20-09-2019, 11:14 AM
Update 23
राधिका इस वक़्त घूँघट ओढ़े बिल्कुल जैसे सुहागरात में कोई दुल्हन अपने पति के आने का इंतेज़ार करती हैं उसी तरह राधिका भी बिस्तेर पर बैठी हुई अपने भैया के आने का इंतेज़ार कर रही थी.आज कमरा भी पूरा सज़ा हुआ था.हर तरफ पर्फ्यूम की खुसबू और साथ में बिस्तेर पर कुछ गुलाब के फूल भी बिखरे पड़े थे. कृष्णा ने तो ऐसा नज़ारा कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं मगर राधिका का चेहरा नहीं देख पाता हैं.
बढ़ते कदमों से वो एकदम धीरे धीरे वो राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं.
कृष्णा- ये सब क्या हैं राधिका.???
राधिका- भैया आओ ना मेरे करीब और आज अपनी दुल्हन को अपना बना लो. मैं आज के बाद आपकी बेहन नहीं बस आपकी दुल्हन हूँ.
कृष्णा की धड़कने एक दम तेज़ हो जाती हैं. और वो भी झट से रूम के बाहर जाता हैं और करीब 5 मिनिट के बाद वापस राधिका के पास आता हैं. और आते वक़्त वो मेन डोर का दरवाज़ा बंद कर देता हैं. फिर रूम में आकर सारे खिड़की दरवाजे सब बंद कर देता हैं. और ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर देता हैं. हल्की नीली रोशनी में कमरा एक दम रोमॅंटिक जैसे लगने लगता हैं. फिर अपना हाथ बढ़ाकर वो राधिका के घूँघट की तरफ ले जाता है. फिर एकदम धीरे धीरे वो उसका घूँघट हटाने लगता हैं. और जब उसकी नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो भी बस एक टक देखता रह जाता हैं.
राधिका बिल्कुल किसी अप्सरा सी लग रही थी. आँखों में काजल. हल्का लिपस्टिक. चेहरे पर हल्की लालिमा.और एक लंबी बिंदी. कुल मिलकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी. कृष्णा भी उसके खूबसूरत चेहरे को एक टक देखने लगता हैं. राधिका अपना चेहरा झुकाए और नज़रें नीचे झुकाए बैठी हुई थी. फिर कृष्णा अपने हाथ में गुलाब का फूल राधिका के चेहरे पर ले जाता हैं और उसके होंठ और चेहरे पर बड़े प्यार से फिराने लगता हैं.
कृष्णा- मुझे विश्वास नही होता राधिका कि तू मेरे लिए ये सब कर सकती हैं. इतना तू मुझसे प्यार करती हैं और मैं पागल आज तक तेरे प्यार को कभी समझ ही नही सका. मेरी किस्मेत हैं कि तू आज मेरे पास हैं मगर तू मेरी बीवी होती तो इस दुनिया में मुझसे बड़ा ख़ुसनसीब और कोई नहीं होता.
राधिका- भैया मैं आपकी बीवी बनने को भी तैयार हूँ.मैं आज अपना बदन अपनी आत्मा सब कुछ आपके हवाले करती हूँ. आइए आपका जो दिल करे जैसे दिल करे मेरे बदन को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं आज अपना बदन आपको सौपति हूँ. आइए भैया आज अपने राधिका को हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लीजिए. मेरे जिस्म का हर एक अंग अंग को अपने प्यार से सीच दीजिए.मैं तैयार हूँ...................
कृष्णा भी झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और बड़े प्यार से अपनी उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं.
कृष्णा-मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका जिसके लिए तू इतने दिनों से तडपी थी. आज तुझे एक औरत के सुख का एहसास भी मैं दूँगा.आज तेरी सारी प्यास को मैं शांत करूँगा. मैं करूँगा राधिका......................मैं.
फिर कृष्णा अपने उंगली को राधिका के लिप्स पर धीरे धीरे फिराते हुए उसके गाल तक घूमने लगता हैं और राधिका धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. उसकी आँखें बंद होने लगती हैं. और धड़कने बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर कृष्णा आगे बढ़कर अपने जलते हुए होंठ राधिका के होंठों पर रख देता हैं और बड़े ही प्यार से उसे चूसने लगता हैं. और करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के होंठो को चूस्ता हैं. फिर अपने दाँतों से राधिका के नीचे होन्ट को धीरे धीरे कुरेदने लगता हैं. और राधिका की सिसकारी एक दम धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं.
उसके बाद कृष्णा अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए वो राधिका के हाथों में दे देता है और फिर अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रखकर उसको हल्के दाँतों से काटने लगता हैं. राधिका की आँखें पूरी तरह से नसीली हो चुकी थी वो भी अब आने वाले सुख में पूरी तरह से डूबना चाहती थी..............................................
राधिका अब धीरे धीरे मदहोश हो रही थी और उसके जिस्म से उसका पूरा कंट्रोल भी ख़तम हो रहा था. और उधेर कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी कानों से लेकर गर्देन तक लगातार अपना जीभ फिरा रहा था. फिर वो एकदम से कृष्णा को अपने आप से दूर कर देती हैं जिससे कृष्णा एक दम चौंक जाता हैं. और हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.
कृष्णा- क्या हुआ राधिका??? मुझसे कोई खता हो गयी क्या.??
राधिका- नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस मुझे घबराहट हो रही हैं. समझ में नहीं आ रहा कि मैं ये सब आपके साथ .............इतना बोलकर राधिका खामोश हो जाती हैं.
कृष्णा- अगर ऐसी बात हैं तो मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आख़िर तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं.
राधिका- नहीं भैया मैं तो बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैं होश में रहकर ये सब नहीं कर सकती.
कृष्णा राधिका को बड़े गौर से देखने लगता हैं और वो राधिका का इशारा भी समझ जाता हैं कि राधिका उससे क्या डिमॅंड कर रही हैं.
कृष्णा- नहीं राधिका तू अब शराब को हाथ भी नहीं लगाएगी. तुझे मेरी कसम. मैं तेरी सर की कसम ख़ाता हूँ कि मैं आज के बाद कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैं तेरे लिए ये ज़हर पीना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दूँगा.
राधिका- नहीं भैया अब बहुत देर हो चुकी हैं. अब मैं अपने बढ़ते कदम को वापस नहीं खीच सकती. इसके बदले चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े मुझे सब मंजूर हैं.
कृष्णा भी कुछ बोल नहीं पाता और चुप चाप राधिका को एक टक देखने लगता हैं. राधिका तुरंत बिस्तेर से उतरकर अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर शराब की एक बॉटल ले आती हैं.
कृष्णा- मत कर ऐसा राधिका. क्यों तू मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दे रही हैं. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ मेरी बात मान जा.
राधिका एक नज़र अपने भैया को देखती हैं फिर वो ग्लास में शराब और थोड़ा सोडा मिलाकर अपने होंठ पर लगाकर धीरे धीरे पीने लगती हैं. और देखते देखते तीन पेग कृष्णा के सामने पी जाती हैं. फिर वही सिगरेट निकालकर जलाती हैं और उसका धुवा भी अपने अंदर लेती हैं और एक तेज धुवा अपने भैया के चेहरे पर छोड़ती हैं.
कृष्णा- बस कर राधिका.................
राधिका एक टक कृष्णा को देखती हैं फिर धीरे से मुस्कुरा कर कृष्णा के एक दम करीब चली जाती हैं.
राधिका- भैया आज मैने आपके लिए आपकी फेवोवरिट डिश बनाई हैं......... चिकन. आपको बहुत पसंद हैं ना.
कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं क्यों कि हैरानी की बात तो थी ही राधिका कभी भी नोन-वेग नही खाती थी और ना ही घर पर बनाती थी. कृष्णा और उसके पिताजी को जब मन करता वो बाहर से खा कर आते थे.
कृष्णा को विश्वास नही होता और वो तुरंत किचन में चला जाता हैं और जब उसकी नज़र चिकन पर पड़ती हैं तो उसका माथा घूम जाता हैं. तभी पीछे से राधिका भी वहाँ आ जाती हैं.
राधिका- आज मैं अपने हाथों से अपने भैया को खाना खिलाउन्गि और आप मुझे अपने हाथों से खिलाना.
कृष्णा- लेकिन तू तो...........
राधिका- जानती हूँ कि मैं पूरे वैजेटियरन हूँ. क्या मैं अपने भैया के लिए इतना नहीं कर सकती.और राधिका कृष्णा के करीब आती हैं और उसके लब चूम लेती हैं.
राधिका- भैया मुझे प्यार करो ना. इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाऊ. मुझे कुछ भी याद ना रहे. बस आप मेरे में और मैं आपके में खो जाऊ. बस..................
कृष्णा फिर राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और फिर राधिका को अपने बेडरूम में ले जाता हैं और वही फूलों से सजे बिस्तेर पर राधिका को बड़े प्यार से सुला देता हैं.
कृष्णा- तू आख़िर ये सब क्यों कर रही हैं. मुझे बस इतना बता दे मैं तुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछूँगा.
राधिका- बता दूँगी भैया मगर समय आने पर. अभी नहीं. इस वक़्त मुझे आपके प्यार की ज़रूरत हैं. आओ भैया आपकी राधिका आपका इंतेज़ार कर रही हैं. आओ मेरे पास और मुझे प्यार करो. अब मैं आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े प्यार से देखता हैं और राधिका के एक दम करीब जाकर उसका माथा चूम लेता हैं. फिर अपने होंठो को धीरे धीरे राधिका के गाल पर फिराते हुए उसके लिप्स पर रख देता हैं और बड़े हौले हौले उसे चूसने लगता हैं. राधिका की आँखें एक दम लाल हो जाती हैं फिर कृष्णा अपनी एक उंगली धीरे धीरे सरकाते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाता हैं और खुद भी राधिका के पीछे चला जाता हैं और उसकी नंगी पीठ पर अपने जलते होंठ रख देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.
फिर बहुत धीरे धीरे कृष्णा अपना जीभ निकाल कर राधिका की पीठ पर से उसकी गर्देन तक फिराने लगता हैं और राधिका की धड़कनें बढ़ने लगती हैं. वो भी अपने भैया को झट से अपनी बाहों में जाकड़ लेती हैं. फिर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर वो राधिका के ब्लोज़ की डोरी को खोल देता हैं. राधिका की धड़कनें बहुत तेज़ हो जाती हैं.
राधिका- भैया आज राधिका अपने आप को पूरा समर्पण करती हैं.मुझे बस प्यार करो. इतना प्यार कि इस प्यार की कोई सीमा ना रहे.और तब तक करो जब तक आपकी प्यास ना भुज जाए. इतना बोलकर राधिका अपने लब कृष्णा के होंठो पर रख देती हैं................................
कृष्णा भी राधिका की गरम साँसों को महसूस कर रहा था.वो भी अपनी जीभ निकालकर राधिका के लिप्स पर फिराता हैं और थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपना जीभ बाहर निकालकर कृष्णा की जीभ को टच करती हैं. थोड़ी देर तक वो दोनो आपस में इसी तरह अपनी जीभ एक दूसरे का छुसाते हैं. कृष्णा फिर राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने सीने से चिपका लेता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए पहले उसके गालों पर फिराता हैं फिर अपना हाथ नीचे की ओर सरकाने लगता हैं. फिर गर्देन पर और कुछ देर में अपना हाथ को वो राधिका के राइट बूब्स पर लाकर पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.
राधिका- आउच................................भैया भला कोई ऐसा मसलता हैं क्या इन्हें?
कृष्णा- क्या करूँ राधिका तेरा जिस्म एक कयामत हैं मुझे तो बिल्कुल सब्र नहीं होता . जी तो करता हैं कि............
राधिका- क्या??? आपका जी क्या करता हैं भैया.....
कृष्णा सवालियों नज़र से राधिका को देखने लगता हैं. उसे कभी भी आशा नहीं थी कि राधिका उससे ये सवाल पूछेगी.
कृष्णा- नहीं मैं तुझे नहीं बता सकता. आभी थोड़ी देर के बाद तुझे खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या चाहता हूँ.
राधिका- करने में शरम नही आएगी और बताने में शरमा रहे हो.
कृष्णा भी समझ चुका था कि राधिका उसके मूह से क्या सुनना चाहती हैं. वो भी अब अपनी शरम छोड़ कर पूरी बेशर्मी पर उतार आता हैं.
कृष्णा- मैं तो हमेशा से तुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता था. इस वजह से मैं कई बार तेरे बाथरूम में छुप छुप कर तुझे नहाता हुए देखा करता था. मगर आज तक पूरा सफल नही हो पाया.
राधिका मुस्कुरा हुए- मुझे पता हैं कि आप मुझे बाथरूम में छुप छुप कर देखते थे. चलिए कोई बात नहीं आज मैं आपकी ये इच्छा भी पूरी करूँगी.
कृष्णा हैरत से राधिका को देखता हैं- तो क्या तुझे पता था कि मैं तुझे छुप छुप कर देखता रहता था. लेकिन तूने तो मुझे कभी कुछ नहीं बोला.
राधिका जवाब में बस मुस्कुरा देती हैं और अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा की शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. फिर एक एक करके उसके सारे बटन को खोल देती हैं. कुछ देर में वो उपर से नंगा हो जाता हैं. कृष्णा के सीने पर घने बाल थे और उसका रंग भी सांवला था. राधिका बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं फिर उसके पास जाकर अपनी जीभ उसके निपल्स पर रखकर उसे हौले हौले चूसने लगती हैं. कृष्णा एक दम से सिहर जाता हैं.
कृष्णा- लगता हैं मेरी बेहन इन सब मामलों में काफ़ी समझदार हो गयी हैं. अब मुझे कुछ सिखाना नहीं पड़ेगा.
राधिका- नहीं नहीं मैं आपकी तरह एक्सपर्ट नहीं हूँ. ना जाने अभी तक आप कितनी रंडियों के साथ सो चुके हैं. मेरा भला आपके साथ कैसा मुकाबला.
कृष्णा- ठीक हैं आज मैं तुझे सिखाउन्गा कि चुदाई कैसे की जाती हैं. देख लेना तू भी मेरी तरह एक्सपर्ट हो जाएगी.
राधिका- नहीं बनना मुझे एक्सपर्ट. मुझे बस प्यार करो मुझे कोई धंधा थोड़ी ही ना करना हैं.
कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और झट से अपना एक हाथ राधिका की पीठ पर और दूसरा हाथ उसके बूब्स पर रखकर ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाना शुरू करता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी बढ़ने लगती हैं और मदहोशी में उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.
कृष्णा थोड़ी देर के बाद उसकी साड़ी को खोल कर उसके जिस्म से अलग कर देता हैं और राधिका बस ब्लाउस में और साए में कृष्णा के सामने बैठी रहती हैं. उसकी नज़रें शरम की वजह से झुक जाती हैं और वो नीचे देखने लगती हैं.
कृष्णा उसके ब्लाउस के बटन को धीरे धीरे खोलने लगता हैं और राधिका बिना कुछ बोले कृष्णा की हरकतों को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो उसका ब्लोज़ भी उसके जिस्म से अलग कर देता हैं. कृष्णा आज पहली बार अपनी बेहन को इस अवस्था में देख रहा था. उसका लंड भी पूरा खड़ा हो चुका था. वो बस राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में समेटने लगता हैं.
थोड़ी देर में कृष्णा अपनी पेंट उतार कर बस अंडरवेर में रह जाता हैं.राधिका को उसके अंडरवेर में कृष्णा का टेंट सॉफ दिखाई देता हैं. वो भी बस बिना पलके झपकाए देखने लगती हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसके साए का नाडा खोल देता हैं और धीरे धीरे सरका कर राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. इस वक्त राधिका बस ब्रा और पैंटी में कृष्णा के सामने थी और शरम से उसकी पलकें झुकी हुई थी.
कृष्णा अब राधिका के पीछे चला जाता हैं और अपना जलते हुए होंठो को राधिका की गर्देन पर रखकर धीरे धीरे चाटने लगता हैं और बहुत धीरे धीरे उसकी पीठ तक नीचे सरकता हुआ नीचे आता हैं. राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी सिसकारियों से सुनाई दे रही थी.कृष्णा आज उसे पूरा पागल करने के मूड में था. वो चाहता था कि राधिका पूरी तरह से बेकरार होकर उसकी बाहों में अपने आप को पूरा समर्पण कर दे. वैसे तो राधिका ने ये बात बोल दी थी मगर करने और कहने में बहुत फ़र्क होता हैं.
कृष्णा बहुत देर तक राधिका के ऐसे ही पूरे बदन पर जीभ फिराता हैं और उधेर राधिका का सब्र जवाब देने लगता हैं.
राधिका- भैया अब बस भी करो. क्या आप मुझे पागल करना चाहते हैं. अब मुझसे बर्दास्त नही होता.
कृष्णा- इतनी जल्दी भी क्या हैं राधिका अभी तो पूरी रात पड़ी हैं. अभी तो मैने सिर्फ़ चिंगारी भड़काई हैं.अभी तो आग लगाना बाकी हैं.अब देखना ये हैं ये आग कितनी जल्दी शोले में बदल जाती हैं.
राधिका- ये तो वक़्त ही बताएगा कि आप के अंदर कितनी आग हैं. आज मैं भी देखूँगी कि आप में कितना दम हैं और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.........
कृष्णा- तू मुझे चॅलेंज कर रही हैं देख लेना मैं दावे से कहता हूँ कि तू मेरे सामने टिक नहीं पाएगी. मैं अच्छे से जानता हूँ कि किसी भी लड़की को कैसे वश में किया जाता हैं.
राधिका मुस्कुराते हुए- ये तो वक़्त ही बतायेगा कि आपका पलड़ा भारी हैं या मेरा.
कृष्णा- फिर ठीक हैं लग गयी बाज़ी. अगर तू मेरे सामने अपनी घुटने ना टेक दे तो मैं आज के बाद हमेशा के लिए तेरी गुलामी करूँगा ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.
राधिका- सोच लो भैया कहीं ये सौदा आपको महँगा ना पड़ जाए.
कृष्णा- मर्द हूँ एक बार जो कसम ले ली तो फिर पीछे नहीं हटूँगा. मगर तू मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करेगी. बोल मंजूर हैं.
राधिका मुस्कुराते हुए- फिर ठीक हैं मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं.
कृष्णा कुछ देर ऐसे ही खामोश रहता हैं फिर गहरे विचार के बाद वो राधिका के बिल्कुल करीब आता हैं. वैसे कृष्णा मंझा हुआ खिलाड़ी था वो ना जाने आब तक कितनी रंडियों को आपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर चुका था. इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत सैयम से काम लेता था. किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नही होता था. इस लिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा. हालाकी राधिका की रगों में भी उसका ही खून था मगर राधिका इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी. उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस राहुल के साथ सेक्स किया था. इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.
कृष्णा एक दम धीरे से राधिका के पीछे आता हैं और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता हैं और अपने दोनो हाथों को धीरे से बढ़ाकर राधिका के दोनो बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता हैं. राधिका मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और उसके मूह से सिसकारी निकल जाती हैं.
कृष्णा फिर अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता हैं. राधिका की पैंटी पूरी भीग चुकी थी. वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
राधिका- भैया बस भी करो मुझे कुछ हो रहा हैं.
कृष्णा- बता ना राधिका यही तो मैं जानना चाहता हूँ कि तुझे क्या हो रहा हैं.पहले भी तुझसे मैं कई बार पूछ चुका हूँ मगर तूने बताने से इनकार कर दिया. आज तो मैं जानकार ही रहूँगा.
राधिका- मुझे शरम आती हैं भैया मैं आपको नहीं बता सकती.
कृष्णा- आरे तू तो मेरी अपनी हैं. और अपनों से कैसी शरम. अब बता भी दे.
राधिका- वो .................नीचे............ मेरी सी........चूत. इसके आगे राधिका कुछ बोल नहीं पाती और शरमा कर अपनी नज़रें नीची झुका लेती हैं.
कृष्णा- क्या हुआ तेरी चूत को. क्या मेरे छूने से तेरी चूत में कुछ होता हैं. कृष्णा के ऐसे ओपन वर्ड्स सुनकर राधिका शरम से पानी पानी हो जाती हैं.
कृष्णा- चुप क्यों हैं बता ना. क्या तेरी चूत गीली हो गयी हैं. हां शायद यही वजह हैं और इतना कहकर कृष्णा एक पल में अपना हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है. फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ राधिका की पैंटी के अंदर सरका देता हैं और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसल्ने लगता हैं. राधिका एक दम से बेचैन हो जाती हैं और जवाब में वो अपना लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती हैं.
एक हाथ से वो राधिका के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो राधिका की चूत को सहला रहा था. और राधिका उसके लिप्स को चूस रही थी. माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में कृष्णा का हाथ पूरा गीला हो जाता हैं.
राधिका- भैया.............. अब बस भी करो मुझसे अब बर्दास्त नही हो रहा. आप शर्त जीत गये.
कृष्णा- अरे मेरी जान तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली. अभी तो शुरूवात हैं. देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ. इतना बोलकर कृष्णा अपने दोनो हाथ राधिका की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता हैं और अगले पल राधिका झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनो हाथों से थाम लेती हैं.
कृष्णा अगले पल राधिका के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता हैं और राधिका भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्देन झुका लेती हैं. कृष्णा भी झट से राधिका के सामने आता हैं और वो राधिका के बूब्स को देखने लगता हैं. फिर वो अपना लिप्स को राधिका के निपल्स पर रखकर उसे एक दम हौले हौले चूसने लगता हैं. ना चाहते हुए भी राधिका कृष्णा की हरकतों को इनकार नही कर पाती और वो अपना एक हाथ कृष्णा के बालों पर फिराने लगती हैं.
कृष्णा- राधिका तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं. जी तो करता हैं इन्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं.
राधिका- तो चूसो ना मैने कब मना किया हैं. जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूस्ते रहो.
फिर कृष्णा एक हाथ से उसके निपल को अपनी उंगली में मसल्ने लगता हैं और दूसरी तरफ वो अपना मूह लगाकर राधिका के बूब्स पीने लगता हैं. राधिका को तो लगता हैं कि अब उसकी जान निकल जाएगी. कृष्णा सब कुछ एक दम आराम से कर रहा था. उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी. और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में राधिका का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता हैं.
करीब 10 मिनिट के बाद आख़िर राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर कृष्णा का लंड थाम लेती हैं और उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसल्ने लगती हैं. कृष्णा ये देखकर मुस्कुरा देता हैं और अपना अंडरवेर उतारने लगता हैं और कुछ पल में वो एक दम नंगा उसके सामने हो जाता हैं.
राधिका वैसे तो अपने भैया को पूरा नंगा देख चुकी थी मगर उस वक़्त हालत दूसरे थे. वो एक टक कृष्णा के लंड को देखने लगती है. राधिका को ऐसे देखता पाकर कृष्णा भी अपना लंड उसके सामने कर देता हैं.
कृष्णा- ऐसे क्या देख रही हैं राधिका पसंद नहीं आया क्या.
राधिका अपना थूक निगलते हुए- भैया इतना बड़ा भला ये कैसे मेरे अंदर जाएगा.
कृष्णा-चिंता मत कर बाकी औरतों की तरह तू भी इसे अपनी चूत में आराम से ले लेगी.
फिर कृष्णा राधिका को बिस्तेर पर सीधा लेटा देता हैं और उसकी पैंटी भी सरकाकर उसे पूर नंगा कर देता हैं. अब राधिका की चूत अपने भैया के सामने बे-परदा थी. कृष्णा का अरमान अब पूरा हो गया था राधिका को पूरा नंगा देखने का. वो बड़े गौर से राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद करने लगता हैं. कृष्णा को ऐसे देखकर राधिका फिर से शरमा जाती हैं.
कृष्णा फिर राधिका के उपर आता हैं और अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर फिर से उसे चूसने लगता हैं और फिर बहुत धीरे धीरे अपना जीभ फिराते हुए वो नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं. और राधिका बेचैन होने लगती हैं. आज कृष्णा ने उसकी चूत इतनी गीली की थी कि राधिका खुद हैरान थी. इतनी आग तो आज तक राहुल ने भी नहीं लगाई थी. आज उसे महसूस हुआ था कि जिस्म की आग क्या होती हैं. राधिका के मूह से भी सिसकारी लगातार निकल रही थी और उधेर कृष्णा की हरकतों से भी उसे मज़ा आ रहा था.
फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता हैं और फिर एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसल्ने लगता हैं और और दूसरी उंगल उसकी चूत पर फिराने लगता हैं. और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता हैं. अब राधिका का सब्र जवाब दे देता हैं और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती हैं.
राधिका- बस........ भैया.........आज .. मेरी ....जान लोगे.......क्या. मैं....मर .जाउन्गि............आह... और इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता हैं और राधिका का ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं वो वही एक लाश की तरह कृष्णा की बाहों में पड़ी रहती हैं. उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती हैं और अपनी आँखें बंद करके कृष्णा के लबों को चूम लेती हैं.........
कृष्णा भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं और जवाब में राधिका बस मुस्कुरा कर अपनी निगाहें नीची कर लेती हैं.
कृष्णा- अब तेरी बारी हैं. चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर. और इतना बोलकर कृष्णा अपना लंड राधिका के मूह के एकदम करीब रख देता हैं. राधिका बड़े गौर से कृष्णा के लंड को देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सूपड़ा को नीचे से लेकर उपर तक चाट लेती हैं. कृष्णा के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.
फिर वो राधिका के सिर के बालो को खोल देता हैं और अपना हाथ राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं.राधिका धीरे धीरे कृष्णा के लंड पर अपना जीभ फिराती हैं. अचानक कृष्णा को ना जाने क्या सुझता हैं वो तुरंत राधिका के मूह से अपना लंड बाहर निकल लेता हैं. राधिका हैरत भरी नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं. कृष्णा उठकर किचन में चला जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो एक जॅम की सीसी लेकर वापस आता हैं.
जॅम की सीसी को देखकर राधिका के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो भी कृष्णा का मतलब समझ जाती हैं. कृष्णा फिर जॅम की सीसी को खोलता हैं और और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता हैं. कृष्णा का लंड बिल्कुल लाल कलर में दिखाई देने लगता हैं.फिर वो राधिका के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता हैं. राधिका मुस्कुरा कर आगे बढ़ती हैं और अपना मूह खोलकर जॅम से लिपटा कृष्णा का लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं. एक तरफ नमकीन का स्वाद और एक तरफ जॅम का स्वाद दोनो का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था. थोड़ी देर के बाद राधिका कृष्णा के लंड पर पूरा जॅम चाट कर सॉफ कर देती हैं.
कृष्णा- राधिका एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना. तुझे भी बहुत मज़ा आएगा.
राधिका- आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया भैया. भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मूह में कैसे जाएगा. नहीं मैं इसे पूरा अपने मूह में नहीं ले सकती.
कृष्णा- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फरक होता हैं. ठीक हैं मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. आगे तेरी मर्ज़ी. और कृष्णा के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं.
अपने भैया को ऐसे मायूस देखकर राधिका तुरंत अपना इरादा बदल लेती हैं.
राधिका- क्यों नाराज़ होते हो भैया. मेरा कहने का ये मतलब नहीं था. मैं तो बस......................अच्छा फिर ठीक हैं अगर आपकी खुशी इसी में हैं तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी. कर लो जो आपका दिल करता हैं.आज मैं साबित कर दूँगी कि राधिका जो बोलती हैं वो करती भी हैं.
कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल जाती हैं.
कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मूह में लेकर चूसे. मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा. हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मूह में ले लेगी.
राधिका- जैसा आपका हुकुम सरकार.. मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा. बोलो......................
कृष्णा-अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा. पहले दर्द तो होता ही हैं फिर मज़ा भी बहुत आता हैं. बस तू मेरा पूरा साथ देना फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा.
कृष्णा फिर जॅम अपनी उंगली में लेता हैं और अपने टिट्स पर मलने लगता हैं और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा जॅम लगा देता हैं.
कृष्णा राधिका को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तेर के नीचे झुका देता हैं. राधिका को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद कृष्णा के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने भैया की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था.
राधिका इस वक़्त घूँघट ओढ़े बिल्कुल जैसे सुहागरात में कोई दुल्हन अपने पति के आने का इंतेज़ार करती हैं उसी तरह राधिका भी बिस्तेर पर बैठी हुई अपने भैया के आने का इंतेज़ार कर रही थी.आज कमरा भी पूरा सज़ा हुआ था.हर तरफ पर्फ्यूम की खुसबू और साथ में बिस्तेर पर कुछ गुलाब के फूल भी बिखरे पड़े थे. कृष्णा ने तो ऐसा नज़ारा कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं मगर राधिका का चेहरा नहीं देख पाता हैं.
बढ़ते कदमों से वो एकदम धीरे धीरे वो राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं.
कृष्णा- ये सब क्या हैं राधिका.???
राधिका- भैया आओ ना मेरे करीब और आज अपनी दुल्हन को अपना बना लो. मैं आज के बाद आपकी बेहन नहीं बस आपकी दुल्हन हूँ.
कृष्णा की धड़कने एक दम तेज़ हो जाती हैं. और वो भी झट से रूम के बाहर जाता हैं और करीब 5 मिनिट के बाद वापस राधिका के पास आता हैं. और आते वक़्त वो मेन डोर का दरवाज़ा बंद कर देता हैं. फिर रूम में आकर सारे खिड़की दरवाजे सब बंद कर देता हैं. और ज़ीरो वॉट का बल्ब ऑन कर देता हैं. हल्की नीली रोशनी में कमरा एक दम रोमॅंटिक जैसे लगने लगता हैं. फिर अपना हाथ बढ़ाकर वो राधिका के घूँघट की तरफ ले जाता है. फिर एकदम धीरे धीरे वो उसका घूँघट हटाने लगता हैं. और जब उसकी नज़र राधिका के चेहरे पर पड़ती हैं तो वो भी बस एक टक देखता रह जाता हैं.
राधिका बिल्कुल किसी अप्सरा सी लग रही थी. आँखों में काजल. हल्का लिपस्टिक. चेहरे पर हल्की लालिमा.और एक लंबी बिंदी. कुल मिलकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी. कृष्णा भी उसके खूबसूरत चेहरे को एक टक देखने लगता हैं. राधिका अपना चेहरा झुकाए और नज़रें नीचे झुकाए बैठी हुई थी. फिर कृष्णा अपने हाथ में गुलाब का फूल राधिका के चेहरे पर ले जाता हैं और उसके होंठ और चेहरे पर बड़े प्यार से फिराने लगता हैं.
कृष्णा- मुझे विश्वास नही होता राधिका कि तू मेरे लिए ये सब कर सकती हैं. इतना तू मुझसे प्यार करती हैं और मैं पागल आज तक तेरे प्यार को कभी समझ ही नही सका. मेरी किस्मेत हैं कि तू आज मेरे पास हैं मगर तू मेरी बीवी होती तो इस दुनिया में मुझसे बड़ा ख़ुसनसीब और कोई नहीं होता.
राधिका- भैया मैं आपकी बीवी बनने को भी तैयार हूँ.मैं आज अपना बदन अपनी आत्मा सब कुछ आपके हवाले करती हूँ. आइए आपका जो दिल करे जैसे दिल करे मेरे बदन को आप इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं आज अपना बदन आपको सौपति हूँ. आइए भैया आज अपने राधिका को हमेशा हमेशा के लिए अपना बना लीजिए. मेरे जिस्म का हर एक अंग अंग को अपने प्यार से सीच दीजिए.मैं तैयार हूँ...................
कृष्णा भी झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और बड़े प्यार से अपनी उंगली राधिका के लिप्स पर रख देता हैं.
कृष्णा-मैं दूँगा तुझे वो प्यार राधिका जिसके लिए तू इतने दिनों से तडपी थी. आज तुझे एक औरत के सुख का एहसास भी मैं दूँगा.आज तेरी सारी प्यास को मैं शांत करूँगा. मैं करूँगा राधिका......................मैं.
फिर कृष्णा अपने उंगली को राधिका के लिप्स पर धीरे धीरे फिराते हुए उसके गाल तक घूमने लगता हैं और राधिका धीरे धीरे मदहोश होने लगती हैं. उसकी आँखें बंद होने लगती हैं. और धड़कने बहुत तेज़ हो जाती हैं. फिर कृष्णा आगे बढ़कर अपने जलते हुए होंठ राधिका के होंठों पर रख देता हैं और बड़े ही प्यार से उसे चूसने लगता हैं. और करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के होंठो को चूस्ता हैं. फिर अपने दाँतों से राधिका के नीचे होन्ट को धीरे धीरे कुरेदने लगता हैं. और राधिका की सिसकारी एक दम धीरे धीरे बढ़ने लगती हैं.
उसके बाद कृष्णा अपना हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए वो राधिका के हाथों में दे देता है और फिर अपने होंठ राधिका की गर्देन पर रखकर उसको हल्के दाँतों से काटने लगता हैं. राधिका की आँखें पूरी तरह से नसीली हो चुकी थी वो भी अब आने वाले सुख में पूरी तरह से डूबना चाहती थी..............................................
राधिका अब धीरे धीरे मदहोश हो रही थी और उसके जिस्म से उसका पूरा कंट्रोल भी ख़तम हो रहा था. और उधेर कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी कानों से लेकर गर्देन तक लगातार अपना जीभ फिरा रहा था. फिर वो एकदम से कृष्णा को अपने आप से दूर कर देती हैं जिससे कृष्णा एक दम चौंक जाता हैं. और हैरत से राधिका को देखने लगता हैं.
कृष्णा- क्या हुआ राधिका??? मुझसे कोई खता हो गयी क्या.??
राधिका- नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस मुझे घबराहट हो रही हैं. समझ में नहीं आ रहा कि मैं ये सब आपके साथ .............इतना बोलकर राधिका खामोश हो जाती हैं.
कृष्णा- अगर ऐसी बात हैं तो मैं तुझे हाथ भी नहीं लगाउन्गा. आख़िर तेरी खुशी में ही मेरी खुशी हैं.
राधिका- नहीं भैया मैं तो बस इतना कहना चाहती हूँ कि मैं होश में रहकर ये सब नहीं कर सकती.
कृष्णा राधिका को बड़े गौर से देखने लगता हैं और वो राधिका का इशारा भी समझ जाता हैं कि राधिका उससे क्या डिमॅंड कर रही हैं.
कृष्णा- नहीं राधिका तू अब शराब को हाथ भी नहीं लगाएगी. तुझे मेरी कसम. मैं तेरी सर की कसम ख़ाता हूँ कि मैं आज के बाद कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाउन्गा. मैं तेरे लिए ये ज़हर पीना हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दूँगा.
राधिका- नहीं भैया अब बहुत देर हो चुकी हैं. अब मैं अपने बढ़ते कदम को वापस नहीं खीच सकती. इसके बदले चाहे मुझे कोई भी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े मुझे सब मंजूर हैं.
कृष्णा भी कुछ बोल नहीं पाता और चुप चाप राधिका को एक टक देखने लगता हैं. राधिका तुरंत बिस्तेर से उतरकर अपने भैया के कमरे में जाती हैं और जाकर शराब की एक बॉटल ले आती हैं.
कृष्णा- मत कर ऐसा राधिका. क्यों तू मेरी ग़लती की सज़ा अपने आप को दे रही हैं. मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ मेरी बात मान जा.
राधिका एक नज़र अपने भैया को देखती हैं फिर वो ग्लास में शराब और थोड़ा सोडा मिलाकर अपने होंठ पर लगाकर धीरे धीरे पीने लगती हैं. और देखते देखते तीन पेग कृष्णा के सामने पी जाती हैं. फिर वही सिगरेट निकालकर जलाती हैं और उसका धुवा भी अपने अंदर लेती हैं और एक तेज धुवा अपने भैया के चेहरे पर छोड़ती हैं.
कृष्णा- बस कर राधिका.................
राधिका एक टक कृष्णा को देखती हैं फिर धीरे से मुस्कुरा कर कृष्णा के एक दम करीब चली जाती हैं.
राधिका- भैया आज मैने आपके लिए आपकी फेवोवरिट डिश बनाई हैं......... चिकन. आपको बहुत पसंद हैं ना.
कृष्णा हैरत से राधिका को देखने लगता हैं क्यों कि हैरानी की बात तो थी ही राधिका कभी भी नोन-वेग नही खाती थी और ना ही घर पर बनाती थी. कृष्णा और उसके पिताजी को जब मन करता वो बाहर से खा कर आते थे.
कृष्णा को विश्वास नही होता और वो तुरंत किचन में चला जाता हैं और जब उसकी नज़र चिकन पर पड़ती हैं तो उसका माथा घूम जाता हैं. तभी पीछे से राधिका भी वहाँ आ जाती हैं.
राधिका- आज मैं अपने हाथों से अपने भैया को खाना खिलाउन्गि और आप मुझे अपने हाथों से खिलाना.
कृष्णा- लेकिन तू तो...........
राधिका- जानती हूँ कि मैं पूरे वैजेटियरन हूँ. क्या मैं अपने भैया के लिए इतना नहीं कर सकती.और राधिका कृष्णा के करीब आती हैं और उसके लब चूम लेती हैं.
राधिका- भैया मुझे प्यार करो ना. इतना प्यार करो कि मैं आज सब कुछ भूल जाऊ. मुझे कुछ भी याद ना रहे. बस आप मेरे में और मैं आपके में खो जाऊ. बस..................
कृष्णा फिर राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और फिर राधिका को अपने बेडरूम में ले जाता हैं और वही फूलों से सजे बिस्तेर पर राधिका को बड़े प्यार से सुला देता हैं.
कृष्णा- तू आख़िर ये सब क्यों कर रही हैं. मुझे बस इतना बता दे मैं तुझसे कोई भी सवाल नहीं पूछूँगा.
राधिका- बता दूँगी भैया मगर समय आने पर. अभी नहीं. इस वक़्त मुझे आपके प्यार की ज़रूरत हैं. आओ भैया आपकी राधिका आपका इंतेज़ार कर रही हैं. आओ मेरे पास और मुझे प्यार करो. अब मैं आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.
कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े प्यार से देखता हैं और राधिका के एक दम करीब जाकर उसका माथा चूम लेता हैं. फिर अपने होंठो को धीरे धीरे राधिका के गाल पर फिराते हुए उसके लिप्स पर रख देता हैं और बड़े हौले हौले उसे चूसने लगता हैं. राधिका की आँखें एक दम लाल हो जाती हैं फिर कृष्णा अपनी एक उंगली धीरे धीरे सरकाते हुए उसकी पीठ के पीछे ले जाता हैं और खुद भी राधिका के पीछे चला जाता हैं और उसकी नंगी पीठ पर अपने जलते होंठ रख देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.
फिर बहुत धीरे धीरे कृष्णा अपना जीभ निकाल कर राधिका की पीठ पर से उसकी गर्देन तक फिराने लगता हैं और राधिका की धड़कनें बढ़ने लगती हैं. वो भी अपने भैया को झट से अपनी बाहों में जाकड़ लेती हैं. फिर अपना एक हाथ पीछे लेजा कर वो राधिका के ब्लोज़ की डोरी को खोल देता हैं. राधिका की धड़कनें बहुत तेज़ हो जाती हैं.
राधिका- भैया आज राधिका अपने आप को पूरा समर्पण करती हैं.मुझे बस प्यार करो. इतना प्यार कि इस प्यार की कोई सीमा ना रहे.और तब तक करो जब तक आपकी प्यास ना भुज जाए. इतना बोलकर राधिका अपने लब कृष्णा के होंठो पर रख देती हैं................................
कृष्णा भी राधिका की गरम साँसों को महसूस कर रहा था.वो भी अपनी जीभ निकालकर राधिका के लिप्स पर फिराता हैं और थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपना जीभ बाहर निकालकर कृष्णा की जीभ को टच करती हैं. थोड़ी देर तक वो दोनो आपस में इसी तरह अपनी जीभ एक दूसरे का छुसाते हैं. कृष्णा फिर राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने सीने से चिपका लेता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ धीरे धीरे बढ़ाते हुए पहले उसके गालों पर फिराता हैं फिर अपना हाथ नीचे की ओर सरकाने लगता हैं. फिर गर्देन पर और कुछ देर में अपना हाथ को वो राधिका के राइट बूब्स पर लाकर पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.
राधिका- आउच................................भैया भला कोई ऐसा मसलता हैं क्या इन्हें?
कृष्णा- क्या करूँ राधिका तेरा जिस्म एक कयामत हैं मुझे तो बिल्कुल सब्र नहीं होता . जी तो करता हैं कि............
राधिका- क्या??? आपका जी क्या करता हैं भैया.....
कृष्णा सवालियों नज़र से राधिका को देखने लगता हैं. उसे कभी भी आशा नहीं थी कि राधिका उससे ये सवाल पूछेगी.
कृष्णा- नहीं मैं तुझे नहीं बता सकता. आभी थोड़ी देर के बाद तुझे खुद ही पता चल जाएगा कि मैं क्या चाहता हूँ.
राधिका- करने में शरम नही आएगी और बताने में शरमा रहे हो.
कृष्णा भी समझ चुका था कि राधिका उसके मूह से क्या सुनना चाहती हैं. वो भी अब अपनी शरम छोड़ कर पूरी बेशर्मी पर उतार आता हैं.
कृष्णा- मैं तो हमेशा से तुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता था. इस वजह से मैं कई बार तेरे बाथरूम में छुप छुप कर तुझे नहाता हुए देखा करता था. मगर आज तक पूरा सफल नही हो पाया.
राधिका मुस्कुरा हुए- मुझे पता हैं कि आप मुझे बाथरूम में छुप छुप कर देखते थे. चलिए कोई बात नहीं आज मैं आपकी ये इच्छा भी पूरी करूँगी.
कृष्णा हैरत से राधिका को देखता हैं- तो क्या तुझे पता था कि मैं तुझे छुप छुप कर देखता रहता था. लेकिन तूने तो मुझे कभी कुछ नहीं बोला.
राधिका जवाब में बस मुस्कुरा देती हैं और अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा की शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. फिर एक एक करके उसके सारे बटन को खोल देती हैं. कुछ देर में वो उपर से नंगा हो जाता हैं. कृष्णा के सीने पर घने बाल थे और उसका रंग भी सांवला था. राधिका बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं फिर उसके पास जाकर अपनी जीभ उसके निपल्स पर रखकर उसे हौले हौले चूसने लगती हैं. कृष्णा एक दम से सिहर जाता हैं.
कृष्णा- लगता हैं मेरी बेहन इन सब मामलों में काफ़ी समझदार हो गयी हैं. अब मुझे कुछ सिखाना नहीं पड़ेगा.
राधिका- नहीं नहीं मैं आपकी तरह एक्सपर्ट नहीं हूँ. ना जाने अभी तक आप कितनी रंडियों के साथ सो चुके हैं. मेरा भला आपके साथ कैसा मुकाबला.
कृष्णा- ठीक हैं आज मैं तुझे सिखाउन्गा कि चुदाई कैसे की जाती हैं. देख लेना तू भी मेरी तरह एक्सपर्ट हो जाएगी.
राधिका- नहीं बनना मुझे एक्सपर्ट. मुझे बस प्यार करो मुझे कोई धंधा थोड़ी ही ना करना हैं.
कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और झट से अपना एक हाथ राधिका की पीठ पर और दूसरा हाथ उसके बूब्स पर रखकर ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाना शुरू करता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी बढ़ने लगती हैं और मदहोशी में उसकी आँखें बंद होने लगती हैं.
कृष्णा थोड़ी देर के बाद उसकी साड़ी को खोल कर उसके जिस्म से अलग कर देता हैं और राधिका बस ब्लाउस में और साए में कृष्णा के सामने बैठी रहती हैं. उसकी नज़रें शरम की वजह से झुक जाती हैं और वो नीचे देखने लगती हैं.
कृष्णा उसके ब्लाउस के बटन को धीरे धीरे खोलने लगता हैं और राधिका बिना कुछ बोले कृष्णा की हरकतों को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो उसका ब्लोज़ भी उसके जिस्म से अलग कर देता हैं. कृष्णा आज पहली बार अपनी बेहन को इस अवस्था में देख रहा था. उसका लंड भी पूरा खड़ा हो चुका था. वो बस राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में समेटने लगता हैं.
थोड़ी देर में कृष्णा अपनी पेंट उतार कर बस अंडरवेर में रह जाता हैं.राधिका को उसके अंडरवेर में कृष्णा का टेंट सॉफ दिखाई देता हैं. वो भी बस बिना पलके झपकाए देखने लगती हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसके साए का नाडा खोल देता हैं और धीरे धीरे सरका कर राधिका के जिस्म से अलग कर देता हैं. इस वक्त राधिका बस ब्रा और पैंटी में कृष्णा के सामने थी और शरम से उसकी पलकें झुकी हुई थी.
कृष्णा अब राधिका के पीछे चला जाता हैं और अपना जलते हुए होंठो को राधिका की गर्देन पर रखकर धीरे धीरे चाटने लगता हैं और बहुत धीरे धीरे उसकी पीठ तक नीचे सरकता हुआ नीचे आता हैं. राधिका की बेकरारी सॉफ उसकी सिसकारियों से सुनाई दे रही थी.कृष्णा आज उसे पूरा पागल करने के मूड में था. वो चाहता था कि राधिका पूरी तरह से बेकरार होकर उसकी बाहों में अपने आप को पूरा समर्पण कर दे. वैसे तो राधिका ने ये बात बोल दी थी मगर करने और कहने में बहुत फ़र्क होता हैं.
कृष्णा बहुत देर तक राधिका के ऐसे ही पूरे बदन पर जीभ फिराता हैं और उधेर राधिका का सब्र जवाब देने लगता हैं.
राधिका- भैया अब बस भी करो. क्या आप मुझे पागल करना चाहते हैं. अब मुझसे बर्दास्त नही होता.
कृष्णा- इतनी जल्दी भी क्या हैं राधिका अभी तो पूरी रात पड़ी हैं. अभी तो मैने सिर्फ़ चिंगारी भड़काई हैं.अभी तो आग लगाना बाकी हैं.अब देखना ये हैं ये आग कितनी जल्दी शोले में बदल जाती हैं.
राधिका- ये तो वक़्त ही बताएगा कि आप के अंदर कितनी आग हैं. आज मैं भी देखूँगी कि आप में कितना दम हैं और इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.........
कृष्णा- तू मुझे चॅलेंज कर रही हैं देख लेना मैं दावे से कहता हूँ कि तू मेरे सामने टिक नहीं पाएगी. मैं अच्छे से जानता हूँ कि किसी भी लड़की को कैसे वश में किया जाता हैं.
राधिका मुस्कुराते हुए- ये तो वक़्त ही बतायेगा कि आपका पलड़ा भारी हैं या मेरा.
कृष्णा- फिर ठीक हैं लग गयी बाज़ी. अगर तू मेरे सामने अपनी घुटने ना टेक दे तो मैं आज के बाद हमेशा के लिए तेरी गुलामी करूँगा ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.
राधिका- सोच लो भैया कहीं ये सौदा आपको महँगा ना पड़ जाए.
कृष्णा- मर्द हूँ एक बार जो कसम ले ली तो फिर पीछे नहीं हटूँगा. मगर तू मुझे किसी भी बात के लिए मना नहीं करेगी. बोल मंजूर हैं.
राधिका मुस्कुराते हुए- फिर ठीक हैं मुझे आपकी शर्त मंज़ूर हैं.
कृष्णा कुछ देर ऐसे ही खामोश रहता हैं फिर गहरे विचार के बाद वो राधिका के बिल्कुल करीब आता हैं. वैसे कृष्णा मंझा हुआ खिलाड़ी था वो ना जाने आब तक कितनी रंडियों को आपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर चुका था. इसकी दो वजह थी एक तो उसका हथियार काफ़ी दमदार था और दूसरा वो बहुत सैयम से काम लेता था. किसी भी परिस्थिति में वो विचलित नही होता था. इस लिए उसे पूरा विश्वास था कि वो हर हाल में बाज़ी ज़रूर जीत जाएगा. हालाकी राधिका की रगों में भी उसका ही खून था मगर राधिका इन सब मामलों में एक्सपर्ट नहीं थी. उसने तो अपनी ज़िंदगी में बस राहुल के साथ सेक्स किया था. इस वजह से उसे सेक्स के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.
कृष्णा एक दम धीरे से राधिका के पीछे आता हैं और और उसके कंधे पर अपने लब रखकर एक प्यारा सा किस करता हैं और अपने दोनो हाथों को धीरे से बढ़ाकर राधिका के दोनो बूब्स को धीरे धीरे मसलना शुरू कर देता हैं. राधिका मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और उसके मूह से सिसकारी निकल जाती हैं.
कृष्णा फिर अपना होंठ राधिका के पीठ पर रखकर फिर से उसी अंदाज़ में हौले हौले चाटना शुरू करता हैं. राधिका की पैंटी पूरी भीग चुकी थी. वो तो बड़े मुश्किल से अपने आप को संभालने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
राधिका- भैया बस भी करो मुझे कुछ हो रहा हैं.
कृष्णा- बता ना राधिका यही तो मैं जानना चाहता हूँ कि तुझे क्या हो रहा हैं.पहले भी तुझसे मैं कई बार पूछ चुका हूँ मगर तूने बताने से इनकार कर दिया. आज तो मैं जानकार ही रहूँगा.
राधिका- मुझे शरम आती हैं भैया मैं आपको नहीं बता सकती.
कृष्णा- आरे तू तो मेरी अपनी हैं. और अपनों से कैसी शरम. अब बता भी दे.
राधिका- वो .................नीचे............ मेरी सी........चूत. इसके आगे राधिका कुछ बोल नहीं पाती और शरमा कर अपनी नज़रें नीची झुका लेती हैं.
कृष्णा- क्या हुआ तेरी चूत को. क्या मेरे छूने से तेरी चूत में कुछ होता हैं. कृष्णा के ऐसे ओपन वर्ड्स सुनकर राधिका शरम से पानी पानी हो जाती हैं.
कृष्णा- चुप क्यों हैं बता ना. क्या तेरी चूत गीली हो गयी हैं. हां शायद यही वजह हैं और इतना कहकर कृष्णा एक पल में अपना हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती है. फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ राधिका की पैंटी के अंदर सरका देता हैं और उसके क्लिट को अपनी उंगली से मसल्ने लगता हैं. राधिका एक दम से बेचैन हो जाती हैं और जवाब में वो अपना लिप्स कृष्णा के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगती हैं.
एक हाथ से वो राधिका के बूब्स को मसल रहा था और दूसरे हाथों से वो राधिका की चूत को सहला रहा था. और राधिका उसके लिप्स को चूस रही थी. माहौल पूरा आग लगा देने वाला था. थोड़ी देर में कृष्णा का हाथ पूरा गीला हो जाता हैं.
राधिका- भैया.............. अब बस भी करो मुझसे अब बर्दास्त नही हो रहा. आप शर्त जीत गये.
कृष्णा- अरे मेरी जान तूने इतनी जल्दी कैसे हार मान ली. अभी तो शुरूवात हैं. देखना आगे आगे मैं क्या करता हूँ. इतना बोलकर कृष्णा अपने दोनो हाथ राधिका की पीठ पर रखकर उसकी ब्रा का स्ट्रिप्स को खोल देता हैं और अगले पल राधिका झट से अपने गिरते हुए ब्रा को दोनो हाथों से थाम लेती हैं.
कृष्णा अगले पल राधिका के ब्रा को पकड़कर उसके बदन से अलग कर देता हैं और राधिका भी कोई विरोध नहीं कर पाती. बस अपनी नज़रें नीची करके अपनी गर्देन झुका लेती हैं. कृष्णा भी झट से राधिका के सामने आता हैं और वो राधिका के बूब्स को देखने लगता हैं. फिर वो अपना लिप्स को राधिका के निपल्स पर रखकर उसे एक दम हौले हौले चूसने लगता हैं. ना चाहते हुए भी राधिका कृष्णा की हरकतों को इनकार नही कर पाती और वो अपना एक हाथ कृष्णा के बालों पर फिराने लगती हैं.
कृष्णा- राधिका तुम्हारे ये दूध कितने मस्त हैं. जी तो करता हैं इन्हें ऐसे ही चूस्ता रहूं.
राधिका- तो चूसो ना मैने कब मना किया हैं. जब तक आपका मन नहीं भरता आप ऐसे ही इन्हें चूस्ते रहो.
फिर कृष्णा एक हाथ से उसके निपल को अपनी उंगली में मसल्ने लगता हैं और दूसरी तरफ वो अपना मूह लगाकर राधिका के बूब्स पीने लगता हैं. राधिका को तो लगता हैं कि अब उसकी जान निकल जाएगी. कृष्णा सब कुछ एक दम आराम से कर रहा था. उसे किसी भी चीज़ की जल्दी नहीं थी. और वो जानता भी था कि ऐसे कुछ देर में राधिका का भी संयम जवाब दे देगा और वो सब कुछ करेगी जो वो चाहता हैं.
करीब 10 मिनिट के बाद आख़िर राधिका का सब्र टूट जाता हैं और वो तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाकर कृष्णा का लंड थाम लेती हैं और उसे अपने नाज़ुक हाथों से मसल्ने लगती हैं. कृष्णा ये देखकर मुस्कुरा देता हैं और अपना अंडरवेर उतारने लगता हैं और कुछ पल में वो एक दम नंगा उसके सामने हो जाता हैं.
राधिका वैसे तो अपने भैया को पूरा नंगा देख चुकी थी मगर उस वक़्त हालत दूसरे थे. वो एक टक कृष्णा के लंड को देखने लगती है. राधिका को ऐसे देखता पाकर कृष्णा भी अपना लंड उसके सामने कर देता हैं.
कृष्णा- ऐसे क्या देख रही हैं राधिका पसंद नहीं आया क्या.
राधिका अपना थूक निगलते हुए- भैया इतना बड़ा भला ये कैसे मेरे अंदर जाएगा.
कृष्णा-चिंता मत कर बाकी औरतों की तरह तू भी इसे अपनी चूत में आराम से ले लेगी.
फिर कृष्णा राधिका को बिस्तेर पर सीधा लेटा देता हैं और उसकी पैंटी भी सरकाकर उसे पूर नंगा कर देता हैं. अब राधिका की चूत अपने भैया के सामने बे-परदा थी. कृष्णा का अरमान अब पूरा हो गया था राधिका को पूरा नंगा देखने का. वो बड़े गौर से राधिका की खूबसूरती को अपनी आँखों में क़ैद करने लगता हैं. कृष्णा को ऐसे देखकर राधिका फिर से शरमा जाती हैं.
कृष्णा फिर राधिका के उपर आता हैं और अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर फिर से उसे चूसने लगता हैं और फिर बहुत धीरे धीरे अपना जीभ फिराते हुए वो नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं. और राधिका बेचैन होने लगती हैं. आज कृष्णा ने उसकी चूत इतनी गीली की थी कि राधिका खुद हैरान थी. इतनी आग तो आज तक राहुल ने भी नहीं लगाई थी. आज उसे महसूस हुआ था कि जिस्म की आग क्या होती हैं. राधिका के मूह से भी सिसकारी लगातार निकल रही थी और उधेर कृष्णा की हरकतों से भी उसे मज़ा आ रहा था.
फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर अच्छे से अपनी जीभ फिराता हैं और फिर एक हाथ से उसके बूब्स को कस कर मसल्ने लगता हैं और और दूसरी उंगल उसकी चूत पर फिराने लगता हैं. और अपना जीभ से उसके दूसरे निपल्स को चूसने लगता हैं. अब राधिका का सब्र जवाब दे देता हैं और वो ना चाहते हुए भी चीख पड़ती हैं.
राधिका- बस........ भैया.........आज .. मेरी ....जान लोगे.......क्या. मैं....मर .जाउन्गि............आह... और इतना कहते कहते उसकी चूत से उसका पानी निकलना शुरू हो जाता हैं और राधिका का ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं वो वही एक लाश की तरह कृष्णा की बाहों में पड़ी रहती हैं. उसकी धड़कनें बहुत ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. और साँसें भी कंट्रोल के बाहर थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी साँसों को कंट्रोल करती हैं और अपनी आँखें बंद करके कृष्णा के लबों को चूम लेती हैं.........
कृष्णा भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं और जवाब में राधिका बस मुस्कुरा कर अपनी निगाहें नीची कर लेती हैं.
कृष्णा- अब तेरी बारी हैं. चल अब तू मेरी प्यास को शांत कर. और इतना बोलकर कृष्णा अपना लंड राधिका के मूह के एकदम करीब रख देता हैं. राधिका बड़े गौर से कृष्णा के लंड को देखने लगती हैं. फिर अपनी जीभ निकालकर धीरे से उसके लंड का सूपड़ा को नीचे से लेकर उपर तक चाट लेती हैं. कृष्णा के मूह से एक सिसकारी निकल पड़ती हैं.
फिर वो राधिका के सिर के बालो को खोल देता हैं और अपना हाथ राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं.राधिका धीरे धीरे कृष्णा के लंड पर अपना जीभ फिराती हैं. अचानक कृष्णा को ना जाने क्या सुझता हैं वो तुरंत राधिका के मूह से अपना लंड बाहर निकल लेता हैं. राधिका हैरत भरी नज़रों से कृष्णा को देखने लगती हैं. कृष्णा उठकर किचन में चला जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो एक जॅम की सीसी लेकर वापस आता हैं.
जॅम की सीसी को देखकर राधिका के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो भी कृष्णा का मतलब समझ जाती हैं. कृष्णा फिर जॅम की सीसी को खोलता हैं और और उसे अपने लंड पर अच्छे से लगा देता हैं. कृष्णा का लंड बिल्कुल लाल कलर में दिखाई देने लगता हैं.फिर वो राधिका के तरफ बड़े प्यार से देखने लगता हैं. राधिका मुस्कुरा कर आगे बढ़ती हैं और अपना मूह खोलकर जॅम से लिपटा कृष्णा का लंड को धीरे धीरे चूसना शुरू करती हैं. एक तरफ नमकीन का स्वाद और एक तरफ जॅम का स्वाद दोनो का टेस्ट कुल मिलकर बड़ा अद्भुत था. थोड़ी देर के बाद राधिका कृष्णा के लंड पर पूरा जॅम चाट कर सॉफ कर देती हैं.
कृष्णा- राधिका एक बार मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना. तुझे भी बहुत मज़ा आएगा.
राधिका- आपका दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया भैया. भला इतना बड़ा लंड पूरा मेरे मूह में कैसे जाएगा. नहीं मैं इसे पूरा अपने मूह में नहीं ले सकती.
कृष्णा- क्या तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. मैं जानता हूँ बोलने और करने में बहुत फरक होता हैं. ठीक हैं मैं तुझसे ज़बरदस्ती नहीं करूँगा. आगे तेरी मर्ज़ी. और कृष्णा के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं.
अपने भैया को ऐसे मायूस देखकर राधिका तुरंत अपना इरादा बदल लेती हैं.
राधिका- क्यों नाराज़ होते हो भैया. मेरा कहने का ये मतलब नहीं था. मैं तो बस......................अच्छा फिर ठीक हैं अगर आपकी खुशी इसी में हैं तो मैं अब आपको किसी भी बात के लिए मना नहीं करूँगी. कर लो जो आपका दिल करता हैं.आज मैं साबित कर दूँगी कि राधिका जो बोलती हैं वो करती भी हैं.
कृष्णा भी मुस्कुरा देता हैं और राधिका के बूब्स को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल जाती हैं.
कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू खुशी खुशी मेरा लंड पूरा अपने मूह में लेकर चूसे. मैं यकीन से कहता हूँ कि तुझे भी बहुत मज़ा आएगा. हां शुरू में थोड़ी तकलीफ़ होगी फिर तू भी आसानी से इसे पूरा अपने मूह में ले लेगी.
राधिका- जैसा आपका हुकुम सरकार.. मगर मुझे तकलीफ़ होगी तो क्या आपको अच्छा लगेगा. बोलो......................
कृष्णा-अगर चुदाई में तकलीफ़ ना हो तो मज़ा कैसा. पहले दर्द तो होता ही हैं फिर मज़ा भी बहुत आता हैं. बस तू मेरा पूरा साथ देना फिर देखना ये सारा दर्द मज़ा में बदल जाएगा.
कृष्णा फिर जॅम अपनी उंगली में लेता हैं और अपने टिट्स पर मलने लगता हैं और फिर अपने लंड के आखरी छोर पर भी पूरा जॅम लगा देता हैं.
कृष्णा राधिका को बेड पर लेटा देता हैं और उसकी गर्देन को बिस्तेर के नीचे झुका देता हैं. राधिका को जब समझ आता हैं तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वो तो सोच रही थी कि वो अपनी मर्ज़ी से पूरा लंड धीरे धीरे अपने मूह में ले लेगी मगर यहाँ तो उसकी मर्ज़ी नहीं बल्कि वो तो खुद कृष्णा के रहमो करम पर थी. मगर वो अपने भैया की ख़ुसी के लिए उसे सब मंजूर था.