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Adultery Isi Ka Naam Zindagi
#11
Update 6


राहुल- अरे नही राधिका जी आप मेरी बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नही जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है. और राधिका भी मुस्कुरा देती है. ऐसे ही कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चाल है.

विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक़्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नही. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नही यार मैं इस वक़्त राधिका के यहाँ आया हूँ और अभी थोड़े देर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात कहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नही लगता. तुम इसका संगत क्यों नही छोड़ देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नही लगती.

राहुल- नही विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसा भी हो मगर दिल का सॉफ है.

राधिका भी इस बारे में राहुल से ज़्यादा बहस नही करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी देर के बाद दोनो मैन डोर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी देर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बाइ बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छूती हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.

वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनो हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गम नही था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिकर है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिकर हो रही है .मैं जियुं या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नही करती क्या तुम्हारी चिंता...................................... राधिका के मूह से पता नही ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई कमान से निकला तीर एक बार छूट जाता है तो वापस नही आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल को सब पता चल गया है कि वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ्रेंड बन सकते हैं. आइ वॉंट यू टू फ्रेंडशिप वित यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हां कहकर अपनी गर्देन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत ख़ुसी है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पाकर. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नही हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नही कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हमला है. पिछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हमले हो चुके हैं. अब तक हमलावरों का कोई सुराग नही और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ देर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बाँध देती है जिससे राहुल को काफ़ी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नज़रें राधिका पर पड़ती है और दोनो एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं......................

राधिका और राहुल काफ़ी देर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नज़रें नीची झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधेर उधेर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैठिए मैं आपके लिए खाना बनाती हूँ.

राहुल- अरे राधिका इसकी कोई ज़रूरत नही मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना खा कर ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नही कर पाता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मूह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनो एक साथ खाना खाते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दिनो के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मेन डोर तक आती है और राहुल ने जाते वक़्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान खींच रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मन ही मन मुस्कुरा देता है.

दूसरे दिन उधेर विजय भी बार बार राधिका के लिए बेचैन था. और हर रोज़ शाम को सोने के पहले और सुबह उठने के बाद राधिका की नाम की मूठ मारता रहता था.

विजय- ये तूने क्या कर दिया है राधिका क्यों मेरा लंड तेरे लिए इतना बेचैन हैं. जब तक तेरे नाम का मैं मूठ नही मार लेता मेरे लंड को चैन ही नही मिलता. अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे किसी भी तरह हासिल करूँगा चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत,चाहे मुझे किसी की भी बलि क्यों ना देनी पड़े. तुझे मुझसे कोई नही छीन सकता राहुल भी नही इतना सोचकर विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है.

विजय फिर मोनिका के पास फोन करता है

विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!

मोनिका- ठीक हूँ बोलो कैसे याद किया मुझे.

विजय- तू तो जानती है ना कि जब मेरा लंड खड़ा होता है तो तेरी याद आती है. चल मेरे घर पर आ जा मैं बहुत बेचैन हूँ.

मोनिका- नही मुझे तुम्हारे साथ सेक्स नही करना. तुम आज कल बहुत वाइल्ड होते जा रहे हो. मुझे तो डर लगता है अब तुमसे.

विजय- आरे आ जा ना मेरी जान क्यों नखरे करती है . चल वादा करता हूँ कि अब तुझे मैं अपने चंगुल से आज़ाद कर दूँगा. अब तो तू खुस है ना चल जल्दी से आ जा .

मोनिका- ठीक है ठीक है अभी आती हूँ और मोनिका फोन रख देती है.

थोड़ी देर के बाद मोनिका राहुल के घर पर पहुँच जाती है.

विजय- आ गयी मेरी रांड़ देख ना मेरा लंड तेरी याद में खड़ा ही रहता है. चल अपने पूरे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो जा.

मोनिका- विजय आज भी तुमने ड्रग्स लिया है ना. मैं इसी वक़्त यहाँ से जा रही हूँ.

विजय- अरे मेरी जान तेरे नशे के आगे तो ये ड्रग्स भी क्या चीज़ है. लत लग गयी है मुझे क्या करू छूट ती ही नही .

मोनिका- मुझे तुमसे बहुत डर लगता है. पता नही कब क्या करदोगे मेरे साथ.

विजय- अरे गैरों से डरना चाहिए अपनो से नही. चल अब फटाफट नंगी हो जा.

मोनिका अपनी साड़ी पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और पैंटी सब कुछ उतार कर एक दम नंगी होकर वही विजय के सामने खड़ी हो जाती है.

विजय- अब वही खड़ी भी रहेगी क्या,, देख ना मेरे जूते कितने गंदे हो गये हैं. चल आ कर सॉफ कर दे ना. विजय अपने जूते को मोनिका की ओर दिखाता हुआ बोला.

मोनिका जब उसके बात का मतलब समझती है तो उसके होश उड़ जाते हैं. मगर वो चुप चाप आकर विजय के बाजू में बैठ जाती है.

विजय- यहाँ नही जानेमन नीचे मेरे जूते के पास बैठ ना. मोनिका भी धीरे से उसके जूते के पास बैठ जाती है.

विजय- अब देख क्या रही है चल मेरे जूते सॉफ कर ना. तुझे तो हर बात बतानी पड़ती है क्या. देख एक बात बोल देता हूँ जितना मैं बोलता हूँ उतना ही कर उसी में तेरी भलाई है. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

विजय की बात सुनकर मोनिका का डर और बढ़ जाता है और वो चुप चाप अपना सिर नीचे झुका लेती है.

विजय- चल ना अब सॉफ भी कर ना अपने इन प्यारे होंठो से.

मोनिका भी धीरे से झुक कर उसके जूते को अपने जीभ से साफ करना सुरू कर देती है. और तब तक करती है जब तक विजय उसको मना नही कर देता.

मोनिका को इतनी शर्मिंदगी लगती है उसका दिल करता है कि अभी यहा से फ़ौरन निकल का भाग जाए.

विजय- चल अच्छे से चाट और एक भी धूल का कण नही रहना चाहिए. कुछ देर तक मोनिका उसके जूते अपने मूह से सॉफ करती है और फिर विजय अपना दूसरा जूता आगे बढ़ा देता है. और वो फिर उसे भी सॉफ करने लगती है.

विजय- साबाश मेरी रांड़ तूने तो मेरे जूते चमका दिए. अब से मैं तुझसे ही अपने जूते सॉफ कराउन्गा. मोनिका उसको घूर कर देखती है मगर कुछ नही बोलती.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस और हाँ पूरा अंदर लेना नही तो आज तेरी गान्ड फाड़ दूँगा.

मोनिका झट से उसके पॅंट को खोल देती है और फिर अंडरवेर, और उसका मूसल उसकी नज़रों के सामने आ जाता है.

मोनिका भी चुप चाप उसे मूह में लेकर चूसने लगती है. थोड़े देर की चुसाइ के बाद विजय का लंड एकदम अकड़ जाता है.

विजय- चल तू पूरा मूह खोल मैं अब तेरे मूह में अपना पूरा लंड डालूँगा. इतना कहकर विजय खड़ा हो जाता है और मोनिका को सोफे पर पीठ के बेल लेटा देता है और वो सामने से आकर अपना लंड मोनिका के मूह में डाल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मूह में लेने लगती है.

कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका की आँखो से आँसू निकलने लगते हैं. मोनिका के मूह से लगातार गूऊ...... गूऊ की आवाज़ें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज़ हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मार ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मूह में डालता है क्या.??

विजय- जानता हूँ तू मेरी पक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकाल दे.

मोनिका फिर तेज़ी से विजय का लंड अपने मूह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतारने लगती है. विजय का कुछ देर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मूह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वाह मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकाल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर सॉफ कर.

मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरे उसका कम को चाट कर सॉफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपनी जीभ से चाट का सॉफ करती है पर कुछ बूँदें वही रह जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरे मेरे कम को अच्छे से सॉफ नही किया हरामी साली आज तुझे तेरी औकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मूह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाति है विजय ढेर सारा थूक उसके मूह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतारना पड़ता है.

विजय- जानती है जूते को हमेशा पैरों में ही पहनना चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सिर पर नही .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पाँव की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी औकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???

विजय- तेरी औकात एक नाचने वाली कोई बाज़ारु रंडी के जैसी है. लास्ट बार तुझे मैं वॉर्निंग देता हूँ अगर मेरे कहे पर नही चलेगी तो इस बार तुझे काजीरी के पास ज़रूर भेज दूँगा. जानती हैं ना फिर तेरा क्या हाल होगा. वैसे भी काजीरी को सिर्फ़ पैसों से प्यार है. अगर एक साथ 15, 20 कस्टमर आ जाए और तुझे पसंद कर लिया तो जानती है ना तेरे साथ क्या होगा. सारे के सारे तेरी चूत और गान्ड को ऐसे फाड़ेंगे की साली जिंदगी भर चलना फिरना तो दूर रंडी का भी धंधा ठीक से नही कर पाएगी.

मोनिका- देखो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ इस वक़्त तुम ड्रग्स के नशे में हो प्लीज़ मैं वही तो कर रही हूँ जो तुम कह रहे हो. बस एक दो बूँद ही तो छूट गया था उसके लिए इतनी नाराज़गी.

विजय- ठीक है अगर अगली बार मैं तुझसे खुस नही हुआ तो तू समझ लेना...............इतना बोलकर विजय चुप हो जाता है.
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Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 19-09-2019, 08:59 PM
RE: वक़्त के हाथों मजबूर - by thepirate18 - 19-09-2019, 09:21 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by thepirate18 - 17-02-2020, 09:45 AM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by Abr Roy - 26-07-2021, 04:42 PM
RE: Isi Ka Naam Zindagi - by koolme98 - 21-09-2022, 06:28 PM



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