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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#38
Update 31


दो दिन बाद..........................

राधिका करीब 10 बजे अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती हैं. आज उसके एग्ज़ॅम्स का टाइम टेबल मिलने वाला था. वो इसलिए घर से तैयार होकर निकली थी. मन तो उसे नहीं था मगर वो फिर भी कॉलेज जाती हैं. आज फिर वो उसी रास्ते से होकर जा रही थी जहाँ पर पार्वती का कतल हुआ था. जब वो उस जगह पहुचती हैं तब उसको उस दिन वाला सारी घटना उसके आँखों के सामने घूमने लगते हैं. फिर से उसकी आँखें नम हो जाती हैं मगर वो वहाँ रुकती नहीं और आगे बढ़ जाती हैं.

थोड़ा दूर जाने पर वो मुड़कर फिर से उसी जगह को देखने लगती हैं फिर वो आगे चलने लगती हैं. राधिका अभी कुछ 10 कदम ही चली थी कि उसके पीछे से एक स्कॉर्पियो कार तेज़ी से आती है. जब वो स्कॉर्पियो उसके नज़दीक आती हैं तभी उसके सामने आकर रुक जाती हैं. राधिका इसी पहले की कुछ समझती दो बदमाश स्कॉर्पियो में से तेज़ी से उतरते हैं और राधिका को उठाकर गाड़ी में डाल देते हैं. पहला बदमाश उसकी आँखों पर काली पट्टी बाँध देता हैं और दूसरा उसकी हाथों को पीछे करके उसे रस्सी से बाँध देता हैं. फिर एक कपड़ा उसके मूह में डाल कर उसके मूह को भी बंद कर देते हैं. और फिर तेज़ी से वो गाड़ी वहाँ से रवाना हो जाती हैं.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये लोग कौन हैं और उसे उठाकर ज़बरदस्ती कहाँ ले जा रहे हैं. करीब 45 मिनिट बाद वो गाड़ी एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं. फिर वो दोनो राधिका को गाड़ी से निकाल कर उसे वही सामने वाले घर में ले जाते हैं. राधिका के चेहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था. पता नहीं कौन हैं ये लोग और उसे ऐसे क्यों उठाकर लाए हैं. मगर राधिका के सारे सवालों का जवाब जल्दी ही उसे पता चलने वाला था.

थोड़ी देर के बाद वो राधिका को लेजा कर एक बड़े से हाल में बैठा देते हैं. और फिर दोनो उस कमरे को बंद करके वहाँ से बाहर निकल जाते हैं. करीब 10 मिनिट बाद फिर से उस कमरे का दरवाजा खुलता हैं और साथ में दो तीन कदमों की आहट भी सुनाई देती हैं. जैसे जैसे वो आहट की आवाज़ तेज़्ज़ होती जाती है वैसे वैसे राधिका के दिल में डर और चेहरे पर पसीने सॉफ दिखाई देने लगते हैं.

फिर पहला शख्स उसके पीछे आता हैं और उसके हाथों का रस्सी खोलता हैं. और फिर उसके आँखों पर लगा पट्टी भी हटा देता हैं. फिर वो उसके मूह पर रखा कपड़ा भी अलग कर देता हैं. जब राधिका अपनी आँख खोलती हैं और जब उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ती हैं तो वो नफ़रत से उसे देखने लगती हैं. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि बिहारी था.

राधिका- बिहारी मैं जानती थी कि तुम बहुत नीच हो. मगर तुम मुझे पाने के लिए ऐसी गिरी हुई हरकत भी करोगे ये मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. शरम आती हैं मुझे तुम पर.

बिहारी- आभी पता चल जाएगा कि मैने तुझे ऐसे यहाँ पर क्यों बुलाया हैं. याद हैं मैने तुझे कहा था कि अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं आधी बाद में दिखाउन्गा. अब तुझे वो आधी पिक्चर दिखाने का वक़्त आ गया हैं........

राधिका सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं. उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था. उसे तो डर लग रहा था कि कहीं बिहारी उसके साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे. राधिका के चेहरे का एक्सप्रेशन्स देखकर बिहारी समझ जाता हैं कि इस वक़्त राधिका क्या सोच रही होगी.

बिहारी- घबरा मत राधिका मैं यहाँ पर तेरा बलात्कार करने के लिए तुझे नहीं लाया हूँ. और मैं तेरा बलात्कार करूँगा भी नहीं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करेगी. ये बात बिहारी पुर दावे से कह सकता हैं.

राधिका- तुझे क्या लगता हैं कि मैं तेरे जैसे आदमी को अपना जिस्म सौपुंगी. राधिका मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसा काम कभी नहीं करेगी.

बिहारी- हः हहा हा........ ये तो कुछ देर में पता चल ही जाएगा. जब मैं तुझे आधी पिक्चर दिखाउन्गा. फिर देखता हूँ कि तू क्या फ़ैसला करती हैं. फिर बिहारी अपने सारे आदमियों को कमरे से बाहर जाने के लिए बोल देता है और बाहर से दरवाज़ा लॉक करवा देता हैं.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं. तुम किस पिक्चर की बात कर रहे हो.

बिहारी- समझ जाएगी इतनी जल्दी भी क्या हैं. चल यहीं आराम से सोफे पर बैठ जा तुझे अभी बहुत कुछ दिखाना हैं.

राधिका ना चाहते हुए भी वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. तभी बिहारी दीवार पर लगा एलसीडी टी.वी ऑन करता हैं और फिर एक पेनड्राइव उस टी.वी में इनसर्ट करता हैं. थोड़े देर के बाद कुछ फाइल्स वो सेलेक्ट करता हैं और फिर उसे प्ले कर देता हैं.

स्क्रीन पर सबसे पहले एक फोटो आता हैं वो फोटो बिरजू का था. वो उस फोटो को पॉज़ कर देता हैं.

बिहारी स्क्रीन की ओर देखते हुए बोलता हैं- ये था मेरा सबसे ख़ास वफ़ादार नौकर. यानी तेरा बाप बिरजू. सालों से मेरा यहाँ पर नौकरी किया. मेरे हर सुख दुख में मेरा साथ दिया. मगर आख़िरकार तेरी ही वजह से इसने मेरे से यानी अपने मालिक तक को छोड़ने को राज़ी हो गया. पहले तेरा बाप मेरे हर इशारों पर नाचता था मगर तेरी वजह से वो मेरे यहाँ काम तक छोड़ने का फ़ैसला कर बैठा और आज मेरे ही खिलाफ वो खड़ा हो गया. खैर कोई बात नहीं. मुझे इसका कोई गम नहीं हैं.

राधिका- लेकिन तुम ये सब मुझे क्यों बता रहे हो. इन सब से मेरा क्या लेना देना हैं.

बिहारी- तू सवाल बहुत पूछती हैं. चिंता मत कर आज तेरे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. बस चुप चाप देखती जा.

बिहारी आगे बोलना शुरू करता हैं- तेरे बाप की एक आदत मुझे बहुत पसंद थी वो कभी कुछ बोलता नहीं था जो भी मैं कुछ कह देता था वो इनकार नहीं करता था. इसलिए वो मुझे पसंद था.

बिहारी फिर टी.वी स्क्रीन पर अगला इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. अगला इमेज कृष्णा का था.

बिहारी- ये भी मेरा ख़ास नौकर था कृष्णा यानी कि तेरा भाई. बरसों से इसने भी अपने बाप की तरह ईमानदारी से मेरी हर बात मानी. मगर इसकी कमज़ोरी थी औरत. ये औरत के लिए कुछ भी कर सकता था. और इसे सबसे ज़्यादा तू पसंद थी. अगर तू इसकी बेहन नहीं होती तो ये तुझसे ही शादी कर लेता. मैने कई बार तेरे बाप से तुझसे शादी की बात कही मगर ये तेरा भाई नहीं चाहता था कि तू मेरी बीवी बने. एक दो बार तो मुझसे भी ये लड़ाई कर बैठा था तेरे कारण. खैर कोई बात नहीं इसके अंदर भी बेईमानी आ गयी थी जब से तू इसका ख्याल रखने लगी. जानती हैं ना मैं किस ख्याल की बात कर रहा हूँ. बिहारी के ऐसे पूछे गये सवाल से राधिका शरम से अपनी गर्देन नीचे कर लेती हैं.

खैर मुझे कृष्णा का भी अफ़सोस नहीं हैं. मगर इसमें कृष्णा की भी कोई ग़लती नहीं हैं. शायद मैं भी इसकी जगह होता तो यही करता. आख़िर तू हैं ही ऐसी चीज़. खैर आगे बढ़ते हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. ये वही आदमी था जो बिरजू और कृष्णा को पैसे दिया था पार्वती का मर्डर करवाने के लिए.

बिहारी- इसे तो तू नहीं जानती होगी. ये भी मेरा ही आदमी हैं. मगर ये कांट्रॅक्ट पर काम करता हैं. इसका नाम इक़बाल हैं. बहुत दिनों से पोलीस इसकी तलाश कर रही हैं. और अब ये आदमी मेरे लिए भी ख़तरा बन चुका हैं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि अगर ये राहुल के हाथ लग गया तो मेरा भी खेल ख़तम. इसलिए मैने इसका भी बंदोबस्त कर दिया हैं. ये जल्दी ही राहुल के हाथ लगेगा मगर इससे राहुल को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला. खैर आगे बढ़ते हैं.

बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं- इसे तो तू आच्छे से जानती होगी तन्या .............उर्फ मोनिका.. ये मेरी ही रखैल हैं. बेचारी किस्मत की मारी हैं. इसके पति का मौत हो चुका हैं वो ट्रक ड्राइवर था. पति के मौत के बाद इसके घर वालों ने भी इसे अपने पास रखने से इनकार कर दिया. फिर ये अपने ससुराल गयी वहाँ भी इसके ससुराल वालों ने इसे बाहर का रास्ता दिखाया. तब से ये मेरी शरण में हैं. और अब मेरे ही इशारों पर काम करती हैं. मैने ही इसे तेरे पास भेजा था कि ये तेरे बारे में मुझे सारी जानकारी बताती रहेगी. और इसने अपना काम बखूबी निभाया..

राधिका- लेकिन क्यों. क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा.???

बिहारी- बस तेरी चाहत की वजह से. मैं तुझे पाना चाहता था. बस इसी दीवानगी ने मुझे ये सब करने पर मज़बूर कर दिया.

राधिका- तुम जिस चाहत की बात कर रहे हो बिहारी वो चाहत नहीं हवस हैं. तुम्हारा चाहत बस मेरी जिस्म हैं और कुछ नहीं.

बिहारी- जिस्म जब मिलते हैं तभी तो चाहत भी पूरी होती हैं. तुझे क्या पता कि मैं तेरे लिए कितना बेचैन रहता हूँ. खैर ये तो बाद की बात हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं.

सामने राहुल का फोटो था. ये हैं तेरी मोहब्बत और मेरे लिए सबसे बड़ा काँटा. ये तो अपने फ़र्ज़ की राह पर चलना नहीं छोड़ेगा और दिन ब दिन मेरे लिए मुसीबत बनता जाएगा. मैं तो चाहता तो इसको मरवा चुका होता मगर मुझसे ये तेरा दुख देखा नहीं जाएगा इसलिए मैने अभी तक राहुल पर कोई आक्षन नहीं लिया.

राधिका- तो इसका मतलब अब तक राहुल पर जो भी हमले हुए थे इन सब के पीछे तुम नहीं थे.

बिहारी- नहीं मेरी जान .अगर मुझे ये सब करना होता तो शायद अब तक राहुल इस दुनिया में ज़िंदा नहीं होता. हां लेकिन मैं जानता हूँ की राहुल के उपर किसने हमला करवाया था. खैर तुझे बहुत जल्द मैं उस शख्स से भी मिल्वाउन्गा. इतना समझ ले आज अगर राहुल ज़िंदा हैं तो बस तेरी वजह से. अगर तू चाहती हैं कि मैं राहुल को कोई नुकसान ना पहुन्चाऊ तो बस अब जो मैं कहूँगा तू मेरी बात मानती जाना. विश्वास कर मेरा बिहारी जान दे देगा मगर अपनी ज़ुबान से नहीं फ़िरेगा.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और चुप चाप टी.वी स्क्रीन की ओर देखने लगती हैं. नेक्स्ट इमेज में दो नकाबपोश की फोटोस थी.

इसे तू नहीं जानती ये शार्प शूटर हैं. और ये कांट्रॅक्ट लेकर मर्डर करते हैं. इनका निशाना इतना पर्फेक्ट है कि ये बस आवाज़ सुनकर भी अपने शिकार को पल भर में मार सकते हैं. और एक बात तुझे बता देता हूँ मैने राहुल को मरवाने के लिए इन्हें 5 लाख रूपीए दिए हैं. बस मेरे हां करने की देर हैं फिर तेरा राहुल इस दुनिया से ख़तम.

राधिका के दिल में डर बैठ जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी- बिल्कुल हो सकता है अब सब कुछ तेरे हाथ में हैं अब सब कुछ तेरे फ़ैसले पर निर्भर हैं. अगर तू चाहे तो राहुल बच सकता हैं नहीं तो...................

बिहारी फिर अगला फोटो फॉर्वर्ड करता हैं. सामने निशा की तस्वीर थी.

बिहारी- इसे तो तू अच्छे से जानती होगी . ये तेरी सहेली निशा हैं. तेरे ही तरह मस्त आइटम. जितनी खूबसूरत तू हैं उतनी ये भी हैं. और मैं जानता हूँ कि तू इसे अपनी जान से ज़्यादा चाहती हैं या यू कह सकता हूँ कि ये तेरी जान हैं. अगर इसे दर्द होगा तो तुझे तकलीफ़ होगी. वैसे तुम्हारी जोड़ी और दोस्ती तो कमाल की हैं. हरदम एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते हो. अगर सोच अगर यही तेरी निशा को कुछ हो गया तो तू इसके बिना कैसे रह पाएगी.

राधिका- नहीं बिहारी निशा को कुछ मत करना. भगवान के लिए मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ. उसे इन सब में मत घसीटो.

बिहारी- मैं जानता था कि तू निशा को कुछ भी बुरा होते हुए नहीं देख सकती. खैर मैं भी तेरे से उतना ही प्यार करता हूँ जितना तू निशा और राहुल से करती हैं.

राधिका- मगर तुम इन सब का फोटो मुझे क्यों दिखा रहे हो. आख़िर क्या जताना चाहते हो तुम.

बिहारी- सब्र कर मेरी जान आभी तो तुझे बहुत कुछ दिखाना हैं. थोड़ा अपने दिल और मज़बूत कर ले.

बिहारी फिर दूसरा फ़ाइल खोलता हैं और कुछ वीडियो क्लिप्स उस फोल्डर में रहता हैं वो एक एक कर उन्हें प्ले कर देता हैं. जब राधिका की नज़र उस वीडियो पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. उस वीडियो में राधिका पूरी तरह से नंगी हालत में अपने भाई से चुदवा रही थी. ये सब देखकर उसका गला सूख जाता हैं. इसी तरह वो कई सारी फिल्म्स के छोटे छोटे क्लिप्स उसे दिखाता हैं.

बिहारी थोड़ी देर तक ऐसे ही कई सारे वीडियोस प्ले करता हैं फिर वो उसे बंद कर देता हैं- अभी तो मैने बस तुझे ये तेरा ट्रेलर दिखाया हैं. तेरी ऐसी नंगी वीडियो का मेरे पास पूरा आल्बम रखा हुआ हैं. सोच अगर ये वीडियो मैं अगर राहुल को दे दिया तो या फिर इसे नेट पर डाल दिया तो........................

राधिका- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी हंसते हुए- बिल्कुल कर सकता हूँ अगर तू चाहती हैं कि मैं ये वीडियो किसी को ना दिखाऊ तो जो मैं चाहता हूँ वो तुझे करना होगा.

राधिका- तो तुम मुझे ब्लॅकमेलिंग कर रहे हो.

बिहारी- नहीं मैं ब्लॅकमेलिंग नहीं तुझसे एक डील कर रहा हूँ. और मैं जानता हूँ कि तू मेरे साथ कोओपरेट करेगी.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं???

बिहारी- तो फिर सुन- अब तक मैने जितने भी फोटोस तुझे दिखाए हैं इनका सब के साथ तेरा कनेक्षन हैं. और इन सब की ज़िंदगी भी अब तेरे ही हाथों में हैं.

राधिका- मेरे हाथों में...... मतलब???

बिहारी- अगर तू चाहती हैं कि मैं तेरे बापू और कृष्णा को जैल से आज़ाद करवा दूँ, फिर से तेरा परिवार एक हो जाए. अगर तू चाहती हैं कि तेरा राहुल ज़िंदा रहे और मैं तेरी वो नंगी वीडियोस उसे कभी ना दिखाऊ और या फिर तू ये नहीं चाहती कि अब निशा भी इस प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में ना आए तो फिर मैं जो भी चाहता हूँ तुझे वो सब मेरे लिए करना होगा. बोल मंज़ूर हैं.

राधिका- तो मुझे क्या करना होगा. क्या......... तुमसे शादी.

बिहारी- शादी नहीं तुझे मेरी रखैल बनना पड़ेगा वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए. क्यों कि तेरी जैसी मस्त आइटम के लिए एक रात तो बहुत ही छोटी हैं. मैं तुझे पूरे एक हफ्ते तक अपनी रखैल बनाकर रखना चाहता हूँ. अगर तुझे मेरी ये डील पसंद ना आए तो फिर मैं तेरी अब कोई भी मदद नहीं कर सकता.

राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.

बिहारी- एक बात तो मैं जानता हूँ कि अगर किसी को दिल से चाहो तो वो किसी भी हाल में मिल जाती हैं चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती से. और मैं अब जानता हूँ कि तू मुझे निराश नहीं करेगी. एक बात जान ले राधिका मैं तुझपर कभी भी दबाव नहीं दूँगा. मैने फ़ैसला तेरे हाथों छोड़ दिया हैं. और तू चाहे तो इन सब की ज़िंदगी बचा सकती हैं और चाहे तो मिटा सकती हैं. फ़ैसला तुझे करना हैं आगे तेरी मर्ज़ी.

राधिका- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम मुझे एक हफ्ते के बाद आज़ाद कर दोगे और राहुल निशा और मेरे भैया इन सब को छोड़ दोगे.

बिहारी- विश्वास तो तुझे मुझ पर करना ही पड़ेगा. अगर तू चाहे तो मैं एक कांट्रॅक्ट लेटर पर लिख देता हूँ तुझे इस बात की तसल्ली मिल जाएगी. अगर तेरा दिल इस बात की गवाही दे तो तू मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर सकती हैं. वरना अपनी आँखों से अपने चाहने वालों की बर्बादी देख लेना.

राधिका समझ चुकी थी कि अब चाहे जो हो जाए आब उसे बिहारी के सामने अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगानी ही पड़ेगी .आज वो बहुत बुरी तरह से फँस चुकी थी.

बिहारी- सोच क्या रही हैं राधिका अगर तुझे टाइम चाहिए तो मैं तुझे एक दो दिन की मोहलत दे सकता हूँ. खूब सोच समझ कर फ़ैसला करना. और एक बात मैं ये बात भी जानता हूँ कि तेरी ये सहेली भी अब राहुल से ही प्यार करती हैं और तू भी राहुल को ही चाहती हैं. आज तेरे पास यही एक मौका हैं अपनी दोस्ती और प्यार दोनो को बचाने का. और वैसे भी अब राहुल तुझे कभी आक्सेप्ट नहीं करेगा जब वो जान जाएगा कि तेरे भाई के साथ तेरा नाजायज़ संबंध हैं. और तू दुनिया वालों की नज़र से कितना भी छुपा ले मगर तू अपने आप से झूट कभी नहीं बोल पाएगी. तेरी आत्मा भी इस बात की कभी गवाही नहीं देगी. और हो ना हो ये बात तो राहुल को कभी ना कभी तो पता लगेगी ही. फिर सोच ले तेरा क्या हश्र होगा.

वैसे एक बात मैं कहूँगा............... गीता में भी ये बात कही गयी हैं कि अगर पृथ्वी पर यदि कोई बड़ा संकट आए तो अगर एक देश को मिटा देने से बाकी देशों को बचाया जा सकते हैं तो नीति के अनुसार हमें उस देश की कुर्बानी दे देनी चाहिए.. ठीक उसी प्रकार अगर 10 सहर को मिटा कर 40 सहर बच सकता हैं तो उन 10 सहरों को बलिदान कर देना चाहिया. ताकि वो 40 सहर सुरक्षित रहे.आज तेरे सामने भी कुछ ऐसा ही परिस्थिति हैं. अगर तेरी बलिदानी से तेरा राहुल , कृष्णा तेरा बापू और तेरी सहेली निशा इन सब की ज़िंदगी आबाद हो सकती हैं तो धरम के अनुसार तेरा बलिदान देना ही सही हैं. वरना आगे तू खुद समझदार हैं.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका की कई सारी मुश्किलों का हल तो मिल गया था मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.वो तो खुद यही चाहती थी कि वो निशा और राहुल के बीच से हमेशा के लिए हट जाए. और इसके बदले चाहे खुद को ही क्यों ना नीचे गिरना पड़े.आज शायद उसे ये मौका मिल गया था. वो इसी उधेड़ बुन में फँसी हुई थी मगर फिलहाल कोई भी फ़ैसला लेने की स्तिथि में नहीं लग रही थी.

बिहारी- आराम से सोच ले राधिका. कोई जल्दी नहीं हैं. अगर तू कहे तो मैं तुझे दो दिन का टाइम दे सकता हूँ. और हां ये सब बातें अगर तूने किसी को भी बताई तो याद रखना तू तो वैसे भी बर्बाद होगी और साथ साथ तेरे चाहने वाले भी तेरी आँखो के सामने बे-मौत मारे जाएँगे. और ये मत समझना कि तू ख़ुदकुशी कर के इन सारे प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा लेगी. अगर तूने ऐसी ग़लती की तो समझ लेना तेरे साथ साथ सब कुछ ख़तम हो जाएगा. तो अब जो भी कदम उठना सोच समझ कर उठाना.

राधिका के चेरे पर पसीने सॉफ छलक रहे थे. उसके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. मगर वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. आज उसका ये प्यार ही उसके लिए अभिशाप बन गया था. और वो ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वला समय उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं अब सब कुछ राधिका के फ़ैसले पर टिका हुआ था. देखना ये था कि राधिका के फ़ैसला से उन सब की ज़िंदगी पर इसका क्या असर होता हैं.

राधिका- मैं तुमसे दो बातें पूछना चाहती हूँ.

बिहारी- बेशक पूछो राधिका. क्या पूछना हैं??

राधिका- पहला तो ये कि जैसे तुमने बताया था कि मोनिका को तुमने ही मेरे पीछे लगाया था ताकि तुम मेरी सारी इन्फर्मेशन जान सको. तो क्या वो फोन कॉल भी मोनिका ने ही तुम्हारे कहने पर किया था जिस वक़्त मेरे भैया एक वैश्या के पास थे और मैने उनको रंगे हाथों पकड़ा था.

बुहरी- कमाल का दिमाग़ पाया हैं तुमने राधिका. तुम जो सोच रही हो वही सच हैं. वो कॉल मोनिका ने ही किया था मगर मैने उसे नहीं कहा था ये सब करने के लिए. उसने तो बस अपनी आज़ादी और जान बचाने के लिए उसने ऐसा किया होगा.

राधिका- आज़ादी..........मैं कुछ समही नहीं???

बिहारी- हां मैने ही उसके साथ डील की थी कि वो तुम्हें मेरे पास ले आएगी एक महीने के अंदर और इसके बदले मैं उसे आज़ाद कर दूँगा बस इसी वजह से उसने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हें फँसाया.

राधिका- तुम इतने भी नीचे गिर सकते हो ये मैने कभी सोचा नहीं था. मैं जानती थी कि तुम कमिने हो मगर इतने बड़े कमिने निकलोगे मुझे इसका बिल्कुल अंदाज़ा भी नहीं था.

बिहारी- अभी तुमने मेरा कमीनपन देखा ही कहाँ हैं. खैर मैने तुझे एक बार कहा था कि तुझे पाने के लिए मुझे चाहे कोई भी नीति क्यों ना अपनानी पड़े मैं तुझे किसी भी हाल में हासिल ज़रूर करूँगा. और देख आज तू मेरे सामने हैं.

राधिका- और दूसरी बात ये कि चलो मान लिया कि तुम मुझे अपनी रखैल बनाकर रखना चाहते हो वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए तो तुमने ये कैसे सोच लिया कि राहुल के होते हुए तुम ऐसा कर पाओगे. वो तो मुझसे हर रोज़ मिलने आता हैं. और अगर मैं उससे एक दिन भी नहीं मिली तो वो ये पूरा सहर छान मारेगा. फिर भला ये कैसे मुमकिन हैं.

बिहारी- उसकी चिंता तू मत कर. भले ही राहुल तुझे रोज़ क्यों ना मिलता हो पर अगर वो इस सहर में रहेगा तभी तो तुझसे मिलने आएगा. मैं उसे कहीं एक हफ्ते के लिए इस सहर से बाहर भेज दूँगा. आख़िर मैने भी इतने सालों से पॉलिटिक्स में झक नहीं मारा हैं. आख़िर मेरा भी सोर्स और पवर हैं वो किस दिन काम आएगा. बस तू अपना फ़ैसला बता दे मुझे तेरे फ़ैसले का इंतेज़ार हैं.

राधिका के चेहरे पर चिंता और गहरी हो जाती हैं. आज वो इतनी कमजोर हो गयी थी कि आज वो बिहारी के सवालो का भी जवाब नहीं दे पा रही थी. कल तक ना जाने कितनो का मूह बंद करने वाली आज खुद को बिहारी के आगे बेबस महसूस कर रही थी.

राधिका- मुझे थोडा वक़्त चाहिए बिहारी. मैं इस वक़्त कोई भी फ़ैसला नहीं ले सकती.

बिहारी- ठीक हैं मैं तुझे दो दिन की मोहलत देता हूँ. अगर इन दो दिनों में तूने अपना फ़ैसला नहीं बताया तो अपनी बर्बादी का ज़िम्मेदार तू खुद होगी. आगे तू खुद समझदार हैं. और हां जो भी फ़ैसला लेना खूब सोच समझ कर लेना. क्यों कि तेरे उस फ़ैसले पर ना जाने कितनों की ज़िंदीगियाँ टिकी हुई हैं. फिर बिहारी जाकर रूम का दरवाज़ा खोल देता हैं और अपने आदमियों से राधिका को उसके घर अपने गाड़ी से भेजवा देता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका अपने घर आती हैं और आकर तुरंत बिस्तेर पर फुट फुट कर रोने लगती हैं. वो बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाले हुई थी. ना जाने कितनी देर तक उसकी आँखों से आँसू बहते रहे.

थोड़ी देर के बाद वो फ्रेश होती हैं और फिर तैयार होकर पोलीसेस्टेशन चली जाती हैं. पोलीसेस्टेशन पहुँचने के बाद वो राहुल से मिलती हैं और राहुल की जब नज़र उसपर पड़ती है तो राधिका की हालत से अंदाज़ा लगा लेता हैं कि राधिका के दिल पर इस वक़्त क्या बीत रही होगी. वो तुरंत जाकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- राधिका इस वक़्त तुम यहाँ पर. कहो कैसे आना हुआ.

राधिका- राहुल मैं अपने भैया और बापू से मिलना चाहती हूँ इसी वक़्त मगर अकेले में. अगर तुम इसकी इज़ाज़त दो तो.

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं - ये तुम कैस बातें कर रही हो. भला आब तुम्हें मुझसे इजाज़त लेनी पड़ेगी वो भी अपने भाई और बाप से मिलने की. फिर राहुल एक हवलदार को राधिका के साथ भेज देता हैं और वो हवलदार उसे लेकर बिरजू और कृष्णा के पास ले जाता हैं. फिर एक दूसरा हवलदार जाकर कृष्णा और बिरजू को बुलाकर लता हैं.

राधिका- कैसे हो भैया.

कृष्णा- तुझसे अलग रहकर मैं कैसा हो सकता हूँ राधिका. क्या ये भी बताना पड़ेगा.

राधिका- भैया जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. ना जाने हमारी इन खुशियों को किसकी नज़र लग गयी. अब तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था ...मगर शायद किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका ये सब मेरी ही ग़लती से हुआ. दुख तो मुझे इस बात का हैं कि मैं एक अच्छे भाई का फ़र्ज़ अदा नही कर सका. और अब तो तेरी शादी होने वाली हैं राहुल के साथ और मैं जानता हूँ कि राहुल तुझे बहुत खुस रखेगा. आच्छा यही होगा राधिका की तू हमे भूल जाना.

राधिका- पता नहीं भैया अब तो मुझे ज़िंदगी से ही डर लगने लगा हैं. ना जाने कब क्या हो जाए. और आज मैं इस लिए आपसे मिलने आई हूँ कि मुझे खुद नहीं मालूम कि आने वाला वक़्त मुझे कहाँ ले जाएगा. पता नहीं कल को मैं आपसे दुबारा मिल पाउन्गि भी की नहीं. इसलिए सोचा मरने से पहले एक बार आपसे मिल लूँगी तो मुझे अपनी ज़िंदगी से कोई शिकवा गिला नहीं रहेगा. और इतना कहते कहते राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं. कृष्णा भी रोने लगता हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बातें कर रही हैं. तुझे कुछ नहीं होगा. अगर तुझे कुछ हो गया तो ये तेरे भाई भी इस दुनिया में नहीं रहेगा. ये कृष्णा का वादा हैं. नहीं जी पाउन्गा मैं तेरे बगैर. और भगवान के लिए ऐसी बातें मत कर. आज मैं जानता हूँ कि मैने तेरे दिल को कितना दुखाया हैं. और मैने जो किया हैं वो माफी के लायक भी नहीं. फिर भी अगर हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना.

बिरजू- बेटा कृष्णा सही कह रहा हैं. आज जो कुछ भी हुआ हैं इन सब का ज़िम्मेदार मैं हूँ. अगर मैने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत पहले अपने कंधे पर उठाया होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. हो सके बेटा तो तू मुझे माफ़ कर देना. राधिका अपने आँसू पोछती हैं और एक नज़र अपने भैया और बाप को देखती हैं फिर वो बाहर निकल जाती हैं.

राहुल- रिलॅक्स राधिका. जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी दुख हैं मगर मैं अपनी फ़र्ज़ की राह से अपना मूह तो नहीं मोड़ सकता. तुम कहो तो मैं इसी वक़्त तुम्हरे साथ अपने घर चलता हूँ इसी तुम्हारा थोड़ा मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं इस वक़्त अपने घर जाना चाहती हूँ मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ. फिर राहुल ख़ान को बुलवाकर राधिका को उसके घर तक छोड़ देता हैं.

राधिका इस वक़्त वही सब बातें सोच रही थी. उसे तो समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या. आज एक तरफ उसके भैया, बाप, उसका प्यार और दोस्ती सब कुछ दाँव पर लगा था और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. वो तो कभी नहीं चाहेगी कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो. फिर वो शराब लेकर पीने लगती हैं शायद वो अपने गम थोड़ा भुला सके. काफ़ी देर तक वो यही सब सोचती हैं और ना जाने कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता ही नहीं चलता.

दूसरे दिन.......................

करीब 3 बजे बिहारी का कॉल आता हैं राधिका के मोबाइल पर. राधिका जब बिहारी का नंबर देखती हैं तो उसकी दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसका गला सूखने लगता हैं. वो अपने काप्ते हाथों से फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो..

बिहारी- अरे मेरी जान आज तेरी आवाज़ में वो जोश नहीं हैं जो पहले था. घबरा मत मैने तेरे पास ये जानने के लिए फोन किया था कि तूने क्या फ़ैसा लिया हैं. अगर तेरा जवाब हां हैं तो मैं कल अपने आदमी भेज दूँगा 12 बजे तक तुझे लेने के लिए. और अगर नहीं हैं तो फिर तेरे घर पर 12 बजे तक तेरे चाहने वालों की लाशें पहुँच जाएगी. अब बता तू क्या चाहती हैं.

राधिका- मैने अभी ...........कुछ सोचा नहीं हैं.....मुझे एक घंटे का टाइम दो मैं तुम्हें बता दूँगी की मेरा फ़ैसला क्या हैं..

राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. आज वो कोई भी फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो बिहारी को क्या जवाब दे. एक तरफ उसके चाहने वाले और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. उसे अपनी चिंता नहीं थी वो बस राहुल को खोना नहीं चाहती थी. काफ़ी देर तक वो इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं फिर अचानक से उसके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो ये सोचकर अपने इरादे मज़बूत कर लेती हैं. थोड़े देर के बाद बिहारी का दुबारा से फोन आता हैं. राधिका वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- कुछ सोचा कि नहीं मेरी जान. या अभी तुझे और वक़्त चाहिए.

राधिका- बिहारी मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंज़ूर हैं जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी मगर...........

ये सुनकर बिहारी ख़ुसी से झूम उठता हैं- मगर क्या............

राधिका- मैं चाहती हूँ कि ये सब के बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे और मेरी जितनी भी तुमने फिल्म शूट की हैं वो सब तुम मुझे एक हफ्ते के बाद लौटा दोगे और उसके बाद तुम मुझसे ना कभी मिलोगे और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई दखल अंदाज़ी करोगे. और निशा राहुल मेरे भैया और बापू इन सब की भी ज़िंदगी में कोई हस्तक्षेप नहीं करोगे. अगर मेरी ये सारी शर्तें तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं तुम्हारे साथ वो सब करने को तैयार हूँ.

बिहारी- ठीक हैं राधिका मैं तुझे वचन देता हूँ कि मैं तेरा ये राज़ कभी किसी को नहीं बताउन्गा और एक हफ्ते के बाद तू बिल्कुल आज़ाद हैं. मुझे तेरी सारी शर्तें मंज़ूर हैं मैं कभी किसी के ज़िंदगी में कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करूँगा. और हां कल दोपहर तक मैं अपनी गाड़ी भेज दूँगा और हां मैं जो कपड़े भेजूँगा तुझे वही पहन कर मेरे पास आना हैं मुझे अब तेरा बेसब्री से इंतेज़ार हैं...और बिहारी इतना कहकर फोन रख देता हैं.
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 11:49 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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