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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#20
Update 13


राधिका को ऐसे सोच में डूबा देखकर कृष्णा एक टक उसको बड़े प्यार से देखता रहता हैं. राधिका इस समय पूरा भीग चुकी थी. उसकी साड़ी पूरे उसके जिस्म से चिपक गयी थी. उसे गान्ड और दूध पूरी तरह से गोल गोल शेप में दिख रहे थे जो किसी का खून गरम करने के लिए काफ़ी थे. और कुछ देर में कृष्णा का लंड भी अपना आकार ले चुका था.

कृष्णा- किस सोच में डूब गयी हो राधिका?? कोई बात हैं क्या??

राधिका को कृष्णा की आवाज़ सुन कर जैसे वो किसी नींद से जागती हैं और एक दम से हड़बड़ा जाती हैं.

राधिका- वो.........नही भैया क.....कोई बात नहीं.

कृष्णा- देख राधिका अगर तेरा मन ये सब करने का नहीं हैं तो मैं तुझे कभी मज़बूर नही करूँगा. मैं तो बस यही चाहता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से ये सब करे. मैं तुझे सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ.

राधिका- ऐसी कोई बात नहीं हैं भैया . पर क्या ये सब ठीक रहेगा आपको क्या लगता हैं. क्या दुनिया इसे सही मानेगी. क्या कोई बेहन अपने ही भाई का बिस्तेर गरम कर सकती हैं.कभी नही भैया दुनिया कभी हमारे रिश्ते को नही मानेगी. आप पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर मैं किस किस का मूह बूँद करूँगी. ये दुनिया ये समाज मुझे जीने नहीं देगा. बोलो हैं आपके पास इसका कोई जवाब.???

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना फिर से वही बात लेकर बैठ गयी. ये दुनिया और ये समाज़ का काम ही हैं बस बोलना. बोलने दो. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

राधिका- लेकिन मुझे फ़र्क पड़ता हैं भैया. आपको क्या मालूम कि, औरत की ज़िंदगी इतनी आसान नही होती. अगर कल को कोई लड़की शादी होकर अपने ससुराल जाती हैं और उसके पति की किसी आक्सिडेंट में मौत हो जाती हैं तो दुनिया लड़के को नही दोष देती. उल्टे लड़की पर हज़ारों उंगली उठाती हैं. कि लड़की अप्शगुनि हैं तो डायन , आते ही अपने पति को खा गयी, और पता नहीं क्या क्या...............

कृष्णा- लेकिन तुझपर जो उंगली उठाएगा उसका मैं हाथ तोड़ दूँगा. जिसने भी तेरे बारे में कुछ बोला साले की ज़ुबान काट दूँगा.

राधिका- भैया ये सब इतना आसान नही हैं. मैं इस वक़्त ये सब नही कर सकती भैया मुझे अभी और वक़्त चाहिए. प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानना. मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूँ.

कृष्णा भी राधिका के करीब जाता हैं वो उसे अपने सीने से लगा लेता हैं. उपर से शवर का पानी में वो दोनो पूरी तरह से भीग जाते हैं . कृष्णा उसके माथे को चूम लेता हैं .

कृष्णा- ठीक हैं राधिका, मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ पल तो क्या ज़िंदगी भर इंतेज़ार करने को भी तैयार हूँ. मुझे उस पल का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.

राधिका की आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं और वो कस कर कृष्णा को अपने सीने से लगा लेती हैं.

राधिका- अब ऐसे ही पूरा नंगे रहोगे क्या. आपको तो शरम हैं नही , ये भी नही मालूम कि घर पर एक जवान बेहन भी हैं.

कृष्णा- मुस्कुराते हुए , हां पता हैं अरे तू तो मेरी ही खून हैं ना. जब मैं तुझे अपना समझता हूँ तो तुझसे किस बात का शरमाना .

राधिका- बस बस बहुत हो गया आप इस वक़्त बाथरूम से बाहर चले जाइए और चुप चाप जाकर अपने कपड़े पहेन लीजिए.

कृष्णा झट से बाहर निकल जाता हैं और जाकर दूसरे कपड़े पेहेनने लगता हैं तभी उसके घर का बेल बजता हैं. बेल सुनकर राधिका और कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. वो जल्दी से अपने कपड़े पहनता हैं और जाकर दरवाजा खोलता हैं. सामने निशा खड़ी थी.

निशा- भैया, राधिका घर पर हैं क्या???

कृष्णा-हां , आओ ना अंदर अभी वो नहा रही हैं.

निशा घर के अंदर आती हैं और वही सोफे पर बैठ जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपने कपड़े बदल कर एक नया सूट पहनकर निशा के पास आती हैं.

निशा- कहाँ थी अब तक मेडम??? फोन भी लगाने पर तुम रिसीव नहीं करती और आज कॉलेज क्यों नही आई. मैं आज सुबह से ही तेरा वेट कर रही थी.

कृष्णा-क्या??? राधिका तुम आज कॉलेज नही गयी, पर क्यों???

राधिका- हां वो भैया मेरी तबीयत आज कुछ ठीक नही लग रही ही. तो दिन भर मैं आज घर पर सोई थी.

निशा उसको घूर कर देखती हैं वो अच्छे से जानती थी कि राधिका कभी कॉलेज गोल नहीं करती हैं. चाहे उसका तबीयात ही क्यों ना खराब हो??

कृष्णा भी थोड़े देर वहाँ रुक कर बाहर निकल जाता हैं.

राधिका- यार तू थोड़ी देर अपना मूह नही बूँद रख सकती थी क्या???

निशा- यार आज तेरा बर्तडे हैं. तुझे अच्छे से पता हैं कि मैं तेरा बर्तडे हमेशा से विश करती चली आ रही हूँ. फिर भी तू आज कॉलेज नहीं आई. बात कुछ और हैं राधिका तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

राधिका- नही निशा सच में.............कोई बात नही हैं..

निशा- एक बात और बता तू आज कुछ परेशान लग रही हैं बात क्या हैं??? मैने तुझे इतने टेन्स में कभी नही देखा.

राधिका- नही निशा, बिलिव मी यार ऐसी कोई बात नहीं हैं..

निशा- एक बात कहूँ मैने अभी देखा हैं कि कृष्णा भैया भी अभी अभी नहा कर बाहर निकले हैं और तू भी इस वक़्त नहा कर आ रही हैं. और मैं जानती हूँ कि तेरे घर में सिर्फ़ एक ही बाथरूम हैं. क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वो बात तो नहीं हैं ना.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग एक दम उड़ जाता हैं और वो झट से अपना सिर नीचे झुका लेती हैं. बस निशा को सब समझ में आ जाता हैं.

निशा- राधिका तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. क्यों तू अपने ही जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं. पता भी हैं आगे जाकर इसका क्या अंजाम होगा.

राधिका-प्लीज़ निशा मुझे बस मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं जैसे भी हूँ ठीक हूँ.

निशा- मेरी आँखों में देखकर बता राधिका कि जो तू ये सब कर रही हैं क्या ये सब तुझे ठीक लगता हैं. भला तू अपने ही भैया से वो सब कैसे कर सकती हैं. क्या तेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती कि.............

राधिका-बस कर निशा , मैं ये सब बिल्कुल सुनना नहीं चाहती, प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- मुझे विश्वास नही होता कि तू वही राधिका हैं जो कल तक तुझे जो भी आँख उठा कर देख लेता था तू उसका बॅंड बजा देती थी तो आज क्या हो गया हैं तुझे. क्यों आज अपने ही बदन को अपने ही भाई के हवाले करना चाहती हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करना चाहती हैं.

राधिका- बोल ले निशा जितना जी में आए मुझे बोल ले, मैं तुझे आज एक शब्द भी नही बोलूँगी.

निशा- ठीक हैं राधिका ये ले मेरा गिफ्ट अब मैं चलती हूँ हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना. आज के बाद मैं तुझसे कभी नही मिलूंगी.

राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और वो झट से निशा का हाथ पकड़ लेती हैं.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा मेरा ये इरादा नहीं था कि तुझे दुख पहुँचे. राधिका अपने आँखों से आँसू पोछते हुए बोली.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे जाने दे. मैं अब तेरे साथ कोई भी रिश्ता नही रखना चाहती प्लीज़ लीव मी..............

राधिका- अगर तू इस वक़्त यहाँ से चली गयी तो मेरा मरा हुआ मूह देखेगी. और तू जानती हैं कि मैं बोलती नही करती भी हूँ.

निशा के बढ़ते कदम इतना सुनकर रुक जाते हैं और फिर वो राधिका के करीब आती हैं.

निशा- तू क्यों ऐसा कर रहीं हैं. क्यों तू अपने ज़िंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.आख़िर क्या जताना चाहती हैं तू.... ....मेरी बात मान राधिका अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं वक़्त रहते सम्भल जा. वरना कल को तेरी शादी हो गयी और तेरे ससुराल वालों को इस बात की भनक भी लग गयी तो तेरा ज़ीना मुश्किल हो जाएगा.

राधिका- जाने दे ना निशा मैं सब कुछ अपने नसीब पर छोड़ चुकी हूँ. अगर मेरे नसीब में गिरना ही लिखा हैं तो मुझे गिरने से कोई नहीं बचा सकता.

निशा- नसीब वासीब कुछ नही होता राधिका. यहाँ पर इंसान खुद अपनी तकदीर बनाता हैं और बिगाड़ता हैं. आज भी सब कुछ तेरे हाथों में हैं. आगे तेरी मर्ज़ी ....................

फिर कुछ देर के बाद दोनो नॉर्मल होते हैं और कृष्णा भी घर पर आ जाता हैं और फिर दोनो मिलकर राधिका का बर्तडे सेलेब्रेट करते हैं. राधिका भी उसे अपने घर पर खाना खिलाती हैं और फिर निशा करीब 7 बजे अपने घर चली जाती हैं.

निशा के जाने के बाद वो उसका गिफ्ट पॅक खोलती हैं उसमें एक लाल डायरी था.जिसे देखकर राधिका का चेहरा ख़ुसी से खिल उठता हैं. .....

राधिका कुछ देर में घर का सारा काम ख़तम करके, बिस्तर पर लेट जाती हैं. उसकी आँखों में नींद कोसो दूर थी. जैसे ही वो बिस्तेर पर लेट ती हैं उसके आँखों के सामने सुबह से अब तक की पूरी घटनायें याद आने लगती हैं. जो भी हो आज उसका दिन वाकई में यादगार बन गया था. सुबह उठाते ही भैया का सर्प्राइज़ प्रेज़ेंट, फिर दिन भर राहुल के साथ वो हसीन पल और शाम को भैया के साथ वो घटनायें सब कुछ उसकी नज़र के सामने घूमने लगता हैं.काफ़ी देर तक ये सब सोचते सोचते उसको नीद आ जाती हैं.

सुबह जब उसकी आँख खुलती हैं तो वो झट से फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाकर अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ती हैं. थोड़ी देर में उसके बाप और भैया दोनो बाहर निकल जाते हैं.

पोलीस स्टेशन में.................

इधेर राहुल भी सुबह 9 बजे अपने पोलीस हेडकार्टर पहुँच जाता हैं. उसके थोड़ी देर के बाद ही ख़ान भी जीप से उतरकर उसके सामने आता हैं.

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान भाई , कहिए क्या हाल समाचार हैं.

ख़ान- सर एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी आपसे. मामला बहुत गंभीर हैं.

राहुल- बोलो ख़ान क्या बात हैं??

ख़ान- सर कल रात में करीब 10 बजे एम.जी चौक पर पोलीस मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गये हैं . और सर हमारे कॉन्स्टेबल रघु के हाथ में भी गोली लगी हैं. अभी वो हॉस्पिटल में अड्मिट हैं. और ख़तरे से बाहर हैं.

राहुल- क्या???? इतना सब कुछ हो जाने पर तुम अभी मुझे ये रिपोर्ट दे रहे हो. कल नही बता सकते थे क्या???

ख़ान- सॉरी सर आपने कल छुट्टी ली थी तो मैने आपको डिस्टर्ब करना सही नही समझा.

राहुल- चलो कोई बात नही लेकिन आगे से मुझे तुरंत रिपोर्ट मिलनी चाहिए. और हां उन बदमाशों का कुछ पता चला क्या,, कौन थे वो?? और उनका मकसद क्या था.

ख़ान- सर कल रात मे हमने एम.जी रोड पर नाकाबंदी कर रखी थी. इतने में ये दोनो बदमाश अपनी मोटरसाइकल से आए और आते ही हम पर फाइरिंग कर दी. जवाब में हमे भी गोली चलानी पड़ी. और ये दोनो मारे गये.

राहुल- इनके पास कुछ समान मिला हैं क्या कोई आइ.डी या कुछ????

ख़ान- हां सर इनके पास ड्रग्स के कुछ पॅकेट्स थे. और एक रेवोल्वेर भी मिला हैं. जिससे ये लोग हम पर हमला किए थे.

ख़ान- और सर इनका पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये भी पता चला हैं कि ये दोनो बहुत दिनो से ड्रग्स के अडिक्ट थे. और ये शायद इसका धनदा भी करते थे. और एक चौकाने वाली बात भी पता चली हैं.

राहुल- कौन सी बात??

ख़ान- सर हम ने इस रेवोल्वेर की पूरी आइडेंटिफिकेशन निकाली हैं. ये रेवोल्वेर किसी डॉक्टर के नाम से इश्यू हैं. पर सर नाम और अड्रेस जाली हैं. और हां सर आप पर जो 5 महीने पहले जो हमला हुआ था वो गोली इसी रेवोल्वेर से चलाई गयी थी.

अब चौकने की बारी राहुल की थी.

राहुल- क्या बकते हो ख़ान ??

ख़ान- हां सर हमने पूरी रिपोर्ट टेस्ट करवाई हैं और जिससे ये 100% प्रूफ होता हैं की ये गोली इसी रेवोल्वेर की हैं. ख़ान रिपोर्ट देते हुए बोला.

राहुल- तो इसका मतलब जो गोली मुझपे चलाई गयी थी और जो गोली रघु को लगी हैं वो दोनो सेम हैं. और एक ही रेवोल्वेर से चलाई गयी हैं. इसका मतलब ये कोई बहुत बड़ी साज़िश रची गयी हैं. यानी कि ये दोनो सिर्फ़ मोहरे थे. इनका असली मालिक कोई और हैं.

ख़ान- हां सर आपने बिल्कुल सही पहचाना .

राहुल- पूरे सहर में रेड अलर्ट घोषित कर दो. सहर से जानी वाली सारी गाड़ियों की अच्छे से तलाशी लो. मुझे किसी भी हाल में ये ड्रग्स का धंधा करने वाले गिरोह को पकड़ना हैं. उसके बाद उन सालों की ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी शरमा जाएगी.

फिर थोड़ी देर के बाद राहुल खुद जाकर उनका मुआइना करता हैं. और फिर इस केस की तहक़ीकात शुरू कर देता हैं.

वहाँ से दूर ...................बिहारी के गेस्ट हाउस में.

विजय- नमस्कार बिहारी जी.

बिहारी- आओ आओ विजय कैसा चल रहा हैं धंधा पानी.

विजय-आपको तो सब पता हैं कि कल रात हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं और पोलीस भी अब आक्टिव हो गयी हैं. जगह जगह नकबंदी भी लगा रखा है. अब तो समझ लो कि धंधा बिल्कुल बंद हो गया हैं.

बिहारी- तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ. ऐसे ऐसे नमूने लोगो को रखोगे अपने धंधे में तो यही होगा ना.

विजय- प्लीज़ बिहारी जी आप कैसे भी करके इस सिचुयेशन को हॅंडल कर लीजिए.वरना वो हरामी राहुल को अगर भनक भी लग गयी कि ड्रग्स का गॅंग लीडर मैं ही हूँ तो साला मुझे ज़िंदा दफ़न कर देगा.

बिहारी- मैं इस वक़्त कुछ नहीं कर सकता. अभी एलेक्षन का टाइम हैं और मैं अपनी रेप्युटेशन नही खराब करना चाहता. बेहतर इसी में हैं कि तुम कुछ दिनो तक अपना धंधा बंद कर दो. जब हालत सुधर जाएँगे तो देख लेंगे.

विजय- बिहारी तुम मेरे दोस्त हो इसका मतलब ये नही कि तुम केवल अपना ही फ़ायदा निकालो. आज जो तुम्हारी पोज़िशन हैं सब मेरी बदौलत हैं. और आज भी तुम मेरे बगैर ये एलेक्षन जीत नहीं सकते. तो अब मुझे नही लगता कि अब मुझे तुमसे इस बारे में कोई बात करनी चाहिए. बाकी तुम खुद समझदार हो.

बिहारी- ठीक हैं ठीक हैं. मैं कुछ सोचता हूँ. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा.

विजय- बोल ना बिहारी तुझे क्या चाहिए.

बिहारी- तू तो जनता ही हैं ना मेरी कमज़ोरी. लड़की चाहिए मुझे चोदने के लिए. ना कि रंडी.

विजय- अरे यार अब तेरे लिए मैं लड़की का कहाँ से इंतज़ाम करू. ठीक हैं मैं कुछ सोचता हूँ.

विजय मन ही मन बिहारी को गाली देता हैं. साला मदर्चोद देख लेना किसी दिन कुत्ता ये लड़की के चक्कर में साला बर्बाद हो जाएगा. साला 50 साल का हो गया मगर ऐय्याशि साले की दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अपना तो फँसेगा साला कहीं मुझे भी ना ले डूबे.

कुछ देर तक उन दोनो में ऐसी ही बात होती हैं फिर दोनो वहाँ से निकल जाते हैं अपने अपने रास्ते.

विजय - अब मदर्चोद के लिए लड़की कहाँ से ले आऊ. साला रंडी माँगता तो मैं काजीरी से बोलकर लाइन लगा देता. और अब मेरी नज़र में तो कोई लड़की.............................एक दम से विजय को कुछ याद आता हैं और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल जाती हैं...........................................................हैं एक लड़की तो है...........

दूसरे दिन जब राधिका कॉलेज पहुँचती हैं तो वही पर कॅंटीन में निशा भी बैठी मिलती हैं. वो उसके पास जाकर बैठ जाती हैं.

निशा- आ गयी जान. मैं तेरा ही इंतेज़ार कर रही थी.

राधिका- हां तुझे तो मेरे बिना एक पल भी चैन ही नही मिलता.शुक्र हैं कि मैं तेरी सहेली हूँ वरना बाय्फ्रेंड होती तो ......... इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.

वही थोड़े दूर पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे और वो उनकी बात सुन लेते हैं तभी एक बोल पड़ता हैं

पहला- यार हम क्या मर गये हैं. हमे अपना बाय्फ्रेंड बना लो कसम से मज़ा आ जाएगा.

दूसरा- यार हमारी भी रातें रंगीन हो जाएगी और तुम्दोनो की भी.बोलो ना क्या कहती हो.

जैसा कि निशा ने उम्मीद की थी कि राधिका इस बार ज़रूर उनका बॅंड बजाएगी मगर अब झटका लगने की बारी उन लड़कों की नही बल्कि निशा की थी.

राधिका- यार निशा चलो ना कहीं और चलते हैं.

निशा- एक दम से हैरत से देखते हुए- राधिका!!! ये तू बोल रही हैं मैं बिल्कुल विश्वास नही कर सकती!!! ओह गॉड आइ कॅन'ट इमॅजिन!!!!

राधिका- इसमें हैरत की क्या बात हैं. प्लीज़ चलो ना यहाँ से.

निशा उठकर उन्दोनो के करीब जाती हैं और जाकर वही खड़ी हो जाती हैं.

निशा- हां तो आप क्या बोल रहे थे ज़रा मैं भी तो सुनू.निशा एक दम गुस्से होकर और उन्दोनो को घूर कर बोली..

निशा के ऐसे तेवर देखकर दोनो लड़के चुप चाप वहाँ से सॉरी बोल कर निकलने लगते हैं. लेकिन जवाब में निशा उन्दोनो को एक एक थप्पड़ गाल पर मार देती हैं.

निशा- हम कमज़ोर नहीं हैं. और हमे कमज़ोर समझने की ग़लती भी मत करना. आज के बाद किसी ने हम से ऐसी बातें भी की तो साले का मूह नूच लूँगी.

और कुछ देर में महॉल पहले जैसा हो जाता हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी आज राधिका पहली बार एक भी शब्द नही बोली थी.

निशा भी चुप चाप राधिका के पास जाकर बैठ जाती हैं. और उसकी आँखों से आँसू का एक सैलाब बहने लगता हैं.

राधिका- प्यार से निशा के कंधे पर हाथ रखकर- क्या ज़रूरत हैं तुझे ऐसे लड़कों से उलझने की.

निशा- मर गयी निशा!!! आज से मैं तेरी कोई नही राधिका, प्लीज़ लीव मी अलोन!!!

राधिका एक टक उसको देखती हैं फिर से अपना हाथ उसके हाथ में रख देती हैं

राधिका- आख़िर बताएगी भी कि बात क्या है. तू मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रही हैं.आख़िर तू रो... क्यों रही हैं???

निशा- ये बात मुझे तुझसे पूछनी चाहिए कि आख़िर तुझे क्या हो गया हैं. मुझे विश्वास नही हो रहा कि तू अब वो राधिका हैं . कल तक जो आदमी घूर कर देख भी लेता था तू उसका पूरा बॅंड बजा देती थी लेकिन आज ऐसा क्या हो गया हैं जो वो दो लड़के इतना सब कुछ बोल कर हमे निकल गये और तू एक भी शब्द नही बोली. मैं इसकी वजह जानना चाहती हूँ.

राधिका इतना सुनकर कुछ देर तक खामोश रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती हैं.

निशा- बोल ना राधिका चुप क्यों हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए.है कोई इसका जवाब????

राधिका- प्लीज़ निशा ये सब बातें बाद में करेंगे. प्लीज़ अब रोना बंद का ना.

निशा- मैं जानती थी कि तेरे पास इसका कोई जवाब नही होगा. अब तू वो राधिका नही रही जो मेरी कभी जान हुआ करती थी.

निशा- आख़िर तू क्या साबित करना चाहती हैं राधिका. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ तू अपने आप को तमाशा मत बना. ये रास्ता तुझे ज़िंदगी की ओर नहीं बल्कि मौत की ओर ले जाएगा. और जब तक तू इस बात को समझेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. और मैं अपनी राधिका को किसी भी कीमत पर खोना नही चाहती .आगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर नही जी पाउन्गि. तू मेरी जान से बढ़कर हैं. प्लीज़ ................इतना कहकर निशा फूट फूट कर राधिका के कंधे पर रोने लगती हैं.

राधिका के भी आँखें नम हो जाती और वो अपना हाथ बढ़ाकर निशा के आँसू पोछती हैं. दोनो के आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.

कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही लिपटकर एक दूसरे से रोते हैं.

निशा- देख राधिका मैं तेरी कोई दुश्मन नही हूँ. और मैं कभी नही चाहूँगी कि तुझपर कोई आँच भी आए. मैं तो यही भगवान से दुआ करती हूँ कि अगर मौत भी आकर मुझसे कहे तो मैं तेरे बदले अपनी जान देना पसंद करूँगी मगर तुझे कुछ नहीं होने दूँगी.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- प्लीज़ निशा ऐसी बात मत कर, तुझे मैं कैसे समझाऊ कि आज मैं किस मज़धार में खड़ी हूँ. मेरे सामने एक तरफ़ पहाड़ हैं तो डुसरी तरफ खाई. आइ आम सॉरी निशा मैं तुझे अपनी मज़बूरी नही बता सकती. लेकिन वादा ज़रूर करती हूँ कि वक़्त आने पर तुझे सब कुछ पता चल जाएगा.

निशा- आख़िर कौन सी मज़बूरी हैं जो तू मुझे नहीं बता सकती.

राधिका- नही निशा प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर मैं इस वक़्त तुझे नही समझा सकती.

निशा- लेकिन मैं जानती हूँ तेरी मज़बूरी का कारण, तेरे भैया हैं ना वो वजह.और तू अपने ही भैया के साथ सोना चाहती हैं यही हैं ना तेरी मज़बूरी.

राहिका- प्लीज़ निशा मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- ठीक हैं राधिका अगर तेरी यही ज़िद्द हैं तो मैं अपने सर की कसम खा कर कहती हूँ कि मैं आज के बाद तेरे भैया और तेरे बीच में कभी नहीं आउन्गि. आज से तेरे जो दिल में आए तू कर.मैं तुझे कभी कुछ नहीं कहूँगी, मगर एक बात याद रखना कि तू अपनी ही ज़िंदगी से एक घिनौना मज़ाक कर रही हैं. जिसका अंजाम आगे जाकर बहुत भयानक होने वाला हैं.

राधिका- मुझे अपनी चिंता नहीं हैं निशा, मुझे अपनों के खोने का दर्द मालूम हैं. एक बार मैं आपनी मा को खो चुकी हूँ और अब अपने भैया को नही खोना चाहती. चाहे इसके बदले मुझे कितनी भी बड़ी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े.

निशा- अरे बलिदान वहाँ दिया जाता हैं जहाँ लोग उसकी कद्र समझे . तुझे क्या लगता हैं कि तेरी कुर्बानी से क्या तेरे भैया अपना ज़िंदगी संवार लेंगे. कभी नहीं राधिका हां तेरे भैया को तो नहीं पर मेरी जान से बढ़कर मेरी राधिका ज़रूर मुझसे दूर हो जाएगी.

इतना कहकर एक बार फिर निशा राधिका को अपने गले लगा लेती हैं.

राधिका- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब अंकल से बोलकर तेरे हाथ जल्दी से पीले करने पड़ेंगे.लगता हैं तू तो मेरे से भी बेस्ट हाउसवाइफ बनेगी.

निशा- मारूँगी समझी. और फिर दोनो के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती हैं. .....
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 20-09-2019, 09:33 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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