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तुझे कीतना चाहे और हम?
#1
कहानी की छोटी सी झलक






देखो जो भी तुम लोग कर रहे हो, वो ठीक नही कर रहे हो।

करीब 4 आदमीयों के बीचं में घीरी, एक औरत चीखती हुई बोली-


चारो के चारो , एक दम काले - कलुटे थे! उसमे से एक ने उस औरत के बाल खींचे हुए बोला-



अरे ........डक्टराइन साहीबा! अब हम क्या करें? हमारी इतनी तो औकात नही की आप के जैसी चोखी माल को पटा सकें! तो जबरदस्ती ही करना पड़ रहा है॥

 तभी ये देखकर दुसरा आदमी बोला-- अरे हां रे, इसकी जैसी औरत तो टी॰वी॰ पर भी नही देखी.....इतनी खुबसुरत है ये!


वो औरत एकदम डर गयी थी, उसके चेहरे पर डर के काले बादल मडरा रहे थे.......वो रोते-रोते गीड़गीड़ा कर छोड़ देने के लीये''उन काले कलुटे आदमीयों से भीख मागनें लगी।

ये देख वो चारो हंसने लगे। और उनमे से एक ने बोल-० अरे डक्टराईन हम भी मज़बुर है , तुम्हारे इस खुबसुरती के आगे, नही छोड़ सकते!


डक्टराईन अब ये समझ चुकी थी की, अब इनसे अपनी इज्जत बचा पाना नामुमकीन है...उसने रोते हुए गुस्से में बोली- - अगर कहीं मेरे बेटे को पता चल गया तो '' वो तुम लोग को जान से मार देगा!


डक्टराइन की बात सुनकर एक बार फीर चारो हंसने लगे॥

 अरे ये देखो क्या बात कर रही है ये,'' जैसे हमे पता नही है? की तुझसे सबसे ज्यादा नफ़रत करने वाला तेरा बेटा ही है॥

ये सुनकर तभी दुसरा आदमी बोला - अरे करेगा भी क्यूं नही नफ़रत? बचपन में ही उसे गांव में छोड़ गयी थी ये....और इसका मरद । आज बीस साल बाद लौटे है।

  अरे भोसड़ी वालो, टाइम नही है जल्दी से इस ससुरी को छानो, और चलो यहां से।

ये बात सुनकर , एक ने डक्टराइन का ब्लाउज पकड़ कर फाड़ दीया.....

 ब्लाउज़ के फटते ही, चारो की आंखे चौधींया गयी....लाल ब्रा में कसी हुई गोरी-गोरी बड़ी चुचींया जो , आधे से ज्यादा ब्रा के बाहर नीकल जाने को तैयार थी। ये नज़ारा देख कर चारो की हालत खराब हो गयी।


   हाय रे, क्या कीस्मत है अपनी भोलू! कसम से मेरा तो कुछ करने से पहले ही ना छुट जाये। और ये कहकर जैसे ही, उसने डक्टराइन की ब्रा खोलने के लीये हाथ आगे बढ़ाया।


 एक जोर का घुंसा उस आदमीं के कान पर लगा और वो वहीं ज़मीन पर गीर कर बेहोश हो गया!


डक्टराइन के मुह से आवाज़ नीकली--   ''करन

  बाकी खड़े तीन लोग करन को देखते ही , भाग खड़े हुए...।

डक्टराइन के जैसे जी मे जी आ गया हो, अपनी इज्जत बच जाने पर ।

करन ने अपना गमझा नीकाल कर, डक्टराइन की तरफ उछाल दीया। डक्टराइन ने गमछे से अपने नगें उपरी हीस्से को ढ़कते हुए रोते हुए बोली- 

डक्टराइन -- करन बेटा, अगर आज तू समय पर नही आता तो ये दंरीदें पता नही मेरे साथ क्या?

करन अपनी झील जैसी आखों में गुस्सा लीये बोला!

करन - देखीये, सोनीया जी - मैने तुम्हे हज़ार बार बोला है की, तुम्हे मुझे बेटा बुलाने की ज़रुरत नही है"* और वैसे भी तुम्हारी जगह कोई और होता तो भी मै' उसकी इज्जत जरुर बचाता!

 ये कहकर करन वंहा से नीकल जाता है।






कहानी अब आगे आने वाले अपडेट से शुरु होगी अपनी राय जरुर दे!
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तुझे कीतना चाहे और हम? - by ritesh111 - 20-09-2019, 05:17 AM



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