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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#28
Update 21

बिहारी- और एक बात तू पार्वती को कुछ नहीं करेगा. जो कुछ करूँगा मैं करूँगा और डाइवोर्स से पहले करूँगा.

विजय- लेकिन डाइवोर्स होने के बाद तो भाभिजी को आसानी से मरवाया जा सकता हैं. तो पहले क्यों???

बिहारी- तू नहीं समझेगा. इसी को तो पॉलिटिक्स कहते हैं.अगर मैं उसे डाइवोर्स के बाद मरवा दूँगा तो कोई भी आसानी से यही अंदाज़ा लगा सकता हैं कि मैने अपनी दुश्मनी के लिए अपनी पत्नी को पहले तलाक़ दिया फिर उसे जान से मरवा दिया. जिससे सारा ब्लेम मुझपर ही आ जाएगा. और अगर वो डाइवोर्स से पहले मरी तो कोई भी ये नहीं जान पाएगा कि इन सब के पीछे मेरा हाथ हैं.

विजय- तो कब भाभिजी को यमराज के पास भेजने का प्लान हैं.

बिहारी- वही तो सोच रहा हूँ. अब हमे हर एक कदम बहुत सोच कर उठाना पड़ेगा.पहले ही हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं.फिर उस इनस्पेक्टर पर जान लेवा हमला. और अब ट्रक और उस कॉंट्रॅक्टर का पकड़े जाना. यानी इस समय अब किसी भी तरह का रिस्क लेना बहुत ख़तरनाक हैं. और अभी पोलीस भी पूरी आक्टिव हो गयी हैं. अभी कुछ दिन रुक जाते हैं . बेचारी को कुछ दिन का सूरज देख लेने दे. मरना तो हर हाल में हैं उसे.

विजय- ठीक हैं बिहारी मगर ये काम जितनी जल्दी हो जाए उतना ही हमारे लिए बढ़िया हैं...

..............................................

उधेर कृष्णा भी उस दिन के बाद जो घर से निकाला था तब से वो दो दिन तक घर नही आया था. राधिका उसके लिए एक दम बेचैन और परेशान हो गयी थी. तभी उसके घर की डोर बेल बजती हैं और राधिका दौड़ कर दरवाजा खोलती हैं. सामने उसके भैया थे..

राधिका- भैया आप कहाँ चले गये थे.. आपको ज़रा भी अंदाज़ा हैं कि मैं आपके लिए कितनी परेशान हूँ. कम से कम एक फोन तो कर ही सकते थे ना..और इतना बोलकर राधिका झट से अंदर आ जाती हैं. और जाकर बिस्तेर पर पेट के बल लेट जाती हैं.

कृष्णा भी दरवाजा बंद करके अंदर आता हैं और राधिका के कमरे में चला जाता हैं. राधिका उसको अपने पास आता देखकर वो बिस्तेर से उठकर बैठ जाती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. मैं जानता हूँ कि तू मुझसे नाराज़ हैं..

राधिका- एक टक कृष्णा को देखते हुए- हां भैया मैं आपसे बहुत नाराज़ हूँ लेकिन इस लिए नहीं कि आपने मुझपर अपना हाथ उठाया बल्कि इस लिए कि आप दो दिन तक बिना बताए चले गये और आपने मुझे फोन करके बताना भी ज़रूरी नहीं समझा. आख़िर क्यों?? क्या हैं इसके पीछे वजह??

कृष्णा- बस ऐसे ही अपने एक दोस्त के यहाँ पर रुक गया था. मैं तो ये सोचकर तेरे सामने नहीं आया कि मैने तुझपर अपना हाथ उठाया है तो तू मेरे बारे में क्या सोचेगी.

राधिका- वादा करो भैया कि आज के बाद तुम मुझे कभी भी छोड़ कर कहीं नही जाओगे.

कृष्णा भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.

राधिका- आप मूह हाथ धो लो मैं आपके लिए खाना निकाल देती हूँ.

थोड़ी देर के बाद कृष्णा और राधिका भी खाना खाते हैं और फिर राधिका जाकर किचन सॉफ करने लगती हैं. और कुछ देर में वो दोनो राधिका के रूम में वापस आ जाते हैं.

कृष्णा- एक बात कहूँ राधिका बुरा तो नहीं मनोगी ना.

राधिका- हां भैया कहो ना मुझे आपकी बात का भला कैसे बुरा लगेगा.

कृष्णा- क्या तू सच में राहुल से शादी नही करना चाहती. क्या तू उस बिहारी से .....................

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं - छोड़ो ना भैया क्या अब आप भी बेकार की बातें लेकर बैठ गये.

कृष्णा अपना हाथ राधिका के कंधे पर रखकर उसे अपनी तरफ घूमता है- तू इसे बेकार की बातें कहती हैं. ये तेरी ज़िंदगी का सवाल हैं. बता मुझे.

राधिका- वो तो मैने गुस्से में कह दिया था.

कृष्णा-क्या तू सच में मेरे साथ वो सब करना चाहती हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखते हुए बोला..

राधिका- आपको क्या लगता हैं भैया कि मैं आपसे मज़ाक कर रही थी. अगर यकीन ना आए तो एक बार कह के तो देख लो मैं अभी इसी वक़्त अपने सारे कपड़े आपके सामने उतार दूँगी.

क्रिसना- तू कैसी बातें करती हैं. भला तुझे शरम नही आएगी मेरे सामने अपने पूरे कपड़े उतारते हुए.

राधिका- जब आप मेरे सामने पूरा नंगा हो सकते हैं तो मैं क्यों नहीं. आख़िर आप की रगों में भी तो मेरा ही खून दौड़ रहा हैं ना. फिर आपसे शरम कैसा.

कृष्णा की कही हुई बात आज राधिका ने फिर से उसपर पलट दी थी. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- नही राधिका अब मैं तेरे साथ वो सब नहीं करना चाहता.

राधिका- आख़िर क्या हो गया हैं भैया आपको. क्यों आज आप इतना बदल गये हैं????

कृष्णा- मुझे ये सब ठीक नहीं लगता. और आज मैं नही बदला हूँ राधिका बल्कि तू बदल गयी हैं. मुझे तो समझ में नही आ रहा हैं कि तू इतना कैसे बदल सकती हैं.

राधिका- क्या ठीक नही लगता भैया. मुझसे सेक्स करने के लिए तो आप हमेशा मेरे पीछे पागल रहते थे. क्या आप नही चाहते थे कि मैं अपना बदन आपको सौप दूँ. और आपने तो मुझे सिड्यूस करने के लिए 2 हफ्ते का समय भी माँगा था. और दो हफ्ते ख़तम होने में केवल एक दिन ही बचा हैं. क्या आप नही चाहोगे कि आप शर्त जीत जाओ. मैं तो अब आपको किसी बात के लिए रोकूंगी भी नहीं.

कृष्णा- बस कर राधिका. ये पाप मुझसे नही होगा.

राधिका- वाह भैया वाह..... आज ये सब आपको पाप लगने लगा. अगर इतना ही पाप पुन्य का ख्याल था तो क्यों मेरा हाथ बचपन में ही छोड़ दिया था. क्यों नही बचाने आए हर जगह मेरी लाज को. आपको क्या मालूम भैया कि जब भी मैं बाहर निकलती हूँ लोग मुझे खा जाने वाली नज़रो से देखते हैं. ऐसा लगता हैं कि मैं कोई सेक्स की मशीन हूँ. आपको तो ये भी नहीं मालूम होगा कि आज तक कितने लड़कों ने मुझे छेड़ा हैं शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब कोई मुझसे कुछ ना कहा हो. ये सब सुनकर मुझपर क्या बीतती हैं आप इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते. जब भी मैं किसी सड़क या गली मुहल्ले से गुजरती हूँ तो लोग मेरे बारे में कैसी गंदी गंदी बातें करते हैं आपको तो शायद ये भी नही मालूम.

उस वक़्त आप कहाँ थे. क्या आपने कभी मुझसे पूछा हैं कि क्या कभी तुझे किसी बात की तकलीफ़ हैं. क्या तुझे कोई तंग करता हैं. नहीं ना तो आज आपके मन में ये पाप पुण्य का ख्याल कहाँ से आ गया. मुझे जवाब दो.

आप ही कहते हैं ना कि कोई तुझ पर बुरी नज़र डालेगा तो मैं उसकी आँखें फोड़ दूँगा. कितनो की आँखें फोड़ोगे आप भैया. कहने और करने में बहुत फरक हैं. और आप इस बात को अच्छे से जानते हैं कि राधिका कहती नही हैं बल्कि करती भी हैं. आपको क्या मालूम कि औरत की ज़िंदगी कितनी मुश्किल होती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैं मानता हूँ कि मैं समय रहते तेरे सहारा नहीं बन सका. एक अच्छा भाई नहीं बन सका. मगर आज मैं अपनी ग़लती सुधारना चाहता हूँ. मुझे एक मौका तो दे...........

राधिका- क्यों शर्मिंदा करते हो भैया. मैं कौन होती हूँ आपको माफ़ करने वाली. खैर अब मैं आपसे इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती.

कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसे बड़े प्यार से गले लगा लेता हैं.

राधिका- भैया एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगे ना..

कृष्णा- कहो..

राधिका- क्या मेरे जिस्म को देखकर आब आपका मन नही करता क्या कि आप मेरे साथ सेक्स करें.

कृष्णा- ये क्या बेहूदा सवाल हैं. मैं तेरे सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझता.

राधिका- मैं जानती हूँ कि आज भी आपके ख़यालात पहले जैसे हैं. बस आप मुझसे झूट बोल रहे हैं.

कृष्णा राधिका को अपने से दूर करते हुए--- ठीक हैं अगर तुझे ऐसा लगता हैं तो ........लगे. मैं ये बात साबित तो नहीं कर सकता.

राधिका- लेकिन मैं साबित कर सकती हूँ. अगर आप हां कहो तो..........................

कृष्णा उसको सवालियों नज़र से देखता हैं- मतलब???

राधिका कृष्णा का एक हाथ को पकड़कर अपने हाथ में लेती हैं और उसे झट से अपने सीने पर रख देती हैं और कसकर अपने हाथ पर दबाव डालने लगती हैं. कृष्णा जैसे ही समझता हैं वो अपना हाथ राधिका के सीने से हटाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका उसका हाथ कसकर पकड़े रखती हैं. आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के बूब्स को अपने हाथों में महसूस किया था. और नीचे उसके लंड में भी हलचल होनी शुरू हो जाती हैं.

कृष्णा फिर एक झटके से अपना हाथ राधिका के सीने से हटा लेता हैं- ये क्या मज़ाक हैं राधिका.

राधिका- क्यों भैया सच कहिए क्या आपको अच्छा नहीं लगा इस तरह मेरे सीने पर हाथ रखकर. अगर नहीं तो ये बात मेरी आँखों मे देखकर कहिए. मैं कसम खाती हूँ भैया कि मैं आज के बाद आपको सेक्स के लिए कभी फोर्स नहीं करूँगी.

कृष्णा का तो मूह से कोई शब्द नहीं निकलता हैं और वो खामोश होकर अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- मैं जानती थी भैया कि दुनिया में इंसान शराब और शबाब कभी नहीं छोड़ सकता. ये वो नशा हैं जब ये इंसान पर हावी हो जाती हैं तो इंसान कुछ नहीं सोचता. ये भी नहीं कि कौन उसकी बेहन हैं, कौन उसकी मा हैं और कौन उसकी बेटी हैं. फिर आप को तो दोनो का शौक हैं. और मैं यकीन से कह सकती हूँ कि आपका भी खून ज़रूर गरम हुआ होगा. फिर ये सब ढोंगबाज़ी किस लिए???

राधिका ने तो आज कृष्णा का भी मूह बंद कर दिया था. आज उसके पास राधिका के सवाल का भी कोई जवाब नही था.

कृष्णा- मुझे अब चलना चाहिए राधिका. मुझे अब काम पर भी जाना हैं..

जैसे ही कृष्णा जाने के लिए मुड़ता हैं राधिका झट से उसका हाथ थाम लेती हैं. आज सब कुछ उसके साथ उल्टा होता नज़र आ रहा था. अब तक वो राधिका का हाथ पकड़ता था मगर आज राधिका ने उसका हाथ पकड़ लिया था.

राधिका- आख़िर कब तक बचोगे मुझसे भैया. चिंता मत करो आज मैं आपको हाथ भी नही लगाउन्गि. मगर कल आपको मुझसे कौन बचाएगा. अभी आपने राधिका को अच्छे से जाना कहाँ हैं. मैं कल आपको बताउन्गि कि राधिका क्या कर सकती हैं. और हां ये मत समझना कि आप घर नहीं आओगे तो बच जाओगे. आगर नहीं आए तो मैं कहीं कोई ऐसा कदम ना उठा लूँ कि कहीं आपको बाद में फिर पछताना पड़े.

कृष्णा की तो मानो ज़ुबान से आवाज़ ही निकलनि बंद हो गयी थी. वो कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप घर से अपना मूह लटकाकर बाहर की ओर निकल जाता हैं. आज उसका सारा दाँव उसी पर उल्टा पड़ता नज़र आ रहा था.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर फोन आता हैं. फोन राहुल का था.

राहुल- अरे कहाँ पर हो मेडम साहिबा. तुम्हारा तो दो दिन से कुछ पता ही नहीं हैं. ना मुझ से मिलती हो ना ही बात करती हो. आभी इस वक़्त आ जाओ मैं तुम्हारा यहीं गार्डेन में वेट कर रहा हूँ. और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

राधिका भी जल्दी से तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. थोड़े देर के बाद जब वो वहाँ पर पहुचती हैं तो वहाँ पर निशा भी राहुल के साथ बैठी मिलती हैं.

निशा- आओ राधिका शुक्र हैं कि तुमको टाइम तो मिल गया हम से मिलने का. वैसे आज कल तुम ज़्यादा बिज़ी रहती हो...हैं ना.

राधिका कुछ कहती नही बस एक प्यारा सा स्माइल देकर वहीं राहुल और निशा के पास बैठ जाती हैं.

राहुल- हां तो राधिका आज का तुम्हारा क्या प्लान हैं. कहीं आज बिज़ी तो नहीं हो ना.

राधिका- नहीं राहुल ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही दो दिन से मेरी तबीयात थोड़ी ठीक नहीं लग रही हैं.

निशा- आरे हम तुम्हारे लगते ही कौन हैं. बताना तो तुम कोई भी बात हम से ज़रूरी नहीं समझती.

राधिका- नहीं निशा ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राहुल- चलो यार आज कहीं बाहर चलते हैं घूमने. मैं आज दोपहर तक फ्री हूँ. और इसी बहाने राधिका का भी मूड फ्रेश हो जाएगा.

फिर थोड़ी देर में वो तीनों सहर के बाहर एक हिल स्टेशन की ओर निकल पड़ते हैं. मगर आज राधिका सिर्फ़ खामोश थी. वो ज़्यादा खुल कर ना ही राहुल से बोल रही थी और ना ही निशा से.

कुछ देर के बाद वो तीनों मनाली की सुंदर घाटियो में पहुँच जाते हैं और प्रकृति के सुंदर नज़ारे का आनंद उठाते हैं.

राहुल- यार तुम ऐसे क्यों खामोश हो. और कोई बात हैं क्या. मैं तुम्हारा मूड फ्रेश करने के लिए ही तो तुम्हें यहाँ पर लाया हूँ और तुम बस खामोश बैठी हो.

राधिका- नहीं राहुल बस कुछ अच्छा नहीं लग रहा.

राहुल- जानती हो राधिका अपनी निशा को किसी से प्यार हो गया हैं. और वो उस लड़के से बहुत प्यार करती हैं. मगर वो किसी और को चाहता हैं. अरे इतनी अच्छी लड़की उसे कहाँ मिलेगी.

राधिका जब ये बात सुनती हैं तो उसके दिल की धड़कन तुरंत बढ़ जाती हैं. और वो राहुल को सवालियों नज़र से देखने लगती हैं.

राधिका- किससे...............कौन हैं वो???

राहुल- यार इसी बात का तो दुख हैं ये बस बता ही नहीं रही हैं. अगर बताती तो मैं उस साले को जाकर एक दो डंडे लगाता और उसे यहीं पर बुलाकर उसका हाथ निशा के हाथों में दे देता.आब तुम ही कहो ना इसी कि ये हमे बताए. शायद तुम्हारी बात ये नहीं टालेगी.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आता कि वो क्या बोले बस वो राहुल और निशा को चुप चाप देखने लगती हैं. बोलती भी कैसे वो ये बात अच्छे से जानती थी कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती हैं. मगर निशा ये बात नहीं जानती थी कि राधिका समझ चुकी हैं कि उसका लवर और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं.

राहुल- चुप क्यों हो राधिका कुछ तो जवाब दो.

राधिका- मुझे नहीं मालूम राहुल. अगर निशा ने तुम्हें ये बात नहीं बताई हैं तो वो मुझे कैसे बताएगी.
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 11:05 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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