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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#13
Update 8 


थोड़ी देर में रामू काका भी कुछ स्नॅक्स कोफ़ी वगेरह लेकर वहाँ पर आते हैं और राहुल और राधिका को हंसता देखकर कहते हैं.

रामू- देखा बेटी तुम्हारे कदम इस घर पर क्या पड़े, आज साहब को कितने अरसे के बाद मैने हंसते हुए देखा है.

राधिका- तो क्या जनाब कभी हंसते नही थे क्या.

रामू- हाँ मालकिन ये ड्यूटी से घर आते और खाना खाकर अपने रूम में सो जाते और सुबह फिर नाश्ता करके बाहर निकल जाते. इनका रोज़ का यही रुटीन है.

राधिका- देखिएगा रामू काका अब मैं आ गयी हूँ ना अब ट्रेन बिल्कुल पटरी पर दौड़ेगी. इतना कहकर रामू काका , राधिका और राहुल ज़ोर से हंसते हैं.

थोड़ी देर के बाद दोनो नाश्ता करते हैं. नाश्ता करने के बाद राहुल राधिका को अपने पर्सनल रूम मे ले जाता है.

राधिका- वाह!!! कितना बेहतरीन कमरा है. सब कुछ वेल फर्निश्ड. राधिका एक टक राहुल के रूम को देखने लगती हैं. वही डबल बेड के उपर राहुल की बचपन की तस्वीर थी और उसके माता पिता की भी साथ में थी. राधिका वो फोटो उठा कर देखने लगती हैं.

राहुल- ये ही हैं मेरे मोम, डॅड, इनकी रोड आक्सिडेंट में डेत हो गयी थी. तब से मैं अकेला.....................

राहुल ये शब्द आगे बोल पाता उससे पहले राधिका अपना हाथ राहुल के मूह पर रखकर चुप करा देती है. राहुल भी आगे कुछ नही बोल पाता.

राधिका- किसने कहा कि तुम दुनिया में अकेले हो. अब मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मेरी कसम आज के बाद तुम कभी आपने आप को अकेला मत कहना.

राहुल- ठीक है नही कहूँगा प्रॉमिस इतना कहकर राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता है..

राधिका- हाँ तुम मुझसे कुछ कहने चाहते थे ना अपने दिल की बात ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुम्हारे दिल में क्या है.

राहुल- राधिका सच कहु मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा कि तुम अब मेरी हो. लग रहा है कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ. मैने तुम्हारे जिस्म से प्यार नही किया है बल्कि मैं तुम्हारी उस आत्मा को चाहता हूँ. तुम अब मेरी रूह में समा चुकी हो. राधिका ये मेरी खुसकिस्मती है कि अब तुम्हारा प्यार मेरे साथ है. जानती हो मैने एक गीत जो मैं बचपन से सुनता चला आ रहा हूँ उस गीत में मैने सिर्फ़ तुम्हें देखा हैं. वो गीत जो मेरी जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. जिसमे मैने पल पल सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें महसूस किया है.

राहुल नज़दीक में सीडी प्लेयर को ऑन करता है और एक बहुत ही पुराना गीत बजने लगता है. वो गीत है.............

चाँद सी महबूबा हो मेरी, कब ऐसा मैने सोचा था............

हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैने सोचा था...................

जिसे राधिका भी सुनकर लगभग खो सी जाती है. जैसे ही वो गीत ख़तम होता है राहुल राधिका के एक दम नज़दीक आकर उसके हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लेता है.

इस गीत में मैने तुम्हें पाया है. जैसी मैने कल्पना की थी सच में तुम उससे भी बढ़कर हो. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता है. कुछ देर तक वो एक दूसरे से यू ही सटे रहते हैं. फिर राधिका आगे बढ़कर अपने लब धीरे धीरे राहुल के लब से चिपका लेती है. और फिर दोनो आँख बंद कर के एक दूसरे में खोते चले जाते हैं.

राधिका धीरे धीरे राहुल के होंठो को अपने होंठो से चिपका कर ऐसे चुसती है जैसे कोई दूध पीता बच्चा अपनी मा का दूध पीता है.दोनो की धड़कनें एक दम तेज़ हो जाती है. राधिका धीरे धीरे अपने होंठ पूरा खोल देती है और राहुल भी अपने होंठ धीरे धीरे राधिका के मूह में लेकर चूस्ता है. पहले वो राधिका के उपर के लिप्स को अच्छे से चूस्ता है फिर धीरे धीरे नीचे के लिप्स को बड़े प्यार से अपने दाँत से दबाकर हल्का सा काटने लगता है. राधिका भी अब पूरी तरह से राहुल में खो जाती है. राधिका और राहुल को कोई होश ही नही रहता कि वो किस दुनिया में हैं.

फिर राधिका धीरे धीरे अपना हाथ राहुल के हाथों में देती है और फिर उसका दाया हाथ अपने हाथ में पकड़कर धीरे धीरे अपने कंधे पर रखकर अपने हाथों से उसे नीचे अपनी सीने की तरफ बढ़ाती है. राहुल का हाथ भी जैसे राधिका घुमाति है वो वैसे ही घूमता है. कुछ देर में वो राहुल का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने लेफ्ट सीने पर रख देता है और अपने हाथ को ज़ोर से राहुल पर प्रेशर करती है.

राहुल भी उसके सीने को अपने हाथों से महसूस करता है और सोचता है कितनी मुलायम है राधिका के बूब्स किसी मखमल तरह.इस बीच राधिका और राहुल एक दूसरे के लिप्स को आपस में चूस्ते रहते हैं. दोनो के थूक एक दूसरे के मूह में थे. मगर एक ही पल में जैसे राहुल को होश आता है और वो अपना हाथ राधिका के सीने से झटक देता हैं. और वो राधिका से दूर हो जाता है.

उसके इस तरह बदलाव को देखकर राधिका चौक जाती है और फिर कुछ देर में दोनो नॉर्मल होते हैं.

राधिका- क्या हुआ राहुल मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या.

राहुल- नही राधिका ये ठीक नही है. मैने तुमसे कहा था ना कि मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ .मुझे तुम्हारा जिस्म नही चाहिए. और ये सब शादी के बाद ही ठीक हैं और मैं नही चाहता कि कल को कोई बात हो जाए तो ये दुनिया तुम पर उंगली उठाए.

राधिका- मुझे दुनिया की परवाह नही है राहुल मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए. राहुल मैं पूरी तरह से तुम्हारी होना चाहती हूँ और हमारे पूरे मिलन के लिए हमारा एक होना बहुत ज़रूरी है ,मेरे पास आओ राहुल मुझे अपने सीने से लगाकर मुझे अपना बना लो. मैं तुम्हारे साथ सोना चाहती हूँ राहुल, अब मैं लड़की से औरत बनना चाहती हूँ. मेरी प्यास बुझा दो राहुल. आइ लव यू..............

राहुल- होश में आओ राधिका. तुम्हें ये क्या हो गया है भला तुम ऐसे कैसे बहक सकती हो. मैं तुम्हें यहाँ पर इसलिए लेकर नही आया था कि मैं तुम्हारे जिस्म को भोग़ू. बल्कि मैं तो तुम्हें अपने प्यार का इज़हार करने के लिए अपनी दिल की बात बताने के लिए लाया था. और तुम कुछ और ही समझ रही हो.

राधिका- नही राहुल मैं अब बस पूरी तरह तुम्हारी होना चाहती हूँ. अगर तुम्हें शरम आ रही मेरे कपड़े उतारने को तो बोल दो मैं खुद ही तुम्हारे सामने अपने पूरे कपड़े निकाल देती हूँ.

राहुल- ज़ोर से चीखते हुए. राधिका ये तुम क्यों बहकी बहकी बातें कर रही हो. मैं जानता हूँ कि तुम्हारी भी कुछ ज़रूरतें हैं मगर अभी उसका वक़्त नही आया है. अब हम मिल गये हैं तो हमे कोई नही रोक सकता हमारा मिलन होने से.

राधिका- कैसे मर्द हो तुम राहुल एक लड़की खुद अपनी इज़्ज़त देना चाहती है और तुम मना कर रहे हो. आज मेरे पीछे हज़ारों की लाइन लगी हैं. मगर मैं जमाना पीछे छोड़कर बस तुम्हारे लिए ये सब करना चाहती हूँ. प्लीज़ राहुल मुझे अपना लो. मेरी प्यास शांत कर दो राहुल. वरना मैं बहक जाउन्गि.

राहुल- कैसे मैं तुम्हें समझाऊ राधिका ये ठीक नही है कल को अगर तुम बिन ब्याही मा बन गयी तो ज़माना तुम पर हसेगा.

राधिका- मुझे ज़माने की कोई फिकर नही है राहुल. ज़माना हंसता है तो हँसे. मैं तुम्हारे लिए बिन ब्याही मा बनने को भी तैयार हूँ. इस वक़्त मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए.

तभी रामू काका कमरे में आते हैं और बोलते हैं कि खाना बन गया है. आप दोनो नीचे मूह हाथ धोकर बैठिए मैं खाना निकाल देता हूँ. फिर रामू काका कमरे के बाहर चले जाते हैं.

राधिका- जानते हो राहुल अपने अंदर इस आग को मैने पूरे 22 साल तक रोका है. आज मेरा सब्र टूट चुका है. आज अगर मेरी ये आग ठंडी नही हुई तो राहुल मैं कहीं बहक कर कोई ग़लत काम ना कर बैठू कि कभी फिर तुम्हारी नज़रों में फिर उठ ना पाऊ.

राहुल- ऐसा कुछ नही होगा राधिका. मुझे तुम पर पूरा विश्वास है. अब जल्दी से मूह हाथ धो लो और खाना खाने चलो.

राधिका- ठीक हैं लेकिन कब तक मुझसे बचते फ़िरोगे देख लेना एक दिन ये खबर ज़रूर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले का रेप किया..

और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राहुल - मैं आपने आप को बहुत किस्मत वाला समझूंगा जिस्दीन तुम मेरा रेप करोगी...........इतना कहकर राधिका और राहुल दोनो मुस्करा देते हैं.

थोड़ी देर में राधिका और राहुल नीचे खाना खाते हैं और ऐसे ही बातों में 4 बज जाते हैं और राहुल राधिका को घर पर लाकर छोड़ देता है. और वो सीधा थाने चला जाता है.............

राधिका सीधे वहाँ से अपने घर आती है. और घर आकर घर का मंज़र देखकर उसके होश उड़ जाते हैं. घर पर उसके बड़े भैया एक हाथ में शराब की बॉटल लिए और दूसरे हाथ में सिग्रेट की कश लेकर फर्श पर बैठे पूरे नशे में धुत थे. वो अचानक राधिका को देखकर चौंक जाते है और शराब की बॉटल को अपने पीछे छुपाने की कोशिश करते हैं..

राधिका- भैया , ये आपने क्या हाल बना रखा हैं. और आप इस वक़्त शराब पी रहे हैं. आपको शरम नही आती घर पर ये सब करते हुए.

कृष्णा- राधिका!! मेरी बेहन तू कहाँ रह गयी थी आज, आने में इतनी देर कर दी.

राधिका-भैया कभी तो होश में रहा करो. दिन रात शराब में ही डूबे हुए रहते हो. घर की थोड़ी भी चिंता है क्या आपको.

कृष्णा- चिंता हैं ना, बहुत चिंता है. घर पर एक जवान बेहन हैं. मुझे उसकी शादी भी तो करनी है. लेकिन तुझे तो मेरी कोई चिंता ही नही है.

राधिका- ये आपको किसने कह दिया कि मुझे आपकी चिंता नही हैं. अगर आपको पीने से फ़ुर्सत मिले तब तो आपको कुछ दिखेगा ना.

कृष्णा- अगर तुझे मेरी इतनी ही चिंता होती तो तू मेरी बात क्यों नही मान लेती. आख़िर क्या बुराई हैं इसमें.

सब लोग तो करते हैं फिर ...............

राधिका- भैया प्लीज़ इस वक़्त आप होश में नही हो इस लिए कुछ भी बोल रहे हो. आपका नशा उतर जाएगा तो फिर बात करेंगे.

जैसे ही राधिका जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा जल्दी से उठकर उसका हाथ पकड़ लेता है और राधिका को अपने करीब खीच लेता हैं.

राधिका- भैया ये क्या बदतमीज़ी हैं. छोड़ दीजिए मेरा हाथ. आप इस वक़्त बिल्कुल होश में नही हैं. मेरा इस वक़्त आपके सामने से चले जाना ही बेहतर हैं.

कृष्णा- तू कहीं नही जाएगी जो कुछ भी बात होगी मेरे सामने होगी, और अभी होगी , इसी वक़्त. कृष्णा की आँखों में तो जैसे खून उतर आया था राधिका जैसे ही उसकी नजरो में देखती हैं वो वही डर से सहम जाती है और रुक जाती हैं.

राधिका- आपको थोड़ी भी समझ हैं भैया कि आप मुझसे क्या माँग रहे हैं. भला कोई भाई अपनी ही बेहन से ...................

राधिका इतना बोलकर चुप हो जाती हैं.

कृष्णा- इसी बात का तो दुख हैं राधिका कि तू मेरी बेहन हैं. अगर तू मेरी बीवी होती तो तुझे रात दिन मैं प्यार करता.

राधिका- देखिए भैया अब बात हद्द से ज़्यादा बढ़ रही हैं. आप प्लीज़ जा कर सो जाइए जब आपका नशा उतर जाएगा तो बात करेंगे.

कृष्णा- मैं पूरे होश में हूँ राधिका. मुझे इस वक़्त सबसे ज़्यादा तेरी ज़रूरत हैं.

राधिका- भैया और भी तो ज़रूरतें होती हैं , वो तो मैं पूरा करती हूँ ना फिर................

कृष्णा- एक औरत चाहे तो अपना घर बचाने के लिए कभी बीवी, बेहन, मा, बेटी सब कुछ बन सकती हैं.तो फिर तू क्यों इतना सोचती हैं.

राधिका- हां मैं मानती हूँ कि औरत वक़्त पड़ने पर सब कुछ बॅन सकती हैं मगर बेहन से बीवी कभी नही........ये नही हो सकता. और मा ने तो आपको वचन भी दिया था ना कि अपनी बेहन की इज़्ज़त की रक्षा करना लेकिन आप ही मेरी इज़्ज़त उतारने के पीछे पड़े हुए हो.

कृष्णा- ठीक है, अगर तुझे मेरी बात नही माननी तो जा यहाँ से मुझे मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं कैसे भी जी लूँगा.

राधिका के आँख में आँसू आ जाते हैं उसे कुछ भी समझ नही आता कि वो क्या करे.

राधिका- प्लीज़ भैया मैं ये सब नही कर पाउन्गि, मैं मर जाना पसंद करूँगी लेकिन मुझसे इतना गंदा काम नही हो सकता. आप जानते हो कि भाई बेहन का रिश्ता कितना पवित्र होता हैं. और आप................

कृष्णा- गुस्से से लाल होते हुए..... राधिका !!! बस बहुत हो गया , अब तेरा मेरा कोई रिश्ता नही, आज से मैं तेरा कोई नही..तुझे तो अपनी झूठी शान और इज़्ज़त की परवाह हैं ना, मेरी कोई चिंता नही ना... ये समाज ये दुनिए की फिक्र हैं ना, तब मेरा इस घर में क्या काम, और मेरा इस घर में रहने का भी अब कोई मतलब नही .....

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हो ..........प्लीज़. ... आप ऐसे नही कर सकते आप घर छोड़ कर नही जा सकते......

राधिका के आँख से आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.......वो चुप वही खड़ी गुम्सुम सी खड़ी थी. कृष्णा उठकर अपने कपड़े और कुछ समान अपने बॅग में रखने लगा.

थोड़ी देर में उसका समान पॅक हो गया और जाने के लिए जैसे वो मुड़ा वैसे ही राधिका दौड़ कर मेन डोर का दरवाज़ा जल्दी से बंद कर देती हैं.

राधिका- आप ऐसे घर छोड़ कर नही जा सकते. मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि भैया. भला ये कैसी ज़िद्द हैं भैया कुछ भी हो जाए मैं आपको जाने नही दूँगी.

कृष्णा-हट जा मेरे रास्ते से. वरना आच्छा नही होगा. मुझे इस घर में एक पल भी और नही रहना हैं. .......

राधिका- भैया मान जाओ ना प्लीज़ आप समझते क्यों नही ये नही हो सकता. मैं आपको कैसे समझाऊ...........

कृष्णा- चल हट जा, मुझे अब कुछ समझने की ज़रूरत नही है. आज से समझ लेना कि मैं तेरे लिए मर चुका हूँ.

राधिका- आपने आँसू पोछते हुए. भैया रुक जाइए ना प्लीज़ मैं आपके बगैर नही रह पाउन्गि.........

कृष्णा- एक शर्त पर ही रुकुंगा बोल जो मैं चाहता हूँ वो तू करने को तैयार हैं कि नही . अगर तेरा जवाब ना हैं तो मैं अब किसी भी हाल में यही नही रहूँगा.............

लगभग कुछ देर तक राधिका यू ही खामोश रहती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका कर ज़मीन की ओर देखती हैं.

कृष्णा- नीचे क्या देख रही हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए..................हा ..........या ............... नाअ..................

राधिका- भैया ये कैसी ज़िद्द मैं.....मैं तुम्हें कैसे समझाऊ............

कृष्णा- मुझे तेरा ज़बाब चाहिए. हां ...........या ......ना.............

राधिका- अपने आँखों से आँसू पोछते हुए.. ठीक हैं भैया अगर आपकी यही ज़िद्द हैं तो मैं आपके साथ वो सब करने को तैयार हूँ. अगर इसी में आपको खुशी मिलती हैं तो आइए आपका जो दिल में आए मेरे साथ कर लीजिए मैं आपको आब मना नही करूँगी. . आइए और अपनी हवस की आग को ठंडा कर लीजिए और तब तक जब तक आपका मन नही भरता.

इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचे ज़मीन पर फेंक देती हैं और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं. उसकी आँखो से अब भी आँसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे.

कृष्णा भी राधिका की बात को सुनकर लगभग शर्म से अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं और धीरे से राधिका के करीब आता हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे ये शराब जीने नही देती, जब मैं नशे में होता हूँ तो मुझे कुछ पता ही नही चलता कि क्या सही है और क्या ग़लत. और तू है भी इतनी खूबसूरत कि जब भी मैं तुझे देखता हूँ अपना सब कुछ भूल जाता हूँ. मुझे ये भी ध्यान नही रहता कि तू मेरी बेहन है.
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 19-09-2019, 09:51 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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