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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#40
Update 33


बिहारी- क्यों झटका लगा ना. मैं जानता था कि तुझे बिल्कुल यकीन नहीं होगा. पर जो तेरे सामने हैं वही सच हैं चाहे तू मान या मत मान.


राधिका के मूह से एक ही शब्द निकल पाया और वो था............................विजय!!!!!


विजय- कैसी हो मेरी जान तुझे यहाँ पर देखकर मुझे आज कितनी खुशी हो रही हैं इसका मैं तुझे बयान नहीं कर सकता. कहते हैं ना अगर किसी चीज़ के पीछे जी जान से लग जाओ तो दुनिया की कोई भी ताक़त उससे उसको पाने से नहीं रोक सकती. और देख आज ना जाने कितने महीनों के बाद आज हमने तुझे हासिल कर ही लिया.


राधिका- धोका.............धोका किया हैं तुम लोगों ने मेरे साथ. आख़िर मैं पूछती हूँ तुम लोगों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया. किस गुनाह की सज़ा मुझे दे रहे हो तुम सब. आख़िर मेरा कसूर क्या हैं...


विजय- कसूर तेरा नहीं बल्कि तेरी ये खूबसूरती का हैं जो तू हमे पहली ही नज़र में भा गयी. कसूर तेरा नहीं बल्कि उस कमिने राहुल का हैं जिसकी तू अब बीवी बनने वाली हैं. कसूर उस राहुल का हैं जिसकी वजह से आज मेरी ये हालत हुई हैं. आज उस कमिने राहुल की वजह से मेरा आज सब कुछ बर्बाद हो गया. और जिस इंसान की वजह से मैं बर्बाद हुआ हूँ उसे मैं कैसे आबाद होता हुआ देख सकता हूँ. मैं जानता हूँ कि उस कमिने की जान तेरे में बसी हैं. और तुझे कोई तकलीफ़ होगी तो उसे दर्द होगा. और मैं उसे वो जख्म दूँगा कि साला ना कभी चैन से जी पाएगा और ना ही मर पाएगा. और जब तक जीयेगा तड़प्ता ही रहेगा.


राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था विजय की ऐसी बातो को सुनकर- क्या.............क्या करोगे तुम मेरे राहुल के साथ...


विजय- चिंता मत कर वक़्त आने दे सब पता चल जाएगा.


राधिका- आख़िर तुम्हारी दुश्मनी क्या हैं राहुल से. क्यों तुम उसके पीठ पीछे ये सब कर रहे हो. शक तो मुझे तुम पर बहुत पहले से था कि राहुल पर जितने हमले हुए हैं उन सब के पीछे तुम्हारा ही हाथ है. मगर अब यकीन हो गया. तुम सच में दोस्त के नाम पर एक गाली हो.


विजय हंसते हुए- चल सबसे पहले तो तेरे मन में उठ रहे सारे सवालों का जवाब दे देता हूँ. तुझे बता दूँगा तो मेरा भी मन थोड़ा हल्का हो जाएगा. जानना चाहती हैं ना कि आख़िर मैं तेरे आशिक़ को क्यों मारना चाहता हूँ और उससे मेरी दुश्मनी की वजह क्या हैं तो सुन..................................


बात तब की हैं जब मैं 8 साल का था. उस समय राहुल भी मेरी ही उमर का था. उसके पिताजी और मेरे पिताजी एक अच्छे दोस्त थे. रोज़ रोज़ आना जाना उठना बैठना सब होता था. ऐसे ही दिन अच्छे से बीत रहे थे. राहुल के पापा एक सर्जिन थे. वो अक्सर ट्रीटमेंट के लिए मनाली से बाहर जाया करते थे. और जब भी जाते वो अपनी पत्नी को साथ लेकर जाते और राहुल को हमारे घर छोड़ जाते. क्यों कि वो अभी पड़ाई कर रहा था जिसके वजह से बार बार जाने आने से उसकी पड़ाई डिस्टर्ब होती थी. ऐसे ही एक रोज़ वो दोनो अपनी कार में बैठकर एक एमर्जेन्सी ऑपरेशन के लिए निकल पड़े तभी तेज़ी से उनके सामने से एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया. वो इसी पहले की कुछ समझ पाते ट्रक बुरी तरह से उनके कार से टकरा चुकी थी. आक्सिडेंट इतना ज़बरदस्त था कि राहुल के मम्मी पापा की ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी थी. और वो ट्रक ड्राइवर भी उस आक्सिडेंट में मारा गया था.


जब ये खबर मेरे पापा और मम्मी को पता लगी तो उनको बहुत बड़ा झटका लगा. उन्हें फिर राहुल की चिंता सताने लगी. वो नहीं समझ पा रहे थे कि राहुल को इस बारे में कैसे बतायें. फिर एक दिन मेरे पिताजी ने हिम्मत कर के ये बात राहुल को बता दी. राहुल का तो रो रो कर बुरा हाल था. ना वो खाना ख़ाता था और ना ही कॉलेज जाता था. बस दिन रात रोता रहता था. इसकी सदमे की वजह से उसकी तबीयात बिगड़ने लगी. तभी डॉक्टर ने राहुल को सदमे से बाहर निकालने की बात कही. मेरे पिताजी ने उसे अपने बेटे का दर्जा दे दिया. उस दिन के बाद से वो हमारे साथ हमारे ही घर पर रहने लगा.


राहुल बचपन से ही सीधा साधा लड़का था. वो ज़्यादा ना बेवजह किसी से बात करता और ना ही किसी से ज़्यादा दोस्ती रखता. राहुल धीरे धीरे पढ़ाई पर कॉन्सेंट्रेट करने लगा और समय के साथ साथ मेरे पिताजी और मम्मी की चाहत उसके प्रति बढ़ती गयी. मेरा शुरू से ही पढ़ाई में मन नही लगता था और धीरे धीरे मेरे कुछ आवारा लड़कों से मेरी दोस्ती हो गयी. मेरा एक छोटा भाई भी था उसका नाम कुणाल था. वो मुझ से दो साल छोटा था. वक़्त बीतता गया और मैं धीरे धीरे नशे का अडिक्ट हो गया. वहीं मेरा छोटा भाई भी मुझसे दो कदम आगे निकल गया. वो तो यहाँ तक ड्रग्स भी छुप छुप के लेने लगा था और कभी कभी घर से पैसे भी चुराता था.


ये सब करते हुए एक दिन राहुल ने देख लिया था और जाकर मेरे पापा को सारी बातें बता दी. बस फिर क्या था हम दोनो की खूब पिटाई हुई. मगर ड्रग्स का लत इतनी आसानी से कहाँ छूटती है. मेरा भाई धीरे धीरे ग़लत काम में अडिक्ट हो गया. वहीं दूसरी तरफ राहुल दिन ब दिन कॉलेज और सारी चीज़ों में टॉप करता रहा. जिसके वजह से मेरे मा बाप की नज़र में वो सबका लाड़ला बन गया और उसके वजह से हमारे प्रति चाहत मेरे मा बाप की कम होने लगी. यही सब देखकर मुझे अब राहुल से जलन होने लगी थी. मगर मैं उसके खिलाफ जा भी तो नहीं सकता था. अगर वो कोई ग़लत काम करता तभी तो मैं उसकी कमी निकालता. मैं भी बस मौके की तलाश में रहता मगर कभी सफल नहीं हो पाया.


राहुल को हमारे घर रहते करीब 10 साल हो चुके थे. और इधेर कुणाल ड्रग्स का सप्लाइयर बन गया था. और मैं भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. अपने भाई की वजह से मैं भी धीरे धीरे ड्रग्स लेने लगा था. और या यू कह लो कि मैं भी ड्रग्स का अडिक्ट हो चुका था. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी.


एक दिन कुणाल बॅग लेकर घर आया. उस बॅग में ड्रग्स के कुछ छोटे छोटे पॅकेट्स थे. शायद वो डेलिवरी देने के लिए लाया होगा. वो जैसे ही अलमारी में अपना बॅग रखा वैसे ही शायद उस बॅग का चैन खुला होगा ड्रग्स के के दो पॅकेट नीचे फर्श पर गिर गये. राहुल की नज़र उस ड्रग्स के पॅकेट पर पड़ चुकी थी. मगर उसे नहीं मालूम था कि वो क्या चीज़ हैं. कुणाल ने उसे झूठा बहाना बना दिया था. तभी दोपहर में जब सब कोई घर पर था पोलीस ने हमारे घर पर छापा मार दिया. और वे लोग कमरे की तलाशी लेने लगे. मेरे पिताजी तो पोलीस को देखकर चौंक पड़े. पोलीस वालों ने बताया कि तुम्हारा बेटा ड्रग्स का धंधा करता हैं और ड्रग्स भी लेता हैं. थोड़े देर तक वे लोग पूरे घर की तलाशी लेते रहे मगर उन्हें घर में कुछ नहीं मिला.


तभी पोलिसेवाले ने एक ड्रग्स का सॅंपल अपनी जेब से निकाला. प्लास्टिक के पॅकेट में सफेद पाउच था. वो उसे मेरे पापा को दिखाने लगा. तभी राहुल को भी सब समझ में आ गया कि सुबेह जो कुणाल के बॅग में वो पॅकेट था वो ड्रग्स ही था. तभी राहुल ने उस पोलिसेवाले को बताया कि आज ही वो कुणाल के पास ऐसा पॅकेट देखा था. फिर क्या था पोलीस वाले ने वहीं पर दो तीन डंडे लगाए तब जाकर कुणाल ने अपना गुनाह माना. फिर वो एक कमरे में (जहाँ पुरानी चीज़ें रखते हैं) उस कमरे में से वो बॅग निकाल का ले आया. फिर क्या था पोलीस ने मेरे बाप के सामने ही कुणाल को हथकड़ी लगा दी.


तभी मौके का फ़ायदा उठाकर वो एक पोलिसेवाले की कमर में बँधा रेवोल्वेर निकाल लिया और उन पोलिसेवालों पर रेवोल्वेर तान दी. ये सब देखकर तो मेरे बाप के होश उड़ गये. तभी एक हवलदार और वो इनस्पेक्टर आगे बढ़ कर कुणाल को पकड़ने के लिए आगे बढ़े ही थे कि कुणाल ने उन्दोनो पर फाइरिंग कर दी. हवलदार की तो ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी और उस इनस्पेक्टर ने भी कुछ देर में अपना दम तोड़ दिया. फिर कुणाल वहाँ से तेज़ी से घर के बाहर निकल गया. और उस दिन के बाद से जो वो घर से बाहर गया फिर आज तक नहीं लौटा. फिर ये सब देखकर तो मेरे बाप को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका अपना बेटा ऐसा काम भी कर सकता हैं. वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पाए और दूसरे दिन उन्होने पंखे से लटकार अपनी जान दे दी.


मैं चुप चाप बैठकर अपने घर की बर्बादी देखता रहा. ये सब उस राहुल की वजह से हुआ था. इतना सब कुछ होने के बावजूद मेरी मा ने उसको दोषी नहीं माना. फिर मुझसे भी नहीं बर्दास्त हुआ और मैने राहुल से एक दिन झगड़ा करके उसे अपने घर से निकाल दिया. कुछ दिन तक तो मेरी मा मेरे साथ रही मगर वो भी जान गयी थी कि मैं भी कुणाल की लाइन पर चल रहा हूँ. वो भी एक दिन मुझसे लड़कर अपने गाँव चली गयी और फिर आज तक नहीं आई. शायद मैने राहुल को अपने घर से अलग कर दिया था.


बाद मैं मैने राहुल से माफी माँगी मगर मेरा इरादा तो उससे प्रतिशोध लेने का था और समय भी मेरा ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए मैं उसके साथ बना रहा ताकि उसकी हर जानकारी लेता रहूं और कभी ऐसा मौका मिलेगा तो मैं वो मौका नहीं चुकुंगा. मैं ना जाने कितने सालों तक अपने भाई को खोजता रहा मगर वो कहीं नहीं मिला. बाद में पता चला कि वो एक प्राइवेट एजेंट हैं ड्रग्स का. मैं भी उससे मिलने वाला था मगर मेरी बदक़िस्मती कि मेरे पहुचने के पहले ही पोलीस उस तक पहुँच चुकी थी. बाद में पोलीस मुठभेड़ में वो मारा गया. और जानती हैं मेरे भाई को मारने वालो में तेरा आशिक़ भी शामिल था यानी राहुल मल्होत्रा. पोलीस की एक टीम ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हालाकी दो तीन पोलीस वाले भी ज़ख़्मी हुए थे मगर मेरे भाई के साथ उसके पाँच आदमी भी मारे गये थे.


मेरा अच्छा ख़ासा हँसता खेलता हुआ परिवार सब उस कमिने की वजह से तबाह हो गया था. फिर मैने भी धीरे धीरे अपने भाई की जगह ले ली और बाद में मुझे बिहारी का साथ मिल गया. उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि मैं राहुल को बर्बाद कर दूँगा. इसलिए आज भी मुझे उससे नफ़रत हैं.


राधिका विजय की बातो को बड़े ध्यान से सुनती है.- लेकिन मेरे ख्याल से तो इसमें राहुल की कोई ग़लती नहीं हैं. सब कुछ तो तुम्हारे भाई कुणाल का ही किया धरा था. और किसी की ग़लती किस पर थोपना ये तो सरासर बेवकूफी है.


विजय- अरे कितना भी है तो वो तेरा आशिक़ हैं और तू उसका पक्ष नहीं लेगी तो किसका लेगी. उसे तो मैं वो जख्म दूँगा कि वो मरते दम तक नहीं भूलेगा. उसे तो मैं अब ऐसा ज़ख़्म दूँगा कि वो जब तक ज़िंदा रहेगा तब तक वो हर पल मरता रहेगा.


विजय की बातो को सुनकर राधिका कुछ कह नहीं पाती क्यों कि वो जानती थी कि इस वक़्त बिहारी का पलड़ा भारी हैं. मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा. आज राधिका अपने आप को बिल्कुल मज़बूर और बेबस महसूस कर रही थी.


बिहारी- एक बात और तुझे बताना चाहता हूँ. अब तो तू ये बात जान ही गयी होगी कि विजय मेरा राइट हॅंड है और अब मैं तुझे अपने लेफ्ट हंड आदमी से मिलवाना चाहता हूँ. उसे तो तू अच्छे से जानती होगी. अरे वो तो एक बार तेरी ही वजह से जैल जा चुका हैं. मैं जानता हूँ तू उसे एक बार देख लेगी तो तुरंत पहचान लेगी.


राधिका का चेहरा फीका पड़ गया था बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- कौन हैं वो और तुम किसकी बात कर रहे हो और मैने किसको जैल भिजवाया था..................


बिहारी-बताता हूँ मेरी जान थोड़ा धर्य तो रख वो देख सामने फिर बिहारी अपनी एक उंगली से दरवाज़े की ओर इशारा कर देता हैं.


तभी दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शख्स अंदर कमरे में आता हैं. लंबे बाल हाथों में सिगरेट पकड़े हुए- कैसी हैं मेरी चिड़िया. अरे तूने तो मुझे बहुत तडपाया था तेरे लिए तो मैं कितना बेचैन था. तेरी वजह से मुझे पूरे तीन महीने की सज़ा भी हुई. मगर तुझे यहाँ पर देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. उस दिन तो तू बहुत उड़ रही थी ना. अब देख तेरे पंख हम सब बारी बारी मिलकर कुतेरेंगे.फिर देखता हूँ तू कैसे फुदक्ति हैं..............फिर मज़ा आएगा तेरा शिकार करने में.


राधिका को ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी. वो बड़े गौर से उस शास को देखने लगती हैं. जब उस शख्स पर राधिका की नज़र पड़ती हैं तो वो अपने मूह पर दोनो हाथ रखकर अस्चर्य से उस शख्स को देखने लगती हैं. नहीं ये नहीं हो सकता. राधिका के मूह से बस इतने ही शब्द निकल पाए थे............जग्गा.. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि ........................जग्गा था.

जग्गा- कुछ याद आया मेरी जान वो कॉलेज का कॅंपस जहाँ मैने तुझे एक बार छेड़ा था और बदले में तूने मेरी इज़्ज़त सारे कॉलेज के सामने उतारी थी. आज मैं अपनी बेइज़्ज़ती का बदला तुझसे एक एक कर लूँगा. आज मैं तेरी इज़्ज़त यहाँ इन सब के सामने उतारूँगा फिर तुझे भी पता चलेगा कि इज़्ज़त उतरते समय कैसा महसूस होता हैं.


राधिका गुस्से से चीख पड़ती हैं- बिहारी ये क्या तमाशा लगा रखा हैं तुमने. मैं कोई रंडी नही हूँ कि तुम जिसके साथ जैसा चाहो मुझे ये सब करने को कहोगे और मैं करूँगी. अगर तुम्हारा इरादा मेरे साथ इन सब के साथ सेक्स करवाने का हैं तो मुझसे ये सब नहीं होगा.


बिहारी बड़े प्यार से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नाराज़ क्यों होती हो मेरी जान बात ये हुई थी कि मैं जो तुझसे कहूँगा तू वही करेगी चाहे मैं तुझे जिसके साथ भी सेक्स करने को क्यों ना कहूँ. और हां ये तेरी नादानी को मैं आख़िरी बार माफ़ कर रहा हूँ अगर दुबारा उँची आवाज़ में मुझसे बात की तो तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे अपनी परछाई से भी डर लगेगा.


राधिका चुप चाप अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं तभी विजय उसके पास आता हैं और राधिका के पीछे खड़ा होकर अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं और पूरी ताक़त से उसे मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो इस अचानक हमले से वो चौंक जाती हैं तभी बिहारी ज़ोर से विजय को गाली देता हैं और राधिका से दूर हटने को बोलता हैं.


बिहारी- ये क्या तरीका हैं विजय. मैने कहा राधिका से दूर हट जाओ. और अब राधिका को दुबारा छूने की कोशिश भी मत करना. और हां अब मेरी मर्ज़ी के बिना अब कोई भी राधिका को हाथ नहीं लगाएगा.


विजय एक नज़र घूर कर बिहारी को देखता हैं मगर कुछ नहीं कहता. गुस्सा तो उसे बिहारी पर बहुत आता हैं मगर वो जानता था कि अगर बिहारी से इस समय बहस हुआ तो राधिका उसके हाथ से निकल जाएगी और वो किसी भी हाल में राधिका जैसी आइटम को अपनी हाथों से जाने नहीं देना चाहता था.


बिहारी- ये मेरा घर हैं और अब यहाँ पर मैं जैसा चाहूँगा वैसा ही होगा. अगर मेरी बात तुम सबको बुरी लगती हैं तो तुम सब बेशक यहाँ से जा सकते हो. मगर जब तक यहाँ पर रहोगे जो मैं बोलूँगा जैसा बोलूँगा तुम सब को मेरी बात मानना पड़ेगा. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.


बिहारी की चेतावनी से विजय और जाग्गा वहीं चुप चाप खामोशी से वहीं पर बैठ जाते हैं. दोनो अच्छे से जानते थे कि अब बिहारी की बात मानने में ही भलाई हैं.


तभी बिहारी एक नौकर को बुलाता हैं और राधिका के लिए जूस लाने को बोलता हैं. थोड़े देर में वो नौकर राधिका के लिए जूस लेकर आता हैं. साथ में कुछ नमकीन भी थी.


बिहारी- चिंता मत कर राधिका अब कोई भी मेरी मर्ज़ी के बिना तुझे हाथ नहीं लगाएगा. फिर बिहारी राधिका को वो जूस पीने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल के वो जूस से भरा काँच का ग्लास उठाती हैं और फिर धीरे धीरे पूरा पी जाती हैं.


बिहारी- क्या करूँ राधिका पता नहीं क्यों तुझ में कोई तो बात हैं जो मेरा ध्यान बार बार तेरी ओर खीच लेती हैं. चल आज तुझे मैं एक मौका देता हूँ तेरी आज़ादी के लिए. और दुवा करूँगा कि तू यहाँ से आज़ाद हो जाए.


राधिका फिर से सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं- मैं कुछ समझी नहीं बिहारी तुम आख़िर क्या कहना चाहते हो.


बिहारी- चल आज एक गेम खेलते हैं. अगर इस खेल में तू जीती तो मैं तुझे पूरेय इज़्ज़त के साथ इसी वक़्त यहाँ से तुझे अपने घर जाने दूँगा अगर तू हार गयी तो फिर तू पूरे एक हफ्ते के बाद यहाँ से जाएगी और मेरी गुलाम बनकर रहेगी. बोल मज़ूर हैं तुझे एक आखरी बाज़ी..............खेलना चाहेगी क्या ये खेल???


राधिका के चेहरे पर थोड़ी खुशी आ जाती है और वो तुरंत हां में इशारा करती हैं- मुझे मंज़ूर हैं. राधिका के पास इस वक़्त यहाँ से निकलने का कोई दूसरा ऑप्षन नहीं था. इसलिए वो बिना सोचे समझे झट से हां कह देती हैं.


बिहारी के मूह से ऐसी बातें सुनकर विजय और जग्गा दोनो गुस्से से बौखला जाते हैं. वो अच्छे से जानते थे कि बिहारी ज़ुबान का पक्का इंसान हैं. और अगर राधिका ये गेम जीत गयी तो वो सच में उसे हाथ नहीं लगाएगा और इतना अच्छा मौका राधिका को चोदने का हाथ से निकल जाएगा. अपने हाथ से ये मौका निकलता देखकर विजय गुस्से से पागल हो जाता हैं.


विजय- मुझे अब कोई गेम नहीं खेलना है. अरे इतना अच्छा मौका मिला हैं और तुम अब राधिका को बिना कुछ किए बगैर कैसे जाने दे सकते हो मुझे तुम्हारे इस खेल में कोई शौक नहीं हैं.


बिहारी- मैने पहले भी कहा था और अब भी कहता हूँ अगर तुम मेरे हिसाब से नहीं चल सकते तो बेसक तुम यहाँ से जा सकते हो. आइन्दा मैं दखल अंदाज़ी बिकुल बर्दास्त नहीं करूँगा.


विजय ना चाहते हुए भी पैर पटक कर वहीं गुस्से से बैठ जाता हैं.
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Messages In This Thread
Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 12:05 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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