20-09-2019, 12:10 PM
Update 35
बिहारी- वो तो तेरे कपड़े उतारेंगे ही कुछ देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं. सब्र का फल मीठा होता हैं और मैं जानता हूँ कि इस वक़्त तेरी क्या हालत हो रही है. मगर थोड़ा सब्र कर ले फिर देखना मेरी जान तुझे कितना सुकून मिलेगा. राधिका को अब धीरे धीरे बिहारी पर गुस्सा भी आ रहा था. मगर वो अच्छे से जानती थी कि होगा वही जो वो सब चाहते हैं.
इस वक़्त भी वाइब्रटर राधिका की चूत में चल रहा था और उपर से वो वियाग्रा का असर. राधिका का दिमाग़ अब काम करना बिल्कुल बंद कर चुका था. वो बस अब अपनी प्यास को बुझाने के बारे में सोच रही थी चाहे कैसे भी क्यों ना बुझे.
बिहारी- चल एक नया खेल खेलते हैं इस खेल में हम सब तुझे कोई टास्क देंगे वो तुझे पूरा करना होगा अगर तू समय रहते वो काम पूरा कर लेगी तो तू हम से जो काम चाहे करवा लेना और अगर तू हारी तो हम तुझसे जो कहेंगे वो तुझे करना होगा. राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप हां में अपनी गर्देन नीचे कर लेती है. वो अच्छे से जानती थी कि ये सब उसके साथ पूरे नंगेपन का खेल खेलेंगे.
बिहारी- तो खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब के कपड़े उतारने हैं इसके लिए तुझे हम पूरे 30 मिनिट का समय देंगे. मगर उसमें कुछ शर्त भी रहेगा.
राधिका का दिमाग़ घूम जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर. -कैसी कंडीशन्स..
बिहारी- सबसे पहले तो तेरे हाथ बँधे होंगे. और तू हम सब के कपड़े अपने हाथों से नहीं बल्कि अपने मूह से खोलेगी. और हां जब हमारा पेंट खोलेगी तो तुझे घुटनो के बल खड़े होकर हमारे पेंट उतारने होंगे. और इस बीच हम तेरे बदन को जहाँ चाहे वहाँ हाथ लगा सकते हैं जहाँ चाहे छू सकते हैं.
राधिका को तो ऐसा लगने लगा था कि ये लोग अगर उसको जान से मार देते तो ज़्यादा अच्छा होता. वो तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बिहारी उससे ऐसा गंदा काम भी करवाएगा. तभी विजय एक रस्सी लेकर आता हैं और राधिका के दोनो हाथ पीछे करके आचे से बाँध देता हैं.
बिहारी- युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ.........................
राधिका सबसे पहले बिहारी के पास आती हैं और कुछ देर तक वो वही खड़ी रहती हैं फिर वो आगे बढ़कर अपने दाँतों से बिहारी के कुर्ते का बटन खोलना शुरू करती हैं. राधिका अच्छे से जानती थी कि ये काम इतना आसान नहीं हैं मूह से कपड़े का एक बटन खोलने में ही कम से कम 5 मिनट तो लग ही जाएगे. इस हिसाब से उसके पास 12 मिनिट में एक आदमी के कपड़े निकालने हैं. वो तेज़ी से अपने होंठो को हरकत देती हैं और इधेर बिहारी अपने हाथों को भी हरकत देता हैं. बिहारी का हाथ सबसे पहले राधिका की कमर पर जाता हैं और फिर वो अपने दोनो हाथ सरकाते हुए राधिका की गान्ड पर रख देता हैं और दोनो हाथों से राधिका की गान्ड को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. वो अपने बदन की ओर ध्यान ना देते हुए वो जल्दी जल्दी बिहारी के कुर्ते के बटन खोलने लगती हैं.
बिहारी पूरी मस्ती से अपने हाथ राधिका की गान्ड पर फिरा रहा था फिर वो धीरे धीरे एक हाथ उसके सीने पर ले जाता हैं और और उसके दूध पर अपने हाथ रख देता हैं. और फिर एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका इन सब की परवाह ना करते हुए वो तेज़ी से अपने दाँतों को हरकत करती हैं मगर अभी तक एक भी बटन नहीं खुला था. फिर बिहारी अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत पर रख देता हैं और साड़ी के उपर से ही अपनी मुट्ठी में उसकी चूत को भीच लेता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी सिसक पड़ती हैं. इधेर उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिससे वो अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पा रही थी और उधेर बिहारी का हाथ तेज़ी से हरकत कर रहा था. करीब 10 मिनिट के बाद राधिका बड़ी मुश्किल से एक बटन खोलने में कामयाब हो जाती हैं. फिर वो घुटनो के बल बैठकर बिहारी की सलवार का नाडा अपने दाँतों में फँसाकर आहिस्ता आहिस्ता खोलने लगती हैं.
बिहारी की सल्वार का नाडा खुल जाता हैं और उसका पायजामा उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. फिर वो खड़ी होती है और फिर तेज़ी से उसके कुर्ते का दूसरा बटन खोलती हैं. करीब 12 मिनट के बाद बिहारी उसको टाइम की ओर इशारा करता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान अभी तक तो तू मेरे कुर्ते का एक ही बटन खोल पाई हैं. और अभी विजय और जग्गा भी लाइन में हैं. जा जल्दी से उनके भी कपड़े उतार.
राधिका फिर विजय के पास जाती हैं और वो अपने दाँतों से उसके शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. इधेर विजय भी कस कर उसकी गान्ड मसल्ने लगता हैं. और अपने दोनो हाथों को वो तेज़ी से हरकत करता हैं. राधिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल पा रही थी. उसका ध्यान बस बटन पर था. तभी विजय अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर वो राधिका की साड़ी थोड़ा उपर कर देता हैं और झट से अपने दोनो हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाल देता हैं फिर वो उसकी चूत को अपने हाथों में कसकर भींच लेता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँखें बंद किए हुए विजय के शर्ट का बटन खोल रही थी. मगर बार बार उसका ध्यान विजय की हर्कतो पर था. करीब 10 मिनिट तक विजय उसकी चूत और गान्ड से खेलता हैं और फिर जब राधिका एक भी बटन नहीं खोल पाती तो वो नीचे झुक कर विजय की पॅंट अपने दानों से खोलने लगती हैं. और अब विजय के दोनो हाथ राधिका के बूब्स पर आ जाते हैं और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूध को मसल्ने लगता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह बेख़बर हो चुकी थी. अब उसे भी वो सब अच्छा लगने लगा था. वो भी सिसक रही थी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मगर आब तक वो एक भी बार झड नहीं पाई थी. उधेर वो डिल्डो भी अपनी स्पीड में उसकी चूत में चल रहा था. बड़े मुश्किल से वो अपने दाँतों से उसके पेंट का चैन ही खोल पाती हैं.
ऐसे ही वक़्त बीत रहा था अब बस 10 मिनिट ही बच गये थे वो अब जग्गा के पास जाती हैं और फिर से वही प्रकिया दोहराती हैं. जग्गा भी अपने हाथों की हरकत करता हैं और राधिका की सिसकारी पूरे कमरे में गूँज रही थी. आख़िरकार 30 मिनिट पूरे हो जाते हैं और राधिका किसी के भी कपड़े निकालने में नाकाम साबित होती हैं. फिर विजय आकर उसके बँधे हाथों को खोल देता हैं.
बिहारी- ये क्या जानेमन तू तो हम में से किसी के भी कपड़े नहीं उतार पाई. और मैने तो सुना था कि तूने हारना कभी नहीं सीखा.
राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- बोल मेरी जान तुझे क्या सज़ा दिया जाए....
राधिका- बिहारी अगर मुझे सज़ा देना ही चाहते हो तो मुझे मौत दे दो. मैं अब जीना नहीं चाहती.
बिहारी फिर से मुस्कुरा देता हैं- नहीं मेरी जान मैं तुझे ये सज़ा कभी नहीं दे सकता.
राधिका की इस वक़्त जो हालत थी वो किसी घायल शेरनी की तरह थी. वो पूरे 2 घंटे से फारिग नहीं हो पा रही थी और इस वक़्त उसके दिमाग़ का लगभग काम करना बंद हो गया था. वो तो बस अपनी हवस मिटाना चाहती थी इसके बदले अगर बिहारी आज उससे जो चाहे वो करवा ले वो बे झि-झक करती. उसे तो अब ये भी होश नहीं था कि वो आब अपने ही दुश्मनों के आगे अपनी चुदाई की भीक माँग रही है.
राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मेरी आग को बुझा दो. अब मुझ में थोड़ी भी ताक़त नहीं हैं. प्लीज़.......................
बिहारी के चेहरे पर फिर से मुस्कान तैर जाती हैं- थोड़ा सब्र कर मेरी जान आज तेरी चूत की आग हम सब ऐसा भुजाएँगे कि तू भी क्या याद रखेगी...
बिहारी अपनी साथियों की ओर देखने लगता हैं फिर उनसब से कहता हैं- राधिका तो ये गेम हार गयी बोलो इसको क्या सज़ा मिलनी चाहिए...
विजय और जग्गा भी अब बिहारी का पूरा खेल समझ चुके थे और उनके होंटो पर कुटिल मुस्कान थी.
विजय- तेरी ये सज़ा हैं कि तू अपने ब्लाउज उतार कर हमारे हवाले कर दे.
राधिका भी कुछ नहीं कहती और फिर धीरे धीरे अपने ब्लाउस का बटन खोलने लगती हैं तभी जग्गा उसके पीछे जाकर उसके पीठ पर अपने होंठ रख देता है और बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराने लगता हैं.राधिका की एक बार फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं मगर वो अपने हाथों को नहीं रोकती. फिर जग्गा अपने दाँतों से उसके ब्लाउज के डोरी को अपने मूह में लेता हैं और उसे धीरे धीरे सरकाने लगता हैं. थोड़ी देर में ब्लाउज का धागा खुल जाता हैं. मगर जग्गा अभी भी उसके पीठ पर अपने जीभ फिरा रहा था. थोड़ी देर तक राधिका भी अपनी आँखें बंद करके वही चुप चाप जग्गा को अपनी मनमानी करने देती है. फिर बिहारी उसको वो ब्लाउज अपने से अलग करने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद जग्गा भी हट जाता हैं और वहीं बिहारी के पास खड़े हो जाता हैं. राधिका उन तीनों मर्दों के सामने अपनी ब्लाउज उतार रही थी. वो अब जान गयी थी कि ये सब ऐसे ही उसके कपड़े एक एक कर उतरवाएँगे.
मगर इस वक़्त उसकी आँखों में शरम नहीं बल्कि हवस तैर रही थी. वो भी झट से अपने ब्लाउज अपने जिस्म से अलग कर देती है और अंदर काले रंग का ब्रा उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता हैं. फिर से वो अपनी साड़ी का आँचल अपने सीने पर लगा लेती हैं और अपना ब्लाउज बिहारी को थमा देती हैं.
बिहारी- वाह मेरी जान तो सच में एक क़यामत हैं.
विजय- चल फिर से वही खेल खेलते हैं मगर इस बार खेल का तरीका दूसरा रहेगा. राधिका फिर से सवाल भरी नजरो से विजय को देखने लगती हैं. उसकी चूत से भी लगातार पानी बह रहा था और वो इस वक़्त बड़ी मुश्किल से उन सब के बीच खड़ी थी. पर जो भी हो उसे अब ये सब अच्छा लग रहा था. क्यों कि अब राधिका किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.
राधिका- बिहारी मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ. तुम जो भी मेरे साथ खेल खेलना चाहो जी भर कर खेलो मगर मैं ये सब अब होश में रहकर नहीं करना चाहती. मुझे इस वक़्त शराब की ज़रूरत हैं. और तुम अच्छे से जानते हो कि आदमी नशे की हालत में वो सब कुछ कर सकता हैं जो वो होश में रहकर कभी नही कर सकता. मैं बस इतना ही चाहती हूँ कि तुम मुझसे जो भी करवाना चाहो करवा लो मगर मैं अब होश में नहीं रहना चाहती.
राधिका की बातों को सुनकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं- ठीक हैं मेरी जान जैसी तेरी मर्ज़ी. आज तुझे हम एक ख़ास किस्म का नशा देंगे जिससे तुझे ऐसा लगेगा कि तू वाकई जन्नत में है. और ये नशे के आगे तो शराब भी कुछ नही हैं. फिर वो विजय को कुछ आँखों ही आँखों में इशारा करता हैं और विजय भी मुस्कुरा कर वो वही रखा ड्रॉयर खोलता हैं और उसमें एक इंजेक्षन और एक ड्रग्स की शीशी रखी हुई थी. वो उसे उठा कर ले आता हैं और वहीं वो ड्रग्स का इंजेक्षन फिल करने लगता हैं. राधिका बड़े ध्यान से विजय को देख रही थी मगर वो नहीं जानती थी कि विजय के हाथों में जो चीज़ हैं वो ड्रग्स हैं.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.
खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.
बिहारी- वो तो तेरे कपड़े उतारेंगे ही कुछ देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं. सब्र का फल मीठा होता हैं और मैं जानता हूँ कि इस वक़्त तेरी क्या हालत हो रही है. मगर थोड़ा सब्र कर ले फिर देखना मेरी जान तुझे कितना सुकून मिलेगा. राधिका को अब धीरे धीरे बिहारी पर गुस्सा भी आ रहा था. मगर वो अच्छे से जानती थी कि होगा वही जो वो सब चाहते हैं.
इस वक़्त भी वाइब्रटर राधिका की चूत में चल रहा था और उपर से वो वियाग्रा का असर. राधिका का दिमाग़ अब काम करना बिल्कुल बंद कर चुका था. वो बस अब अपनी प्यास को बुझाने के बारे में सोच रही थी चाहे कैसे भी क्यों ना बुझे.
बिहारी- चल एक नया खेल खेलते हैं इस खेल में हम सब तुझे कोई टास्क देंगे वो तुझे पूरा करना होगा अगर तू समय रहते वो काम पूरा कर लेगी तो तू हम से जो काम चाहे करवा लेना और अगर तू हारी तो हम तुझसे जो कहेंगे वो तुझे करना होगा. राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप हां में अपनी गर्देन नीचे कर लेती है. वो अच्छे से जानती थी कि ये सब उसके साथ पूरे नंगेपन का खेल खेलेंगे.
बिहारी- तो खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब के कपड़े उतारने हैं इसके लिए तुझे हम पूरे 30 मिनिट का समय देंगे. मगर उसमें कुछ शर्त भी रहेगा.
राधिका का दिमाग़ घूम जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर. -कैसी कंडीशन्स..
बिहारी- सबसे पहले तो तेरे हाथ बँधे होंगे. और तू हम सब के कपड़े अपने हाथों से नहीं बल्कि अपने मूह से खोलेगी. और हां जब हमारा पेंट खोलेगी तो तुझे घुटनो के बल खड़े होकर हमारे पेंट उतारने होंगे. और इस बीच हम तेरे बदन को जहाँ चाहे वहाँ हाथ लगा सकते हैं जहाँ चाहे छू सकते हैं.
राधिका को तो ऐसा लगने लगा था कि ये लोग अगर उसको जान से मार देते तो ज़्यादा अच्छा होता. वो तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बिहारी उससे ऐसा गंदा काम भी करवाएगा. तभी विजय एक रस्सी लेकर आता हैं और राधिका के दोनो हाथ पीछे करके आचे से बाँध देता हैं.
बिहारी- युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ.........................
राधिका सबसे पहले बिहारी के पास आती हैं और कुछ देर तक वो वही खड़ी रहती हैं फिर वो आगे बढ़कर अपने दाँतों से बिहारी के कुर्ते का बटन खोलना शुरू करती हैं. राधिका अच्छे से जानती थी कि ये काम इतना आसान नहीं हैं मूह से कपड़े का एक बटन खोलने में ही कम से कम 5 मिनट तो लग ही जाएगे. इस हिसाब से उसके पास 12 मिनिट में एक आदमी के कपड़े निकालने हैं. वो तेज़ी से अपने होंठो को हरकत देती हैं और इधेर बिहारी अपने हाथों को भी हरकत देता हैं. बिहारी का हाथ सबसे पहले राधिका की कमर पर जाता हैं और फिर वो अपने दोनो हाथ सरकाते हुए राधिका की गान्ड पर रख देता हैं और दोनो हाथों से राधिका की गान्ड को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. वो अपने बदन की ओर ध्यान ना देते हुए वो जल्दी जल्दी बिहारी के कुर्ते के बटन खोलने लगती हैं.
बिहारी पूरी मस्ती से अपने हाथ राधिका की गान्ड पर फिरा रहा था फिर वो धीरे धीरे एक हाथ उसके सीने पर ले जाता हैं और और उसके दूध पर अपने हाथ रख देता हैं. और फिर एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका इन सब की परवाह ना करते हुए वो तेज़ी से अपने दाँतों को हरकत करती हैं मगर अभी तक एक भी बटन नहीं खुला था. फिर बिहारी अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत पर रख देता हैं और साड़ी के उपर से ही अपनी मुट्ठी में उसकी चूत को भीच लेता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी सिसक पड़ती हैं. इधेर उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिससे वो अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पा रही थी और उधेर बिहारी का हाथ तेज़ी से हरकत कर रहा था. करीब 10 मिनिट के बाद राधिका बड़ी मुश्किल से एक बटन खोलने में कामयाब हो जाती हैं. फिर वो घुटनो के बल बैठकर बिहारी की सलवार का नाडा अपने दाँतों में फँसाकर आहिस्ता आहिस्ता खोलने लगती हैं.
बिहारी की सल्वार का नाडा खुल जाता हैं और उसका पायजामा उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. फिर वो खड़ी होती है और फिर तेज़ी से उसके कुर्ते का दूसरा बटन खोलती हैं. करीब 12 मिनट के बाद बिहारी उसको टाइम की ओर इशारा करता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान अभी तक तो तू मेरे कुर्ते का एक ही बटन खोल पाई हैं. और अभी विजय और जग्गा भी लाइन में हैं. जा जल्दी से उनके भी कपड़े उतार.
राधिका फिर विजय के पास जाती हैं और वो अपने दाँतों से उसके शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. इधेर विजय भी कस कर उसकी गान्ड मसल्ने लगता हैं. और अपने दोनो हाथों को वो तेज़ी से हरकत करता हैं. राधिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल पा रही थी. उसका ध्यान बस बटन पर था. तभी विजय अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर वो राधिका की साड़ी थोड़ा उपर कर देता हैं और झट से अपने दोनो हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाल देता हैं फिर वो उसकी चूत को अपने हाथों में कसकर भींच लेता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँखें बंद किए हुए विजय के शर्ट का बटन खोल रही थी. मगर बार बार उसका ध्यान विजय की हर्कतो पर था. करीब 10 मिनिट तक विजय उसकी चूत और गान्ड से खेलता हैं और फिर जब राधिका एक भी बटन नहीं खोल पाती तो वो नीचे झुक कर विजय की पॅंट अपने दानों से खोलने लगती हैं. और अब विजय के दोनो हाथ राधिका के बूब्स पर आ जाते हैं और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूध को मसल्ने लगता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह बेख़बर हो चुकी थी. अब उसे भी वो सब अच्छा लगने लगा था. वो भी सिसक रही थी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मगर आब तक वो एक भी बार झड नहीं पाई थी. उधेर वो डिल्डो भी अपनी स्पीड में उसकी चूत में चल रहा था. बड़े मुश्किल से वो अपने दाँतों से उसके पेंट का चैन ही खोल पाती हैं.
ऐसे ही वक़्त बीत रहा था अब बस 10 मिनिट ही बच गये थे वो अब जग्गा के पास जाती हैं और फिर से वही प्रकिया दोहराती हैं. जग्गा भी अपने हाथों की हरकत करता हैं और राधिका की सिसकारी पूरे कमरे में गूँज रही थी. आख़िरकार 30 मिनिट पूरे हो जाते हैं और राधिका किसी के भी कपड़े निकालने में नाकाम साबित होती हैं. फिर विजय आकर उसके बँधे हाथों को खोल देता हैं.
बिहारी- ये क्या जानेमन तू तो हम में से किसी के भी कपड़े नहीं उतार पाई. और मैने तो सुना था कि तूने हारना कभी नहीं सीखा.
राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- बोल मेरी जान तुझे क्या सज़ा दिया जाए....
राधिका- बिहारी अगर मुझे सज़ा देना ही चाहते हो तो मुझे मौत दे दो. मैं अब जीना नहीं चाहती.
बिहारी फिर से मुस्कुरा देता हैं- नहीं मेरी जान मैं तुझे ये सज़ा कभी नहीं दे सकता.
राधिका की इस वक़्त जो हालत थी वो किसी घायल शेरनी की तरह थी. वो पूरे 2 घंटे से फारिग नहीं हो पा रही थी और इस वक़्त उसके दिमाग़ का लगभग काम करना बंद हो गया था. वो तो बस अपनी हवस मिटाना चाहती थी इसके बदले अगर बिहारी आज उससे जो चाहे वो करवा ले वो बे झि-झक करती. उसे तो अब ये भी होश नहीं था कि वो आब अपने ही दुश्मनों के आगे अपनी चुदाई की भीक माँग रही है.
राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मेरी आग को बुझा दो. अब मुझ में थोड़ी भी ताक़त नहीं हैं. प्लीज़.......................
बिहारी के चेहरे पर फिर से मुस्कान तैर जाती हैं- थोड़ा सब्र कर मेरी जान आज तेरी चूत की आग हम सब ऐसा भुजाएँगे कि तू भी क्या याद रखेगी...
बिहारी अपनी साथियों की ओर देखने लगता हैं फिर उनसब से कहता हैं- राधिका तो ये गेम हार गयी बोलो इसको क्या सज़ा मिलनी चाहिए...
विजय और जग्गा भी अब बिहारी का पूरा खेल समझ चुके थे और उनके होंटो पर कुटिल मुस्कान थी.
विजय- तेरी ये सज़ा हैं कि तू अपने ब्लाउज उतार कर हमारे हवाले कर दे.
राधिका भी कुछ नहीं कहती और फिर धीरे धीरे अपने ब्लाउस का बटन खोलने लगती हैं तभी जग्गा उसके पीछे जाकर उसके पीठ पर अपने होंठ रख देता है और बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराने लगता हैं.राधिका की एक बार फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं मगर वो अपने हाथों को नहीं रोकती. फिर जग्गा अपने दाँतों से उसके ब्लाउज के डोरी को अपने मूह में लेता हैं और उसे धीरे धीरे सरकाने लगता हैं. थोड़ी देर में ब्लाउज का धागा खुल जाता हैं. मगर जग्गा अभी भी उसके पीठ पर अपने जीभ फिरा रहा था. थोड़ी देर तक राधिका भी अपनी आँखें बंद करके वही चुप चाप जग्गा को अपनी मनमानी करने देती है. फिर बिहारी उसको वो ब्लाउज अपने से अलग करने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद जग्गा भी हट जाता हैं और वहीं बिहारी के पास खड़े हो जाता हैं. राधिका उन तीनों मर्दों के सामने अपनी ब्लाउज उतार रही थी. वो अब जान गयी थी कि ये सब ऐसे ही उसके कपड़े एक एक कर उतरवाएँगे.
मगर इस वक़्त उसकी आँखों में शरम नहीं बल्कि हवस तैर रही थी. वो भी झट से अपने ब्लाउज अपने जिस्म से अलग कर देती है और अंदर काले रंग का ब्रा उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता हैं. फिर से वो अपनी साड़ी का आँचल अपने सीने पर लगा लेती हैं और अपना ब्लाउज बिहारी को थमा देती हैं.
बिहारी- वाह मेरी जान तो सच में एक क़यामत हैं.
विजय- चल फिर से वही खेल खेलते हैं मगर इस बार खेल का तरीका दूसरा रहेगा. राधिका फिर से सवाल भरी नजरो से विजय को देखने लगती हैं. उसकी चूत से भी लगातार पानी बह रहा था और वो इस वक़्त बड़ी मुश्किल से उन सब के बीच खड़ी थी. पर जो भी हो उसे अब ये सब अच्छा लग रहा था. क्यों कि अब राधिका किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.
राधिका- बिहारी मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ. तुम जो भी मेरे साथ खेल खेलना चाहो जी भर कर खेलो मगर मैं ये सब अब होश में रहकर नहीं करना चाहती. मुझे इस वक़्त शराब की ज़रूरत हैं. और तुम अच्छे से जानते हो कि आदमी नशे की हालत में वो सब कुछ कर सकता हैं जो वो होश में रहकर कभी नही कर सकता. मैं बस इतना ही चाहती हूँ कि तुम मुझसे जो भी करवाना चाहो करवा लो मगर मैं अब होश में नहीं रहना चाहती.
राधिका की बातों को सुनकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं- ठीक हैं मेरी जान जैसी तेरी मर्ज़ी. आज तुझे हम एक ख़ास किस्म का नशा देंगे जिससे तुझे ऐसा लगेगा कि तू वाकई जन्नत में है. और ये नशे के आगे तो शराब भी कुछ नही हैं. फिर वो विजय को कुछ आँखों ही आँखों में इशारा करता हैं और विजय भी मुस्कुरा कर वो वही रखा ड्रॉयर खोलता हैं और उसमें एक इंजेक्षन और एक ड्रग्स की शीशी रखी हुई थी. वो उसे उठा कर ले आता हैं और वहीं वो ड्रग्स का इंजेक्षन फिल करने लगता हैं. राधिका बड़े ध्यान से विजय को देख रही थी मगर वो नहीं जानती थी कि विजय के हाथों में जो चीज़ हैं वो ड्रग्स हैं.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.
खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.
बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.
विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं और फिर तीनों एक एक कर अपने कपड़े उसके सामने उतारना शुरू कर देते हैं. सबसे पहले जग्गा अपने पूरे कपड़े निकालता हैं. फिर विजय और आख़िर में बिहारी. और आख़िरकार वो तीनों अपना अंडरवेर भी निकाल कर राधिका के सामने एक दम नंगे हो जाते हैं. राधिका बड़े गौर से उन तीनों का लंड देख रही थी तीनों के लंड एक समान थे सबसे लंबा तो विजय का था मगर सबसे मोटा लंड बिहारी का था. पूरे 3.5 इंच मोटा. और 8 इंच लंबा. जग्गा का भी 9 इंच का था और विजय का पूरे 10 इंच का. बिहारी फिर से घड़ी की ओर इशारा करता हैं. तभी बिहारी फिर से वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका फिर से तड़प जाती हैं.
बिहारी- अब इस वाइब्रटर का स्पीड पूरे 15 मिनिट के बाद ही कम होगा. तुझे इसी हालत में हम सब का बारी बारी लंड चूसना हैं.
बिहारी- तेरे पास 5 मिनिट हैं. हर 5 मिनिट में तुझे हम में से एक के लंड से पानी निकालना हैं और कुल मिलकर इन 15 मिनिट में तुझे ये काम ख़तम करने हैं. इसलिए पूरे दिल लगा कर हम सब का लंड चूसना. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर घड़ी की ओर देखने लगती हैं. फिर वो फ़ौरन सबसे पहले जग्गा के पास आती हैं और बिना कुछ सोचे समझे वो तुरंत जग्गा का लंड को अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. उसके सुपाडे को अच्छे से चाटने के बाद वो उसके टिट्स पर अपने जीभ फिराने लगती हैं. जग्गा के मूह से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो राधिका के सिर पर अपने हाथ फिराने लगता हैं. राधिका पूरा कॉन्सेंट्रेट नहीं कर पा रही थी वजह थी उसकी चूत में वो वाइब्रटर जो उसे परेशान कर रहा था.
जग्गा- राधिका इसे पूरा अपने मूह में लेकर चूस ना. जैसे तू अपने भाई का पूरा लेती थी.
राधिका एक नज़र जग्गा को देखती हैं जग्गा वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था फिर वो अपनी नज़रें नीची करके उसका लंड को अपने मूह में धीरे धीरे अंदर लेने लगती है. और उधेर जग्गा भी अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं. वियाग्रा की वजह से उसका लंड पूरा हार्ड हो गया था और उसका लंड पूरे जोश में खड़ा था. वो भी कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे उसे मूह में लेकर तेज़ी से चूसने लगती हैं. जैसे जैसे राधिका चूसने की स्पीड बढ़ाती हैं वैसे वैसे जग्गा के मूह से सिसकारी बढ़ती जाती हैं. करीब 5 मिनिट तक जग्गा का लंड चूसने के बाद जग्गा अपने झड़ने के बहुत करीब होता हैं तभी बिहारी बीच में ही बोल पड़ता हैं- अरे मेरी रानी सिर्फ़ उसका ही लंड बस चूसेगी क्या ?? चल अभी लाइन में विजय और मैं भी हूँ. जल्दी से उसका लंड छोड़ और हमारे पास आ.
राधिका एक नज़र घड़ी पर डालती हैं फिर वो झट से विजय के पास आती हैं और उसके लंड को चूसना शुरू करती हैं. कभी वो उसके टिट्स को चूस्ति तो कभी उसके लंड के टोपे को. ऐसे ही 5 मिनिट और बीत जाते हैं और विजय का भी कम निकालने वाला होता हैं और बिहारी फिर से वही अपनी चाल चलता हैं. अंत में राधिका बिहारी के पास जाती हैं और सबसे पहले उसका सुपाडा को अपने मूह में लेकर चूस्ति हैं फिर उसके टिट्स को चाट ती हैं फिर धीरे धीरे वो उसके पूरे लंड को चूस्ति हैं. ऐसा ही वक़्त गुजर जाता हैं और पूरे 15 मिनिट बीत जाते हैं और राधिका फिर एक बार नाकाम हो जाती हैं.
बिहारी - क्या बात हैं मेरी जान आज तू केवल हार रही हैं. ऐसे ही हारती रहेगी तो तेरा क्या होगा. राधिका कुछ कहती नहीं और चुप चाप वही खड़ी रहती हैं.
राधिका- प्लीज़ बिहारी मुझे अब मत तड़पाओ ....मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा .कुछ तो मुझपर तरस खाओ.
राधिका की ऐसी हालत देखकर बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- ठीक हैं मेरी जान मैं तेरी चूत की आग को ठंडा करूँगा मगर इसके बदले मुझे क्या मिलेगा.
राधिका फिर से सवाल भरी नज़रो से बिहारी को देखने लगती हैं- क्या चाहिए और तुम्हें सब कुछ तो मैं अब तुम्हें अपना जिस्म सौप रही हूँ. बोलो और क्या ख्वाहिश हैं तुम्हारी...
बिहारी- ख्वाहसें तो बहुत हैं मेरी जान खैर छोड़ वक़्त आने पर तुझसे माँग लूँगा... चल अब सबसे पहले तू एक एक कर अपने कपड़े हम सब के सामने उतारती जा और तब तक तेरे हाथ नहीं रुकने चाहिए जब तक तेरे बदन पर एक भी कपड़े ना बचा हो. और हां ज़रा आराम से एक एक कर उतारना क्यों कि हमे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं हैं.
राधिका एक नज़र उन तीनों को देखती हैं फिर वो अपना हाथ धीरे से बढ़ाकर सबसे पहले वो अपने सीने से साड़ी का पल्लू हटाती हैं और उसे ज़मीन पर गिरा देती हैं. साड़ी का पल्लू हट जाने से ब्रा में क़ैद उसके बड़े बड़े दूध उन तीनों की नज़रो के सामने आ जाते हैं. फिर वो अपना हाथ नीचे ले जाकर अपना साड़ी को कमर से निकालने लगती हैं और धीरे धीरे अपनी साड़ी खीचने लगती हैं थोड़ी देर में राधिका का बदन से साड़ी जुदा हो जाता हैं. अब वो इस वक़्त साया और ब्रा में उन तीनों के सामने खड़ी थी.
बिहारी- रुक क्यों गयी. चल बाकी के भी कपड़े उतार.
राधिका के हाथ फिर से हरकत करते हैं और इस बार वो अपने साया (पेटिकोट) का नाडा धीरे से खोल देती है. जैसे ही रस्सी खुलती हैं उसका साया उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. वो बस ब्रा और पैंटी में इस वक़्त उनके सामने खड़ी थी. बिहारी और उन दोनो की हालत खराब हो रही थी राधिका के ऐसे सुंदर रूप को देखकर. तीनों बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू किए हुए थे. फिर राधिका अपने दोनो हाथ पीछे लेजा कर अपने ब्रा का हुक खोल देती है और शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
बिहारी- याद रख राधिका जितना तू लेट करेगी अपने कपड़े उतारने में तुझे हम उतना ही तडपाएँगे अब मैं तुझे कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्ज़ी.
राधिका कुछ नहीं कहती और वो अपने ब्रा को धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने से धीरे धीरे हटाने लगती हैं और कुछ देर में उसके दोनो बूब्स उन तीनों के सामने बे-परदा हो जाते हैं. राधिका के नंगे बूब्स को देख कर विजय जग्गा और बिहारी का गला सूख जाता हैं. तभी राधिका अपना हाथ नीचे ले जाती हैं और धीरे धीरे वो अपनी पैंटी सरकनाने लगती हैं. और कुछ देर में उसके बदन से वो पैंटी भी अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका उन तीनों के सामने पूरी नंगी अवस्था में खड़ी थी. और बिहारी ,जग्गा और विजय आँखें फाड़ फाड़ कर राधिका के बदन को देख रहे थे.
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.
यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.
राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.
बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.
बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.
बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.