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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#49
Update 42


राधिका- अब तो तुम्हें सुकून मिल गया होगा... यही चाहते थे ना तुम... सच में तुम्हारे अंदर ज़रा भी इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं हैं.. तुमसे अच्छे तो जनवार होते हैं कम से कम वो अपने मालिक का हक़ तो अदा करते हैं ..तुमलोग तो उन सब से भी गये गुज़रे हो... आज इन सब के ज़िम्मेदार तुम सब हो....


मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगी....अब तुम्हें मेरी हाय लगेगी.. देख लेना बिहारी तू भी ऐसे ही एक दिन तडपेगा... वो देख रहा हैं उपर से सब कुछ..देख लेना उसकी लाठी में आवाज़ नहीं होती.... जैस दिन उसकी लाठी तेरे उपर बरसेगी उस दिन तू अपनी मौत की भीख माँग रहा होगा. मगर तुझे इतनी आसानी से मौत भी नहीं मिलेगी....उस दिन तुझे मेरी कही हुई एक एक बातें याद आएँगी...मगर सिवाय पस्चाताप के तुझे कुछ हासिल नहीं होगा...उस दिन तुझे समझ में आएगा कि बद-दुवा क्या होती हैं.....


क्या मिला तुझे ये सब करके.. तुमने जो कुछ बोला वो सब मैने किया.. जहाँ बोला वहाँ मैं गयी.. जिसके साथ तुमने मुझे सोने को कहा मैने बिना कुछ कहे ना किसी विरोध के..ये भी नहीं पूछा कि मेरा वे लोग क्या हश्र करेंगे.... फिर भी मैं उसके साथ सोई.. मगर तुझे इससे भी चैन और सुकून नहीं मिला... आज तेरी वजह से मैं आज पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हूँ.. और इस समाज़ में और इस दुनिया की नज़रो में मैं सिर्फ़ एक रंडी बनकर रह गयी हूँ...


आज तो तूने मुझे मेरे राहुल के लायक भी नहीं छोड़ा....तू क्या समझता हैं कि मैं अपने भैया का बिस्तेर गरम कर रही थी तो इसके पीछे क्या मेरी जिस्म की भूक थी...अरे तू क्या जाने कि प्यार किसे कहते हैं... मैने सिर्फ़ अपने आप को इसलिए उनके हवाले किया कि कम से कम मैं बर्बाद होकर भी उन्हें आबाद कर सकूँ..... मगर तूने तो मेरे समर्पण को एक नयी परिभाषा दे डाली.. और मेरे भैया को बेहन्चोद का नाम दे दिया....


प्यार का दूसरा नाम समर्पण होता हैं... मगर तेरा प्यार में सिर्फ़ लालच और हवस हैं... तू क्या जाने जब तेरी सती जैसी बीवी तेरी ना हो सकी तो दुनिया की कोई औरत तेरी नहीं हो सकती.. खूब दिया तूने भी उसे इनाम.... उसकी सच्चे प्यार के बदले उसी को मौत के घाट उतार दिया... तू किसी का नहीं हो सकता बिहारी...........किसी का नहीं...


अब तो राहुल भी मुझे कभी किसी हाल में नहीं अपनाएगा... और मैं खुद नहीं चाहती कि अब मैं उससे शादी करूँ.. क्यों की मैं उसे किसी की नज़रो में गिरता हुआ नहीं देख सकती.... और अगर राहुल ने मुझे अपना भी लिया तो ये समाज़ हर पल उससे ये एहसास दिलाता रहेगा कि उसकी बीवी कितनों के साथ मूह काला कर के आई हैं...और मैं नहीं चाहती कि मेरे राहुल को मेरी वजह से कभी झुकना पड़े...मगर मुझे उसका कोई गम नही हैं.. मैं तो खुद उसकी ज़िंदगी से दूर जाना चाहती थी.... मगर आज तूने तो मुझे मेरी ही नज़रो में गिरा दिया... और जब इंसान खुद की नज़रो में गिर जाता हैं तो वो कभी जी नहीं पाता.. आज तो मेरे पास भी मरने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा हैं.. तू चिंता मत कर बिहारी मैं तेरे जैसी निर्दयी और स्वार्थी नहीं हूँ मरते वक़्त भी तुझपर इल्ज़ाम नहीं आने दूँगी....

बिहारी की आँखों में इस वक़्त आँसू आ गये थे राधिका की बातो को सुनकर..आज उसके अंदर भी पस्चाताप हो रहा था मगर आब बहुत देर हो चुकी थी.....

बिहारी अपने दोनो हाथों को जोड़ कर राधिका के सामने खड़ा हो जाता हैं और अपना सिर झुका लेता हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका .. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी.. शायद मैं तेरे प्रति निस्वार्थ प्रेम को समझ नहीं सका और हवस ने मुझे अँधा बना दिया था...

राधिका- माफी.............अब ये पाप मुझसे मत करने को बोल बिहारी... मैं तुझे कभी माफ़ नहीं कर सकती... अगर आज मैने तुझे माफ़ कर दिया तो मेरे दिल में एक दर्द हमेशा के लिए चुभेगा कि मैने ऐसा क्यों किया... बहुत घमंड हैं ना तुझे अपनी पॉवर और सत्ता पर देख लेना.. जब ये बात मेरे राहुल को पता चलेगी तो वो तेरी लंका एक दिन पूरा बर्बाद कर देगा और तेरा भी वजूद इस दुनिया से मिटा देगा... वो तुझे कभी नहीं छोड़ेगा...

अभी भी तेरे पास मौका है भाग जा और जाकर कहीं छुप जा वरना वो आ गया तो तेरा क्या हाल करेगा तू इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकता.. मुझसे बेहतर तू नहीं जानता होगा राहुल को......फिर वो विजय की ओर देखते हुए कहती हैं- और तू तो उसका दोस्त हैं ना... तेरे जैसे गद्दार दोस्त से तो अच्छा होता कि उसका कोई दोस्त ही ना रहता... तू तो जिस थाली में ख़ाता हैं उसी में छेद करता हैं.. जब तेरी असलियत पता चलेगी तब देखना राहुल तेरा भी क्या हाल करेगा....

विजय उसका हाथ पकड़कर उसे दूसरे कमरे में ले जाता हैं- चल यार यहाँ से अब निकलते हैं.. वो सही कह रही हैं अगर वो यहाँ आ गया तो हमारी बॅंड बजा देगा... तभी बिहारी को कुछ याद आता हैं और वो अलमारी की ओर बढ़ता हैं और जाकर अलमारी में से राधिका की सारी ब्लू फिल्म्स की सीडीज़, डीवीडी, और पेनड्राइव वहीं हाल में फर्श पर रख देता हैं फिर वहीं केरोसिन का तेल उसपर गिराकर वो वहीं माचिस से आग लगा देता हैं... थोड़ी देर में वो सारी फिल्म्स जलने लगती हैं और फिर वो राधिका के पास जाता हैं और अपने दोनो हाथों को जोड़ कर वो तेज़ी से बाहर निकल जाता हैं.... और साथ ही साथ विजय भी उसके साथ निकल जाता हैं.....

इस वक़्त राधिका अभी भी अपने बापू के पास रो रही थी वहीं फर्श के पास और उसकी नज़रो के सामने उसकी सारी फिल्म्स बिहारी ने जला दिया था.... आज इस हवस की वजह से राधिका की ज़िंदगी पूरी तरह से उजड़ चुकी थी देखना ये था कि आने वाला वक़्त उसे अब किस मोड़ पर ले जाने वाला था.

अभी राहुल को वहाँ पहुँचने में करीब 1/2 घंटे का समय तो लगना ही था...अभी भी राधिका अपने बापू के पास चुप चाप वहीं बैठी सिसक रही थी... बिरजू का जिस्म पूरा ठंडा पड़ चुका था.... तभी थोड़ी देर में दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और शंकर काका अंदर आते है और जब उनकी नज़र कमरे में पड़ती हैं तो उन्हें एक गहरा दुख होता हैं.. चौंके तो वे इसलिए नहीं थे क्यों कि उनको इस बात का अंदाज़ा पहले से था कि ऐसा ही कुछ अंजाम इसका होगा.....इस बात का अंदाज़ा उन्हें पहले से था. जिस बात का उन्हें डर था वहीं हुआ... वो धीरे धीरे अपने कदमों को बढ़ाते हुए राधिका के पास आते हैं और वहीं उसके बाजू में बैठ जाते हैं और राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देते हैं...

इस तरह से शंकर काका को अपने पास महसूस करते ही राधिका वहीं उनके कंधे पर अपना सिर रखकर फुट फुट कर रोने लगती हैं.... शंकर काका बड़े प्यार से उसके सिर पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे थोड़ी हिम्मत देते हैं...


शंकर- चुप हो जा बेटी.. जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ... मैने बिहारी को पहले भी समझाया था मगर वो मेरी बात नहीं माना.. मैं जानता था कि इसका परिणाम बहुत भयानक होगा... अगर बिहारी ने आज मेरी बात मान ली होती तो ऐसा अनर्थ कभी ना होता.....आज उसने बाप बेटी के बीच के पवित्र रिस्ते को हमेशा हमेशा के लिए कलंकित कर दिया.... और यही सदमा बिरजू नहीं सह पाया और इसी वजह से उसने आज जान दी... मैं अच्छे से जानता हूँ कि बिरजू ऐसा नहीं था.... उसने कभी तेरे बारे में ग़लत नहीं सोचा और हमेशा तेरी भलाई चाही.....अगर इसकी जगह आज मैं होता तो मैं भी यही करता जो बिरजू ने किया हैं....खैर जो हुआ बेटी उसे तो वापस लाया नहीं जा सकता...

राधिका कुछ नहीं कहती और बस एक टक शंकर काका को देखने लगती हैं... आज उसकी आँखें पूरी तरह से लाल थी...वो थोड़ी देर तक कुछ सोचती हैं फिर वो थोड़ी हिम्मत करके शंकर काका से कहती हैं...

राधिका- काका मुझे थोड़ा बाथरूम तक सहारा दे दीजिए.... मेरे जिस्म से इस वक़्त बहुत ब्लीडिंग हो रही हैं.. मुझे इस वक़्त चलने में भी बहुत तकलीफ़ हो रही हैं... अगर आप वहाँ तक मुझे सहारा देंगे तो मुझे अच्छा लगेगा.... राधिका की बातें सुनकर शंकर काका वहीं राधिका के बाजू को पकड़कर उठाते हैं और उसे अपनी गोद में अपने दोनो हाथों से उठाकर बाथरूम की ओर ले जाते हैं... ये देखकर राधिका बोल पड़ती हैं- काका आप मुझे नहीं उठा पाएँगे... अब आप बूढ़े हो चुके हैं.. बस मुझे सहारा दे दीजिए.. मैं चली जाउन्गि.....

शंकर- नहीं बेटी..... आज भी इन बूढ़े हाथों में वो ताक़त बाकी हैं.. तू फिकर मत कर.... फिर शंकर काका उसे बाथरूम की ओर ले जाते हैं....और वहीं दरवाज़े के पास राधिका को उतार देते हैं....

राधिका-काका ज़रा मेरी डायरी मुझे देंगे...

शंकर काका वहीं उसके बॅग से वो डायरी लेकर आता हैं और राधिका को वो डायरी थमा देता हैं... राधिका वहीं फर्श पर बैठ कर वो डायरी लिखने बैठ जाती हैं... ये देखकर शंकर काका की आँखें नम हो जाती हैं...

शंकर- बेटी तू ऐसा क्या लिखती रहती हैं इस डायरी में हर रोज़.....

राधिका- एक ये ही तो मेरा सहारा हैं काका ... जिसमें मैं अपनी यादें और अपना दुख सुख लिखती हूँ...जो पल मैने बिताए अच्छा बुरा.... सब कुछ... अब तो ये डायरी मेरी ज़िंदगी बन चुकी हैं....

शंकर- बेटी तू यहीं पर आराम कर और थोड़ा फ्रेश हो जा.. मैं तेरे लिए दवाई और कुछ नाश्ता वगेराह लेकर आता हूँ.... फिर मैं तुझे थोड़ी देर में अस्पताल ले चलूँगा... तू फिकर मत कर बेटी तू बिल्कुल ठीक हो जाएगी...

शंकर की बातो से राधिका थोड़ा सा मुस्कुरा देती हैं- नहीं काका रहने दीजिए.. अब मलहम पट्टी करने से अब कोई फ़ायदा नहीं होगा.. जो घाव मेरे दिल में हैं उसका इलाज़ तो दुनिया के किसी भी डॉक्टर के पास नहीं है... बस एक बात आपसे कहनी थी अगर आपको बुरा ना लगे तो....

शंकर- बोलो बेटी मैं तुम्हारी बातो का भाल बुरा क्यों मानूँगा.... आख़िर तू भी तो मेरी बेटी जैसी हैं....

राधिका अपने हाथों में से राहुल की दी हुई वो हीरे की अंगूठी निकाल लेती हैं और फिर शंकर काका को थमा देती हैं..... शंकर काका उसे हैरत से देखने लगते हैं- काका राहुल अभी शायद थोड़ी देर में यहाँ पर आने वाला हैं...मैने उनलोगों के मूह से ऐसा कहते सुना था.... मैं चाहती हूँ कि आप ये मेरी डायरी और ये अंगूठी उसे सौंप दें....और ये भी मेरे राहुल से कहना कि मैं अब उसके लायक नहीं रही.... इन सब ने मिलकर मुझे गंदा कर दिया है.....इस डायरी में मैने वो सब कुछ लिखा हैं जो अब तक मेरे साथ होता आया हैं.... मेरे राहुल से कहना कि मैने उसका हर पल हर घड़ी इंतेज़ार किया है....हर एक लम्हा उसकी याद में मैं तड़पति रही.....मगर शायद उसी ने आने में बहुत देर कर दी... अब तो सब कुछ ख़तम हो गया..... सब कुछ ख़तम...... काका.....

शंकर राधिका के मूह से ऐसी बातो को सुनकर वो सवाल भरी नज़रो से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नहीं बेटी तुझे कुछ नहीं होगा.... तू चिंता मत कर आज बिरजू नहीं हैं तो क्या हुआ अब से मैं तेरा बाप हूँ. और मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगा.. एक बेटी को तो मैने खो दिया मगर अब तुझे नहीं खोने दूँगा... तू चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा.......

राधिका- काका मुझे थोड़ी देर अकेला छोड़ दो.. मैं थोड़ी देर अकेले रहना चाहती हूँ....आप जाकर मेरे लिए कुछ नाश्ता वगेरह बना कर ले आयें... फिर मैं आपके साथ चलूंगी............

शंकर काका एक नज़र बड़े प्यार से राधिका को देखते हैं फिर वो अपना हाथ राधिका के सिर पर फेरते हैं और वहाँ से उठकर किचन की तरफ चले जाते हैं.... इस वक़्त भी राधिका के हाथों में वो डायरी और अंगूठी थी....फिर से राधिका वो डाइयरी खोलती हैं और तुरंत लिखने बैठ जाती हैं और करीब 10 मिनिट में वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं... फिर वो अपनी दोनो डायरी (एक निशा की और एक अपनी ) और साथ ही अंगूठी भी वहीं रख कर वो खड़ी होती हैं... फिर वो दीवार के सहारे लेकर खड़ी होती हैं और बाथरूम की ओर जाती हैं... जैसे ही वो बाथरूम में घुसती हैं उसकी नज़रें कुछ तलाश करने लगती हैं.

कुछ देर के बाद राधिका की आँखे चमक जाती हैं जब उसे वो चीज़ दिखाई देती हैं....वो फिर धीरे धीरे आगे बढ़कर उस चीज़ को अपनी हाथों में लेती हैं और बड़े गौर से उसे देखने लगती हैं.... उसके चेहरे पर हल्की सी मायूसी थी...... इस वक़्त राधिका के हाथों में एक फिनायल की शीशी थी...थोड़ी देर के बाद उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं.....

राधिका- मुझे माफ़ कर देना राहुल.... आज मेरे पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा... सिवाए आत्महत्या करने के....आज तुमने आने में बहुत देर कर दी.... मैं तुम्हारा हर पल हर घड़ी इंतेज़ार करती रही और इन सब का जुर्म हंसकर सहती रही...मगर शायद मेरी इंतेज़ार अब यहीं पर ख़तम होगी....शायद मेरी किस्मेत में तुम्हारा प्यार नहीं था...आज इन सब ने मुझे पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं.. और मैं अपने पाप का भागीदार तुम्हें नहीं बनाना चाहती...जो कुछ मेरे साथ हुआ उसका मुझे दुख नहीं .....बल्कि दुख तो इस बात का हैं कि तुमने मुझे जिस लायक समझा था अब मैं उस लायक नहीं रही.. मैने अपनी पवित्रता खो दी हैं..... मुझे माफ़ कर देना.... अब तो मैं अपनी निशा के रास्ते में भी नहीं आउन्गि....और तुम को अब उससे अच्छी बीवी और कोई मिल ही नहीं सकती.. हो सके तो अपनी राधिका को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाना.... आइ आम सॉरी राहुल.... आइ आम सॉरी.....


और राधिका फिर वो फिनायल की शीशी का ढक्कन खोलती हैं और अपनी आँखे बंद करके वो उस फिनायल को अपनी होंटो से लगा लेती हैं और धीरे धीरे वो उस बॉटल में रखा ज़हर अपने हलक के नीचे उतारना शुरू करती हैं.... बर्दास्त तो उसे बिल्कुल नहीं होता मगर फिर भी वो एक एक घूँट पीती जाती हैं और तब तक नहीं रुकती जब तक कि वो शीशी पूरी ख़तम नहीं हो जाती... फिर वो वही बॉटल को फर्श पर रख देती हैं और बाथरूम से बाहर निकल आती हैं और वहीं फर्श पर आकर बैठ जाती हैं.... इस वक़्त उसकी ब्लीडिंग और साथ ही साथ वो ज़हर धीरे धीरे अब अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.... और राधिका वहीं अपनी आँखे बंद कर के फर्श पर बैठ जाती हैं.......

करीब 10 मिनिट के बाद शंकर काका अपना काम पूरा ख़तम करके उसके पास आते हैं और राधिका को वहीं फर्श पर आँखे बंद किए बैठा देखकर वो उसके करीब आकर वो भी वहीं ज़मीन पर बैठ जाते हैं और उसके सिर पर अपने हाथ बड़े प्यार से फिरते हैं... मगर राधिका इस बार आनकिएं नहीं खोलती... शंकर काका थोड़ा उसको आवाज़ देकर उसके बाज़ू को हिलाते हैं मगर राधिका कोई जवाब नहीं देती... शंकर काका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं.. तभी उनके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो दौड़ कर बाथरूम की ओर जाते हैं... और जब उनकी नज़र फर्श पर फिनायल की खाली शीशी पर पड़ती हैं तब उनका डर हक़ीकत में बदल जाता हैं.... वो समझ जाते हैं कि राधिका ने ज़हर पी लिया हैं......

वो तुरंत उसके पास जाते हैं और उसके गालों पर अपना हाथ फेरते हैं और उसे उठाने की कोशिश करते हैं मगर राधिका की आँखे इस वक़्त भी बंद थी...... तभी शंकर काका ज़ोर से उसे झटका देते हैं और इस बार राधिका अपनी आँखें खोल लेती हैं.....

शंकर- क्यों किया तुमने ऐसा... आख़िर तुम्हें मुझपर भरोसा नहीं था ना.. इस लिए तुमने वो फिनायल पी ली...

राधिका बस एक नज़र शंकर काका को देखती हैं - काका मुझे माफ़ कर दो.. अब मेरे जीने की कोई वजह नहीं बची थी... इसलिए मुझे ये कदम उठाना पड़ा..........आइ अम फिनिश काका!!! आइ अम फिनिश!!! और इतना कहकर राधिका की आँखें एक बार फिर से बंद हो जाती हैं ....

राधिका की हालत को देखकर शंकर काका की आँखों में आँसू आ जाते हैं..... वो भी वहीं राधिका के पास बैठे हुए थे... शंकर काका राधिका का सिर अपने गोद में रख लेते हैं और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपना हाथ फ़िराते हैं.... करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ पर पहुँचता हैं...कमरे में सभी पोलीस वाले एक एक कर सारे सामानों की तलाशी लेते हैं और राहुल राधिका को खोजते हुए इधेर उधेर फिरता रहता हैं.... आख़िरकार उसकी प्यासी नज़रो को उसका प्यार मिल ही जाता हैं और जब राहुल की नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो वो लगभग चीखते हुए वो दौड़ कर राधिका के पास आता हैं...इस वक़्त भी शंकर काका उसे अपनी गोद में लिए हुए थे...वो तुरंत राधिका के करीब आता हैं और राधिका को झट से अपनी बाहों में ले लेता हैं..... वहीं शंकर काका भी बैठे हुए थे.. और उनकी आँखों में आँसू थे....


शंकर काका इस वक़्त राधिका को अपनी गोद में लिए चुप चाप बैठे हुए थे...आज उनके आँखों में आँसू थे.... वो भी अब राहुल के आने का इंतेज़ार कर रहें थे....करीब 15 मिनिट के बाद राहुल अपनी टीम के साथ वहाँ एंटर होता हैं और उसके साथ के सभी पोलीस वाले कमरे की तलाशी एक एक कर लेना शुरू करते हैं....

थोड़ी देर बाद उन्हें बिरजू की लाश मिलती हैं....मगर वहाँ उन्हें और कोई दिखाई नहीं देता... और इधेर राहुल की नज़र जब राधिका पर पड़ती हैं तब एक पल के लिए उसके दिल में खुशी की लहर उठती हैं मगर अगले पल जब राधिका की हालत पर उसकी नज़र जाती हैं तब उसे एक गहरा धक्का लगता हैं.... वो लगभग चीखते हुए वहीं राधिका के पास आता हैं और उसे झट से अपनी गोद में ले लेता हैं... शंकर काका भी वहीं फर्श पर बैठे हुए थे....

राहुल राधिका को झंझोड़ते हुए उठाता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती... इस वक़्त उसके शरीर में वो ज़हर धीरे धीरे फैल चुका था....

राहुल- अपनी आँखें खोलो राधिका... देखो तुम्हारा राहुल आया हैं....मैं जानता हूँ कि मुझे यहाँ आने मैने बहुत देर कर दी मगर अब मैं आ गया हूँ अब सब ठीक हो जाएगा.....राहुल बार बार उसे उठाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका अपनी आँखें नहीं खोलती....

राहुल- क्या हुआ हैं इसे.... ये अपनी आँखे क्यों नहीं खोल रही.... सब ठीक तो हैं ना... और राहुल की आँखों में आँसू आ जाते हैं...

शंकेर- बेटा तुमने आने में बहुत देर कर दी...अब ये कभी नहीं उठेगी.....

शंकर की ऐसी बातो को सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं- क्या.....क्या कहा आपने.. नहीं उठेगी.... मगर क्यों... ऐसा क्या हुआ हैं मेरी राधिका के साथ..... मैं अपनी जान को कुछ नहीं होने दूँगा.....

शंकर- इस वक़्त बेटा मैं तुम्हें ये सब नहीं बता सकता कि इसके साथ क्या हुआ हैं... मगर इतना जान लो कि जो कुछ भी इस बच्ची के साथ हुआ बहुत बुरा हुआ.... अभी ये सब जानने का समय नहीं हैं... बेहतर यही होगा कि तुम इसे जल्दी से जल्दी अस्पताल लेकर जाओ.... इसने ज़हर पी लिया हैं...


राहुल- क्या??? ज़हर.. मगर क्यों??? नहीं ऐसा नहीं हो सकता.... मेरी राधिका इतनी कमज़ोर नहीं हो सकती कि वो ख़ुदकुशी करेगी.....

तभी कमरे में ख़ान आता हैं और वो बिरजू के बारे में उससे बताता हैं... ख़ान की बातें सुनकर राहुल के होश उड़ जाते हैं....

तभी राहुल तुरंत राधिका को अपनी गोदी में उठाता हैं और वो तेज़ी से राधिका को लेकर बाहर की ओर निकल पड़ता हैं.. शंकर काका तो उससे बहुत कुछ कहना चाहते थे मगर उन्हें लगा कि ये सही समय नहीं हैं कि कोई बात कही जाए.... इस लिए वो चुप हो जाते हैं...

ख़ान- सर मैने आंब्युलेन्स के लिए फोन कर दिया हैं. आंब्युलेन्स जल्दी ही आती होगी...

राहुल- नहीं ख़ान..हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं हैं. आंब्युलेन्स के आने में कम से कम 1 घंटा तो लगेगा ही.. और तब तक पता नहीं क्या हो जाएगा.. तुम एक काम करो जल्दी से जीप निकालो और सीधा सिटी हॉस्पिटल चलो... जितनी जल्दी हो सके... ख़ान को भी राहुल की बात सही लगती हैं और वो तुरंत अपनी जीप लेकर आता हैं और राहुल राधिका को पिछली सीट पर लेकर बैठ जाता हैं और ख़ान तुरंत जीप को फुल स्पीड पर दौड़ाता हैं.... राहुल ने अपनी गोद में राधिका के सिर को रखा हुआ था और बड़े प्यार से उसके बालों पर अपना हाथ फिरा रहा था.. साथ ही साथ उसकी आँखे भी नम थी.....

करीब 1/2 घंटे के बाद वे लोग सिटी हॉस्पिटल पहुँचते हैं... और इस समय ड्र. अभय वहाँ अपने स्पेशल टीम के साथ मौजूद थे.. राहुल ने रास्ते में ही ड्र.अभय को फोन करके सारी बातें बता दी थी... तभी दो कॉमपाउंडर आते हैं और वहीं राधिका को बेड पर सुला कर तुरंत उसे हॉस्पिटल के अंदर ले जाते हैं... उसके पीछे पीके ड्र.अभय और उनकी टीम जल्दी से आइसीयू वॉर्ड की ओर मूव करती हैं....

अभय जल्दी से राडिका को आइसीयू वॉर्ड में शिफ्ट करता हैं और तुरंत उसका इलाज़ शुरू करता हैं.. इस वक़्त भी राधिका बेहोश थी.. और धीरे धीरे उसका शरीर नीला पड़ता जा रहा था.. अब तक ज़हर उसकी रगों में पूरा फैल चुका था....

अभय राहुल के पास आता हैं और उसके कंधे पर अपना हाथ रखता हैं- धीरज रखो मेरे दोस्त.... सब ठीक हो जाएगा.. आइ विल ट्राइ माइ बेस्ट.... वैसे इस वक़्त राधिका की हालत बहुत क्रिटिकल हैं.. इस लिए ठीक से कुछ कहा नहीं जा सकता... मैं पूरी कोशिश करूँगा जो मुझसे बन पाएगा... और तुम चिंता मत करो राहुल ...मैं डॉक्टर से पहले तुम्हारा एक अच्छा दोस्त हूँ... और आज मैं अपनी दोस्ती के लिए राधिका को बचाउन्गा... मगर ये सब तो उपर वाले के हाथ में हैं....बस दुवा करना कि वो बच जाए...

राहुल अपने दोनो हाथ जोड़कर अभय के सामने खड़ा हो जाता हैं- मुझे तुम पर भरोसा हैं अभय... मैं जानता हूँ कि तुम एक बेस्ट डॉक्टर हो और तुम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करोगे... पर दोस्त इतना ध्यान रखना कि अगर मेरी राधिका को कुछ हो गया तो.................अभय उसके कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे सांत्वना देता हैं और झट से आइसीयू वॉर्ड में एंटर होता हैं और साथ ही तीन और डॉक्टर्स भी अंदर जाते हैं और फिर राधिका का ऑपरेशन शुरू हो जाता हैं....

इधेर जैसे ही ये खबर निशा को मालूम चलती हैं वो लगभग भागते हुए तुरंत हॉस्पिटल पहुँचती हैं.. और साथ ही उसके मम्मी पापा भी आते हैं.... इधेर ख़ान भी अपनी जीप लेकर झट से बाहर निकल जाता हैं .....राहुल इस वक़्त वहीं आइसीयू वॉर्ड के बाहर बैठा हुआ ईश्वर से राधिका की ज़िंदगी की दुवा कर रहा था.... तभी निशा भी वहाँ आती हैं और राहुल को देखते वो चीख पड़ती हैं....

निशा- ये सब क्या हो गया राहुल... मेरी राधिका की किसने की ऐसी हालत...... मैं इसी वक़्त राधिका से मिलना चाहती हूँ. कहाँ हैं वो....ठीक तो हैं ना...


निशा की बातो को सुनकर राहुल भी रोने लगता हैं- पता नहीं निशा ये सब कैसे हो गया... मैं जब राधिका से मिला तब वो बेहोश थी... अभी इस वक़्त वो आइसीयू में हैं और उसका ऑपरेशन चल रहा है... इस सहर की बड़ी बड़ी हस्ती आई हुई हैं और उसका ऑपरेशन कर रहे हैं....

निशा वहीं अपनी मम्मी के गले से लिपट कर रोने लगती हैं... मम्मी अगर राधिका को कुछ हुआ तो देख लेना मैं भी अपनी जान दे दूँगी.. मैं उसके बगैर नहीं जी सकती.... वो मेरी सहेली ही नहीं मेरी जान से बढ़कर हैं... पता नहीं ये सब कैसे हो गया....


सीता- बेटा चुप हो जा राधिका को कुछ नहीं होगा..... सब ठीक हो जाएगा.......फिर वो अपनी बेटी के आँखों से बहते आँसू पोछती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.

जैसे जैसे वक़्त बीतता जा रहा था वैसे वैसे राहुल और निशा के दिल में डर भी बढ़ता जा रहा था..... वो तो बस उपर वाले से यही दुआ कर रहा था कि राधिका कैसे भी बच जाए.....मगर उपरवाले को तो कुछ और ही मंज़ूर था....

दो घंटे बाद......................


दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद एक एक कर सभी डॉक्टर्स आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलते हैं.. सब के चेहरे झुके हुए थे और सबके चेहरे पर निराशा सॉफ झलक रही थी..... सब एक एक कर अपने वॉर्ड में चले जाते हैं....राधिका को भी प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया जाता हैं.... आख़िरकार राहुल और उन सब का इंतेज़ार ख़तम होता है और ड्र. अभय आइसीयू वॉर्ड से बाहर निकलता हैं..... अभय को देखते ही राहुल तुरंत उसके पास पहुँच जाता हैं और सवाल भरी नज़रो से अभय के चेहरे को पढ़ने की कोशिश करता हैं... राहुल के ऐसे देखने से अभय अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लेता हैं.....

राहुल- क्या हुआ अभय.... सभी डॉक्टर्स के चेहरे पर ऐसी उदासी क्यों हैं.. सब ठीक तो हैं ना.. मेरी राधिका बच तो जाएगी ना... कह दो ना अब वो ख़तरे से बाहर हैं.... अब वो ठीक हो जाएगी......


अभय झट से राहुल के कंधे पर अपना हाथ रख देता हैं ... उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें सॉफ छलक रही थी....

राहुल- क्या हुआ अभय... तुम कुछ बोलते क्यों नहीं... मेरी राधिका ठीक तो हैं ना...


अभय फिर भी अभी तक खामोश खड़ा था....


राहुल- तुम कुछ बोलते क्यों नहीं.... मेरा दिल बैठा जा रहा हैं....भगवान के लिए कुछ तो बोलो...

अभ- क्या कहूँ राहुल.. आज मेरी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही हैं.. समझ में नहीं आ रहा कि मैं तुमसे कैसे कहूँ कि............

राहुल का गला सूखने लगता हैं- क्या....... ??? बात क्या हैं अभय... खुल कर बताओ मुझे...


अभय- बात ये हैं कि राधिका की ब्लीडिंग अभी भी बंद नहीं हो रही हैं... उसके प्राइवेट पार्ट्स बुरी तरह से ज़ख़्मी हैं और अंदर की नसें कयि जगह से फट चुकी हैं.. ये सब उसके साथ रफ सेक्स की वजह से और लगातार कंटिन्यू सेक्स की वजह से हुआ हैं....हम ने अभी तो काफ़ी कंट्रोल कर लिया हैं मगर............

राहुल- मगर क्या अभय....

अभय- अगर ब्लीडिंग की बस प्राब्लम होती तो हम कैसे भी उसे कंट्रोल कर लेते....मगर राधिका ने फेनायल का पूरा बॉटल पी लिया हैं. जिसकी वजह से उसके शरीर में ज़हर अब पूरी तरह फैल चुका हैं. अगर थोड़ी देर पहले तुम राधिका को यहाँ पर लाए होते तो शायद हम कुछ कर सकते थे बट आइ अम सॉरी......अब बहुत देर हो चुकी हैं....

राहुल- व्हाट सॉरी अभय.... कुछ भी करो जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हें दूँगा... जो बन पड़ेगा वो मैं करूँगा मगर मैं तुम्हारे आगे अपनी राधिका की ज़िंदगी की भीख माँगता हूँ. कुछ भी करके तुम उससे बचा लो..... ये सारी बातें सुनकर निशा भी ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं...

निशा- प्लीज़ डॉक्टर मेरी राधिका को कैसे भी करके बचा लीजिए. अगर आपको ब्लड की ज़रूरत हैं तो मेरे शरीर से पूरा ब्लड ले लीजिए मगर उसे बचा लीजिए...

अभ- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड..... जो अब पासिबल नहीं हैं वो हम कैसे कर सकते हैं... बात आप समझने की कोशिश कीजिए... हम राधिका को अब बचा नहीं पाएँगे....क्यों कि ज़हर उसकी रगों में पूरी तरह से फैल चुका हैं... और अब बहुत देर हो चुकी हैं....

राहुल की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं... कहाँ हैं राधिका... मैं उससे मिलना चाहता हूँ... कितना समय हैं उसके पास डॉक्टर...

अभ- एक घंटा .....ज़्यादा से ज़्यादा दो.... इससे ज़्यादा वक़्त नहीं हैं उसके पास... अभी वो इस वक़्त होश में हैं.. आप सब चाहे तो जाकर उससे मिल सकते हैं... मुझे माफ़ कर देना राहुल आज मैं पहली बार नाकाम हुआ हूँ.... और अभय अपनी नज़रें नीची करके वहाँ से अपने कॉम्पोन्ड में चला जाता हैं.
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 12:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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