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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#15
Update 10

बिरजू- चल बेटा जैसी तेरी मर्ज़ी. मैं तुझे ज़्यादा दबाव नही दूँगा. तुझे जो करना हैं कर..

थोड़ी देर में उन्दोनो के बीच इधेर उधेर की बातें होती हैं और राधिका भी उनके लिए खाना ले आती हैं. तीनो मिलकर खाना खाते हैं और राधिका जैसे ही बिस्तर पर जाती हैं वो बहुत बेचैन सी होने लगती हैं. उसे दिल में आता हैं कि वो जाकर अपने भैया के पास अपना जिस्म सौप दे. मगर अभी उसे लगा कि सही वक़्त नही आया है. इसलिए वो उठकर ठंडा पानी पीती हैं और अपने साँसों को पूरा कंट्रोल करती हैं. बहुत कोशिश के बाद उसे नींद आ ही जाती हैं.

सुबह वो उठकर नाश्ता बनाती हैं और उसके बापू सुबह ही घर से बाहर निकल जाता हैं. और थोड़ी देर में कृष्णा भी काम पर चला जाता हैं. आज उसके बाप की वजह से राधिका आज बच गयी थी. नही तो आज कृष्णा भैया उसे ज़रूर परेशान करते. आज उसकी छुट्टी थी इसलिए वो आज घर पर अकेली थी सोच रही थी कि क्या करू. फिर वो नहाने चली जाती हैं.

इधेर विजय दिन-ब-दिन बेचैन होता जा रहा था. पता नही राधिका ने उसके उपर कैसा जादू कर डाला था. वो सुबह शाम हर रोज़ राधिका के नाम की मूठ मारा करता था. अब तो राधिका को पाने की जुनून उसके अंदर समा चुकी थी. वो किसी हाल में राधिका को पाना चाहता था. जब उसके सब्र का बाँध टूट गया तो वो फ़ौरन अपनी गाड़ी निकाल कर राधिका के घर के तरफ चल पड़ा....

कुछ देर में विजय एक गुलाब का फूल लेकर राधिका के मेन डोर पर खड़ा था. राधिका भी फ्रेश होकर घर में अकेली बैठी थी. तभी घर का बेल बजा. राधिका के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी. उसे अंदाज़ा था कि पक्का राहुल ही होगा. वो दौड़ कर मैं डोर खोलती हैं.

सामने विजय को देखकर वो एक दम से चौक जाती हैं.

राधिका- आप................. यहाँ इस वक़्त.

विजय- क्यों राधिका नही आ सकता क्या . शायद तुम किसी और का वेट कर रही थी. आइ थिंक राहुल...................हैं ना.

राधिका- प्लीज़ आप इसी वक़्त यहाँ से चले जाइए.

विजय- कमाल हो मेडम इतनी दूर से तुमसे मिलने आया हूँ कम से कम पानी तो पिला दो. मैं चला जाउन्गा. और विजय अंदर आकर सोफे पर बैठ जाता हैं.

राधिका किचन में जाकर उसके लिए पानी ले आती हैं.

विजय- तुमको देख कर तो ऐसा नही लगता कि तुम ऐसे घर में भी रहती होगी. तुम्हारा इस घर में दम नही घुटता क्या.

राधिका- जी मैं इस घर में खुस हूँ .कहिए मुझसे क्या ज़रूरी काम था आपको.

विजय- सच कह रहा हू राधिका, क्या तुम इस घर में वाकई में खुस हो. मुझे तुम्हारी ये ग़रीबी देखी नही जाती. अगर तुम्हें मेरी मदद की ज़रूर हो तो.................

राधिका- नो थॅंक्स , बोल दिया जो आपको बोलना था. अब आप जा सकते हैं.

विजय- उपर वाला भी कमाल करता हैं, जिसको इतनी खूबसूरती दी उसको सजने, सवरने के लिए कुछ भी नही दिया ,बस ग़रीबी दे दी. और जिसको पैसे दिया उसको खूबसूरती नही दी. राधिका मैं तुमसे जी जान से प्यार करता हूँ. थाम लो मेरा हाथ मैं तुम्हें रानी बनाके रखूँगा. सच कहूँ मैने तुम जैसे लड़की कभी सपने में भी नही देखी है. तुम कमाल की खूबसूरत हो.

राधिका- गुस्से से लाल होते हुए. अगर आप राहुल के दोस्त नही होते तो मेरी सॅंडल अब तक आपका गाल को लाल कर चुकी होती. मैं बस इस लिए चुप हूँ कि आप उनके दोस्त हैं. और राहुल आपकी इज़्ज़त करता हैं. कहीं ऐसा ना हो कि मैं उसको आपकी सारी कर्तूते बता दूं तो सोच लीजिए फिर आपका क्या होगा..............

विजय- देखो राधिका मैं तुमसे प्यार से बात कर रहा हूँ तो तुम ऐसे मेरी ऐसे बे-इज़्ज़ती नही कर सकती. आखरी बार कह रहा हूँ कि मेरा हाथ थाम लो नही तो ..........

राधिका- अच्छा तो अगर मैने तुम्हारा हाथ नही थामा तो तुम अब जबर्ज़स्ति पर उतर आओगे. क्या कर लोगे बताओ.

विजय- गुस्से से चिल्लाते हुए. साली तुझे अपनी खूबसूरती पर बहुत गरूर हैं ना.... देख लेना एक दिन तेरी इज़्ज़त सबके सामने ऐसा उतारूँगा कि साली दुनिया को मूह दिखाने के काबिल नही रहेगी...

राधिका का एक ज़ोरदार तमाचा विजय के गाल पर पड़ता हैं और उसका गाल एक दम लाल हो जाता हैं. उसके बाद फिर राधिका उसके दूसरे गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा फिर से जड़ देती हैं.

राधिका- आपकी भलाई इसी में हैं कि आप यहाँ से फ़ौरन चले जाइए वरना मैं अभी राहुल को फोन करके तुम्हारी सारी करतूत बता दूँगी.

विजय- जा रहा हूँ राधिका, जा रहा हूँ. लेकिन याद रखना ये थप्पड़ तुझे बहुत भारी पड़ेगा. तेरा तो मैं वो हाल करूँगा कि जब तक तू जिएगी आपने आप को कोस्ती रहेगी , हमेशा भगवान से यही दुआ करेगी की भगवान मुझे मौत दे दे.

राधिका- गेट आउट, यू रास्कल, आइन्दा मेरे सामने दुबारा आए तो तेरा मूह नोच लूँगी.

और विजय तुरंत घर से बाहर निकाल जाता हैं.

विजय मन में बार बार राधिका से प्रतिशोध लेने को कर रहा था. उसकी ज़िंदगी में कभी किसी ने ऐसी बेइज़त्ती नही की थी. और उसने सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो राधिका को नहीं छोड़ेगा.

राधिका का भी मूड ऑफ हो गया था. फिर वो जाकर बिस्तर पर लेट जाती हैं और सोचती हैं कि आज मेरी खूबसूरती ही मेरी दुश्मन बनती जा रही हैं. सब इंसान चाहते हैं कि मैं खूबसूरत दिखू, सब मुझे ही पसंद करे, पर मेरा तो जीना मुश्किल होता जा रहा है..

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वहाँ से दूर बिहारी की हवेली में.

बिहारी की उमर करीब 50 साल . मोटा और वजह करीब 90 किलो के आस पास. देखने में बहुत बदसूरत चेहरा, मूह में पान चबाते हुए वो अपनी सीढ़ी पर से नीचे उतरते हुए आता हैं. वैसे वो इस सहर का एमलए हैं तो उसकी पहुँच भी बहुत दूर तक थी. इस वजह से कोई भी उससे जल्दी दुश्मनी नही लेता था. जो भी उसके खिलाफ जाता या तो वो उसको गायब करवा देता या फिर जान से मरवा देता. आस पास उसके चम्चे काफ़ी थे. वो अक्सर उन्ही लोग से घिरा रहता था.

बिहारी- का रे ससुरा तेरा बिटवा क्यों नही आ रहा हैं दो दिन से . तबीयत तो नही खराब हो गयी उसकी.

बिरजू- मालिक !! ऐसी कोई बात नही हैं. बस उसका दिल नही लग रहा हैं शायद इसलिए.???

बिहारी- अरे बिरजू देख ना हमारा जूता पर धूल लग गया हैं, चल जल्दी से इसको सॉफ कर दे,

बिरजू- जी मालिक, और अपने कपड़े से ही वो बिहारी के जूते सॉफ करने लगता हैं.

बिहारी-कहीं ऐसा तो नही हैं कि तेरी बेटी के पल्लू में जाकर छुप गया वो , बिहारी हंसते हुए बोला.

बिरजू- मालिक ये आप क्या बोल रहे हैं. कृष्णा ऐसा नही हैं.

बिहारी- मैं जानता हूँ मगर राधिका तो ऐसी चीज़ हैं ना.कसम से क्या बेटी पैदा किया हैं तूने.

बिरजू- मालिक बस आप चुप हो जाइए मुझे मेरी बेटी के बारे में ये सब सुनना अच्छा नही लगता.

बिहारी- अरे तेरी बेटी की तारीफ ही तो कर रहा हूँ. खैर अभी क्या कर रही हैं वो.

बिरजू- जी मालिक अभी पढ़ रही हैं,

बिहारी- क्या करेगा उसको पढ़ा लिखा कर, कोई कलेक्टर वल्लेक्टोर तो नही बनाना हैं ना.बस ब्याह कर के अपने पति का बिस्तेर गरम करेगी और क्या??

बिरजू- मालिक, बस भी कीजिए,

बिहारी- मैं तो कहता हूँ बिरजू कि तू अपनी लड़की की शादी मुझसे करा दे, पूरी ज़िंदगी उसको रानी बनाके रखूँगा. किसी चीज़ की कमी भी नही होने दूँगा. देख मेरे पास क्या नही है आज. बड़े बड़े लोग मेरे पाँव छूते हैं और मेरे जैसे आदमी को तो कोई भी बाप अपनी बेटी देना चाहेगा, चिंता मत कर दहेज मैं बिल्कुल नही लूँगा बल्कि तुझे मैं पैसों से तौल दूँगा.

बिरजू- मालिक ये नहीं हो सकता, मैं राधिका से इस बारे में कभी बात नही कर सकता, वो पहले से ही मेरी वजह से दुखी है. अब मैं उसको और दुख नही दे सकता.

बिहारी- ठीक हैं कोई बात नहीं इस बारे में मैं खुद ही उससे बात करूँगा.

बिरजू- नही मालिक मेरी बेटी को आप बक्ष दीजिए. हम जैसे हैं उसी में खुस हैं. वो आपका प्रस्ताव कभी नही मानेगी.

बिहारी ज़ोर से एक लात बिरजू को मारता हैं औ वो वही दर्द से बैठ जाता हैं- कुत्ता कहीं का!!! मेरी ही ख़ाता है और मुझसे ही ज़ुबान लड़ाता हैं. अगर तेरी बेटी मेरी नही हुई तो मैं उसे और किसी की होने भी नही दूँगा. उसकी भलाई इसी में है कि मुझसे शादी करले, नही तो कल को तेरी बेटी किसी कोठे की शान ज़रूर बनेगी.

बिरजू- मालिक आप तो पहले से ही शादी शुदा हो. और राधिका तो आपके बेटी जैसी हैं. मालिक मुझे माफ़ कर दो.....

बिहारी- कुत्ता ,तू बहुत कमीना है रे, अगर तू इस वक़्त ज़िंदा है तो बस तू अपनी बेटी की वजह से वरना अब तक मैं तेरा यहाँ पर लाश बिछा दिया होता.

बिरजू- मालिक आपको जो मेरे साथ सुलूख करना है कर लीजिए पर मेरी बेटी को छोड़ दीजिए.

बिहारी- तेरी बेटी हैं ही ऐसी मैं क्या करू. कसम से वो एक नशा हैं. कभी ना ख़तम होने वाला एक नशा

बिरजू- मालिक आप सीधे कृष्णा से क्यों नही बात कर लेते. अगर वो चाहे तो ............... इतना बोलकर बिरजू चुप हो जाता हैं.

बिहारी अच्छे से जानता था कि कृष्णा से इस बारे में बात करना खुद से बग़ावत करने के बारबार हैं. क्यों कि राधिका के तरफ जो आँख उठा के एक बार देख ले तो उसकी आँखे निकाल लेगा. और बिहारी कृष्णा से बेवजह उलझना नही चाहता था. क्यों कि वो किसी के दबाव में नही रहता था. भले ही वो अपनी बेहन से कैसे भी पेश आता हो मगर राधिका की तरफ उठने वाले हाथ को वो ज़रूर तोड़ सकता था.कृष्णा को भी भनक थी कि बिहारी की नज़र उसकी बेहन पर हैं मगर आज तक उसे कोई पक्का सुबूत नही मिला था.इस वजह से वो चुप था.

वही दूसरी तरफ उसके बाप को कोई दुनियादारी से कोई मतलब नही था. उसे तो बस पीने से मतलब था. उसके लिए चाहे पैसे कहीं से मिले. इसी बात का बिहारी उससे हमेशा फायेदा उठाता था. इसी वजह से उसी के सामने वो अक्सर राधिका के बारे में बात करता रहता. लेकिन जब कृष्णा होता तो वो राधिका की बात ग़लती से भी नही निकालता.

वही दूसरी तरफ राधिका भी तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. अभी कुछ देर पहले उसके मोबाइल पर राहुल का फोन आया था. थोड़ी देर में वो दोनो एक गार्डेन में मिलते हैं.

राधिका- बोलो आज कैसे मुझे याद किया. आख़िर तुम्हें मेरी याद आ ही गयी. हर वक़्त काम और सिर्फ़ काम . काम से फ़ुर्सत मिलेगी तब तो मुझे याद करोगे ना.

राहुल- आइ आम सॉरी डियर पर क्या करू आज कल मैं बिल्कुल टाइम नही निकाल पाता. कैसे भी करके आज समय मिला हैं.

राधिका- अभी से ये हाल हैं तो शादी के बाद तो मुझे भूल ही जाओगे.

राहुल- मर जाउन्गा राधिका पर तुम्हें भूल जाउ ये कभी नही हो सकता.

राधिका- अच्छा चलो , बातें बनाना तो कोई तुमसे सीखे. राहुल मुझे तुम्हारा दोस्त विजय बिल्कुल भी अच्छा नही लगता तुम क्यों नही छोड़ देते उसका साथ.

राहुल- क्यों क्या हुआ?? कुछ प्राब्लम हैं क्या???

राधिका- कुछ प्राब्लम होगी तब ही उसका साथ छोड़ोगे क्या. मैं तुमसे पहले भी कह चुकी हूँ कि वो मुझे बिल्कुल पसंद नही.

राधिका वो सारी बातें (विजय के साथ ) राहुल को नही बताती हैं जो सुबह हुआ था.

राहुल- छोड़ो ना यार तुम भी क्या लेकर बैठ गयी. आज कुछ स्पेशल करें क्या.???

राधिका- अच्छा तो जनाब आज क्या स्पेशल करना चाहते हैं ज़रा मैं भी तो सुनू.

राहुल- सोच रहा हूँ कि आज किसी अच्छे से होटेल में चलते हैं.

राधिका- सच में!!! लेकिन तुम्हें तो वो सब बिल्कुल अच्छा नही लगता फिर आज कैसे मूड बदल गया.

राहुल- ओह गॉड!!! तुम नही सुधरोगी , मैं तो ये कह रहा हूँ कि चलो चल कर किसी अच्छे होटेल में खाना खाने चलते हैं और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- तो पूरी बात बोलनी थी ना, अब मेरे पर क्यों भड़क रहे हो.

राहुल और राधिका नज़दीक एक होटेल में चले जाते हैं और राधिका खाने का ऑर्डर करती हैं. थोड़ी देर में खाना आ जाता हैं और दोनो खाना खाते हैं.

राहुल- वैसे कल मैने छुट्टी ले ली हैं. कल मैं तुम्हारे साथ अपना पूरा वक़्त बिताना चाहता हूँ.

राधिका- सच में!!! वैसे कल क्या हैं.

राहुल- अरे कल मेरी जान का बर्तडे हैं तो कल हम आपका बर्तडे सेलेब्रेट करेंगे. इतना सुनते ही राधिका खुशी से उछल पड़ती हैं.

राधिका- राहुल तुम्हें मेरा बर्तडे कैसे मालूम तुम्हें किसने बताया.

राहुल- अरे जान, पोलीस वाला हूँ तुम्हारी हर बात की खबर रखता हूँ. बोलो खुस हो ना. अपना बर्तडे मेरे साथ सेलेब्रेट करोगी ना......

राधिका- हां राहुल मैं कल सुबह तुम्हारे घर आउन्गि. फिर हम दोनो मिलकर सेलेब्रेट करेंगे.

राहुल- बोलो क्या प्रेज़ेंट चाहिए. जो कहोगी दूँगा.

राधिका- मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए राहुल. मैं बस यही चाहता हूँ कि तुम मेरे साथ जिंदगी भर रहो. मेरे पास. मेरे दिल में, मेरी आत्मा में, मेरी धड़कन में. मैं अपने जिस्म के हर रोम रोम में तुम्हें बसा लेना चाहती हूँ. आइ लव यू राहुल.

राहुल- वो तो ठीक हैं पर प्रेज़ेंट क्या चाहिए.

राधिका जो तुम्हारा दिल करे दे देना.

और कुछ देर बाद राहुल बिल पे करता हैं और राधिका को घर ड्रॉप करता हैं. राधिका सच में बहुत खुस थी. आज उसे लगा कि उसे जानत मिल गयी है. घर आकर वो नहाने चली जाती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाने लगती हैं.

शाम को उसके भैया घर आते हैं और मूह हाथ धोकर उसके नज़दीक जाते हैं. और फिर राधिका के कंधे पर अपने दोनो हाथ रखकर उसकी गर्देन पर चूम लेते हैं. राधिका का दिल फिर ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता हैं.

राधिका- क्या भैया आप भी ना ,,,छोड़िए मुझे, आप तो दिन -ब-दिन बेशरम होते जा रहे हैं.

कृष्णा- अपनी बेहन के करीब ही तो हूँ. तो इसमें बेशरम की क्या बात हैं.

राधिका- भला कोई अपनी ही जवान बेहन के बदन को ऐसे छूता है क्या.आपको मालूम हैं ना आपके छूने से मेरे दिल पर क्या बीतति हैं.

कृष्णा- वही तो मैं जानना चाहता हूँ राधिका कि मेरे छूने से तुमको क्या होता हैं और कृष्णा धीरे धीरे अपने होंठ सरकाते हुए राधिका के कान से लेकर उसके लब तक पूरा चाटने लगता हैं.

राधिका भी अब धीरे धीरे बहकने लगती हैं. उसके निपल्स भी एक दम खड़े हो जाते है.

राधिका- बस करो भैया, मुझे कुछ हो रहा है मैं अब बर्दास्त नही कर पा रहीं हूँ.

कृष्णा-तो अपने मूह से एक बार बोल क्यों नही देती, जब तक तू नही बोलेगी मैं तुझे नही छोड़ूँगा.

राधिका- प्लीज़......... भैया क्यों मेरी जान लेने पर तुले हुए हो. भैया मैं बहक जाउन्गि प्लीज़.............

कृष्णा- मैं तो यही चाहता हूँ कि तू बहक जाए राधिका, पता नही क्यों तुझे देखकर तुझसे प्यार करने को जी चाहता हैं.

राधिका- तो मुझसे प्यार करो ना भैया मैने कब मना किया है, पर प्लीज़ ऐसे मत तडपाओ.

कृष्णा- जब तक तू अपने मूह से खुद नही कहेगी मैं तेरे साथ सेक्स नही करूँगा, ये कृष्णा की ज़ुबान हैं.................

राधिका- आख़िर मैने आपको पूरा छूट तो दे ही दी हैं आप चाहे तो मेरे पूरे जिस्म को छू सकते हैं, फिर ऐसा क्यों........

कृष्णा- तू नही समझेगी राधिका , जाने दे बस तू हां बोल दे बस .................

धीरे धीरे राधिका का भी जिस्म जवाब देता जा रहा था. उसे पता था ऐसे ही कुछ देर और चला तो वो अपना होश खो देगी और अपना सब कुछ भूलकर अपना जिस्म अपने भैया को सौप देगी.

लेकिन उसने ठान लिया था चाहे कुछ भी हो जाए वो अपनी वर्जीनीटी अपने राहुल को ही सौपेगी. क्यों कि वो राहुल से बे-इंतेहा प्यार करती थी और उसकी नज़रोमें में वो गिरना नही चाहती थी. इतना सोचकर वो कृष्णा भैया को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.

राधिका- बस भैया, रुक जाइए,अभी इसका सही समय नही आया हैं. जब वक़्त आएगा तो मैं खुद ही अपना जिस्म आपके हवाले कर दूँगी. ये राधिका का वादा हैं.

कृष्णा भी इतना सुनकर राधिका से दूर हट जाता हैं.

कृष्णा- मैं इंतेज़ार करूँगा राधिका. मुझे उस पल का बहुत बे-सबरी से इंतेज़ार रहेगा..
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Messages In This Thread
Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 19-09-2019, 09:57 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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