20-09-2019, 10:25 AM
Update 16
राहुल फिर राधिका को अपनी कार में बैठा कर उसे उसके घर से कुछ दूरी पर ड्रॉप कर देता हैं और वो सीधे अपने थाने चला जाता हैं.
जैसे ही राधिका घर पर पहुँचती हैं उसके भैया पहले से ही घर पर आ चुके थे.
कृष्णा- कहाँ थी अब तक राधिका. 6 बज चुके हैं और तुम्हारा कॉलेज तो 3 बजे तक बंद हो जाता हैं . और वैसे भी आज सनडे हैं तो कॉलेज तो बंद ही होगा ना..
राधिका वो भैया... बस ऐसे ही मैं...निशा के घर गयी थी.
कृष्णा- राधिका तुमने कब से झूट बोलना शुरू कर दिया. जहाँ तक मैं तुम्हें जानता हूँ की तुम कभी झूट नहीं बोलती. और वैसे भी मैं निशा के पास फोन कर के पूछ चुका हूँ और उसने मुझे बताया हैं कि वो आज तुमसे मिली ही नहीं हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं तुमसे यही उमीद करूँगा कि तुम जो भी मुझसे बात कहोगी सच कहोगी................................................बोलो राधिका क्या हैं सच..........................................
राधिका- भैया वो मैं आपको नही बता सकती.
कृष्णा- राधिका मेरा इतना तो हक़ बनता हैं की मेरी बेहन कहाँ जाती हैं, क्या करती हैं और किससे मिलती हैं.
राधिका-भैया वो बात हैं .........कि.
कृष्णा- बोल ना राधिका. विश्वास कर मेरा मैं तुझे कुछ नही कहूँगा.
राधिका- भैया वो............ दर-असल मैं राहुल से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ. इस वक़्त मैं उससे ही मिलकर आ रही हूँ.
इतना सुनकर कृष्णा को एकदम से गुस्सा आ जाता हैं लेकिन वो अपने गुस्से को पूरा कंट्रोल करके बोलता हैं.
कृष्णा- अच्छा वो पोलीस वाला. कहीं वही तो नही हैं ना ....................राहुल मल्होत्रा यहाँ का सब-इनस्पेक्टर.
कृष्णा- क्यों तुझे और कोई नही मिला था क्या. दिल भी लगाया तो एक पोलिसेवाले से .जानती नहीं हैं तू इन पोलीस वालों को. बहुत हरामी चीज़ होते हैं ये. बस तेरे बदन से खिलवाड़ करके तुझे छोड़ देंगे. कोई प्यार व्यार नही होता बस अपनी हवस को मिटाने के लिए तुझे इस्तेमाल कर रहा हैं वो इनस्पेक्टर.
राधिका- नहीं भैया राहुल ऐसा नहीं हैं. वो मुझ से सच्चा प्यार करता हैं.
फिर कृष्णा की नज़र राधिका की पहनी हुई हीरे की अंगूठी पर पड़ती हैं.
कृष्णा- राधिका के हाथ की ओर इशारा करते हुए- अच्छा तो वो तुझसे शादी करना चाहता हैं इसलिए उसने तुझे अपनी सगाई के तौर पर ये अंगूठी दी हैं.क्यों सच हैं ना..........
राधिका- प्लीज़ भैया मुझे ग़लत मत समझिए, मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूँ.
कृष्णा- कब से चल रहा हैं ये सब.
राधिका- यही कोई 6 महीने से............
कृष्णा- तब तो वो तेरे साथ सो भी चुका होगा. हैं ना................
राधिका भी अपना सिर नीचे झुका लेती हैं और नीचे फर्श की ओर देखने लगती हैं. कृष्णा को भी सब समझ में आ जाता हैं.
कृष्णा- एक बात जान ले राधिका अगर वो पोलिसेवला तेरे साथ कोई खिलवाड़ किया ना तो उस साले को मैं ज़िंदा ज़मीन में दफ़न कर दूँगा. और फिर उसके बाद मैं तेरा क्या हाल करूँगा तू फिर समझ लेना.
राधिका चाह कर भी एक शब्द नही बोल पाती हैं और बस नीचे अपना सिर झुकाए देखती हैं.
कृष्णा भी उसके पास आता हैं और फिर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों से उपर की ओर करता हैं.
कृष्णा- देख राधिका, मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं हूँ मगर दुनिया दारी अच्छे से जनता हूँ. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो. बस मैं यही कहूँगा कि जवानी के जोश में कोई ऐसा ग़लत कदम ना उठा लेना की आगे चलकर कोई तेरे पर उंगली उठाए.
राधिका भी झट से अपने भैया के सीने लग जाती हैं - भैया मुझे माफ़ कर दो ये बात मैने आप से इतने दिनो से छुपाकर रखी. मैने कई बार आपसे इस बारे में बात करने की कोशिश की मगर आप से मुझे कहने की हिम्मत नही हुई.
कृष्णा- कोई बात नहीं राधिका. मैं जानता हूँ कि तू कोई काम ग़लत कर ही नहीं सकती. चल अब झट से मुझे एक गरमा गरम चाइ पिला.
थोड़े देर में उसका बाप भी आ जाता हैं और फिर सब मिलकर चाइ पीते हैं. राधिका फिर घर का सारा काम ख़तम कर लेती हैं और रात में बिस्तेर पर जाकर सोने चली जाती हैं. आज उसके मन बहुत हल्का हो गया था. उसे इस बात की खुशी थी की उसके भैया ने भी अब राहुल को आक्सेप्ट कर लिया हैं.
........................................
कहते हैं ना कि खुशियों को ग्रहण लगते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ आज के बाद राधिका के साथ भी होने वाला था, जो अब उसकी जिंदगी में तूफान लाने के लिए काफ़ी था.
दूसरे दिन सुबह वो उठकर जल्दी से फ्रेश होती हैं और फिर किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं. सुबह सुबह ही उसके पिताजी घर से निकल गये थे. इस वक़्त बस कृष्णा और राधिका ही घर पर थे.
कृष्णा भी झट से उठकर अपने हाथ मूह धोता हैं और फ्रेश होकर सीधा राधिका के पास जाकर उसके कमर में अपना दोनो हाथ डालकर राधिका की गर्दन को चूम लेता हैं.
राधिका- ये क्या भैया, आप ऐसे आते हैं कि बिल्कुल पता भी नहीं चलता. मैं तो समझी थी कि आप मुझसे नाराज़ होंगे ..
कृष्णा- मैं भला अपनी ही बेहन से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ.
राधिका- लेकिन आपने मुझसे कहा था कि मैं तेरी मर्ज़ी से ही छुउंगा. फिर................
कृष्णा- तू हैं ही ऐसी जब तक तुझे ऐसे अपनी बाहों में नही ले लेता हूँ मुझे चैन ही नहीं मिलता.
राधिका- चलिए भैया मैं आभी चाइ लेकर आती हूँ.
फिर कृष्णा वही दूसरे रूम में चला जाता हैं और कुछ देर में राधिका भी दो सीशे के ग्लास में चाइ डालकर एक ट्रे में लेकर अपने भैया के पास जाती हैं.
कहते हैं कि अगर कुछ बुरा होने वाला होता हैं तो इंसान को उसका आभास पहले से ही हो जाता हैं. आज सुबह से ही राधिका का दिल बहुत बेचैन था. पता नहीं क्यों पर उसके दिल में एक अजीब सा डर जनम ले रहा था.....
राधिका जैसे ही ट्रे लेकर जाती हैं उसका पाँव फिसल जाता हैं और वो गिरते गिरते बचती है मगर उसके हाथ से ट्रे छूट कर फर्श पर गिर जाती हैं और सीशे के दोनो ग्लास टूट कर फर्श पर बिखर जाते हैं...
कृष्णा भी सीशे के टूटने की आवाज़ सुनकर दौड़कर राधिका के एक दम करीब आता हैं.
कृष्णा- क्या हुआ राधिका. ये ट्रे कैसे छूट कर नीचे गिर गया.
राधिका के आँख से आँसू निकल पड़ते हैं और वो दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं.
कृष्णा भी उसे अपनी बाहों में ले लता हैं.
कृष्णा- बोल ना राधिका तू ऐसे क्यों रो रही है. क्या हुआ कहीं चोट तो नहीं लगी ना...
राधिका का दाए हाथ की एक उंगली मे सीशे का एक टुकड़ा लग गया था जिसके वजह से उसके उंगली से खून निकल रहा था. कृष्णा की नज़र उसपर पड़ती हैं और वो झट से राधिका की उंगली को अपनी मूह में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में उसका खून बंद हो जाता हैं. मगर राधिका के आँसू नहीं बंद होते.
कृष्णा- तू रो.. क्यों रही हैं. देख ना अब तो खून भी बंद हो गया हैं.
राधिका- भैया ये सब कुछ ठीक नही हो रहा हैं. शीशे का ऐसे टूटना अपषगुन माना जाता हैं. और पता नही क्यों आज जब से मैं उठी हूँ मेरा दिल में अजीब तरह का डर लग रहा हैं.. पता नहीं भैया क्या होने वाला हैं.
कृष्णा- तू बेवज़ह परेशान हो रही हैं. अरे ये सब बेकार की बातें हैं. ऐसा कुछ नहीं होता.
फिर कृष्णा झुक कर पूरे काँच को उठाता हैं और उसे डस्टबिन में डाल देता हैं. राधिका फिर से चाइ बनाती हैं और कुछ देर में कृष्णा भी काम पर निकल जाता हैं.
राधिका फिर सोच में डूब जाती हैं. उस दिन भी तो राहुल के हाथों ऐसे सिंदूर का गिर का बिखर जाना, फिर आज शीशे का ऐसे टूटना हो ना हो ये दोनो चीज़ें का ऐसे एक साथ होना ज़रूर किसी अपषगुन का संकेत हैं....................................
राधिका बहुत देर तक इसी सोच में डूबी रहती हैं लेकिन उसकी घबराहट कम नही होती. फिर कुछ सोचकर वो आज कॉलेज ना जाने का फ़ैसला करती हैं. थोड़े देर में घर का काम ख़तम कर के वो अपने बिस्तेर पर जाकर लेट जाती हैं.
उधेर राहुल भी फ्रेश होकर अपने जीप से पोलीस स्टेशन चल देता हैं.रास्ते में उसके दोस्त विजय का फोन आता हैं.
विजय- कहाँ पर हो यार. आज कल लगता हैं बहुत बिज़ी रहते हो.
राहुल- नही विजय ऐसी कोई बात नही हैं. मैं अभी इस वक़्त पोलीस स्टेशन जा रहा हूँ अभी रास्ते में हूँ और मैं तुझे पहुँच कर थोड़े देर में फोन करता हूँ.
राहुल फोन काट देता हैं. फिर कुछ देर ड्राइव करता हुए वो कुछ दूर जाता हैं तो उसका ध्यान मिरर के बॅकसाइड पर जाता हैं. एक ट्रक उसके पीछे बहुत देर से आ रहा था. वो उसे साइड देता हैं मगर ट्रक की स्पीड तुरंत बढ़ जाती हैं और फिर एक ज़ोरदार टक्कर होती हैं और राहुल की जीप अनबॅलेन्स होकर पलट जाती हैं और ट्रक तेज़ी से वहाँ से निकल जाता हैं.
ट्रक की टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि राहुल की जीप का आधा हिस्सा पूरा चकनाचूर हो गया था. और राहुल भी वही पर तुरंत बेहोश हो जाता हैं. उसके हाथ और शरीर के कई हिस्सों में से खून बहने लगता था. उसके सर पर भी चोट आई थी इसके वजह से वो बेहोश हो गया था. वहाँ आस पास काफ़ी भीड़ जमा हो जाती हैं और फिर कुछ देर में राहुल को हॉस्पिटल में अड्मिट करा दिया जाता हैं.
करीब 2 घंटे के बाद उसे होश आता हैं और वो सबसे पहले राधिका का नाम लेता हैं. तभी उसका फ्रेंड अभय जो कि एम.डी हैं वो वहाँ पर आता हैं और उसे रिलॅक्स होने को बोलता हैं.
अभय- अरे भाई ये सब कैसे हो गया. भगवान का शुक्र मनाओ कि तुम्हें ज़्यादा चोट नही लगी वरना जिस तरह से तुम्हारी गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ था तुम्हारा बचना शायद मुश्किल था.
राहुल- पता नही अभय. मैं भी तो बस घर से पोलीसेस्टेशन ही आ रहा था मगर मेरे पीछे एक ट्रक बहुत देर से मेरे पीछे था. और मुझे पूरा यकीन है कि ये आक्सिडेंट हुआ नही कराया गया हैं.
अभय- डॉन'ट माइन राहुल . अभी अपने दिमाग़ पर इतना स्ट्रेस मत दो. इस वक़्त तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं.
तभी ख़ान भी वहाँ पर आ जाता हैं.
ख़ान- ये सब कैसे हो गया साहेब.
राहुल- पता नहीं ख़ान पर ये आक्सिडेंट कराया गया हैं. कोई मुझे जान से मारना चाहता हैं.
ख़ान- आप कहें तो मैं उस ट्रक का पता लगवाता हूँ. साला बच कर कहाँ जाएगा उसका नंबर प्लेट आपने देखा क्या.
राहुल- कोई फ़ायदा नही हैं ख़ान. मैं जानता हूँ कि वो ट्रक का नंबर भी जाली होगा. खैर पता कर्वाओ कौन हैं इस सब के पीछे...
करीब 10 बजे राधिका का मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं. राधिका फोन रिसेव करती हैं.
राधिका- हेलो !! कौन बोल रहा हैं.
फोन ख़ान का था.
ख़ान- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.
राधिका- हां बोल रहीं हूँ . आप कौन???
ख़ान- मैं इनस्पेक्टर ख़ान बोल रहा हूँ. आप इस वक़्त कहाँ पर हैं.
राधिका- कहिए ख़ान जी. आपने मुझे कैसे याद किया. क्यों कोई ज़रूरी बात हैं क्या.
ख़ान- क्या आप इस वक़्त सिटी हॉस्पिटल आ सकती हैं ..
राधिका एकदम से घबराते हुए- क्यों क्या हुआ. आप ऐसे क्यो पूछ रहे हैं.
ख़ान- जी बात ये हैं कि राहुल सर....................
राधिका- क्या हुआ?? बोलिए ना ख़ान क्या हुआ मेरे राहुल को................और राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.
ख़ान- जी........ उनका आक्सिडेंट हो गया हैं और इस वक़्त वो सिटी हॉस्पिटल में अड्मिट हैं और आपको याद कर रहे हैं.
राधिका इतना सुनते ही उसके आँखों के सामने अंधेरा सा छा जाता हैं और वो वो वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. उसे समझ में नही आता कि वो क्या बोले. बस उसके आँखों से लगातार आँसू बहने लगते हैं.
ख़ान- आप ठीक तो हैं ना....प्लीज़ आप जितनी जल्दी हो सके यहाँ पर आ जाइए. साहेब बस आपको याद कर रहे हैं.
राधिका फिर फोन रखती हैं और फिर जैसे रहती हैं उसी अवस्था में वो अपना घर लॉक करके वो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ती हैं. लेकिन उसकी आँखो से आँसू नही थमते. जैसे तैसे वो एक ऑटो में बैठकर वो हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं.
हॉस्पिटल में......................
राधिका जैसे ही हॉस्पिटल में एंटर होती हैं सामने उसे ख़ान दिखाई देता हैं.
ख़ान- आओ राधिका मैं आपका ही इंतेज़ार कर रहा था .
राधिका- कैसा हैं मेरा राहुल. ठीक तो हैं ना. आप कुछ बताते क्यों नहीं.
ख़ान कुछ बोलना ठीक नहीं समझता और वो राधिका के साथ राहुल के वॉर्ड की ओर चल देता हैं
जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती हैं वो लगभग चीखते हुए राहुल के पास दौड़ कर पहुँच जाती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
राहुल- क्या हुआ जान. तुम क्यों इतना परेशान हो. मैं बिल्कुल ठीक हूँ. बस थोड़ी सी चोट आई हैं.
राधिका ज़ोर ज़ोर से राहुल से लिपटकर रोने लगती हैं..
राधिका- ये सब कैसे हो गया राहुल. मुझे पता था कि आज ज़रूर कुछ बहुत बुरा होने वाला हैं. मैं जब से आज सुबह से उठी थी तब से ना जाने क्यों मेरे दिल में बहुत घबराहट हो रही थी. और तो आज सुबह शीशे का टूट जाना क्या ये सब अपषगुन नहीं हैं तो और क्या हैं.
राहुल- रिलॅक्स जान. मैं ठीक हूँ. चिंता मत करो मेरा साथ तुम्हारा प्यार हैं मुझे कुछ नहीं होगा.
अभय- हां राहुल सही कह रहा हैं. जिस तरह से इनके गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ हैं इनका बचना शायद मुमकिन नही था. मगर ये शायद कोई चमत्कार ही कह सकते है कि बस एक दो जगह थोड़े ज़्यादा चोट आई हैं. ये बस एक दो दिन में ठीक हो जाएँगे.
ख़ान- मैने अभी विरलेशस मेसेज भेज दिया हैं. आप चिंता ना करे मैं उस ट्रक और उसके ड्राइवर का 2 दिनो के अंदर पता लगा ही लूँगा.
अभय- देखो राहुल आभी तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं. इस वक़्त तुम बस आराम ही करो.
राहुल- तुम्हारे रहते मुझे कुछ नही होगा अभय. यू आर दा बेस्ट डॉक्टर. और तुम्हारे पास सभी बीमारी का इलाज़ मौज़ूद हैं. और सबसे बड़ी बात कि तुम मेरे दोस्त भी हो. तो तुम्हारे रहते मुझे किस बात की फिकर हैं.
राहुल- बस करो ना जान. कब तक इन आँखों से आँसू बहाओगी. मैं ठीक हूँ. और राहुल अपने हाथ बढाकर राधिका के बहते आँसू पोंछ देता हैं.
राधिका भी अब कुछ नॉर्मल हो जाती हैं और जाकर अपना मूह धोकर वापस आती हैं.
ख़ान- अपनी तो साली लाइफ ही बेकार हैं. अगर ईमानदारी से नौकरी करो तो कोई ना कोई जान से मारने के पीछे पड़ा रहता हैं. और ना करो तो जनता कहती हैं कि साला करप्ट हैं . साला इधेर पहाड़ और उधर खाई.
राहुल- ख़ान ये ज़िंदगी इतनी आसान नही होती . यहाँ पर हर पल हर घड़ी ,स्ट्रगल हैं. जीने के लिए हर पल फाइट करना पड़ता हैं. अरे यही तो ज़िंदगी का दस्तूर हैं कभी खुशी तो कभी गम..........................................
राहुल फिर राधिका को अपनी कार में बैठा कर उसे उसके घर से कुछ दूरी पर ड्रॉप कर देता हैं और वो सीधे अपने थाने चला जाता हैं.
जैसे ही राधिका घर पर पहुँचती हैं उसके भैया पहले से ही घर पर आ चुके थे.
कृष्णा- कहाँ थी अब तक राधिका. 6 बज चुके हैं और तुम्हारा कॉलेज तो 3 बजे तक बंद हो जाता हैं . और वैसे भी आज सनडे हैं तो कॉलेज तो बंद ही होगा ना..
राधिका वो भैया... बस ऐसे ही मैं...निशा के घर गयी थी.
कृष्णा- राधिका तुमने कब से झूट बोलना शुरू कर दिया. जहाँ तक मैं तुम्हें जानता हूँ की तुम कभी झूट नहीं बोलती. और वैसे भी मैं निशा के पास फोन कर के पूछ चुका हूँ और उसने मुझे बताया हैं कि वो आज तुमसे मिली ही नहीं हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं तुमसे यही उमीद करूँगा कि तुम जो भी मुझसे बात कहोगी सच कहोगी................................................बोलो राधिका क्या हैं सच..........................................
राधिका- भैया वो मैं आपको नही बता सकती.
कृष्णा- राधिका मेरा इतना तो हक़ बनता हैं की मेरी बेहन कहाँ जाती हैं, क्या करती हैं और किससे मिलती हैं.
राधिका-भैया वो बात हैं .........कि.
कृष्णा- बोल ना राधिका. विश्वास कर मेरा मैं तुझे कुछ नही कहूँगा.
राधिका- भैया वो............ दर-असल मैं राहुल से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ. इस वक़्त मैं उससे ही मिलकर आ रही हूँ.
इतना सुनकर कृष्णा को एकदम से गुस्सा आ जाता हैं लेकिन वो अपने गुस्से को पूरा कंट्रोल करके बोलता हैं.
कृष्णा- अच्छा वो पोलीस वाला. कहीं वही तो नही हैं ना ....................राहुल मल्होत्रा यहाँ का सब-इनस्पेक्टर.
कृष्णा- क्यों तुझे और कोई नही मिला था क्या. दिल भी लगाया तो एक पोलिसेवाले से .जानती नहीं हैं तू इन पोलीस वालों को. बहुत हरामी चीज़ होते हैं ये. बस तेरे बदन से खिलवाड़ करके तुझे छोड़ देंगे. कोई प्यार व्यार नही होता बस अपनी हवस को मिटाने के लिए तुझे इस्तेमाल कर रहा हैं वो इनस्पेक्टर.
राधिका- नहीं भैया राहुल ऐसा नहीं हैं. वो मुझ से सच्चा प्यार करता हैं.
फिर कृष्णा की नज़र राधिका की पहनी हुई हीरे की अंगूठी पर पड़ती हैं.
कृष्णा- राधिका के हाथ की ओर इशारा करते हुए- अच्छा तो वो तुझसे शादी करना चाहता हैं इसलिए उसने तुझे अपनी सगाई के तौर पर ये अंगूठी दी हैं.क्यों सच हैं ना..........
राधिका- प्लीज़ भैया मुझे ग़लत मत समझिए, मैं भी उससे बहुत प्यार करती हूँ.
कृष्णा- कब से चल रहा हैं ये सब.
राधिका- यही कोई 6 महीने से............
कृष्णा- तब तो वो तेरे साथ सो भी चुका होगा. हैं ना................
राधिका भी अपना सिर नीचे झुका लेती हैं और नीचे फर्श की ओर देखने लगती हैं. कृष्णा को भी सब समझ में आ जाता हैं.
कृष्णा- एक बात जान ले राधिका अगर वो पोलिसेवला तेरे साथ कोई खिलवाड़ किया ना तो उस साले को मैं ज़िंदा ज़मीन में दफ़न कर दूँगा. और फिर उसके बाद मैं तेरा क्या हाल करूँगा तू फिर समझ लेना.
राधिका चाह कर भी एक शब्द नही बोल पाती हैं और बस नीचे अपना सिर झुकाए देखती हैं.
कृष्णा भी उसके पास आता हैं और फिर उसके चेहरे को अपने दोनो हाथों से उपर की ओर करता हैं.
कृष्णा- देख राधिका, मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं हूँ मगर दुनिया दारी अच्छे से जनता हूँ. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो. बस मैं यही कहूँगा कि जवानी के जोश में कोई ऐसा ग़लत कदम ना उठा लेना की आगे चलकर कोई तेरे पर उंगली उठाए.
राधिका भी झट से अपने भैया के सीने लग जाती हैं - भैया मुझे माफ़ कर दो ये बात मैने आप से इतने दिनो से छुपाकर रखी. मैने कई बार आपसे इस बारे में बात करने की कोशिश की मगर आप से मुझे कहने की हिम्मत नही हुई.
कृष्णा- कोई बात नहीं राधिका. मैं जानता हूँ कि तू कोई काम ग़लत कर ही नहीं सकती. चल अब झट से मुझे एक गरमा गरम चाइ पिला.
थोड़े देर में उसका बाप भी आ जाता हैं और फिर सब मिलकर चाइ पीते हैं. राधिका फिर घर का सारा काम ख़तम कर लेती हैं और रात में बिस्तेर पर जाकर सोने चली जाती हैं. आज उसके मन बहुत हल्का हो गया था. उसे इस बात की खुशी थी की उसके भैया ने भी अब राहुल को आक्सेप्ट कर लिया हैं.
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कहते हैं ना कि खुशियों को ग्रहण लगते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ आज के बाद राधिका के साथ भी होने वाला था, जो अब उसकी जिंदगी में तूफान लाने के लिए काफ़ी था.
दूसरे दिन सुबह वो उठकर जल्दी से फ्रेश होती हैं और फिर किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं. सुबह सुबह ही उसके पिताजी घर से निकल गये थे. इस वक़्त बस कृष्णा और राधिका ही घर पर थे.
कृष्णा भी झट से उठकर अपने हाथ मूह धोता हैं और फ्रेश होकर सीधा राधिका के पास जाकर उसके कमर में अपना दोनो हाथ डालकर राधिका की गर्दन को चूम लेता हैं.
राधिका- ये क्या भैया, आप ऐसे आते हैं कि बिल्कुल पता भी नहीं चलता. मैं तो समझी थी कि आप मुझसे नाराज़ होंगे ..
कृष्णा- मैं भला अपनी ही बेहन से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ.
राधिका- लेकिन आपने मुझसे कहा था कि मैं तेरी मर्ज़ी से ही छुउंगा. फिर................
कृष्णा- तू हैं ही ऐसी जब तक तुझे ऐसे अपनी बाहों में नही ले लेता हूँ मुझे चैन ही नहीं मिलता.
राधिका- चलिए भैया मैं आभी चाइ लेकर आती हूँ.
फिर कृष्णा वही दूसरे रूम में चला जाता हैं और कुछ देर में राधिका भी दो सीशे के ग्लास में चाइ डालकर एक ट्रे में लेकर अपने भैया के पास जाती हैं.
कहते हैं कि अगर कुछ बुरा होने वाला होता हैं तो इंसान को उसका आभास पहले से ही हो जाता हैं. आज सुबह से ही राधिका का दिल बहुत बेचैन था. पता नहीं क्यों पर उसके दिल में एक अजीब सा डर जनम ले रहा था.....
राधिका जैसे ही ट्रे लेकर जाती हैं उसका पाँव फिसल जाता हैं और वो गिरते गिरते बचती है मगर उसके हाथ से ट्रे छूट कर फर्श पर गिर जाती हैं और सीशे के दोनो ग्लास टूट कर फर्श पर बिखर जाते हैं...
कृष्णा भी सीशे के टूटने की आवाज़ सुनकर दौड़कर राधिका के एक दम करीब आता हैं.
कृष्णा- क्या हुआ राधिका. ये ट्रे कैसे छूट कर नीचे गिर गया.
राधिका के आँख से आँसू निकल पड़ते हैं और वो दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं.
कृष्णा भी उसे अपनी बाहों में ले लता हैं.
कृष्णा- बोल ना राधिका तू ऐसे क्यों रो रही है. क्या हुआ कहीं चोट तो नहीं लगी ना...
राधिका का दाए हाथ की एक उंगली मे सीशे का एक टुकड़ा लग गया था जिसके वजह से उसके उंगली से खून निकल रहा था. कृष्णा की नज़र उसपर पड़ती हैं और वो झट से राधिका की उंगली को अपनी मूह में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं. कुछ देर में उसका खून बंद हो जाता हैं. मगर राधिका के आँसू नहीं बंद होते.
कृष्णा- तू रो.. क्यों रही हैं. देख ना अब तो खून भी बंद हो गया हैं.
राधिका- भैया ये सब कुछ ठीक नही हो रहा हैं. शीशे का ऐसे टूटना अपषगुन माना जाता हैं. और पता नही क्यों आज जब से मैं उठी हूँ मेरा दिल में अजीब तरह का डर लग रहा हैं.. पता नहीं भैया क्या होने वाला हैं.
कृष्णा- तू बेवज़ह परेशान हो रही हैं. अरे ये सब बेकार की बातें हैं. ऐसा कुछ नहीं होता.
फिर कृष्णा झुक कर पूरे काँच को उठाता हैं और उसे डस्टबिन में डाल देता हैं. राधिका फिर से चाइ बनाती हैं और कुछ देर में कृष्णा भी काम पर निकल जाता हैं.
राधिका फिर सोच में डूब जाती हैं. उस दिन भी तो राहुल के हाथों ऐसे सिंदूर का गिर का बिखर जाना, फिर आज शीशे का ऐसे टूटना हो ना हो ये दोनो चीज़ें का ऐसे एक साथ होना ज़रूर किसी अपषगुन का संकेत हैं....................................
राधिका बहुत देर तक इसी सोच में डूबी रहती हैं लेकिन उसकी घबराहट कम नही होती. फिर कुछ सोचकर वो आज कॉलेज ना जाने का फ़ैसला करती हैं. थोड़े देर में घर का काम ख़तम कर के वो अपने बिस्तेर पर जाकर लेट जाती हैं.
उधेर राहुल भी फ्रेश होकर अपने जीप से पोलीस स्टेशन चल देता हैं.रास्ते में उसके दोस्त विजय का फोन आता हैं.
विजय- कहाँ पर हो यार. आज कल लगता हैं बहुत बिज़ी रहते हो.
राहुल- नही विजय ऐसी कोई बात नही हैं. मैं अभी इस वक़्त पोलीस स्टेशन जा रहा हूँ अभी रास्ते में हूँ और मैं तुझे पहुँच कर थोड़े देर में फोन करता हूँ.
राहुल फोन काट देता हैं. फिर कुछ देर ड्राइव करता हुए वो कुछ दूर जाता हैं तो उसका ध्यान मिरर के बॅकसाइड पर जाता हैं. एक ट्रक उसके पीछे बहुत देर से आ रहा था. वो उसे साइड देता हैं मगर ट्रक की स्पीड तुरंत बढ़ जाती हैं और फिर एक ज़ोरदार टक्कर होती हैं और राहुल की जीप अनबॅलेन्स होकर पलट जाती हैं और ट्रक तेज़ी से वहाँ से निकल जाता हैं.
ट्रक की टक्कर इतनी ज़ोरदार थी कि राहुल की जीप का आधा हिस्सा पूरा चकनाचूर हो गया था. और राहुल भी वही पर तुरंत बेहोश हो जाता हैं. उसके हाथ और शरीर के कई हिस्सों में से खून बहने लगता था. उसके सर पर भी चोट आई थी इसके वजह से वो बेहोश हो गया था. वहाँ आस पास काफ़ी भीड़ जमा हो जाती हैं और फिर कुछ देर में राहुल को हॉस्पिटल में अड्मिट करा दिया जाता हैं.
करीब 2 घंटे के बाद उसे होश आता हैं और वो सबसे पहले राधिका का नाम लेता हैं. तभी उसका फ्रेंड अभय जो कि एम.डी हैं वो वहाँ पर आता हैं और उसे रिलॅक्स होने को बोलता हैं.
अभय- अरे भाई ये सब कैसे हो गया. भगवान का शुक्र मनाओ कि तुम्हें ज़्यादा चोट नही लगी वरना जिस तरह से तुम्हारी गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ था तुम्हारा बचना शायद मुश्किल था.
राहुल- पता नही अभय. मैं भी तो बस घर से पोलीसेस्टेशन ही आ रहा था मगर मेरे पीछे एक ट्रक बहुत देर से मेरे पीछे था. और मुझे पूरा यकीन है कि ये आक्सिडेंट हुआ नही कराया गया हैं.
अभय- डॉन'ट माइन राहुल . अभी अपने दिमाग़ पर इतना स्ट्रेस मत दो. इस वक़्त तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं.
तभी ख़ान भी वहाँ पर आ जाता हैं.
ख़ान- ये सब कैसे हो गया साहेब.
राहुल- पता नहीं ख़ान पर ये आक्सिडेंट कराया गया हैं. कोई मुझे जान से मारना चाहता हैं.
ख़ान- आप कहें तो मैं उस ट्रक का पता लगवाता हूँ. साला बच कर कहाँ जाएगा उसका नंबर प्लेट आपने देखा क्या.
राहुल- कोई फ़ायदा नही हैं ख़ान. मैं जानता हूँ कि वो ट्रक का नंबर भी जाली होगा. खैर पता कर्वाओ कौन हैं इस सब के पीछे...
करीब 10 बजे राधिका का मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आता हैं. राधिका फोन रिसेव करती हैं.
राधिका- हेलो !! कौन बोल रहा हैं.
फोन ख़ान का था.
ख़ान- क्या आप राधिका बोल रहीं हैं.
राधिका- हां बोल रहीं हूँ . आप कौन???
ख़ान- मैं इनस्पेक्टर ख़ान बोल रहा हूँ. आप इस वक़्त कहाँ पर हैं.
राधिका- कहिए ख़ान जी. आपने मुझे कैसे याद किया. क्यों कोई ज़रूरी बात हैं क्या.
ख़ान- क्या आप इस वक़्त सिटी हॉस्पिटल आ सकती हैं ..
राधिका एकदम से घबराते हुए- क्यों क्या हुआ. आप ऐसे क्यो पूछ रहे हैं.
ख़ान- जी बात ये हैं कि राहुल सर....................
राधिका- क्या हुआ?? बोलिए ना ख़ान क्या हुआ मेरे राहुल को................और राधिका के आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.
ख़ान- जी........ उनका आक्सिडेंट हो गया हैं और इस वक़्त वो सिटी हॉस्पिटल में अड्मिट हैं और आपको याद कर रहे हैं.
राधिका इतना सुनते ही उसके आँखों के सामने अंधेरा सा छा जाता हैं और वो वो वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. उसे समझ में नही आता कि वो क्या बोले. बस उसके आँखों से लगातार आँसू बहने लगते हैं.
ख़ान- आप ठीक तो हैं ना....प्लीज़ आप जितनी जल्दी हो सके यहाँ पर आ जाइए. साहेब बस आपको याद कर रहे हैं.
राधिका फिर फोन रखती हैं और फिर जैसे रहती हैं उसी अवस्था में वो अपना घर लॉक करके वो हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ती हैं. लेकिन उसकी आँखो से आँसू नही थमते. जैसे तैसे वो एक ऑटो में बैठकर वो हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं.
हॉस्पिटल में......................
राधिका जैसे ही हॉस्पिटल में एंटर होती हैं सामने उसे ख़ान दिखाई देता हैं.
ख़ान- आओ राधिका मैं आपका ही इंतेज़ार कर रहा था .
राधिका- कैसा हैं मेरा राहुल. ठीक तो हैं ना. आप कुछ बताते क्यों नहीं.
ख़ान कुछ बोलना ठीक नहीं समझता और वो राधिका के साथ राहुल के वॉर्ड की ओर चल देता हैं
जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती हैं वो लगभग चीखते हुए राहुल के पास दौड़ कर पहुँच जाती हैं और उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
राहुल- क्या हुआ जान. तुम क्यों इतना परेशान हो. मैं बिल्कुल ठीक हूँ. बस थोड़ी सी चोट आई हैं.
राधिका ज़ोर ज़ोर से राहुल से लिपटकर रोने लगती हैं..
राधिका- ये सब कैसे हो गया राहुल. मुझे पता था कि आज ज़रूर कुछ बहुत बुरा होने वाला हैं. मैं जब से आज सुबह से उठी थी तब से ना जाने क्यों मेरे दिल में बहुत घबराहट हो रही थी. और तो आज सुबह शीशे का टूट जाना क्या ये सब अपषगुन नहीं हैं तो और क्या हैं.
राहुल- रिलॅक्स जान. मैं ठीक हूँ. चिंता मत करो मेरा साथ तुम्हारा प्यार हैं मुझे कुछ नहीं होगा.
अभय- हां राहुल सही कह रहा हैं. जिस तरह से इनके गाड़ी का आक्सिडेंट हुआ हैं इनका बचना शायद मुमकिन नही था. मगर ये शायद कोई चमत्कार ही कह सकते है कि बस एक दो जगह थोड़े ज़्यादा चोट आई हैं. ये बस एक दो दिन में ठीक हो जाएँगे.
ख़ान- मैने अभी विरलेशस मेसेज भेज दिया हैं. आप चिंता ना करे मैं उस ट्रक और उसके ड्राइवर का 2 दिनो के अंदर पता लगा ही लूँगा.
अभय- देखो राहुल आभी तुम्हें आराम की ज़रूरत हैं. इस वक़्त तुम बस आराम ही करो.
राहुल- तुम्हारे रहते मुझे कुछ नही होगा अभय. यू आर दा बेस्ट डॉक्टर. और तुम्हारे पास सभी बीमारी का इलाज़ मौज़ूद हैं. और सबसे बड़ी बात कि तुम मेरे दोस्त भी हो. तो तुम्हारे रहते मुझे किस बात की फिकर हैं.
राहुल- बस करो ना जान. कब तक इन आँखों से आँसू बहाओगी. मैं ठीक हूँ. और राहुल अपने हाथ बढाकर राधिका के बहते आँसू पोंछ देता हैं.
राधिका भी अब कुछ नॉर्मल हो जाती हैं और जाकर अपना मूह धोकर वापस आती हैं.
ख़ान- अपनी तो साली लाइफ ही बेकार हैं. अगर ईमानदारी से नौकरी करो तो कोई ना कोई जान से मारने के पीछे पड़ा रहता हैं. और ना करो तो जनता कहती हैं कि साला करप्ट हैं . साला इधेर पहाड़ और उधर खाई.
राहुल- ख़ान ये ज़िंदगी इतनी आसान नही होती . यहाँ पर हर पल हर घड़ी ,स्ट्रगल हैं. जीने के लिए हर पल फाइट करना पड़ता हैं. अरे यही तो ज़िंदगी का दस्तूर हैं कभी खुशी तो कभी गम..........................................