Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#25
Update 18



बिहारी- एक बात बता अगर तू राहुल को सच में जान से मारना ही चाहता था तो तू कल क्यों गया था उससे फिर मिलने.

विजय- ताकि उसको शक ना हो क़ि ये सब के पीछे मेरा मास्टरमाइंड हैं. अब मैं पूरे यकीन से कह सकता हूँ कि राहुल को मुझपर शक कभी नही होगा. और उससे दोस्ती का भी एक फ़ायदा हैं मुझे हर न्यूज़ अप टू डेट मिलती रहती हैं.

बिहारी- वाकई तू तो सच में समझदार हैं. चल मुझे माफ़ कर दे कहीं ज़्यादा ज़ोर की तो नहीं लगी ना.

विजय- मदर्चोद मार कर बोलता हैं कि ज़्यादा ज़ोर की नही लगी. मन तो किया था कि तुझे गोली मार डून. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

बिहारी- अरे हो गयी ना ग़लती. एक बात बता तू मेरे लिए लड़की लाने वाला था उसका क्या हुआ.

विजय- मिल गयी हैं. अगर तू कहे तो यहीं पर बुला लूँ. फिर हम दोनो मिलकर उसे चोदेन्गे.

बिहारी- यहाँ पर नहीं. अरे मेरी भी कोई इज़्ज़त हैं. अगर पकड़ा गया तो साला पार्टी में नाक कट जाएगी. और जनता मुझपर थूकेगी.

विजय- तो कहाँ पर ................

बिहारी- एक काम कर मेरे गेस्ट हाउस पर उसे बुला ले कल शाम को. पूरी रात उसे हम दोनो मिलकर चोदेन्गे. क्यों क्या ख़याल हैं.

विजय- कुत्ते का दुम सीधा हो सकता हैं मगर बिहारी सुधार जाए ये कभी नही हो सकता. इतना कहकर विजय और बिहारी हँसने लगते हैं.

...........................................

सुबह करीब 10 बजे निशा भी हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं राहुल से मिलने के लिए. निशा भी अब राहुल से बे-इंतेहा प्यार करने लगी थी. उसके दिल दिमाग़ में बस राहुल था. मगर आज तक उसे कभी हिम्मत नही हुई थी कि वो जाकर राहुल को प्रपोज़ कर दे. मगर आज वो कुछ ऐसा ही सोचकर आई थी कि वो अपने प्यार का इज़हार करेगी.

जैसे ही वो राहुल को देखती हैं वो बड़ी मुश्किल से आपने आप को संभालती हैं और झट से जाकर राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.

निशा- कैसे हो राहुल!! ये सब कैसे हो गया. और किसी ने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

राहुल- नही निशा जी ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस एक ट्रक वाले ने पीछे से ठोकर मार दी.

निशा- मगर आटीस्ट मुझे तुम एक बार फोन तो कर ही सकते थे ना. वो भी तुमने ज़रूरी नहीं समझा.

राहुल- ओके बाबा आइ आम सॉरी. बात ही ऐसी थी कि मैं बताना नही चाहता था. तुम बेवजह परेशान होती. डॉन'ट माइन मैं अब ठीक हूँ. बस कल डिसचार्ज हो जाउन्गा. आज राधिका नही आई क्या तुम्हारे साथ.

निशा- नही आज मैं कॉलेज नही गयी. जब ये खबर सुनी तो झट से यहाँ चली आई. राधिका शायद आज कॉलेज में होगी. क्या वो ये बात जानती हैं.

राहुल- हां वो तो कल ही मुझसे मिलने आई थी.

निशा- क्या???? राधिका ये सब जानते हुए भी मुझे बताना ज़रूरी नहीं समझा. ठीक हैं अगर मिलेगी तो उसे बताती हूँ.

राहुल- अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड हैं. भूल गयी होगी. वैसे आप दोनो की दोस्ती भी कमाल की हैं. सच में मैने ऐसा दोस्त नहीं देखा जो हर पल एक दूसरे के लिए जान तक देने को तैयार रहते हैं.

निशा- मेरी राधिका हैं ही ऐसी. पर पता नहीं क्यों वो आज कल कुछ दिनों से बदली बदली सी लग रही हैं. समझ में नही आती की उसे क्या हो गया हैं. हमेशा कुछ टेन्षन में दिखती हैं.

राहुल- मुझे तो ऐसा बिल्कुल नही लगता. वो तो सच में आटम बॉम्ब है. पर जो भी हैं कमाल की हैं.

निशा- राधिका के मूह पर ये बात मत कहना वरना पता नहीं तुम्हारा क्या हाल करेगी.

फिर थोड़े देर तक ऐसी ही बातें होती हैं और फिर कृष्णा भी राहुल से मिलने आ जाता हैं.

कृष्णा- अरे साहेब सुना कि आपका आक्सिडेंट हो गया हैं और आप अड्मिट हैं तो सोचा कि आपसे मिलता चलूं.

राहुल- आपने अच्छा किया जो आप मुझसे मिलने आ गये. मैं भी आपसे कुछ बातें करना चाहता था राधिका के बारे में.

निशा ये बात सुनती है तो वो आश्चर्य से राहुल और कृष्णा की तरफ देखने लगती हैं.

कृष्णा- कहिए साहेब क्या बात करनी हैं.

राहुल- वो मैं ...............

कृष्णा- मैं जानता हूँ साहेब कि आप राधिका से बहुत प्यार करते हैं और आप उससे शादी करना चाहते हैं. राधिका ने मुझे सारी बातें बता दी हैं. मुझे इस बारें में कोई परेशानी नहीं हैं. बल्कि मुझे तो खुशी होगी कि आप जैसा काबिल ऑफीसर से मेरी बेहन की शादी होगी. आप जब चाहे मेरी बेहन से शादी कर सकते हैं.

निशा के लिए कृष्णा की एक एक बात किसी बॉम्ब के धमाके के समान थी. उसने तो कभी सोचा भी नहीं था की राहुल और राधिका का प्यार इस हद तक आगे बढ़ जाएगा कि वो शादी तक बात पहुँच जाएगी. आज उसके दिल पर एक गहरा धक्का लगा था. वो बहुत मुश्किल से आपने आँसुओ को रोके हुए थी.

राहुल- ठीक हैं मैं अगले महीने पंडितजी से बात करके कोई अच्छा सा डेट निकलवा देता हूँ. मैं सौभाग्य होगा कि राधिका जैसा लड़की मेरी बीवी बनेगी.

कृष्णा- ठीक हैं साहेब जैसी आपकी मर्ज़ी. अगर मेरी बेहन इसी में खुस हैं तो मुझे क्या परेशानी हो सकती हैं.

फिर कुछ देर में कृष्णा भी वहाँ से चला जाता हैं.

निशा- बहुत मुश्किल से आपने आप को संभालते हुए.- राहुल तुमने कभी बताया नहीं कि तुम राधिका से प्यार करते हो.

राहुल- आइ आम रियली सॉरी मैं तुम्हें बताने ही वाला था इस बारे में मगर........चलो कोई बात नही अब तो तुम जान ही गयी हो ना.

निशा बस रो ही नही पा रही थी मगर आज उसके दिल पर क्या बीत रही थी वो तो बस वही जानती थी.

निशा- अच्छा राहुल अब मैं चलती हूँ मुझे देर हो रही हैं........

फिर निशा जैसे ही बाहर निकलती हैं उसके आँखों से रुके हुए आँसू तुरंत फुट पड़ते हैं. राहुल की नज़र उसपर नही पड़ती वरना वो भी सोचने पर मज़बूर हो जाता.............

निशा वहाँ से अपने घर आती हैं और अपने कमरा बंद करके बिस्तेर पर धम्म से गिर पड़ती हैं और फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं. आज एक तरफ दो दिल मिल रहें थे तो एक दिल टूट गया था. शायद ये प्यार में अक्सर होता हैं. आज निशा भी खुल कर रोना चाहती थी आज वो अपना पूरा मन हल्का करना चाहती थी. 6 महीने से जिस प्यार को वो अपने दिल में सँजोकर रखी थी.... आज बताने का भी वक़्त आया तो .................

निशा - मेरे नसीब में किसी का प्यार नही हैं. मैने आज अपनी ज़िंदगी में किसी से प्यार भी किया तो वो भी अब मेरा नहीं हो सका. हे भगवान इससे अच्छा कि तू मुझे मौत दे दे.......... मैं सच में जीना नहीं चाहती....

निशा काफ़ी देर तक यूही रोती रही फिर वो बिना ख़ान खाए ही बिस्तेर पर सो गयी. और आने वाले वक़्त का इंतेज़ार करने लगी कि पता नहीं वक़्त उसके नसीब को कहाँ ले कर जाएगा..

हॉस्पिटल में..................

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान!! आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था. उस ट्रक का कुछ पता चला क्या????

ख़ान- हां सर मिल गया. और उसके ड्राइवर को भी हम ने हिरासत में ले लिया हैं. सर वो दो लोग हैं.

राहुल- तो कुछ पता चला क्या,, कौन हैं वो लोग और उनका गॅंग लीडर.

ख़ान- सर वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. हम ने उनलोगों पर थर्ड डिग्री भी यूज़ किया मगर वो लोग कुछ बताने का नाम ही नही ले रहे.और शायद उन्हें कुछ नही मालूम. ना नाम, ना पता , वो तो बस यही कह रहे हैं कि हम अगला पार्टी से पैसे लेते हैं और काम ख़तम होते ही हम अपना पैसा लेकर चले जाते हैं. ना हमे मालिक से किल्लिंग का वजह जानते हैं और ना उसके पीछे किल्लिंग का राज़. बस.............

राहुल- इसका मतलब हमलावर बहुत चालाक हैं. चलो कोई बात नही कब तक आख़िर बचेगा.आज नहीं तो कल ज़रूर पकड़ा जाएगा..

राहुल- तो इसका मतलब जिन लोगों ने मुझपर हमला करवाया था और वो दोनो जो पोलीस मुठभेड़ में मारे गये थे हो ना हो इन सब के पीछे एक ही आदमी का हाथ है.

ख़ान- हां सर मुझे भी यही लगता हैं. खैर कोई सुराग मिलते ही वो ज़रूर पकड़ा जाएगा. और सर बताइए मेरे लायक कोई सेवा....

राहुल- क्यों शर्मिंदा करते हो ख़ान भाई!!!! बस आब तुम वापस पोलीस स्टेशन चले जाओ. फिलहाल कोई काम नहीं हैं. अगर कुछ होगा तो मैं तुम्हें इनफॉर्म करूँगा.

दोपहर में ..................

राधिका आज बहुत देर तक निशा को कॉलेज में ढूँढती हैं और उसके मोबाइल पर फोन भी करती हैं मगर निशा उसका फोन नही रिसेव करती हैं. ऐसा आज पहली बार हुआ था कि राधिका का फोन निशा ने रिसेव नही किया था.

फिर वो कुछ सोचकर वो निशा के घर चल देती हैं.

राधिका जैसे ही निशा के घर पहुँचती है उसकी मम्मी डोर ओपन करती हैं.

निशा की मम्मी सीता...

सीता- आओ राधिका बेटी कैसे आना हुआ.

राधिका- नमस्ते आंटी. कैसी हो आप............मैं ठीक हूँ.

सीता- आओ ना अंदर. निशा घर पर ही हैं. मैं उसे बुलाती हूँ.

राधिका वही पर सोफे पर बैठ जाती हैं. और निशा का इंतेज़ार करती हैं.

सीता- दरवाज़ा खोलो बेटी.. देखो राधिका तुमसे मिलने आई हैं...

निशा अपने आँखों से आँसू पोछते हुए..... आ रही हूँ मम्मी.

निशा फिर बाथरूम में जाती हैं और अपना मूह अच्छे से धोती हैं. उसकी आँखें पूरी लाल हो गयी थी. फिर वो आकर अपना मूह पोछती हैं और जाकर दरवाज़ा खोलती है और अपने मम्मी से बोलती है- मम्मी राधिका को मेरे रूम में ही भेज दो..

सीता नीचे जाती हैं और राधिका को निशा के रूम में जाने को कहती हैं. राधिका भी उठकर उपर निशा के रूम में जाती हैं...

राधिका जैसे ही निशा को देखती हैं वो बड़े गौर से उसे देखने लगती है.

राधिका- ये तूने अपना क्या हाल बना रखा हैं. और तेरी आँखें इतनी लाल क्यों हैं. और तू आज कॉलेज क्यों नही आई.

निशा- नही......वो मेरी तबीयात कुछ ठीक नही लग रही थी. इस वजह से......... निशा अपना सिर नीचे झुका कर बोली.

राधिका- पर मेरा फोन तो तू रिसेव कर ही सकती थी ना........ फिर............

निशा- आइ आम रियली सॉरी.... राधिका मेरी आँख लग गयी थी.....

राधिका घूर कर निशा को फिर से देखती हैं- क्या बात हैं निशा!!!! मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या???

निशा- नही राधिका ऐसी कोई बात नही हैं. बस यूँही .................

राधिका ज़ोर से उसका हाथ को झटकते हुए और उसके एक हाथ को अपने सिर पर रखते हुए--- खा कसम मेरी की कोई बात नही है.. तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

निशा- नही राधिका सच में कोई बात नही हैं. बस ऐसे ही............

राधिका- तो मेरी सिर की कसम खा कर कह दे ना कि .............कोई बात नहीं हैं.

निशा अपना हाथ झटकते हुए राधिका के सिर से हटा लेती हैं.. ये क्या कर रही है तू. हर बात के लिए कसम खाना ज़रूरी हैं क्या. मैने कहा ना................कोई बात नहीं हैं...

राधिका- तो फिर तेरी आँखो में ये आँसू कैसे हैं. क्यों तू रो.. रही हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका, .........मैं सच कह रही हूँ कोई बात नहीं हैं.......

राधिका- ठीक हैं निशा जैसी तेरी मर्ज़ी अगर तू नही बताना चाहती तो मैं तुझपर ज़्यादा दबाव नही डालूंगी पर एक बात कहना चाहती हूँ ..............जानती हैं निशा जब मैं छोटी थी तभी मैने अपनी मा को खो दिया था.फिर मैने अपनी मा के बगैर पूरे 11 साल ये दिन काटे हैं और आज भी काट रही हूँ. उस समय जब मैं 15 साल की थी तब मैं तुझसे पहली बार मिली थी. उस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत थी और जब से तू मुझे मिली मुझे मानो एक नयी ज़िंदगी मिल गयी.

मैने तुझे अपनी हर बात बताई हर एक राज़ को तेरे सामने खुली किताब की तरह रख दिया. हर सुख दुख में तू मेरे साथ रही. अगर आज भी मेरा कोई अपना हैं तो वो बस तू हैं. और आज भी मैं जब भी भागवान से कुछ मांगती हूँ तो बस यही कि तू जहाँ भी रहें हमेशा खुस रहें. मैने कभी अपने लिए कुछ भी नही चाहा ............

फिर आज ऐसी क्या बात हो गयी जो तू मुहसे छुपा रही हैं................................इतना कहते ही राधिका भी चुप हो जाती हैं.

निशा अपने आँसू नही रोक पाती और तुरंत वो राधिका से लिपटकर रोने लगती हैं. कुछ देर तक वो ऐसे ही राधिका से लिपटकर रोती रहती हैं.......

राधिका उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और चुप करती हैं- बता ना निशा किसी ने तुझसे कुछ कहा क्या....

निशा को तो कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो कैसे बताए कि वो राहुल से प्यार करती हैं और राहुल राधिका से प्यार करता हैं. वो उसे कैसे कहे कि वो उसकी सहेली भी जिसे जान से ज़्यादा चाहती हैं वो भी राहुल को उतना ही चाहती हैं. और वो अच्छे से जानती थी कि अगर ये बात राधिका जान गयी तो वो अपने दोस्ती के आगे अपना प्यार को भी कुर्बान कर देगी....... और वो आब राधिका और राहुल के बीच में कभी नही आना चाहती थी.

ऐसे ही कई सवाल से उलझी निशा उन्ही खामोश रहती हैं और उसे तो कुछ समझ में नही आता कि वो क्या जवाब दे राधिका को.....और वो ये भी जानती थी कि राधिका जब तक उसके मूह से जवाब नही सुन लेगी उसका पीछा इतनी आसानी से नही छोड़ने वाली..

निशा बहुत सोचकर आख़िर में जवाब देती हैं- मुझे किसी से प्यार हो गया है. मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ मगर वो किसी और को चाहता हैं. इतना कहकर निशा चुप हो जाती हैं.........

राधिका- हां तो मेरी जान को भी आख़िर में कोई राजकुमार पसंद आ ही गया. लेकिन तू इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकती हैं कि वो किसी और से प्यार करता हैं. जो भी होगा सच में स्पेशल ही होगा. बता ना निशा कौन हैं वो जो तेरा दिल ले गया...........

निशा- मैं तुझे अभी नहीं बता सकती. बस वक़्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा.

राधिका- ठीक हैं मत बता मगर बता देगी तो हो सकता है मैं तेरी कुछ मदद करू. आख़िर मेरी सहेली में क्या बुराई हैं जो वो किसी और के पीछे पड़ा हुआ हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे आब बस इस बारे में कोई भी बात नहीं करनी...

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. मगर अब वक़्त जल्दी ही आने वाला था जो राधिका की ज़िंदगी का रुख़ हमेशा हमेशा के लिए मोड़ने वाला था.

थोड़े देर में वो भी नीचे आ जाती हैं और निशा बाथरूम में फ्रेश होने चली जाती हैं. राधिका नीचे आकर सीता आंटी के पास बैठ जाती हैं.

सीता- पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया हैं. ना ठीक से खाना खा रही हैं, ना किसी से बोल रही हैं. बस चुप चाप एक कमरे में बैठ रहती हैं और ना जाने क्या क्या सोचती रहती हैं. अब तू ही समझा उसे वो तेरी बात तो कभी नहीं टालती.

राधिका- आप चिंता मत कीजिए आंटी जी. निशा एक दो दिन में पहले जैसे हो जाएगी..

सीता- मगर उसे हुआ क्या है. वो पूछने पर कुछ बताती भी नहीं. आज कॉलेज भी नही गयी थी. कह रही थी की उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया हैं. वो उससे मिलने हॉस्पिटल जा रही हैं. और जब से वहाँ से आई हैं तब से गुम्सुम सी हैं.

अब झटका लगने की बारी राधिका की थी. ये क्या कह रही हैं आप????

सीता- हां बेटा ये सच हैं. अगर तुझे यकीन नही होता तो तू खुद ही उससे पूछ ले...

राधिका का दिमाग़ एकदम से घूम जाता हैं और वो जल्दी से जल्दी वहाँ से निकल जाती हैं.....

रास्ते भर उसके दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. तो क्या निशा भी कहीं राहुल से प्यार तो नही करती.......ऐसा कभी नही हो सकता...फिर एकदम से उसे कुछ याद आती हैं और उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.............

हो सकता हैं. जब हम पहली बार कॉलेज के कॅंटीन में राहुल से मिले थे तब निशा ने राहुल को पहली ही नज़र में पसंद कर लिया था. वो उसे सच में चाहने लगी थी या मुझसे मज़ाक कर रही थी .पता नहीं...... ओह ............माइ...............गॉड ........ अगर ये सच हुआ तो......................राधिका के दिल में बेचैनी और घबराहट तुरंत बढ़ने लगती हैं.

वो कैसे भी घर पहुचती हैं, घर पर उसके भैया थे.

कृष्णा पीछे से जाकर राधिका की आँखों को अपने दोनो हाथों से मूंद लेता हैं और राधिका के करीब जाकर उससे एक दम चिपक जाता हैं.

राधिका- भैया.......... आप... आप कब आए..

कृष्णा- तुमने मुझे पहचान लिया.

राधिका- हां पहचानूँगी क्यों नहीं. अपने भैया को तो मैं बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ.

कृष्णा उसके सामने आता हैं और उसके गालों पर बड़े ही प्यार से अपने दोनो हाथ लेजाता हैं और अपनी तरफ उठाता हैं.

कृष्णा- जानती हैं आज सुबह मैं हॉस्पिटल गया था राहुल से मिलने. वो मुझसे मिलकर बहुत खुस हुआ. और जानती हैं वहाँ पर तेरी सहेली निशा भी आई थी. और एक बात तो मैं बताना भूल ही गया. मैं अपनी बेहन का हाथ राहुल से माँग लिया हैं और वो भी तुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं. उसने कहा हैं कि वो अगले महीने कोई अच्छा सा मुहूरत निकाल कर तुझसे ब्याह कर लेगा.

कृष्णा की बातों से जो बचा खुचा राधिका के मन में डाउट था वो भी आब क्लियर हो गया था.

राधिका- एक बात बताइए भैया कि आपने जब मेरी शादी की बात राहुल से की थी तब उस वक़्त क्या निशा भी वहाँ पर मौजूद थी...

कृष्णा- हां वो तो मुझसे पहले से ही वहाँ पर थी. और मैने तो उसके सामने ही ये सारी बातें की. और वो तो पहले हैरान हुई कि राहुल तुझसे प्यार करता हैं पर बाद में मुझे तेरी शादी की मुबाराक बाद भी दी. और फिर मुझे काम पर भी जाना था तो मैं वहाँ से चला आया.

राधिका को ऐसा लगा कि उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निकाल लिया हो और वो तुरंत वहीं पर बेहोश होकर फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं.

कृष्णा भी तुरंत घबरा जाता हैं और वो उसे उठाकर अपनी गोद में लेकर बिस्तर पर जाकर उसे सुला देता हैं और राधिका के दोनो हाथों को अपने हाथ में लेकर मलने लगता हैं. मगर जब राधिका को कोई होश नही आता तो वो झट से जाकर वही पास के एक डॉक्टर को बुला लता हैं. .

डॉक्टर- क्या हुआ हैं इन्हें??

कृष्णा-अभी कुछ देर पहले ही घर आई थी. बस ना जाने क्या हुआ कि अचानक बेहोश हो गयी.

डॉक्टर फिर एक इंजेक्षन राधिका को लगाता हैं और कुछ दवाई भी देता हैं.

डॉक्टर- घबराने की कोई बात नहीं है. ऐसा होता हैं कभी कभी, आदमी इतना स्ट्रेस में होता हैं कि वो बेहोश भी हो जाता हैं. मैने इंजेक्षन लगा दिया हैं हो सके तो इन्हें आप सुबह तक डिस्टर्ब मत करना. और इन्हें पूरी नींद सोने देना. कल सुबह तक ये बिल्कुल ठीक हो जाएगी....

इतना कहकर डॉक्टर बाहर चला जाता हैं और कृष्णा भी दरवाज़ा बंद करके राधिका के एकदम करीब आता हैं और उसके बाजू में बैठ जाता हैं और अपना एक हाथ राधिका के बाल पर प्यार से फिराता हैं...

कृष्णा- मैं तो ये सोचकर खुस था कि ये खबर सुनकर तू खुशी से झूम उठेगी मगर ..............और इतना कहकर वो राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं. आज वाकई में कृष्णा की आँखों में अपनी बेहन के लिए आँसू छलक पड़े थे. जिस भाई बेहन का प्यार को वो आज तक कभी समझ नही सका था आज उसने वो पहली बार महसूस किया था. आज वो राधिका के लिए सच में बेचैन था. और उसकी बेकरारी इस बात को ज़ाहिर कर रही थी कि आज उसके दिल में राधिका के लिए कितना प्यार , कितनी इज़्ज़त हैं......................................और ये सब सोचकर आज उसकी आँखें भी नम हो गयी थी. वो उसी हालत में राधिका को अपनी बाहों में लिए बस बैठा हुआ था..
Like Reply


Messages In This Thread
Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 10:31 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



Users browsing this thread: 4 Guest(s)