20-09-2019, 12:35 PM
Update 40
ये सब देखकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं और वो विजय से कहता हैं..
बिहारी- यार थोड़ा धीरे मार ना अपनी जानेमन की गान्ड को.. बेचारी की मूत निकल गयी.. और इतना कहकर वो दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं..मोनिका को तो ऐसा लग रहा था कि वो कहीं जाकर अपना मूह छुपा ले.. राधिका भी उनकी बातो से शरम्शार हो जाती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...
ऐसे ही ये दौरा चलता रहता हैं और तब तक चलता हैं जब तक उन तीनो का कम नहीं निकल जाता... मगर आज यहाँ पर ये खेल बिहारी नहीं विजय खेल रहा था.. और वो निहायती बहुत गंदा किसम का इंसान था... जब उनका कम मोनिका की चूत और गान्ड में निकल जाता हैं तो वो राधिका से उसकी चूत और गान्ड से वो कम उससे चाट कर सॉफ करवाता हैं और राधिका बिना कुछ कहें अपने जीभ से मोनिका की चूत और गान्ड से बहते हुए कम को चाट ती हैं और फिर उसकी गान्ड का भी कम पीती हैं..
इधेर मोनिका भी वही चीज़ दोहराती हैं और राधिका का गान्ड चाट चाट कर सॉफ करती हैं... ऐसे ही ये दौरा रात के करीब 3 बजे तक चलता हैं और इस बीच इन सब का कम तीन बार निकलता हैं और इस बीच राधिका और मोनिका दोनो उन सब का कम बारी बारी चाटती हैं और साथ ही साथ कम अपने मूह में ट्रान्स्फर भी करती हैं..जो ये सब आज राधिका कर रही थी वो निहायती एक बहुत गंदा काम था मगर इन एक हफ्तों में वो इस हद्द तक गिर चुकी थी कि अब उसे ये सब कुछ भी गंदा नहीं लग रहा था... रात के करीब 3 बजे सब थक कर वहीं एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं....
करीन 6 बजे उन सब की नींद खुलती हैं.. इस वक़्त सब के जिस्म पर कपड़े के एक रेशा भी नहीं था... मोनिका तुरंत उठती हैं और झट से अपने कपड़े पहनने लगती हैं और इधेर राधिका भी वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं... बिहारी जग्गा और विजय भी अपने कपड़े पहन लेते हैं...
विजय- चल मेरी जान आज से तू आज़ाद हो गयी... जा आज मैं तुझे आज़ाद करता हूँ. फिर विजय वहीं रखे ड्रॉयर में से वो कांट्रॅक्ट पेपर्स निकालता हैं और वो मोनिका को थमा देता हैं..जा आज के बाद तू पूरी तरह आज़ाद हैं... मोनिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं और वो वहाँ से जाने के लिए मुड़ती हैं तभी राधिका की ताली की आवाज़ सुनकर वो वहीं थितक जाती हैं.
राधिका- वाह मोनिका वाह..... क्या खूब निभाई है तुमने दोस्ती....तूने तो कोई कसर नहीं छोड़ी मुझे बर्बाद करने में...आज तो तू बहुत खुस होगी ना अपनी रिहाई पर... गौर से देख मुझे आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने तेरा जो तूने मेरे साथ इतना बड़ा विश्वास घात किया.. मेरा यही कसूर हैं ना कि मैने तुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझा... आज मुझे तुझसे कोई शिकायत नही हैं मगर जाते जाते तुझसे इतना ज़रूर कहूँगी कि अब भगवान के लिए किसी के साथ ऐसा मत करना जैसे तुमने मेरे साथ किया हैं.. तूने तो मुझे आज कहीं का नहीं छोड़ा मगर क्या तू इन सब चीज़ों से बच पाई... नहीं.... आज मैं तो एक रंडी बन ही चुकी हूँ मगर आज तू भी कोई सती सावित्री नहीं रही... मुझे रंडी बनाने के चक्कर में तू आज खुद एक रंडी बन चुकी हैं... तूने तो मेरे लिए खड्डा खोदा था ना.. देख मैं तो इस खड्डे में गिरी हूँ मगर तू आज अपने आप को भी इस खड्डे में गिरने से नहीं बचा पाई.....
राधिका की ऐसी बातो को सुनकर मोनिका की आँखों से आँसू छलक जाते हैं और वो तुरंत राधिका के कदमों में आकर गिर पड़ती हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई जो मैने ये सब किया.. अपनी ज़िंदगी को बर्बाद होता हुआ देखकर मुझे मज़बूरन ये सब करना पड़ा.. मुझे माफ़ कर दे राधिका...
राधिका- माफी.........तूने तो मेरी हँसी खेलती ज़िंदगी बर्बाद कर दी... कितनी खुस थी मैं अपनी छोटी सी दुनिया में.. सब कुछ अच्छा चल रहा था अब तो मैं खुद इतना नीचे गिर चुकी हूँ कि अब मेरा राहुल भी मुझे कभी नहीं अपनाएगा... आज मैं जिस जगह पर खड़ी हूँ वहाँ से दुबारा मेरा लौटना ना-मुमकिन हैं..तेरी वजह से आज मेरे पास आत्महत्या करने के सिवा अब कोई चारा नहीं बचा हैं... मगर तू चिंता मत कर मैं तेरे जैसे नहीं हूँ स्वार्थी... और मैं कमज़ोर भी नही हूँ कि मैं आत्महत्या करूँगी...तेरे उपर मैं कोई इल्ज़ाम नही आने दूँगी और आज के बाद मेरी तेरे से यही विनती हैं कि तू अपनी ये शकल मुझे कभी मत दिखना ...जिसे मैने दोस्ती समझा था आज उसी दिल में तेरे लिए बस नफ़रत हैं नफ़रत.......चली जा मेरे सामने से अभी इसी वक़्त... अब मैं तुझसे कोई बात नहीं करना चाहती...और इतना कहकर राधिका अपना मूह गुस्से से दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका चुप चाप रोते हुए कमरे से बाहर निकल जाती हैं और साथ में जग्गा भी वहाँ से बाहर निकल जाता हैं....
बिहारी तो कुछ कह नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं...तभी विजय उसके पास आता हैं और उसके सामने खड़ा हो जाता हैं...
रात भर की चुदाई की वजह से इस वक़्त राधिका की चूत और गान्ड से ब्लीडिंग शुरू चुकी थी..मगर अब भी वो अपने अंदर दर्द को बर्दास्त की हुई थी...
विजय- अब तेरी रिहाई में केवल 1 घंटे बचा हैं मगर मैं चाहता हूँ कि तू आखरी बार यहाँ से जाने से पहले तू अपनी चूत चुदवा ले.. इसके बाद हम सब तेरी ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चले जाएँगे... बोल चुदवायेगि ना आखरी बार हमारी खातिर...
राधिका कुछ नहीं कहती और अपना मूह फेर लेती हैं..
विजय- तू सोच रही होगी कि हम तेरी चुदाई करेंगे.. मगर नहीं... हमारा तो अब तुझसे मन भर गया हैं.. मगर एक बंदा हैं जो बहुत ख़ास हैं और वो किसी जवान लड़की की चूत चोदना चाहता हैं... बस तू उसकी ये इच्छा पूरी कर दे.. फिर तू आज़ाद हैं..
राधिका बिहारी की बातो को सोचने लगती हैं -कौन हैं वो..
विजय- शाबाश मेरी जान मैं जानता था कि तू मुझे निराश नहीं करेगी.. मिल्वाउन्गा तुझे अभी ..थोड़ी देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं...मगर हमारी कुछ शर्तें हैं वो तुझे माननी पड़ेगी.. बोल मानेगी ना..
राधिका- जब इतना नीचे गिर ही चुकी हूँ तो फिर सोचना क्या विजय.. बोल क्या हैं तेरी शर्तें...
विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और बिहारी मूह फाडे विजय की बातें सुनता रहता हैं मगर उसे भी कुछ समझ नहीं आता कि विजय आख़िर चाहता क्या हैं...
विजय- शर्त ये हैं कि तू वो बंदा बहुत शर्मीला हैं.. उसे बहुत शरम आती हैं इसलिए वो चाहता हैं कि जब तू उसके सामने जाए तो तेरी आँखों पर काली पट्टी लगी रहें.. ताकि वो तुझे देख सके मगर तू उसे नहीं...इस बात से बेख़बर रहे कि और भी कोई उसके साथ होगा.. वो सिर्फ़ अकेले होगा और तुझे उसे खुस करना हैं...और हां वो हमारा ख़ास आदमी हैं तुझे मैं उससे सेक्स करने के बाद उससे ज़रूर मिल्वाउन्गा.. तू उसे देखकर बहुत खुस होगी..
राधिका- ठीक हैं विजय मुझे तुम्हारी शर्त मंज़ूर हैं...कहाँ हैं वो???
विजय- अभी थोड़ी देर में वो यहाँ आता ही होगा तब तक तू जाकर फ्रेश हो जा ... और राधिका जाकर बाथरूम में फ्रेश होती हैं और फिर बाथ लेती हैं उसके दिल और दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि आख़िर कौन हैं वो आदमी..
इधेर राहुल भी अब तक राधिका की तलाश में पूरे जी जान से लगा हुआ था.. उसके सामने आब धीरे धीरे एक एक कड़ी सुलझती जा रही थी..सुबेह के करीब उसे एक आदमी की लाश मिलती हैं.. सहर के बाहर एक छोटे से तालाब के पास... वो पूरे लगन से लगा हुआ था हर कड़ी को सुलझाने में..उस आदमी का चेहरा पूरी तरह से डॅमेज था मगर आइ-कार्ड की वजह से उसकी पहचान हो गयी थी... ये आदमी और कोई नहीं इक़बाल था.. वही इक़बाल जिसने कृष्णा और बिरजू को पैसे दिए थे पार्वती के मर्डर केस में.. और इसी आदमी की तलाश राहुल को बहुत दिनों से थी... मगर जब वो उसके हाथ लगा भी तो उसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ... बिहारी के लिए ये आदमी सबसे बड़ा ख़तरा बन चुका था...और इसी ख़तरे की वजह से बिहारी ने इसे अपने रास्ते से हटवा दिया था...बिहारी अच्छे से जानता था कि एक बार ये आदमी पोलीस के हाथ लग गया तो उसका खेल ख़तम....
राहुल- ले जाओ इसे और इसकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दो.. देखते हैं अब और कितने रहस्यो से परदा उठना अभी बाकी हैं... और वहीं दो तीन कॉन्स्टेबल इक़बाल की लाश को लेकर पोलीस स्टेशन की ओर चल देते हैं... तभी ख़ान का फोन आता हैं और राहुल तुरंत फोन रिसेव करता हैं...
राहुल- कहो ख़ान राधिका का कुछ पता चला ...और वो औरत क्या नाम हैं उसका..हां काजीरी .. उसने कुछ बका कि नहीं???
ख़ान- सिर इसी वजह से आपके पास मैने फोन किया हैं उसने सब कुछ बक दिया हैं ...मज़बूरन हमे उसके उपर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करना पड़ा...मैने उसका स्टेट्मेंट ले लिया हैं आप हो सके तो जल्द से जल्द पोलीस स्टेशन आ जायें.. क्यों की बात ऐसी हैं कि मैं आपको फोन पर कुछ नहीं बता सकता.... राहुल तुरंत अपनी जीप में बैठता हैं और फ़ौरन पोलीस स्टेशन की ओर चल देता हैं..... उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था और एक अंजाना डर भी उसके मन में बार बार उठ रहा था...करीब 1/2 घंटे बाद वो पोलीस स्टेशन पहुँचता हैं....
तभी थोड़े देर के बाद उसका एक और कॉन्स्टेबल वीर सिंग का फोन आता हैं- सर वो मोनिका नाम की लड़की जिसकी हमे तलाश थी उसका पता चल गया हैं... वो अभी अभी अपने घर आई और हमने उसे अपने हिरासत में ले लिया हैं..मैं अभी थोड़ी देर में उसे आपके पास लेकर आता हूँ.... इधेर राहुल एक एक कर सारी कड़ी को धीरे धीरे सुलझाते जा रहा था और वो अब राधिका के बेहद करीब पहुँच चुका था......
इधेर बिहारी के मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं.. ये उसका प्राइवेट डिटेक्टिव का फोन कॉल था....
सर एक बात आपको बता देना चाहता हूँ कि काजीरी इस वक़्त पोलीस हिसरत में हैं और शायद अब वो जल्दी ही सब कुछ उगल देगी... आपकी भलाई इसी में हैं कि आप वहाँ से जल्द से जल्द निकल जायें... राहुल कल रात ही मनाली पहुँच चुका हैं और कल रात से ही वो इस सहर में उसने राधिका की तलाशी भी शुरू कर दी हैं... और जितना वो सबकुछ जानता था वो सारी बातें बिहारी को बताता चला जाता हैं...सिवाए मोनिका के अरेस्ट वाली बात को छोड़ कर... फोन रखने के बाद बिहारी के चेहरे पर पसीने के कुछ बूँदें थी ....उसे परेशान देखकर विजय उससे आख़िरकार पूछ ही लेता हैं...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए हैं...बात क्या हैं...
बिहारी- राहुल इस सहर में आ चुका हैं ..और उसने कल रात से ही राधिका की तलाशी शुरू कर दी हैं... और इस वक़्त काजीरी भी पोलीस की हिरासत में हैं.. और इक़बाल का भी लाश पोलीस वालों ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया हैं... हमे जल्द से जल्द अंडरग्राउंड होना पड़ेगा... मैं तो समझा था कि राहुल आज दोपहर तक यहाँ आएगा और हम सब आराम से कहीं बाहर इस सहर से निकल जाएँगे मगर अब इसी सहर में हमे कहीं कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना पड़ेगा....क्यों की हर जगह पोलीस ने नकबंदी की होगी...
विजय- तू चिंता मत कर बिहारी ये जगह सहर से बहुत दूर हैं और पोलीस को यहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक घंटा तो लगेगा ही... अभी हमारे पास एक घंटे का समय हैं तू इतमीनान रख.. और वैसे भी इस घर में एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा भी हैं जिससे हम एक सुरंग से होते हुए जंगल से बाहर निकल जाएँगे...चल अब तुझे मैं एक चीज़ दिखाता हूँ जिसे देखकर तू बहुत खुस होगा..... तभी कमरे में एक आदमी आता हैं और उस आदमी के साथ बिरजू भी था..... बिरजू को देखकर बिहारी विजय का पूरा खेल समझ जाता हैं कि विजय क्या चाहता हैं....
बिहारी- आओ आओ बिरजू देखा तुमने हमारा सोर्स और पॉवर..... बिरजू भी बिहारी को देखकर मुस्कुरा देता हैं...
बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...
तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...
बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??
बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..
बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...
बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....
बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...
तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...
शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...
बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....
शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...
बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...
शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...
बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..
शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...
बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...
शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....
ये सब देखकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं और वो विजय से कहता हैं..
बिहारी- यार थोड़ा धीरे मार ना अपनी जानेमन की गान्ड को.. बेचारी की मूत निकल गयी.. और इतना कहकर वो दोनो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं..मोनिका को तो ऐसा लग रहा था कि वो कहीं जाकर अपना मूह छुपा ले.. राधिका भी उनकी बातो से शरम्शार हो जाती हैं और अपनी आँखें बंद कर लेती हैं...
ऐसे ही ये दौरा चलता रहता हैं और तब तक चलता हैं जब तक उन तीनो का कम नहीं निकल जाता... मगर आज यहाँ पर ये खेल बिहारी नहीं विजय खेल रहा था.. और वो निहायती बहुत गंदा किसम का इंसान था... जब उनका कम मोनिका की चूत और गान्ड में निकल जाता हैं तो वो राधिका से उसकी चूत और गान्ड से वो कम उससे चाट कर सॉफ करवाता हैं और राधिका बिना कुछ कहें अपने जीभ से मोनिका की चूत और गान्ड से बहते हुए कम को चाट ती हैं और फिर उसकी गान्ड का भी कम पीती हैं..
इधेर मोनिका भी वही चीज़ दोहराती हैं और राधिका का गान्ड चाट चाट कर सॉफ करती हैं... ऐसे ही ये दौरा रात के करीब 3 बजे तक चलता हैं और इस बीच इन सब का कम तीन बार निकलता हैं और इस बीच राधिका और मोनिका दोनो उन सब का कम बारी बारी चाटती हैं और साथ ही साथ कम अपने मूह में ट्रान्स्फर भी करती हैं..जो ये सब आज राधिका कर रही थी वो निहायती एक बहुत गंदा काम था मगर इन एक हफ्तों में वो इस हद्द तक गिर चुकी थी कि अब उसे ये सब कुछ भी गंदा नहीं लग रहा था... रात के करीब 3 बजे सब थक कर वहीं एक दूसरे से लिपट कर सो जाते हैं....
करीन 6 बजे उन सब की नींद खुलती हैं.. इस वक़्त सब के जिस्म पर कपड़े के एक रेशा भी नहीं था... मोनिका तुरंत उठती हैं और झट से अपने कपड़े पहनने लगती हैं और इधेर राधिका भी वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं... बिहारी जग्गा और विजय भी अपने कपड़े पहन लेते हैं...
विजय- चल मेरी जान आज से तू आज़ाद हो गयी... जा आज मैं तुझे आज़ाद करता हूँ. फिर विजय वहीं रखे ड्रॉयर में से वो कांट्रॅक्ट पेपर्स निकालता हैं और वो मोनिका को थमा देता हैं..जा आज के बाद तू पूरी तरह आज़ाद हैं... मोनिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं और वो वहाँ से जाने के लिए मुड़ती हैं तभी राधिका की ताली की आवाज़ सुनकर वो वहीं थितक जाती हैं.
राधिका- वाह मोनिका वाह..... क्या खूब निभाई है तुमने दोस्ती....तूने तो कोई कसर नहीं छोड़ी मुझे बर्बाद करने में...आज तो तू बहुत खुस होगी ना अपनी रिहाई पर... गौर से देख मुझे आख़िर क्या बिगाड़ा था मैने तेरा जो तूने मेरे साथ इतना बड़ा विश्वास घात किया.. मेरा यही कसूर हैं ना कि मैने तुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझा... आज मुझे तुझसे कोई शिकायत नही हैं मगर जाते जाते तुझसे इतना ज़रूर कहूँगी कि अब भगवान के लिए किसी के साथ ऐसा मत करना जैसे तुमने मेरे साथ किया हैं.. तूने तो मुझे आज कहीं का नहीं छोड़ा मगर क्या तू इन सब चीज़ों से बच पाई... नहीं.... आज मैं तो एक रंडी बन ही चुकी हूँ मगर आज तू भी कोई सती सावित्री नहीं रही... मुझे रंडी बनाने के चक्कर में तू आज खुद एक रंडी बन चुकी हैं... तूने तो मेरे लिए खड्डा खोदा था ना.. देख मैं तो इस खड्डे में गिरी हूँ मगर तू आज अपने आप को भी इस खड्डे में गिरने से नहीं बचा पाई.....
राधिका की ऐसी बातो को सुनकर मोनिका की आँखों से आँसू छलक जाते हैं और वो तुरंत राधिका के कदमों में आकर गिर पड़ती हैं- मुझे माफ़ कर दे राधिका मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई जो मैने ये सब किया.. अपनी ज़िंदगी को बर्बाद होता हुआ देखकर मुझे मज़बूरन ये सब करना पड़ा.. मुझे माफ़ कर दे राधिका...
राधिका- माफी.........तूने तो मेरी हँसी खेलती ज़िंदगी बर्बाद कर दी... कितनी खुस थी मैं अपनी छोटी सी दुनिया में.. सब कुछ अच्छा चल रहा था अब तो मैं खुद इतना नीचे गिर चुकी हूँ कि अब मेरा राहुल भी मुझे कभी नहीं अपनाएगा... आज मैं जिस जगह पर खड़ी हूँ वहाँ से दुबारा मेरा लौटना ना-मुमकिन हैं..तेरी वजह से आज मेरे पास आत्महत्या करने के सिवा अब कोई चारा नहीं बचा हैं... मगर तू चिंता मत कर मैं तेरे जैसे नहीं हूँ स्वार्थी... और मैं कमज़ोर भी नही हूँ कि मैं आत्महत्या करूँगी...तेरे उपर मैं कोई इल्ज़ाम नही आने दूँगी और आज के बाद मेरी तेरे से यही विनती हैं कि तू अपनी ये शकल मुझे कभी मत दिखना ...जिसे मैने दोस्ती समझा था आज उसी दिल में तेरे लिए बस नफ़रत हैं नफ़रत.......चली जा मेरे सामने से अभी इसी वक़्त... अब मैं तुझसे कोई बात नहीं करना चाहती...और इतना कहकर राधिका अपना मूह गुस्से से दूसरी तरफ फेर लेती हैं... मोनिका चुप चाप रोते हुए कमरे से बाहर निकल जाती हैं और साथ में जग्गा भी वहाँ से बाहर निकल जाता हैं....
बिहारी तो कुछ कह नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुकाए खड़ा रहता हैं...तभी विजय उसके पास आता हैं और उसके सामने खड़ा हो जाता हैं...
रात भर की चुदाई की वजह से इस वक़्त राधिका की चूत और गान्ड से ब्लीडिंग शुरू चुकी थी..मगर अब भी वो अपने अंदर दर्द को बर्दास्त की हुई थी...
विजय- अब तेरी रिहाई में केवल 1 घंटे बचा हैं मगर मैं चाहता हूँ कि तू आखरी बार यहाँ से जाने से पहले तू अपनी चूत चुदवा ले.. इसके बाद हम सब तेरी ज़िंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर चले जाएँगे... बोल चुदवायेगि ना आखरी बार हमारी खातिर...
राधिका कुछ नहीं कहती और अपना मूह फेर लेती हैं..
विजय- तू सोच रही होगी कि हम तेरी चुदाई करेंगे.. मगर नहीं... हमारा तो अब तुझसे मन भर गया हैं.. मगर एक बंदा हैं जो बहुत ख़ास हैं और वो किसी जवान लड़की की चूत चोदना चाहता हैं... बस तू उसकी ये इच्छा पूरी कर दे.. फिर तू आज़ाद हैं..
राधिका बिहारी की बातो को सोचने लगती हैं -कौन हैं वो..
विजय- शाबाश मेरी जान मैं जानता था कि तू मुझे निराश नहीं करेगी.. मिल्वाउन्गा तुझे अभी ..थोड़ी देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं...मगर हमारी कुछ शर्तें हैं वो तुझे माननी पड़ेगी.. बोल मानेगी ना..
राधिका- जब इतना नीचे गिर ही चुकी हूँ तो फिर सोचना क्या विजय.. बोल क्या हैं तेरी शर्तें...
विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और बिहारी मूह फाडे विजय की बातें सुनता रहता हैं मगर उसे भी कुछ समझ नहीं आता कि विजय आख़िर चाहता क्या हैं...
विजय- शर्त ये हैं कि तू वो बंदा बहुत शर्मीला हैं.. उसे बहुत शरम आती हैं इसलिए वो चाहता हैं कि जब तू उसके सामने जाए तो तेरी आँखों पर काली पट्टी लगी रहें.. ताकि वो तुझे देख सके मगर तू उसे नहीं...इस बात से बेख़बर रहे कि और भी कोई उसके साथ होगा.. वो सिर्फ़ अकेले होगा और तुझे उसे खुस करना हैं...और हां वो हमारा ख़ास आदमी हैं तुझे मैं उससे सेक्स करने के बाद उससे ज़रूर मिल्वाउन्गा.. तू उसे देखकर बहुत खुस होगी..
राधिका- ठीक हैं विजय मुझे तुम्हारी शर्त मंज़ूर हैं...कहाँ हैं वो???
विजय- अभी थोड़ी देर में वो यहाँ आता ही होगा तब तक तू जाकर फ्रेश हो जा ... और राधिका जाकर बाथरूम में फ्रेश होती हैं और फिर बाथ लेती हैं उसके दिल और दिमाग़ में बस यही सवाल उठ रहा था कि आख़िर कौन हैं वो आदमी..
इधेर राहुल भी अब तक राधिका की तलाश में पूरे जी जान से लगा हुआ था.. उसके सामने आब धीरे धीरे एक एक कड़ी सुलझती जा रही थी..सुबेह के करीब उसे एक आदमी की लाश मिलती हैं.. सहर के बाहर एक छोटे से तालाब के पास... वो पूरे लगन से लगा हुआ था हर कड़ी को सुलझाने में..उस आदमी का चेहरा पूरी तरह से डॅमेज था मगर आइ-कार्ड की वजह से उसकी पहचान हो गयी थी... ये आदमी और कोई नहीं इक़बाल था.. वही इक़बाल जिसने कृष्णा और बिरजू को पैसे दिए थे पार्वती के मर्डर केस में.. और इसी आदमी की तलाश राहुल को बहुत दिनों से थी... मगर जब वो उसके हाथ लगा भी तो उसे कोई फ़ायदा नहीं हुआ... बिहारी के लिए ये आदमी सबसे बड़ा ख़तरा बन चुका था...और इसी ख़तरे की वजह से बिहारी ने इसे अपने रास्ते से हटवा दिया था...बिहारी अच्छे से जानता था कि एक बार ये आदमी पोलीस के हाथ लग गया तो उसका खेल ख़तम....
राहुल- ले जाओ इसे और इसकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दो.. देखते हैं अब और कितने रहस्यो से परदा उठना अभी बाकी हैं... और वहीं दो तीन कॉन्स्टेबल इक़बाल की लाश को लेकर पोलीस स्टेशन की ओर चल देते हैं... तभी ख़ान का फोन आता हैं और राहुल तुरंत फोन रिसेव करता हैं...
राहुल- कहो ख़ान राधिका का कुछ पता चला ...और वो औरत क्या नाम हैं उसका..हां काजीरी .. उसने कुछ बका कि नहीं???
ख़ान- सिर इसी वजह से आपके पास मैने फोन किया हैं उसने सब कुछ बक दिया हैं ...मज़बूरन हमे उसके उपर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करना पड़ा...मैने उसका स्टेट्मेंट ले लिया हैं आप हो सके तो जल्द से जल्द पोलीस स्टेशन आ जायें.. क्यों की बात ऐसी हैं कि मैं आपको फोन पर कुछ नहीं बता सकता.... राहुल तुरंत अपनी जीप में बैठता हैं और फ़ौरन पोलीस स्टेशन की ओर चल देता हैं..... उसका दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था और एक अंजाना डर भी उसके मन में बार बार उठ रहा था...करीब 1/2 घंटे बाद वो पोलीस स्टेशन पहुँचता हैं....
तभी थोड़े देर के बाद उसका एक और कॉन्स्टेबल वीर सिंग का फोन आता हैं- सर वो मोनिका नाम की लड़की जिसकी हमे तलाश थी उसका पता चल गया हैं... वो अभी अभी अपने घर आई और हमने उसे अपने हिरासत में ले लिया हैं..मैं अभी थोड़ी देर में उसे आपके पास लेकर आता हूँ.... इधेर राहुल एक एक कर सारी कड़ी को धीरे धीरे सुलझाते जा रहा था और वो अब राधिका के बेहद करीब पहुँच चुका था......
इधेर बिहारी के मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं.. ये उसका प्राइवेट डिटेक्टिव का फोन कॉल था....
सर एक बात आपको बता देना चाहता हूँ कि काजीरी इस वक़्त पोलीस हिसरत में हैं और शायद अब वो जल्दी ही सब कुछ उगल देगी... आपकी भलाई इसी में हैं कि आप वहाँ से जल्द से जल्द निकल जायें... राहुल कल रात ही मनाली पहुँच चुका हैं और कल रात से ही वो इस सहर में उसने राधिका की तलाशी भी शुरू कर दी हैं... और जितना वो सबकुछ जानता था वो सारी बातें बिहारी को बताता चला जाता हैं...सिवाए मोनिका के अरेस्ट वाली बात को छोड़ कर... फोन रखने के बाद बिहारी के चेहरे पर पसीने के कुछ बूँदें थी ....उसे परेशान देखकर विजय उससे आख़िरकार पूछ ही लेता हैं...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे चेहरे पर बारह क्यों बजे हुए हैं...बात क्या हैं...
बिहारी- राहुल इस सहर में आ चुका हैं ..और उसने कल रात से ही राधिका की तलाशी शुरू कर दी हैं... और इस वक़्त काजीरी भी पोलीस की हिरासत में हैं.. और इक़बाल का भी लाश पोलीस वालों ने अपने क़ब्ज़े में ले लिया हैं... हमे जल्द से जल्द अंडरग्राउंड होना पड़ेगा... मैं तो समझा था कि राहुल आज दोपहर तक यहाँ आएगा और हम सब आराम से कहीं बाहर इस सहर से निकल जाएँगे मगर अब इसी सहर में हमे कहीं कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड होना पड़ेगा....क्यों की हर जगह पोलीस ने नकबंदी की होगी...
विजय- तू चिंता मत कर बिहारी ये जगह सहर से बहुत दूर हैं और पोलीस को यहाँ तक पहुँचने में कम से कम एक घंटा तो लगेगा ही... अभी हमारे पास एक घंटे का समय हैं तू इतमीनान रख.. और वैसे भी इस घर में एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा भी हैं जिससे हम एक सुरंग से होते हुए जंगल से बाहर निकल जाएँगे...चल अब तुझे मैं एक चीज़ दिखाता हूँ जिसे देखकर तू बहुत खुस होगा..... तभी कमरे में एक आदमी आता हैं और उस आदमी के साथ बिरजू भी था..... बिरजू को देखकर बिहारी विजय का पूरा खेल समझ जाता हैं कि विजय क्या चाहता हैं....
बिहारी- आओ आओ बिरजू देखा तुमने हमारा सोर्स और पॉवर..... बिरजू भी बिहारी को देखकर मुस्कुरा देता हैं...
बिरजू- मालिक आपने कैसे मुझे याद किया...
तभी विजय उसको आँखों ही आँखों में कुछ इशारा करता हैं और बिहारी बिरजू को लेकर एक दूसरे कमरे में चला जाता हैं...
बिहारी- आज मैं तुमसे बहुत खुस हूँ बिरजू.. इस लिए मैने सोचा कि आज तुम्हें एक नायाब तोहफा दूँगा और मुझे यकीन हैं कि तुम बहुत खुस होगे... जानते हो वो तोहफा क्या हैं ...बिहारी की इस तरह की बातो से बिरजू सवाल भरी नज़रो से और हैरत से बिहारी की ओर देखने लगता हैं...
बिरजू- कैसा तोहफा मालिक??
बिहारी- आज मैने तेरे लिए एक जवान चूत का इंतज़ाम किया हैं.. लड़की करीब 23 साल की हैं.. और हम ने तेरे लिए उसे मना भी लिया हैं... आज चूत चोदना चाहेगा ना तू... मैने सोचा इतने बरसों से तूने हमारी वफ़ादारी की हैं तो तुझे भी हमारी तरफ से कुछ इनाम तो मिलना ही चाहिए..
बिहारी की ऐसी बातो से बिरजू अपनी नज़रें नीची कर लेता हैं और मुस्कुरा कर हां में इशारा करता हैं...
बिहारी- मगर लड़की की एक शर्त हैं... वो नहीं चाहती कि तू उसे देखे इस लिए उसकी ख्वाहिश हैं कि तू जब उसकी चूत चोदेगा तब तेरी आँखों पर एक काली पट्टी बँधी होगी.. जब तू उसकी चूत चोद लेगा फिर मैं तेरे सामने उस लड़की को बिन कपड़ों के लाउन्गा. फिर तू उसे जी भर कर देख लेना... बोल मंज़ूर हैं तुझे मेरी ये शर्त....
बिरजू कुछ नहीं कहता और हां में अपना सिर हिला देता हैं... फिर वो बिरजू को दूसरे कमरे में बैठने के लिए बोल देता हैं.. उसे तो ये भी नहीं मालूम था कि वो जिसके साथ उसे ये सब करने को कह रहा हैं वो उसकी अपनी बेटी राधिका है..पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका के दिल पर कितना बड़ा सितम ढाने वाला था इसका अंदाज़ा ना तो बिरजू को था और ना ही राधिका को...
तभी बिहारी कमरे से बाहर निकलता हैं और उसका सामना शंकर काका से होता हैं... शंकर को ऐसा घूरता हुआ देखकर बिहारी एक पल के लिए मानो थितक जाता हैं...
शंकर- मलिक मुझे आपसे कुछ बात करनी हैं..अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं कहूँ...
बिहारी- हां काका बोलो क्या बात हैं....
शंकर- मैने अभी अभी आपकी और बिरजू के बीच हुई सारी बातें सुनी.. ये आप कैसा अनर्थ कर रहें हैं मालिक... आपको अंदाज़ा भी हैं कि इसका अंजाम कितना भयानक होगा... भला आप एक बाप के साथ उसकी अपनी बेटी के साथ ये सब कैसे करवाने की सोच सकते हैं..ये पाप हैं मालिक... अभी भी समय हैं मालिक रोक लीजिए इस अनर्थ को.... नहीं तो सब कुछ पल भर में तबाह हो जाएगा... और जब ये बात राधिका और उसके बाप को पता लगेगी तब क्या होगा ... क्या बीतेगी मालिक उन दोनो के दिल पर... राधिका तो जीते जी मर जाएगी और शायद बिरजू भी ये सदमा नहीं से पाएगा...
बिहारी- काका जो लड़की अपने भाई के साथ सो सकती हैं वो लड़की अपने बाप का बिस्तेर भी तो गरम कर सकती हैं.. आप चिंता मत करो उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा... आज राधिका एक रंडी हैं और रंडियों का कोई ईमान धरम नहीं होता... आखरी बार कहता हूँ काका आप इन सब मामलों में ना ही पड़े तो अच्छा है...
शंकर- मैने तो ये सोचा था मालिक कि आपके अंदर इंसानियत आज थोड़ी बहुत भी ज़िंदा होगी मगर ये मेरी भूल थी.. मैं ये भूल गया था कि जो आदमी अपनी पत्नी का ना हो सका वो भला किसी और का कैसे हो सकता हैं... मुझे माफ़ कर दो मालिक मैं ही ग़लत था.. आज भी आपसे झूठी आस लगाए बैठा था कि देर सबेर आप एक अच्छे इंसान बन जाएँगे मगर शायद मैं ही आपको पहचान ना सका... तभी एक ज़ोरदार थप्पड़ शकर काका के गाल पर पड़ता हैं...
बिहारी- तू ये भूल रहा है कि तू एक नौकर हैं और तुझे ये भी नहीं पता कि अपने मालिक से कैसे बात की जाती हैं..
शंकर- आप ग़लत बोल रहें हैं... अब आप मेरे मालिक नहीं आज के बाद मैं आपकी ऐसी नौकरी को लात मारता हूँ. मुझे नहीं करनी आप जैसे इंसान की गुलामी...
बिहारी- तो निकल जा अभी इस वक़्त...
शंकर- चला जाउन्गा मगर उस लड़की को भी अपने साथ लेकर जाउन्गा... और बिहारी वहीं गुस्से से बाहर निकल जाता हैं.....