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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#27
Update 20



थोड़ी देर के बाद वो दोनो फिर से उठते हैं और मोनिका के पास जाकर उसके बदन से खेलना शुरू कर देते हैं.

विजय- अपने लंड की ओर इशारा करते हुए.. चल अब मेरे लंड को फिर से खड़ा कर.

मोनिका अच्छे से जानती थी कि विजय उससे क्या करवाना चाहता हैं. वो भी चुप चाप जाकर उसके गान्ड के पास अपना मूह करके बैठ जाती हैं.

विजय- अब क्या ऐसे ही बैठी रहेगी या मेरी गान्ड भी चाटेगी. चल शुरू हो जा और हां अच्छे से मेरे आँड भी चाटना. नही तो आज तेरी क्या हालत होगी वो तू सपने में भी नहीं सोच सकती.

मोनिका भी चुप चाप जाकर विजय की गान्ड को चाटना शुरू कर देती हैं. जैसे जैसे वो आगे बढ़ती हैं विजय को धीरे धीरे मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. बिहारी भी वही बैठा ये नज़ारा देखता हैं फिर वो भी मोनिका के पास जाकर उसके पेटिकोट का नाडा खोल देता हैं और एक उंगली लेजा कर उसके पैंटी पर रख देता हैं. फिर वो उपर से ही मोनिका की चूत को मसल्ने लगता हैं.

अब वो अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके ब्लाउस के बटन्स को खोलना शुरू कर देता हैं. अब इस वक़्त मोनिका भी बस ब्रा और पैंटी में उन्दोनो के सामने थी. और उधर वो अपनी जीभ धीरे धीरे फिराते हुए विजय के बॉल्स पर लेजा कर उसे अपने मूह में लेकर चूस रही थी. विजय तो जैसे सातवे आसमान में था.

फिर बिहारी भी अपना लंड मोनिका के मूह के पास लेजाता हैं और उसे भी चूसने का इशारा करता हैं. अब एक बार वो बिहारी का लंड चुसती है तो फिर थोड़ी देर में वो विजय का लंड चुसती हैं. ऐसे ही वो दोनो कुछ देर तक अपनी गान्ड और अपने बॉल्स भी उससे चटवाते हैं और मोनिका के ना चाहते हुए भी उसे वो सब करना पड़ता हैं.

बिहारी फिर आगे बढ़ता हैं और उसकी ब्रा के हुक्स को खोल देता हैं और विजय भी एक हाथ लेजा कर उसकी पैंटी को नीचे खीच देता हैं. बिहारी की आँखों में तो जैसे चमक सी आ जाती हैं. मोनिका की वेल शेव्ड चूत उसकी आँखों के सामने थी. उसे बिल्कुल भी सब्र नही होता और वो अपनी एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं. मोनिका के मूह से एक तेज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

इधेर विजय अपने दोनो हाथों से उसके दोनो बूब्स को कसकर मसलता हैं फिर उसे अपने मूह में लेकर बारी बारी चूसने लगता हैं. मोनिका को भी दोहरा मज़ा आने लगता हैं और उसके मूह से सिसकारी तेज़ होने लगती हैं.

बिहारी फिर मोनिका को बिस्तेर पर लेटा देता हैं और झुक कर उसकी चूत पर अपना जीभ फेरने लगता हैं. मोनिका तो जैसे एकदम से बेचैन होने लगती हैं. और इधेर विजय भी उसके दोनो बूब्स को और निपल्स को अपने दाँतों में कसकर कुरेदने लगता हैं.

बिहारी फिर एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं और फिर उसे खूब अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में उसकी उंगली पर मोनिका की चूत का रस पूरा लग जाता हैं. फिर वो अपना वही उंगली निकालकर उसे मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका भी बड़ी हैरानी से बिहारी को देखने लगती हैं.

बिहारी- ऐसे क्या देख रही हैं. आज तूने हम दोनो का कम चखा हैं. तो आज ज़रा अपना भी तो टेस्ट कर ले. बुरा नहीं लगेगा. इतना कहकर बिहारी अपनी वही उंगली मोनिका के मूह में डाल देता है. मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे चूसना पड़ता हैं. और वो बुरा सा मूह बनाती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक अपनी उंगली मोनिका को चुसवाने के बाद बिहारी वही उंगली इस बार मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं.

मोनिका- ये क्या कर रहे हो बिहारी. इतना गंदा खेल मुझसे नहीं होगा. भला ऐसे भी कोई सेक्स करता हैं क्या.

विजय एक कस कर थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं. हरामी रंडी साली , तू कौन होती हैं हम से ये सब सवाल करने वाली. हम जो भी करे तेरे साथ जैसे भी करें तुझे बस हमारा हुकुम मानना है. वरना तेरा हम दोनो वो हाल करेंगे कि साली आज के बाद सही से धंधा भी नही कर पाएगी.

मोनिका भी कुछ नहीं बोलती हैं और चुप चाप उनका कहाँ मानने लगती हैं. फिर बिहारी अपनी वही उंगली को धीरे धीरे मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं और मोनिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.कुछ देर में वो ऐसे ही आगे पीछे अपनी उंगली घुमाता हैं और फिर वही उंगली वो बाहर निकालकर मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका ना चाहते हुए भी अपनी गान्ड का स्वाद उसे अपने मूह में लेना पड़ता हैं.

मोनिका तो बस यही चाह रही थी कि कैसे भी सुबह हो और मैं इन दोनो के चंगुल से आज़ाद हो जाऊ. मगर शायद आज़ादी अभी उससे इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली थी. ऐसे ही कुछ देर तक वो बिहारी की उंगली चाटती हैं फिर विजय भी एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और बिहारी अपनी दूसरी उंगली उसकी गान्ड में डाल देता हैं. और दोनो अपनी उंगलियों को हरकत करना शुरू कर देते हैं. मोनिका को सच में बहुत मज़ा आने लगता हैं. और उसके मूह से सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं.

बिहारी- अरे ये साली तो तो सच में मज़ा आ रहा हैं. अभी तो हम ने उंगली डाली है तो इसे इतना मज़ा आ रहा हैं. अगर पूरा लंड इसके दोनो छेदों में एक साथ डालेंगे तो कितना मज़ा आएगा. इतना कहकर बिहारी हँसने लगता हैं.

मोनिका की आँखों में भी हवस सॉफ छलक रही थी .वो कुछ बोलती नही मगर आने वाली चुदाई को सुनकर उसके रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

विजय भी अपना उंगली मोनिका की चूत से निकाल कर मोनिका के मूह की तरफ बढ़ाता हैं और बिहारी भी अपना उंगली उसकी गान्ड से निकाल कर उसके मूह की तरफ कर देता हैं.

विजय- कौन सी उंगली पहले टेस्ट करना चाहेगी ....बता.

मोनिका मंन ही मंन में उन दोनो को बहुत गालियाँ देती हैं.

मोनिका तो कुछ कहती नहीं पर बिहारी बोल पड़ा हैं..

बिहारी- चल विजय आज इसे दोनो का टेस्ट एक साथ करते हैं. और इतना बोलकर वो दोनो अपनी एक एक उंगली को मोनिका के मूह में दल देता हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो की उंगाली एक साथ चुसनी पड़ती हैं.

विजय- बता ना किसका टेस्ट ज़्यादा . हैं. तेरी गान्ड का या तेरी चूत का....

मोनिका भी बड़ा बुरा सा मूह बनाती हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो उंगली एक साथ चुसनी पड़ती हैं. .

फिर विजय उठकर आता हैं और अपने लंड को फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं और बिहारी उसकी कमर के नज़दीक आता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत पर रख देता हैं. कुछ देर ऐसा रखने के बाद वो एक झटके से अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और फेच की आवाज़ के साथ बिहारी का लंड मोनिका की चूत में थोड़ा सा घुस जाता हैं. फिर वो धीरे धीरे अपना लंड को आगे पीछे करने लगता हैं और एक झटके के साथ अपना पूरा लंड मोनिका की चूत में पेल देता हैं. मोनिका की चीख वही पर घुट कर रह जाती हैं.

बिहारी भी उसी पोज़िशन में ऐसे ही मोनिका की चूत मारने लगता हैं. बिहारी को सच में बहुत मज़ा आता हैं. मोनिका की चूत काफ़ी टाइट थी. उसे भी अब मज़ा आने लगता हैं. और इधेर वो विजय का लंड भी चूस रही थी. फिर वो दोनो अपनी पोज़िशन बदलते हैं और अब बिहारी अपना लंड उसके मूह में डाल देता हैं. और विजय जाकर उसकी चूत चोदने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर की चुदाई के बाद विजय अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर वो अपने लंड को मोनिका की गान्ड के होल पर रखकर धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. मोनिका चाह कर भी नही चीख पाती और उसकी आवाज़ बिहारी के लंड के साथ दब कर रह जाती हैं.

विजय पहले धीरे धीरे फिर काफ़ी स्पीड से उसकी गान्ड मारने लगता हैं और मोनिका को भी थोड़ी देर में मज़ा आने लगता हैं. फिर वो दोनो ऐसे ही कुछ देर तक चुदाई करते हैं फिर बिहारी अपना लंड उसके मूह से निकाल लेता हैं और मोनिका को पीठ के बल सोने को कहता हैं. विजय भी जल्दी से पहले बेड पर लेट जाता हैं और फिर मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं.

जैसे ही मोनिका उसके उपर आती हैं वो अपना लंड उसकी गान्ड में फिर से डाल देता हैं और फिर से चुदाई करना शुरू कर देता हैं. मोनिका के मूह से भी आ.......ह............आ........ह. की आवाज़ें निकालने लगती हैं. और इधेर बिहारी अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल देता हैं. पहले तो मोनिका थोड़ा चिहुनक पड़ती हैं मगर वो भी अब मज़ा लेने लगती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक वो उसकी चूत के दानों को कसकर मसलता हैं और मोनिका ना चाहते हुए भी फारिग हो जाती हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाती हैं. मगर बिहारी अपनी उंगली नही निकालता और फिर कुछ देर के बाद मोनिका फिर से गरम होने लगती हैं.

अब बिहारी भी उसके उपर चढ़ जाता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत में डाल देता हैं. थोड़ी मुश्किल से मगर एक झटके में बिहारी का लंड पूरा मोनिका की चूत में चला जाता हैं. और फिर मोनिका की यहाँ पर एक साथ दोहरी चुदाई शुरू हो जाती हैं. आज तक उसने कभी ज़िंदगी में एक साथ कभी दो लंड नहीं लिए थे. उसे तो सच में लगता हैं कि वो जन्नत में हैं. कभी विजय का लंड आगे जाता तो कभी बिहारी का ऐसे ही करीब 30 मिनिट्स की ख़तरनाक चुदाई के बाद मोनिका भी करीब 3 बार फारिग होती हैं और विजय और बिहारी भी उसकी चूत और गान्ड में अपना वीर्य पूरा निकाल देता हैं और दोनो उसके उपर पसर जाते हैं............

दोनो बिल्कुल पसीने से लथपथ एकदम शांत होकर मोनिका के उपर चढ़े हुए थे और उन दोनो के बीच मोनिका भी एक दम शांत पड़ी हुई थी. ऐसे ही दोनो बदल बदल कर पोज़िशन और रात के करीब 12 बजे तक मोनिका की तीन बार जम्कर चुदाई होती हैं और वो तीनों थक कर वही पर सो जाते हैं..

सुबह के करीब 10 बजे तीनों की आँखें खुलती हैं. मोनिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लेती हैं और बिहारी और विजय भी जल्दी से तैयार होने लगते हैं. थोड़ी देर के बाद........

मोनिका- अब मुझे चलना चाहिए. अब मैं तुमसे 1 महीने के बाद मिलूंगी अपना कांट्रॅक्ट ख़तम करने के बाद.

विजय हंसते हुए- ये तुझे किसने कह दिया कि हम तुझे एक महीने तक हाथ भी नहीं लगाएँगे.

अब चौकने की बारी मोनिका की थी- क्या??? तुम ऐसा नहीं कर सकते...

विजय- अरे मेरी जान ज़रा ध्यान से पढ़ ना इस कांट्रॅक्ट लेटर को. मैने कहीं भी इस बारे में कोई भी ज़िकरा नहीं किया हैं कि हम दोनो तुझे एक महीने तक हाथ नही लगा सकते. हां मैने इस बात का ज़रूर ज़िकरा किया हैं कि तू पूरे एक महीने तक हमारे लिए काम करेगी. चाहे कोई भी काम क्यों ना हो. उसके बाद तू आज़ाद हैं.

मोनिका- फिर से धोका!!!! सच में विजय तुम बहुत बड़े कमिने हो. मैने आज तक तुम जैसा कमीना इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा.

विजय- और देखोगी भी नहीं अगर तुमने अपना कांट्रॅक्ट टाइम से ख़तम नही किया तो. और हां हमारा जब जी चाहे जहाँ जी चाहे जब भी हम तुम्हें बुलाएँगे तुम्हें आना होगा. बाकी तुम खुद समझदार हो. और इतना कहकर बिहारी और विजय दोनो हँसे लगते हैं.

मोनिका जितना चाहती थी कि वो इस दलदल से बाहर निकले वो अब उतनी ही इसमें फँसती जा रही थी. और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं. मगर वो वहाँ से चुप चाप उठती हैं और बाहर निकल जाती हैं. अब उसके मंन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो ये बात अच्छे से जानती थी कि जो हाल उन्दोनो ने मेरा किया वो तो कोई दुश्मन भी किसी से नही कर सकता. पता नहीं उस राधिका से इनलोगों की क्या दुश्मनी हैं. अगर वो उससे अपनी दुश्मनी निकालेंगे तो पता नहीं उसके साथ ये लोग क्या सुलूक करेंगे.अब उस राधिका का क्या होगा ये तो बस भगवान ही जानता हैं.

जैसे ही मोनिका वहाँ से बाहर निकलती हैं किसी और की नज़र उस पर पड़ जाती हैं. पर किसकी ये बात अभी कुछ देर में पता लगने वाली थी.

जी हां वो और कोई नही बल्कि बिहारी की पत्नी पार्वती थी जिसकी उमर करीब 43 साल थी ,थोड़ी मोटी और हेल्ती शरीर की रंग थोड़ा गेहुआ था. और तो और उसने मोनिका को जाते हुए भी नही बल्कि बिहारी और विजय की सारी बातें भी सुन ली थी. वो छत पर से नीचे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आती हैं............

पार्वती अपने दोनो हाथों से ताली बजाते हुए नीचे सीढ़ी से उतर कर बिहारी और विजय के पास आती हैं. और जैसे ही बिहारी की नज़र अपनी पत्नी पर पड़ती हैं उसके होश उड़ जाते हैं और घबराहट की वजह से उसका गला सूखने लगता हैं.

बिहारी- आँखें फाड़ कर देखते हुए- .....तू....तुम यहाँ पर.........कैसे????

पार्वती- क्यों मुझे इस वक़्त यहाँ पर नहीं होना चाहिए था क्या???

बिहारी- लेकिन तुम तो........ अपने मायके जाने वाली थी........फिर????

पार्वती- नही गयी.. चलो अच्छा ही हुआ कि यहाँ पर आकर तुम क्या गुल खिला रहे हो कम से कम मुझे इस बात का तो पता चला. तुमपर शक़ तो मुझे बहुत पहले से था लेकिन आज यहाँ पर ये सब देखकर मुझे यकीन भी हो गया...

बिहारी- तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मैं वो लड़की को नहीं जानता. वो तो बस मेरे दोस्त से मिलने आई थी..

पार्वती बिहारी के एकदम करीब आती है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देती हैं. फिर उसके बाद एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ देती हैं. बिहारी का चेहरा एक दम लाल हो जाता हैं.

पार्वती- शरम करो 50 साल के हो गये और अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ ये सब काम करते हो. और तो और ना जाने कैसे कैसे दोस्त हैं तुम्हारे. जी तो करता हैं कि अभी पोलीस स्टेशन जाकर तुम्हारी सारी पोल पट्टी खोल दू. फिर तुम जानो और तुम्हारा काम.

बिहारी पार्वती की बातों से एक दम घबरा जाता हैं और वो तुरंत उसके पाँव में गिर पड़ता हैं.

बिहारी- मुझे माफ़ कर दो पार्वती. ये जो कुछ भी हुआ ये सब अंजाने में हुआ. अब दुबारा ऐसी ग़लती नहीं होगी. मैं अब तुम्हारे लिए ये सब छोड़ दूँगा. मैं तुम्हारी कसम ख़ाता हूँ. मैं आज के बाद हमेशा हमेशा के लिए सुधार जाउन्गा.

पार्वती- मुझे अब कुछ नहीं सुनना हैं. मैं अब तुम्हारे पास डाइवोर्स पेपर भेज दूँगी. बस चुप चाप तुम वहाँ पर साइन कर देना. नहीं तो मैं सीधा कोर्ट में जाउन्गि. फिर तुम जानते हो कि तुम्हारी कितनी बदनामी होगी. और हां एक बात और मैं ये भी जान चुकी हूँ कि तुम्हारा ये दोस्त रंडियों का भी धंधा करता हैं और ड्रग्स का भी सप्लाइयर हैं.

और मेरे ख्याल से तुम भी ये सब में इसके साथ बारबार के हिस्सेदार हो. चिंता मत करो जब मेरा डाइवोर्स हो जाएगा तो मैं तुम्हारे और तुम्हारे इस दोस्त दोनो की पोलीस एंक्वाइरी करवाउंगी. फिर पता लग जाएगा कि तुम कितने दूध के धुले हो..

इतना सुनते ही बिहारी की डर के मारे हालत खराब हो जाती हैं और वो फिर से पार्वती की पैरों में गिर पड़ता हैं. और विजय भी उसी डर से सहम जाता हैं.

पार्वती- बंद करो अपने ये मगरमच्छ के आँसू बहाना. मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता. तुम जैसे बेवफा इंसान के साथ अब मैं और नहीं रह सकती. मैं अगले हफ्ते डाइवोर्स का पेपर वकील के हाथों तुम्हारे पास भेजवा दूँगी और तुम चुप चाप उसपर अपना साइन कर देना. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.... और इतना कहकर पार्वती गुस्से से वहाँ से निकल जाती हैं.....

बिहारी अब भी वही फर्श पर बैठा हुआ अपनी किस्मेत को कोष रहा था.

विजय- चुप हो जा यार कुछ नही होगा. भाभी इस वक़्त गुस्से में हैं. गुस्सा कुछ कम हो जाए तो जाकर प्यार से मना लेना. वो मान जाएगी.

बिहारी- मदर्चोद जी तो करता हैं कि तेरा गला दबा डू. साला मेरा घर दाँव पर लग गया और मेरी गर्दन पर अब कुछ दिनों में फाँसी का फंदा लटकने वाला हैं और तू कहता हैं कि चुप हो जाऊ. अगर मैं चुप हो गया तो पार्वती हमेशा हमेशा के लिए मुझे चुप करवा देगी..साला मेरी तो किस्मेत ही खराब हैं.मैने तुझे पहले भी बोला था कि उस रंडी को यहाँ पर मत लेकर आ मगर तूने ही कहा था ना कि यहाँ पर कोई नहीं आता. अब तो हमारी सौर्य गाथा मेरी पत्नी जान ही चुकी हैं. देख लेना अब पोलीस वाले मेरे गले में अपना फूलों का माला चढ़ाएँगे.

विजय- यार तू मरने से इतना डरता क्यों हैं. देख लेना कुछ नहीं होगा.

बिहारी- अरे मैं ही बेवकूफ़ था जो मैने तेरी बात मानी. साला तू तो अभी भी पांक सॉफ हैं. फँसा तो मैं हूँ ना. मैं अपनी पत्नी को अच्छे से जानता हूँ वो सच में जाकर पोलीस को सब कुछ बक देगी..

विजय- अपना मज़ा लिए तो कुछ नही अब फँस गया तो कह रहा हैं कि मैने ही फँसाया हैं.

विजय- ठीक हैं मुझे कुछ सोचने दे देखता हूँ कि कोई सल्यूशन निकलता हैं कि नहीं.

बिहारी- एक बात कान खोलकर सुन ले विजय. ये मेरा मॅटर हैं. और मैं नही चाहता कि तू इसमें कोई भी दखल अंदाज़ी करे. अब जो भी करूँगा मैं करूँगा और अपने तरीके से करूँगा.

विजय- भूल मत बिहारी कि अगर तू फँसा तो मैं भी तेरे साथ साथ फसूँगा. और अगर मैं फँसा तो तू भी नही बचेगा.

बिहारी- आख़िर दिखा ही दी ना अपनी औकात. साला मुझे तो कहता हैं कि डरता हैं और बात अपनी पे आई तो साले तेरी पहले ही फट के हाथ में आ गयी.

विजय- छोड़ ना यार अब बेकार में बहस करने से क्या फ़ायदा. अब जल्दी से इसका कोई सल्यूशन निकाल वरना पता नही आगे हमारे साथ क्या होगा. एक काम करते हैं क्यों नहीं भाभिजी को इस दुनिया से ही विदा कर देते हैं..और उससे अपना रास्ता भी सॉफ हो जाएगा.

बिहारी मुस्कुराते हुए- मोनिका सही कह रही थी कि तू वाकई में बहुत बड़ा हरामी हैं. साला......... कई हरामी मरे होंगे तो तू अकेला पैदा हुआ होगा.

विजय- तो तू ही बता हैं कोई दूसरा रास्ता है हमारे पास. और वैसे भी तो अब वो तुझे तलाक़ देने ही वाली हैं तो तेरा उसके साथ रिश्ता वैसे भी ख़तम हो जाएगा. तो क्या ज़रूरत हैं पुराने रिस्ते ज़बारजस्ति निभाने की.

बिहारी- वाकई में मानना पड़ेगा तेरे कामीने दिमाग़ को. लेकिन वो तो मेरी सोने की आंडे देने वाली मुर्गी हैं. उसका क्या???

विजय- मैं कुछ समझा नहीं.??? ज़रा खुल कर बता??

बिहारी- यहाँ नहीं. यहाँ पर बताना सेफ नहीं हैं. चल मैं तुझे रास्ते में अपनी अत्तीत के बारे में बताता हूँ. वो राज़ जो मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. आज तू भी जान जाएगा.

बिहारी और विजय दोनो वहाँ से बाहर निकल जाते हैं और जाकर अपनी कार में बैठ जाते हैं. विजय गाड़ी ड्राइव करता हैं और बिहारी उसकी बाजू वाली सीट पर बैठ जाता हैं.

विजय- अब बता बिहारी. मैं बहुत बेचैन हूँ तेरे अत्तीत के बारे में जानने के लिए.

बिहारी- बात उस वक़्त की हैं जब मैं 21 साल का था और मैं एक छोटे से गाँव में रहता था. मेरे परिवार पूरा ग़रीबी में रहता था. ना खाने को सुद्ध खाना , ना पहनने को ढंग के कपड़े. मेरे पिताजी एक मज़दूर थे. और मज़दूरी करके वो अपना घर का खर्चा चलाते थे. उन्होने मुझे कैसे भी करके बी.ए करा दिया. और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने अपने हाथ पीछे खीच लिए.

मुझसे सॉफ सॉफ कह दिया कि अब मैं तेरा बोझ नही उठा सकता. अगर तुझे हमारे साथ रहना हैं तो तुझे भी मेहनत और मज़दूरी करनी होगी. लेकिन मेरा सपना तो बड़ा आदमी बनने का था. मैं भला कैसे मेहनत मज़दूरी करता. ऐसे ही एक महीना बीत गया और मैं अपने पिताजी की बात को ज़रा भी सीरीयस नही लिया.

पिताजी ने मुझे एक दिन आख़िर कह ही दिया कि अगर तुझे इस घर में रहना हैं तो तुझे इस घर का खर्च भी उठाना होगा. नहीं तो तू कहीं और जा सकता हैं. बस फिर क्या था मेरा मूड भी घूम गया और मैं उसी शाम को मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ा और मुंबई चला आया. मगर मुंबई में भी मेरी किस्मेत ने मेरा साथ नहीं दिया. कहते हैं ना कि मुंबई सिर्फ़ पैसे वालो के लिए होती है. और जब मैं मुंबई में आया था उस वक़्त मेरी जेब में मात्र 100 रुपये था. फिर मुझे मेरे एक दोस्त जो यहाँ मनाली में उसका खुद का बिजनेस हैं मैं तुरंत उसके पास चला आया.

यहाँ पर मेरी किस्मेत ने मेरा साथ दिया. और मैं यही मनाली में हमेशा हमेशा के लिए बस गया. कुछ दिन तक तो मैं उसके घर पर ही रहा मगर मैने उसे कह दिया कि मुझे कैसे भी काम दिला. तो वो वही पर ठाकुर शौर्या सिंग जो उस जमाने में बहुत बड़ा ज़मींदार था मैं उसके यहाँ पर नौकर का काम करने लगा.

उसकी ठाट बाट देखकर तो मैं दंग रह गया. उस वक़्त उसके पास कम से कम अरबों की प्रॉपर्टी थी. फिर यहाँ पर मैने अपनी बिहारी बुद्धि लगाई. और उसकी भतीजी यानी कि पार्वती के पीछे हाथ धो कर पद गया. उस वक़्त वो भी उतनी खूबसूरत तो नहीं थी पर मेरे लिए वो सोने की अंडे देने वाली मुर्गी थी. मुझे उसके ज़रिए वो दौलत हासिल करनी थी.

करीब 1 साल तक मैं उसके पीछे हाथ धो कर पड़ा रहा. उसकी हर बात मानता. उसकी हर तरह से सेवा करता. और ऐसे ही धीरे धीरे मैने उसको अपने झूठे प्यार के जाल में फाँस लिया.और एक दिन वो मेरे साथ घर छोड़ कर भाग गयी. लेकिन मैं तो उसके घर में ही रहना चाहता था उसकी पूरी प्रॉपर्टी को निगलना चाहता था. लेकिन उसकी जिद्द की वजह से मुझे भी भागना पड़ा.

जब ये बात शौर्य सिंग को पता चली तो वो अपने आदमियों से कुत्तों की तरह हमारी छान बीन करवाना चालू का दिया. लेकिन यहाँ पर मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया. शौर्य सिंग के आदमियों ने हमे रेलवे स्टेशन तक जाते ही पकड़ लिया. और हम दोनो को उसके सामने ले जाया गया.

पहले तो शौर्य सिंग ने पार्वती को बहुत बुरा भला कहा और दो चार डंडों से मेरी भी अच्छे से सेवा की. मगर वो जल्दी ही पसीज गया और हमारे रिस्ते को हां कर दी. मगर शौर्य सिंग जितना बेवकूफ़ दिखता था उतना था नहीं. उसने किसी भी अपनी प्रॉपर्टी का ज़िक्र ना ही मुझसे किया और ना ही पार्वती से.

जब पार्वती 21 साल की हुई तो उसने एक वसीयत बनवाई. और वसीयत के मुताबिक सारी प्रॉपर्टी की मलिकिन पार्वती और वो बुड्ढ़ा सौर्य सिंग था. उसने मेरे नाम एक फूटी कौड़ी तक नही की. मेरा तो खून खौल उठा. मगर मैं क्या कर सकता था. तब मैं बड़े प्यार से उसकी सेवा भाव करने लगा. तो वो मुझसे खुस होकर मुझे एलेक्षन में खड़ा करवा दिया और मेरी किस्मेत कि मैं वो चुनाव जीत गया.

ऐसे ही धीरे धीरे मैं सत्ता में आ गया और अपनी हस्ती और वजूद मैने खुद बनाया. बाद में उस बुड्ढे ने आधी प्रॉपर्टी अपने बच्चो के नाम कर दी और आधा प्रॉपर्टी जो कि पार्वती की था वो उसी के नाम ही रहने दिया. मैने कई बार पार्वती से इस बारे में जिक्र किया तो उसने सॉफ सॉफ कह दिया कि जाओ और मेरे चाचा से इस बारे में बात करो. लेकिन मुझे इस बारे में बात करने की कभी हिम्मत ही नही हुई.फिर कुछ साल के बाद मेरी एक लड़की हुई. मैने उसे बड़े प्यार से पाला पोशा और जब वो थोड़ी बड़ी हुई तो शौर्य सिंग ने उसे पढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज दिया. और पार्वती की आधी प्रॉपटी उसके नाम लिख दिया. यानी कि 25% पार्वती का और 25% शोभा का यानी मेरी बेटी का. और बाकी बचा 50 % जो शौर्य शिंग ने अपने परिवार के नाम कर दिया और मुझे हिलाने के लिए एक घंटा थमा दिया.

लेकिन मैने कई बार कोशिश की पार्वती वो सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे मगर उसको भी मेरी नियत की भनक लग गयी. और वो भी जान गयी थी कि मैने उससे कभी प्यार ही नहीं किया बल्कि मुझे उसकी दौलत से प्यार था. मैं तो साला इसी आस में था कि कभी ना कभी पार्वती का दिल पिघल जाएगा और वो खुशी खुशी सारी दौलत मेरे नाम कर देगी .मगर अब मेरी सोने की मुर्गी भी हाथ से निकल गयी...

विजय- ओह .....हो तब तो तूने वाकई में बहुत बड़ी मछली फँसाई हैं. और तेरे मा बाप का क्या हुआ वो लोग नहीं आए क्या कभी तुझसे मिलने???

बिहारी- हां मछली तो मैने वाकई बड़ी फँसाई हैं मगर ना इसको पूरा खाए बनता हैं और ना ही निगलते बनता हैं.और मेरे मा बाप आए तो थे मगर मैने ही उन्हें पहचानने से सॉफ इनकार कर दिया. क्यों कि मैं जब शौर्य सिंग से पहली बार मिला था तब मैने उसको बता दिया था कि मैं अनाथ हूँ. मेरा इस दुनिया में कोई नहीं हैं.और आज भी उनलोगों को मेरी असलियत नही मालूम यहाँ तक कि मेरी पत्नी को भी नहीं.

विजय- चल यार तेरी दुखद भरी कहानी सुनकर तो वाकई में मेरी मगरमच्छ जैसी आँखों में भी आँसू आ गये. और इतना कहकर विजय और बिहारी ज़ोर से हँसने लगते हैं.
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Messages In This Thread
Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 10:59 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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