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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#12
Update 7

मोनिका भी कुछ नही बोलती है और बस विजय के हुकुम का इंतेज़ार करती है.

विजय- चल सबसे पहले ये अपने आँसू सॉफ कर. अगर मुझे खुस रखेगी तो तू भी खुस रहेगी समझी.

मोनिका भी चुप चाप हां में गर्देन हिला देती है.

विजय- चल अब तू पेट के बल सो जा आज मैं तेरी सिर्फ़ गांद मारूँगा. इतना कहकर विजय अपना शर्ट और बनियान निकाल देता है.

मोनिका भी पेट के बल लेट जाती है और विजय के लंड को अपनी गान्ड में लेने का इंतेज़ार करती हैं.

थोड़ी देर के बाद विजय का लंबा लंड मोनिका के गान्ड के द्वार पर रखता है और मोनिका के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है. वो धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाना शुरू कर देता है और मोनिका के मूह से चीख धीरे धीरे तेज़ होनी शुरू हो जाती है.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे करना बहुत दर्द होता है. तुम एक ही बार में अपना पूरा लंड डाल देते हो. थोड़ा धीरे धीरे करना.

विजय- क्या करू मेरी जान तेरी गान्ड ही ऐसी है और तू तो जानती है कि मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी औरत की गान्ड ही है. कोई बात नही तू मेरे लिया इतनी तो तकलीफ़ सह ही सकती है. इतना कहकर विजय एक ही झटके में अपना लंड मोनिका की गंद में घुसाने की कोशिश करता है मगर लंड करीब 4 इंच तक मुश्किल से जा पाता है और मोनिका की ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है ज़रा धीरे डालो ना मैं मर जाउन्गि.

विजय- रिलॅक्स बेबी लगता है तेरी गंद अभी पूरी खुली नही है चिंता मत कर मेरी शरण में तू आई है ना तो तेरी गंद का इतना बड़ा होल करूँगा कि चूत भी उसके आगे फीकी लगेगी.

फिर विजय एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता है और फिर कुछ सेकेंड में दुबारा उसी रफ़्तार से मोनिका की गंद में डाल देता है. अब की बार लंड करीब 8 इंच तक चला जाता है. और मोनिका बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ती है.

विजय- क्या हुआ मेरी बुलबुल आज तेरी गंद इतनी टाइट क्यो लग रही है. अरे मैने तो बस अपनी लाइफ में सिर्फ़ 2 बार ही तेरी मारी है. और इतना बोलकर विजय हंसता है.

मोनिका- तुम्हें हँसी आ रही है और मेरी जान जा रही है प्लीज़ विजय निकाल लो ना बहुत दर्द हो रहा है.

विजय- चिंता मत कर थोड़ी देर में तुझे भी मज़ा आएगा इतना कहकर फिर विजय पूरा लंड निकाल कर एक बार फिर पूरी गति से अंदर डाल देता है और मोनिका की हालत खराब होने लगती है. कुछ देर तक वो कुछ नही करता फिर आगे पीछे अपना लंड मोनिका की गंद में करता है.

मोनिका भी सिसकारी लेती है उसे तकलीफ़ और मज़ा दोनो का एहसास एक साथ होता है. कुछ देर में विजय अपने लंड की रफ़्तार को तेज़ कर देता है और मोनिका की आहें तेज़ हो जाती है.

विजय- कसम से क्या गंद है तेरी जी करता है ज़िंदगी भर अपना लंड इसी में डाले रखूं.

करीब 20 मिनिट तक विजय मोनिका की गंद को चोद्ता है और फिर उसका शरीर अकड़ने लगता है और उसका वीर्य मोनिका की गंद में ही झाड़ जाता है. और शांत हो कर मोनिका के उपर ही पसर जाता है.

करीब 5 मिनट तक दोनो की साँसें बहुत तेज़ चलती है और दोनो एक दूसरे को देखते है.

मोनिका- अब मन भर गया ना तुम्हारा अब मैं चलती हूँ. और हां मुझे अब तुम आज़ाद कर दो अब मुझे ये सब अच्छा नही लगता.

विजय- वाहह .... मेरी सती सावित्री क्या बात है आज प्यास भुज गयी तो आज़ादी की दुआ माँग रही है. याद कर मैं तेरे पास नही गया था बल्कि तू खुद चुदवाने मेरे पास आई थी , तू ये बात कैसे भूल सकती है ...आज मैं तेरे जिस्म की आग को ठंडा करता हूँ तो तू अब कह रही है मुझे आज़ाद कर दो. तू इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है....

विजय की बात का मोनिका के पास कोई जवाब नही था. इसलिए वो कुछ नही बोलती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती है.

विजय- तुझे मेरे साथ एक डील करनी होगी. अगर तू मेरा डील मानेगी तो मैं वादा करता हू कि मैं तुझे हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- क.....कैसी डील??????

विजय- घबरा मत तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा . अगर तू मेरा वो काम करेगी तो समझ ले तू आज़ाद हो गयी नही तो काजीरी है ना दूसरा ऑप्षन तेरे लिए.

मोनिका- मुझे करना क्या होगा.

विजय- तू सवाल बहुत पूछती है . वक़्त आने दे तुझे सब बता दूँगा.इतना कहकर विजय घर से बाहर निकल जाता है.

मोनिका- हे भगवान !!! ये मेरी कैसी ज़िंदगी बन गयी है .कितनी खुस थी मैं जब मेरी शादी तय हुई थी. मेरा भी हंसता खेलता परिवार था. सब की में लाडली थी.

मोनिका के साथ ऐसा क्या हुआ था वो अपने आतीत में खो जाती है.............................................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

घर पर सब खुस थे. मेरा बी.ए फाइनल एअर था. मेरा भी सपना था कि मैं पढ़ लिख कर खुद अपनी ज़िम्मेदारी निभाऊ, अपने परिवार और अपने होने वाले पति को सारी ख़ुसीया दूँ. मगर ख़ुसीयों को ग्रहण लगते देर नही लगती. मेरी जिंदगी का सूरज भी ऐसा डूबा कि आज भी मेरे जीवन में अंधकार के सिवा कुछ नही है.

आज मेरे घर पर मम्मी पापा, और मेरा एक छोटा भाई के साथ मैं बहुत खुस थी. आज मैने अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर ली. और मेरे को देखने लड़के वाले आ रहे थे. कुछ देर में वो लोग आए और मुझे देखकर पसंद भी कर लिया. मैं भी बहुत खूबसूरत थी. गोरा बदन उम्र करीब 25 .

कुछ दिन में मेरी शादी हो गयी और मैं अपने ससुराल चली गयी. घर से बहुत दूर. मैं वहाँ बहुत खुश थी. गोपाल मेरे पति करीब 28 साल के थे. वो ट्रक ड्राइवर थे.मेरे सास ससुर गाओं में रहते थे. हम सहर में आ कर रहने लगे क्यों कि गाओं का महॉल कुछ ठीक नही था. इस लिए गोपाल भी यही चाहता था कि मैं भी सहर में ही रहू. हमारी शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे कि एक दिन रोड आक्सिडेंट में उनकी मौत हो गयी. मेरे सर पर मानो पहाड़ टूट पड़ा. मैने भी सोचा कि अब सहर में क्या रखा है सोचा अपने सास ससुर के पास जाकर उनकी सेवा करू.

लेकिन गाओं की कुछ औरतों ने मुझे ये कहकर मेरे सास ससुर की नजरो में गिरा दिया कि तुम्हारी बहू के कदम ठीक नही हैं. आते ही घर की औलाद को खा गयी. मैने उन्हे बहुत समझाने की कोशिश की पर वे लोग नही माने. फिर हारकर मैने अपने मा बाप के पास जाने का फ़ैसला किया तो उन्होने भी अपने हाथ खीच लिए. ये कह दिया कि जो भी है तेरा ससुराल है अब ये तेरा घर नही है. उस वक़्त तो मुझे आत्महत्या करने के सिवा कुछ नही सूझा. और मैं वो कर भी देती.

मगर मेरी नसीब में और रोना लिखा था. मेरी विजय से मुलाकात हो गई. मैने भावुक होकर उसे वो सारी बात बताई जो मेरे साथ बीती थी. तो उसने मुझे झट से शादी करने के लिए हां कर दी. मैं बहुत खुस हुई. मगर मुझे क्या पता था कि वो इंसान की खाल में छुपा हुआ भेड़िया है. उसकी नियत शुरू से ही मेरे जिस्म पर थी. इसी बहाने मुझे अपनी क्लिनिक में काम दिलवाकर एक दिन उसने धोके से मुझे ड्रग्स के नशे में सिड्यूस किया.

मैं इस लिए उसे कुछ नही बोल पाई क्यों कि अब मेरा इस दुनिया में कोई नही था जो मेरा अपना हो. कहते हैं ना इंसान की असली परख बुरे दिन में ही होती है. जब मेरा बुरा समय आया तब सब ने अपने हाथ खीच लिए. तब मैने भी ये सोच लिया की मर जाउन्गि मगर उनके दरवाज़े पर पाँव नही रखूँगी.

विजय इसी तरह से मुझे अपनी क्लिनिक में रोज़ ले जाता और वही मेरे साथ चुदाई का खेल खेलता. कैसे मना करती मैं. वो ही तो था जो मुझे पैसे और किसी चीज़ की कमी नही होने देता था. तो मैने भी सब कुछ भूल कर अपने आप को उसके हाथों में सौप दिया...........

मोनिका की आँख से आँसू लगातार बह रहे थे. वो चाह कर भी अपने अतीत को नही भूल पा रही थी. और उसको विजय का कहा भी बार बार उसके दिमाग़ में बंब की तरह फट रहा था. डील..........आख़िर विजय मुझसे कैसे डील चाहता है. क्या है उसका मकसद.

मोनिका ये बात अच्छे से जानती थी कि विजय एक नंबर का अयाश आदमी है. वो किसी भी हद्द तक गिर सकता है. आख़िर वो किस डील की बात कर रहा है. मोनिका अपने दिमाग़ पर ज़ोर देते हुए लगातार अपने सवालों का जवाब बार बार अपने आप से पूछ रही थी. आख़िर देर तक सोचने के बाद उसका ध्यान एक बार राधिका की ओर चला जाता है.

कहीं राधिका का इस डील से कोई कनेक्षन तो नही है. हे भगवान ये विजय क्या चाहता है. कहीं अब वो मेरे बदले राधिका के साथ तो नही..... नही ये नही हो सकता. हो ना हो मुझे जल्दी से जल्दी पता करना होगा कि ये राधिका कौन है और इस विजय से इसका क्या रीलेशन है.

मोनिका के सामने हज़ारों सवाल खड़े होते जा रहे थे मगर उसके पास एक सवाल का भी जवाब नही था. लेकिन काफ़ी हद्द तक वो विजय का मकसद भाप गयी थी. और फिर अपने कपड़े पहन कर वो विजय के घर से निकल जाती है.

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जहाँ वक़्त बीत रहा था. एक तरफ तो राहुल और राधिका एक दूसरे के करीब और करीब आते जा रहे थे. हर रोज़ राधिका उसको फोन करके गुड मॉर्निंग विश करके उठाती तो वही राहुल भी कोई ना कोई बहाने से राधिका के करीब रहता. राधिका को तो मानो उसे जन्नत मिल गयी थी. जिस प्यार के लिए वो बचपन से तरषी थी वो आज उसे मिल गया था. वो भी जानती थी कि राहुल भी उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता है. एक तरफ राहुल और राधिका का प्यार किसी दीवानगी , जुनून की तरह बढ़ता जा रहा था वही दूसरी तरफ निशा भी अपने दिल में राहुल को चाहने लगी थी . वो भी मन ही मन राहुल से बे- इंतेहः प्यार करने लगी थी.

राहुल को निशा के दिल का हाल नही मालूम था वो तो बस राधिका के ख्यालों में खोया रहता था. वही राधिका को निशा के दिल की बात का कुछ अंदाज़ा हो गया था मगर उसे ये नही पता था कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती है. वो तो बस ये ही समझ रही थी कि निशा को कोई और मिल गया है.

हो ना हो राहुल , राधिका और निशा की ज़िंदगी में आने वाले एक बहुत बड़े तूफान का इशारा था. क्यों कि राधिका इस हद्द तक राहुल को प्यार करती कि वो राहुल को किसी भी हाल में खोना नही चाहती थी. वही दूसरी तरफ अपनी जान से बढ़कर उसकी सहेली निशा वो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती थी. ये बात निशा भी जानती थी कि राहुल और राधिका एक दूसरे को पसंद करते हैं मगर वो इस हद्द तक एक दूसरे को चाहने लगे हैं उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था. वरना वो भी इन दोनों के बीच में कभी नही आती. मगर क्या करे प्यार किया नही जाता हो जाता है. और निशा अपने दिल के हाथों मज़बूर थी.

वही दूसरी तरफ मोनिका के दिन बुरे और बुरे होते जा रहे थे. विजय उसको जानवरो जैसे उसके साथ सुलूख करता और बहुत रफ सेक्स करता था. वो किसी भी हालत में बाहर निकलना चाहती थी उसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी. उसके बदले अगर किसी की कुर्बानी भी देनी पड़े तो भी.............

जहाँ एक तरफ़ राहुल और राधिका में प्यार जनम ले रहा था वही दिन -ब-दिन मोनिका के दिल में नफ़रत. ना ही सिर्फ़ विजय से बल्कि इस पूरे समाज़ से पूरी दुनिया उसे अपनी दुश्मन नज़र आ रही थी. वो भी चाहती थी कि वो भी अब सुकून की जिंदगी बसर करे. और वो इस शहर को छोड़ कर हमेशा के लिए कही और जाना चाहती थी. मगर होनी को कौन रोक सकता है.

इधेर राधिका के मिलने से राहुल का भी नसीब खुल चुका था. उसकी भी दिन-ब-दिन तरक्की हो रही थी. जल्द ही वो एसीपी बनने वाला था. और उसका मान ना था कि इस सफलता के पीछे राधिका का प्यार है. लेकिन वक़्त से पहले किसी को कुछ नही मिलता.

वक़्त के आगे किसी की नही चलती. आने वाला एक तूफान जो कि राहुल, मोनिका, निशा, और मोनिका की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी. पता नही वक़्त को क्या मंज़ूर था........................

आज राहुल और राधिका के प्यार को, करीब 5 महीना हो चुके थे मगर अब भी राहुल ने एक भी बार राधिका को प्रपोज़ नही किया था.और आज राहुल कुछ राधिका के लिए स्पेशल करना चाहता था. आज वो राधिका को अपने घर ले जाना चाहता था. भला राहुल की बात को राधिका कैसे मना कर देती. वो झट से तैयार हो जाती है .

राहुल- राधिका आज में तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूँ. चलोगि ना मेरे घर. विश्वास है ना मुझ पर.

राधिका- ये भी कोई पूछने वाली बात है. अपने आप से ज़्यादा तुम पर विश्वास करती हूँ.

और दोनो मुस्कुरा कर राहुल की गाड़ी में बैठ जाते हैं. कुछ देर में ही वो एक बंगले के पास पहुँचते हैं. राधिका को राहुल का बंगला देखकर उसे विश्वास नही होता कि ये राहुल का है.

राहुल- जानती हो राधिका जब से तुम मिली हो मेरी तो चाँदी हो गयी है. मैं बहुत जल्दी ही एसीपी बनने वाला हूँ. घर के अंदर चलो मुझे कितने सारे मेडल्स मिले हैं. चलो चलकर दिखाउन्गा.

राधिका- तो जनाब आज मुझे पार्टी देना चाहते हैं अपनी प्रमोशन होने की खुशी में.

राहुल- नही राधिका पार्टी तो गैरों को देते हैं तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड से भी बढ़कर हो जानती हो तुम कितनी लकी हो जब से तुम मिली हो लगता है मेरी दुनिया ही बदल गयी हैं.

राधिका- चलो चलो ज़्यादा मस्का मत लगाओ... और इतना केकर दोनो गाड़ी से उतरकर बंगले में जाते हैं.

राधिका बंगला देखकर बोलती है - बहुत खूबसूरत बंगला है आपका. इतने बड़े घर में अकेले रहते हैं क्या.

राहुल - हाँ और कौन है मेरा . हां रामू काका मेरे साथ इस तन्हाई में मेरा साथ देते हैं. वो ही इस घर की देखभाल करते हैं.

और राहुल रामू काका को आवाज़ देकर बुलाता है. रामू दौड़ कर राहुल के पास आता है.

रामू- बोलिए मालिक क्या सेवा करू.

राहुल- ये राधिका है. ज़रा इनके लिए नाश्ता वगेरह बना दीजिए. और रामू किचन में चला जाता है.

राधिका- गुस्से से घूर कर देखते हुए...... राहुल मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ. मैं भी अब शादी करना चाहती हूँ. मेरी ज़िंदगी में भी कोई है जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ.

इतना सुनते ही राहुल के होश उड़ जाते है और वो एक दम लड़खड़ाते हुए बोलता है- क्यी.....आ राद....धिका. ये...तुम..........क्या बोल्ल्ल्ल्ल्ल.............रही हो..............

राधिका- हाँ भाई .........तुम तो मुझे प्रपोज़ करने से रहे तो मैने सोचा अगर कोई मुझे प्रपोज़ कर रहा है तो मैं मना क्यों करू.

राहुल- कौन है वो ........साले को जैल में सड़ा दूँगा.........ऐसा केस बनाउन्गा की साला 10 साल के बाद ही छूटेगा.

राधिका- तुम्हें उससे क्या. आज पूरे 5 महीने हो गये तुमसे मिले. तो मैने सोचा कि बस तुम मेरे साथ टाइम पास कर रहे हो तो मैने भी झट से उसे हां बोल दिया.

राहुल- क्या...............मेरा प्यार को तुम टाइम पास बोल रही हो. बस यही तुम्हारा प्यार है. इसका मतलब बस मैं ही तुमसे प्यार करता था. तुम मुझसे नही .............

राधिका- हाँ मैने सोचा तुम तो कभी प्रपोज़ करोगे नही तो कही और मज़ा किया जाए.

राहुल- नही राधिका तुम झूट बोल रही हो तुम सिर्फ़ मुझसे ही प्यार करती हो ना.

राधिका- अरे कह तो रही हूँ कि ................

राहुल- जल्दी से बताओ उसका नाम और पता साले को इस दुनिया से उठा दूँगा. राहुल एक दम गुस्से से बोला.

राधिका- सच में मेरी खातिर उसको जान से मार दोगे क्या...... .

राहुल- तुम्हारे और मेरे बीच में अगर कोई आ जाए तो देख लेना वो इस दुनिया में ज़िंदा नही रहेगा. अगर किसी ने तुमको मुझसे छीन लिया तो इस प्युरे दुनिया को आग लगा दूँगा. किसी को नही छोड़ूँगा मैं.

राधिका- तो जनाब इतना ही प्यार करते हो तो इतना वक़्त क्यों लगाया. पहले नही बोल सकते थे क्या मुझसे ये बात.

राहुल- क्या.................. तो इसका मतलब तुम मुझसे ............. और राहुल खुशी से चीख पड़ता है और राधिका को अपनी गोद में उठा लेता है.

राहुल- आज मैं तुमसे अपने दिल की सारी बातें कहना चाहता हूँ राधिका.

राधिका- आइ लव यू राहुल....................लव यू टू मच राहुल और राधिका राहुल को अपने सीने से लगा लेती है.

राधिका- बहुत देर कर दी तुमने लेकिन देर आए दुरुस्त आए. इतना कहकर राधिका ज़ोर से हँसने लगती हैं.................
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 19-09-2019, 09:24 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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