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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#37
Update 30



राधिका बड़े गौर से उस फोटो को देख रही थी. वो फोटो पार्वती की थी.

बिहारी- तू तो इसको अच्छे से जानती होगी. पार्वती नाम हैं इसका. ये मेरी बीवी थी जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उसका कुछ दिन पहले कतल हो गया था.

राधिका के चेहरे पर पसीने की कुछ बूँदें थी और दिल और दिमाग़ में कई सारे सवाल उठ रहे थे.- लेकिन ये सब तुम मुझे क्यों दिखा रहे हो. भला इस फोटो से मेरा क्या संबंध हैं.

बिहारी - संबंध हैं. बहुत गहरा संबंध हैं. मैं जानता हूँ कि जिस वक़्त मेरी बीवी का कतल हुआ उस वक़्त तू वहाँ पर मौजूद थी और उसका कतल होते हुए अपनी आँखों से भी देखा. और अब तू गवाह भी बनने वाली हैं. और तू चाहती है कि इसके गुनहगारों को इसकी किए की सज़ा मिले. मगर मैं नहीं चाहता कि तू पोलीस को जाकर कोई बयान दे. ये तेरे लिए ही अच्छा होगा.

राधिका- तुम मुझे धमकी दे रहे हो या चेतावनी मुझे इसी कोई फ़र्क नहीं पड़ता. मैं जानती हूँ कि तुमने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं. इस लिए तुम कभी नहीं चाहोगे की मैं पोलीस को जाकर कोई भी बयान दूँ. मगर ये तुम्हारी भूल हैं मैं पोलीस को जाकर तुम्हारे खिलाफ बयान दूँगी और ये तुम्हारा बे-नक़ाब चेहरा इस दुनिया को दिखाउन्गि.

बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं- मैं जानता था कि तुम इतनी आसानी से मेरी बात नहीं मनोगी. खैर ये तो तुम जानती ही हो कि मैने ही अपनी बीवी को मरवाया हैं मगर क्या तुम उनके क़ातिलों से मिलना नहीं चाहोगी. जब तुम्हें पता लगेगा कि मेरी बीवी के कातिल कौन हैं तो हो सकता हैं तुम अपना बयान बदल लो.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका का दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगता हैं और वो ज़ुबान लड़खड़ाने लगती हैं- कौन.............हैं....

बिहारी- बताउन्गा इतनी भी क्या जल्दी हैं. आभी तो तुझे एक और धमाकेदार खबर सुननी हैं.

राधिका- पहेलियाँ मत भुजाओं बिहारी. जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहो.

बिहारी- ठीक हैं तो सीधा मुद्दे पर आते हैं. तू ये सोच रही होगी कि कृष्णा के साथ तेरी जिस्मानी ताल्लुक़ात मुझे कैसे पता लगे.

राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ चुका था वो बस बिहारी के आगे बोलने का इंतेज़ारक़र रही थी.

बिहारी- तुझे याद होगा कि एक तेरी नयी नयी दोस्त बनी हैं जिसका नाम हैं मोनिका उर्फ्फ़......तन्या. तू तो उसे अच्छे से जानती होगी. आज कल वो तुझसे मिलने अक्सर तेरे घर पर आती हैं. वो तेरी दोस्त नहीं बल्कि मेरा ही एक मोहरा हैं जो मेरे इशारों पर नाचती हैं. या यूँ कह ले कि मेरी वो रखैल हैं. जो तेरी सारी इन्फर्मेशन मुझ तक पहुँचाती हैं.

राधिका इतना सुनते ही उसके होश उड़ जाते हैं- धोका.............. इतना बड़ा विश्वासघात ?????

बिहारी- हां भाई हम तो दोस्तों पर भी उतनी ही नज़र रखते हैं जितना कि दुश्मन पर. और तेरे से कोई मेरी दुश्मनी थोड़ी ही ना हैं. तुझे तो मैं अपना दोस्त मानता हूँ.

राधिका- लेकिन ये बात तो मैने मोनिका को भी नहीं बताई थी कि मेरे भैया के बीच मेरे शारीरिक संबंध हैं. फिर वो कैसे जानती हैं ये बात.

बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. जितनी तू खूबसूरत हैं तेरे दिमाग़ भी उतनी ही चलता हैं. थोड़ा धीरज रख बताता हूँ.

बिहारी- तुझे याद होगा एक बार जब मोनिका तेरे घर पर पहली बार आई थी तब वो तुझे कुछ प्रेज़ेंट दी थी. मेरे ख्याल से तुझे याद होगा. .........................एक टेडी बेर.

राधिका को झटके पर झटके लग रहे थे बिहारी की एक एक बातों को सुनकर- हां याद हैं. वो इस वक़्त मेरे पास ही हैं.

बिहारी- जानती हैं उस टेडी बेर में क्या है. वो कोई नॉर्मल टेडी बेर नहीं है बल्कि यू कह सकती हैं कि उसमें एक कॅमरा लगा हुआ हैं और साथ में सेन्सर भी. जब इंसान उसके संपर्क में आता हैं तो उसका कॅमरा ऑटोमॅटिक आक्टीवेट हो जाता हैं और उसके अंदर एक हार्ड डिस्क भी लगी हुई हैं जो तेरी सारी हरकतों को रेकॉर्ड करता हैं. एक वाइयरलेस पोर्ट भी हैं जिससे मैं जब चाहे तब उस टेडी बेर से कनेक्ट हो जाता हूँ और तेरी सारी करतूतों को रेकॉर्ड करता हूँ. जिस तरह से लोग आज कल इंटरनेट यूज़ करते हैं वाइर्ले नेटवर्क के ज़रिए उसी तरह से ये भी काम करता हैं. बस मैने तो अब तक की तेरी सारी ब्लू फिल्म भी तैयार कर रखी है. अगर तू चाहे तो मैं तुझे सबूत के तौर पर दिखा भी सकता हूँ.

बिहारी की बाते सुनकर कृष्णा और राधिका के होश उड़ जाते हैं.



राधिका- तुम ऐसा नहीं कर सकते. राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.

बिहारी- बिल्कुल कर सकता हूँ. तू ही सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म मैं मार्केट में लॉंच कर दूं या फिर इंटरनेट पर डाल दूं तो तू जीते जी मर जाएगी. और सोच अगर तेरी ये ब्लू फिल्म अगर राहुल को पता लग गया तो ...............................बिहारी इतना बोलकर खामोश हो जाता हैं.

राधिका- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ बिहारी. ऐसा मत करना. मैं जी नहीं पाउन्गि.

बिहारी- चिंता मत कर मैं तुझे ब्लॅकमेलिंग नहीं करूँगा और मैं ये नहीं चाहता राधिका कि तुझे कुछ हो. आख़िर मुझे भी तुझसे इश्क़ हो गया हैं. क्या करें ये दिल का मामला है और तू तो ये बात अच्छे से जानती होगी कि ये प्यार कितनी जालिम चीज़ हैं. हमेशा दर्द ही देता हैं.

राधिका वही नीचे फर्श पर बैठ जाती हैं.- तो क्या चाहते हो बिहारी इन सब के बदले. क्या मैं तुमसे शादी कर लूँ. अगर तुम्हारी यही इच्छा हैं तो मैं आब तुमसे शादी करने को तैयार हूँ.

बिहारी हंसते हुए- शादी और तुझसे..................अब तो तू एक रखैल बन चुकी हैं. और रखैल को कोई बीवी नहीं बनाता. और रखैल का भी ईमान धरम होता हैं वो कितना भी गिर जायें मगर अपने भाई और बाप के साथ बिस्तेर गरम नहीं करती. मगर तू तो उन सब से आगे हैं.रखैल की शोभा तो कोठे पर होती हैं. और तेरी जगह भी वही हैं. मगर मैं इतना निर्दयी नहीं हूँ. तेरी जैसी मस्त आइटम को मैं दिल के एक फीट नीचे बैठा कर हमेशा रखूँगा. बीवी तो ना सही पर ज़िंदगी भर मैं तेरे को अपनी पर्सनल रंडी बनाकर ज़रूर रखूँगा. बिहारी की ऐसी बातें सुनकर कृष्णा गुस्से से चिल्ला पड़ता हैं.

बिहारी- ज़ुबान को लगाम दे बिहारी. वरना तेरी ज़ुबान यही काट कर फेंक दूँगा.

बिहारी कृष्णा के नज़दीक जाता हैं और जाकर एक घूसा कृष्णा के पेट पर मार देता हैं. कृष्णा वही दर्द से बैठ जाता हैं.- इस वक़्त मेरा पलड़ा भारी हैं. अगर ज़्यादा होशियारी दिखाई तो तेरी बेहन कोठे के लायक भी नहीं रहेगी. उसे ऐसे दरिंदो के बीच भेज दूँगा जहाँ उसकी हर रात बोटी बोटी नोची जाएगी और तेरी बेहन की ऐसी हालत होगी की ये ना जी पाएगी और ना ही मर पाएगी.

कृष्णा खामोश हो जाता और और चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं.

बिहारी- बोल बनेगी ना मेरी पर्सनल रंडी.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसके आँखों से आँसू अब भी बह रहे थे. आज राधिका खुद को इतना कमजोर महसूस कर रही थी कि आज वो बिहारी के सामने बिल्कुल बेबस थी.

राधिका- छोड दो मेरे भैया को. जो तुम चाहते हो वो मैं सब करने को तैयार हूँ. मगर इससे पहले मैं पार्वती के क़ातिलों के बारे में जानना चाहती हूँ. कौन हैं उसके कातिल.

बिहारी हंसते हुए- बताता हूँ मेरी जान थोड़ा सब्र तो कर. और अपने दिल को भी थोड़ा मज़बूत कर ले. मैं जानता हूँ की तू ये सच शायद बर्दास्त नहीं कर पाएगी.

राधिका- पहेलियाँ मत बुझाओ बिहारी. क्या हैं सच.???

बिहारी- तो सुन बताता हूँ. सच तो ये हैं कि पार्वती को मैने ही मरवाया हैं. वो मेरा सच जान गयी थी कि मैं अपनी राजनीति की आड़ में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा करता हूँ. और उसने मुझे मोनिका के साथ सेक्स करते हुए पकड़ लिया था. वो मेरा सच जान गयी थी जिसके वजह से वो मुझसे डाइवोर्स चाहती थी. बस यही वजह थी कि मैने उसे अपने रास्ते से हटवा दिया. अगर मैं ऐसा नहीं करता तो वो जाकर पोलीस में सारी बातें बक देती.

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसकी हर बात राधिका के दिमाग़ में बॉम्ब की तरह फट रहे थे.

बिहारी- ये मेरी किस्मत हैं या मेरी बदक़िस्मती पर जिस वक़्त मैने अपने दो आदमियों को भेजा था उसका मर्डर करवाने के लिए उस वक़्त तू वहाँ पर पहुँच गयी थी और पार्वती का खून होते तूने अपनी आँखो से देख लिया. मैने अपने एजेंट्स और प्राइवेट जासूस से ये पता करवाया कि वो तू ही हैं जिसने ये वारदात होते अपनी आँखों से देखा था. मैने तो ये सोच लिया था कि तुझे भी जान से मरवा दूँगा मगर मैं नहीं चाहता था कि तुझे कुछ हो. पर एक बात तूने कभी गौर नहीं किया कि रास्ता सूनसान था और उस वक़्त तू बिल्कुल अकेली थी और जो दोनो बदमाश थे उनके हाथों में हथियार थे फिर भी वो लोग तुझपर हमला नहीं किए और तुझे देखकर भाग गये. आख़िर क्यों.??? कभी सोचा हैं अगर वो चाहते तो तुझे वही बड़ी आसानी से मार सकते थे मगर उन दोनो ने ऐसा नहीं क्या. मैं बताता हूँ इसके पीछे क्या वजह हैं...

राधिका हैरत से सारी बातें बिहारी के मूह से सुन रही थी. उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.

बिहारी- तो सुन जिन लोगों को तू अपने आँखों से कतल करते हुए देखी थी वो और कोई बल्कि तेरे अपने लोग हैं.

राधिका की दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं बिहारी की ऐसी बातें सुनकर- अपने............लोग.....क्या ............मतलब.

बिहारी- हां मेरी बीवी के कातिल तेरे सामने मौजूद हैं ..........वो देख एक तो तेरा भाई.................और दूसरा तेरा बाप...........

राधिका इतना सकते ही वो वही धम्म से ज़मीन पर गिर जाती हैं और उसकी आँखों से आँसुओ का सैलाब निकल पड़ता हैं- ये नहीं हो सकता. तुम झूट बोल रहे हो.ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरे भैया और बापू ऐसा कभी नहीं कर सकते. वो किसी का कतल नहीं कर सकते.

बिहारी- मैं जानता था कि तू सपने में भी मेरी बातें पर यकीन नहीं करेगी. इसलिए मैं पूरे सबूत अपने साथ लाया हूँ. फिर बिहारी अपने जेब में से फोटोग्रॅफ्स राधिका को थमा देता हैं.

राधिका एक एक कर सारे फोटोस को देखने लगती हैं. उसमें नक़ाब में उसके बापू और कृष्णा मौजूद थे. और एक आदमी से हाथ मिलाते हुए भी कुछ फोटोस थे. उस आदमी को राधिका ने कभी नहीं देखा था. और फिर उसके हाथ में एक बॅग भी था जो एक दिन कृष्णा अपने साथ घर पर लाया था. राधिका के मूह से वो बॅग वाला बात निकल पड़ता हैं.

राधिका- ये तो वही बॅग हैं जो एक दिन भैया इसे अपने साथ लाए थे.

बिहारी अपने एक आदमी को इशारा करता हैं और वो जाकर कृष्णा के कमरे से वो बॅग उठा लता हैं और बिहारी के सामने रख देता हैं.

बिहारी- ये वही बॅग हैं. फिर राधिका झट से उस बॅग को खोलती हैं और जब उसके अंदर जब उस समान पर नज़र पड़ती हैं तो उसे मानो ऐसा लगता हैं जैसे किसी ने उसके शरीर से से पूरा खून निकाल लिया हो. उस बॅग में वही नक़ाब और कपड़े रखे हुए थे. साथ में दो चाकू भी थे और उस पर थोड़े खून के निशान भी थे. और फिर अंत में उसे नोटों का बंड्ल मिलता हैं. 1000 के 10 गॅडी. यानी 10 लाख रुपये...

राधिका की आँखों से अब भी आँसू बह रहे थे. उसे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके भैया और उसके बापू ऐसा काम भी कर सकते हैं.

बिहारी- अब विश्वास हो गया ना तुझे मेरी बातो पर. बोल अब भी तू क्या पोलीस को बयान देगी ये जानते हुए भी कि मेरी पत्नी के कातिल तेरे ही बाप और भाई हैं.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और अपनी गर्देन चुप चाप नीचे झुकाए रहती हैं.

बिहारी- अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं. बाकी के आधी पिक्चर भी तुझे बहुत जल्द दिखाउन्गा. हो सके तो तू अपना दिल मज़बूत किए रहना. और वैसे भी तू बहुत हिम्मत वाली लड़की हैं. कोई दूसरी होती तो ना जाने अब तक क्या कर बैठती. और हां अब तेरे परिवार की जान तेरी मुट्ठी में हैं. या तो तू इसे बचा सकती हैं या फिर चाहे तो मिटा सकती हैं. अब फ़ैसला तुझे ही करना हैं. मेरी तरफ से तू बे-फिकीर रह मैं कभी भी अपना मूह नहीं खोलूँगा. और बिहारी इतना बोलकर अपने आदमियों के साथ बाहर निकल जाता हैं.

राधिका चुप चाप वही फर्श पर बैठी हुई थी और उसकी आँखों में आँसू थे. वही सामने कृष्णा और बिरजू अपना सिर झुकाए चुप चाप खड़े थे. आज सुबेह राधिका कितनी खुश थी उसे लगा कि उसका बरसों का बिखरा परिवार आज एक हो गया मगर ये खुशी थी कुछ पल के लिए. उसे क्या पता था कि आज उसके ज़िंदगी में ऐसा तूफान आएगा कि उसकी सारी ख़ुसीयों को बहा कर ले जाएगा.

राधिका फिर उठकर कृष्णा के पास जाती हैं और एक नज़र अपने भैया को गौर से देखती हैं फिर एक ज़ोरदार थप्पड़ कृष्णा के गाल पर जड़ देती हैं. फिर एक के बाद लगातार तीन चार थप्पड़ और कृष्णा के दोनो गालों पर जड़ देती हैं. कृष्णा एक शब्द कुछ नहीं बोलता और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- क्यों किया आपने ऐसा. मैं पूछती हूँ ............क्यों???? आख़िर क्या मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम औरत को जान से मारना पड़ा. अरे कितनी विश्वास करने लगी थी मैं आप पर लेकिन आज फिर आपने मेरी विश्वास की धज़ियाँ उड़ा दी. निशा सही कहती थी काश मैने उसकी बात पहले ही मान ली होती तो आज मुझे ये दिन नहीं देखना पड़ता.

शरम आती हैं मुझे आप पर. इंसान कितना भी बदल जाए मगर अपनी फिदरत कभी नहीं बदल सकता. आज आपने ये बात भी साबित कर दी. और आज के बाद ये समझ लेना कि आपकी कोई बेहन नहीं हैं. मैं आज के बाद आपलोगों के लिए मर गयी हूँ. ना मेरा कोई इस दुनिया में बाप हैं और ना ही भाई. आज आप लोग की वजह से उस बिहारी ने मुझे ना जाने क्या क्या कहा. दुख मुझे उसकी बातो का नहीं हैं. दुख तो इस बात का हैं की मैं आपको पहचान नहीं पाई. मैं ही ग़लत थी. और राधिका वही फुट फुट कर रोने लगती हैं.

कृष्णा- राधिका मैं जानता हूँ कि मैने बहुत बड़ा गुनाह किया हैं. और मैं अब माफी के हक़दार भी नहीं हूँ. तू जो चाहे मुझे सज़ा दे सकती हैं. मैं अब कुछ नहीं कहूँगा.

राधिका- मुझे कुछ कहना लायक कहाँ छोड़ा हैं आपने. बस मैं इतना जानना चाहती हूँ कि कौन सी ऐसी मज़बूरी थी जो आपको उस मासूम का खून करना पड़ा. मुझे बस इसकी वजह बता दीजिए.

कृष्णा- मैने जो भी कुछ किया हैं तेरे लिए किया हैं. अब कुछ दिन में तेरी शादी होने वाली थी तो कहाँ से मैं इतने पैसों का इंतज़ाम करता. किसके सामने अपने हाथ फैलाता. और मैं चाहता था कि तू भी हँसी खुशी रहे. ऐसे ही मैं एक दिन सोच रहा था की कैसे भी करके मुझे 2 लाख रुपए का इंतज़ाम कहीं से कर लूँ फिर तेरी शादी धूम धाम से करूँगा. फिर एक दिन एक आदमी मेरे पास आया. शायद वो अच्छे से जानता था कि मुझे इस वक़्त पैसों की शख्त ज़रूरत हैं. उसने मेरे सामने पार्वती के मर्डर करने का प्रपोज़ल रखा. पहले तो मैने सॉफ इनकार कर दिया. फिर एक दिन बापू ने भी मुझसे वही बात कही और ये भी कहा कि वो इस काम के बदले मुझे 10 लाख रुपये देगा. मैने पैसों की वजह से हां कर दी. जब मैने पार्वती को जान से मार दिया तब मुझे पता लगा कि वो आदमी बिहारी का ही था. बाद में बिहारी ने मुझसे कहा कि मैं अपना सोर्स और पवर का इस्तेमाल करके तुझे जैल से रिहा करवा दूँगा. बस इस वजह से मैं भी चुप हो गया. मैने तुझे कई बार इस बारे में बात करने की हिम्मत जुटाई मगर मैं जानता था कि तू मेरी बातो को नहीं समझेगी. बस तुझे कभी भी किसी चीज़ का कोई तकलीफ़ ना हो. मैने जो कुछ भी किया हैं बस तेरी खुशी के लिए किया हैं.

राधिका- खुशी................एक मासूम की हत्या करके मुझे खुश रखना चाहते हो आप. जानते भी हैं आपकी इस बेवकूफी की नतीजा क्या होगा. शाया आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं है मगर मैं जानती हूँ कि बिहारी अब मेरे से क्या चाहता हैं.वो इसका फ़ायदा उठाकर अब मुझे हासिल करना चाहता हैं और ये बात आप लोग अच्छे से जानते हो कि वो मुझे अपनी रखैल बनाकर रखेगा. आप ने तो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. भैया मैं बहुत खुस थी. हम ग़रीब थे मगर मैने कभी आप से किसी भी चीज़ का कभी कोई ज़िक्र नहीं किया. मैं जैसे भी थी खुस थी मगर आपको शायद मेरी वो खुशी भी देखी नहीं गयी. मैं आपको कभी माफ़ नहीं कर सकती. और राधिका कृष्णा के सीने पर मूक्‍के मारते मारते वही उसके कदमों में बैठ जाती हैं. कृष्णा की इतनी भी हिम्मत नही थी कि वो उसे उठाए.

राधिका फिर अपने आँसू पोछती हैं. मैं इसके किए की आपको सज़ा ज़रूर दिलवाउंगी. और फिर राधिका राहुल के पास फोन करती हैं.

राहुल- हां जान बोलो कैसे याद किया.

राधिका- तुम जाना चाहते थे ना पार्वती के क़ातिलों को बारे में . मैं जानती हूँ कौन हैं उसके कातिल. तुम यहाँ पर तुरंत आ जाओ इसी वक़्त.

राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका की ऐसी बातो को सुनकर- ऑल यू ऑलराइट. कभी कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना. डॉन'ट माइन मैं अभी तुम्हारे घर पर आ रहा हूँ. और फिर राधिका फोन रख देती हैं.

कृष्णा- बस आखरी बार एक बात कहना चाहता हूँ राधिका कि मैं एक अच्छा भाई का फ़र्ज़ नहीं निभा सका हो सके तो मुझे भूल जाना और समझ लेना कि कृष्णा आज के बाद तेरे लिए मर गया हैं. राधिका कृष्णा की बातो को सुनकर फुट फुट कर रोने लगती हैं..

बिरजू भी चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था. वो तो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रहा था. आज कृष्णा की आँखों में भी आँसू थे पस्चाताप के. आब उसे लगने लगा था की उसने आज कितनी बड़ी भूल की हैं मगर आब शायद बहुत देर हो चुकी थी. थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं. साथ में ख़ान और एक हवलदार भी था.

राहुल अंदर आता हैं और अंदर का नज़ारा देखकर वो भी थितक जाता हैं. अंदर राधिका आभी भी फर्श पर बैठी हुई रो रही थी और कृष्णा और बिरजू चुप चाप वही खड़े थे. राहुल राधिका के नज़दीक जाकर उसे अपने मज़बूत हाथों से उसे सहारा देकर उठाता हैं और फिर उसके आँसू पोछता हैं.

राहुल- क्या बात हैं जान. आज तुम्हारे इन आँखों में आँसू. सब ठीक तो हैं ना. और तुम ऐसे क्यों रो रही हो.

राधिका- सब ख़तम हो गया राहुल. सब कुछ बर्बाद हो गया. और इतना कहकर राधिका राहुल के सीने से लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं.

राहुल- क्या हुवा बताओ तो सही. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं. मैं तुम्हारे इन आँखों में आँसू नहीं देख सकता.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- तुम जानना चाहते थे ना पार्वती के कातीलो के बारे में. वो देखो तुम्हारे सामने मौजूद हैं और राधिका अपने हाथों से अपने भैया और बापू की ओर इशारा करती हैं. राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका के मूह से ये सब सुनकर.

राधिका- और ये देखो सबूत फिर वो बॅग राहुल को थमा देती हैं जिसमें हथियार और नक़ाब थे और साथ में पैसे भी. राहुल एक एक कर सारे समान को देखने लगता हैं.

राहुल- ऐसा कैसे हो सकता हैं. भैया आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता. फिर राधिका जो भी बात हुई थी सारी बातें वो राहुल को बता देती हैं.

राहुल- ये सब आप लोगों ने अच्छा नही किया. इतना भी नहीं सोचा की आपके ये सब करने के बाद राधिका का क्या होगा.

राहुल- तो ये सब बिहारी की चाल थी. साला बहुत बड़ा हरामी चीज़ हैं. लेकिन वो कब तक बचेगा मुझसे. मैं उसे नहीं छोड़ूँगा. ख़ान सबसे पहले उस आदमी का पता लगाओ जिसने कृष्णा और बिरजू काका को पैसे दिए थे. अगर वो आदमी मिल गया तो बिहारी कल जैल के सलखो के पीछे होगा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. फिर मज़बूरन राहुल कृष्णा और बिरजू के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.

राहुल- मुझे अपना फ़र्ज़ तो निभाना पड़ेगा ना राधिका. चाहे इस राह में मेरा अपना ही क्यों ना आयें.
राधिका- मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी राहुल. तुम अपना फ़र्ज़ पूरा करो. ये सज़ा के ही हक़दार हैं.

कृष्णा हाथ जोड़ कर राधिका के पास आता हैं- राधिका आखरी बार मुझे हंस कर विदा कर दे. मुझे अब किसी से कोई शिकायत नहीं हैं. तू जैसे रहना खुस रहना बस उपर वाले से यही दुवा करूँगा. और कृष्णा और उसके बापू फिर घर से बाहर निकल कर पोलीस की जीप में बैठ जाते हैं. और ख़ान उन्हें लेकर पोलीस थाने की ओर चल पड़ता हैं. बस कमरे में राधिका के सिसकने की आवाज़ें आ रही थी. आज वो बिल्कुल तन्हा हो गयी थी. हर रोज़ उसे अपने भाई के लौटने का इंतेज़ार रहता था मगर शायद अब ये इंतेज़ार आब यहीं ख़तम हो गया था. वो जानती थी कि उसके भैया और बापू कम से कम 10 साल के बाद ही जैल से छूटेंगे. राहुल फिर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और ना जाने राधिका कितनी देर तक राहुल के सीने से लिपटकर रोती रहती हैं.

राहुल- एक काम करो राधिका तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो. शायद तुम्हारा यहाँ मन नहीं लगेगा. और इस वक़्त तुम बिल्कुल अकेली हो. वहीं तुम रहना और वहाँ पर रामू काका तो हैं ही वो तुम्हारी देखभाल करेंगे.

राधिका- नहीं राहुल मैं ठीक हूँ. और बस 10 दिन की तो बात हैं. फिर हमारी शादी हो जाएगी तो मैं वैसे भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी. और अगर मैं अभी तुम्हारे साथ रहूंगी तो ये दुनियावाले ना जाने क्या क्या कहेंगे.

राहुल- मुझे कोई फरक नहीं पड़ता. तुम बस मेरे साथ चलो. मैं तुम्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकता.

राधिका- मुझपर अगर कोई कीचड़ उछालेगा तो मैं बर्दास्त कर लूँगी मगर कोई तुमपर उंगली उठाएगा मैं ये नहीं से पाउन्गि. मुझे इस वक़्त अकेला रहना चाहती हूँ. प्लीज़ मुझे कुछ दिन अकेला छोड़ दो. राहुल भी कुछ कह नहीं पता और उसके माथे को चूम लेता हैं.

राहुल- ठीक हैं राधिका जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मगर अपना ख्याल रखना तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. मैं बराबर तुमसे मिलने आता रहूँगा. और इतना बोलकर राहुल भी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं.

राधिका इस वक़्त चुप चाप अपने बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. ऐसे ही बहुत देर तक वो इन्ही सब बातें को सोचती हैं फिर वो उठकर अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल लेकर आती हैं फिर पीने लगती हैं. ना जाने कितनी देर तक वो पीती रहती हैं और वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं. आब तो लगता था कि राधिका के गम का सहारा भी अब शराब मात्र थी. वो अपना गम भूलने के लिए शराब पी रही थी. दिन बा दिन उसके गम बढ़ते ही जा रहे थे.

ऐसे ही वक़्त बीतता जाता हैं. राधिका सुबेह शाम नशे ही हालत में बेसूध रहती थी. उसे तो किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता था. जब ये बात निशा को पता लगती हैं तो उसे भी बड़ा झटका लगता हैं. वो भी राधिका को बहुत समझाती है मगर राधिका उसकी एक बात नहीं सुनती. शायद अब राधिका भी पूरी तरह से टूट चुकी थी. और अब उसे कहीं से कोई उमीद नज़र नहीं आ रही थी.
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Messages In This Thread
Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 11:46 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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