20-09-2019, 11:51 AM
Update 32
राधिका के चेहरे पर चिंता की लकीरे और गहरी हो जाती हैं. वो आचे से जानती थी कि आज जो उसने कदम उठाया हैं वो उसे सीधा मौत के मूह तक लेकर जाएगा. मगर उसके पास और कोई चारा भी तो नहीं था. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि आने वाला वो पल उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं मगर आज उसको इन सब हालातों से अकेले सामना करना था शायद अपनों की ज़िंदगी बचाने के लिए...........
शाम को राहुल राधिका से मिलने आता हैं. राधिका राहुल को देखकर दौड़ कर उसके सीने से लिपट जाती हैं और फफक फफक कर रोने लगती हैं. राधिका को ऐसे रोता देखकर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता हैं. और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपने हाथ फिराता हैं.
राहुल- क्या हुआ जान. किसी ने कुछ कहा क्या ????
राधिका- नहीं राहुल कुछ अच्छा नहीं लग रहा. मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं. पता नहीं एक डर सा लग रहा हैं. आज हो सके तो तुम यहीं पर मेरे पास रुक जाओ. आज की रात मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ फिर पता नहीं कब दुबारा ये मौका मिले ना मिले..
राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं- क्या बात हैं राधिका तुम ऐसी बाते क्यों कर रही हो. कहीं कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना.
राधिका अपने ज़ज्बात को काबू में करती हैं- हां शायद..............कोई बुरा सपना ही देखा होगा.
राहुल- क्या करू जान मैं तो यही सोचकर आया था कि आज मैं तुम्हारे साथ रहूँगा मगर अभी डीजीपी सर का फोन आया था मुझे आज रात में ही मुंबई निकलना पड़ेगा. वहाँ पर एक केस फँसा हुआ हैं और डीजीपी सर का आदेश हैं कि वो केस मैं ही हॅंडल करूँ.
राधिका समझ गयी थी कि ये सब बिहारी ने ही करवाया हैं -कितना वक़्त लग जाएगा राहुल तुम्हें आने में.
राहुल- मैं बहुत जल्द कोशिश करूँगा जान फिर भी एक हफ़्ता तो लग ही जाएगा. और जैसे ही मैं आउन्गा हम दोनो तुरंत शादी कर लेंगे. आख़िर 8 दिन ही तो बचे हैं हुमारी शादी को. फिर मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.
राधिका के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं मगर वो राहुल को रोकने की कोशिश नहीं करती.
राहुल बड़े प्यार से राधिका के लिप्स को चूम लेता हैं और उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं. अब भी राधिका की आँखों में आँसू थे.
राहुल- क्या हुआ जान तुम्हारे चेहरे पर ऐसी उदासी अच्छी नहीं लगती. बस एक हफ्ते की तो बात हैं मेरा भी बिल्कुल मन नहीं कर रहा जाने को मगर क्या करें ये नौकरी साली हैं ही ऐसी चीज़. जहाँ ले जाए जाना पड़ता हैं. और चिंता मत करो मैने आने से पहले ही निशा को फोन कर दिया था. वो अब थोड़ी देर में आती ही होगी. आज वो तुम्हारे पास रुक जाएगी फिर तुम्हें मेरी याद भी नहीं आएगी.
राधिका- ठीक हैं राहुल जैसा तुम्हें ठीक लगे.
राहुल- अब मैं चलता हूँ जान. मैं पहले घर जाउन्गा फिर मुझे समान भी तो पॅक करना हैं. और वैसे भी फोन से बराबर तुमसे बात होती ही रहेगी. बस अपना ख्याल रखना. और राहुल इतना बोलकर वो बाहर जाने के लिए मुड़ता हैं तभी राधिका दौड़ कर राहुल के पीछे से लिपट कर रोने लगती हैं. राहुल फिर राधिका की ओर मूह करता हैं फिर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.
राहुल- बस करो जान. मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी ही ना जा रहा हूँ. बस एक हफ्ते की तो बात हैं. देख लेना एक हफ़्ता यू ही गुजर जाएगा. फिर मैं प्रॉमिस करता हूँ कि उसके बाद तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.
राधिका- जा रहे हो राहुल मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी मगर इतना याद रखा कि राधिका हर पल हर घड़ी तुम्हारे लौटने का इंतेज़ार करेगी. मुझे तुम्हारा इंतेज़ार रहेगा मगर इतना ज़रूर याद रखना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी राह देखते देखते कहीं मेरी जान ना निकल जाए. मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतेज़ार करूँगी राहुल........आइ लव यू.
राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं फिर वो तेज़ी से घर के बाहर निकल जाता हैं. वो जानता था कि और वो थोड़ी देर राधिका के पास रुका तो वो भी रो देगा. बड़े मुश्किल से वो अपने ज़ज्बात को काबू में रखता हैं और सीधा अपने घर की ओर निकल जाता हैं. राधिका वहीं बुत की तरह खड़ी चुप चाप राहुल को जाता हुआ देख रही थी. अब भी उसकी आँखों में आँसू थे. राहुल को तो इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आज राधिका कितनी बड़ी मुसीबत में हैं. शायद यही तो वो प्यार और समर्पण की भावना थी राधिका के अंदर जो अपनी परवाह किए बगैर बस वो अपने प्यार पर कोई आँच तक नहीं आने देना चाहती थी.
राधिका कुछ देर तक ऐसे ही गुम सूम सी बैठी रहती हैं फिर वो जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद निशा भी आ जाती हैं.
निशा जब राधिका के हाथों में शराब की बॉटल देखती हैं तो वो कुछ कह नहीं पाती . वो जानती थी कि आज राधिका कितनी टूट चुकी हैं. वो उसे और दुखी नहीं करना चाहती थी.
निशा- राधिका कभी तो ये शराब को अपने से दूर रखा कर. देख अपने आप को क्या हालत बना रखी हैं. अगर ऐसे ही पीती रहेगी तो मर जाएगी एक दिन.
राधिका- अच्छा तो हैं निशा और वैसे भी अब जीने में क्या रखा हैं. लेकिन भगवान मेरे जैसे को मौत भी इतनी आसानी से नहीं देगा.
निशा- चुप कर राधिका. हर वक़्त उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. मैं जानती हूँ कि आज तेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी मगर ये कोई तरीका नहीं हैं अपने गम भूलने का.
राधिका- तू फिर शुरू हो गयी. ठीक हैं आज तू भी अपनी भडास निकाल ले. और वैसे अब तू ही तो हैं जो अब मेरे पास है.
निशा कुछ नहीं कहती और राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहते हैं.
निशा- चल तू आराम कर मैं तेरे लिए खाना बना देती हूँ. फिर निशा जाकर खाना बनाने लगती हैं. फिर थोड़ी देर के बाद वो राधिका के पास आती हैं फिर दोनो खाना खाते हैं.
राधिका- एक बात कहूँ निशा तू बुरा तो नहीं मानेगी ना.
निशा- हां पूछ मैं तेरी बातो का क्यों बुरा मानूँगी.
राधिका- कहीं ऐसा तो नहीं हैं ना कि तू भी राहुल से ही प्यार करती हैं. अगर ऐसा हैं तो मुझे बता देना मैं राहुल से तेरे लिए बात करूगी. वो अक्सर तेरी तारीफ़ करता हैं.
निशा को राधिका की ऐसी बातो को सुनकर एक झटका लगता हैं- तू ये सब क्या बोल रही हैं........राहुल मेरा अच्छा दोस्त हैं मैं उससे कोई प्यार व्यार नहीं करती. और तेरी शादी होने वाली हैं राहुल से भला तू ऐसी बातें कैसे कर सकती हैं.
राधिका- आइ आम सॉरी निशा मुझे ऐसा लगा कि तू भी राहुल को चाहती होगी इस लिए पूछ लिया. पर तूने बताया नहीं कि तेरे बाय्फ्रेंड का क्या हुआ.
निशा- वो इस वक़्त सहर के बाहर हैं. अगर आ जाएगा तो मैं उससे बात करूँगी. चल तू भी अब सो जा बहुत रात हो गयी हैं और नशे में तू कुछ भी बके जा रही हैं. फिर राधिका और निशा वहीं एक ही बेड पर सो जाते हैं. मगर निशा को कहाँ नींद आने वाली थी वो तो बस राधिका की बातो को सोचने लगती हैं. ये बात तो निशा समझ रही थी कि राधिका ने उससे मज़ाक में कहीं हैं मगर राधिका ने आज उससे कोई मज़ाक नहीं किया था.
निशा के दिमाग़ में इस वक़्त कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो यही सोच रही थी अगर राधिका को ये बात पता चल जाएगी कि वो भी राहुल को चाहती हैं तो राधिका के दिल पर क्या बीतेगी. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि राहुल की ज़िंदगी में कौन आता हैं........राधिका ....या फिर.....निशा.
उधेर राहुल भी तैयार होता हैं और राधिका का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो वो अपने पर्स में रख लेता हैं. और वहीं एक बड़ा सा राधिका का फोटो फ्रेम पर दो गुलाब को फूल रखकर वो मुस्कुरा उठता हैं. ....बहुत जल्द तुम इस घर की रानी बनोगी............. दिल में राधिका के लिए कई तरह के सपने सँजोकर वो अपनी जीप में बैठकर अपने घर से बाहर मुंबई के लिए निकल पड़ता हैं.
सुबेह निशा उठती हैं फिर फ्रेश होकर वो अपने घर के लिए निकल जाती है. राधिका भी उठकर फ्रेश होती हैं. राधिका के दिल में बेचैनी और डर का मिला जुला रूप था. उसका मन सुबह से कहीं नहीं लग रहा था वो बार बार बिहारी की बातो को सोच रही थी. तभी बिहारी का कॉल आता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी वो फोन रिसीव करती हैं.
बिहारी- मेरा आदमी अभी थोड़ी देर में तेरे पास आ जाएगा. उसके हाथों से मैं तेरे लिए कपड़े भिजवा रहा हूँ. तू वो ही पहन कर आएगी. और हां जिस तरह से तू अपने भैया के लिए तैयार हुई थी आज तुझे भी उसी तरह तैयार होकर मेरे पास आना हैं. और एक बात तेरी गर्देन के नीचे तेरे शरीर पर कहीं बाल नहीं होना चाहिए. तू समझ रही हैं ना कि मेरा इशारा किस तरफ हैं. अगर नहीं समझी तो बोल खुल कर समझा देता हूँ.
बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका का चेहरे शरम से लाल हो जाता हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- मैं समझ गयी.........तुम्हारा इशारा किस तरफ हैं...जैसे तुम चाहते हो वैसा ही होगा. फिर बिहारी फोन रख देता हैं. और राधिका एक बार फिर से गहरे विचारों में डूब जाती हैं. थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाकर अपने जिस्म के सभी हिस्सों के बाल सॉफ करती हैं. फिर वो बाथ लेती हैं.
करीब 11.30 बजे राधिका के घर के सामने एक क्ष्य्लो कार आकर रुकती हैं. उसमें से एक आदमी बाहर निकलता हैं और अपने हाथ में एक पॅकेट लेकर दरवाजे पर दस्तक देता हैं. दस्तक की आहट सुनकर राधिका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं. राधिका थोड़ी सी हिम्मत करके वो जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने एक आदमी काला चस्मा पहने हुए हाथों में एक पार्सल लेकर खड़ा था. वो तुरंत राधिका को देखकर बोल पड़ता हैं-मुझे बिहारी ने आपके पास भेजा हैं. आपको लेने के लिए. और इसमें आपके लिए कपड़े हैं. फिर वो पार्सल राधिका को थमा देता हैं.
राधिका- ठीक हैं तुम यहीं पर बैठो मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार देती हैं. फिर वो पार्सल खोलती हैं. उसके मन में ये सवाल बार बार आ रहा था कि पता नहीं बिहारी ने मेरे लिए कैसे कपड़े भेजे होंगे. कहीं वो शॉर्ट कपड़े होंगे तो...........कपड़े चाहे जैसे भी हो मगर उसे तो वो पहेने ही थे. जब राधिका पार्सल खोलती हैं तो उसमें एक ट्रॅन्स्परेंट ब्लॅक कलर की साड़ी थी और एक डीप कट ब्लाउस, एक पेटिकोट, साथ में ब्लॅक ब्रा और पैंटी. या यू कहा जाए कि सारे कपड़ों का कलर ब्लॅक था. मगर कपड़े बहुत ही कीमती थे.
वो सबसे पहले पैंटी पहनती हैं फिर ब्रा और बाद में साड़ी. बिहारी ने जो कपड़े राधिका के लिए भेजवाए थे उसमें राधिका पूरी कयामत लग रही थी. गोरी तो पहले से ही थी और उपर से ब्लॅक स्लेवेललेस उसकी खूबसूरती को और रंग बिखेर रहा था. उसे तो उमीद नहीं थी कि बिहारी उसके लिए साड़ी भेजवाएगा. फिर वो बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाती हैं और जाकर एक मॅचिंग कलर का बिंदी , हल्का पिंक कलर का लिपस्टिक, और कान में झुमके कुल मिलाकर वो एक बला की खूबसूरत लग रही थी. फिर वो जाकर अपने अलमारी में से अपनी डायरी और पेन रख लेती हैं. वो कहीं भी जाती थी मगर अपनी डायरी साथ रखती थी. वो उसे अपने बॅग में रख लेती हैं और साथ में अपना मोबाइल भी. फिर वो उस आदमी के साथ अपने घर को लॉक करके वो उस गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं.
थोड़ी देर में वो क्ष्य्लो कार तेज़ी से वहाँ से रवाना हो जाती हैं. जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं राधिका की घबराहट और बेचैनी बढ़ने लगती हैं. करीब 1/2 घंटे के सफ़र के बाद वो क्ष्य्लो सहर के बाहर जंगल में जाती हुई दिखाई देती हैं. जंगल में करीब 5 किमी. अंदर जाने पर वो क्ष्य्लो वहीं रुक जाती हैं. राधिका आस पास इधेर उधेर देखने लगती हैं मगर उसे कहीं कुछ दिखाई नहीं देता सिवाए घने पेड़ों के..
राधिका- ये तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो. और तुमने यहाँ जंगल के बीचों बीच गाड़ी क्यों रोक दिया.
ड्राइवर- मालिक ने आपको यहीं पर लाने को कहा था. आप गाड़ी से उतार जाइए यहाँ पर एक अंडरग्राउंड गेस्ट हाउस हैं. मैं आपको वहाँ लेकर चलता हूँ. और वैसे भी इस जगह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. फिर वो ड्राइवर एक बड़े से पेड़ के नीचे गाड़ी पार्क करता हैं. फिर उसे पेड़ की पत्तियों से धक देता हैं. फिर वो राधिका को अपने साथ चलने का इशारा करता हैं. थोड़ी दूर जाने पर एक लता से घिरा एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा मिलता हैं. वो नौकर वो दरवाज़ा खोलता हैं. फिर वो अंडरग्राउंड रास्ते से होते हुए ज़मीन के नीचे एक तहख़ाने में वो जाता हैं और एक मेन गेट ओपन करता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो राधिका की आँखें चौधया जाती हैं.
वो जगह बेहद सुन्दर था. ऐसा लग रहा था जैसे वो स्वर्ग में आई हो. अंदर एक बड़ा सा हाल था और अंदर कम से कम तीन चार कमरे थे. चारों तरफ लाइट की रोशनी कुल मिलाकर वो एक आलीशान महल जैसा लग रहा था. राधिका ने तो सोचा भी नहीं था कि इस ज़मीन के अंदर ऐसा भी घर हो सकता हैं. फिर वो बड़े गौर से उन सब चीज़ों को देखने लगती हैं. और वो ड्राइवर उसे वहीं सोफे पर बैठकर वो बाहर निकल जाता हैं.
थोड़ी देर में उस कमरे का दरवाज़ा खुलता हैं और राधिका की धड़कनें फिर से तेज़ हो जाती हैं. सामने बिहारी था. वो मुस्कुराता हुआ राधिका के पास आता हैं और वही सोफे पर बैठ जाता हैं.
बिहारी- कैसा लगा मेरा ये छोटा सा आशियाना. और तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ना यहाँ तक आने में.
राधिका कुछ नहीं कहती और बस चुप चाप बिहारी को देखने लगती हैं.
बिहारी- वैसे एक बात कहूँ राधिका आज तू पूरी क़यामत लग रही हैं. जैसा मैने इन कपड़ों में जैसा सोचा था तू उससे कहीं ज़्यादा सुंदर लग रही हैं. मैं बहुत दिनों से तुझे इन कपड़ो में देखना चाहता था. और मैं जानता था कि तू इन कपड़ों में बेहद खूबसूरत लगेगी. और वैसे भी मेरे पसंदीदा कलर काला ही हैं. क्या हैं ना बचपन से काले काम करते करते मेरी चाय्स ही काली हो गयी.
राधिका एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं.
बिहारी- जानती हैं ये जगह ........ये मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. और उन ख़ास आदमियों में अब तू भी शामिल हैं. क्या हैं ना जब कोई लफडा होता हैं तो मुझे कभी कभी अंडरग्राउंड भी होना पड़ता हैं. इस वजह से मैं कुछ दिन यहाँ आकर रुक जाता हूँ.
राधिका- हां बिहारी तूने तो कमाल की जगह ढूंढी हैं छुपने के लिए. वैसे ये जगह बहुत खूबसूरत हैं.
बिहारी- मगर तुमसे ज़्यादा खूबसूरत नहीं. और वैसे भी मेरा सपना तुझे पाने का आज पूरा हो गया खैर..............
बिहारी- तो अब मुद्दे पर आते हैं. जैसा कि तू जानती हैं कि आज के बाद तू मेरी रखैल बनकर रहेगी. जो मैं चाहूँगा वो तू सब कुछ करेगी बिना सवाल के. या यू समझ ले तू एक हफ्ते तक मेरी गुलाम रहेगी. अगर तूने मेरे किसी भी बात का विरोध किया तो मैं तुझे दुबारा मौका नहीं दूँगा बाकी तू खुद समझदार हैं.
राधिका- हां मैं जानती हूँ तुम मेरी तरफ से बेफिकर रहो बिहारी. मैं तुम्हें किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करूँगी. बस तुम अपनी शर्त याद रखना और मैं अपनी. बोलो अब मैं अपने कपड़े यहीं उतारू या कहीं और ....
बिहारी हंसते हुए- नहीं मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या हैं. वैसे भी आज तारीख तुझे पता ही होगा. वैसे तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ. 13-जून-2010. यानी 21-जून को तेरी शादी राहुल से होने वाली हैं और 20 जून को तू यहाँ से आज़ाद हो जाएगी. अब तेरे पास पूरा एक हफ़्ता हैं. और हां मैं चाहता हूँ कि तू हम सब का पूरा साथ देगी कहीं मुझे ऐसा ना लगे कि मैं तेरा बलात्कार कर रहा हूँ.
राधिका- हम सब का.....................मतलब. और कौन कौन लोग होंगे तुम्हारे साथ.
बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. चल आज तुझे एक ऐसे शख्स से मिलवाता हूँ जिससे मिलकर तेरे पाँव तले ज़मीन खिसक जाएगी. तू जानना चाहती थी ना कि राहुल के पीछे जो हमले हुए थे उसका मास्टरमाइंड कौन था. अगर तू उसे एक बार देख लेगी तो तू कभी विश्वास नहीं करेगी. ये देख तेरे सामने हैं वो........तभी बिहारी अपने हाथ से डरवज़े की ओर इशारा करता हैं. और तभी दरवाज़ा खुलता हैं. सामने एक शख्स खड़ा हुआ था. वो अपने बढ़ते कदमों से राधिका के करीब आता हैं और जब राधिका उस सख्स के चेहरे को पहचान लेती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.
राधिका- ऐसा नहीं हो सकता.......................इतना बड़ा फरेब......इतना बड़ा विश्वासघात...
राधिका के चेहरे पर चिंता की लकीरे और गहरी हो जाती हैं. वो आचे से जानती थी कि आज जो उसने कदम उठाया हैं वो उसे सीधा मौत के मूह तक लेकर जाएगा. मगर उसके पास और कोई चारा भी तो नहीं था. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि आने वाला वो पल उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं मगर आज उसको इन सब हालातों से अकेले सामना करना था शायद अपनों की ज़िंदगी बचाने के लिए...........
शाम को राहुल राधिका से मिलने आता हैं. राधिका राहुल को देखकर दौड़ कर उसके सीने से लिपट जाती हैं और फफक फफक कर रोने लगती हैं. राधिका को ऐसे रोता देखकर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता हैं. और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपने हाथ फिराता हैं.
राहुल- क्या हुआ जान. किसी ने कुछ कहा क्या ????
राधिका- नहीं राहुल कुछ अच्छा नहीं लग रहा. मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं. पता नहीं एक डर सा लग रहा हैं. आज हो सके तो तुम यहीं पर मेरे पास रुक जाओ. आज की रात मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ फिर पता नहीं कब दुबारा ये मौका मिले ना मिले..
राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं- क्या बात हैं राधिका तुम ऐसी बाते क्यों कर रही हो. कहीं कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना.
राधिका अपने ज़ज्बात को काबू में करती हैं- हां शायद..............कोई बुरा सपना ही देखा होगा.
राहुल- क्या करू जान मैं तो यही सोचकर आया था कि आज मैं तुम्हारे साथ रहूँगा मगर अभी डीजीपी सर का फोन आया था मुझे आज रात में ही मुंबई निकलना पड़ेगा. वहाँ पर एक केस फँसा हुआ हैं और डीजीपी सर का आदेश हैं कि वो केस मैं ही हॅंडल करूँ.
राधिका समझ गयी थी कि ये सब बिहारी ने ही करवाया हैं -कितना वक़्त लग जाएगा राहुल तुम्हें आने में.
राहुल- मैं बहुत जल्द कोशिश करूँगा जान फिर भी एक हफ़्ता तो लग ही जाएगा. और जैसे ही मैं आउन्गा हम दोनो तुरंत शादी कर लेंगे. आख़िर 8 दिन ही तो बचे हैं हुमारी शादी को. फिर मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.
राधिका के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं मगर वो राहुल को रोकने की कोशिश नहीं करती.
राहुल बड़े प्यार से राधिका के लिप्स को चूम लेता हैं और उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं. अब भी राधिका की आँखों में आँसू थे.
राहुल- क्या हुआ जान तुम्हारे चेहरे पर ऐसी उदासी अच्छी नहीं लगती. बस एक हफ्ते की तो बात हैं मेरा भी बिल्कुल मन नहीं कर रहा जाने को मगर क्या करें ये नौकरी साली हैं ही ऐसी चीज़. जहाँ ले जाए जाना पड़ता हैं. और चिंता मत करो मैने आने से पहले ही निशा को फोन कर दिया था. वो अब थोड़ी देर में आती ही होगी. आज वो तुम्हारे पास रुक जाएगी फिर तुम्हें मेरी याद भी नहीं आएगी.
राधिका- ठीक हैं राहुल जैसा तुम्हें ठीक लगे.
राहुल- अब मैं चलता हूँ जान. मैं पहले घर जाउन्गा फिर मुझे समान भी तो पॅक करना हैं. और वैसे भी फोन से बराबर तुमसे बात होती ही रहेगी. बस अपना ख्याल रखना. और राहुल इतना बोलकर वो बाहर जाने के लिए मुड़ता हैं तभी राधिका दौड़ कर राहुल के पीछे से लिपट कर रोने लगती हैं. राहुल फिर राधिका की ओर मूह करता हैं फिर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.
राहुल- बस करो जान. मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी ही ना जा रहा हूँ. बस एक हफ्ते की तो बात हैं. देख लेना एक हफ़्ता यू ही गुजर जाएगा. फिर मैं प्रॉमिस करता हूँ कि उसके बाद तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.
राधिका- जा रहे हो राहुल मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी मगर इतना याद रखा कि राधिका हर पल हर घड़ी तुम्हारे लौटने का इंतेज़ार करेगी. मुझे तुम्हारा इंतेज़ार रहेगा मगर इतना ज़रूर याद रखना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी राह देखते देखते कहीं मेरी जान ना निकल जाए. मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतेज़ार करूँगी राहुल........आइ लव यू.
राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं फिर वो तेज़ी से घर के बाहर निकल जाता हैं. वो जानता था कि और वो थोड़ी देर राधिका के पास रुका तो वो भी रो देगा. बड़े मुश्किल से वो अपने ज़ज्बात को काबू में रखता हैं और सीधा अपने घर की ओर निकल जाता हैं. राधिका वहीं बुत की तरह खड़ी चुप चाप राहुल को जाता हुआ देख रही थी. अब भी उसकी आँखों में आँसू थे. राहुल को तो इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आज राधिका कितनी बड़ी मुसीबत में हैं. शायद यही तो वो प्यार और समर्पण की भावना थी राधिका के अंदर जो अपनी परवाह किए बगैर बस वो अपने प्यार पर कोई आँच तक नहीं आने देना चाहती थी.
राधिका कुछ देर तक ऐसे ही गुम सूम सी बैठी रहती हैं फिर वो जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद निशा भी आ जाती हैं.
निशा जब राधिका के हाथों में शराब की बॉटल देखती हैं तो वो कुछ कह नहीं पाती . वो जानती थी कि आज राधिका कितनी टूट चुकी हैं. वो उसे और दुखी नहीं करना चाहती थी.
निशा- राधिका कभी तो ये शराब को अपने से दूर रखा कर. देख अपने आप को क्या हालत बना रखी हैं. अगर ऐसे ही पीती रहेगी तो मर जाएगी एक दिन.
राधिका- अच्छा तो हैं निशा और वैसे भी अब जीने में क्या रखा हैं. लेकिन भगवान मेरे जैसे को मौत भी इतनी आसानी से नहीं देगा.
निशा- चुप कर राधिका. हर वक़्त उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. मैं जानती हूँ कि आज तेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी मगर ये कोई तरीका नहीं हैं अपने गम भूलने का.
राधिका- तू फिर शुरू हो गयी. ठीक हैं आज तू भी अपनी भडास निकाल ले. और वैसे अब तू ही तो हैं जो अब मेरे पास है.
निशा कुछ नहीं कहती और राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहते हैं.
निशा- चल तू आराम कर मैं तेरे लिए खाना बना देती हूँ. फिर निशा जाकर खाना बनाने लगती हैं. फिर थोड़ी देर के बाद वो राधिका के पास आती हैं फिर दोनो खाना खाते हैं.
राधिका- एक बात कहूँ निशा तू बुरा तो नहीं मानेगी ना.
निशा- हां पूछ मैं तेरी बातो का क्यों बुरा मानूँगी.
राधिका- कहीं ऐसा तो नहीं हैं ना कि तू भी राहुल से ही प्यार करती हैं. अगर ऐसा हैं तो मुझे बता देना मैं राहुल से तेरे लिए बात करूगी. वो अक्सर तेरी तारीफ़ करता हैं.
निशा को राधिका की ऐसी बातो को सुनकर एक झटका लगता हैं- तू ये सब क्या बोल रही हैं........राहुल मेरा अच्छा दोस्त हैं मैं उससे कोई प्यार व्यार नहीं करती. और तेरी शादी होने वाली हैं राहुल से भला तू ऐसी बातें कैसे कर सकती हैं.
राधिका- आइ आम सॉरी निशा मुझे ऐसा लगा कि तू भी राहुल को चाहती होगी इस लिए पूछ लिया. पर तूने बताया नहीं कि तेरे बाय्फ्रेंड का क्या हुआ.
निशा- वो इस वक़्त सहर के बाहर हैं. अगर आ जाएगा तो मैं उससे बात करूँगी. चल तू भी अब सो जा बहुत रात हो गयी हैं और नशे में तू कुछ भी बके जा रही हैं. फिर राधिका और निशा वहीं एक ही बेड पर सो जाते हैं. मगर निशा को कहाँ नींद आने वाली थी वो तो बस राधिका की बातो को सोचने लगती हैं. ये बात तो निशा समझ रही थी कि राधिका ने उससे मज़ाक में कहीं हैं मगर राधिका ने आज उससे कोई मज़ाक नहीं किया था.
निशा के दिमाग़ में इस वक़्त कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो यही सोच रही थी अगर राधिका को ये बात पता चल जाएगी कि वो भी राहुल को चाहती हैं तो राधिका के दिल पर क्या बीतेगी. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि राहुल की ज़िंदगी में कौन आता हैं........राधिका ....या फिर.....निशा.
उधेर राहुल भी तैयार होता हैं और राधिका का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो वो अपने पर्स में रख लेता हैं. और वहीं एक बड़ा सा राधिका का फोटो फ्रेम पर दो गुलाब को फूल रखकर वो मुस्कुरा उठता हैं. ....बहुत जल्द तुम इस घर की रानी बनोगी............. दिल में राधिका के लिए कई तरह के सपने सँजोकर वो अपनी जीप में बैठकर अपने घर से बाहर मुंबई के लिए निकल पड़ता हैं.
सुबेह निशा उठती हैं फिर फ्रेश होकर वो अपने घर के लिए निकल जाती है. राधिका भी उठकर फ्रेश होती हैं. राधिका के दिल में बेचैनी और डर का मिला जुला रूप था. उसका मन सुबह से कहीं नहीं लग रहा था वो बार बार बिहारी की बातो को सोच रही थी. तभी बिहारी का कॉल आता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी वो फोन रिसीव करती हैं.
बिहारी- मेरा आदमी अभी थोड़ी देर में तेरे पास आ जाएगा. उसके हाथों से मैं तेरे लिए कपड़े भिजवा रहा हूँ. तू वो ही पहन कर आएगी. और हां जिस तरह से तू अपने भैया के लिए तैयार हुई थी आज तुझे भी उसी तरह तैयार होकर मेरे पास आना हैं. और एक बात तेरी गर्देन के नीचे तेरे शरीर पर कहीं बाल नहीं होना चाहिए. तू समझ रही हैं ना कि मेरा इशारा किस तरफ हैं. अगर नहीं समझी तो बोल खुल कर समझा देता हूँ.
बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका का चेहरे शरम से लाल हो जाता हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- मैं समझ गयी.........तुम्हारा इशारा किस तरफ हैं...जैसे तुम चाहते हो वैसा ही होगा. फिर बिहारी फोन रख देता हैं. और राधिका एक बार फिर से गहरे विचारों में डूब जाती हैं. थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाकर अपने जिस्म के सभी हिस्सों के बाल सॉफ करती हैं. फिर वो बाथ लेती हैं.
करीब 11.30 बजे राधिका के घर के सामने एक क्ष्य्लो कार आकर रुकती हैं. उसमें से एक आदमी बाहर निकलता हैं और अपने हाथ में एक पॅकेट लेकर दरवाजे पर दस्तक देता हैं. दस्तक की आहट सुनकर राधिका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं. राधिका थोड़ी सी हिम्मत करके वो जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने एक आदमी काला चस्मा पहने हुए हाथों में एक पार्सल लेकर खड़ा था. वो तुरंत राधिका को देखकर बोल पड़ता हैं-मुझे बिहारी ने आपके पास भेजा हैं. आपको लेने के लिए. और इसमें आपके लिए कपड़े हैं. फिर वो पार्सल राधिका को थमा देता हैं.
राधिका- ठीक हैं तुम यहीं पर बैठो मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार देती हैं. फिर वो पार्सल खोलती हैं. उसके मन में ये सवाल बार बार आ रहा था कि पता नहीं बिहारी ने मेरे लिए कैसे कपड़े भेजे होंगे. कहीं वो शॉर्ट कपड़े होंगे तो...........कपड़े चाहे जैसे भी हो मगर उसे तो वो पहेने ही थे. जब राधिका पार्सल खोलती हैं तो उसमें एक ट्रॅन्स्परेंट ब्लॅक कलर की साड़ी थी और एक डीप कट ब्लाउस, एक पेटिकोट, साथ में ब्लॅक ब्रा और पैंटी. या यू कहा जाए कि सारे कपड़ों का कलर ब्लॅक था. मगर कपड़े बहुत ही कीमती थे.
वो सबसे पहले पैंटी पहनती हैं फिर ब्रा और बाद में साड़ी. बिहारी ने जो कपड़े राधिका के लिए भेजवाए थे उसमें राधिका पूरी कयामत लग रही थी. गोरी तो पहले से ही थी और उपर से ब्लॅक स्लेवेललेस उसकी खूबसूरती को और रंग बिखेर रहा था. उसे तो उमीद नहीं थी कि बिहारी उसके लिए साड़ी भेजवाएगा. फिर वो बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाती हैं और जाकर एक मॅचिंग कलर का बिंदी , हल्का पिंक कलर का लिपस्टिक, और कान में झुमके कुल मिलाकर वो एक बला की खूबसूरत लग रही थी. फिर वो जाकर अपने अलमारी में से अपनी डायरी और पेन रख लेती हैं. वो कहीं भी जाती थी मगर अपनी डायरी साथ रखती थी. वो उसे अपने बॅग में रख लेती हैं और साथ में अपना मोबाइल भी. फिर वो उस आदमी के साथ अपने घर को लॉक करके वो उस गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं.
थोड़ी देर में वो क्ष्य्लो कार तेज़ी से वहाँ से रवाना हो जाती हैं. जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं राधिका की घबराहट और बेचैनी बढ़ने लगती हैं. करीब 1/2 घंटे के सफ़र के बाद वो क्ष्य्लो सहर के बाहर जंगल में जाती हुई दिखाई देती हैं. जंगल में करीब 5 किमी. अंदर जाने पर वो क्ष्य्लो वहीं रुक जाती हैं. राधिका आस पास इधेर उधेर देखने लगती हैं मगर उसे कहीं कुछ दिखाई नहीं देता सिवाए घने पेड़ों के..
राधिका- ये तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो. और तुमने यहाँ जंगल के बीचों बीच गाड़ी क्यों रोक दिया.
ड्राइवर- मालिक ने आपको यहीं पर लाने को कहा था. आप गाड़ी से उतार जाइए यहाँ पर एक अंडरग्राउंड गेस्ट हाउस हैं. मैं आपको वहाँ लेकर चलता हूँ. और वैसे भी इस जगह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. फिर वो ड्राइवर एक बड़े से पेड़ के नीचे गाड़ी पार्क करता हैं. फिर उसे पेड़ की पत्तियों से धक देता हैं. फिर वो राधिका को अपने साथ चलने का इशारा करता हैं. थोड़ी दूर जाने पर एक लता से घिरा एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा मिलता हैं. वो नौकर वो दरवाज़ा खोलता हैं. फिर वो अंडरग्राउंड रास्ते से होते हुए ज़मीन के नीचे एक तहख़ाने में वो जाता हैं और एक मेन गेट ओपन करता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो राधिका की आँखें चौधया जाती हैं.
वो जगह बेहद सुन्दर था. ऐसा लग रहा था जैसे वो स्वर्ग में आई हो. अंदर एक बड़ा सा हाल था और अंदर कम से कम तीन चार कमरे थे. चारों तरफ लाइट की रोशनी कुल मिलाकर वो एक आलीशान महल जैसा लग रहा था. राधिका ने तो सोचा भी नहीं था कि इस ज़मीन के अंदर ऐसा भी घर हो सकता हैं. फिर वो बड़े गौर से उन सब चीज़ों को देखने लगती हैं. और वो ड्राइवर उसे वहीं सोफे पर बैठकर वो बाहर निकल जाता हैं.
थोड़ी देर में उस कमरे का दरवाज़ा खुलता हैं और राधिका की धड़कनें फिर से तेज़ हो जाती हैं. सामने बिहारी था. वो मुस्कुराता हुआ राधिका के पास आता हैं और वही सोफे पर बैठ जाता हैं.
बिहारी- कैसा लगा मेरा ये छोटा सा आशियाना. और तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ना यहाँ तक आने में.
राधिका कुछ नहीं कहती और बस चुप चाप बिहारी को देखने लगती हैं.
बिहारी- वैसे एक बात कहूँ राधिका आज तू पूरी क़यामत लग रही हैं. जैसा मैने इन कपड़ों में जैसा सोचा था तू उससे कहीं ज़्यादा सुंदर लग रही हैं. मैं बहुत दिनों से तुझे इन कपड़ो में देखना चाहता था. और मैं जानता था कि तू इन कपड़ों में बेहद खूबसूरत लगेगी. और वैसे भी मेरे पसंदीदा कलर काला ही हैं. क्या हैं ना बचपन से काले काम करते करते मेरी चाय्स ही काली हो गयी.
राधिका एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं.
बिहारी- जानती हैं ये जगह ........ये मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. और उन ख़ास आदमियों में अब तू भी शामिल हैं. क्या हैं ना जब कोई लफडा होता हैं तो मुझे कभी कभी अंडरग्राउंड भी होना पड़ता हैं. इस वजह से मैं कुछ दिन यहाँ आकर रुक जाता हूँ.
राधिका- हां बिहारी तूने तो कमाल की जगह ढूंढी हैं छुपने के लिए. वैसे ये जगह बहुत खूबसूरत हैं.
बिहारी- मगर तुमसे ज़्यादा खूबसूरत नहीं. और वैसे भी मेरा सपना तुझे पाने का आज पूरा हो गया खैर..............
बिहारी- तो अब मुद्दे पर आते हैं. जैसा कि तू जानती हैं कि आज के बाद तू मेरी रखैल बनकर रहेगी. जो मैं चाहूँगा वो तू सब कुछ करेगी बिना सवाल के. या यू समझ ले तू एक हफ्ते तक मेरी गुलाम रहेगी. अगर तूने मेरे किसी भी बात का विरोध किया तो मैं तुझे दुबारा मौका नहीं दूँगा बाकी तू खुद समझदार हैं.
राधिका- हां मैं जानती हूँ तुम मेरी तरफ से बेफिकर रहो बिहारी. मैं तुम्हें किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करूँगी. बस तुम अपनी शर्त याद रखना और मैं अपनी. बोलो अब मैं अपने कपड़े यहीं उतारू या कहीं और ....
बिहारी हंसते हुए- नहीं मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या हैं. वैसे भी आज तारीख तुझे पता ही होगा. वैसे तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ. 13-जून-2010. यानी 21-जून को तेरी शादी राहुल से होने वाली हैं और 20 जून को तू यहाँ से आज़ाद हो जाएगी. अब तेरे पास पूरा एक हफ़्ता हैं. और हां मैं चाहता हूँ कि तू हम सब का पूरा साथ देगी कहीं मुझे ऐसा ना लगे कि मैं तेरा बलात्कार कर रहा हूँ.
राधिका- हम सब का.....................मतलब. और कौन कौन लोग होंगे तुम्हारे साथ.
बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. चल आज तुझे एक ऐसे शख्स से मिलवाता हूँ जिससे मिलकर तेरे पाँव तले ज़मीन खिसक जाएगी. तू जानना चाहती थी ना कि राहुल के पीछे जो हमले हुए थे उसका मास्टरमाइंड कौन था. अगर तू उसे एक बार देख लेगी तो तू कभी विश्वास नहीं करेगी. ये देख तेरे सामने हैं वो........तभी बिहारी अपने हाथ से डरवज़े की ओर इशारा करता हैं. और तभी दरवाज़ा खुलता हैं. सामने एक शख्स खड़ा हुआ था. वो अपने बढ़ते कदमों से राधिका के करीब आता हैं और जब राधिका उस सख्स के चेहरे को पहचान लेती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.
राधिका- ऐसा नहीं हो सकता.......................इतना बड़ा फरेब......इतना बड़ा विश्वासघात...