20-09-2019, 12:14 PM
Update 36
खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
बिहारी तभी राधिका के करीब आता हैं - वाह मेरी जान.......वाह... कसम से वाकई तू क्या चीज़ हैं. मुझे नहीं पता था कि तू नंगी हालत में और खूबसूरत लगेगी. और फिर बिहारी उसके पीछे जाकर उससे सट कर खड़ा हो जाता हैं और धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाते हुए उसके दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में पूरी ताक़त से भीच लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. मगर इस बार वो अपने हाथों को रोकता नहीं बल्कि उसी तरह उसके दोनो बूब्स को मसलता रहता हैं. फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रखकर उसको अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. और अपना लंड का प्रेशर राधिका के गान्ड पर डालने लगता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँख बंद किए हुए बिहारी को पूरी मनमानी करने दे रही थी. तभी विजय और जग्गा भी उसके पास आ जाते हैं और जग्गा नीचे झूल कर राधिका की चूत पर अपने होंठ रख कर बड़े हौले से अपना जीभ फिराने लगता हैं और विजय उसके दोनो निपल्स को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ता हैं.
राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.
राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.
राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..
राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.
बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.
राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.
बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..
विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....
राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.
बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
बिहारी- चल अब यहाँ सोफे पर लेट जा और अपनी गर्देन फर्श की ओर झुका ले. राधिका चुप चाप वही बिस्तेर पर पीठ के बल लेट जाती हैं और अपनी गर्देन बेड के नीचे झुका लेती हैं. वो अच्छे से जानती थी कि बिहारी अब उसके हलक तक अपना लंड डालेगा जिससे उसको तकलीफ़ होगी मगर चूत की आग के लिए उसे इस वक़्त सब मंज़ूर था. थोड़ी देर बाद बिहारी अपना लंड उसके मूह के पास रखता हैं और फिर अपना लंड उसके मूह में धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. राधिका भी बिहारी का पूरा समर्थन करती है और अपना मूह पूरा खोल लेती हैं. बिहारी धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे उसका लंड राधिका के हलक में जाने लगता हैं.
जैसे जैसे लंड राधिका के मूह में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की तकलीफे भी बढ़ने लगती हैं मगर वो हिम्मत नहीं छोड़ती. बिहारी मुस्कुराते हुए अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं और कुछ देर तक वो राधिका के गले में ही वैसे अपना लंड रोके रहता हैं. फिर वो तुरंत अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अपना लंड राधिका के गले के नीचे उतार देता हैं. झटका इतना ज़ोरदार था कि राधिका को ऐसा लगता हैं कि उसका गला फट जाएगा और एक तेज़्ज़ दर्द की लहर उसके गले में दौड़ जाती हैं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. थोड़ी और ज़ोर देने पर बिहारी का पूरा 8 इंच का लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में कामयाब हो जाता हैं. वो वैसे ही कुछ देर तक अपना लंड उसी पोज़िशन में रखता है. राधिका को ऐसा लगता है कि उसका दम घूट जाएगा मगर वो बिहारी को अपना लंड बाहर निकालने को नहीं कहती. करीब 15 सेकेंड तक राधिका के हलक में लंड रखने पर राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और फिर तुरंत बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं.
थोड़ी देर में राधिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं फिर बिहारी बिना रुके अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के हलक में दुबारा पहुचा देता हैं और तभी विजय उसके पास आता हैं और अपने हाथों से उसकी गर्देन को दबाने लगता हैं. बिहारी उसी पोज़िशन में अपना लंड फँसाए रहता हैं और फिर एक तेज़्ज़ पिचकारी उसके लंड से छूटती हैं और और सीधा राधिका के गले में उतर जाती हैं और कुछ बूँदें उसके होंटो से बहते हुए उसके गालों की ओर बहने लगती हैं. तभी बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. फिर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड पूरा का पूरा फिर से राधिका के हलक में डाल देता हैं और वो भी उसी तरह उसकी गले में कुछ देर लंड डाले रहता हैं. और करीब 1 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के गले के नीचे अपना लंड पेले रहता हैं जब तक उसका भी कम नहीं निकल जाता. राधिका की हालत खराब हो गयी थी. विजय जब भी चुदाई करता वो हैवान बन जाता था. राधिका का गला दर्द कर रहा था मगर वो इस वक़्त उसके सिर पर चूत का खुमार छाया हुआ था. फिर लाइन में जग्गा भी आता हैं और फिर से वही होता हैं. जग्गा का भी कम कुछ राधिका के हलक़ में समा चुका था और कुछ बाहर फर्श पर टपक रहा था.
राधिका की आँखों में इस वक़्त आँसू थे. अभी तो ये शुरुआत थी पता नहीं आने वाले उन सात दिनों में उसके साथ और क्या क्या होने वाला था. वो भी बुरी तरह से हाफ़ रही थी और उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.
बिहारी- मैं ना कहता था कि एक दिन तुझे अपने कदमों में झुका दूँगा. बोल आज कौन जीता तू ......कि मैं.
राधिका- हां बिहारी तुम जीत गये शायद मैं ही ग़लत थी. आज तुम्हारा जो दिल में आए मेरे साथ कर लो...... जो तुम करना चाहते हो. राधिका आज तुमसे वादा करती हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुम्हें किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी. चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए और वैसे भी अब मैं जीना नहीं चाहती और इतना सब कुछ हो जाने के बाद मेरा राहुल भी अब मुझे नहीं आपनाएगा. भले ही आज तुम जीत गये और तुमने मुझे हासिल कर लिया मगर मुझे तो सिर्फ़ हार ही मिली है लेकिन तुम क्या समझोगे बिहारी रहने दो ये सब बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएगी. तुम्हें तो मेरे जिस्म से बस प्यार हैं. लो आज मैं तुम्हारे सामने बिन कपड़ों के खड़ी हूँ अब किस बात की देर हैं. कर लो अपनी ये गंदी हसरत...........आज तुम्हारे इस जीत की वजह से मैं आज अपनी ज़िंदगी से भी हार गयी हूँ और अपने आप से भी...
बिहारी राधिका की बातो से कुछ बोल नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुका लेता हैं. वो अच्छे से जानता था कि आज भले ही राधिका ने उसके सामने अपना जिस्म सौप दिया हो मगर उसके बाद उसकी ज़िंदगी में कौन सा मोड़ आएगा ये उसके नहीं पता था और ना ही राधिका इस बारे में जानना चाहती थी. क्यों कि वो जानती थी कि इस एक हफ्ते के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से तबाह हो चुकी होगी...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे हाथ क्यों रुक गये. चल आगे बढ़ और आज फिर से दिखा दे अपना कमीनपन. इसको भी तो पता चले कि हम कितने बड़े कमिने हैं.
बिहारी विजय की बातो को सुनकर जैसे नींद से जागता हैं और फिर वो राधिका के पास आता हैं और अपना हाथ आगे बढ़ाकर राधिका के गालों को बड़े प्यार से अपना हाथ फिराने लगता हैं. तभी विजय और जग्गा उसके पास आते हैं और राधिका के पीछे खड़े हो जाते हैं. विजय अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं और उधेर जग्गा अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत से खेलने लगता हैं. राधिका एक बार फिर मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी बड़े प्यार से राधिका के होंटो को चूसने लगता हैं.
राधिका की आग अभी भी नहीं बुझी थी. फिर से उसकी आँखों में हवस सॉफ दिखाई देने लगती हैं. तभी विजय उसके पास से हट जाता हैं और राधिका को वहीं सोफे पर दोनो पैर फैलाकर बैठने का इशारा करता हैं. राधिका तुरंत वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं और अपनी दोनो टाँगें पूरा खोल देती हैं. राधिका जिस अंदाज़ में अपनी टाँगें खोल कर उन तीनों के सामने बैठी हुई थी इस हालत में अगर उसे कोई देख लेता तो यही कहता कि वो कितनी बड़ी रंडी हैं. तभी जग्गा उसकी चूत के पास आता हैं और अपना मूह राधिका की चूत के पास रख देता हैं और बड़े हौले से उसकी चूत के लिप्स को अपने जीभ से चाटने लगता है. राधिका की चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली थी. और लगातार उसकी चूत से पानी बह रहा था. तभी जग्गा अपनी एक उंगली को धीरे धीरे हरकत करता हैं और धीरे धीरे फिराते हुए पहले उसकी चूत के चारों तरफ बड़े हौले हौले अपनी जीभ फिराता है और फिर वो उसकी गान्ड के पास उसे ले जाता हैं और अपनी उंगली वहीं राधिका की गान्ड में वही उंगली धीरे धीरे घुसाने लगता हैं.
सामने से जग्गा अपनी जीभ से उसकी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ वो अपनी एक उंगली राधिका की गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. राधिका धीरे धीरे झरने के और करीब आ रही थी और उधेर विजय लगातार उसके बूब्स को मसल रहा था.और साथ ही साथ अपने दोनो उंगलियों से उसके निपल्स को मसल रहा था. बिहारी दूर खड़ा सब नज़ारा बड़े ध्यान से देख रहा था. फिर बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड धीरे धीरे फिर से बढ़ाने लगता हैं. उधेर जग्गा अपने दोनो हाथों की उंगलियों से राधिका की चूत की दोनो फांकों को अलग करता हैं और उसे अंदर वही डिल्डो दिखाई देता हैं. फिर वो धीरे धीरे उस डिल्डो को राधिका को पुश करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी विरोध के वो अपने अंदर रखे डिल्डो को धीरे धीरे पुश करती हैं और जैसे जैसे वो डिल्डो बाहर आता हैं राधिका की सिसकारी भी बढ़ने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो डिल्डो थोड़ा बाहर आता हैं और फिर जग्गा अपने मूह में वो डिल्डो फँसा लेता हैं और वैसे ही धीरे धीरे उसपर अपनी जीभ फिराने लगता हैं. बिहारी अब वाइब्रटर को बंद कर चुका था.
थोड़ी देर के बाद वो वाइब्रटर राधिका की चूत से बाहर निकल जाता हैं. उसमें राधिका की चूत का रस पूरी तरह लगा हुआ था. फिर जग्गा वो डिल्डो राधिका की ओर ले जाता हैं और उसे अपने मूह में लेने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के उस डिल्डो को अपने मूह में ले लेती हैं तभी जग्गा उसके मूह के पास आता हैं और डिल्डो का दूसरे सिरे पर अपना जीभ फिराता हैं. ऐसे ही कुछ देर तक एक तरफ राधिका और दूसरी तरफ जग्गा दोनो उसपर लगा राधिका की चूत का पानी को चाटते हैं. फिर वो डिल्डो को वहीं साइड में रख देता हैं और फिर से उसके होंटो को चूसने लगता हैं. राधिका ने तो कभी इस तरह का सेक्स ना ही सुना था और ना ही कभी किया था मगर आज उसके अंदर की हवस इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे कुछ सही और ग़लत नहीं लग रहा था...
तभी बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और उसके होंटो को फिर से चूसने लगता हैं. जग्गा वहीं दूर हट जाता है इस वक़्त राधिका उन तीनों के बीच घिरी हुई थी. तभी बिहारी अपनी एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और फिर धीरे धीरे उसके बाद बहुत तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी मगर वो अभी तक फारिग नहीं हुई थी. जब राधिका फिर से झरने के एक दम करीब होती हैं तभी बिहारी झट से अपनी उंगली राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता हैं. इस बार राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और फिर से वो बिहारी के कदमों के पास बैठ जाती हैं....
राधिका- बस करो बिहारी........अब मुझसे सब्र नहीं होता. मेरी चूत में तुम अपना लंड डालकर मेरी जी भर कर चुदाई करो मगर ऐसे ज़ुल्म मुझपर मत करो. मेरा धैर्य और सब्र सब टूट चुका हैं. प्लीज़................आख़िर तुम क्या चाहते हो वो भी तो मुझसे कह कर देख लो अगर मैं तुम्हें इनकार करूँगी तो तुम बेशक मेरे साथ ऐसा भी जुर्म करना............
बिहारी हंसते हुए- वो क्या हैं ना राधिका जब तक मुझे औरत की बेबसी नहीं दिखती मुझे सुकून नहीं मिलता. चल अब तू कह रही हैं तो मैं तेरी चूत की आग ठंडी कर देता हूँ लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा....
राधिका- और क्या चाहिए बिहारी जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी. बस एक बार कह कर देख लो...
बिहारी- ठीक हैं मेरी जान तो सबसे पहले मैं तेरी गान्ड मारूँगा. फिर बाद में तेरी चूत. बोल मंज़ूर हैं. आख़िर मैं भी तो देखूं कि तेरी गान्ड मारने में कैसा मज़ा आता हैं. बोल अपनी गान्ड मरवाएगी ना मुझसे.
राधिका- हां बिहारी मर्वाउन्गि जो तू चाहता हैं वो आज अपनी हसरत पूरी कर ले. मैं तुझे किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
फिर बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और एक उंगली झट से राधिका की गान्ड में डाल देता हैं और फिर तेज़ी से अपने उंगलियों की हरकत करता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं और वो भी मज़े से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी उसको अपने उपर आने को कहता हैं और राधिका झट से बिहारी के उपर आती हैं और अपनी गान्ड को उसके लंड पर रख देती हैं और आहिस्ता आहिस्ता बैठी चली जाती हैं. तकलीफ़ तो उसे बहुत होती हैं मगर वो नहीं रुकती और जब तक बिहारी का पूरा लंड अपनी गान्ड में नहीं ले लेती तब तक वो उसी तरह बिहारी के लंड पर दबाव बनाए रखती हैं. बिहारी अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को थाम लेता हैं और फिर धीरे धीरे उसकी गान्ड मारना शुरू करता हैं. कुछ दर्द और कुछ मज़े का मिला जुला रूप इस वक़्त राधिका अपने अंदर महसूस कर रही थी. फिर वो अपने एक हाथ नीचे अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपनी एक उंगली से अपने क्लिट को मसल्ने लगती हैं
उधेर बिहारी का लंड तेज़ी से आगे पीछे होने लगता हैं और इधेर उसकी हाथ तेज़ी से हरकत करने लगती हैं. विजय और जग्गा अपने हाथों से अपना लंड सहला रहे थे. तभी विजय धीरे धीरे राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास ले जाता हैं. राधिका समझ जाती है कि विजय क्या चाहता हैं. फिर वो बिना रुके झट से विजय के लंड को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसे चूसने लगती हैं. ऐसा पहली बार था कि राधिका आज दो लंड एक साथ अपने गान्ड और मूह में ली हुई थी. धीरे धीरे विजय भी अपने लंड पर दबाव बढ़ाने लगता हैं और कुछ देर में उसका लंड राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं. इतनी देर से जग्गा भी खड़ा चुप चाप अपने लंड को हिला रहा था वो भी अब राधिका के पास जाता हैं और अपना लंड सीधा उसकी चूत में डालने लगता हैं. राधिका लंड चूसना छोड़ कर एक नज़र जग्गा की ओर देखने लगती हैं.
वैसे राधिका जानती थी कि इस तरह का सेक्स फ़िल्मो में होता हैं मगर उसे क्या मालून था कि ऐसा सेक्स उसके साथ भी होगा. उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था कुछ एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कुछ डर से.. फिर भी वो जग्गा की किसी भी बात का कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे जग्गा का लंड उसकी चूत में जाना चालू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड उसकी चूत में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की चीखें बढ़ती जाती हैं और उसका दर्द भी बढ़ता जाता हैं. थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जग्गा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और बिना रुके एक ही झटके में अपना लंड पूरा अंदर डाल देता हैं. राधिका की एक ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें लज़्ज़त से बंद हो जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राधिका की तकलीफ़ अब धीरे धीरे मज़े में बदल जाती हैं. उसकी भी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और एक ही समय पर एक साथ तीन लंड वो अपने अंदर ली हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि वो अब जन्नत में हैं उपर से ड्रग्स और वियाग्रा का नशा पहले से उसपर हावी था. इस समय वो कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं थी. बस कैसे भी करके उसको चूत की आग ठंडी करनी थी और वो इसके लिए आज कितना भी नीचे गिर सकती थी. करीब 10 मिनिट ही बीते होंगे राधिका के अंदर इतनी देर से जो तूफान रूका हुआ था अब वो सैलाब बनकर उमड़ पड़ा था. अब वो अपने चरम सीमा पर थी तभी वो चीख पड़ती हैं और विजय का भी लंड पानी छोड़ देता हैं और उधेर बिहार और जग्गा के लंड से भी एक सैलाब उमड़ पड़ता हैं और तीनों वहीं निढाल होकर उसके उपर पसर जाते हैं और राधिका की चूत के अंदर भी एक लावा बह निकलता हैं जिससे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं. जिसके लिए वो इतनी देर से तड़प रही थी. आज उसके अंदर का लावा फुट पड़ा था. वो भी वहीं उन तीनों के साथ धाम से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. ना जाने कितने देर तक वो ऐसे ही अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती हैं.
आज वो जिस अंदाज़ में फारिग हुई थी ऐसा वो कभी नहीं हुई थी. आज उसे मालूम हुआ कि जिस्म की आग इंसान को कितना मज़बूर और लाचार बना सकती हैं. आज भी पहले की तरह राधिका के आँखों में आँसू थे पछतावे के...... मगर आज राधिका खुद इतनी आगे बढ़ चुकी थी की उसका लौटना ना-मुमकिन था. और शायद उसको ये एहसास हो चुका था कि अब वो राहुल के लायक नहीं............बस ऐसे ही कई सारे ख्याल उसके मन में आते हैं मगर अब पछताने से भी क्या होने वाला था. थोड़ी देर के बाद बिहारी जग्गा और विजय फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल खेलते हैं और ऐसे ही ये सब मिलकर बारी बारी से राधिका की चूत गान्ड की रात भर चुदाई करते हैं. राधिका भी उन सब का पूरा साथ देती हैं और पूरा मज़ा लेती हैं. रात भर चुदाई के दौरान राधिका करीब तीन बार फारिग हुई थी.
करीब सुबेह के 5 बजे वो तीनों उठते हैं और वहाँ से अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल जाते हैं. राधिका के जिस्म पर अब भी एक कपड़ा इस वक़्त मौजूद नहीं था. वो बिल्कुल नंगी हालत मे अभी भी वहीं बिस्तेर पर लेटी हुई थी. करीब 1 घंटे के बाद उसके कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शक्श फिर से कमरे में अंदर दाखिल होता हैं. कदमों की आहट सुनकर राधिका की आँखें खुल जाती हैं और वो उस आने वाले शक्ष को बड़े गौर से देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो सख्श अंदर आकर उसके सामने वहीं उसके पास खड़ा हो जाता हैं और बड़े गौर से राधिका को उपर से नीचे तक देखने लगता हैं. राधिका शरामकर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं मगर अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश बिल्कुल नहीं करती. उसके हाथों में एक बड़ा सा शौल (चद्दर) था. राधिका बड़े गौर से उस सख्श को देखने लगती हैं. पता नहीं ये शख़्श आख़िर उससे क्या चाहता हैं ना ही उसने कुछ उससे कहा बस एक टक वो राधिका को बड़े गौर से देख रहा था. पता नहीं ये शख़्श उसके लिए मसीहा बनकर आया था या फिर एक दरिन्दा....ये तो आने वाला वक़्त बता सकता था .
राधिका के मन में अभी भी कई सारे सवाल उठ रहे थे कि आख़िर कौन हैं ये आदमी जो इस तरह आकर उसके सामने खड़ा है और क्या उसका भी यही मकसद हैं कि वो भी उसके जिस्म को भोगेगा.... ऐसे ही कई सारे सवाल राधिका के मन में घूम रहे थे. तभी सोच में डूबी राधिका के कानों में उस सख्श की आवाज़ गूँजती हैं जिसे सुनकर वो ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं...वो शक्श और कोई नहीं बल्कि बिहारी का बहुत पुराना नौकर शंकर था. उसकी उमर करीब 60 साल के आस पास थी. सिर पर हल्के सफेद बाल और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी. वो बिहारी का बहुत ही ख़ास नौकर था..
शंकर- बेटी ऐसे क्या मुझे देख रही हो... मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ. ये लो शॉल और अपने नंगे बदन को इससे ढक लो. फिर शंकर वो शॉल राधिका को थमा देता हैं. राधिका एक टक शंकर को देखने लगती हैं फिर वो शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं.
राधिका- कौन हैं आप और इस तरह से मेरे लिए इतनी हमदर्दी किस लिए और मैं तो आपको जानती भी नहीं???
शंकर वहीं राधिका के पास बिस्तेर पर बैठ जाता हैं और अपने हाथों से बड़े ही प्यार से राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं- मुझे ग़लत मत समझना बेटी. मेरा नाम शंकर है और मैं बिहारी का पुराना नौकर हूँ. बरसो से यहाँ पर रहकर इस घर की सेवा की हैं. तुम मुझे नहीं जानती मगर मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. तुम्हारा नाम राधिका हैं ना....
राधिका सवाल भरे नज़रे से फिर से शंकर को देखने लगती हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आप को मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों हैं. अगर आपको मेरा जिस्म चाहिए तो आप बे-झीजक मुझसे कह सकते हैं. मैं आपको मना नहीं करूँगी जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. आख़िर अब मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे एक के साथ सोयूँ या...... दस के साथ. अब तो मैं एक रंडी बन ही चुकी हूँ..मेरे माथे पर तो कलंक का टीका लग ही चुका हैं. थोड़ा सा और नीचे गिर जाने से मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा....चिंता मत करो काका आपकी जो इच्छा हो मुझे बता दो मैं उसे ज़रूर पूरा करूँगी....
खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
बिहारी तभी राधिका के करीब आता हैं - वाह मेरी जान.......वाह... कसम से वाकई तू क्या चीज़ हैं. मुझे नहीं पता था कि तू नंगी हालत में और खूबसूरत लगेगी. और फिर बिहारी उसके पीछे जाकर उससे सट कर खड़ा हो जाता हैं और धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाते हुए उसके दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में पूरी ताक़त से भीच लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. मगर इस बार वो अपने हाथों को रोकता नहीं बल्कि उसी तरह उसके दोनो बूब्स को मसलता रहता हैं. फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रखकर उसको अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. और अपना लंड का प्रेशर राधिका के गान्ड पर डालने लगता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँख बंद किए हुए बिहारी को पूरी मनमानी करने दे रही थी. तभी विजय और जग्गा भी उसके पास आ जाते हैं और जग्गा नीचे झूल कर राधिका की चूत पर अपने होंठ रख कर बड़े हौले से अपना जीभ फिराने लगता हैं और विजय उसके दोनो निपल्स को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ता हैं.
राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.
राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.
राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..
राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.
बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.
राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.
बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..
विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....
राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.
बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
बिहारी- चल अब यहाँ सोफे पर लेट जा और अपनी गर्देन फर्श की ओर झुका ले. राधिका चुप चाप वही बिस्तेर पर पीठ के बल लेट जाती हैं और अपनी गर्देन बेड के नीचे झुका लेती हैं. वो अच्छे से जानती थी कि बिहारी अब उसके हलक तक अपना लंड डालेगा जिससे उसको तकलीफ़ होगी मगर चूत की आग के लिए उसे इस वक़्त सब मंज़ूर था. थोड़ी देर बाद बिहारी अपना लंड उसके मूह के पास रखता हैं और फिर अपना लंड उसके मूह में धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. राधिका भी बिहारी का पूरा समर्थन करती है और अपना मूह पूरा खोल लेती हैं. बिहारी धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे उसका लंड राधिका के हलक में जाने लगता हैं.
जैसे जैसे लंड राधिका के मूह में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की तकलीफे भी बढ़ने लगती हैं मगर वो हिम्मत नहीं छोड़ती. बिहारी मुस्कुराते हुए अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं और कुछ देर तक वो राधिका के गले में ही वैसे अपना लंड रोके रहता हैं. फिर वो तुरंत अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अपना लंड राधिका के गले के नीचे उतार देता हैं. झटका इतना ज़ोरदार था कि राधिका को ऐसा लगता हैं कि उसका गला फट जाएगा और एक तेज़्ज़ दर्द की लहर उसके गले में दौड़ जाती हैं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. थोड़ी और ज़ोर देने पर बिहारी का पूरा 8 इंच का लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में कामयाब हो जाता हैं. वो वैसे ही कुछ देर तक अपना लंड उसी पोज़िशन में रखता है. राधिका को ऐसा लगता है कि उसका दम घूट जाएगा मगर वो बिहारी को अपना लंड बाहर निकालने को नहीं कहती. करीब 15 सेकेंड तक राधिका के हलक में लंड रखने पर राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और फिर तुरंत बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं.
थोड़ी देर में राधिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं फिर बिहारी बिना रुके अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के हलक में दुबारा पहुचा देता हैं और तभी विजय उसके पास आता हैं और अपने हाथों से उसकी गर्देन को दबाने लगता हैं. बिहारी उसी पोज़िशन में अपना लंड फँसाए रहता हैं और फिर एक तेज़्ज़ पिचकारी उसके लंड से छूटती हैं और और सीधा राधिका के गले में उतर जाती हैं और कुछ बूँदें उसके होंटो से बहते हुए उसके गालों की ओर बहने लगती हैं. तभी बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. फिर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड पूरा का पूरा फिर से राधिका के हलक में डाल देता हैं और वो भी उसी तरह उसकी गले में कुछ देर लंड डाले रहता हैं. और करीब 1 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के गले के नीचे अपना लंड पेले रहता हैं जब तक उसका भी कम नहीं निकल जाता. राधिका की हालत खराब हो गयी थी. विजय जब भी चुदाई करता वो हैवान बन जाता था. राधिका का गला दर्द कर रहा था मगर वो इस वक़्त उसके सिर पर चूत का खुमार छाया हुआ था. फिर लाइन में जग्गा भी आता हैं और फिर से वही होता हैं. जग्गा का भी कम कुछ राधिका के हलक़ में समा चुका था और कुछ बाहर फर्श पर टपक रहा था.
राधिका की आँखों में इस वक़्त आँसू थे. अभी तो ये शुरुआत थी पता नहीं आने वाले उन सात दिनों में उसके साथ और क्या क्या होने वाला था. वो भी बुरी तरह से हाफ़ रही थी और उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.
बिहारी- मैं ना कहता था कि एक दिन तुझे अपने कदमों में झुका दूँगा. बोल आज कौन जीता तू ......कि मैं.
राधिका- हां बिहारी तुम जीत गये शायद मैं ही ग़लत थी. आज तुम्हारा जो दिल में आए मेरे साथ कर लो...... जो तुम करना चाहते हो. राधिका आज तुमसे वादा करती हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुम्हें किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी. चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए और वैसे भी अब मैं जीना नहीं चाहती और इतना सब कुछ हो जाने के बाद मेरा राहुल भी अब मुझे नहीं आपनाएगा. भले ही आज तुम जीत गये और तुमने मुझे हासिल कर लिया मगर मुझे तो सिर्फ़ हार ही मिली है लेकिन तुम क्या समझोगे बिहारी रहने दो ये सब बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएगी. तुम्हें तो मेरे जिस्म से बस प्यार हैं. लो आज मैं तुम्हारे सामने बिन कपड़ों के खड़ी हूँ अब किस बात की देर हैं. कर लो अपनी ये गंदी हसरत...........आज तुम्हारे इस जीत की वजह से मैं आज अपनी ज़िंदगी से भी हार गयी हूँ और अपने आप से भी...
बिहारी राधिका की बातो से कुछ बोल नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुका लेता हैं. वो अच्छे से जानता था कि आज भले ही राधिका ने उसके सामने अपना जिस्म सौप दिया हो मगर उसके बाद उसकी ज़िंदगी में कौन सा मोड़ आएगा ये उसके नहीं पता था और ना ही राधिका इस बारे में जानना चाहती थी. क्यों कि वो जानती थी कि इस एक हफ्ते के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से तबाह हो चुकी होगी...
विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे हाथ क्यों रुक गये. चल आगे बढ़ और आज फिर से दिखा दे अपना कमीनपन. इसको भी तो पता चले कि हम कितने बड़े कमिने हैं.
बिहारी विजय की बातो को सुनकर जैसे नींद से जागता हैं और फिर वो राधिका के पास आता हैं और अपना हाथ आगे बढ़ाकर राधिका के गालों को बड़े प्यार से अपना हाथ फिराने लगता हैं. तभी विजय और जग्गा उसके पास आते हैं और राधिका के पीछे खड़े हो जाते हैं. विजय अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं और उधेर जग्गा अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत से खेलने लगता हैं. राधिका एक बार फिर मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी बड़े प्यार से राधिका के होंटो को चूसने लगता हैं.
राधिका की आग अभी भी नहीं बुझी थी. फिर से उसकी आँखों में हवस सॉफ दिखाई देने लगती हैं. तभी विजय उसके पास से हट जाता हैं और राधिका को वहीं सोफे पर दोनो पैर फैलाकर बैठने का इशारा करता हैं. राधिका तुरंत वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं और अपनी दोनो टाँगें पूरा खोल देती हैं. राधिका जिस अंदाज़ में अपनी टाँगें खोल कर उन तीनों के सामने बैठी हुई थी इस हालत में अगर उसे कोई देख लेता तो यही कहता कि वो कितनी बड़ी रंडी हैं. तभी जग्गा उसकी चूत के पास आता हैं और अपना मूह राधिका की चूत के पास रख देता हैं और बड़े हौले से उसकी चूत के लिप्स को अपने जीभ से चाटने लगता है. राधिका की चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली थी. और लगातार उसकी चूत से पानी बह रहा था. तभी जग्गा अपनी एक उंगली को धीरे धीरे हरकत करता हैं और धीरे धीरे फिराते हुए पहले उसकी चूत के चारों तरफ बड़े हौले हौले अपनी जीभ फिराता है और फिर वो उसकी गान्ड के पास उसे ले जाता हैं और अपनी उंगली वहीं राधिका की गान्ड में वही उंगली धीरे धीरे घुसाने लगता हैं.
सामने से जग्गा अपनी जीभ से उसकी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ वो अपनी एक उंगली राधिका की गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. राधिका धीरे धीरे झरने के और करीब आ रही थी और उधेर विजय लगातार उसके बूब्स को मसल रहा था.और साथ ही साथ अपने दोनो उंगलियों से उसके निपल्स को मसल रहा था. बिहारी दूर खड़ा सब नज़ारा बड़े ध्यान से देख रहा था. फिर बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड धीरे धीरे फिर से बढ़ाने लगता हैं. उधेर जग्गा अपने दोनो हाथों की उंगलियों से राधिका की चूत की दोनो फांकों को अलग करता हैं और उसे अंदर वही डिल्डो दिखाई देता हैं. फिर वो धीरे धीरे उस डिल्डो को राधिका को पुश करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी विरोध के वो अपने अंदर रखे डिल्डो को धीरे धीरे पुश करती हैं और जैसे जैसे वो डिल्डो बाहर आता हैं राधिका की सिसकारी भी बढ़ने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो डिल्डो थोड़ा बाहर आता हैं और फिर जग्गा अपने मूह में वो डिल्डो फँसा लेता हैं और वैसे ही धीरे धीरे उसपर अपनी जीभ फिराने लगता हैं. बिहारी अब वाइब्रटर को बंद कर चुका था.
थोड़ी देर के बाद वो वाइब्रटर राधिका की चूत से बाहर निकल जाता हैं. उसमें राधिका की चूत का रस पूरी तरह लगा हुआ था. फिर जग्गा वो डिल्डो राधिका की ओर ले जाता हैं और उसे अपने मूह में लेने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के उस डिल्डो को अपने मूह में ले लेती हैं तभी जग्गा उसके मूह के पास आता हैं और डिल्डो का दूसरे सिरे पर अपना जीभ फिराता हैं. ऐसे ही कुछ देर तक एक तरफ राधिका और दूसरी तरफ जग्गा दोनो उसपर लगा राधिका की चूत का पानी को चाटते हैं. फिर वो डिल्डो को वहीं साइड में रख देता हैं और फिर से उसके होंटो को चूसने लगता हैं. राधिका ने तो कभी इस तरह का सेक्स ना ही सुना था और ना ही कभी किया था मगर आज उसके अंदर की हवस इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे कुछ सही और ग़लत नहीं लग रहा था...
तभी बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और उसके होंटो को फिर से चूसने लगता हैं. जग्गा वहीं दूर हट जाता है इस वक़्त राधिका उन तीनों के बीच घिरी हुई थी. तभी बिहारी अपनी एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और फिर धीरे धीरे उसके बाद बहुत तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी मगर वो अभी तक फारिग नहीं हुई थी. जब राधिका फिर से झरने के एक दम करीब होती हैं तभी बिहारी झट से अपनी उंगली राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता हैं. इस बार राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और फिर से वो बिहारी के कदमों के पास बैठ जाती हैं....
राधिका- बस करो बिहारी........अब मुझसे सब्र नहीं होता. मेरी चूत में तुम अपना लंड डालकर मेरी जी भर कर चुदाई करो मगर ऐसे ज़ुल्म मुझपर मत करो. मेरा धैर्य और सब्र सब टूट चुका हैं. प्लीज़................आख़िर तुम क्या चाहते हो वो भी तो मुझसे कह कर देख लो अगर मैं तुम्हें इनकार करूँगी तो तुम बेशक मेरे साथ ऐसा भी जुर्म करना............
बिहारी हंसते हुए- वो क्या हैं ना राधिका जब तक मुझे औरत की बेबसी नहीं दिखती मुझे सुकून नहीं मिलता. चल अब तू कह रही हैं तो मैं तेरी चूत की आग ठंडी कर देता हूँ लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा....
राधिका- और क्या चाहिए बिहारी जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी. बस एक बार कह कर देख लो...
बिहारी- ठीक हैं मेरी जान तो सबसे पहले मैं तेरी गान्ड मारूँगा. फिर बाद में तेरी चूत. बोल मंज़ूर हैं. आख़िर मैं भी तो देखूं कि तेरी गान्ड मारने में कैसा मज़ा आता हैं. बोल अपनी गान्ड मरवाएगी ना मुझसे.
राधिका- हां बिहारी मर्वाउन्गि जो तू चाहता हैं वो आज अपनी हसरत पूरी कर ले. मैं तुझे किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
फिर बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और एक उंगली झट से राधिका की गान्ड में डाल देता हैं और फिर तेज़ी से अपने उंगलियों की हरकत करता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं और वो भी मज़े से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी उसको अपने उपर आने को कहता हैं और राधिका झट से बिहारी के उपर आती हैं और अपनी गान्ड को उसके लंड पर रख देती हैं और आहिस्ता आहिस्ता बैठी चली जाती हैं. तकलीफ़ तो उसे बहुत होती हैं मगर वो नहीं रुकती और जब तक बिहारी का पूरा लंड अपनी गान्ड में नहीं ले लेती तब तक वो उसी तरह बिहारी के लंड पर दबाव बनाए रखती हैं. बिहारी अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को थाम लेता हैं और फिर धीरे धीरे उसकी गान्ड मारना शुरू करता हैं. कुछ दर्द और कुछ मज़े का मिला जुला रूप इस वक़्त राधिका अपने अंदर महसूस कर रही थी. फिर वो अपने एक हाथ नीचे अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपनी एक उंगली से अपने क्लिट को मसल्ने लगती हैं
उधेर बिहारी का लंड तेज़ी से आगे पीछे होने लगता हैं और इधेर उसकी हाथ तेज़ी से हरकत करने लगती हैं. विजय और जग्गा अपने हाथों से अपना लंड सहला रहे थे. तभी विजय धीरे धीरे राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास ले जाता हैं. राधिका समझ जाती है कि विजय क्या चाहता हैं. फिर वो बिना रुके झट से विजय के लंड को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसे चूसने लगती हैं. ऐसा पहली बार था कि राधिका आज दो लंड एक साथ अपने गान्ड और मूह में ली हुई थी. धीरे धीरे विजय भी अपने लंड पर दबाव बढ़ाने लगता हैं और कुछ देर में उसका लंड राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं. इतनी देर से जग्गा भी खड़ा चुप चाप अपने लंड को हिला रहा था वो भी अब राधिका के पास जाता हैं और अपना लंड सीधा उसकी चूत में डालने लगता हैं. राधिका लंड चूसना छोड़ कर एक नज़र जग्गा की ओर देखने लगती हैं.
वैसे राधिका जानती थी कि इस तरह का सेक्स फ़िल्मो में होता हैं मगर उसे क्या मालून था कि ऐसा सेक्स उसके साथ भी होगा. उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था कुछ एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कुछ डर से.. फिर भी वो जग्गा की किसी भी बात का कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे जग्गा का लंड उसकी चूत में जाना चालू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड उसकी चूत में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की चीखें बढ़ती जाती हैं और उसका दर्द भी बढ़ता जाता हैं. थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जग्गा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और बिना रुके एक ही झटके में अपना लंड पूरा अंदर डाल देता हैं. राधिका की एक ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें लज़्ज़त से बंद हो जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राधिका की तकलीफ़ अब धीरे धीरे मज़े में बदल जाती हैं. उसकी भी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और एक ही समय पर एक साथ तीन लंड वो अपने अंदर ली हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि वो अब जन्नत में हैं उपर से ड्रग्स और वियाग्रा का नशा पहले से उसपर हावी था. इस समय वो कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं थी. बस कैसे भी करके उसको चूत की आग ठंडी करनी थी और वो इसके लिए आज कितना भी नीचे गिर सकती थी. करीब 10 मिनिट ही बीते होंगे राधिका के अंदर इतनी देर से जो तूफान रूका हुआ था अब वो सैलाब बनकर उमड़ पड़ा था. अब वो अपने चरम सीमा पर थी तभी वो चीख पड़ती हैं और विजय का भी लंड पानी छोड़ देता हैं और उधेर बिहार और जग्गा के लंड से भी एक सैलाब उमड़ पड़ता हैं और तीनों वहीं निढाल होकर उसके उपर पसर जाते हैं और राधिका की चूत के अंदर भी एक लावा बह निकलता हैं जिससे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं. जिसके लिए वो इतनी देर से तड़प रही थी. आज उसके अंदर का लावा फुट पड़ा था. वो भी वहीं उन तीनों के साथ धाम से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. ना जाने कितने देर तक वो ऐसे ही अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती हैं.
आज वो जिस अंदाज़ में फारिग हुई थी ऐसा वो कभी नहीं हुई थी. आज उसे मालूम हुआ कि जिस्म की आग इंसान को कितना मज़बूर और लाचार बना सकती हैं. आज भी पहले की तरह राधिका के आँखों में आँसू थे पछतावे के...... मगर आज राधिका खुद इतनी आगे बढ़ चुकी थी की उसका लौटना ना-मुमकिन था. और शायद उसको ये एहसास हो चुका था कि अब वो राहुल के लायक नहीं............बस ऐसे ही कई सारे ख्याल उसके मन में आते हैं मगर अब पछताने से भी क्या होने वाला था. थोड़ी देर के बाद बिहारी जग्गा और विजय फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल खेलते हैं और ऐसे ही ये सब मिलकर बारी बारी से राधिका की चूत गान्ड की रात भर चुदाई करते हैं. राधिका भी उन सब का पूरा साथ देती हैं और पूरा मज़ा लेती हैं. रात भर चुदाई के दौरान राधिका करीब तीन बार फारिग हुई थी.
करीब सुबेह के 5 बजे वो तीनों उठते हैं और वहाँ से अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल जाते हैं. राधिका के जिस्म पर अब भी एक कपड़ा इस वक़्त मौजूद नहीं था. वो बिल्कुल नंगी हालत मे अभी भी वहीं बिस्तेर पर लेटी हुई थी. करीब 1 घंटे के बाद उसके कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शक्श फिर से कमरे में अंदर दाखिल होता हैं. कदमों की आहट सुनकर राधिका की आँखें खुल जाती हैं और वो उस आने वाले शक्ष को बड़े गौर से देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो सख्श अंदर आकर उसके सामने वहीं उसके पास खड़ा हो जाता हैं और बड़े गौर से राधिका को उपर से नीचे तक देखने लगता हैं. राधिका शरामकर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं मगर अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश बिल्कुल नहीं करती. उसके हाथों में एक बड़ा सा शौल (चद्दर) था. राधिका बड़े गौर से उस सख्श को देखने लगती हैं. पता नहीं ये शख़्श आख़िर उससे क्या चाहता हैं ना ही उसने कुछ उससे कहा बस एक टक वो राधिका को बड़े गौर से देख रहा था. पता नहीं ये शख़्श उसके लिए मसीहा बनकर आया था या फिर एक दरिन्दा....ये तो आने वाला वक़्त बता सकता था .
राधिका के मन में अभी भी कई सारे सवाल उठ रहे थे कि आख़िर कौन हैं ये आदमी जो इस तरह आकर उसके सामने खड़ा है और क्या उसका भी यही मकसद हैं कि वो भी उसके जिस्म को भोगेगा.... ऐसे ही कई सारे सवाल राधिका के मन में घूम रहे थे. तभी सोच में डूबी राधिका के कानों में उस सख्श की आवाज़ गूँजती हैं जिसे सुनकर वो ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं...वो शक्श और कोई नहीं बल्कि बिहारी का बहुत पुराना नौकर शंकर था. उसकी उमर करीब 60 साल के आस पास थी. सिर पर हल्के सफेद बाल और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी. वो बिहारी का बहुत ही ख़ास नौकर था..
शंकर- बेटी ऐसे क्या मुझे देख रही हो... मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ. ये लो शॉल और अपने नंगे बदन को इससे ढक लो. फिर शंकर वो शॉल राधिका को थमा देता हैं. राधिका एक टक शंकर को देखने लगती हैं फिर वो शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं.
राधिका- कौन हैं आप और इस तरह से मेरे लिए इतनी हमदर्दी किस लिए और मैं तो आपको जानती भी नहीं???
शंकर वहीं राधिका के पास बिस्तेर पर बैठ जाता हैं और अपने हाथों से बड़े ही प्यार से राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं- मुझे ग़लत मत समझना बेटी. मेरा नाम शंकर है और मैं बिहारी का पुराना नौकर हूँ. बरसो से यहाँ पर रहकर इस घर की सेवा की हैं. तुम मुझे नहीं जानती मगर मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. तुम्हारा नाम राधिका हैं ना....
राधिका सवाल भरे नज़रे से फिर से शंकर को देखने लगती हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आप को मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों हैं. अगर आपको मेरा जिस्म चाहिए तो आप बे-झीजक मुझसे कह सकते हैं. मैं आपको मना नहीं करूँगी जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. आख़िर अब मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे एक के साथ सोयूँ या...... दस के साथ. अब तो मैं एक रंडी बन ही चुकी हूँ..मेरे माथे पर तो कलंक का टीका लग ही चुका हैं. थोड़ा सा और नीचे गिर जाने से मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा....चिंता मत करो काका आपकी जो इच्छा हो मुझे बता दो मैं उसे ज़रूर पूरा करूँगी....