथ ये सब सेक्स करते रहें....और फिर जब एक हफ़्ता पूरा होने वाला था तभी विजय ने एक ऐसी घिनौनी चाल चली कि मैं अपनी ही नज़रो में हमेशा हमेशा के लिए गिर गयी.... उसने मेरे बापू के साथ धोके से सेक्स करवा दिया....मेरे आँखों में पट्टी बाँधा और उधेर मेरे बापू की आँखों में भी पट्टी बाँधकर हमे पूरी नंगी हालत में सेक्स करवाया गया.... जब मेरे बापू को ये बात पता चली. तब वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पायें और अपनी जान दे दी....मैं वैसे भी अब तक बहुत नीचे गिर चुकी थी.... इन सब ने मुझे हर रात ड्रग्स का इंजेक्षन दिया... अब तो मैं भी ड्रग्स की अडिक्ट बन चुकी थी... मुझे विश्वास था कि तुम मुझे अब किसी भी हाल में नहीं अपनाओगे.....और मैं ऐसे ज़िल्लत भरी ज़िंदगी जीना नहीं चाहती थी...इस वजह से मुझे अपने आप को ख़तम करना पड़ा......
मैं जानती हूँ कि जब तू मेरी डायरी पूरा पढ़ चुके होगे तब तुम्हें भी मुझसे नफ़रत हो जाएगी.... कि मैं कितनी गिरी हुई लड़की थी...लेकिन मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें ये सारी बातें अपने मूह से बता सकूँ... इस लिए मुझे इस डायरी का सहारा लेना पड़ा.... मेरे साथ जो भी हुआ मुझे उसका कोई दुख नहीं हैं पर सच तो ये हैं कि अब मैं तुम्हारी वो राधिका नहीं रही जिससे तुमने कभी प्यार किया था....बस इतनी ही कहूँगी कि तुम निशा का हाथ थाम लेना...वो तुमसे बहुत प्यार करती हैं...अगर उसे तुम ना मिले तो वो मर जाएगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम नहीं थे....बस हो सके तो मुझे माफ़ कर देना.......
डायरी पढ़ते पढ़ते इस वक़्त राहुल की आँखों में आँसू आ गये थे और वो ज़ोर से चीख पड़ता हैं...................................राधिका................
इस वक़्त राहुल बिल्कुल खामोश बैठा हुआ था...उसके हाथों में वही राधिका की डायरी थी.....और आँखों में आँसू....राहुल को ऐसा रोता हुआ देखकर निशा उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे चुप कराती हैं......थोड़ी देर बाद वो थोड़ा नॉर्मल होता हैं....
राहुल- आख़िर मुझे किस चीज़ की इतनी बड़ी सज़ा मिली...आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा .....आख़िर दोनो तरफ से हार मुझे ही मिली .....एक पल के लिए भी तुमने ये नहीं सोचा कि तुम्हारे बिना मैं कैसे जीऊँगा....शायद तुम मेरे प्यार को समझ नहीं सकी....मैने पहले भी तुमसे कहा था कि हमारा रिश्ता दिल का हैं ना कि जिस्म का.....मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुमने क्या किया....हां थोड़ा दुख ज़रूर हुआ....मगर इतना सब कुछ तुम अकेले सहती रही और मुझे कोई भी बात बताना ज़रूरी नहीं समझा....क्या मिला तुम्हें अपने आप को बर्बाद करके.....आख़िर क्यों किया तुमने ऐसा.... और राहुल वहीं ज़मीन पर बैठ जाता हैं.....
निशा- हिम्मत रखो राहुल...जो बीत गया अब उसे दुबारा तो वापस नहीं लाया जा सकता.....बेहतर यही है कि हमे आज के लिए कल को भूलना होगा....
राहुल-नहीं निशा मैं नहीं भूल सकता अपनी राधिका को...ऐसा कभी नहीं हो सकता...आज भी वो मेरे दिल में बसी हुई हैं....जिस दिन मेरा दम निकलेगा शायद उस दिन मैं अपनी राधिका को भुला पाउन्गा.....जीते जी तो ये संभव नहीं....
निशा फिर राहुल के एक दम करीब आती हैं और उसे वहीं खड़ा करती हैं और उसके आँखों से बहते हुए आँसू पोछती हैं.....पोलीस वाले होकर भी तुम आज इतना कमज़ोर बन रहे हो राहुल.....थोड़ा हिम्मत रखो.....जो सच हैं उसे बदला नहीं जा सकता....आज राधिका हम सब के बीच नहीं हैं...और यही सच हैं...
निशा- मैं समझ सकती हूँ राहुल इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी...जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी राधिका की कमी महसूस हो रही हैं....कब तक आपने आप को सज़ा दोगे....
राहुल झट से निशा के सीने से लग जाता हैं- आइ आम सॉरी निशा मैने गुस्से में आकर ना जाने तुम्हें क्या क्या कहा...और तुम्हें राधिका के मौत का भी ज़िम्मेदार बना डाला.....मैं क्या करूँ मैं खुद इतना डिस्टर्ब हो गया हूँ कि मुझे समझ नही आ रहा की क्या सही हैं और क्या ग़लत....
निशा- इट'स ऑल राइट राहुल....तुम थोड़ा हाथ मूह धो लो मैं तुम्हारे लिए खाना लेकर आती हूँ....फिर निशा किचन में जाकर राहुल के लिए खाना लाती हैं और उसे अपने हाथों से बड़े प्यार से खिलाती हैं...राहुल किसी बच्चे की तरह निशा के सामने बिहेव कर रहा था.....निशा को राहुल पर इस वक़्त बहुत प्यार आ रहा था.....वो थोड़ी देर में पूरा खाना ख़तम करता हैं....
रात के करीब 9 बजे राहुल अपने बिस्तेर पर आकर बैठ जाता हैं और निशा भी खाना खा कर वहीं उसके पास बैठ जाती हैं......निशा बड़े प्यार से राहुल को देख रही थी....और राहुल भी चुप चाप वहीं खामोश बैठा था.....तभी निशा उसके एक दम करीब आती हैं और राहुल के चेहरे के पास अपना फेस कर देती हैं...इस वक़्त निशा राहुल के इतने करीब थी कि वो राहुल की साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी.....निशा के इतने करीब होने से राहुल तुरंत उससे दूर हूट जाता हैं और वो बिस्तेर से उठकर वहीं खड़ा हो जाता हैं......तभी निशा भी वहीं राहुल के पास आती हैं और उसके पीठ पर अपना सीना रखकर उसे अपनी बाहों में ज़कड़ लेती हैं......
निशा की ऐसी हरकत से राहुल चौंक जाता हैं....और वो फिर से निशा के हाथों को अपने सीने से हटा देता हैं.....
निशा- क्या हुआ राहुल.....मुझसे कुछ ग़लती हो गयी क्या.....
राहुल- नहीं निशा ये ठीक नहीं हैं......
निशा- क्या ठीक नहीं हैं राहुल.....मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी बनना चाहती हूँ......मुझे हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लो.......आज मेरे तंन मन की प्यास बुझा दो राहुल.....मुझे प्यार करो राहुल.....बस प्यार....आज मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए.....
राहुल- होश में आओ निशा....कैसी पागलों जैसी बातें कर रही हो.......ये सब ठीक नहीं हैं....
निशा- गौर से देखो मुझे...क्या कमी हैं मुझ में....हां मानती हूँ कि मैं राधिका जैसी कभी नहीं बन सकती और ना ही मैं उसकी जगह ले सकती हूँ पर मैं भी तो तुम्हें बे-इंतेहाः प्यार करती हूँ.... मैने तुम्हारी खातिर कितने आँसू बहाए हैं....हर पल तुम्हें याद किया हैं..मुझे आज अपना बना लो राहुल नहीं तो मैं जी नहीं पाउन्गि....
राहुल झट से निशा के चेहरे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखता हैं- किसने कहा कि तुम में कोई कमी हैं....जितनी खूबसूरत मेरी राधिका थी तुम भी उतनी ही खूबसूरत हो....तुम्हारी जैसी लड़की तो किसी किस्मेत वाले को नसीब होगी.....लेकिन मैं तुम्हारी किस्मेत नहीं हूँ निशा......
निशा- मैं जी नहीं पाउन्गि राहुल तुमसे दूर होकर...अगर यकीन ना आए तो मेरी डायरी खुद ही पढ़ लो...तुम्हें यकीन हो जाएगा कि मैं तुमसे कितनी मोहब्बत करती हूँ....मैने हर एक लम्हा तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर वो पल उस डायरी में लिखा हैं....
राहुल- मैं जानता हूँ निशा....तुम मुझे बहुत प्यार करती हो..मगर शायद अभी मैं तुम्हें उस दिल में जगह नहीं दे पाउन्गा....अभी मुझे थोड़ा वक़्त और लगेगा......
निशा- मुझे मंज़ूर हैं राहुल....मैं इंतेज़ार करूँगी..... और फिर निशा झट से राहुल के सीने से लग जाती हैं...राहुल भी उसे अपनी बाहों में ले लेता हैं....निशा बड़े प्यार से राहुल के चेहरे को देखती हैं और अगले पल वो आगे बढ़कर धीरे से अपने होंठ राहुल के होंठो पर रख देती हैं और उसे बड़े प्यार से चूसने लगती हैं....राहुल भी कोई विरोध नहीं करता और चुप चाप अपनी आँखें बंद कर लेता हैं....धीरे धीरे निशा की धड़कनें बढ़ने लगती हैं और उधेर राहुल का भी वहीं हाल होता हैं......
निशा बड़े प्यार से अपने होंठो को राहुल के होंठो पर रखकर उसे चूसे जा रही थी....निशा फिर राहुल का हाथ अपने हाथों में लेती हैं और उसे पहले अपने लबों पर रख देती हैं और उसके हाथों की उंगलिओ को बारी बारी बड़े प्यार से चूसने लगती हैं.....राहुल निशा के किसी भी हरकतों का कोई विरोध नहीं करता.....और बड़े गौर से निशा की आँखों में देखता हैं....इस वक़्त निशा की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी......निशा फिर राहुल का हाथ धीरे धीरे पहले अपने गालों पर फिराती हैं और फिर उसके हाथो को नीचे की ओर ले जाने लगती हैं.....जो काम राधिका ने किया था आज वही काम निशा भी कर रही थी....आज इतिहास खुद को दोहरा रहा था...
निशा राहुल के हाथों को अपने कंधे से सरकाते हुए अपने सीने की ओर ले जाती हैं और कुछ ही लम्हों में वो अपने सीने पर राहुल का हाथ रख देती हैं...... और धीरे धीरे अपने हाथों पर अपना दबाव डालती हैं.....इस वक़्त राहुल निशा के बूब्स पर अपना एक हाथ रखा हुआ था और निशा उसके हाथों पर प्रेशर बना रही थी....तभी राहुल को कुछ याद आता हैं और वो तुरंत अपना हाथ वहाँ से हटा लेता हैं.....राहुल के ऐसे हटने से निशा चौंक जाती हैं......
राहुल- नहीं निशा मैने कहा था ना ...मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.... अभी मुझे थोड़ा वक़्त लगेगा.....मेरा ज़मीर इसकी इज़ाज़त नहीं दे रहा.....आइ आम सॉरी...
निशा भी कुछ नहीं कह पाती और वहीं राहुल के सामने चुप चाप खड़ी रहती हैं....आज उसकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे.... निशा को ऐसा रोता देखकर राहुल बेचैन हो जाता हैं...
राहुल- क्या हुआ निशा...तुम ठीक तो हो...तुम्हारी आँखों में आँसू.....बात क्या हैं..
निशा- नहीं राहुल कुछ नहीं...शायद मैं ही बहक गयी थी...अच्छा हुआ तुमने मुझे होश में ला दिया....
राहुल- नहीं निशा.... मैं समझ सकता हूँ कि इस वक़्त तुम्हारे दिल पर क्या बीत रही होगी... मगर मेरा तुमसे वादा हैं जब तक उन कुत्तों को मैं जान से नहीं मार दूँगा मैं चैन से नहीं बैठूँगा.....और ......
निशा- और क्या राहुल........
राहुल- और तुमसे शादी भी नहीं करूँगा......
निशा के चेहरे पर कई तरह से सवाल थे...उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो राहुल की बात से खुस होये या दुखी.....जो भी हो अब तो केवल इंतेज़ार ही उन्हें करना था....आने वाला वक़्त देखा ये था कि बिहारी ,विजय और ,जग्गा पर राहुल कौन सा क़हर बनकर टूटता हैं.
निशा के दिल में इस वक़्त हज़ारों सवाल उठ रहें थे मगर आज उसके किसी भी सवालों का जवाब उसके पास मौजूद नहीं था....वो तो बस यही सोच रही थी कि क्या कभी वो राधिका की जगह ले पाएगी.....अगर उसकी शादी राहुल से हो भी जाती हैं तो क्या राहुल उसे वो प्यार दे पाएगा जितना वो राधिका से करता था.........शायद नहीं....इन्ही सवालों में उलझी निशा के चेहरे पर परेशानी के भाव थे तभी राहुल की आवाज़ सुनकर वो अपने सोच से बाहर आती हैं.....
राहुल- तुम एक काम करो मेरे साथ अभी अपने घर चलो....
राहुल की बातो से निशा लगभग चौंक जाती हैं- तुम्हारे साथ .......अभी इस वक़्त......मगर क्यों???
राहुल- क्यों कि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से ये दुनिया तुम पर कोई उंगली उठाए....और शायद तुम यहाँ पर मेरे साथ रहोगी तो ऐसा हो भी सकता हैं की मैं कहीं बहक जाऊ.....और फिर कुछ ग़लत हो गया तो शायद मैं अपने आप को माफ़ नहीं कर पाउन्गा....
निशा- मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं राहुल.....कुछ ग़लत नहीं होगा...बिलिव मी.....
राहुल- नहीं निशा...ट्राइ टू अंडरस्टॅंड....मानता हूँ कि ये फ़ैसला मेरा था मगर ये हमारे लिए ही अच्छा होगा....निशा भी कुछ ज़्यादा बहस नहीं करती और चुप चाप राहुल के साथ उसकी गाड़ी में बैठ जाती हैं..और रात के करीब 10 बजे राहुल निशा को उसके घर ड्रॉप करता हैं.....
सुबेह राहुल सबसे पहले पोलीस स्टेशन जाता हैं और जाकर सबसे पहले ख़ान से मिलता हैं....
राहुल- ख़ान कुछ उन कमिनो का पता चला...कहाँ हैं वो तीनों....
ख़ान- ज़्यादा तो कुछ नहीं पर इतना कन्फर्म हैं कि वो तीनों इसी सहर में हैं....हम ने चारों तरफ से नाकाबंदी कर रखी हैं तो उनका इस सहर से बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता.......
राहुल- कहीं ऐसा तो नहीं कि हम ने नाकाबंदी करने में देर कर दी और वो तीनों इस सहर से बाहर.....
ख़ान- नहीं सर...ऐसा नहीं हैं....जब हम वहाँ पर पहुँचे थे तब उसके 1/2 घंटे पहले ही वो तीनों वहाँ से निकले थे...इतना कन्फर्म हैं कि मैने 1 घंटे के अंदर ही इस सहर में नाकाबंदी लगवा दिया था....
राहुल- ठीक हैं ख़ान....कहाँ पर हैं वो हरम्ज़्यादि काजीरी .....मैं उससे अभी मिलना चाहता हूँ.... फिर राहुल जैल के अंदर जाकर काजीरी से मिलता हैं... काजीरी जब राहुल को देखती हैं तब वो डर से वहीं सहम जाती हैं...
राहुल- कैसी है तू....लगता हैं रात भर सोई नहीं है ...देख तेरी आँखें कितनी लाल है...लगता हैं यहाँ पर तेरी खातिरदारी इन लोगों ने ठीक से नहीं की.....
काजीरी -मुझे जाने दो साहेब...जो कुछ मैं जानती थी मैने सब कुछ तो आप सब को बता दिया....अब क्या रह गया हैं....
राहुल- चिंता मत कर तुझे मैं छोड़ दूँगा मगर अभी नहीं कम से कम 5 साल के बाद.....ये बता बिहारी इस वक़्त कहाँ छुपा बैठा हैं....
काजीरी- मुझे नहीं मालूम साहेब....मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती....जैसे ही काजीरी ये बात ख़तम करती हैं तभी राहुल का एक करारा मुक्का उसके गालों पर पड़ता हैं और काजीरी के होंठों से खून निकल आता हैं....और वो दर्द से चीख पड़ती हैं.....
राहुल- अबकी बार सवाल नहीं पूछूँगा.....मुझे बस तेरा जवाब चाहिए...नहीं तो तेरी ऐसी सेवा करूँगा कि यहाँ से तू अपने चार कदमों से जाएगी....तेरी भलाई इसी में हैं कि जो कुछ जानती हैं सब कुछ बकती जा.....फिर धीरे धीरे काजीरी बिहारी के एक एक ठिकानों का पता बताती जाती हैं.....
राहुल- शाबाश!!!! अगर पहले ही सब कुछ बता दिया होता तो इतनी मार तो नहीं खानी पड़ती तुझे....चल अब यहाँ पर आराम से 5 साल मज़े करना.....और राहुल वहाँ से तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं....
राहुल- पोलीस फोर्स तैयार करो ख़ान....मैं डीजीपी सर से जाकर पर्मिशन लेकर आता हूँ.... करीब 1 घंटे बाद राहुल अपनी पोलीस फोर्स के साथ बिहारी को पकड़ने निकल पड़ता हैं....
ख़ान- सर उसे तो उमर क़ैद की सज़ा हम दिलवाएँगे.....सारी ज़िंदगी जैल में सडेगा तब साले को मालूम चलेगा.....
राहुल- नहीं ख़ान .....तुम ग़लत समझ रहे हो...मैं जानता हूँ बिहारी को ....हम कितना भी कुछ कर लें वो ज़्यादा से ज़्यादा एक हफ़्ता जैल में रह सकता हैं.....फिर वो कैसे भी छूट जाएगा और हम ज़िंदगी भर उसको अरेस्ट करते फिरेंगे..... इस बार उसे आरेस्ट नहीं करना हैं.....
ख़ान- अरेस्ट नहीं करना हैं ................मतलब????
राहुल फिर अपने जेब से एक काग़ज़ निकाल कर ख़ान को थमा देता हैं..ख़ान जब उस काग़ज़ को पढ़ता हैं तब उसके होश उड़ जाते हैं....
ख़ान- सर ये तो एनकाउंटर वॉरेंट हैं......यानी हमे उन तीनों का एनकाउंटर करना हैं.....
राहुल- हां ऐसे कुत्तों के लिए सिर्फ़ एक ही सज़ा हैं और वो हैं ...................मौत...
ख़ान- मगर हम ऐसा कैसे कर सकते हैं...ऐसा करने से तो इस सहर में हंगामा खड़ा हो जाएगा......पब्लिक और मीडीया वाले इसे बढ़ा चड़ा कर दिखाएँगे और उसे निर्दोष साबित करेंगे...और हमारी कितनी बदनामी होगी आपको इसका अंदाज़ा भी हैं....फिर हम क्या जवाब देते फिरेंगे उन सब को.....
राहुल- तुम उसकी चिंता मत करो...मैने डीजीपी सर से सारी बातें कर ली हैं..उन्होने ही मुझे इसकी पर्मिशन दी हैं....मगर इतना याद रख हमे उन तीनों को इस सहर से बाहर किसी ऐसी सुनसान जगह पर ये काम करना हैं.... और हां सबसे पहले तुम बिहारी के बारे में सारा डेटा कलेक्ट करो...कौन हैं उसका करीबी और किसके साथ उसका रोज़ का उठना बैठना हैं...और उसकी कमज़ोरी क्या हैं...सब कुछ इमीडीयेट्ली....फिर ख़ान वहीं लॅपटॉप में इंटरनेट के थ्रू बिहारी से सारी रिलेटेड जानकारी कलेक्ट करता हैं.....
करीब 2 दिन के बाद उसे बिहारी के खिलाफ पुख़्ता सबूत हाथ लगता है और जो जानकारी उसे हासिल होती हैं उससे राहुल भी चौंक जाता हैं.....इन दो दिनों में बिहारी का भी पता चल गया था......तीनों एक ही जगह पर इसी सहर में छुपे हुए थे.....राहुल ने जैसे ख़ान को कहा था ख़ान ने वैसा ही किया था......
राहुल- ख़ान सबसे पहले अगर हमे दुश्मनों का शिकार करना हैं तो उसे बिल से बाहर निकालना होगा....और ये काम तुम ही अंजाम दे सकते हो.....जैसे ही वो बाहर आए उसका सबसे पहले किडनप करवा लो और इस सहर के बाहर ले चलो...किसी हिल स्टेशन की तरफ जहाँ कोई आता जाता ना हो....फिर मैं बताउन्गा कि उन सब को कैसी मौत मारना हैं...और मैने तो सोच भी रखा हैं उन कुत्तों को कैसी मौत मिलनी चाहिए......
सबसे पहले ख़ान उसके ख़ास ख़ास आदमियों को अरेस्ट करता हैं और दो तीन लड़की सप्लाइ की बात उनके आदमियों से कहलवाता हैं......बिहारी तो लड़की मामले में कहाँ चुप बैठने वाला था....वो भी झट से अपने आदमी से मिलने की जगह और दाम तय कर लेता हैं.......फिर उस नंबर को ट्रेस किया जाता हैं और उसका लोकेशन पता लगाया जाता हैं.....और दूसरे दिन वो तीनों अपने बिल से बाहर निकते हैं.....उसी जगह......राहुल अपने आदमियों के साथ वाहन पर घात लगाए बैठा था......बिहारी जब अपने आदमियों को देखता हैं तब वो झट से उनसे मिलने आता हैं......
जैसे ही वो उन सब के करीब जाता हैं तभी लगातार 6 गोली चलती हैं और कुछ देर में बिहारी के तीनों आदमियों की लाश वहीं ज़मीन पर पड़ी मिलती है...ये सब देखकर बिहारी ,विजय और जग्गा भागने की कोशिश करते हैं मगर पोलीस चारों तरफ से उन्हें घेर लेती हैं..... और तभी तेज़ी से एक वॅन उनके पास आकर रुकती हैं....और उसमें 5,6 आदमी निकलते हैं और बिहारी ,जग्गा और विजय को झट से उठाकर उस वॅन में लेकर तेज़ी से वहाँ से निकल जाते हैं.....वहाँ दूर खड़ी पोलीस चुप चाप देखती रहती हैं...
इधेर बिहारी ,जग्गा, और विजय एक तरफ तो खुस थे कि वे पोलीस के हाथों बच गये ....मगर उनकी खुशी ज़्यादा देर तक नहीं रहने वाली थी... अभी भी उनसब के मन में ये सवाल उठ रहे थे कि ये वॅन वाले उन सब के दोस्त हैं या दुश्मन.....इस वक़्त उस वन में दो और लोग बैठे हुए थे मगर उनके चेहरे पर नक़ाब था....और वो दोनो बड़े गौर से बिहारी, जग्गा, और विजय को देख रहें थे....इस तरह से उन्दोनो का घूर्ना देखकर वो तीनों फिर से सहम जाते हैं......अगले ही पल वो दोनो अपना हाथ बढ़ाकर अपने चेहरे की ओर ले जाते हैं और वो नक़ाब को अपने चेहरे से अलग कर देते हैं....जब वो दोनो अपने चेहरे से नक़ाब हटाते हैं तब बिहारी ,जग्गा, और विजय को ऐसा झटका लगता हैं जैसे किसी ने उनके शरीर से पूरा खून निचोड़ लिया हो....और हैरत से उन सब की आँखें फटी रह जाती हैं.
उस वन में राहुल और ख़ान बैठे हुए थे......राहुल और ख़ान को अपने सामने बैठा हुआ देखकर उन तीनों के होश उड़ जाते हैं....
बिहारी-राहुल.....त....उ.....तुम????
राहुल- मैं नहीं बिहारी अपनी मौत बुला मुझे......तूने क्या सोचा था कि तू मुझसे बच जाएगा...अगर तू पाताल में भी जाकर छुप जाता तो भी मैं तुझे वहाँ से ढूँढ निकालता....राहुल के मूह से इस तरह की बातें सुनकर उन तीनों का डर से गला सूखने लगता हैं....
थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी सहर से दूर एक सुनसान घाटी के पास जाकर रुकती हैं....फिर राहुल उन सब को एक एक कर बाहर निकलने को कहता हैं...और तभी ख़ान उनके पीछे जाकर उन तीनों के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.....इस वक़्त तीनों एक साथ लाइन से खड़े थे और उनके हाथों में वो हथकड़ी बँधी हुई थी....उनके चेहरे पर मौत का डर सॉफ छलक रहा था.....
राहुल तभी अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और उनके सामने वो रेवोल्वेर तान देता हैं....ये नज़ारा देखकर तीनों की डर से हालत खराब हो जाती हैं....
राहुल- चिंता मत करो मैं तुम्हें गोली नहीं मारूँगा......अगर तुम्हें इतनी आसान मौत दे दूँगा तो मुझे खुद अपने आप पर पछतावा होगा कि मैने ऐसा क्यों किया.... आख़िर तुम्हें भी तो एहसास होना चाहिए कि दर्द क्या होता हैं....जो तुम लोगों ने मेरी राधिका को दिया था.....उसके एक एक आँसू का तुमलोगों से मैं हिसाब लूँगा....फिर राहुल अपने जेब से अपना पर्स निकाल लेता हैं और उसमें राधिका की फोटो थी ....वो उन तीनों के सामने अपना पर्स रख देता हैं...
राहुल- गौर से देखो इसे.....क्या कसूर था इस मासूम का जो तुमलोगों ने इसके साथ ऐसा सुलूख किया.....यही ना कि वो खूबसूरत थी ...शायद आज मेरी राधिका की खूबसूरती ही उसकी मौत की वजह बन गयी.....जब तक तुम जैसे दरिंदे रहेंगे तब तब हर मासूम लड़की के साथ ऐसा हमेशा होता रहेगा....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात पहले बिहारी और फिर जग्गा और विजय के पेट पर मार देता हैं...दर्द से वो तीनों वहीं घुटनों के बल बैठ जाते हैं......
राहुल- बहुत घमंड था ना तुझे अपनी सत्ता और अपनी पॉवर का...उखाड़ ले जो उखाड़ना हैं....ज़रा मैं भी तो देखूं कि तू क्या कर सकता हैं.....फिर राहुल अपनी जेब से वो वॉरेंट निकालकर उनके सामने रख देता हैं.....गौर से देखो इस पेपर को.....ये तुम लोग की मौत का वारंट हैं.....और अब तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे तुम लोग को उपर पहुँचाने से नहीं रोक सकती......
बिहारी- हमे जो सज़ा देनी हैं दे दो राहुल हमे सब मंज़ूर हैं मगर प्लीज़ हमे जान से मत मारो......मैं उमरक़ैद की सज़ा भी काटने को तैयार हूँ....
तभी राहुल फिर से एक ज़ोर की लात बिहारी के पेट पर मारता हैं और बिहारी के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं....
राहुल- बहुत डर लग रहा है तुम्हें आज अपनी मौत को सामने देखकर.....मरना तो तुम सबको हर हाल में हैं....अगर आज मैने तुम सबको छोड़ दिया तो शायद मेरी राधिका भी मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी....और अब मैं अपनी राधिका की आत्मा को और दुख नहीं पहुँचाना चाहता.....तभी दो तीन लात और राहुल बिहारी के पेट और पीठ पर जड़ देता हैं......और बिहारी फिर से चीख पड़ता हैं......
राहुल- बोल क्यों किया तूने ऐसा.....मुझे जवाब दे.....क्यों तूने कृष्णा और बिरजू को फँसाया.....क्यों उसकी आड़ लेकर मेरी राधिका को ब्लॅकमेलिंग की...क्यों तूने उसके साथ हवस का गंदा खेल खेला.....अरे इंसान तो इंसान जो सुलूख तुम लोगों ने मेरी राधिका के साथ किया हैं वो तो कोई दुश्मन भी नही कर सकता......बरसों से उनकी वफ़ादारी का क्या इनाम दिया हैं तुमने.....बिरजू की ही बेटी को अपनी रखैल बनाया....और तो और उसे मार्केट में भी भेज दिया ...दरिंदों के बीच.....और तूने तो अपनी कमिनेपन की हद्द ही कर दी ........एक बाप को अपनी ही बेटी के साथ सेक्स करवा डाला.....तूने तो एक बाप और बेटी के बीच रिश्तों के मायने ही बदल डाले....उनके बीच पवित्र रिश्तों को हमेशा के लिए कलंकित कर डाला...अरे तेरे से अच्छे तो जानवर हैं कम से कम वो वफ़ादारी के बदले वफ़ादारी तो निभाते हैं.....लेकिन तू तो उन सब से भी गया गुज़रा हैं....इंसान की खाल में तू तो भेड़िया हैं....
तभी ख़ान भी अपने गुस्से को नहीं रोक पाता और एक करारी लात बिहारी के पेट पर जड़ देता हैं....बिहारी वहीं दर्द से बैठ जाता हैं......
फिर राहुल विजय के पास जाता हैं और एक करकरा लात विजय के पेट पर जड़ देता हैं...विजय वहीं दर्द से बैठ जाता हैं....
राहुल- तूने तो कमाल की दोस्ती निभाई....भगवान ना करे कि तेरे जैसे दोस्त किसी को भी मिले.....मेरे साथ रहकर मेरी ही पीठ पीछे तू मेरी दोस्ती का फ़ायदा उठाता रहा....और मैं तुझपर आँख बंद कर विश्वास करता रहा.....काश मैने राधिका की बात बहुत पहले मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता....मैं तो खुद हैरान हूँ कि मैने तुझे पहचाने में इतनी बड़ी भूल कैसे कर दी....आज तो मुझे शरम आती हैं तुझे अपना दोस्त कहते हुए.....और इतना कहकर राहुल एक ज़ोर का लात फिर से विजय के पेट पर मार देता हैं.....तभी ख़ान भी दो तीन लात विजय के उपर बरसाता हैं और विजय की चीखें इन वादियों में गूँज उतती हैं....
फिर वो जग्गा के पास जाता हैं और उसे भी एक ज़ोर का लात उसके पेट पर जड़ देता हैं....मैने सच में भूल की तुझे पहचानने में.....अगर उसी दिन मैं तुझे राधिका को छेड़ते हुए तेरे उपर कोई कड़ा आक्षन लिया होता तो तेरे जैसे दो टके गुंडे की ये मज़ाल नहीं होती कि तू मेरी राधिका को आज छू भी पाता.....इन्ही हाथों से तूने उसे छुआ था ना...फिर राहुल एक ज़ोर का लात उसके हाथों पर मारता हैं और जग्गा वहीं दर्द से चीख पड़ता हैं.