20-09-2019, 11:18 AM
Update 25
करीब 12 बजे उसके घर का डोर बेल बजता हैं. राधिका जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने मोनिका थी. मोनिका को ऐसे सामने देखकर राधिका लगभग चौंक जाती हैं.
राधिका- आप यहाँ पर कैसे ?? आपको मेरा घर का अड्रेस किसने बताया??
मोनिका- अंदर आने को नहीं कहोगी. मोनिका मुस्कुराते हुए बोली.
राधिका- यस प्लीज़ कम इनसाइड. और मोनिका अंदर आकर सोफे पर बैठ जाती हैं. फिर वो पूरे घर पर एक नज़र डालती हैं. फिर बोलती हैं.
मोनिका- दर-असल मैं आज बिल्कुल फ्री हूँ तो सोचा क्यों ना तुमसे मिल लिया जाए. इसी मेरा थोड़ा दिल भी बहल जाएगा और शायद तुमको भी अच्छा लगे. तो मैं तुम्हारा नाम पूछते पूछते लोगों से सीधा यहाँ पर आ गयी.
राधिका- थॅंक्स तान्या जी. मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई.
मोनिका अपने साथ एक गिफ्ट पॅक लाई थी. वो राधिका को थमाते हुए बोली- ये रख लो राधिका ये तुम्हारे लिए हैं. सोचा पहली बार तुम्हारे घर आई हूँ तो खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगेगा. इसलिए ये छोटा सा तोहफा मेरी ओर से. राधिका मुस्कुरा कर वो तोहफा वही टेबल पर रख देती हैं और अंदर जाकर चाइ बनाने लगती हैं.
थोड़ी देर के बाद वो चाइ और कुछ स्नॅक्स लेकर मोनिका के पास आती हैं और फिर दोनो में बहुत देर तक इधेर उधेर की बातें होती हैं. अंत में वो मोनिका को अपना पूरा कमरा दिखाती हैं और अपने साथ लाया हुआ तोहफा भी राधिका को खोलने को कहती हैं. राधिका जब वो तोहफा खोलती हैं तो उसमें एक बेबीडॉल था. वो उसे देखकर बहुत खुश होती हैं और वो अपने बेडरूम में उसे सज़ा कर रख देती हैं. करीब 2 बजे मोनिका भी अपना प्लान को अंजाम देकर मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राहुल का फोन आता हैं. आज वो एसीपी बनने वाला था इसलिए वो राधिका को बुलाने के लिए उसने फोन किया था.
राहुल- हां तो जान याद हैं ना आज शाम 4 बजे पोलीस थाने में तुम्हें आना हैं. आज मैं सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ.
राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ आइ आम सॉरी. मेरे सिर में बहुत दर्द हैं.
राहुल- नहीं जान ऐसा मत बोलो. मेरा दिल टूट जाएगा. अगर तुम कहो तो मैं ख़ान को भेज देता हूँ तुम्हें लेने. फिर मैं तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँगा.
राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मुझे बेहद खुशी हैं राहुल लेकिन मैने तुम्हें आज तक किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना किया हैं. और वैसे भी निशा तो आ ही रही हैं ना. और वो भी तो तुम्हारी दोस्त हैं.
राहुल- निशा में और तुममें बहुत फरक हैं राधिका. निशा बस मेरी दोस्त हैं. पर तुम मेरी जान हो. और अगर तुम नहीं आओगी तो ............ राहुल मायूस होकर बोला.
राधिका- प्लीज़ आइ आम सॉरी राहुल मेरा दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था. चलो कल मुझे अपने प्रमोशन की पार्टी दे देना. मैं कल पक्का आ जाउन्गि.
राहुल- ठीक हैं जान अपना ख्याल रखना. लव यू टू और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.
राधिका की आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं. वो लाख कोशिशों के बावजूद अपने राहुल को भुला नहीं पा रही थी. फिर वो उठती हैं और अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. और साथ में सिग्रेट भी लेती हैं. शायद उसे यही तरीका ठीक लग रहा था राहुल को भूलने का. मगर प्यार एक ऐसी लत हैं तो छूटे नहीं छूटती. वो भी ऐसी ही गुम्सुम सी नशे की हालत में बेड पर पड़ी रहती हैं.
............................................
पोलीस स्टेशन में.
वहाँ पर करीब करीब सब लोग पहुँच चुके थे. डीएम, एसडीएम, और साथ साथ बिहारी ,विजय भी वहाँ पर मौजूद थे. और भी बड़ी बड़ी हस्ती वहाँ पर आई हुई थी. निशा भी टॉप और जीन्स में कयामत लग रही थी. मगर उसे कहीं भी राधिका नज़र नहीं आ रही थी. वो बहुत देर तक इधेर उधेर राधिका को ढूँढती रही मगर राधिका उसे कहीं दिखाई नहीं दी. फिर वो राहुल के पास जाकर उसे मुबारकबाद देती हैं और राधिका के बारे में पूछती हैं. राहुल उसे फोन वाली सारी बात बता देता हैं.
निशा का माथा घूम जाता हैं. वो समझ जाती हैं कि बात कुछ और हैं. फिर कार्यक्रम शुरू हो जाता हैं और करीब 7 बजे तक चलता हैं. राहुल का शपथ ग्रहण होता हैं और फिर एसीपी की पदवी उसे दी जाती हैं और साथ में वीरता और ईमानदारी का मेडल भी मिलता हैं. राहुल तो आज राधिका के वहाँ नहीं जा सकता था क्यों कि आज रात में डिन्नर का भी प्रोग्राम था. वो सीधा निशा के पास आता हैं और आकर उससे कहता हैं.
राहुल- निशा थॅंक्स जो तुम यहाँ पर आई. मगर राधिका नहीं आई इसका मुझे दुख हैं. तुम एक काम करो अगर थोड़ा फ्री हो तो जाते वक़्त राधिका के घर चली जाना उसका तबीयात में अगर सुधार नही हुआ होगा तो मैं ख़ान को बोलकर राधिका को हॉस्पिटल भेजवा दूँगा. जैसे हो मुझे फोन करके बताना.
निशा- ठीक हैं राहुल मैं ज़रूर जाउन्गि.
और इतना कहकर निशा वहाँ से निकल पड़ती हैं. आज निशा के मन में हज़ार सवाल उठ रहे थे. उसका दिल बार बार इस बात को नहीं मान रहा था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया. वो तो राहुल से बे-इंतेहाः प्यार करती हैं. उसे तो सबसे ज़्यादा खुश होना चाहिए. मगर क्या वजह हैं जो वो यहाँ पर नहीं आई. क्या हैं इसके पीछे
निशा ऑटो करके थोड़ी देर में राधिका के घर पहुँच जाती हैं. शाम के करीब 7:30 बज रहे थे. वो डोरबेल बजती हैं. राधिका अभी भी नशे की हालत में बे-सुध बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जब 3 बार निशा बेल बजाती हैं तब जाकर राधिका को होश आता हैं. और वो उठती हैं और अपना मूह धोकर दरवाजा खोलने चली जाती हैं. नशे की हालत में उसके पाँव डगमगा रहे थे.
जैसे ही वो दरवाजा खोलती हैं सामने निशा को देखकर राधिका चौंक जाती हैं.
राधिका- निशा.....त....तुम.???
निशा जब राधिका की हालत देखती हैं तो उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.
निशा- ये तुमने अपनी क्या हालत बना रखी हैं राधिका. और तुमने तो शराब पी रखी हैं. ओह माइ गॉड. आइ कॅन'ट बिलीव. और इतना कहकर निशा राधिका को सहारा देकर उसे उसके बेडरूम में ले आती हैं.
राधिका- बता ना निशा कैसे आना हुआ. राहुल की पार्टी ठीक रही ना. अरे आने से पहले कम से कम एक फोन तो कर दिया होता.
निशा का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता और वो कसकर एक जोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देती हैं. राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं. राधिका अपने गाल पर हाथ रखकर अपना सिर नीचे झुका लेती हैं.
निशा- और कितना नीचे गिरगी तू राधिका. बदल तो तुम बहुत पहले ही चुकी हो. मगर इतना बदल जाओगी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. कल तक जो राधिका अच्छे बुरे में फ़र्क समझती थी आज तुमने उस राधिका को मार डाला हैं. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि राहुल के इतना बुलाने पर भी तुमने वहाँ जाना ज़रूरी क्यों नही समझा. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि तुमने शराब को हाथ क्यों लगाया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आख़िर तुम अपने आप को किस बात की सज़ा दे रही हो. मुझे इसका जवाब चाहिए.
राधिका चुप चाप गम्सम सी रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती. तभी राहुल का फोन आता हैं. निशा फोन रेसीव करती हैं.
राहुल- कैसी हैं मेरी राधिका. अगर तुम उसके पास हो तो मुझे उससे बात करवाओ.
निशा एक नज़र राधिका को देखती हैं फिर बोलती हैं- राहुल मैं इस वक़्त राधिका के पास ही हूँ. वो बिल्कुल ठीक हैं. घबराने की कोई बात नहीं है. अभी दवाई ली हैं और आब वो सो रही हैं. तुम्हारे पार्टी का क्या हुआ.??
राहुल- ठीक हैं निशा वेरी वेरी थॅंक्स तुमने मेरी टेन्षन ख़तम कर दी. चलो मैं कल राधिका से मिल लूँगा. और अभी गेस्ट्स आए हुए हैं. पार्टी देर रात तक चलेगी. तुम भी अपने घर चली जाना. इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.
फिर निशा एक कॉल अपने घर पर करती हैं और अपने मम्मी को बता देती हैं कि वो आज रात घर नहीं आएगी. वो आज राधिका के पास रुकेगी उसकी तबीयत खराब हैं. उसकी मम्मी भी उसको पर्मिशन दे देती हैं और निशा फोन रख देती हैं.
राधिका एक नज़र निशा को देखती हैं फिर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
राधिका- तुमने झूट क्यों बोला राहुल से. राधिका सवालियों नज़र से निशा की ओर देखते हुए बोली.
निशा- तो ये बता देती कि तुम इस वक़्त शराब के नशे में हो. और तुमने शराब पी रखी हैं. अगर ये बात राहुल को पता लगती तो जानती हो उसके दिल पर क्या बितति. मुझे समझ नही आ रहा तुम ऐसा क्यों कर रही हो.
थोड़ी देर तक राधिका खामोश रहती हैं तो निशा भी बाथरूम में चली जाती हैं तभी कृष्णा भी घर आ जाता हैं. मेन डोर खुला हुआ था इस लिए वो सीधा घर के अंदर आता हैं और राधिका के पास जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं. फिर वो राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे बड़े प्यार से देखता हैं. कृष्णा ये बात नहीं जानता था कि इस वक़्त निशा भी उसके घर में मौजूद हैं.
कृष्णा- आज भी तुमने शराब पी रखी हैं. राधिका क्या मैं तेरी शराब पीने की वजह जान सकता हूँ.
राधिका मंन हो मंन माना रही थी कि उसके भैया कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे जिससे निशा को पता चल जाए. वो जैसे ही निशा के बारे में कुछ बोलने के लिए अपना मूह खोलती हैं वैसे ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रख देता हैं. ये राधिका की बदक़िस्मती ही थी कि कृष्णा अपना होंठ राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं तभी निशा भी कमरे में आ जाती हैं. निशा के कदमों की आहट सुनकर कृष्णा चौक कर राधिका से दूर हट जाता हैं मगर निशा सब कुछ अपनी आँखों से देख चुकी थी. कृष्णा निशा को अपने आँखों के सामने देखकर वो झट से घर के बाहर निकल जाता हैं.
मगर राधिका के दिल में निशा के प्रति दोस्ती का डर बैठ जाता हैं. वो अब जानती थी कि आब निशा उसपर बरस पड़ेगी. जो वो बात छुपाना चाहती थी अब वो निशा के सामने खुल चुकी थी.
निशा- तो ये वजह हैं. मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ इतना भी नही समझ सकी कि तू ये सब अपने भैया के लिए ही तो कर रही हैं. मैं ठीक कह रही हूँ ना.
राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा. सारा कसूर मेरा हैं. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैं ही बहक गयी थी.
निशा- शरम आती हैं राधिका मुझे तुझ पर. जिस भाई बेहन के रिशे को लोग पूजते हैं. उसको पवित्रता की मिसाल देते हैं. तूने उन्ही रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा दी और तो और तुमने उन पवित्र रिश्तों को कलंकित भी कर दिया. समझ में नही आता कि मैं तुझसे क्या कहु. और इतना कहते कहते निशा के आँखों से आँसू आ जाते हैं......
राधिका फिर आगे बढ़कर निशा के बहते आँसू को पोछती हैं- हाथ मत लगा मुझे अब मेरा तेरे से कोई वास्ता नहीं. मैं जा रही हूँ हमेशा हमेशा के लिए तेरी ज़िंदगी से दूर. ये समझ लेना कि निशा कभी तेरी ज़िंदगी में आई ही नही थी. मैं अब तेरे लिए मर चुकी हूँ और तू अब मेरे लिए. हां और एक बात अच्छा होगा कि तू राहुल को सब कुछ सच सच बता देना शायद वो तेरी नादानी को माफ़ कर दे. इतना बोलकर निशा कमरे से निकलने लगती हैं.
राधिका- रुक जा निशा. भगवान के लिए मत जा मुझे ऐसे छोड़ कर. मेरी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दे मुझे . इससे अच्छा तो तू मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दे. मैं तो खुद जीना नहीं चाहती. अगर तू एक भी कदम आगे बढ़ाई तो मैं सच में अपनी जान दे दूँगी. राधिका वही रखा ब्लेड उठा लेती हैं और जैसे ही वो अपने हाथों की नस पर रखती हैं निशा का एक और ज़ोर का थप्पड़ उसकी गालों पर पड़ता हैं और ब्लेड उसकी हाथों से छूट कर नीचे गिर जाता हैं.
निशा ज़ोर से चिल्लाते हुए- तू क्या समझती हैं कि तुझे ही सिर्फ़ जान देना आता हैं. ये काम मैं भी कर सकती हूँ मगर मरने से किसी भी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं निकलता.
इस वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे. निशा आगे बढ़कर राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं और एक हाथ बढ़कार उसकी आँखों से बहते आँसू पोछ देती हैं.
निशा- ठीक हैं मैं कहीं नही जाउन्गि मगर तुझे फिर से पहले वाली राधिका बनना होगा. बोल तू मेरे लिए इतना कर सकती हैं.
राधिका भी निशा के सीने लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.......
दोनो की आँखें नम थी. ना राधिका कुछ बोल पा रही थी और ना ही निशा. थोड़ी देर तक वो दोनो ऐसे ही गुम्सुम रहते हैं. फिर राधिका उठकर किचन की ओर जाने लगती हैं. राधिका को ऐसे जाते देखकर निशा बोलती हैं
निशा- कहाँ जा रहीं हैं राधिका.
राधिका- आज क्या भूका रहने का इरादा हैं. मैं तेरे लिए खाना बनाने जा रही हूँ.
निशा- तू ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रही हैं और तू मेरे लिए खाना बनाएगी. चल तू आराम कर मैं आज बना देती हूँ.
फिर निशा राधिका को बिस्तेर पर सुला देती हैं और जाकर किचन में खाना बनाने लगती हैं. थोड़े देर में कृष्णा भी आ जाता हैं. वो चुप चाप अपने कमरे में बैठा रहता हैं. उसकी हिम्मत नहीं होती की वो निशा का सामना भी करे. थोड़ी देर में निशा खाना रेडी करके कृष्णा को खाना खाने के लिए बोलती हैं. वो भी चुप चाप खाना खाने बैठ जाता हैं. वही निशा भी आकर बैठ जाती हैं.
निशा को सामने बैठा देखकर कृष्णा की दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं और वो चुप चाप अपनी गर्देन झुका कर खाना खाने लगता हैं.
निशा- भैया आपसे एक बात कहनी थी मुझे. अगर आप बुरा ना मानो तो.....................
कृष्णा निशा की तरफ़ सवालियों नज़र से देखने लगता हैं फिर हां में इशारा करता हैं.
निशा- राधिका ने शराब पीना कब से शुरू किया. और इन सब के पीछे उसकी क्या मजबूरी हैं. वो क्यों ऐसा कर रही हैं. और मैं जानती हूँ कि राधिका ने आपसे जिस्मानी संभंध भी कायम कर लिया हैं . क्या हैं इसके पीछे वजह जो वो अपने भाई के साथ.......मुझे सारे सवालों का जवाब चाहिए. अभी इसी वक़्त. निशा कृष्णा की आँखों में देखकर बोली.
कृष्णा कुछ पल खामोश रहता हैं मगर वो भी अब जान चुका था कि निशा से अब कोई भी बात छुपाने से फ़ायदा नहीं हैं.
कृष्णा- बात कुछ दिन पहले की हैं एक दिन राधिका के पास एक अननोन नंबर से कॉल आया. और कृष्णा धीरे धीरे निशा को वो सारी बातें बता देता हैं जब वो एक रंडी के साथ राधिका द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था. जो कुछ भी बातें थी वो सब कृष्णा निशा के सामने एक एक कर खुली किताब की तरह रख देता हैं. निशा भी कुछ देर यूँ ही खामोश रहती हैं .
निशा- आपने ये ठीक नहीं किया. दुनिया की कोई भी औरत ये कभी बर्दास्त नही कर सकती कि उसका भाई या पिता किसी रंडी के साथ ऐसी अवस्था में मिले.शायद यही वजह हैं कि राधिका को गहरा धक्का लगा. आपने तो ना सिर्फ़ उसके विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि उसकी आत्मसामान को भी ठेस पहुँचाई हैं. वो इसी सदमे की वजह से उसने शराब को अपनाया हैं. आज राधिका की हालत के ज़िम्मेदार आप हैं. मगर राधिका ने इतना सब कुछ होने की वजह से भी आपके साथ जिस्मानी रिस्ता क्यों कायम किया. क्या आपको इसकी वजह मालूम हैं.
कृष्णा- नहीं मैने भी कई बार उससे पूछने की कोशिश की मगर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.
निशा के सामने हज़ारों सवाल खड़े हो गये थे. कौन थी वो औरत जिसने राधिका के पास फोन करके उसे अपने ही भैया की करतूत को उसके सामने दिखाया. इसका मतलब वो जो कोई भी हैं वो हर पल राधिका पर नज़र लगाए बैठी हुई हैं. आख़िर उसे ये सब करने से क्या हासिल होगा. कहीं ये कोई साजिश तो नही रची जा रही राधिका के खिलाफ. हे भागवान ये सब करने के पीछे पता नहीं कहीं किसी की कोई गहरी चाल तो नहीं. ये भी तो हो सकता हैं कि वो औरत सिफ्र मोहरा हो और उसके पीछे कोई और हो.
निशा का अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था मगर सिर्फ़ अंदाज़ लगाने से किसी भी प्राब्लम की जड़ तक नहीं पहुँचा जाता. थोड़ी देर में निशा भी खाना खा लेती हैं और राधिका को भी खाना देती हैं. राधिका खाना खाकर तुरंत सो जाती हैं. नशे की वजह से उसे कुछ भी होश नहीं रहता . निशा भी राधिका की बगल में लेट जाती हैं और बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँडने में लगी रहती हैं. मगर उसे कुछ समझ नहीं आता. फिर थोड़ी देर के बाद वो भी सो जाती हैं.
सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो निशा भी उसके बाजू में सोई रहती हैं. वो झट से उठती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. थोड़े देर में निशा भी उठ जाती हैं. थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं और फिर निशा अपने घर के लिए निकल पड़ती हैं. कृष्णा भी एक कमरे में चुप चाप बैठा रहता हैं और कुछ सोचता रहता हैं. कृष्णा को ऐसे गहरे विचारों में खोया देखकर राधिका उसके पास जाती हैं और जाकर उसके लिप्स को चूम लेती हैं.
राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. क्या बात हैं आज आप बड़े गुम्सुम से लग रहे हैं. निशा ने कहीं आपसे कुछ कहा तो नहीं.
कृष्णा- नहीं राधिका ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.
राधिका- तो क्या मैं जान सकती हूँ कि आपके चेहरे पर उदासी की वजह. आपको इतना सीरीयस मैने कभी नहीं देखा.
कृष्णा- राधिका मुझे लगता हैं अब जो हमारे बीच हो रहा हैं वो ठीक नही हैं.शायद हम अपनी हद भूल गये हैं.
राधिका- आपको क्यों ऐसा लगने लगा. आब सब कुछ करने के बाद पछताना कैसा. जो हो रहा हैं वो होने दो. अब मुझे किसी भी चीज़ से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं. और मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे भैया जैसे रहे वो खुश रहें.
कृष्णा- मुझे लगता हैं कि तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं. राधिका तुझे मेरी कसम सच सच बता क्या मेरे से जिस्मानी रिस्ता बनाने के पीछे तेरी कौन सी वजह हैं. मैं सच जानना चाहता हूँ.
राधिका थोड़े देर चुप रहती हैं - मैं आपको फिलहाल अभी नहीं बता सकती मगर यकीन मानिए भैया वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं...
करीब 12 बजे उसके घर का डोर बेल बजता हैं. राधिका जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने मोनिका थी. मोनिका को ऐसे सामने देखकर राधिका लगभग चौंक जाती हैं.
राधिका- आप यहाँ पर कैसे ?? आपको मेरा घर का अड्रेस किसने बताया??
मोनिका- अंदर आने को नहीं कहोगी. मोनिका मुस्कुराते हुए बोली.
राधिका- यस प्लीज़ कम इनसाइड. और मोनिका अंदर आकर सोफे पर बैठ जाती हैं. फिर वो पूरे घर पर एक नज़र डालती हैं. फिर बोलती हैं.
मोनिका- दर-असल मैं आज बिल्कुल फ्री हूँ तो सोचा क्यों ना तुमसे मिल लिया जाए. इसी मेरा थोड़ा दिल भी बहल जाएगा और शायद तुमको भी अच्छा लगे. तो मैं तुम्हारा नाम पूछते पूछते लोगों से सीधा यहाँ पर आ गयी.
राधिका- थॅंक्स तान्या जी. मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई.
मोनिका अपने साथ एक गिफ्ट पॅक लाई थी. वो राधिका को थमाते हुए बोली- ये रख लो राधिका ये तुम्हारे लिए हैं. सोचा पहली बार तुम्हारे घर आई हूँ तो खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगेगा. इसलिए ये छोटा सा तोहफा मेरी ओर से. राधिका मुस्कुरा कर वो तोहफा वही टेबल पर रख देती हैं और अंदर जाकर चाइ बनाने लगती हैं.
थोड़ी देर के बाद वो चाइ और कुछ स्नॅक्स लेकर मोनिका के पास आती हैं और फिर दोनो में बहुत देर तक इधेर उधेर की बातें होती हैं. अंत में वो मोनिका को अपना पूरा कमरा दिखाती हैं और अपने साथ लाया हुआ तोहफा भी राधिका को खोलने को कहती हैं. राधिका जब वो तोहफा खोलती हैं तो उसमें एक बेबीडॉल था. वो उसे देखकर बहुत खुश होती हैं और वो अपने बेडरूम में उसे सज़ा कर रख देती हैं. करीब 2 बजे मोनिका भी अपना प्लान को अंजाम देकर मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल जाती हैं.
थोड़ी देर के बाद राहुल का फोन आता हैं. आज वो एसीपी बनने वाला था इसलिए वो राधिका को बुलाने के लिए उसने फोन किया था.
राहुल- हां तो जान याद हैं ना आज शाम 4 बजे पोलीस थाने में तुम्हें आना हैं. आज मैं सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ.
राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ आइ आम सॉरी. मेरे सिर में बहुत दर्द हैं.
राहुल- नहीं जान ऐसा मत बोलो. मेरा दिल टूट जाएगा. अगर तुम कहो तो मैं ख़ान को भेज देता हूँ तुम्हें लेने. फिर मैं तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँगा.
राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मुझे बेहद खुशी हैं राहुल लेकिन मैने तुम्हें आज तक किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना किया हैं. और वैसे भी निशा तो आ ही रही हैं ना. और वो भी तो तुम्हारी दोस्त हैं.
राहुल- निशा में और तुममें बहुत फरक हैं राधिका. निशा बस मेरी दोस्त हैं. पर तुम मेरी जान हो. और अगर तुम नहीं आओगी तो ............ राहुल मायूस होकर बोला.
राधिका- प्लीज़ आइ आम सॉरी राहुल मेरा दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था. चलो कल मुझे अपने प्रमोशन की पार्टी दे देना. मैं कल पक्का आ जाउन्गि.
राहुल- ठीक हैं जान अपना ख्याल रखना. लव यू टू और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.
राधिका की आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं. वो लाख कोशिशों के बावजूद अपने राहुल को भुला नहीं पा रही थी. फिर वो उठती हैं और अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. और साथ में सिग्रेट भी लेती हैं. शायद उसे यही तरीका ठीक लग रहा था राहुल को भूलने का. मगर प्यार एक ऐसी लत हैं तो छूटे नहीं छूटती. वो भी ऐसी ही गुम्सुम सी नशे की हालत में बेड पर पड़ी रहती हैं.
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पोलीस स्टेशन में.
वहाँ पर करीब करीब सब लोग पहुँच चुके थे. डीएम, एसडीएम, और साथ साथ बिहारी ,विजय भी वहाँ पर मौजूद थे. और भी बड़ी बड़ी हस्ती वहाँ पर आई हुई थी. निशा भी टॉप और जीन्स में कयामत लग रही थी. मगर उसे कहीं भी राधिका नज़र नहीं आ रही थी. वो बहुत देर तक इधेर उधेर राधिका को ढूँढती रही मगर राधिका उसे कहीं दिखाई नहीं दी. फिर वो राहुल के पास जाकर उसे मुबारकबाद देती हैं और राधिका के बारे में पूछती हैं. राहुल उसे फोन वाली सारी बात बता देता हैं.
निशा का माथा घूम जाता हैं. वो समझ जाती हैं कि बात कुछ और हैं. फिर कार्यक्रम शुरू हो जाता हैं और करीब 7 बजे तक चलता हैं. राहुल का शपथ ग्रहण होता हैं और फिर एसीपी की पदवी उसे दी जाती हैं और साथ में वीरता और ईमानदारी का मेडल भी मिलता हैं. राहुल तो आज राधिका के वहाँ नहीं जा सकता था क्यों कि आज रात में डिन्नर का भी प्रोग्राम था. वो सीधा निशा के पास आता हैं और आकर उससे कहता हैं.
राहुल- निशा थॅंक्स जो तुम यहाँ पर आई. मगर राधिका नहीं आई इसका मुझे दुख हैं. तुम एक काम करो अगर थोड़ा फ्री हो तो जाते वक़्त राधिका के घर चली जाना उसका तबीयात में अगर सुधार नही हुआ होगा तो मैं ख़ान को बोलकर राधिका को हॉस्पिटल भेजवा दूँगा. जैसे हो मुझे फोन करके बताना.
निशा- ठीक हैं राहुल मैं ज़रूर जाउन्गि.
और इतना कहकर निशा वहाँ से निकल पड़ती हैं. आज निशा के मन में हज़ार सवाल उठ रहे थे. उसका दिल बार बार इस बात को नहीं मान रहा था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया. वो तो राहुल से बे-इंतेहाः प्यार करती हैं. उसे तो सबसे ज़्यादा खुश होना चाहिए. मगर क्या वजह हैं जो वो यहाँ पर नहीं आई. क्या हैं इसके पीछे
निशा ऑटो करके थोड़ी देर में राधिका के घर पहुँच जाती हैं. शाम के करीब 7:30 बज रहे थे. वो डोरबेल बजती हैं. राधिका अभी भी नशे की हालत में बे-सुध बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जब 3 बार निशा बेल बजाती हैं तब जाकर राधिका को होश आता हैं. और वो उठती हैं और अपना मूह धोकर दरवाजा खोलने चली जाती हैं. नशे की हालत में उसके पाँव डगमगा रहे थे.
जैसे ही वो दरवाजा खोलती हैं सामने निशा को देखकर राधिका चौंक जाती हैं.
राधिका- निशा.....त....तुम.???
निशा जब राधिका की हालत देखती हैं तो उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.
निशा- ये तुमने अपनी क्या हालत बना रखी हैं राधिका. और तुमने तो शराब पी रखी हैं. ओह माइ गॉड. आइ कॅन'ट बिलीव. और इतना कहकर निशा राधिका को सहारा देकर उसे उसके बेडरूम में ले आती हैं.
राधिका- बता ना निशा कैसे आना हुआ. राहुल की पार्टी ठीक रही ना. अरे आने से पहले कम से कम एक फोन तो कर दिया होता.
निशा का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता और वो कसकर एक जोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देती हैं. राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं. राधिका अपने गाल पर हाथ रखकर अपना सिर नीचे झुका लेती हैं.
निशा- और कितना नीचे गिरगी तू राधिका. बदल तो तुम बहुत पहले ही चुकी हो. मगर इतना बदल जाओगी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. कल तक जो राधिका अच्छे बुरे में फ़र्क समझती थी आज तुमने उस राधिका को मार डाला हैं. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि राहुल के इतना बुलाने पर भी तुमने वहाँ जाना ज़रूरी क्यों नही समझा. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि तुमने शराब को हाथ क्यों लगाया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आख़िर तुम अपने आप को किस बात की सज़ा दे रही हो. मुझे इसका जवाब चाहिए.
राधिका चुप चाप गम्सम सी रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती. तभी राहुल का फोन आता हैं. निशा फोन रेसीव करती हैं.
राहुल- कैसी हैं मेरी राधिका. अगर तुम उसके पास हो तो मुझे उससे बात करवाओ.
निशा एक नज़र राधिका को देखती हैं फिर बोलती हैं- राहुल मैं इस वक़्त राधिका के पास ही हूँ. वो बिल्कुल ठीक हैं. घबराने की कोई बात नहीं है. अभी दवाई ली हैं और आब वो सो रही हैं. तुम्हारे पार्टी का क्या हुआ.??
राहुल- ठीक हैं निशा वेरी वेरी थॅंक्स तुमने मेरी टेन्षन ख़तम कर दी. चलो मैं कल राधिका से मिल लूँगा. और अभी गेस्ट्स आए हुए हैं. पार्टी देर रात तक चलेगी. तुम भी अपने घर चली जाना. इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.
फिर निशा एक कॉल अपने घर पर करती हैं और अपने मम्मी को बता देती हैं कि वो आज रात घर नहीं आएगी. वो आज राधिका के पास रुकेगी उसकी तबीयत खराब हैं. उसकी मम्मी भी उसको पर्मिशन दे देती हैं और निशा फोन रख देती हैं.
राधिका एक नज़र निशा को देखती हैं फिर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
राधिका- तुमने झूट क्यों बोला राहुल से. राधिका सवालियों नज़र से निशा की ओर देखते हुए बोली.
निशा- तो ये बता देती कि तुम इस वक़्त शराब के नशे में हो. और तुमने शराब पी रखी हैं. अगर ये बात राहुल को पता लगती तो जानती हो उसके दिल पर क्या बितति. मुझे समझ नही आ रहा तुम ऐसा क्यों कर रही हो.
थोड़ी देर तक राधिका खामोश रहती हैं तो निशा भी बाथरूम में चली जाती हैं तभी कृष्णा भी घर आ जाता हैं. मेन डोर खुला हुआ था इस लिए वो सीधा घर के अंदर आता हैं और राधिका के पास जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं. फिर वो राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे बड़े प्यार से देखता हैं. कृष्णा ये बात नहीं जानता था कि इस वक़्त निशा भी उसके घर में मौजूद हैं.
कृष्णा- आज भी तुमने शराब पी रखी हैं. राधिका क्या मैं तेरी शराब पीने की वजह जान सकता हूँ.
राधिका मंन हो मंन माना रही थी कि उसके भैया कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे जिससे निशा को पता चल जाए. वो जैसे ही निशा के बारे में कुछ बोलने के लिए अपना मूह खोलती हैं वैसे ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रख देता हैं. ये राधिका की बदक़िस्मती ही थी कि कृष्णा अपना होंठ राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं तभी निशा भी कमरे में आ जाती हैं. निशा के कदमों की आहट सुनकर कृष्णा चौक कर राधिका से दूर हट जाता हैं मगर निशा सब कुछ अपनी आँखों से देख चुकी थी. कृष्णा निशा को अपने आँखों के सामने देखकर वो झट से घर के बाहर निकल जाता हैं.
मगर राधिका के दिल में निशा के प्रति दोस्ती का डर बैठ जाता हैं. वो अब जानती थी कि आब निशा उसपर बरस पड़ेगी. जो वो बात छुपाना चाहती थी अब वो निशा के सामने खुल चुकी थी.
निशा- तो ये वजह हैं. मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ इतना भी नही समझ सकी कि तू ये सब अपने भैया के लिए ही तो कर रही हैं. मैं ठीक कह रही हूँ ना.
राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा. सारा कसूर मेरा हैं. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैं ही बहक गयी थी.
निशा- शरम आती हैं राधिका मुझे तुझ पर. जिस भाई बेहन के रिशे को लोग पूजते हैं. उसको पवित्रता की मिसाल देते हैं. तूने उन्ही रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा दी और तो और तुमने उन पवित्र रिश्तों को कलंकित भी कर दिया. समझ में नही आता कि मैं तुझसे क्या कहु. और इतना कहते कहते निशा के आँखों से आँसू आ जाते हैं......
राधिका फिर आगे बढ़कर निशा के बहते आँसू को पोछती हैं- हाथ मत लगा मुझे अब मेरा तेरे से कोई वास्ता नहीं. मैं जा रही हूँ हमेशा हमेशा के लिए तेरी ज़िंदगी से दूर. ये समझ लेना कि निशा कभी तेरी ज़िंदगी में आई ही नही थी. मैं अब तेरे लिए मर चुकी हूँ और तू अब मेरे लिए. हां और एक बात अच्छा होगा कि तू राहुल को सब कुछ सच सच बता देना शायद वो तेरी नादानी को माफ़ कर दे. इतना बोलकर निशा कमरे से निकलने लगती हैं.
राधिका- रुक जा निशा. भगवान के लिए मत जा मुझे ऐसे छोड़ कर. मेरी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दे मुझे . इससे अच्छा तो तू मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दे. मैं तो खुद जीना नहीं चाहती. अगर तू एक भी कदम आगे बढ़ाई तो मैं सच में अपनी जान दे दूँगी. राधिका वही रखा ब्लेड उठा लेती हैं और जैसे ही वो अपने हाथों की नस पर रखती हैं निशा का एक और ज़ोर का थप्पड़ उसकी गालों पर पड़ता हैं और ब्लेड उसकी हाथों से छूट कर नीचे गिर जाता हैं.
निशा ज़ोर से चिल्लाते हुए- तू क्या समझती हैं कि तुझे ही सिर्फ़ जान देना आता हैं. ये काम मैं भी कर सकती हूँ मगर मरने से किसी भी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं निकलता.
इस वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे. निशा आगे बढ़कर राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं और एक हाथ बढ़कार उसकी आँखों से बहते आँसू पोछ देती हैं.
निशा- ठीक हैं मैं कहीं नही जाउन्गि मगर तुझे फिर से पहले वाली राधिका बनना होगा. बोल तू मेरे लिए इतना कर सकती हैं.
राधिका भी निशा के सीने लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.......
दोनो की आँखें नम थी. ना राधिका कुछ बोल पा रही थी और ना ही निशा. थोड़ी देर तक वो दोनो ऐसे ही गुम्सुम रहते हैं. फिर राधिका उठकर किचन की ओर जाने लगती हैं. राधिका को ऐसे जाते देखकर निशा बोलती हैं
निशा- कहाँ जा रहीं हैं राधिका.
राधिका- आज क्या भूका रहने का इरादा हैं. मैं तेरे लिए खाना बनाने जा रही हूँ.
निशा- तू ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रही हैं और तू मेरे लिए खाना बनाएगी. चल तू आराम कर मैं आज बना देती हूँ.
फिर निशा राधिका को बिस्तेर पर सुला देती हैं और जाकर किचन में खाना बनाने लगती हैं. थोड़े देर में कृष्णा भी आ जाता हैं. वो चुप चाप अपने कमरे में बैठा रहता हैं. उसकी हिम्मत नहीं होती की वो निशा का सामना भी करे. थोड़ी देर में निशा खाना रेडी करके कृष्णा को खाना खाने के लिए बोलती हैं. वो भी चुप चाप खाना खाने बैठ जाता हैं. वही निशा भी आकर बैठ जाती हैं.
निशा को सामने बैठा देखकर कृष्णा की दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं और वो चुप चाप अपनी गर्देन झुका कर खाना खाने लगता हैं.
निशा- भैया आपसे एक बात कहनी थी मुझे. अगर आप बुरा ना मानो तो.....................
कृष्णा निशा की तरफ़ सवालियों नज़र से देखने लगता हैं फिर हां में इशारा करता हैं.
निशा- राधिका ने शराब पीना कब से शुरू किया. और इन सब के पीछे उसकी क्या मजबूरी हैं. वो क्यों ऐसा कर रही हैं. और मैं जानती हूँ कि राधिका ने आपसे जिस्मानी संभंध भी कायम कर लिया हैं . क्या हैं इसके पीछे वजह जो वो अपने भाई के साथ.......मुझे सारे सवालों का जवाब चाहिए. अभी इसी वक़्त. निशा कृष्णा की आँखों में देखकर बोली.
कृष्णा कुछ पल खामोश रहता हैं मगर वो भी अब जान चुका था कि निशा से अब कोई भी बात छुपाने से फ़ायदा नहीं हैं.
कृष्णा- बात कुछ दिन पहले की हैं एक दिन राधिका के पास एक अननोन नंबर से कॉल आया. और कृष्णा धीरे धीरे निशा को वो सारी बातें बता देता हैं जब वो एक रंडी के साथ राधिका द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था. जो कुछ भी बातें थी वो सब कृष्णा निशा के सामने एक एक कर खुली किताब की तरह रख देता हैं. निशा भी कुछ देर यूँ ही खामोश रहती हैं .
निशा- आपने ये ठीक नहीं किया. दुनिया की कोई भी औरत ये कभी बर्दास्त नही कर सकती कि उसका भाई या पिता किसी रंडी के साथ ऐसी अवस्था में मिले.शायद यही वजह हैं कि राधिका को गहरा धक्का लगा. आपने तो ना सिर्फ़ उसके विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि उसकी आत्मसामान को भी ठेस पहुँचाई हैं. वो इसी सदमे की वजह से उसने शराब को अपनाया हैं. आज राधिका की हालत के ज़िम्मेदार आप हैं. मगर राधिका ने इतना सब कुछ होने की वजह से भी आपके साथ जिस्मानी रिस्ता क्यों कायम किया. क्या आपको इसकी वजह मालूम हैं.
कृष्णा- नहीं मैने भी कई बार उससे पूछने की कोशिश की मगर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.
निशा के सामने हज़ारों सवाल खड़े हो गये थे. कौन थी वो औरत जिसने राधिका के पास फोन करके उसे अपने ही भैया की करतूत को उसके सामने दिखाया. इसका मतलब वो जो कोई भी हैं वो हर पल राधिका पर नज़र लगाए बैठी हुई हैं. आख़िर उसे ये सब करने से क्या हासिल होगा. कहीं ये कोई साजिश तो नही रची जा रही राधिका के खिलाफ. हे भागवान ये सब करने के पीछे पता नहीं कहीं किसी की कोई गहरी चाल तो नहीं. ये भी तो हो सकता हैं कि वो औरत सिफ्र मोहरा हो और उसके पीछे कोई और हो.
निशा का अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था मगर सिर्फ़ अंदाज़ लगाने से किसी भी प्राब्लम की जड़ तक नहीं पहुँचा जाता. थोड़ी देर में निशा भी खाना खा लेती हैं और राधिका को भी खाना देती हैं. राधिका खाना खाकर तुरंत सो जाती हैं. नशे की वजह से उसे कुछ भी होश नहीं रहता . निशा भी राधिका की बगल में लेट जाती हैं और बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँडने में लगी रहती हैं. मगर उसे कुछ समझ नहीं आता. फिर थोड़ी देर के बाद वो भी सो जाती हैं.
सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो निशा भी उसके बाजू में सोई रहती हैं. वो झट से उठती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. थोड़े देर में निशा भी उठ जाती हैं. थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं और फिर निशा अपने घर के लिए निकल पड़ती हैं. कृष्णा भी एक कमरे में चुप चाप बैठा रहता हैं और कुछ सोचता रहता हैं. कृष्णा को ऐसे गहरे विचारों में खोया देखकर राधिका उसके पास जाती हैं और जाकर उसके लिप्स को चूम लेती हैं.
राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. क्या बात हैं आज आप बड़े गुम्सुम से लग रहे हैं. निशा ने कहीं आपसे कुछ कहा तो नहीं.
कृष्णा- नहीं राधिका ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.
राधिका- तो क्या मैं जान सकती हूँ कि आपके चेहरे पर उदासी की वजह. आपको इतना सीरीयस मैने कभी नहीं देखा.
कृष्णा- राधिका मुझे लगता हैं अब जो हमारे बीच हो रहा हैं वो ठीक नही हैं.शायद हम अपनी हद भूल गये हैं.
राधिका- आपको क्यों ऐसा लगने लगा. आब सब कुछ करने के बाद पछताना कैसा. जो हो रहा हैं वो होने दो. अब मुझे किसी भी चीज़ से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं. और मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे भैया जैसे रहे वो खुश रहें.
कृष्णा- मुझे लगता हैं कि तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं. राधिका तुझे मेरी कसम सच सच बता क्या मेरे से जिस्मानी रिस्ता बनाने के पीछे तेरी कौन सी वजह हैं. मैं सच जानना चाहता हूँ.
राधिका थोड़े देर चुप रहती हैं - मैं आपको फिलहाल अभी नहीं बता सकती मगर यकीन मानिए भैया वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं...