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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#45
Update 38


दो दिन तक बिहारी राधिका के साथ कड़ा रुख़ अपनाता रहा मगर जब राधिका उसकी किसी भी बात का विरोध नहीं करती तो वो अब धीरे धीरे उसके साथ नर्मी से पेश आने लगा था..कहते हैं ना अगर किसी के साथ जिस्मानी तालुकात बन जाए तो इंसान की उसके प्रति चाहत बढ़ जाती हैं चाहे वो रंडी ही क्यों ना हो.आज ठीक वही स्थिति बिहारी की भी थी..वो अब राधिका को धीरे धीरे चाहने लगा था ..अब वो राधिका का ख्याल भी रखने लगा था मगर इधेर विजय कमीनपन का एक जीती जागती मिसाल था. उसके अंदर कोई प्रेम भावना किसी के प्रति नहीं थी...



उधेर हर सुबेह शंकर काका राधिका के पास आते और उसके दर्द पर मलहम का काम करते. मगर अब राधिका पूरी तरह से टूट गयी थी. ना उसके अंदर किसी चीज़ की अब चाहत रह गयी थी और ना कुछ पाने की इच्छा ... बस वो हर घड़ी हर पल अपने राहुल के आने का इंतेज़ार करती ये जानते हुए भी कि अब राहुल उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा..शायद उसके पीछे उसका निस्वार्थ प्रेम था...



ऐसे ही दिन गुज़रते गये और आज पूरे 5 दिन बीत चुके थे.. हर रात जग्गा, विजय और बिहारी तरह तरह के एक्सपेरिमेंट उसके साथ करते मगर राधिका कभी कुछ नहीं कहती. शायद आब उसके अंदर का इंसान पूरी तरह से मर चुका था. अब वो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी. और उन तीनों के लिए बस एक चुदाई की मशीन...राधिका का शरीर के साथ साथ उसकी हिम्मत और हौसला भी पूरी तरह से टूट गया था. हँसना तो वो पूरी तरह से भूल चुकी थी. बस शंकर काका हर सुबेह उसके जिस्म की सिकाई करते और उसका पूरा ख्याल रखते. आज शायद शंकर काका के बस में अगर कुछ होता तो वो राधिका के लिए ज़रूर कुछ करते. मगर वो भी मज़बूर थे..इन 5 दिनों में राधिका की इतनी बार चुदाई हुई थी कि उसकी कोई गिनती नहीं थी. हर रात शंकर काका उसकी चीखे सुनते मगर वो भी ज़हर का घुट पीकर रह जाते...



आज 6वा दिन था और राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी. उसकी आँखो के नीचे कालापन सॉफ नज़र आ रहा था जिससे ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि उसके साथ कितना ग़लत हुआ हैं...मगर दिन ब दिन राधिका की खामोशी बढ़ती ही जा रही थी. अब वो किसी से एक शब्द कुछ नहीं कहती. ना किसी से किसी बात के लिए मना करती.. वो हर रोज़ मर रही थी..और यही बात अब बिहारी को पल पल सता रही थी. राधिका की ये खामोशी अब उसे देखी नहीं जा रही थी. शायद उसको ऐसा पहली बार महसूस हुआ था. आज बिहारी को ऐसा लगने लगा था कि वो आज जीत कर भी हार गया हैं.



उसी शाम को जब राधिका पूरी नंगी हालत में बिहारी , विजय और जग्गा के सामने थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. बिहारी झट से एक टवल लपेट कर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका नौकर खड़ा था..



नौकर- साहेब आपसे मिलने काजीरी मेम्साब आई हैं. काजीरी का नाम सुनकर बिहारी के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं..



बिहारी फिर उस नौकर को कहता हैं कि उसे अंदर भेज दो. थोड़ी देर के बाद जग्गा, विजय , और बिहारी शॉर्ट्स कपड़े पहन लेते हैं और राधिका को वहीं शॉल दे देते हैं. वो बिना कुछ कहें वो शॉल अपने जिस्म पर डाल लेती हैं. तभी काजीरी की कमरे में एंट्री होती हैं.



काजीरी की उमर करीब 45 साल , मोटी और रंग उसका काला था. चेहरे पर गाढ़ा लिपस्टिक लगाए, और बालों में फूलों का गजरा. माथे पर बड़ी गोल लाल रंग की बिंदी. और कानों में बड़े बड़े झुमके... मूह में पान चबाते हुए ओए नीले रंग की साड़ी में वो कमरे में प्रवेश करती हैं..



बिहारी- आओ आओ काजीरी इतने दिनों के बाद तुम यहाँ पर कैसे आई...कहो कैसे आना हुआ.



काजीरी- बिहारी मर्द तो सच में बड़े हरामी होते हैं. और तू तो सच में बड़ा हरामी चीज़ हैं. पहले मुझसे ज़रूरत पड़ता था तब तू मेरे पास कुत्ते जैसे दुम हिलाते हुए आता था. जब से तेरी कुर्सी उँची हो गयी हैं तब से तू तो काजीरी को भूल ही गया. चल कोई बात नहीं तू भले ही भूल गया हो मगर मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी. आख़िर तू हमारा ख़ास कस्टमर हैं.. तभी काजीरी की नज़र राधिका पर पड़ती हैं और काजीरी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो फिर राधिका के पास जाती हैं..


काजीरी- अरे ये कौन हैं. और इस नगीना को तुमने हम से इतने दिनों तक छुपा कर रखा हुआ है. तभी मैं कहूँ कि तू मेरे दरवाज़े पर क्यों नहीं आ रहा आज कल.. कहाँ से लाया ये नगीना. अगर ये मार्केट में आ जाए तो ये हमारे धंधे की शोभा बढ़ा देगी.. सच में ये नगीना हैं नगीना....



बिहारी- तू मुझे ग़लत समझ रही हैं काजीरी. जो तू समझ रही हैं ये वो नहीं हैं. ये एक शरीफ लड़की है ना कि रंडी...



काजीरी- शरीफ लड़की..........तो ये यहाँ क्या कर रही हैं तेरे पास. क्या तुझसे अपनी गान्ड मरवाने आई हैं ..अरे तेरे संपर्क में कोई लड़की आ जाए तो वो तो पूरी रंडी ही बनकर निकलेगी यहाँ से.. खैर अगर ये मार्केट में आ जाए तो हमारे धंधे में चार चाँद लग जायें. बोल इस लड़की की तू एक रात की कितनी कीमत मुझसे लेगा. एक बहुत मालदार पार्टी आई हुई हैं और उन्हें ऐसी ही लड़की चाहिए.



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी ये ऐसी लड़की नहीं हैं. अगर कोई नयी माल आती हैं तो मैं तेरे पास भेज दूँगा. मगर इसे नहीं..



काजीरी- क्या बात हैं बिहारी... लगता हैं तेरा इस लड़की पर दिल आ गया हैं. मगर पैसे के आगे आदमी की क्या बिसात.. बोल ना एक रात की कितनी कीमत लेगा.. एक लाख.. दो लाख या पूरे 5 लाख...इसी ज़्यादा मैं नहीं दे सकती..



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी कि ये लड़की रंडी नहीं हैं. अगर मेरे पास नयी कोई माल आएगी तो मैं तेरे पास भिजवा दूँगा. तभी विजय बीच में बोल पड़ता हैं. काजीरी अगर तू इस लड़की के पूरे 5 लाख देने को तैयार हैं तो मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं.



बिहारी- विजय ...ये क्या मज़ाक हैं. मैने कहा ना ये लड़की धंधे में नहीं उतरेगी.. मुझे इस लड़की का कोई सौदा नहीं करना हैं.. तू यहाँ से जा सकती हो काजीरी..अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी..



विजय- एक तो तेरी वजह से मेरा धंधा बंद हैं उपर से 5 लाख हाथ में आ रहें है तो तू अब मना कर रहा हैं. बोल तू देगा क्या..मुझे 5 लाख ...



बिहारी- ज़ुबान संभाल कर बात कर विजय. भले ही मैने इसके साथ ग़लत किया हैं मगर मैं इसको प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में नहीं धकेल सकता. और राधिका कोई रंडी नहीं हैं. और मैं तुझे नहीं देने वाला कोई रुपये..



काजीरी- बिहारी... ठंडे दिमाग़ से सोच..जो आज पार्टी आ रही हैं वो अरब की हैं और तू आच्छे से जानता हैं कि वो लोग लड़की देखकर मूह माँगी पैसे लूटाते हैं. बस एक रात की तो बात हैं. मैं वादा करती हूँ कि सुबेह ये लड़की तेरे पास पहुँच जाएगी..



बिहारी- काजीरी तो तू ये भी जानती होगी कि जिन लोगों के बीच तू इसी भेजने को कह रही हैं वो इसके साथ क्या सुलूख करेंगे. उनके आगे तो अच्छी से अच्छी रंडिया भी टिक नहीं पाती तो इस लड़की की क्या औकात हैं. मुझे ये सौदा मंज़ूर नहीं..



विजय- तो फिर मुझे 5 लाख चाहिए इस वक़्त. अगर तू इस लड़की के बदले दे देगा तो मैं कुछ नहीं बोलूँगा. बोल देगा मुझे ...



बिहारी को विजय पर आज बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो आज सब उसकी की वजह से हुआ था इस वजह से वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. बिहारी के चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ छलक रही थी.. वो किसी भी हाल में राधिका को उन सब के बीच भेजना नहीं चाहता था..वो अच्छे से जानता था कि राधिका किसी भी कीमत पर उनके सामने टिक नहीं पाएगी...बिहारी को ऐसे चिंता में डूबा देखकर राधिका बोल पड़ती हैं..



राधिका- मैं जाउन्गि बिहारी ... कह दो इन्हें मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं..



बिहारी हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- राधिका ये बात तुम कह रही हो.. तुम कोई रंडी नहीं हो और तुम्हें मालूम भी हैं वो लोग तुम्हारे साथ कैसे पेश आएँगे... तुम उन सब का सामना नहीं कर पाओगी..



राधिका- रंडी.......तुम भूल रहे हो बिहारी कि अब मुझ में और रंडी में कोई फ़र्क नहीं हैं. मैं तो पहले से ही एक ज़िंदा लाश बन चुकी हूँ मुझे अब क्या वो लोग मारेंगे.. मार तो तुमने मुझे दिया हैं..



बिहारी ना चाहते हुए भी कुछ नहीं कह पाता और अपना अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.. आज राधिका की कही हुई बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था. आज बिहारी सारी बाज़ी जीत कर भी हार गया था आज राधिका की वजह से उसे ज़िंदगी में सबसे बड़ी शिकस्त मिली थी


बिहारी तो ये बात नहीं जानता था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया मगर इतना वो ज़रूर समझ चुका था कि वो अब अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं चाहे उसके पीछे कोई और वजह क्यों ना हो.. मगर आज वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था...थोड़ी देर के बाद विजय राधिका की ब्लॅक साड़ी लाकर उसे पहनने को देता हैं और राधिका के मोबाइल को वो अपने पास ही रख लेता हैं और उसे स्विच ऑफ कर देता हैं...विजय ने अंजाने में या जान बूझकर राधिका का मोबाइल स्विच ऑफ किया था शायद अब यही उसने सबसे बड़ी ग़लती कर दी थी. क्यों कि राहुल अच्छे से जानता था कि राधिका अपना मोबाइल कभी स्विच ऑफ नहीं करती और जाने अंजाने में राहुल को ज़रूर इस बात पर शक होना ही था..राधिका अपने कपड़े पहन कर कजरी के साथ निकल पड़ती हैं तभी बिहारी काजीरी को चेतावनी की तौर पर कहता हैं..



बिहारी- ठीक हैं काजीरी तू राधिका को ले कर जा रही हैं मैं तुझे रोकुंगा नहीं..मगर इतना याद रखना अगर इस लड़की को कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. मैं भूल जाउन्गा की तेरे से मेरा कोई रिश्ता भी हैं..



कजरी कुछ नहीं कहती और वो राधिका को लेकर अपने साथ चली जाती हैं..राधिका के दिल में अब किसी तरह का डर और घबराहट नहीं थी. और वो अच्छे से जानती थी कि जहाँ वो जा रही हैं वे लोग उसके साथ बहुत बुरा सुलूक करेंगे मगर उसे सब मंज़ूर था. इन सब के पीछे वजह ये थी कि वो बिहारी के मूह पर एक करकरा जवाब देना चाहती थी और आज उसके इस फ़ैसले से बिहारी उसके सामने अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था..



थोड़ी देर के बाद वो कार एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं और फिर काजीरी राधिका को अपने साथ लेकर उस घर में जाती हैं. अंदर एक बड़ा सा हॉल था. और कमरे में कोई नहीं था. काजीरी फिर एक फोन कॉल करती हैं और बस इतनी ही कहती हैं कि इंतज़ाम हो गया हैं और कुछ पैसों का बात भी करती हैं. उधेर से जवाब आता हैं कि वी लोग 1/2 घने में आ रहें हैं. करीब 1/2 घंटे में दो कार वहाँ तेज़ी से आकर रुकती हैं. उस कार में से 6 व्यक्ति निकलते हैं और सीधा कमरे में एंटर होते सब की हाइट करीब 6 फीट के आस पास थी.सभी का उमर लगभग 40 से 50 साल के आस पास था.. कमरे में वो लोग एंटर होते हैं जब उनकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो उन सब के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं..



तभी पहला राधिका की ओर देखकर बोलता हैं- ओपन युवर क्लॉत बेबी... यू डो'न्ट नो दा रूल्स. इन दिस रूम व्हेन यू एंटर फर्स्ट.... यू हॅव टू रिमूव ऑल दा क्लोद्स...देन एंटर इनसाइड.. आइ थिंक यू अंडरस्टॅंड बेबी...



राधिका बिना किसी बहस के अपने कपड़े उन सब के सामने उतारने लगती हैं..



तभी दूसरा बोलता हैं- हे...काजीरी यू गो आउट साइड... वी हॅव पे 10 लख्स रुपीज़ फॉर वन नाइट फॉर दिस बेबी.. सो यू कम ....ऑन टुमॉरो मॉर्निंग... कजरी कुछ नहीं बोलती और चुप चाप बाहर निकल जाती हैं..



तभी तीसरा बोलता हैं- वॉट'स युवर नेम बेबी...



राधिका..... मेरा नाम राधिका हैं...



तभी चौथा बोलता हैं- वॉट ईज़ युवर फिगर साइज़ बेबी..



राधिका- 36,24,32.. इसी तरह के भद्दे सवालों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं..और राधिका हर एक सवालों का जवाब बिना शरमाये देती हैं.



थोड़ी देर के बाद वो उन सब के सामने एक एक कर पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाती हैं.. तभी एक और आदमी जाकर दरवाज़ा बाहर से लॉक कर देता हैं और एक बड़ा सा रस्सी लेकर आता हैं.. फिर वो राधिका के पीछे जाकर उसके दोनो हाथों को पीछे से कसकर बाँध देता हैं...

फिफ्थ वन- यू नो बेबी दिस ईज़ गंगबॅंग सूयीट... आंड इन तीस सूयीट देर ईज़ नो रेस्टिक्षन्स आंड नो मर्सी...सो वी गिव ऑर्डर्स आंड यू मस्ट हॅव टू फॉलो इट... अदरवाइज़ इट ईज़ नोट गुड फॉर यू.... आइ थिंक यू गॉट इट. व्हाट आइ वॉंट टू से... राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं...



फिर एक एक कर सभी अपने कपड़े उतारना शुरू करते हैं और कुछ देर में उन सब के लंड राधिका के सामने होते हैं. सभी के लंड करीब 10 इंच के आस पास थे... फिर शुरू होता हैं राधिका की चुदाई का सिलसिला. जैसे राधिका ने सोचा था उससे कहीं ज़्यादा वो लोग दरिंदे थे. सबसे पहले तो उसका लंड चुसाइ का सिलसिला शुरू होता हैं. हाथ पीछे बँधे होने की वजह से जैसे वे लोग चाहते राधिका के मूह में अपना लंड डालकर उससे चुस्वाते और हर पोज़ीशन में उसके मूह में अपना पूरा लंड डालते और अपना कम उसे पिलाते.. अगर एक बूद भी नीचे गिरता तो वे सब उससे फर्श चाट कर सॉफ करने को कहते... करीब 1 घंटे तक लंड चूसने का खेल चलता रहता हैं. फिर कभी दो लंड एक साथ उससे एक ही समय पर चुस्वाते. ऐसे ही बीच बीच में उसको छड़ी से भी उसके गान्ड पर मारते हैं जैसे कि ब्लू फ़िल्मो में होता हैं. राधिका चुप चाप उनसब के ज़ुल्म सहती रहती...



फिर धीरे धीरे एक एक कर राधिका की गान्ड और चूत की चुदाई का सिलसिला चालू हो जाता हैं वैसे तो राधिका इन सब की आदि हो चुकी थी मगर ये लोग एक्सपर्ट थे भला इन सब के आगे राधिका की क्या बिसात... एक एक आदमी एक एक घंटे तक उसकी चूत गान्ड मारता हैं और फिर बारी बारी से उसके तीनों छेदों में एक साथ लंड डाला जाता हैं और करीब रात 12 बजे तक तो राधिका बड़ी आसानी से उन सब को हॅंडल कर लेती हैं मगर इसके बाद जो दौर चालू होता हैं वो राधिका कभी सपने में भी नहीं सोचती थी.. जिन्हें वो इंसान समझ रही थी वो तो पूरे दरिंदे थे...दरिंदे..



अब जो दौर चालू हुआ उसमें राधिका की हालत बहुत बिगड़ने वाली थी. एक ही समय पर दो दो लंड उसकी चूत में डाला गया जिससे एक बार तो राधिका दर्द की वजह से बेहोश हो गयी थी मगर फिर उसके मूह पर पानी मार मार कर उसे होश में लाया जाता. ऐसे ही सभी बदल बदल कर एक समय पर उसकी चूत में दो दो लंड एक साथ डालते. फिर वैसे ही उसकी गान्ड में डबल लंड का दौरा चला. हर बार दो आदमी एक साथ उसकी चूत तो कभी उसके गान्ड में दो दो लंड डालते.. इस बीच राधिका तीन बार बेहोश हो चुकी थी..



पूरी रात भर उसकी इसी तरह से चुदाई का दौरा चलता रहा और राधिका दर्द से रात भर चीखती और चिल्लाति रही...उसे आज मालूम चल गया था कि गंगबॅंग सूयीट क्या होता हैं..सच में उन सभी के अंदर दया नाम की कोई चीज़ नहीं थी..जहाँ राधिका उन सब के अगेन्स्ट जाती या उनका कहा मानने में थोड़ी भी देर करती उसको छड़ी की मार सहनी पड़ती..ऐसे ही करीब सुबेह तक ये दौरा चलता रहा और सुबेह के करीब 4 बजे तक राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी..फिर भी करीब 5 बजे तक उसकी चुदाई का दौर चलता रहा और सुबेह के 5:30 बजे वे सब अपने कपड़े पहन कर निकल जाते हैं और वहीं राधिका फर्श पर अभी भी बेहोसी की हालत में पड़ी हुई थी... और राधिका की चूत और गान्ड से धीरे धीरे ब्लीडिंग भी अब हो रही थी...



इसी बीच शाम को निशा बार बार राधिका के मोबाइल पर अपना फोन ट्राइ कर रही थी मगर हर बार यही जवाब आता .....स्वित ऑफ... जब निशा को नहीं रहा गया तो वो फ़ौरन राधिका के घर के लिए निकल पड़ती हैं. उसके दिल में भी एक डर बैठ गया था कि आख़िर क्या वजह हैं जो राधिका इतने दिनों से उससे मिलने भी नहीं आई और आज उसका फोन भी बंद हैं.. दिल में हज़ारों सवाल लिए जब वो राधिका के घर के पास पहुँचती हैं तो घर पर ताला लगा देखकर उसका डर और बढ़ जाता हैं..



थोड़ी देर तक वो वहीं आस पास घूमती हैं और साथ ही साथ वो राधिका का फोन भी ट्राइ करती हैं मगर हर बार एक ही जवाब आता हैं . निशा को इस वक़्त राधिका पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था..और और बार बार बड़बड़ा रही थी..... समझती क्या हैं अपने आप को आज घर पर भी ताला लगा हुआ हैं और अपना मोबाइल भी बंद कर रखी हैं. आने दे आज उसे बताउन्गि....मुझे इतने दिनों तक मिलने भी नहीं आई... लेकिन वो गयी तो गयी कहाँ???



तभी वहीं पड़ोस में एक आंटी निशा को परेशान घूमते हुए इधेर उधेर देखती हैं तो वो उसके पास आती हैं.. निशा की जब नज़र उस आंटी पर पड़ती हैं तो वो उसे नमस्ते कहती हैं और राधिका के बारे में उससे पूछती हैं...



निशा- आंटी क्या आपको मालूम हैं कि राधिका कहाँ गयी हुई हैं..



तभी वो आंटी जो बात उससे कहती हैं वो निशा के होश उड़ जाते हैं-- कमाल हैं बेटी मैं तो समझ रही थी कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यह्न गयी होगी ..आज उसको गये हुए करीब 6 दिन बीत गये हैं मुझे लगा कि वो तेरी अच्छी दोस्त हैं तो तुझे बता कर गयी होगी...



निशा- आंटी प्लीज़ जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहिए...मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.. कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया ...



फिर वो आंटी कहती हैं- बेटी अभी 6 दिन पहले एक स्कॉर्पियो गाड़ी यहाँ पर आई थी. और मैने राधिका को उस गाड़ी में जाते हुए देखा मुझे लगा कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ गयी होगी शायद वो सब हादसा उसके घर जो हुआ था... तब से वो अब तक घर नहीं लौटी....



निशा- क्या घर नहीं लौटी.. मगर दो दिन पहले ही तो मेरी उससे बात हुई थी. कहाँ जा सकती हैं वो... तभी वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और राधिका की सारी बातें उसे बताती हैं... राहुल के भी होश उड़ जाते हैं और वो तुरंत मुंबई से उसी शाम फ्लाइट पकड़ कर मनाली आ जाता हैं और करीब रात 9 बजे वो ख़ान और अपने आदमियों को लेकर राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं... राधिका के लिए तो राहुल आकाश पाताल एक कर देगा और कहीं भी राधिका होगी वो उसे ढूँढ निकालेगा..
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 12:21 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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