20-09-2019, 11:28 AM
Update 28
शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.
कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.
कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.
राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.
कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.
कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.
राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.
कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.
राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.
कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.
कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.
राधिका मुस्कुराते हुए- ठीक हैं जैसी आपकी मर्ज़ी फिर राधिका अपने होंठ कृष्णा की गर्देन पर रख देती हैं और वैसे ही वो भी अपनी जीभ धीरे धीरे फिराती हैं. और एक हाथ से धीरे धीरे कृष्णा के शर्ट का बटन को खोलना शुरू करती हैं. फिर नीचे अपने कोमल हाथों को लेजा कर पेंट के उपर से ही कृष्णा का लंड को पकड़ लेती हैं और अपने लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसना शुरू करती हैं. फिर वो कृष्णा का पेंट उतार देती हैं और उसके बाद बनियान . अब कृष्णा इस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में था और उसके अंडरवेर में मानो टेंट बना हुआ था. राधिका ये देखकर मुस्कुराती हैं और अपना जीभ अंडरवेर के उपर से ही फिराती हैं. अंडरवेर तो पहले से ही बारिश में भीग कर गीला हो चुका था वो अपना मूह पूरा खोलकर अंडरवेर सहित कृष्णा का लंड अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा तो मानो पागल हो जाता हैं.
थोड़े देर के बाद वो अपनी एक उंगली अंडरवेर में फँसा कर उसको भी नीचे सरका देती हैं. अब कृष्णा भी एक दम नंगा राधिका के सामने खड़ा रहता हैं.
कृष्णा- राधिका मेरे लौडे को आज शांत कर दे ना. पता नहीं क्यों आज सुबेह से ही बहुत मचल रहा हैं.
राधिका मुस्कुराती हैं और वो वही घुटनों के बल बैठकर कृष्णा का लंड बड़े गौर से देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ धीरे से निकाल कर उसके टॉप को हौले हौले चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा एकदम से बेचैन हो जाता हैं फिर वो राधिका को अपनी पीठ के बल लेटने को कहता हैं. राधिका वही कृष्णा के लंड के नीचे अपना सिर रख देती हैं और कृष्णा राधिका के सिर को अपनी दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड राधिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. राधिका भी पूरा अपना मूह खोल कर कृष्णा का समर्थन करती हैं. इस वक़्त अगर राधिका की ये पोज़िशन थी कि वो कृष्णा को मना तो दूर वो पूरे उसके रहमो करम पर थी जैसे कृष्णा उसे चाहे वैसे उसे चोदे.
कृष्णा पहले तो धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी के साथ अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे कृष्णा का लंड राधिका के मूह से होते हुए गले की ओर जाने लगता हैं. अब राधिका भी इस चीज़ की आदि हो गयी थी. उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा था. कृष्णा अपने लंड पर उसी तरह से प्रेशर बनाए रखता हैं और अब कृष्णा का लंड राधिका के हलक तक पहुँच जाती हैं और वो उसी अवस्था में अपने लंड पर दबाव बनाए रखता हैं. राधिका की साँसें फूलना शुरू हो जाती हैं और आँखों से आँसू भी निकलने लगते हैं मगर वो एक भी बार कृष्णा को मना नहीं करती बल्कि उसका पूरा साथ देती हैं.
कृष्णा का लंड जब पूरा राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं तो वो उसी तरह से अपने लंड को राधिका के गले में डाले रहता हैं. हालाँकि वो जानता था कि राधिका की इस वक़्त क्या हालत हो रही होगी मगर आज उसके सिर पर हवस चढ़ कर बोल रही थी. वो आज राधिका को तकलीफ़ में देखकर उसके मज़ा आ रहा था. करीब 30 सेकेंड तक वो ऐसे ही अपना लंड राधिका के हलक में रखता हैं और फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं. उसकी साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी और चेहरा पूरा लाल पढ़ चुका था. उपर से ये बारिश में अभी भी ये दोनो भीग रहे थे. थोड़ी देर के बाद कृष्णा फिर से राधिका के बाल को पकड़कर एक झटके में अपना लंड राधिका के गले में पहुँचा देता हैं और इस बार तब तक अपना लंड राधिका के गले से नहीं निकलता जब तक उसका वीर्य राधिका के गले के नीचे नहीं उतर जाता. करीब 1 मिनिट तक वो अपना लंड राधिका के हलक में फँसाए रहता हैं और आख़िरकार उसका धैर्य टूट जाता हैं राधिका भी मानो एक लाश की तरह वहीं धम से गिर पड़ती हैं..
कृष्णा - तू ठीक तो हैं ना राधिका. पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था.
राधिका मुस्कुराती है और धीरे से कहती हैं- भैया क्या आप भी ........लगता हैं कि आप आज मेरी जान लेने के पीछे पड़े हुए हो. भला कोई इतनी देर तक अपना लंड मेरे गले में डालता हैं क्या. ऐसा लग रहा था कि मेरा गला फट जाएगा. अगर आप थोड़ी देर तक और नहीं निकलते अपना लंड तो सच में मेरा गला फट गया होता.
कृष्णा- तू ही तो है जो मेरा इतना ख्याल रखती हैं. चल अपनी टाँगें पूरा फैलाकर बैठ जा मैं तेरी चूत चाटूँगा. राधिका मुस्कुरा कर अपनी दोनो टाँगें फैला देती है और कृष्णा वहीं झुक कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो भी अपने दोनो हाथों को कृष्णा के सिर पर फिराती हैं और अपनी दोनो टाँगें फैलाकर अपनी चूत चटवाती हैं. कृष्णा एक उंगली से उसकी चूत के लिप्स की फांकों को अलग करता हैं फिर अपना जीभ आयेज बढ़कर उसे धीरे धीरे चलाने लगता हैं. राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने निपल्स को अपने दोनो उंगलियों से मसलने लगती हैं.
कृष्णा फिर अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और नीचे झुक कर राधिका की गान्ड के छेद पर अपनी जीभ रख देता हैं. इस हमले से राधिका मानो उछल पड़ती हैं.
राधिका- भैया ये क्या कर रहे हो. भला कोई गान्ड भी चाहता हैं क्या. आपको घिंन नहीं आती.
कृष्णा- तुझे क्या मालूम चुदाई में कुछ भी गंदा नहीं होता.
फिर वो तेज़ी से अपने दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में आगे पीछे चलने लगता हैं और उतनी ही तेज़ी से राधिका की गान्ड भी चाटने लगता है. राधिका के मूह से लगातार....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............एयेए.ऊओ...ह.ई.ऊवूऊवूवाह्ह्फह....आह्ह्ह्ह्ह.आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. की आवज़ें आ रही थी. वो भी थोड़ी देर तक कृष्णा का सामना कर पाती हैं फिर चिल्लाते हुए तेज़ी से झरने लगती हैं.
कृष्णा अपनी दोनो उंगलियों को आगे बढ़कर राधिका के होंठो पर रख देता हैं राधिका बिना कोई सवाल जवाब के कृष्णा की दोनो उंगली को चूसने लगती हैं. फिर वो अपना एक उंगली राधिका की गान्ड में पेल देता हैं और फिर तेज़ी से उसकी गान्ड में आगे पीछे अपनी उंगली को चलाने लगता हैं. फिर से वो अपनी उंगली को राधिका के मूह में डाल कर उससे चूस्वाता हैं..
काफ़ी देर तक बारिश में भीगने के बाद कृष्णा वही राधिका को फर्श पर सुला कर अपना लॉडा सीधा राधिका की चूत में एक झटके में पूरा डाल देता हैं. राधिका के मूह से आउच................की तेज़ आवाज़ आती हैं और फिर कृष्णा तेज़ी से अपना लंड आगे पीछे करने शुरू करता हैं. थोड़ी देर में कृष्णा का पूरा लंड राधिका की चूत के पानी से भीग जाता हैं. कृष्णा आगे बढ़कर अपना लंड फिर से राधिका से चुस्वाता हैं और फिर जब कृष्णा के लंड पर लगा राधिका की चूत का पानी पूरा सॉफ हो जाता हैं तो वो फिर एक झटके में अपना पूरा लंड राधिका की चूत में पेल देता हैं. ऐसे ही बीच बीच में वो राधिका से कई बार अपना लंड चुस्वाता हैं. और फिर करीब 45 मिनिट तक वो राधिका की चूत मारता हैं और आख़िरकार वो अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल देता हैं. वो वही राधिका के उपर पसर जाता हैं.
बारिश भी अब कम हो गयी थी. वो दोनो वही पर काफ़ी देर तक ऐसे ही बारिश में नंगे एक दूसरे से लिपटे रहते हैं फिर कृष्णा उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर आता हैं फिर वो टवल से अपना जिस्म और राधिका के बदन को अच्छे से पोछता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो दोनो खाना खाते हैं फिर कृष्णा राधिका की गान्ड के साथ खेलना शुरू कर देता हैं
राधिका- क्या भैया लगता हैं आज आप पूरी रात मुझे सोने नहीं देंगे.
कृष्णा- राधिका आज फिर से तेरी गान्ड मारने का मन कर रहा हैं.
राधिका- तो मार लो ना मैने कब मना किया हैं मगर धीरे धीरे अपना लंड डालना. वहाँ पर तकलीफ़ होती हैं.
कृष्णा मुस्कुरा देता हैं और बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं. राधिका जब अपने भैया को सोया हुआ देखती हैं तो वो सवालियों भरे नज़रो से कृष्णा को देखने लगती हैं.
राधिका- अब क्या हुआ. अभी कुछ देर पहले तो मेरी गान्ड मारने वाले थे. क्यों इतनी जल्दी ठंडा पड़ गये क्या.
कृष्णा- आज मैं तेरी गान्ड नहीं मारूँगा बल्कि तू खुद अपनी गान्ड मुझसे मरवाएगी. आज मैं तेरे उपर नहीं बल्कि तू खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपने गान्ड में लेगी मगर मेरी एक शर्त हैं.
राधिका हैरत से कृष्णा की ओर देखने लगती हैं- शर्त कैसी शर्त..
कृष्णा- आज मैं तुझे एक साथ डबल चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ.
राधिका को कृष्णा की बातें कुछ समझ नहीं आती और वो सवाल भरे नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं- डबल चुदाई से क्या मतलब हैं. कहीं आप ये तो नहीं चाहते कि मैं और किसी के साथ ये सब......
कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना. ये देखो मेरे हाथ में क्या हैं.
राधिका- जब एक नज़र कृष्णा की हाथों के तरफ देखती हैं तो वो भी समझ जाती हैं कि कृष्णा क्या चाहता हैं. कृष्णा के हाथ में एक मूली था जो करीब 3 इंच मोटा और 8 इंच बड़ा था.
कृष्णा- अब मैं अपना लंड तेरी गान्ड में डालूँगा और तू ये मूली अपनी चूत में डालेगी. जितनी तेज़ी से मैं तेरी गान्ड मारूँगा उतनी ही तेज़ी से तू अपना ये हाथ चलाएगी.
राधिका कुछ बोल नही पाती और इशारे में अपना सिर हिला देती हैं. फिर कृष्णा वही बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को भी पीठ के बल अपने उपर सुला लेता हैं. फिर वो अपने हाथ में रखा मूली को राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और जवाब में राधिका अपनी चूत को अपने दोनो हाथों से पूरा फैला देती हैं. कृष्णा धीरे धीरे वो मूली पर दबाव बनाता हैं और धीरे धीरे राधिका की चूत में डालना शुरू कर देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो मूली राधिका की चूत में पूरा चला जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.
ऐसा पहला मौका था जब एक साथ राधिका की चूत और गान्ड में एक तरफ़ मूली तो दूसरी तरफ लंड घुसने वाला था. वो भी बहुत रोमांचित थी. उसे तो पता भी नहीं था कि एक साथ दो लंड से भी चुदाई होती हैं. कृष्णा अपने लंड पर दबाव बढ़ाते जा रहा था आज राधिका की गान्ड कुछ ज़्यादा टाइट लग रही थी क्यों कि चूत में पहले से ही मूली था. वो थोड़ा दबाव देता हैं और लंड करीब 4 इंच तक राधिका की गान्ड में समा जाता हैं. राधिका की चीख निकल जाती हैं..
राधिका- भैया प्लीज़ अपना लंड निकाल लो ना मुझसे ये नहीं होगा. बहुत दर्द हो रहा हैं.
कृष्णा- थोड़ी देर और सब्र कर राधिका फिर देखना तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी. फिर कृष्णा अपने लंड को बाहर निकालता हैं और एक तेज झटके के साथ पूरा अंदर पेल देता हैं.राधिका की तेज़ चीखें निकल जाती हैं. और अब कृष्णा रुकता नही है और धीरे धीरे वो अपना लंड राधिका की गान्ड में पूरा उतार देता हैं. राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द हो रहा था मगर वो कृष्णा की वजह से चुप थी. थोड़ी देर के बाद वो भी मूली को अपनी चूत में आगे पीछे करना शुरू करती हैं और इधेर कृष्णा भी अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं.
थोड़ी देर में राधिका की दर्द की जगह पर सिसकारी गूंजने लगती हैं. कृष्णा अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल्ने लगता हैं जैसे कि वो आज पूरा दूध निकाल लेगा. और इधेर राधिका तेज़ी से अपने हाथ से मूली अपनी चूत में चला रही थी. मूली भी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. और निरंतर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. आज उसे इतना मज़ा आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो किसी जन्नत में हैं. इधेर कृष्णा तेज़ी से राधिका की गान्ड मारे जा रहा था. करीब 45 मिनिट तक धमाकेदार चुदाई के बाद कृष्णा अपना पूरा कम राधिका की गान्ड में निकाल देता हैं और राधिका भी एक लाश की तरह वही कृष्णा के उपर गिर जाती हैं. इस बीच राधिका आज 4 बार फारिघ् हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म में जान ही नहीं बची है. कमरे में दोनो की साँसें चलने की आवाज़ें आ रही थी और दोनो के शरीर भी पसीने के लथपथ थे. हालाँकि बारिश अभी भी हो रही थी मगर दोनो की प्यास अब बुझ चुकी थी.
राधिका बड़े प्यार से कृष्णा को देख रही थी जैसे कोई दो प्यासे एक दूसरे को देखते हैं. फिर वो कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं और अपना हाथ रखकर कृष्णा की बाहों में सो जाती हैं.
शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.
कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.
कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.
राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.
कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.
कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.
राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.
कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.
राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.
कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.
कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.
राधिका मुस्कुराते हुए- ठीक हैं जैसी आपकी मर्ज़ी फिर राधिका अपने होंठ कृष्णा की गर्देन पर रख देती हैं और वैसे ही वो भी अपनी जीभ धीरे धीरे फिराती हैं. और एक हाथ से धीरे धीरे कृष्णा के शर्ट का बटन को खोलना शुरू करती हैं. फिर नीचे अपने कोमल हाथों को लेजा कर पेंट के उपर से ही कृष्णा का लंड को पकड़ लेती हैं और अपने लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसना शुरू करती हैं. फिर वो कृष्णा का पेंट उतार देती हैं और उसके बाद बनियान . अब कृष्णा इस वक़्त सिर्फ़ अंडरवेर में था और उसके अंडरवेर में मानो टेंट बना हुआ था. राधिका ये देखकर मुस्कुराती हैं और अपना जीभ अंडरवेर के उपर से ही फिराती हैं. अंडरवेर तो पहले से ही बारिश में भीग कर गीला हो चुका था वो अपना मूह पूरा खोलकर अंडरवेर सहित कृष्णा का लंड अपने मूह में लेकर चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा तो मानो पागल हो जाता हैं.
थोड़े देर के बाद वो अपनी एक उंगली अंडरवेर में फँसा कर उसको भी नीचे सरका देती हैं. अब कृष्णा भी एक दम नंगा राधिका के सामने खड़ा रहता हैं.
कृष्णा- राधिका मेरे लौडे को आज शांत कर दे ना. पता नहीं क्यों आज सुबेह से ही बहुत मचल रहा हैं.
राधिका मुस्कुराती हैं और वो वही घुटनों के बल बैठकर कृष्णा का लंड बड़े गौर से देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ धीरे से निकाल कर उसके टॉप को हौले हौले चूसना शुरू करती हैं. कृष्णा एकदम से बेचैन हो जाता हैं फिर वो राधिका को अपनी पीठ के बल लेटने को कहता हैं. राधिका वही कृष्णा के लंड के नीचे अपना सिर रख देती हैं और कृष्णा राधिका के सिर को अपनी दोनो हाथों से कसकर पकड़ लेता हैं और अपना लंड राधिका के मूह में डालना शुरू करता हैं. राधिका भी पूरा अपना मूह खोल कर कृष्णा का समर्थन करती हैं. इस वक़्त अगर राधिका की ये पोज़िशन थी कि वो कृष्णा को मना तो दूर वो पूरे उसके रहमो करम पर थी जैसे कृष्णा उसे चाहे वैसे उसे चोदे.
कृष्णा पहले तो धीरे धीरे फिर बहुत तेज़ी के साथ अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे कृष्णा का लंड राधिका के मूह से होते हुए गले की ओर जाने लगता हैं. अब राधिका भी इस चीज़ की आदि हो गयी थी. उसे भी ये सब अच्छा लगने लगा था. कृष्णा अपने लंड पर उसी तरह से प्रेशर बनाए रखता हैं और अब कृष्णा का लंड राधिका के हलक तक पहुँच जाती हैं और वो उसी अवस्था में अपने लंड पर दबाव बनाए रखता हैं. राधिका की साँसें फूलना शुरू हो जाती हैं और आँखों से आँसू भी निकलने लगते हैं मगर वो एक भी बार कृष्णा को मना नहीं करती बल्कि उसका पूरा साथ देती हैं.
कृष्णा का लंड जब पूरा राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं तो वो उसी तरह से अपने लंड को राधिका के गले में डाले रहता हैं. हालाँकि वो जानता था कि राधिका की इस वक़्त क्या हालत हो रही होगी मगर आज उसके सिर पर हवस चढ़ कर बोल रही थी. वो आज राधिका को तकलीफ़ में देखकर उसके मज़ा आ रहा था. करीब 30 सेकेंड तक वो ऐसे ही अपना लंड राधिका के हलक में रखता हैं और फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. राधिका वहीं ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं. उसकी साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी और चेहरा पूरा लाल पढ़ चुका था. उपर से ये बारिश में अभी भी ये दोनो भीग रहे थे. थोड़ी देर के बाद कृष्णा फिर से राधिका के बाल को पकड़कर एक झटके में अपना लंड राधिका के गले में पहुँचा देता हैं और इस बार तब तक अपना लंड राधिका के गले से नहीं निकलता जब तक उसका वीर्य राधिका के गले के नीचे नहीं उतर जाता. करीब 1 मिनिट तक वो अपना लंड राधिका के हलक में फँसाए रहता हैं और आख़िरकार उसका धैर्य टूट जाता हैं राधिका भी मानो एक लाश की तरह वहीं धम से गिर पड़ती हैं..
कृष्णा - तू ठीक तो हैं ना राधिका. पता नहीं मुझे आज क्या हो गया था.
राधिका मुस्कुराती है और धीरे से कहती हैं- भैया क्या आप भी ........लगता हैं कि आप आज मेरी जान लेने के पीछे पड़े हुए हो. भला कोई इतनी देर तक अपना लंड मेरे गले में डालता हैं क्या. ऐसा लग रहा था कि मेरा गला फट जाएगा. अगर आप थोड़ी देर तक और नहीं निकलते अपना लंड तो सच में मेरा गला फट गया होता.
कृष्णा- तू ही तो है जो मेरा इतना ख्याल रखती हैं. चल अपनी टाँगें पूरा फैलाकर बैठ जा मैं तेरी चूत चाटूँगा. राधिका मुस्कुरा कर अपनी दोनो टाँगें फैला देती है और कृष्णा वहीं झुक कर अपना होंठ राधिका की चूत पर रख देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो भी अपने दोनो हाथों को कृष्णा के सिर पर फिराती हैं और अपनी दोनो टाँगें फैलाकर अपनी चूत चटवाती हैं. कृष्णा एक उंगली से उसकी चूत के लिप्स की फांकों को अलग करता हैं फिर अपना जीभ आयेज बढ़कर उसे धीरे धीरे चलाने लगता हैं. राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं वो भी ज़ोर ज़ोर से अपने निपल्स को अपने दोनो उंगलियों से मसलने लगती हैं.
कृष्णा फिर अपनी दो उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और नीचे झुक कर राधिका की गान्ड के छेद पर अपनी जीभ रख देता हैं. इस हमले से राधिका मानो उछल पड़ती हैं.
राधिका- भैया ये क्या कर रहे हो. भला कोई गान्ड भी चाहता हैं क्या. आपको घिंन नहीं आती.
कृष्णा- तुझे क्या मालूम चुदाई में कुछ भी गंदा नहीं होता.
फिर वो तेज़ी से अपने दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में आगे पीछे चलने लगता हैं और उतनी ही तेज़ी से राधिका की गान्ड भी चाटने लगता है. राधिका के मूह से लगातार....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह............एयेए.ऊओ...ह.ई.ऊवूऊवूवाह्ह्फह....आह्ह्ह्ह्ह.आईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. की आवज़ें आ रही थी. वो भी थोड़ी देर तक कृष्णा का सामना कर पाती हैं फिर चिल्लाते हुए तेज़ी से झरने लगती हैं.
कृष्णा अपनी दोनो उंगलियों को आगे बढ़कर राधिका के होंठो पर रख देता हैं राधिका बिना कोई सवाल जवाब के कृष्णा की दोनो उंगली को चूसने लगती हैं. फिर वो अपना एक उंगली राधिका की गान्ड में पेल देता हैं और फिर तेज़ी से उसकी गान्ड में आगे पीछे अपनी उंगली को चलाने लगता हैं. फिर से वो अपनी उंगली को राधिका के मूह में डाल कर उससे चूस्वाता हैं..
काफ़ी देर तक बारिश में भीगने के बाद कृष्णा वही राधिका को फर्श पर सुला कर अपना लॉडा सीधा राधिका की चूत में एक झटके में पूरा डाल देता हैं. राधिका के मूह से आउच................की तेज़ आवाज़ आती हैं और फिर कृष्णा तेज़ी से अपना लंड आगे पीछे करने शुरू करता हैं. थोड़ी देर में कृष्णा का पूरा लंड राधिका की चूत के पानी से भीग जाता हैं. कृष्णा आगे बढ़कर अपना लंड फिर से राधिका से चुस्वाता हैं और फिर जब कृष्णा के लंड पर लगा राधिका की चूत का पानी पूरा सॉफ हो जाता हैं तो वो फिर एक झटके में अपना पूरा लंड राधिका की चूत में पेल देता हैं. ऐसे ही बीच बीच में वो राधिका से कई बार अपना लंड चुस्वाता हैं. और फिर करीब 45 मिनिट तक वो राधिका की चूत मारता हैं और आख़िरकार वो अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में ही निकल देता हैं. वो वही राधिका के उपर पसर जाता हैं.
बारिश भी अब कम हो गयी थी. वो दोनो वही पर काफ़ी देर तक ऐसे ही बारिश में नंगे एक दूसरे से लिपटे रहते हैं फिर कृष्णा उठता हैं और राधिका को अपनी गोद में उठाकर अपने बेडरूम में लेकर आता हैं फिर वो टवल से अपना जिस्म और राधिका के बदन को अच्छे से पोछता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो दोनो खाना खाते हैं फिर कृष्णा राधिका की गान्ड के साथ खेलना शुरू कर देता हैं
राधिका- क्या भैया लगता हैं आज आप पूरी रात मुझे सोने नहीं देंगे.
कृष्णा- राधिका आज फिर से तेरी गान्ड मारने का मन कर रहा हैं.
राधिका- तो मार लो ना मैने कब मना किया हैं मगर धीरे धीरे अपना लंड डालना. वहाँ पर तकलीफ़ होती हैं.
कृष्णा मुस्कुरा देता हैं और बिस्तेर पर पीठ के बल सो जाता हैं. राधिका जब अपने भैया को सोया हुआ देखती हैं तो वो सवालियों भरे नज़रो से कृष्णा को देखने लगती हैं.
राधिका- अब क्या हुआ. अभी कुछ देर पहले तो मेरी गान्ड मारने वाले थे. क्यों इतनी जल्दी ठंडा पड़ गये क्या.
कृष्णा- आज मैं तेरी गान्ड नहीं मारूँगा बल्कि तू खुद अपनी गान्ड मुझसे मरवाएगी. आज मैं तेरे उपर नहीं बल्कि तू खुद मेरे उपर चढ़ कर मेरे लंड को अपने गान्ड में लेगी मगर मेरी एक शर्त हैं.
राधिका हैरत से कृष्णा की ओर देखने लगती हैं- शर्त कैसी शर्त..
कृष्णा- आज मैं तुझे एक साथ डबल चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ.
राधिका को कृष्णा की बातें कुछ समझ नहीं आती और वो सवाल भरे नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं- डबल चुदाई से क्या मतलब हैं. कहीं आप ये तो नहीं चाहते कि मैं और किसी के साथ ये सब......
कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना. ये देखो मेरे हाथ में क्या हैं.
राधिका- जब एक नज़र कृष्णा की हाथों के तरफ देखती हैं तो वो भी समझ जाती हैं कि कृष्णा क्या चाहता हैं. कृष्णा के हाथ में एक मूली था जो करीब 3 इंच मोटा और 8 इंच बड़ा था.
कृष्णा- अब मैं अपना लंड तेरी गान्ड में डालूँगा और तू ये मूली अपनी चूत में डालेगी. जितनी तेज़ी से मैं तेरी गान्ड मारूँगा उतनी ही तेज़ी से तू अपना ये हाथ चलाएगी.
राधिका कुछ बोल नही पाती और इशारे में अपना सिर हिला देती हैं. फिर कृष्णा वही बिस्तेर पर लेट जाता हैं और राधिका को भी पीठ के बल अपने उपर सुला लेता हैं. फिर वो अपने हाथ में रखा मूली को राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और जवाब में राधिका अपनी चूत को अपने दोनो हाथों से पूरा फैला देती हैं. कृष्णा धीरे धीरे वो मूली पर दबाव बनाता हैं और धीरे धीरे राधिका की चूत में डालना शुरू कर देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो मूली राधिका की चूत में पूरा चला जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव डालना शुरू करता हैं.
ऐसा पहला मौका था जब एक साथ राधिका की चूत और गान्ड में एक तरफ़ मूली तो दूसरी तरफ लंड घुसने वाला था. वो भी बहुत रोमांचित थी. उसे तो पता भी नहीं था कि एक साथ दो लंड से भी चुदाई होती हैं. कृष्णा अपने लंड पर दबाव बढ़ाते जा रहा था आज राधिका की गान्ड कुछ ज़्यादा टाइट लग रही थी क्यों कि चूत में पहले से ही मूली था. वो थोड़ा दबाव देता हैं और लंड करीब 4 इंच तक राधिका की गान्ड में समा जाता हैं. राधिका की चीख निकल जाती हैं..
राधिका- भैया प्लीज़ अपना लंड निकाल लो ना मुझसे ये नहीं होगा. बहुत दर्द हो रहा हैं.
कृष्णा- थोड़ी देर और सब्र कर राधिका फिर देखना तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सब भूल जाएगी. फिर कृष्णा अपने लंड को बाहर निकालता हैं और एक तेज झटके के साथ पूरा अंदर पेल देता हैं.राधिका की तेज़ चीखें निकल जाती हैं. और अब कृष्णा रुकता नही है और धीरे धीरे वो अपना लंड राधिका की गान्ड में पूरा उतार देता हैं. राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द हो रहा था मगर वो कृष्णा की वजह से चुप थी. थोड़ी देर के बाद वो भी मूली को अपनी चूत में आगे पीछे करना शुरू करती हैं और इधेर कृष्णा भी अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं.
थोड़ी देर में राधिका की दर्द की जगह पर सिसकारी गूंजने लगती हैं. कृष्णा अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल्ने लगता हैं जैसे कि वो आज पूरा दूध निकाल लेगा. और इधेर राधिका तेज़ी से अपने हाथ से मूली अपनी चूत में चला रही थी. मूली भी उसके चूत रस से पूरी तरह से भीग चुकी थी. और निरंतर उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. आज उसे इतना मज़ा आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो किसी जन्नत में हैं. इधेर कृष्णा तेज़ी से राधिका की गान्ड मारे जा रहा था. करीब 45 मिनिट तक धमाकेदार चुदाई के बाद कृष्णा अपना पूरा कम राधिका की गान्ड में निकाल देता हैं और राधिका भी एक लाश की तरह वही कृष्णा के उपर गिर जाती हैं. इस बीच राधिका आज 4 बार फारिघ् हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसके जिस्म में जान ही नहीं बची है. कमरे में दोनो की साँसें चलने की आवाज़ें आ रही थी और दोनो के शरीर भी पसीने के लथपथ थे. हालाँकि बारिश अभी भी हो रही थी मगर दोनो की प्यास अब बुझ चुकी थी.
राधिका बड़े प्यार से कृष्णा को देख रही थी जैसे कोई दो प्यासे एक दूसरे को देखते हैं. फिर वो कृष्णा के लिप्स चूम लेती हैं और अपना हाथ रखकर कृष्णा की बाहों में सो जाती हैं.