19-09-2019, 09:19 PM
(This post was last modified: 19-09-2019, 09:29 PM by thepirate18. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
Update 5
राधिका- निशा हम जा कहाँ रहे हैं.
निशा- तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है. इस लिए चल किसी गार्डेन या ऐसी जगह चलते हैं जहाँ
भीड़ कम हो. और निशा राधिका को एक गार्डेन
में ले कर जाती है.
राधिका- अब बता ना निशा क्या बात है जिसकी वजह
से तू इतनी सुबह मेरे पास फोन की थी. क्या कोई
सीरीयस मॅटर है क्या.??
निशा- यार बात तो कुछ ऐसी ही है पर मुझे
समझ में नही आ रहा कि कहाँ से शुरू
करू.निशा थोड़ी परेशान होते हुए बोली.
राधिका- यार बता ना ऐसी कौन सी बात है जो तू इतनी परेशान हो रही है.
निशा- यार जो मैं बात तुझसे कहने वाली हूँ
प्लीज़ मेरे बात का बुरा मत मानना.
राधिका- बुरा क्यों मानूँगी अरे इस दुनिया में एक तू ही तो है जिसे में अपने दिल की सारी बात बताती
हूँ. अब बोल ना.
निशा- यार कल जब मैं 3 बजे के करीब मार्केट जा रही थी तब मैने कृष्णा भैया को देखा.
राधिका- हः हा हा !! तू भी ना अरे मेरे भैया को देख लिया तो हैरानी की क्या बात है.
निशा- दर-असल मैने कृष्णा भैया को एक लड़की के साथ देखा था. और तुम्हारे भैया नशे में फुल थे. और वो औरत उसे सहारा दिए कहीं पर ले जा रही थी.
इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग उड़ जाता है और वो भी किसी सोच में डूब जाती है.
निशा- राधिका मेरी बात का तुम्हें बुरा तो नही
लगा ना. पर आइ आम 100% शुवर वो कृष्णा भैया ही
थे.
अब राधिका उसे वो बात बताने का फ़ैसला कर
चुकी थी जिसको वो सब से छुपाती थी. अपनी ज़िंदगी
का काला पन्ना अब वो निशा को बताना चाहती थी और उसे यकीन था कि सारी बातें , एक एक अल्फ़ाज़ किसी बम के धमाके जितनी बड़ी होगी.
राधिका- निशा मेरी बात ध्यान से सुनो. ये काला
पन्ना मैने आज तक किसी के सामने कभी नही
खोला है. पर मैं तुमसे उमीद करूँगी कि तुम ये बात किसी को भी ना बताओ. फिर राधिका कहना सुरू करती हैं....................
मैं जब 12 साल की थी तभी मेरी मा की डेत हो गयी थी. ये बात तुम भी जानती हो मगर कैसे?? ये तुम्हें नही पता.जब मैं छोटी थी तब मेरा बाप शुरू से ही कोई काम धंधा नही करता था. उसको बस मुफ़्त की रोटी चाहिए था. उसका रोज़ का काम था सुबह घर से निकलता और दिन भर आवारा आदमियों के साथ ताश, सिग्रेट, पान, और शराब पीता रहता था. और शाम को नशे की हालत में घर आता तो मा को मारता पीटता था. मा भी एक लिमिट तक उसके ज़ुल्म सहती रही फिर
आख़िर उसे कहना ही पड़ा. शरम करो दिन रात
इधेर उधेर घूमते रहते हो कोई काम धंधा तो
करते नही और जो मैं सिलाई बिनाई करके कुछ पैसे
जमा करती हूँ वो भी तुम दारू और जुवे में
उड़ा देते हो. इतना सुनते ही मेरे बाप ने मेरी मा को बहुत पिटा.और अब तो उसका रोज़ का रुटीन बन गया था. दिन ऐसे ही बीतते गये कृष्णा भैया का भी कॉलेज से नाम कट गया. क्यों कि उसकी फीस 6 मंत्स से जमा नही हुई थी. मा को सबसे ज़्यादा मेरी परेशानी थी. उसे मालूम था कि इस शराबी का क्या भरोसा कहीं शराब की खातिर अपनी बेटी को बाज़ार में ना बेच दे.और शायद कुछ ऐसा ही होता अगर मा गाओं जाकर वहाँ की पूरी प्रॉपर्टी करीब 25 लाख की ज़मीन को बेचकर मेरा नाम से कयि सारी पॉलिसी और कुछ मेरे लिए इन्षुरेन्स और फंड्स जमा करा दिया जो कि मैं बड़ी होकर मेरी पढ़ाई पूरी हो सके और मेरी शादी में भी कोई रुकावट ना आए. बस जब मैं 12 साल की हुई तो एक दिन मेरे बाप को
ये बात मालूम चल गयी . फिर क्या था वो उसे हर
दिन सताता और रोज़ दबाव डालता कि वो पैसे उसके
नाम कर दे. और मेरी मा को अब बर्दास्त के
बाहर हो गया और वो खुद कुसि कर ली. कृष्णा भी उस समय पूरा जवान था करीब 18 का . वो भी धीरे धीरे बाप के दिखाए रास्ते
पर चल पड़ा. वो भी शराब सिगरेट, पान सब
नशा करने लगा. मैने उसको कई बार समझाया
पर वो मेरी बात नही माना. हाँ इतना तो है कि मेरे बाप ने मेरी मा के साथ बहुत ग़लत किया. पर जब से मा मरी तब से आज तक मेरे बाप ने मुझसे उँची आवाज़ में मुझसे बात नही की. कभी मेरे सामने कोई नशा नही किया ना ही मेरा भाई. पता नही क्यों वो मेरे सामने ये सब
नही करते हैं. अगर मैं घर पर भी होती हूँ तब भी नही. भाई जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके कई आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी. कोई ऐसा ग़लत काम नही है जो भैया से बचा ना हो. हा एक रंडी पन ही शायद बच गया था वो भी आज.......................... इतना बोलकर राधिका चुप हो गयी और उसके आँख से आँसू आ गये.
निशा तो जैसे ये सुनकर एक दम खामोश हो गयी
और राधिका को बड़े प्यार से देखने लगी. निशा- राधिका इतनी बड़ी बात तुमने मुझसे छुपा
कर रखी थी. बता ना क्यों किया तूने ऐसा. क्या मैं तेरी बस फ्रेंड हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नही.
राधिका- कल जो तूने औरत देखी होगी वो कोई रंडी ही होगी. एक बात और बताऊ मुझे सच में खुद नही पता पर अक्सर डर लगता है कि मेरी इज़्ज़त अपने ही घर में बचेगी कि नही. राधिका ये अल्फ़ाज़ तो बोल गयी पर उसका असर निशा पर दिखा.
निशा क्या!!!!! ये तू क्या बक रही है. तुझे पता भी
है ना ......... तुझे क्या लगता है कि तेरा भाई ही तेरा
रेप करेगा.
राधिका- काश ये बात झूट हो निशा. पर मैं
जानती हूँ कि मेरे भाई की गंदी नियत मुझपर
बहुत पहले से है. वो तो किसी बहाने मेरे बदन
को छूने की ताक में रहता है. मैं बता नही सकती तुझे ................इतना बोलकर राधिका फिर से चुप हो जाती है.
निशा- बता ना राधिका तुझे ऐसा क्यों लगता है कि
तेरा ही भाई तेरी इज़्ज़त...............
राधिका- मैने उसकी कई बात देखी है. जब मैं घर पर होती हूँ और अक्सर नहाने के लिए बाथरूम जाती हूँ तब वो पीछे खिड़की से हमेशा झाँकता रहता है. मैने तो उसको अपनी पैंटी को हाथ में लेकर अपने पेनिस से रगड़ते हुए भी देखा है. वो तो हमेशा मेरे सामने ही अपनी पेनिस को हाथ में लेकर मसलता है. अब तू ही बता कि मैं कितनी सेफ हूँ.
निशा- यार ये बात तू अपने बाप से क्यों नही कहती.
राधिका- उससे क्या बोलूं वो तो दिन रात खुद नशे में रहता है और अगर मैं भैया के खिलाफ गयी तो वो मुझपर ही बरस पड़ता हैं. तू ही बता मैं क्या करू.
निशा इतना सुनकेर कुछ देर तक गहरी सोच में डूब जाती है पर उसे भी कुछ समझ नही आता.
निशा- यार तेरी प्राब्लम तो बहुत टिपिकल है. उपर
पहाड़ तो नीचे खाई. अगर तू बाहर के लोगों से
अपनी इज़्ज़त बचाती है तो तेरे घर वाले उसे
लूटने को तैयार बैठे हैं.
राधिका- इस लिए मुझे हमेशा लोगों पर गुस्सा
आता है. सब मर्द एक जैसे ही होते हैं. जहाँ बोटी
मिलती है वही टूट पड़ते हैं उसे नौचने के लिए.
मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी दिन मेरा रेप हो
जाएगा अगर इसी तरह से सब कुछ चलता रहा तो.....
चाहे घर हो या बाहर. राधिका की आँखो में आँसू नही रुक रहे थे.
निशा राधिका के आँसू को पौछ्ती है और उसे
अपने गले लगा लेती है.
निशा- चिंता मत कर राधिका मेरे रहते तुझे कुछ नही होगा. मैं तेरा साथ मरते दम तक नही छोड़ूँगी.
निशा- यार एक बात बता राहुल के बारे में तेरा क्या ख्याल है. कहे तो कुछ तेरी प्राब्लम उससे शेर करूँ कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.
राधिका- नही निशा प्लीज़ उसे कुछ मत बताना
वो पता नही मेरे बारे में क्या सोचेगा.
निशा- ओ. हो तो जनाब राहुल के बारे में ऐसा भी
सोचती हैं क्या. इतना कहकर निशा राधिका को अपनी
बाहों में फिर से पकड़ लेती है और दोनो
मुस्कुरा देते हैं.........................................
दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे जब राधिका घर में अकेली थी और सनडे का दिन था. उसका भाई और बाप रोज की तरह अपने शराब पीने के लिए बाहर गये हुए थे की तभी उसके घर की डोर बेल बजी.
राधिका- इस वक़्त कौन आ गया और वो दरवाजा खोलने चली जाती है.
जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने राहुल खड़ा था. जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती है वो एक दम चोंक जाती है उसने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि राहुल उसके घर पर आएगा.
राधिका- अरे राहुल जी आप!!!!! कैसे !!!! कब!!!! आपको मेरे घर का अड्रेस कैसे मालूम चला!!!!! ऐसे ही ढेर सारे सवाल एक साथ राधिका ने एक ही साँस में पूछ डाले.
राहुल- ठहरो तो सही मेडम एक एक कर आपके सारे सवालो का जवाब देता हूँ. मुझे अंदर आने को नही कहोगी क्या.
राधिका- एक दम से हाँ.. जी अंदर आइये.
राहुल जैसे ही अंदर आता है वो घर की दशा को देखकर उसने कभी ऐसा सोचा भी नही था कि राधिका ऐसे घर में रहती होगी. मकान बहुत पुराना था. जगह जगह प्लास्टर फूटा हुआ था. और कही कही पर तो पैंट भी नही था. उपेर छत आरसीसी का था. कुल मिलाकर दोनो कमरे बड़े थे लगता था जैसे दो हॉल है. एक किचन और उससे अटॅच बाथरूम.
राहुल को ऐसे देखकर राधिका को अपने अंदर गिल्टी फील होने लगती है.और झट से कहती है आप यहा सोफा पर बैठिए मैं अबी आती हूँ.
राहुल कुछ देर तक घर का पूरा मुआईना करता है. घर में ज़्यादा समान भी नही था. ज़रूरत भर का समान जैसे टी.वी, एक पुराना रेडियो , और दो पलंग थे. एक सोफा सेट और पहनने के लिए कपड़े . बस इससे ज़्यादा कुछ नही.
राधिका- अंदर से आती है और राहुल को ऐसे देखकर पूछती है
राधिका- क्या देख रहे हो राहुल. मैं किसी करोड़पति की बेटी नही हूँ. बस यही मेरी दुनिया है. जीवन में जो चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान तीनो चीज़ें हैं मेरे पास. हां बस आलीशान नही है.
राहुल- कोई बात नही राधिका जी लेकिन आपको देखने से तो ऐसा नही लगता पर खैर कोई बात नही.
राधिका- आप बैठिए मैं आपके लिए चाइ नाश्ता लेकर आती हूँ.
राहुल- आरे आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं. रहने दीजिए इसकी कोई ज़रूरत नही.
राधिका- देखिए राहुल जी आप आज पहली बार आए हैं मेरे घर तो मेरा फ़र्ज़ बनता है. इतना कहकर राधिका किचन में चली जाती है और कुछ देर में स्नॅक्स ,चाइ वगेरह एक ट्रे में लेकर आती है.
राधिका- कहिए कैसे आना हुआ आपको मेरा घर का अड्रेस कैसे पता चला.
राहुल- उस दिन हम कॅंटीन में नाश्ता कर रहे थे तो आपका ये आइ-कार्ड वही फर्श पर गिरा हुआ मुझे मिला.बस इसमें तुम्हारा नाम, पता सब कुछ इस आइ कार्ड से ही मिल गया.और मैं यहाँ ...........
राधिका- ओह ये तो मुझे बिल्कुल ध्यान ही नही रहा .धन्यवाद राहुल जी नही तो ये गुम हो जाता तो मुझे प्राब्लम हो जाती.
राहुल- वैसे आप इस वक़्त घर पर अकेली हैं क्या. राहुल से ऐसे सवाल सुनकर राधिका घूर के राहुल को देखने लगती हैं.
राधिका- हाँ हूँ तो. क्यों कुछ ऐसा वैसा करने का इरादा है क्या. कही तुम मेरा रेप तो नही करना चाहते हो ना.
राहुल- हँसते हुए, आरे आप भी कमाल करती हो मैं और रेप,, मुझमें इतनी हिम्मत नही है कि मैं किसी लड़की का रेप कर सकूँ.
राधिका- क्यों इसमें हिम्मत की क्या बात है. सब जैसे करते है वैसे तुम भी... इतना बोलकर राधिका चुप हो जाती है.
राहुल- राधिका सब इंसान एक जैसे नही होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भाई और पिताजी कहाँ है इस वक़्त.??
राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी गुलामी करने. और तो कोई काम नही है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ़्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.
राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करू. हो सकता है वो सुधर जाए.
राधिका- आपने कभी कुत्ते का दुम को सीधा होते देखा है क्या !! नही ना ऐसे ही है वो दोनो. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.
राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है कि वो उसे कच्चा चबा जाएगी.
राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.
राहुल- नही !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.
राधिका- नही राहुल मेरा ये मतलब नही था.
राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैने तुमको देखा है पता नही क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख़याल आता रहता है. मेरे साथ पता नही ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी.......................
राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नही आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नही तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
राधिका- निशा हम जा कहाँ रहे हैं.
निशा- तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है. इस लिए चल किसी गार्डेन या ऐसी जगह चलते हैं जहाँ
भीड़ कम हो. और निशा राधिका को एक गार्डेन
में ले कर जाती है.
राधिका- अब बता ना निशा क्या बात है जिसकी वजह
से तू इतनी सुबह मेरे पास फोन की थी. क्या कोई
सीरीयस मॅटर है क्या.??
निशा- यार बात तो कुछ ऐसी ही है पर मुझे
समझ में नही आ रहा कि कहाँ से शुरू
करू.निशा थोड़ी परेशान होते हुए बोली.
राधिका- यार बता ना ऐसी कौन सी बात है जो तू इतनी परेशान हो रही है.
निशा- यार जो मैं बात तुझसे कहने वाली हूँ
प्लीज़ मेरे बात का बुरा मत मानना.
राधिका- बुरा क्यों मानूँगी अरे इस दुनिया में एक तू ही तो है जिसे में अपने दिल की सारी बात बताती
हूँ. अब बोल ना.
निशा- यार कल जब मैं 3 बजे के करीब मार्केट जा रही थी तब मैने कृष्णा भैया को देखा.
राधिका- हः हा हा !! तू भी ना अरे मेरे भैया को देख लिया तो हैरानी की क्या बात है.
निशा- दर-असल मैने कृष्णा भैया को एक लड़की के साथ देखा था. और तुम्हारे भैया नशे में फुल थे. और वो औरत उसे सहारा दिए कहीं पर ले जा रही थी.
इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग उड़ जाता है और वो भी किसी सोच में डूब जाती है.
निशा- राधिका मेरी बात का तुम्हें बुरा तो नही
लगा ना. पर आइ आम 100% शुवर वो कृष्णा भैया ही
थे.
अब राधिका उसे वो बात बताने का फ़ैसला कर
चुकी थी जिसको वो सब से छुपाती थी. अपनी ज़िंदगी
का काला पन्ना अब वो निशा को बताना चाहती थी और उसे यकीन था कि सारी बातें , एक एक अल्फ़ाज़ किसी बम के धमाके जितनी बड़ी होगी.
राधिका- निशा मेरी बात ध्यान से सुनो. ये काला
पन्ना मैने आज तक किसी के सामने कभी नही
खोला है. पर मैं तुमसे उमीद करूँगी कि तुम ये बात किसी को भी ना बताओ. फिर राधिका कहना सुरू करती हैं....................
मैं जब 12 साल की थी तभी मेरी मा की डेत हो गयी थी. ये बात तुम भी जानती हो मगर कैसे?? ये तुम्हें नही पता.जब मैं छोटी थी तब मेरा बाप शुरू से ही कोई काम धंधा नही करता था. उसको बस मुफ़्त की रोटी चाहिए था. उसका रोज़ का काम था सुबह घर से निकलता और दिन भर आवारा आदमियों के साथ ताश, सिग्रेट, पान, और शराब पीता रहता था. और शाम को नशे की हालत में घर आता तो मा को मारता पीटता था. मा भी एक लिमिट तक उसके ज़ुल्म सहती रही फिर
आख़िर उसे कहना ही पड़ा. शरम करो दिन रात
इधेर उधेर घूमते रहते हो कोई काम धंधा तो
करते नही और जो मैं सिलाई बिनाई करके कुछ पैसे
जमा करती हूँ वो भी तुम दारू और जुवे में
उड़ा देते हो. इतना सुनते ही मेरे बाप ने मेरी मा को बहुत पिटा.और अब तो उसका रोज़ का रुटीन बन गया था. दिन ऐसे ही बीतते गये कृष्णा भैया का भी कॉलेज से नाम कट गया. क्यों कि उसकी फीस 6 मंत्स से जमा नही हुई थी. मा को सबसे ज़्यादा मेरी परेशानी थी. उसे मालूम था कि इस शराबी का क्या भरोसा कहीं शराब की खातिर अपनी बेटी को बाज़ार में ना बेच दे.और शायद कुछ ऐसा ही होता अगर मा गाओं जाकर वहाँ की पूरी प्रॉपर्टी करीब 25 लाख की ज़मीन को बेचकर मेरा नाम से कयि सारी पॉलिसी और कुछ मेरे लिए इन्षुरेन्स और फंड्स जमा करा दिया जो कि मैं बड़ी होकर मेरी पढ़ाई पूरी हो सके और मेरी शादी में भी कोई रुकावट ना आए. बस जब मैं 12 साल की हुई तो एक दिन मेरे बाप को
ये बात मालूम चल गयी . फिर क्या था वो उसे हर
दिन सताता और रोज़ दबाव डालता कि वो पैसे उसके
नाम कर दे. और मेरी मा को अब बर्दास्त के
बाहर हो गया और वो खुद कुसि कर ली. कृष्णा भी उस समय पूरा जवान था करीब 18 का . वो भी धीरे धीरे बाप के दिखाए रास्ते
पर चल पड़ा. वो भी शराब सिगरेट, पान सब
नशा करने लगा. मैने उसको कई बार समझाया
पर वो मेरी बात नही माना. हाँ इतना तो है कि मेरे बाप ने मेरी मा के साथ बहुत ग़लत किया. पर जब से मा मरी तब से आज तक मेरे बाप ने मुझसे उँची आवाज़ में मुझसे बात नही की. कभी मेरे सामने कोई नशा नही किया ना ही मेरा भाई. पता नही क्यों वो मेरे सामने ये सब
नही करते हैं. अगर मैं घर पर भी होती हूँ तब भी नही. भाई जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके कई आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी. कोई ऐसा ग़लत काम नही है जो भैया से बचा ना हो. हा एक रंडी पन ही शायद बच गया था वो भी आज.......................... इतना बोलकर राधिका चुप हो गयी और उसके आँख से आँसू आ गये.
निशा तो जैसे ये सुनकर एक दम खामोश हो गयी
और राधिका को बड़े प्यार से देखने लगी. निशा- राधिका इतनी बड़ी बात तुमने मुझसे छुपा
कर रखी थी. बता ना क्यों किया तूने ऐसा. क्या मैं तेरी बस फ्रेंड हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नही.
राधिका- कल जो तूने औरत देखी होगी वो कोई रंडी ही होगी. एक बात और बताऊ मुझे सच में खुद नही पता पर अक्सर डर लगता है कि मेरी इज़्ज़त अपने ही घर में बचेगी कि नही. राधिका ये अल्फ़ाज़ तो बोल गयी पर उसका असर निशा पर दिखा.
निशा क्या!!!!! ये तू क्या बक रही है. तुझे पता भी
है ना ......... तुझे क्या लगता है कि तेरा भाई ही तेरा
रेप करेगा.
राधिका- काश ये बात झूट हो निशा. पर मैं
जानती हूँ कि मेरे भाई की गंदी नियत मुझपर
बहुत पहले से है. वो तो किसी बहाने मेरे बदन
को छूने की ताक में रहता है. मैं बता नही सकती तुझे ................इतना बोलकर राधिका फिर से चुप हो जाती है.
निशा- बता ना राधिका तुझे ऐसा क्यों लगता है कि
तेरा ही भाई तेरी इज़्ज़त...............
राधिका- मैने उसकी कई बात देखी है. जब मैं घर पर होती हूँ और अक्सर नहाने के लिए बाथरूम जाती हूँ तब वो पीछे खिड़की से हमेशा झाँकता रहता है. मैने तो उसको अपनी पैंटी को हाथ में लेकर अपने पेनिस से रगड़ते हुए भी देखा है. वो तो हमेशा मेरे सामने ही अपनी पेनिस को हाथ में लेकर मसलता है. अब तू ही बता कि मैं कितनी सेफ हूँ.
निशा- यार ये बात तू अपने बाप से क्यों नही कहती.
राधिका- उससे क्या बोलूं वो तो दिन रात खुद नशे में रहता है और अगर मैं भैया के खिलाफ गयी तो वो मुझपर ही बरस पड़ता हैं. तू ही बता मैं क्या करू.
निशा इतना सुनकेर कुछ देर तक गहरी सोच में डूब जाती है पर उसे भी कुछ समझ नही आता.
निशा- यार तेरी प्राब्लम तो बहुत टिपिकल है. उपर
पहाड़ तो नीचे खाई. अगर तू बाहर के लोगों से
अपनी इज़्ज़त बचाती है तो तेरे घर वाले उसे
लूटने को तैयार बैठे हैं.
राधिका- इस लिए मुझे हमेशा लोगों पर गुस्सा
आता है. सब मर्द एक जैसे ही होते हैं. जहाँ बोटी
मिलती है वही टूट पड़ते हैं उसे नौचने के लिए.
मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी दिन मेरा रेप हो
जाएगा अगर इसी तरह से सब कुछ चलता रहा तो.....
चाहे घर हो या बाहर. राधिका की आँखो में आँसू नही रुक रहे थे.
निशा राधिका के आँसू को पौछ्ती है और उसे
अपने गले लगा लेती है.
निशा- चिंता मत कर राधिका मेरे रहते तुझे कुछ नही होगा. मैं तेरा साथ मरते दम तक नही छोड़ूँगी.
निशा- यार एक बात बता राहुल के बारे में तेरा क्या ख्याल है. कहे तो कुछ तेरी प्राब्लम उससे शेर करूँ कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.
राधिका- नही निशा प्लीज़ उसे कुछ मत बताना
वो पता नही मेरे बारे में क्या सोचेगा.
निशा- ओ. हो तो जनाब राहुल के बारे में ऐसा भी
सोचती हैं क्या. इतना कहकर निशा राधिका को अपनी
बाहों में फिर से पकड़ लेती है और दोनो
मुस्कुरा देते हैं.........................................
दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे जब राधिका घर में अकेली थी और सनडे का दिन था. उसका भाई और बाप रोज की तरह अपने शराब पीने के लिए बाहर गये हुए थे की तभी उसके घर की डोर बेल बजी.
राधिका- इस वक़्त कौन आ गया और वो दरवाजा खोलने चली जाती है.
जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने राहुल खड़ा था. जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती है वो एक दम चोंक जाती है उसने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि राहुल उसके घर पर आएगा.
राधिका- अरे राहुल जी आप!!!!! कैसे !!!! कब!!!! आपको मेरे घर का अड्रेस कैसे मालूम चला!!!!! ऐसे ही ढेर सारे सवाल एक साथ राधिका ने एक ही साँस में पूछ डाले.
राहुल- ठहरो तो सही मेडम एक एक कर आपके सारे सवालो का जवाब देता हूँ. मुझे अंदर आने को नही कहोगी क्या.
राधिका- एक दम से हाँ.. जी अंदर आइये.
राहुल जैसे ही अंदर आता है वो घर की दशा को देखकर उसने कभी ऐसा सोचा भी नही था कि राधिका ऐसे घर में रहती होगी. मकान बहुत पुराना था. जगह जगह प्लास्टर फूटा हुआ था. और कही कही पर तो पैंट भी नही था. उपेर छत आरसीसी का था. कुल मिलाकर दोनो कमरे बड़े थे लगता था जैसे दो हॉल है. एक किचन और उससे अटॅच बाथरूम.
राहुल को ऐसे देखकर राधिका को अपने अंदर गिल्टी फील होने लगती है.और झट से कहती है आप यहा सोफा पर बैठिए मैं अबी आती हूँ.
राहुल कुछ देर तक घर का पूरा मुआईना करता है. घर में ज़्यादा समान भी नही था. ज़रूरत भर का समान जैसे टी.वी, एक पुराना रेडियो , और दो पलंग थे. एक सोफा सेट और पहनने के लिए कपड़े . बस इससे ज़्यादा कुछ नही.
राधिका- अंदर से आती है और राहुल को ऐसे देखकर पूछती है
राधिका- क्या देख रहे हो राहुल. मैं किसी करोड़पति की बेटी नही हूँ. बस यही मेरी दुनिया है. जीवन में जो चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान तीनो चीज़ें हैं मेरे पास. हां बस आलीशान नही है.
राहुल- कोई बात नही राधिका जी लेकिन आपको देखने से तो ऐसा नही लगता पर खैर कोई बात नही.
राधिका- आप बैठिए मैं आपके लिए चाइ नाश्ता लेकर आती हूँ.
राहुल- आरे आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं. रहने दीजिए इसकी कोई ज़रूरत नही.
राधिका- देखिए राहुल जी आप आज पहली बार आए हैं मेरे घर तो मेरा फ़र्ज़ बनता है. इतना कहकर राधिका किचन में चली जाती है और कुछ देर में स्नॅक्स ,चाइ वगेरह एक ट्रे में लेकर आती है.
राधिका- कहिए कैसे आना हुआ आपको मेरा घर का अड्रेस कैसे पता चला.
राहुल- उस दिन हम कॅंटीन में नाश्ता कर रहे थे तो आपका ये आइ-कार्ड वही फर्श पर गिरा हुआ मुझे मिला.बस इसमें तुम्हारा नाम, पता सब कुछ इस आइ कार्ड से ही मिल गया.और मैं यहाँ ...........
राधिका- ओह ये तो मुझे बिल्कुल ध्यान ही नही रहा .धन्यवाद राहुल जी नही तो ये गुम हो जाता तो मुझे प्राब्लम हो जाती.
राहुल- वैसे आप इस वक़्त घर पर अकेली हैं क्या. राहुल से ऐसे सवाल सुनकर राधिका घूर के राहुल को देखने लगती हैं.
राधिका- हाँ हूँ तो. क्यों कुछ ऐसा वैसा करने का इरादा है क्या. कही तुम मेरा रेप तो नही करना चाहते हो ना.
राहुल- हँसते हुए, आरे आप भी कमाल करती हो मैं और रेप,, मुझमें इतनी हिम्मत नही है कि मैं किसी लड़की का रेप कर सकूँ.
राधिका- क्यों इसमें हिम्मत की क्या बात है. सब जैसे करते है वैसे तुम भी... इतना बोलकर राधिका चुप हो जाती है.
राहुल- राधिका सब इंसान एक जैसे नही होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भाई और पिताजी कहाँ है इस वक़्त.??
राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी गुलामी करने. और तो कोई काम नही है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ़्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.
राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करू. हो सकता है वो सुधर जाए.
राधिका- आपने कभी कुत्ते का दुम को सीधा होते देखा है क्या !! नही ना ऐसे ही है वो दोनो. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.
राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है कि वो उसे कच्चा चबा जाएगी.
राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.
राहुल- नही !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.
राधिका- नही राहुल मेरा ये मतलब नही था.
राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैने तुमको देखा है पता नही क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख़याल आता रहता है. मेरे साथ पता नही ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी.......................
राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नही आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नही तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.