19-09-2019, 09:54 PM
(This post was last modified: 19-09-2019, 09:58 PM by thepirate18. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Update 9
कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.
कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.
और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.
राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.
इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.
कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.
राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.
कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.
राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???
कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............
राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.
कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................
राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................
कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................
फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.
आज उसकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा दिन था. आज एक तरफ तो उसका प्यार उसे मिल गया था तो दूसरी तरफ उसका परिवार बनता सा नज़र आ रहा था. आज पता नही क्यों पर आज उसे अपने भैया पर बहुत प्यार आ रहा था. और वो काफ़ी खुश थी. उसके दिल से मानो बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. वो भी खाना खा कर बिस्तेर पर लेट जाती हैं और उसके दिमाग़ में कयि तरह के सवाल अब भी घूम रहे थे. यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी उसे पता भी नही चला.............................
सुबह वो जल्दी से उठकर नाश्ता बनाती है और कृष्णा भैया के कमरे में जाती है. देखती हैं कि वो अब भी सोए हुए हैं. वो जाकर उन्हें जागती हैं.
राधिया- भैया उठो ना कब तक सोते रहोगे. नाश्ता तैयार हैं.
कृष्णा- राधिका तू तो आज कमाल की लग रही हैं. आओ ना मेरे पास मेरे बाजू में आकर बैठ जाओ.
राधिका- क्यों घर का काम आप करोगे क्या. मुझे इस वक़्त बहुत काम हैं.
जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसको एक झटके से अपनी तरफ खीच लेता हैं और वो कृष्णा के उपर गिर पड़ती हैं. कृष्णा राधिका के कमर में हाथ डाल देता हैं वो अपने से राधिका को चिपका लेता हैं.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. छोड़ो मुझे, भला कोई ऐसे भी अपनी बेहन के साथ करता हैं क्या.
कृष्णा- राधिका एक किस का तो मेरा हक़ बनता हैं. तुम मुझे रोज़ सुबह एक प्यारा सा किस दिया करो फिर मेरा दिन भी बहुत बढ़िया जाएगा.
राधिका- अगर नही दिया तो क्या कर लोगे. ....
कृष्णा- तो जबरजस्ति लूँगा.
राधिका- अच्छा आपको तो ज़बारजस्ति कोई भी चीज़ पसंद नही हैं ना फिर .................
कृष्णा- अगर ऐसे ही मेरे उपर सोई रहोगी तो सचमुच मुझे तुम्हरे साथ जबारजस्ति करनी पड़ेगी.
राधिका भी तुरंत अपने होश संभालती हैं और वो झट से कृष्णा के उपर से उठ जाती हैं.
कृष्णा- राधिका फिर जाने के लिए मुड़ती हैं तो कृष्णा राधिका के हाथ पकड़ लेता हैं और वो वही रुक जाती हैं.
राधिका- छोड़ो ना मेरा हाथ भैया. आपको ज़रा भी शरम नही आती.
कृष्णा- हाँ तुझसे कैसा शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. गैरों से परदा किया जाता हैं अपनों से नहीं.
राधिका- तो इसका मतलब अब मैं आपके सामने बिल्कुल बेशरम बन जाउ क्या. ???
कृष्णा- राधिका प्लीज़ एक किस ही तो माँग रहा हूँ ना. इससे ज़्यादा कुछ नहीं.बस तुम वो दे दो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा.
राधिका- भैया मुझे बहुत शरम आ रही हैं. ये मैं नही कर सकती. प्लीज़ छोड़िए मेरा हाथ......
कृष्णा- देखो राधिका, कहीं ऐसा ना हो कि मेरा इरादा बदल जाए तो मैं कुछ और ना माँग लूँ. इस लिए ..............इतना बोलकर कृष्णा चुप हो जाता हैं.
राधिका- लगता हैं आप मुझे अपनी तरह पूरा बेशरम बनाने पर तुले हुए हैं. खुद तो बेशरम हो और अब...............
कृष्णा- तू बहुत नखरे करती है. इतना बोलकर कृष्णा तुरंत राधिका के होंठ पर अपनी ज़ुबान रख देता हैं और तुरंत ही वो किस करके अपना मूह हटा लेता है. राधिका इससे पहले कुछ समझ पाती वो किस करके हट चुका था.
राधिका- ये क्या किया आपने सच में आप बहुत गंदे हो. इतना बोलकर राधिका किचन में दौड़कर चली जाती हैं.
राधिका का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. उसका अपने जिंदगी में दूसरा किस था. एक तो राहुल के साथ और दूसरा अपने भैया के साथ.
ऐसे ही वक़्त बीत जाता हैं और राधिका तैयार होकर कॉलेज चली जाती हैं
कॉलेज पहुँच कर वो अपनी क्लासस अटेंड करती है और दोपहर के बाद वो और निशा बिल्कुल फ्री हो जाती हैं और वो दोनो एक गार्डेन में चली जाती हैं.
निशा- बता मेरी जानेमन क्या हाल खबर हैं.
राधिका- यार मुझे तुझसे एक बात करनी है समझ में नही आ रहा कि तुझे कैसे बताऊ.
निशा- ओह........हो......... क्या बात हैं आज तो आपके तेवर कुछ बदले बदले से लग रहे हैं. कहिए जान क्या बात हैं.
राधिका-राधिका थोड़ी देर इधेर उधेर की बातें करती हैं फिर वो उसे कृष्णा भैया वाली सारी बातें बता देती हैं. लेकिन राहुल वाली बातें छुपा लेती है.
निशा- राधिका!!! आर यू मॅड!!!!!!!!!!!! क्या तुम पागल तो नही हो गयी हो. भला ये कैसी शर्त तूने अपने भैया से लगा दी. यार तू ऐसा कैसे कर सकती हैं. आइ कान'ट बिलीव.???
राधिका- लगता हैं जैसे मैने कोई बहुत बड़ी गुनाह कर दी हैं जो तू ऐसे बोल रही हैं.
निशा- बेवकूफी कहूँगी मैं इसे. जानती भी है अगर कृष्णा भैया शर्त जीत गये तो क्या ............ तू भला ऐसे कैसे कर सकती हैं.
राधिका- चिंता मत कर कुछ भी हो जाए निशा मैं खुद कभी अपने मूह से भैया से सेक्स करने को नही कहूँगी.
निशा- तू जानती नही हैं ये मर्द लोग बहुत पहुँची चीज़ होते हैं. खास कर तेरे भैया. ना जाने कितनी रंडिया के साथ अब तक सो चुके हैं.
राधिका- निशा माइंड युवर लॅंग्वेज. मुझे मेरे भैया के बारे में ये सब बातें बिल्कुल पसंद नही है. प्लीज़..............चुप हो जाओ.
निशा भी चुप हो जाती हैं. और कुछ देर तक गहरा विचार करती हैं.
निशा- एक बात कहना चाहूँगी राधिका ये जान ले कि अगर तू शर्त हार गयी और वो सब तू अपने भैया के साथ करेगी तो समाज़ में तेरी कितनी बदनामी होगी इसका तुझे अंदाज़ा भी है.. तेरे भैया पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर तेरा जीना मुश्किल हो जाएगा. किस किस को तू जवाब देगी, कितनो का मूह बूँद करेगी. बता.....................
राधिका- मुझे इस समाज़ से कोई लेना देना नही हैं. मुझे बस अपने भैया की चिंता हैं. वो बस सुधर जाए अगर इसके बदले उन्हें मेरी इज़्ज़त भी दाँव पर लगानी पड़े तो मैं तैयार हूँ. और हां अगर भैया मेरे साथ सेक्स करने को बोलेंगे तो मैं उन्हें मना भी नही करूँगी.
निशा- मुझे समझ नही आ रहा कि तू ऐसा क्यों करना चाहती हैं. आख़िर क्या मिलेगा तुझे ये सब करके. क्यों तू अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रही हैं.......
राधिका- निशा तू चिंता मत कर देख लेना एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा मुझे पूरा विश्वास हैं.,राधिका मुस्कुरा देती हैं और निशा भी उसे गले लगा लेती हैं. और राधिका और निशा वापस घर चल देती हैं.
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जैसे ही राधिका घर आती हैं कृष्णा घर पर नही होता हैं. वो भी करीब 1 घंटे में वापस घर आ जाता हैं.
राधिका के लिए दो-धरी तलवार जैसी बात होने वाली थी. एक तरफ तो वो खुद कृष्णा भैया के हाथों में खुद को सौपना चाहती थी, वही दूसरी तरफ वो इकरार भी नही करना चाहती थी. पता नहीं क्यों पर कृष्णा भैया के करीब जाते ही वो एक दम मदहोश सी होने लगी थी. वो अपना सब कुछ भूल जाती थी. पता नही क्या बात थी उसके भैया में जो उसको बार बार उसके तरफ खींच रही थी.
राधिका- आरे भैया कहाँ गये थे आप आज इतनी देर कहाँ लगा दी.
कृष्णा- वो आज काम कुछ ज़्यादा था ना. इसलिए...
राधिका- आपको काम भी मिल गया क्या....
कृष्णा- हां जब मेहनत मज़दूरी ही करनी हैं तो काम की कमी हैं क्या. अगर बचपन में पढ़ लिख लिया होता तो ये मज़दूरी तो नही करनी पड़ती.
राधिका- एक दम से करीब चली जाती हैं और कृष्णा के हाथ को अपने हाथ में लेकर- भैया मुझे विश्वास ही नही हो रहा हैं कि आप मेरे लिए इतनी बदल सकते हैं. मैं आज बहुत खुस हूँ भैया. बोलो क्या सेवा करू आपकी.
कृष्णा- हां तो बस तू अपने मूह से हां बोल दे ना. मुझे समझ ले..................सब कुछ मिल जाएगा.
राधिका- भैया मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी. जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. और मैं आपको रोकूंगी भी नहीं. मगर मैं अपने मूह से खुद कभी नही कहूँगी. चाहे कुछ भी हो जाए..................
कृष्णा- अच्छा अगर यही तेरी ज़िद्द हैं तो मैं भी जब तक तेरे मूह से खुद ना कहलवा दूं मैं भी तेरे साथ सेक्स नहीं करूँगा. जब तू खुद आकर मेरे पास कहेगी तभी मैं तेरे साथ करूँगा.
राधिका- अच्छा आप मूह हाथ धो लीजिए मैं आपके लिए चाइ बना देती हूँ. और राधिका किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं.
कृष्णा भी मूह हाथ धोकर किचन में राधिका के पीछे जाकर सॅट कर खड़ा हो जाता हैं. और राधिका चौक कर पीछे मुड़ती हैं.
राधिका- क्या है भैया आप वही बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ.
कृष्णा- नही तुझे एक पल भी छोड़ने का दिल नही कर रहा. और फिर कृष्णा पीछे से राधिका के दोनो हाथों पर अपने दोनो हाथ रख देता हैं. और एक दम धीरे धीरे वो उंगली फेरना चालू कर देता हैं. राधिका की भी दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो जाती हैं. और उखड़ी आवाज़ में बोलती हैं.
राधिका- भैया ..... मुझे कुछ....कुछ हो रहा है ...प्लीज़ आप ऐसे मत छुओ ...... ना मुझे.
कृष्णा- बताओ ना राधिका क्या हो रहा है तुम्हें. ज़रा मैं भी तो जानू.
राधिका- नही भैया मुझे शरम आ रही हैं. प्लीज़ मैं नही बता सकती. हटो मुझसे दूर ....
कृष्णा-अब जब तक तुम नही बताओगि तब तक ये हाथ नही रुकेंगे. और कृष्णा धीरे से अपनी गर्देन नीचे झुका कर राधिका की गर्देन पर अपने होठ रख देता है और धीरे से चूम लेता हैं. और राधिका एक दम सन्न रह जाती हैं.
राधिका अपनी आँखें धीरे से बंद कर लेती हैं और कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी गर्देन से चूमता हुआ उसके कान तक पहुँच जाता हैं और राधिका के मूह से ज़ोर से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
राधिका- आ.......हह.......प्लीज़ भैया, मुझे कुछ............ हो रहा हैं भैया.........प्लीज़ अब बस करो.........मैं मर जाउन्गि..........
कृष्णा- बोलो ना राधिका वही तो मैं जाना चाहता हूँ कि तुम्हें क्या हो रहा है.
राधिका कैसे बताए कि उसे क्या हो रहा था, लाख कोशिश करने के बाद भी उसके मूह से कोई शब्द बाहर ही नही निकल रहे थे. राधिका भी अब धीरे धीरे बहकती जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके जिस्म से उसका कंट्रोल ख़तम हो रहा था. उसकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. अगर ऐसे ही कुछ देर चलता रहा तो ...................
कृष्णा का भी हाथ धीरे धीरे राधिका के कंधे तक आ चुका था. और दूसरी तरफ वो राधिका के गर्देन को लगातार चूम रहा था. राधिका की भी आँखों में हवस सॉफ नज़र आ रही थी. मगर बहुत संघर्ष के बाद वो कृष्णा को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.
राधिका- लीजिए भैया चाइ बन गया. हटिए पीछे वरना चाइ गिर जाएगी.
तभी उसके घर का बेल बजती हैं .
कृष्णा जाकर डोर खोलता है. सामने उसका बाप (बिरजू) नशे में धुत था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है.
कृष्णा- कल रात तुम कहाँ थे बापू. रात भर घर नही आए.
बिरजू- अरे मैं वो बिहारी के वहाँ रुक गया था कल कुछ उसके वहाँ पार्टी थी,ना,. .......
बिरजू-और तू आज क्यों नही आया वहाँ पर. मालिक पूछ रहे थे तुझे.
कृष्णा- मुझे अब वहाँ उनकी गुलामी नही करनी है. अब मैं अपनी मेहनत मज़दूरी से इस घर को चलाउन्गा.
बिरजू- हंसते हुए.........ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है . तुझे क्या हो गया है कृष्णा .आरे वो ही हमारे माई बाप है.
कृष्णा- वो मैं नही जानता बस. अब मैं उसकी चौखट पर कदम नही रखूँगा.
कृष्णा भी अब राधिका के बिल्कुल करीब आ जाता है और उसके आँखों से बहते हुए आंसूओं को अपने हाथ से पोछता हैं.और झट से राधिका को अपने सीने से लगा लेता है.
कृष्णा- मैं सच में कितना गिरा हुआ इंसान हूँ ना राधिका. अपनी ही सग़ी बेहन के साथ मैने ऐसे कैसे सोच लिया.पर क्या करू ये ज़हर मुझे कुछ सोचने नही देती. मुझे ये भी पता नही चलता कि क्या सही हैं और क्या ग़लत.
और इतना बोलते बोलते कृष्णा के आँखों से भी आँसू छलक पड़ते हैं. वो भी फुट फुट कर रो पड़ता हैं. राधिका भी उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और फिर उसे अपने सीने से लगा लेती हैं.
कृष्णा- राधिका अब मैं ये ज़हर को छोड़ना चाहता हूँ. मुझे तुम्हारा साथ चाहिए. बोलो दोगि ना मेरा साथ.
राधिका- भैया अगर जान भी माँग लेते तो भी मैं हॅस्कर दे देती. मैं वादा करती हूँ भैया हर रास्ते पर, हर सुख दुख में राधिका आपका साथ देगी.
इतना सुनकर कृष्णा, राधिका के माथे को चूम लेता हैं. और फिर उसके सीने पर सर रख कर उसके आगोश में लेट जाता हैं.
कृष्णा- मैं अपनी ज़िंदगी से बहुत थक गया हूँ राधिका. अब मैं भी इंसान बनना चाहता हूँ. अब मैं उस हरामी बिहारी की कभी गुलामी नही करूँगा. अपनी मेहनत से, और इज़्ज़त से कमाउन्गा और इस घर का पूरा खर्चा अब मेरी ज़िम्मेदारी होगी. तुझे आज के बाद मैं कोई भी दुख नही दे सकता.
राधिका-हां भैया मुझे ज़रा भी अच्छा नही लगता की आप उस बिहारी की गुलामी करो. यही ना कि हम अमीर नही हैं मुझे इस बात का कोई गम नही है ..........मैं इसी में खुस हूँ.
कृष्णा - राधिका सच में मुझे विश्वास नही होता कि तू मेरी बेहन हैं. काश तू मेरी बीवी होती तो मेरा जीवन सफल हो जाता. इतना कहकर कृष्णा मुस्कुरा देता हैं.
राधिका- क्या भैया आप भी ना, नही सुधरोगे, अगर मैं आपकी बीवी नही हूँ तो क्या हुआ अब मैं आपके लिए बीवी भी बनने को तैयार हूँ. लेकिन जब मैने अपने आप को आपके हवाले कर दिया तो आप पीछे क्यों हट गये. क्यों नशा उतार गया था क्या???
कृष्णा- मुझे रेप करना बिल्कुल अच्छा नही लगता.मैं नही चाहता कि तुम मज़बूरी में मेरे साथ सेक्स करो. मैं तो तुम्हें सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ. देख लेना तुम बहुत जल्दी अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करोगी. ये कृष्णा की ज़ुबान हैं..............
राधिका- ऐसा कभी नही होगा भैया. मैं आपसे कभी अपनी मर्ज़ी से सेक्स नही कर सकती. अगर जिस दिन ये बात सच हो गयी ना.............. फिर राधिका अपने आप को तुम्हारे कदमों में बिछा देगी..........................और अगर ऐसा नही हुआ तो जो मैं बोलूँगी वो आपको करना होगा.
कृष्णा- तो लग गयी शर्त. अगर तुम 2 हफ्ते के अंदर मेरे से खुद सेक्स करने को नही कहोगी तो जो तुम चाहो..............मगर मैं अगर शर्त जीत गया तो फिर.....................
राधिका- ठीक हैं भैया अगर आप शर्त जीत गये तो जो आपका दिल करे मुझसे करवा लेना. मैं आपको कभी किसी बात के लिए मना नही करूँगी.ये राधिका का वादा हैं..........................
कुछ देर में ऐसी बाते करते करते कृष्णा राधिका की गोद में ही सो जाता हैं और राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती है कि उसने जो किया क्या वो सही था. .....................
फिर वो धीरे से कृष्णा को बेड पर सुला कर उसे कंबल से ढक देती हैं. और खाना बनाने किचन में चली जाती हैं.
आज उसकी ज़िंदगी का बहुत बड़ा दिन था. आज एक तरफ तो उसका प्यार उसे मिल गया था तो दूसरी तरफ उसका परिवार बनता सा नज़र आ रहा था. आज पता नही क्यों पर आज उसे अपने भैया पर बहुत प्यार आ रहा था. और वो काफ़ी खुश थी. उसके दिल से मानो बहुत बड़ा बोझ उतर गया था. वो भी खाना खा कर बिस्तेर पर लेट जाती हैं और उसके दिमाग़ में कयि तरह के सवाल अब भी घूम रहे थे. यही सब सोचते सोचते कब उसकी आँख लग गयी उसे पता भी नही चला.............................
सुबह वो जल्दी से उठकर नाश्ता बनाती है और कृष्णा भैया के कमरे में जाती है. देखती हैं कि वो अब भी सोए हुए हैं. वो जाकर उन्हें जागती हैं.
राधिया- भैया उठो ना कब तक सोते रहोगे. नाश्ता तैयार हैं.
कृष्णा- राधिका तू तो आज कमाल की लग रही हैं. आओ ना मेरे पास मेरे बाजू में आकर बैठ जाओ.
राधिका- क्यों घर का काम आप करोगे क्या. मुझे इस वक़्त बहुत काम हैं.
जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसको एक झटके से अपनी तरफ खीच लेता हैं और वो कृष्णा के उपर गिर पड़ती हैं. कृष्णा राधिका के कमर में हाथ डाल देता हैं वो अपने से राधिका को चिपका लेता हैं.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. छोड़ो मुझे, भला कोई ऐसे भी अपनी बेहन के साथ करता हैं क्या.
कृष्णा- राधिका एक किस का तो मेरा हक़ बनता हैं. तुम मुझे रोज़ सुबह एक प्यारा सा किस दिया करो फिर मेरा दिन भी बहुत बढ़िया जाएगा.
राधिका- अगर नही दिया तो क्या कर लोगे. ....
कृष्णा- तो जबरजस्ति लूँगा.
राधिका- अच्छा आपको तो ज़बारजस्ति कोई भी चीज़ पसंद नही हैं ना फिर .................
कृष्णा- अगर ऐसे ही मेरे उपर सोई रहोगी तो सचमुच मुझे तुम्हरे साथ जबारजस्ति करनी पड़ेगी.
राधिका भी तुरंत अपने होश संभालती हैं और वो झट से कृष्णा के उपर से उठ जाती हैं.
कृष्णा- राधिका फिर जाने के लिए मुड़ती हैं तो कृष्णा राधिका के हाथ पकड़ लेता हैं और वो वही रुक जाती हैं.
राधिका- छोड़ो ना मेरा हाथ भैया. आपको ज़रा भी शरम नही आती.
कृष्णा- हाँ तुझसे कैसा शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. गैरों से परदा किया जाता हैं अपनों से नहीं.
राधिका- तो इसका मतलब अब मैं आपके सामने बिल्कुल बेशरम बन जाउ क्या. ???
कृष्णा- राधिका प्लीज़ एक किस ही तो माँग रहा हूँ ना. इससे ज़्यादा कुछ नहीं.बस तुम वो दे दो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा.
राधिका- भैया मुझे बहुत शरम आ रही हैं. ये मैं नही कर सकती. प्लीज़ छोड़िए मेरा हाथ......
कृष्णा- देखो राधिका, कहीं ऐसा ना हो कि मेरा इरादा बदल जाए तो मैं कुछ और ना माँग लूँ. इस लिए ..............इतना बोलकर कृष्णा चुप हो जाता हैं.
राधिका- लगता हैं आप मुझे अपनी तरह पूरा बेशरम बनाने पर तुले हुए हैं. खुद तो बेशरम हो और अब...............
कृष्णा- तू बहुत नखरे करती है. इतना बोलकर कृष्णा तुरंत राधिका के होंठ पर अपनी ज़ुबान रख देता हैं और तुरंत ही वो किस करके अपना मूह हटा लेता है. राधिका इससे पहले कुछ समझ पाती वो किस करके हट चुका था.
राधिका- ये क्या किया आपने सच में आप बहुत गंदे हो. इतना बोलकर राधिका किचन में दौड़कर चली जाती हैं.
राधिका का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. उसका अपने जिंदगी में दूसरा किस था. एक तो राहुल के साथ और दूसरा अपने भैया के साथ.
ऐसे ही वक़्त बीत जाता हैं और राधिका तैयार होकर कॉलेज चली जाती हैं
कॉलेज पहुँच कर वो अपनी क्लासस अटेंड करती है और दोपहर के बाद वो और निशा बिल्कुल फ्री हो जाती हैं और वो दोनो एक गार्डेन में चली जाती हैं.
निशा- बता मेरी जानेमन क्या हाल खबर हैं.
राधिका- यार मुझे तुझसे एक बात करनी है समझ में नही आ रहा कि तुझे कैसे बताऊ.
निशा- ओह........हो......... क्या बात हैं आज तो आपके तेवर कुछ बदले बदले से लग रहे हैं. कहिए जान क्या बात हैं.
राधिका-राधिका थोड़ी देर इधेर उधेर की बातें करती हैं फिर वो उसे कृष्णा भैया वाली सारी बातें बता देती हैं. लेकिन राहुल वाली बातें छुपा लेती है.
निशा- राधिका!!! आर यू मॅड!!!!!!!!!!!! क्या तुम पागल तो नही हो गयी हो. भला ये कैसी शर्त तूने अपने भैया से लगा दी. यार तू ऐसा कैसे कर सकती हैं. आइ कान'ट बिलीव.???
राधिका- लगता हैं जैसे मैने कोई बहुत बड़ी गुनाह कर दी हैं जो तू ऐसे बोल रही हैं.
निशा- बेवकूफी कहूँगी मैं इसे. जानती भी है अगर कृष्णा भैया शर्त जीत गये तो क्या ............ तू भला ऐसे कैसे कर सकती हैं.
राधिका- चिंता मत कर कुछ भी हो जाए निशा मैं खुद कभी अपने मूह से भैया से सेक्स करने को नही कहूँगी.
निशा- तू जानती नही हैं ये मर्द लोग बहुत पहुँची चीज़ होते हैं. खास कर तेरे भैया. ना जाने कितनी रंडिया के साथ अब तक सो चुके हैं.
राधिका- निशा माइंड युवर लॅंग्वेज. मुझे मेरे भैया के बारे में ये सब बातें बिल्कुल पसंद नही है. प्लीज़..............चुप हो जाओ.
निशा भी चुप हो जाती हैं. और कुछ देर तक गहरा विचार करती हैं.
निशा- एक बात कहना चाहूँगी राधिका ये जान ले कि अगर तू शर्त हार गयी और वो सब तू अपने भैया के साथ करेगी तो समाज़ में तेरी कितनी बदनामी होगी इसका तुझे अंदाज़ा भी है.. तेरे भैया पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर तेरा जीना मुश्किल हो जाएगा. किस किस को तू जवाब देगी, कितनो का मूह बूँद करेगी. बता.....................
राधिका- मुझे इस समाज़ से कोई लेना देना नही हैं. मुझे बस अपने भैया की चिंता हैं. वो बस सुधर जाए अगर इसके बदले उन्हें मेरी इज़्ज़त भी दाँव पर लगानी पड़े तो मैं तैयार हूँ. और हां अगर भैया मेरे साथ सेक्स करने को बोलेंगे तो मैं उन्हें मना भी नही करूँगी.
निशा- मुझे समझ नही आ रहा कि तू ऐसा क्यों करना चाहती हैं. आख़िर क्या मिलेगा तुझे ये सब करके. क्यों तू अपनी जिंदगी दाँव पर लगा रही हैं.......
राधिका- निशा तू चिंता मत कर देख लेना एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा मुझे पूरा विश्वास हैं.,राधिका मुस्कुरा देती हैं और निशा भी उसे गले लगा लेती हैं. और राधिका और निशा वापस घर चल देती हैं.
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जैसे ही राधिका घर आती हैं कृष्णा घर पर नही होता हैं. वो भी करीब 1 घंटे में वापस घर आ जाता हैं.
राधिका के लिए दो-धरी तलवार जैसी बात होने वाली थी. एक तरफ तो वो खुद कृष्णा भैया के हाथों में खुद को सौपना चाहती थी, वही दूसरी तरफ वो इकरार भी नही करना चाहती थी. पता नहीं क्यों पर कृष्णा भैया के करीब जाते ही वो एक दम मदहोश सी होने लगी थी. वो अपना सब कुछ भूल जाती थी. पता नही क्या बात थी उसके भैया में जो उसको बार बार उसके तरफ खींच रही थी.
राधिका- आरे भैया कहाँ गये थे आप आज इतनी देर कहाँ लगा दी.
कृष्णा- वो आज काम कुछ ज़्यादा था ना. इसलिए...
राधिका- आपको काम भी मिल गया क्या....
कृष्णा- हां जब मेहनत मज़दूरी ही करनी हैं तो काम की कमी हैं क्या. अगर बचपन में पढ़ लिख लिया होता तो ये मज़दूरी तो नही करनी पड़ती.
राधिका- एक दम से करीब चली जाती हैं और कृष्णा के हाथ को अपने हाथ में लेकर- भैया मुझे विश्वास ही नही हो रहा हैं कि आप मेरे लिए इतनी बदल सकते हैं. मैं आज बहुत खुस हूँ भैया. बोलो क्या सेवा करू आपकी.
कृष्णा- हां तो बस तू अपने मूह से हां बोल दे ना. मुझे समझ ले..................सब कुछ मिल जाएगा.
राधिका- भैया मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी. जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. और मैं आपको रोकूंगी भी नहीं. मगर मैं अपने मूह से खुद कभी नही कहूँगी. चाहे कुछ भी हो जाए..................
कृष्णा- अच्छा अगर यही तेरी ज़िद्द हैं तो मैं भी जब तक तेरे मूह से खुद ना कहलवा दूं मैं भी तेरे साथ सेक्स नहीं करूँगा. जब तू खुद आकर मेरे पास कहेगी तभी मैं तेरे साथ करूँगा.
राधिका- अच्छा आप मूह हाथ धो लीजिए मैं आपके लिए चाइ बना देती हूँ. और राधिका किचन में जाकर चाइ बनाने लगती हैं.
कृष्णा भी मूह हाथ धोकर किचन में राधिका के पीछे जाकर सॅट कर खड़ा हो जाता हैं. और राधिका चौक कर पीछे मुड़ती हैं.
राधिका- क्या है भैया आप वही बैठिए मैं चाइ लेकर आती हूँ.
कृष्णा- नही तुझे एक पल भी छोड़ने का दिल नही कर रहा. और फिर कृष्णा पीछे से राधिका के दोनो हाथों पर अपने दोनो हाथ रख देता हैं. और एक दम धीरे धीरे वो उंगली फेरना चालू कर देता हैं. राधिका की भी दिल की धड़कन एक दम तेज़ हो जाती हैं. और उखड़ी आवाज़ में बोलती हैं.
राधिका- भैया ..... मुझे कुछ....कुछ हो रहा है ...प्लीज़ आप ऐसे मत छुओ ...... ना मुझे.
कृष्णा- बताओ ना राधिका क्या हो रहा है तुम्हें. ज़रा मैं भी तो जानू.
राधिका- नही भैया मुझे शरम आ रही हैं. प्लीज़ मैं नही बता सकती. हटो मुझसे दूर ....
कृष्णा-अब जब तक तुम नही बताओगि तब तक ये हाथ नही रुकेंगे. और कृष्णा धीरे से अपनी गर्देन नीचे झुका कर राधिका की गर्देन पर अपने होठ रख देता है और धीरे से चूम लेता हैं. और राधिका एक दम सन्न रह जाती हैं.
राधिका अपनी आँखें धीरे से बंद कर लेती हैं और कृष्णा भी धीरे धीरे उसकी गर्देन से चूमता हुआ उसके कान तक पहुँच जाता हैं और राधिका के मूह से ज़ोर से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
राधिका- आ.......हह.......प्लीज़ भैया, मुझे कुछ............ हो रहा हैं भैया.........प्लीज़ अब बस करो.........मैं मर जाउन्गि..........
कृष्णा- बोलो ना राधिका वही तो मैं जाना चाहता हूँ कि तुम्हें क्या हो रहा है.
राधिका कैसे बताए कि उसे क्या हो रहा था, लाख कोशिश करने के बाद भी उसके मूह से कोई शब्द बाहर ही नही निकल रहे थे. राधिका भी अब धीरे धीरे बहकती जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके जिस्म से उसका कंट्रोल ख़तम हो रहा था. उसकी साँसें भी उखड़ने लगी थी. अगर ऐसे ही कुछ देर चलता रहा तो ...................
कृष्णा का भी हाथ धीरे धीरे राधिका के कंधे तक आ चुका था. और दूसरी तरफ वो राधिका के गर्देन को लगातार चूम रहा था. राधिका की भी आँखों में हवस सॉफ नज़र आ रही थी. मगर बहुत संघर्ष के बाद वो कृष्णा को अपने से दूर हटाने में सफल हो जाती हैं.
राधिका- लीजिए भैया चाइ बन गया. हटिए पीछे वरना चाइ गिर जाएगी.
तभी उसके घर का बेल बजती हैं .
कृष्णा जाकर डोर खोलता है. सामने उसका बाप (बिरजू) नशे में धुत था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है.
कृष्णा- कल रात तुम कहाँ थे बापू. रात भर घर नही आए.
बिरजू- अरे मैं वो बिहारी के वहाँ रुक गया था कल कुछ उसके वहाँ पार्टी थी,ना,. .......
बिरजू-और तू आज क्यों नही आया वहाँ पर. मालिक पूछ रहे थे तुझे.
कृष्णा- मुझे अब वहाँ उनकी गुलामी नही करनी है. अब मैं अपनी मेहनत मज़दूरी से इस घर को चलाउन्गा.
बिरजू- हंसते हुए.........ये तू कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है . तुझे क्या हो गया है कृष्णा .आरे वो ही हमारे माई बाप है.
कृष्णा- वो मैं नही जानता बस. अब मैं उसकी चौखट पर कदम नही रखूँगा.