20-09-2019, 11:16 AM
Update 24
कृष्णा भी राधिका के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर राधिका की ओर देखने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. कृष्णा राधिका के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड राधिका के मूह के अंदर जाने लगता हैं. कृष्णा करीब 5 इंच तक राधिका के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.
राधिका की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. राधिका की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये राधिका का फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो राहुल का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. करीब कृष्णा 7 इंच तक राधिका के मूह में लंड डाल देता हैं और राधिका की साँसें उखाड़ने लगती हैं.
कृष्णा एक टक राधिका को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा राधिका के मूह में चला जाता हैं. राधिका को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने भैया के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. राधिका को कुछ राहत मिलती हैं मगर कृष्णा कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो राधिका के मूह में पूरा पेल देता हैं.
इस बार कृष्णा अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. राधिका के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी. कृष्णा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक राधिका के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. राधिका के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से कृष्णा के पैरों पर मारने लगती हैं कृष्णा को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड राधिका के हलक से बाहर निकाल देता हैं. राधिका वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
कृष्णा के लंड से एक थूक की लकीर राधिका के मूह तक जुड़ी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा राधिका के मूह तक बाँध दिया हो. वो घूर कर एक नज़र कृष्णा को देखती हैं.
राधिका- ये क्या भैया भला कोई ऐसे भी सेक्स करता हैं क्या. आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे. मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम. देखो ना अभी तक मेरा मूह भी दर्द कर रहा हैं.
कृष्णा- तू जानती नहीं हैं राधिका मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मूह में अपना पूरा लंड पेलने का. मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया. ना जाने मैं कितनी रंडियों के साथ सोया हूँ मगर उनमें से किसी ने भी मेरे लंड अपने मूह में नहीं लिया. आख़िर अपना अपना ही होता हैं.
राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए- तो आपके और क्या क्या ख्वाब हैं. ज़रा मैं भी तो जानू. सोचूँगी अगर पूरा करने लायक होगा तो ज़रूर पूरा करूँगी.
कृष्णा- मेरा तो सबसे ज़्यादा मन तेरी गंद मारने को करता हैं. अगर तू मुझे इसकी इज़्ज़ज़त दे तो.................
राधिका- नहीं भैया मैं वहाँ पर नहीं दूँगी. सुना हैं बहुत ताकीफ़ होती हैं. मुझसे सहन नही होगा. और आज तक मैने कभी भी वहाँ पर नहीं दिया हैं. राधिका की बातें सुनकर कृष्णा की आँखें चमक जाती हैं और वो ये जान जाता हैं कि राधिका की गंद अभी तक कुँवारी हैं.
कृष्णा- मैं एक दम धीरे धीरे करूँगा राधिका. तुझे अगर तकलीफ़ हुई तो मैं बाहर निकाल लूँगा. बस एक बार करने दे ना वहाँ पर...............
राधिका- आप भी ना भैया. देखेंगे पहले मेरा तो कुछ इलाज़ करो. मेरे अंदर भी आग लगी हुई हैं.
कृष्णा फिर राधिका की चूत के एक दम करीब आता हैं और उसकी चूत पर अपने दोनो हाथ रखकर उसके लिप्स को फैलाने लगता हैं और बड़े गौर से अंदर देखने लगता हैं. अंदर गुलाबी कलर उसे सॉफ दिखाई देता हैं. वो अपनी एक उंगली चूत में डाल देता हैं और राधिका के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.फिर वो जॅम को अपने उंगली पर लगाता हैं और उसे राधिका की चूत पर पूरी तरह से मलने लगता हैं और नीचे उसकी गान्ड के छेद पर भी लगा देता हैं. फिर अपनी जीभ निकाल कर राधिका की चूत से लेकर गान्ड तक चाटना शुरू कर देता हैं.
राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. एयेए.ह......................भैया.................ऐसे..........ही चाटो...............आआआआआआआहह.
कृष्णा लगातार राधिका की चूत और गान्ड को चाट रहा था जिससे राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी आवाज़ और सिसकारी से सुनाई दे रही थी. करीब 10 मिनिट तक वो उसकी चूत और गान्ड को ऐसे ही चाट्ता हैं और राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो कसकर कृष्णा के सिर के बाल को पकड़कर झरने लगती हैं और उसकी आँखें बंद हो जाती है और वही बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
कृष्णा उठकर राधिका के लिप्स को चूसने लगता हैं और और राधिका भी अपनी चूत और गान्ड का मिला जुला स्वाद अपने मूह में महसूस करती हैं. आज उसे ये सब गंदा नहीं लग रहा था. और आज के जितना मज़ा तो उसे राहुल के साथ भी नहीं मिला था. कृष्णा फिर अपना एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और दूसरा उंगली राधिका की गान्ड में डालने लगता है और फिर अपना मूह राधिका की चूत पर रखकर उसके क्लिट को फिर से चाटना शुरू कर देता हैं. अब कृष्णा की दोनो उंगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी वो भी धीरे धीरे फिर से गरम होने लगती हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियाँ राधिका की चूत और गान्ड में पूरा पेल देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो दो उंगली उसकी चूत में डालता हैं और दो उंगली उसकी गान्ड में डालकर अपना जीभ उसके दोनो छेदों पर फिराने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर में वो अपना दोनो उंगली पूरा पेल देता हैं और राधिका फिर से अपने चरम पर पहुँचने लगती हैं और थोड़ी देर तक चूत और गान्ड चूसने के बाद राधिका का फिर से बाँध टूट जाता हैं और वो चिल्लाते हुए झरने लगती हैं. राधिका तो बिना चुदे हुए करीब तीन बार फारिग हो चुकी थी. वो बड़ी मुश्किल से अपनी साँसों को कंट्रोल कर रही थी.
राधिका की आँखे बंद थी और वो पूरी तरह से सन्तुस्त होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी.करीब 15 मिनिट के बाद वो उठती हैं और फिर अपने भैया के सीने पर सिर रखकर लेट जाती हैं. कृष्णा भी उसके बालों में अपना हाथ फिरा रहा था.
कृष्णा- अपनी तो प्यास बुझा ली अब मेरा क्या होगा. तुम्हें तो बिल्कुल भी मेरा ख्याल नहीं हैं.
राधिका- नहीं भैया ऐसी बात नहीं हैं. मैं आपकी प्यास भी बुझा दूँगी बस मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो.
कृष्णा- तूने तो बिस्तेर पर मुझसे जल्दी हार मान ली. अभी तो मेरा एक बार भी नहीं निकला और तू अब तक तीन बार फारिग हो चुकी हैं. तू मेरा सामना क्या करेगी.
राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं उसको ऐसा शरमाता देख कृष्णा के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं.
राधिका- नहीं भैया अब की बार मैं आपको हरा दूँगी. मैं आपकी तरह एक्सपर्ट थोड़ी ना हूँ.
कृष्णा फिर राधिका को अपने लंड की ओर इशारा करता हैं - प्लीज़ एक बार फिर से इसे अपने मूह में पूरा डालने दे ना. मैं इसे पूरा तेरे मूह में डालकर चोदना चाहता हूँ. राधिका प्लीज़ मुझे मना मत करना.
राधिका घूर कर कृष्णा को देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं और अपनी बाँहे कृष्णा के गले में डाल देती हैं- ठीक हैं मैं आपका लंड पूरा अपने मूह में लूँगी भला मैं अपने भैया को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ. आपका जैसे दिल करे आप अपनी राधिका को मसल सकती हैं.
कृष्णा फिर एक हाथ लेजा कर राधिका के निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं और उसके होंठो पर अपना होंठ रख देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो राधिका को अपनी दोनो जाँघो के बीच अपने नीचे सुलाने वाली पोज़िशन में लाता हैं और उसका सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता हैं. और अपना लंड राधिका के मूह पर रख देता है अब कृष्णा खड़े होकर राधिका को अपने लंड के नीचे लेटा देता हैं और फिर राधिका की पहले वाली स्थिति में आ जाती हैं. इस पोज़िशन में भी वो कुछ नहीं कर सकती थी. सब कुछ उसके भैया के हाथों में था उसे जैसे चाहे रगड़े.
कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और राधिका की तकलीफ़ शुरू हो जाती हैं. और वो तब तक नहीं रुकता जब तक वो अपना पूरा लंड राधिका के हलक में नहीं उतार देता. इस बार कृष्णा पूरी तरह से वेहशीपन पर उतर आया था. राधिका की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो लगातार उसी पोज़िशन में अपना लंड राधिका के हलक के नीचे पहुँचाने में लगा हुआ था. आख़िरकार राधिका की भी हिम्मत जवाब देने लगती हैं और उधेर कृष्णा का भी बाँध टूट पड़ता हैं और वो एक तेज़्ज़ झटके के साथ अपना वीर्य राधिका के हलक में डालने लगता हैं.
राधिका की तकलीफें उसके चेहरे से सॉफ बयाँ हो रही थी. और शायद अब उसे भी ऐसे सेक्स में मज़ा आने लगा था. वो भी पूरा अपने भैया का कम पीने लगती हैं मगर आधा से ज़्यादा कम उसके मूह के किनारे से बहता हुआ ज़मीन पर गिरने लगता हैं और कृष्णा तुरंत उसको रिलीस करता हैं. राधिका की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और लगभग हाम्फते हुए वो वही ज़मीन पर बैठ जाती हैं.
करीब 1/3 ही वो अपने भैया का कम पी पाती हैं और आधा से ज़्यादा नीचे फर्श पर गिरा रहता हैं.
कृष्णा-राधिका क्या कमाल का तू लंड चुसती हैं. सच में मज़ा आ गया. तूने आज मेरे लिए वो किया हैं जो आज तक किसी ने नहीं किया.
राधिका- भैया मैने पूरी कोशिश की थी कि मैं आपका कम पूरा पी जाऊ मगर मैं नाकाम हो गयी. अभी मैं नयी हूँ ना मुझे थोड़ा टाइम दो मैं आपके लिए सब कुछ धीरे धीरे सीख जाउन्गि.
राधिका का ऐसा जवाब सुनकर कृष्णा झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.
कृष्णा- तू मुझसे इतना प्यार करती हैं और मैने कभी तेरी कद्र नही की. सच में राधिका में तेरे लायक नहीं हूँ. मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूँ.
राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.
कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.
राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.
कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.
जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..
कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.
राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.
कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.
राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.
कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.
करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.
राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.
राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.
कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.
राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.
राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.
राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.
कृष्णा झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसका लब चूम लेता हैं.
कृष्णा- तू सच में बहुत बिंदास है राधिका मैने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में राहुल बहुत किस्मत वाला हैं.
राधिका- और आप नहीं हो क्या . राधिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
कृष्णा- सच में तेरी जैसे बहन पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया. और इतना कहकर वो राधिका की गान्ड को कसकर अपने दोनो हाथों से भीच लेता हैं.
कृष्णा- राधिका मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना. फिर मैं तेरी चूत मारूँगा.
राधिका फिर कृष्णा के लंड को मूह में लेकर चूसने लगती हैं और कुछ देर तक ऐसे ही चुस्ती रहती हैं. कृष्णा उसको अपने टिट्स को चाटने का इशारा करता हैं. राधिका फिर नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स को बारी बारी चुस्ती है और काफ़ी देर तक अपने होंठो पर फिराती हैं.कृष्णा का लंड पूरा तन गया था. वो भी राधिका को अपने नीचे लेटाता हैं और झट से अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखकर हल्का हल्का धक्का लगाना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बन्द किए हुए बस लेटी थी और आने वाले सुख का मज़ा लेने के लिए बेताब थी.
कृष्णा फिर एक हल्का सा धक्का देता हैं और उसका लंड का सुपाडा राधिका की चूत में समा जाता हैं. राधिका के मूह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ती हैं. धीरे धीरे कृष्णा अपने लंड पर दबाव बनाते जाता हैं और राधिका की चूत में दर्द शुरू हो जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और एक झटके से पूरा अंदर पेल देता हैं. इस बार लंड सरसराता हुआ राधिका की चूत में पूरा समा जाता हैं. राधिका के मूह से तेज़्ज़ चीख निकल जाती है और उसकी चूत से कुछ खून भी बाहर निकलने लगता हैं. शायद राधिका की चूत कृष्णा के बड़े लंड को पहली बार अड्जस्ट कर रही थी. राधिका की आँखों में फिर से आँसू आ जाते हैं और वो दर्द से चिल्ला पड़ती हैं.
राधिका-अया...............अया...... प्लीज़ भैया रुक जाओ. मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. पता नहीं क्यों पर ऐसा लग रहा हैं जैसे आज मैं पहली बार मैं चुदवा रही हूँ.
कृष्णा- शायद राहुल का मेरे जितने बड़ा नहीं होगा इस वजह से तुझे दर्द हो रहा है. और फिर वो राधिका के बूब्स को अपने मूह में लेकर चूसने लगता हैं और राधिका को कुछ देर में थोड़ी राहत महसूस होती हैं. कृष्णा फिर धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह पर मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.
जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं कृष्णा वैसे वैसे अपनी रफ़्तार बढ़ाता हैं और राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. कृष्णा बिना रुके लगभग 35 मिनिट तक लगातार राधिका की चूत मारता हैं इस बीच राधिका 2 बार झाड़ चुकी थी मगर उसके भैया ना जाने किश मिट्टी के बने थे . वजह ये थी जब कृष्णा झरने के करीब होता वो झट से अपना लंड राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता और अपने हाथों से राधिका के चूत का पानी को सॉफ करता. इस बीच वो अपनी दो उंगली राधिका के गान्ड में भी डाल चुका था और लंड से उसकी चूत मार रहा था. राधिका सच में कृष्णा के आगे अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. उसे ऐसे लग रहा था कि वो जल्दी ही उसकी हिम्मत जवाब दे देगी.
आख़िर अब वक़्त आ गया जब कृष्णा ने एक तेज़ हुंकार के साथ अपना कम राधिका की चूत में डिसचार्ज कर दिया. और वो राधिका के उपर ही पसर जाता हैं. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं. आज वो करीब 6 बार झर चुकी थी. इतना तो वो कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं फारिग हुई थी. दोनो की साँसें पूरी तरह से कंट्रोल के बाहर थी और कमरे में बस दोनो की हाफ़ने की आवाज़ें आ रही थी.
करीब 15 मिनिट के बाद कृष्णा का लंड फिर से तैयार हो जाता हैं और वो किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता हैं. राधिका जब कृष्णा के हाथ में तेल की सीसी देखती हैं तो उसकी हालत बिगड़ जाती हैं. उसने तो बोल दिया था कि वो अपने भैया से अपनी गान्ड मर्वायेगि मगर इतना मोटा और लंबा लंड को वो अपनी गान्ड में कैसे बर्दास्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था. कृष्णा फिर तेल की शीशी खोलता हैं और थोड़ा सा तेल लेकर राधिका की गान्ड के छेद पर गिरा देता हैं और अपनी दोनो उंगली में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे पेलना शुरू कर देता हैं. कुछ देर के बाद वो अपनी दोनो उंगली को राधिका की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.
राधिका को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. कृष्णा फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं. राधिका के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने भैया को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही कृष्णा का सूपड़ा अंदर जाता हैं राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने भैया के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं और फिर कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता. राधिका की हालत बहुत खराब थी. वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही अपना लंड को राधिका के गान्ड में रहने देता हैं.
फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है. राधिका के मूह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता हैं और कृष्णा तब तक नहीं रुकता जब तक वो राधिका की गान्ड में अपना कम नहीं निकाल लेता. करीब 30 मिनिट के ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार राधिका का बदन भी जवाब दे देता हैं और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झरने लगती हैं और वही दोनो भाई बेहन वही बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं. और राधिका अपने भैया को अपने सीने से चिपका लेती हैं. कृष्णा भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर सो जाता हैं मगर आज राधिका की आँखों में नींद कोसो दूर था.
बस उसकी आँखों से आँसू निकल जाते हैं और वो ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही रोती रहती हैं.वजह थी कि वो आज अपने प्यार को भूलने की नाकाम कोशिश कर रही थी. जितना वो राहुल को भूलना चाहती थी उतना ही वो उसे याद आता था. और आज राधिका ने अपने भैया की ख़ुसी के लिए भाई बेहन जैसे पवित्र रिश्ते को भी कलंकित कर दिया था और वो जानती थी कि आज उसने अपनी ज़िंदगी में सबसे बड़ा गुनाह किया था जिसका प्रायश्चित उसे बहुत महँगा पड़ने वाला था...
ऐसे ही सोचते सोचते ना जाने कब राधिका की आँख लग जाती हैं. मगर राधिका ने ये ज़रूर तय कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो दुबारा से अपने भैया के साथ जिस्मानी संबंध नही बनाएगी. ये सब पाप हैं और वो अब और नीचे नहीं गिर सकती. सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा को बिस्तेर पर ना पाकर उसके दिल में बेचैनी सी बढ़ जाती हैं. वो इस वक़्त भी पूरे नंगे हालत में थी. झट से वो उठती हैं और अलमारी में रखा ट्राउज़र और टी-शर्ट निकाल कर पहन लेती हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो बिस्तेर पर खून देखकर वो थोड़ी सहम जाती हैं.
ये खून कल रात उसकी चूत और गान्ड की चुदाई के दौरान निकाला था. वो झट से चादर हटा ती हैं और सीधा बाथरूम में जाकर उसे धोने के लिए डाल देती हैं. उसकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी शायद गान्ड के दर्द से. फिर थोड़ी देर में वो फ्रेश होकर अपने कमरे में आती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी हाथ में एक ट्रे और कुछ स्नॅक्स ले आता हैं...
कृष्णा- गुड मॉर्निंग राधिका. कैसी हैं तू.
राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. ठीक हूँ पर थोड़ा दर्द हो रहा हैं. और आप सुबेह सुबेह ये सब क्या कर रहे हैं और नाश्ता किसके लिए??
कृष्णा- सोचा जब तक तू सो रही हैं आज मैं अपनी बेहन को अपने हाथों का नाश्ता बनाकर करा देता हूँ.
राधिका- आपने ये क्यों तकलीफ़ की. मैं बना देती.
फिर कृष्णा अपने हाथों से राधिका को स्नॅक्स खिलाता हैं और वो बड़े गौर से राधिका के चेहरे को देखने लगता हैं.
राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो भैया. पहले मुझे कभी नहीं देखा क्या.
कृष्णा- आज तेरे चेहरे पर एक अलग सा निखार आ गया हैं जिससे तेरी खूबसूरती और बढ़ गयी हैं. सच में चुदाई के बाद औरत का रूप रंग और निखर जाता हैं.
कृष्णा की बातों से राधिका शर्मा जाती हैं और कुछ सोचकर कृष्णा को बोलती हैं.
राधिका- भैया अब मैं आपके साथ जिस्मानी संबंध नही बना सकती. मेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती. ये सब ग़लत हैं भैया. कल जो मैने किया वो सब आपकी खुशी के लिए किया. अब मुझसे ये पाप नही होगा. राधिका के बोलते बोलते उसकी आवाज़ में कुछ भारी पन आ जाता हैं.
कृष्णा- इतना सब कुछ होने के बाद अब हमारे बीच कुछ बचा हैं क्या राधिका. अब तो तू जब चाहे मेरे साथ सेक्स कर सकती हैं. अब तो तेरे मेरे बीच में अब कोई परदा भी नही हैं. ऐसा मत बोल मेरा दिल टूट जाएगा.
राधिका- नहीं भैया ये ग़लत हैं. मुझे आप माफ़ कर दीजिए मैं अब ये सब नहीं कर सकती. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं. कृष्णा भी उसके पीछे पीछे किचन में आ जाता हैं.
कृष्णा अच्छे से जानता था कि राधिका इस वक़्त प्रायश्चित की आग में जल रही हैं.और उससे ये सब बारे में बात करने से कोई फ़ायदा नहीं हैं. वो भी राधिका के पीछे सॅट कर खड़ा हो जाता हैं और अपना जीभ राधिका की गर्देन पर रख देता हैं. फिर उसी अंदाज़ में वो एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका एक दम से सहर जाती हैं पर कोई विरोध नही करती. कृष्णा फिर पीछे से अपना दोनो हाथ राधिका के दोनो बूब्स पर रखकर उसे कस कर मसल्ने लगता हैं. राधिका की साँसें एक दम तेज़ हो जाती हैं.
राधिका कुछ विरोध करती उसके पहले ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसने लगता हैं. राधिका बस एक बुत की तरह कृष्णा की हरकतों को चुप चाप देखते रहती हैं. धीरे धीरे कृष्णा भी उसके निपल्स को अपनी उंगल से मसलना शुरू कर देता हैं और राधिका सब कुछ भूल कर अपने आप को कृष्णा के हवाले कर देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसके ट्राउज़र्स का नाडा खोल देता हैं. ट्राउज़र झट से नीचे उसके पैरों में गिर पड़ता हैं. अब राधिका कमर से नीचे पूरी नंगी थी. वो पैंटी नहीं पहनी हुई थी.
कृष्णा अपनी दोनो मोटी उंगली राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और उसे धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में डालकर उसे उंगली से चोदना शुरू कर देता हैं. राधिका भी जवाब में अपनी दोनो टाँगें फैला देती हैं जिससे कृष्णा को उंगली अंदर बाहर करने में आसानी हो जाती हैं. राधिका की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.कृष्णा उसी रफ़्तार से अपनी उंगली चलाता हैं और दूसरे हाथों से उसके निपल्स को मसलता हैं और अपने होंठ भी राधिका के होंठो पर रखकर फिर से चूसने लगता हैं.
आख़िरकार राधिका का भी सब्र टूट जाता हैं और वो तेज़्ज़ सिसकारी के साथ झरने लगती हैं. जिससे कृष्णा की उंगली पूरी तरह से भीग जाती हैं. मगर कृष्णा अब भी नहीं रुकता और उसी रफ़्तार से अपनी उंगली का कमाल दिखाता हैं.
राधिका- बस...............करो.......ना .........भैया...........क्यों................मुझे......पागल ............करने .......पर ....तुले ...हो.
कृष्णा भी झट से अपनी उंगली निकाल देता हैं और राधिका कृष्णा की ओर मूड कर तुरंत कृष्णा के सीने से लिपट जाती हैं.राधिका की साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी. वो अपने साँसों को संभालने की कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर के बाद कृष्णा बाथरूम में चला जाता हैं और राधिका अपना ट्राउज़र उपर करके पहन लेती हैं.
जो बात अभी कुछ देर पहले वो दावे से कह रही थी शायद कृष्णा ने उसका जवाब दे दिया था. राधिका का मज़बूत इरादा भी अब अपने जिस्म की आग के सामने बिल्कुल फीका पड़ने लगा था. वो इसी ख्यालों में थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. कृष्णा जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका बाप बिरजू था.
कृष्णा भी चुप चाप नाश्ता करता हैं और झट से काम पर निकल जाता हैं और राधिका भी अपने बाप से नज़रें नहीं मिला पाती हैं. शायद कल की वजह से उसको ऐसा लग रहा था कि वो अपने बाप की नज़रों में भी गिर गयी हैं. वो भी चुप चाप जाकर अपनी किताबें लेकर पढ़ने बैठ जाती हैं. करीब 11 बजे बिरजू भी खाना खा कर घर से बाहर निकल जाता हैं.
बिरजू के जाते ही राधिका को थोड़ा राहत महसूस होती हैं. पता नहीं क्यों पर उसे आज सब कुछ ऐसा लग रहा था कि वो गुनेहगार हैं इस वजह से वो अपने आप को इन सब चीज़ों में दोषिन मान रही थी. हो ना हो राधिका के जीवन में अभी तूफान कहाँ थमा था. अभी तो कुछ ऐसा होने वाला था जो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदलने वाली थी और उससे जुड़े ना जाने कितनो की और ज़िंदगियाँ पर भी इसका असर होने वाला था. बस इंतेज़ार था उस समय का...
कृष्णा भी राधिका के मूह के पास अपना लंड रख देता हैं और फिर राधिका की ओर देखने लगता हैं. राधिका भी अपनी आँखों से उसे अंदर डालने का इशारा करती हैं. कृष्णा राधिका के सिर को पकड़कर धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर डालने लगता हैं और राधिका भी अपना मूह पूरा खोल देती हैं. धीरे धीरे उसका लंड राधिका के मूह के अंदर जाने लगता हैं. कृष्णा करीब 5 इंच तक राधिका के मूह में लंड पेल देता हैं और फिर उसके मूह में अपना लंड आगे पीछे करके चोदने लगता हैं.
राधिका की गरम साँसें उसको पल पल पागल कर रही थी. वो धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाने लगता हैं और साथ साथ अपना लंड भी अंदर पेलने लगता हैं. राधिका की हालत धीरे धीरे खराब होनी शुरू हो जाती हैं. वैसे ये राधिका का फर्स्ट एक्सपीरियेन्स था. वो राहुल का लंड कई बार चूसी थी पर कभी अपने मूह में पूरा नही ली थी. इसलिए तकलीफ़ होना लाजमी था. करीब कृष्णा 7 इंच तक राधिका के मूह में लंड डाल देता हैं और राधिका की साँसें उखाड़ने लगती हैं.
कृष्णा एक टक राधिका को देखता हैं और फिर अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर एक झटके में पूरा अंदर पेल देता हैं. लंड करीब 8 इंच से भी ज़्यादा राधिका के मूह में चला जाता हैं. राधिका को तो ऐसा लगता हैं कि अभी उसका गला फट जाएगा. उसकी आँखों से भी आँसू निकल पड़ते हैं और आँखें भी बाहर की ओर आ जाती हैं.तकलीफ़ तो उसे बहुत हो रही थी मगर वो अपने भैया के लिए सारी तकलीफो को घुट घुट कर पी रही थी. राधिका को कुछ राहत मिलती हैं मगर कृष्णा कहाँ रुकने वाला था वो फिर एक झटके से अपना लंड बाहर निकालकर फिर से उतनी ही स्पीड से वो राधिका के मूह में पूरा पेल देता हैं.
इस बार कृष्णा अपना पूरा लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में सफल हो गया था. राधिका के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. उसे तो ऐसा लग रहा था कि उसका दम घुट जाएगा और वो वही मर जाएगी. कृष्णा ऐसे ही करीब 10 सेकेंड्स तक राधिका के हलक में अपना लंड फँसाए रखता हैं. राधिका के मूह से गो................गू............. की लगातार दर्द भरी आवाज़ें निकल रही थी. जब उसकी बर्दास्त की सीमा बाहर हो गयी तो अपना दोनो हाथों से कृष्णा के पैरों पर मारने लगती हैं कृष्णा को भी तुरंत आभास होता हैं और वो एक झटके से अपना पूरा लंड राधिका के हलक से बाहर निकाल देता हैं. राधिका वही ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं वो वही धम्म से बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
कृष्णा के लंड से एक थूक की लकीर राधिका के मूह तक जुड़ी हुई थी. ऐसा लग रहा था कि उसके लंड से कोई धागा राधिका के मूह तक बाँध दिया हो. वो घूर कर एक नज़र कृष्णा को देखती हैं.
राधिका- ये क्या भैया भला कोई ऐसे भी सेक्स करता हैं क्या. आज तो लग रहा था कि आप मुझे मार ही डालोगे. मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही थी आपको क्या मालूम. देखो ना अभी तक मेरा मूह भी दर्द कर रहा हैं.
कृष्णा- तू जानती नहीं हैं राधिका मेरा एक सपना था कि मैं किसी भी लड़की के मूह में अपना पूरा लंड पेलने का. मगर आज तूने मेरा सपना पूरा कर दिया. ना जाने मैं कितनी रंडियों के साथ सोया हूँ मगर उनमें से किसी ने भी मेरे लंड अपने मूह में नहीं लिया. आख़िर अपना अपना ही होता हैं.
राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए- तो आपके और क्या क्या ख्वाब हैं. ज़रा मैं भी तो जानू. सोचूँगी अगर पूरा करने लायक होगा तो ज़रूर पूरा करूँगी.
कृष्णा- मेरा तो सबसे ज़्यादा मन तेरी गंद मारने को करता हैं. अगर तू मुझे इसकी इज़्ज़ज़त दे तो.................
राधिका- नहीं भैया मैं वहाँ पर नहीं दूँगी. सुना हैं बहुत ताकीफ़ होती हैं. मुझसे सहन नही होगा. और आज तक मैने कभी भी वहाँ पर नहीं दिया हैं. राधिका की बातें सुनकर कृष्णा की आँखें चमक जाती हैं और वो ये जान जाता हैं कि राधिका की गंद अभी तक कुँवारी हैं.
कृष्णा- मैं एक दम धीरे धीरे करूँगा राधिका. तुझे अगर तकलीफ़ हुई तो मैं बाहर निकाल लूँगा. बस एक बार करने दे ना वहाँ पर...............
राधिका- आप भी ना भैया. देखेंगे पहले मेरा तो कुछ इलाज़ करो. मेरे अंदर भी आग लगी हुई हैं.
कृष्णा फिर राधिका की चूत के एक दम करीब आता हैं और उसकी चूत पर अपने दोनो हाथ रखकर उसके लिप्स को फैलाने लगता हैं और बड़े गौर से अंदर देखने लगता हैं. अंदर गुलाबी कलर उसे सॉफ दिखाई देता हैं. वो अपनी एक उंगली चूत में डाल देता हैं और राधिका के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.फिर वो जॅम को अपने उंगली पर लगाता हैं और उसे राधिका की चूत पर पूरी तरह से मलने लगता हैं और नीचे उसकी गान्ड के छेद पर भी लगा देता हैं. फिर अपनी जीभ निकाल कर राधिका की चूत से लेकर गान्ड तक चाटना शुरू कर देता हैं.
राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. एयेए.ह......................भैया.................ऐसे..........ही चाटो...............आआआआआआआहह.
कृष्णा लगातार राधिका की चूत और गान्ड को चाट रहा था जिससे राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी आवाज़ और सिसकारी से सुनाई दे रही थी. करीब 10 मिनिट तक वो उसकी चूत और गान्ड को ऐसे ही चाट्ता हैं और राधिका के सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो कसकर कृष्णा के सिर के बाल को पकड़कर झरने लगती हैं और उसकी आँखें बंद हो जाती है और वही बिस्तेर पर पसर जाती हैं.
कृष्णा उठकर राधिका के लिप्स को चूसने लगता हैं और और राधिका भी अपनी चूत और गान्ड का मिला जुला स्वाद अपने मूह में महसूस करती हैं. आज उसे ये सब गंदा नहीं लग रहा था. और आज के जितना मज़ा तो उसे राहुल के साथ भी नहीं मिला था. कृष्णा फिर अपना एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और दूसरा उंगली राधिका की गान्ड में डालने लगता है और फिर अपना मूह राधिका की चूत पर रखकर उसके क्लिट को फिर से चाटना शुरू कर देता हैं. अब कृष्णा की दोनो उंगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी वो भी धीरे धीरे फिर से गरम होने लगती हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियाँ राधिका की चूत और गान्ड में पूरा पेल देता हैं.
थोड़ी देर के बाद वो दो उंगली उसकी चूत में डालता हैं और दो उंगली उसकी गान्ड में डालकर अपना जीभ उसके दोनो छेदों पर फिराने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर में वो अपना दोनो उंगली पूरा पेल देता हैं और राधिका फिर से अपने चरम पर पहुँचने लगती हैं और थोड़ी देर तक चूत और गान्ड चूसने के बाद राधिका का फिर से बाँध टूट जाता हैं और वो चिल्लाते हुए झरने लगती हैं. राधिका तो बिना चुदे हुए करीब तीन बार फारिग हो चुकी थी. वो बड़ी मुश्किल से अपनी साँसों को कंट्रोल कर रही थी.
राधिका की आँखे बंद थी और वो पूरी तरह से सन्तुस्त होकर बिस्तेर पर पड़ी हुई थी.करीब 15 मिनिट के बाद वो उठती हैं और फिर अपने भैया के सीने पर सिर रखकर लेट जाती हैं. कृष्णा भी उसके बालों में अपना हाथ फिरा रहा था.
कृष्णा- अपनी तो प्यास बुझा ली अब मेरा क्या होगा. तुम्हें तो बिल्कुल भी मेरा ख्याल नहीं हैं.
राधिका- नहीं भैया ऐसी बात नहीं हैं. मैं आपकी प्यास भी बुझा दूँगी बस मुझे थोड़ा सा आराम कर लेने दो.
कृष्णा- तूने तो बिस्तेर पर मुझसे जल्दी हार मान ली. अभी तो मेरा एक बार भी नहीं निकला और तू अब तक तीन बार फारिग हो चुकी हैं. तू मेरा सामना क्या करेगी.
राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं उसको ऐसा शरमाता देख कृष्णा के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती हैं.
राधिका- नहीं भैया अब की बार मैं आपको हरा दूँगी. मैं आपकी तरह एक्सपर्ट थोड़ी ना हूँ.
कृष्णा फिर राधिका को अपने लंड की ओर इशारा करता हैं - प्लीज़ एक बार फिर से इसे अपने मूह में पूरा डालने दे ना. मैं इसे पूरा तेरे मूह में डालकर चोदना चाहता हूँ. राधिका प्लीज़ मुझे मना मत करना.
राधिका घूर कर कृष्णा को देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं और अपनी बाँहे कृष्णा के गले में डाल देती हैं- ठीक हैं मैं आपका लंड पूरा अपने मूह में लूँगी भला मैं अपने भैया को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ. आपका जैसे दिल करे आप अपनी राधिका को मसल सकती हैं.
कृष्णा फिर एक हाथ लेजा कर राधिका के निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं और उसके होंठो पर अपना होंठ रख देता हैं. थोड़ी देर के बाद वो राधिका को अपनी दोनो जाँघो के बीच अपने नीचे सुलाने वाली पोज़िशन में लाता हैं और उसका सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता हैं. और अपना लंड राधिका के मूह पर रख देता है अब कृष्णा खड़े होकर राधिका को अपने लंड के नीचे लेटा देता हैं और फिर राधिका की पहले वाली स्थिति में आ जाती हैं. इस पोज़िशन में भी वो कुछ नहीं कर सकती थी. सब कुछ उसके भैया के हाथों में था उसे जैसे चाहे रगड़े.
कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और राधिका की तकलीफ़ शुरू हो जाती हैं. और वो तब तक नहीं रुकता जब तक वो अपना पूरा लंड राधिका के हलक में नहीं उतार देता. इस बार कृष्णा पूरी तरह से वेहशीपन पर उतर आया था. राधिका की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो लगातार उसी पोज़िशन में अपना लंड राधिका के हलक के नीचे पहुँचाने में लगा हुआ था. आख़िरकार राधिका की भी हिम्मत जवाब देने लगती हैं और उधेर कृष्णा का भी बाँध टूट पड़ता हैं और वो एक तेज़्ज़ झटके के साथ अपना वीर्य राधिका के हलक में डालने लगता हैं.
राधिका की तकलीफें उसके चेहरे से सॉफ बयाँ हो रही थी. और शायद अब उसे भी ऐसे सेक्स में मज़ा आने लगा था. वो भी पूरा अपने भैया का कम पीने लगती हैं मगर आधा से ज़्यादा कम उसके मूह के किनारे से बहता हुआ ज़मीन पर गिरने लगता हैं और कृष्णा तुरंत उसको रिलीस करता हैं. राधिका की साँसें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और लगभग हाम्फते हुए वो वही ज़मीन पर बैठ जाती हैं.
करीब 1/3 ही वो अपने भैया का कम पी पाती हैं और आधा से ज़्यादा नीचे फर्श पर गिरा रहता हैं.
कृष्णा-राधिका क्या कमाल का तू लंड चुसती हैं. सच में मज़ा आ गया. तूने आज मेरे लिए वो किया हैं जो आज तक किसी ने नहीं किया.
राधिका- भैया मैने पूरी कोशिश की थी कि मैं आपका कम पूरा पी जाऊ मगर मैं नाकाम हो गयी. अभी मैं नयी हूँ ना मुझे थोड़ा टाइम दो मैं आपके लिए सब कुछ धीरे धीरे सीख जाउन्गि.
राधिका का ऐसा जवाब सुनकर कृष्णा झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.
कृष्णा- तू मुझसे इतना प्यार करती हैं और मैने कभी तेरी कद्र नही की. सच में राधिका में तेरे लायक नहीं हूँ. मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूँ.
राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.
कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.
राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.
कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.
जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..
कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.
राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.
कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.
राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.
कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.
करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.
राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.
राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.
कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.
राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.
राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.
राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.
कृष्णा झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसका लब चूम लेता हैं.
कृष्णा- तू सच में बहुत बिंदास है राधिका मैने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में राहुल बहुत किस्मत वाला हैं.
राधिका- और आप नहीं हो क्या . राधिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
कृष्णा- सच में तेरी जैसे बहन पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया. और इतना कहकर वो राधिका की गान्ड को कसकर अपने दोनो हाथों से भीच लेता हैं.
कृष्णा- राधिका मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना. फिर मैं तेरी चूत मारूँगा.
राधिका फिर कृष्णा के लंड को मूह में लेकर चूसने लगती हैं और कुछ देर तक ऐसे ही चुस्ती रहती हैं. कृष्णा उसको अपने टिट्स को चाटने का इशारा करता हैं. राधिका फिर नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स को बारी बारी चुस्ती है और काफ़ी देर तक अपने होंठो पर फिराती हैं.कृष्णा का लंड पूरा तन गया था. वो भी राधिका को अपने नीचे लेटाता हैं और झट से अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखकर हल्का हल्का धक्का लगाना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बन्द किए हुए बस लेटी थी और आने वाले सुख का मज़ा लेने के लिए बेताब थी.
कृष्णा फिर एक हल्का सा धक्का देता हैं और उसका लंड का सुपाडा राधिका की चूत में समा जाता हैं. राधिका के मूह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ती हैं. धीरे धीरे कृष्णा अपने लंड पर दबाव बनाते जाता हैं और राधिका की चूत में दर्द शुरू हो जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और एक झटके से पूरा अंदर पेल देता हैं. इस बार लंड सरसराता हुआ राधिका की चूत में पूरा समा जाता हैं. राधिका के मूह से तेज़्ज़ चीख निकल जाती है और उसकी चूत से कुछ खून भी बाहर निकलने लगता हैं. शायद राधिका की चूत कृष्णा के बड़े लंड को पहली बार अड्जस्ट कर रही थी. राधिका की आँखों में फिर से आँसू आ जाते हैं और वो दर्द से चिल्ला पड़ती हैं.
राधिका-अया...............अया...... प्लीज़ भैया रुक जाओ. मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. पता नहीं क्यों पर ऐसा लग रहा हैं जैसे आज मैं पहली बार मैं चुदवा रही हूँ.
कृष्णा- शायद राहुल का मेरे जितने बड़ा नहीं होगा इस वजह से तुझे दर्द हो रहा है. और फिर वो राधिका के बूब्स को अपने मूह में लेकर चूसने लगता हैं और राधिका को कुछ देर में थोड़ी राहत महसूस होती हैं. कृष्णा फिर धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह पर मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.
जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं कृष्णा वैसे वैसे अपनी रफ़्तार बढ़ाता हैं और राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. कृष्णा बिना रुके लगभग 35 मिनिट तक लगातार राधिका की चूत मारता हैं इस बीच राधिका 2 बार झाड़ चुकी थी मगर उसके भैया ना जाने किश मिट्टी के बने थे . वजह ये थी जब कृष्णा झरने के करीब होता वो झट से अपना लंड राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता और अपने हाथों से राधिका के चूत का पानी को सॉफ करता. इस बीच वो अपनी दो उंगली राधिका के गान्ड में भी डाल चुका था और लंड से उसकी चूत मार रहा था. राधिका सच में कृष्णा के आगे अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. उसे ऐसे लग रहा था कि वो जल्दी ही उसकी हिम्मत जवाब दे देगी.
आख़िर अब वक़्त आ गया जब कृष्णा ने एक तेज़ हुंकार के साथ अपना कम राधिका की चूत में डिसचार्ज कर दिया. और वो राधिका के उपर ही पसर जाता हैं. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं. आज वो करीब 6 बार झर चुकी थी. इतना तो वो कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं फारिग हुई थी. दोनो की साँसें पूरी तरह से कंट्रोल के बाहर थी और कमरे में बस दोनो की हाफ़ने की आवाज़ें आ रही थी.
करीब 15 मिनिट के बाद कृष्णा का लंड फिर से तैयार हो जाता हैं और वो किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता हैं. राधिका जब कृष्णा के हाथ में तेल की सीसी देखती हैं तो उसकी हालत बिगड़ जाती हैं. उसने तो बोल दिया था कि वो अपने भैया से अपनी गान्ड मर्वायेगि मगर इतना मोटा और लंबा लंड को वो अपनी गान्ड में कैसे बर्दास्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था. कृष्णा फिर तेल की शीशी खोलता हैं और थोड़ा सा तेल लेकर राधिका की गान्ड के छेद पर गिरा देता हैं और अपनी दोनो उंगली में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे पेलना शुरू कर देता हैं. कुछ देर के बाद वो अपनी दोनो उंगली को राधिका की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.
राधिका को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. कृष्णा फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं. राधिका के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने भैया को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही कृष्णा का सूपड़ा अंदर जाता हैं राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने भैया के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं और फिर कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता. राधिका की हालत बहुत खराब थी. वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही अपना लंड को राधिका के गान्ड में रहने देता हैं.
फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है. राधिका के मूह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता हैं और कृष्णा तब तक नहीं रुकता जब तक वो राधिका की गान्ड में अपना कम नहीं निकाल लेता. करीब 30 मिनिट के ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार राधिका का बदन भी जवाब दे देता हैं और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झरने लगती हैं और वही दोनो भाई बेहन वही बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं. और राधिका अपने भैया को अपने सीने से चिपका लेती हैं. कृष्णा भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर सो जाता हैं मगर आज राधिका की आँखों में नींद कोसो दूर था.
बस उसकी आँखों से आँसू निकल जाते हैं और वो ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही रोती रहती हैं.वजह थी कि वो आज अपने प्यार को भूलने की नाकाम कोशिश कर रही थी. जितना वो राहुल को भूलना चाहती थी उतना ही वो उसे याद आता था. और आज राधिका ने अपने भैया की ख़ुसी के लिए भाई बेहन जैसे पवित्र रिश्ते को भी कलंकित कर दिया था और वो जानती थी कि आज उसने अपनी ज़िंदगी में सबसे बड़ा गुनाह किया था जिसका प्रायश्चित उसे बहुत महँगा पड़ने वाला था...
ऐसे ही सोचते सोचते ना जाने कब राधिका की आँख लग जाती हैं. मगर राधिका ने ये ज़रूर तय कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो दुबारा से अपने भैया के साथ जिस्मानी संबंध नही बनाएगी. ये सब पाप हैं और वो अब और नीचे नहीं गिर सकती. सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा को बिस्तेर पर ना पाकर उसके दिल में बेचैनी सी बढ़ जाती हैं. वो इस वक़्त भी पूरे नंगे हालत में थी. झट से वो उठती हैं और अलमारी में रखा ट्राउज़र और टी-शर्ट निकाल कर पहन लेती हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो बिस्तेर पर खून देखकर वो थोड़ी सहम जाती हैं.
ये खून कल रात उसकी चूत और गान्ड की चुदाई के दौरान निकाला था. वो झट से चादर हटा ती हैं और सीधा बाथरूम में जाकर उसे धोने के लिए डाल देती हैं. उसकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी शायद गान्ड के दर्द से. फिर थोड़ी देर में वो फ्रेश होकर अपने कमरे में आती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी हाथ में एक ट्रे और कुछ स्नॅक्स ले आता हैं...
कृष्णा- गुड मॉर्निंग राधिका. कैसी हैं तू.
राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. ठीक हूँ पर थोड़ा दर्द हो रहा हैं. और आप सुबेह सुबेह ये सब क्या कर रहे हैं और नाश्ता किसके लिए??
कृष्णा- सोचा जब तक तू सो रही हैं आज मैं अपनी बेहन को अपने हाथों का नाश्ता बनाकर करा देता हूँ.
राधिका- आपने ये क्यों तकलीफ़ की. मैं बना देती.
फिर कृष्णा अपने हाथों से राधिका को स्नॅक्स खिलाता हैं और वो बड़े गौर से राधिका के चेहरे को देखने लगता हैं.
राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो भैया. पहले मुझे कभी नहीं देखा क्या.
कृष्णा- आज तेरे चेहरे पर एक अलग सा निखार आ गया हैं जिससे तेरी खूबसूरती और बढ़ गयी हैं. सच में चुदाई के बाद औरत का रूप रंग और निखर जाता हैं.
कृष्णा की बातों से राधिका शर्मा जाती हैं और कुछ सोचकर कृष्णा को बोलती हैं.
राधिका- भैया अब मैं आपके साथ जिस्मानी संबंध नही बना सकती. मेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती. ये सब ग़लत हैं भैया. कल जो मैने किया वो सब आपकी खुशी के लिए किया. अब मुझसे ये पाप नही होगा. राधिका के बोलते बोलते उसकी आवाज़ में कुछ भारी पन आ जाता हैं.
कृष्णा- इतना सब कुछ होने के बाद अब हमारे बीच कुछ बचा हैं क्या राधिका. अब तो तू जब चाहे मेरे साथ सेक्स कर सकती हैं. अब तो तेरे मेरे बीच में अब कोई परदा भी नही हैं. ऐसा मत बोल मेरा दिल टूट जाएगा.
राधिका- नहीं भैया ये ग़लत हैं. मुझे आप माफ़ कर दीजिए मैं अब ये सब नहीं कर सकती. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं. कृष्णा भी उसके पीछे पीछे किचन में आ जाता हैं.
कृष्णा अच्छे से जानता था कि राधिका इस वक़्त प्रायश्चित की आग में जल रही हैं.और उससे ये सब बारे में बात करने से कोई फ़ायदा नहीं हैं. वो भी राधिका के पीछे सॅट कर खड़ा हो जाता हैं और अपना जीभ राधिका की गर्देन पर रख देता हैं. फिर उसी अंदाज़ में वो एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका एक दम से सहर जाती हैं पर कोई विरोध नही करती. कृष्णा फिर पीछे से अपना दोनो हाथ राधिका के दोनो बूब्स पर रखकर उसे कस कर मसल्ने लगता हैं. राधिका की साँसें एक दम तेज़ हो जाती हैं.
राधिका कुछ विरोध करती उसके पहले ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसने लगता हैं. राधिका बस एक बुत की तरह कृष्णा की हरकतों को चुप चाप देखते रहती हैं. धीरे धीरे कृष्णा भी उसके निपल्स को अपनी उंगल से मसलना शुरू कर देता हैं और राधिका सब कुछ भूल कर अपने आप को कृष्णा के हवाले कर देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसके ट्राउज़र्स का नाडा खोल देता हैं. ट्राउज़र झट से नीचे उसके पैरों में गिर पड़ता हैं. अब राधिका कमर से नीचे पूरी नंगी थी. वो पैंटी नहीं पहनी हुई थी.
कृष्णा अपनी दोनो मोटी उंगली राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और उसे धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में डालकर उसे उंगली से चोदना शुरू कर देता हैं. राधिका भी जवाब में अपनी दोनो टाँगें फैला देती हैं जिससे कृष्णा को उंगली अंदर बाहर करने में आसानी हो जाती हैं. राधिका की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.कृष्णा उसी रफ़्तार से अपनी उंगली चलाता हैं और दूसरे हाथों से उसके निपल्स को मसलता हैं और अपने होंठ भी राधिका के होंठो पर रखकर फिर से चूसने लगता हैं.
आख़िरकार राधिका का भी सब्र टूट जाता हैं और वो तेज़्ज़ सिसकारी के साथ झरने लगती हैं. जिससे कृष्णा की उंगली पूरी तरह से भीग जाती हैं. मगर कृष्णा अब भी नहीं रुकता और उसी रफ़्तार से अपनी उंगली का कमाल दिखाता हैं.
राधिका- बस...............करो.......ना .........भैया...........क्यों................मुझे......पागल ............करने .......पर ....तुले ...हो.
कृष्णा भी झट से अपनी उंगली निकाल देता हैं और राधिका कृष्णा की ओर मूड कर तुरंत कृष्णा के सीने से लिपट जाती हैं.राधिका की साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी. वो अपने साँसों को संभालने की कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर के बाद कृष्णा बाथरूम में चला जाता हैं और राधिका अपना ट्राउज़र उपर करके पहन लेती हैं.
जो बात अभी कुछ देर पहले वो दावे से कह रही थी शायद कृष्णा ने उसका जवाब दे दिया था. राधिका का मज़बूत इरादा भी अब अपने जिस्म की आग के सामने बिल्कुल फीका पड़ने लगा था. वो इसी ख्यालों में थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. कृष्णा जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका बाप बिरजू था.
कृष्णा भी चुप चाप नाश्ता करता हैं और झट से काम पर निकल जाता हैं और राधिका भी अपने बाप से नज़रें नहीं मिला पाती हैं. शायद कल की वजह से उसको ऐसा लग रहा था कि वो अपने बाप की नज़रों में भी गिर गयी हैं. वो भी चुप चाप जाकर अपनी किताबें लेकर पढ़ने बैठ जाती हैं. करीब 11 बजे बिरजू भी खाना खा कर घर से बाहर निकल जाता हैं.
बिरजू के जाते ही राधिका को थोड़ा राहत महसूस होती हैं. पता नहीं क्यों पर उसे आज सब कुछ ऐसा लग रहा था कि वो गुनेहगार हैं इस वजह से वो अपने आप को इन सब चीज़ों में दोषिन मान रही थी. हो ना हो राधिका के जीवन में अभी तूफान कहाँ थमा था. अभी तो कुछ ऐसा होने वाला था जो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदलने वाली थी और उससे जुड़े ना जाने कितनो की और ज़िंदगियाँ पर भी इसका असर होने वाला था. बस इंतेज़ार था उस समय का...