19-09-2019, 09:18 PM
(This post was last modified: 19-09-2019, 09:48 PM by thepirate18. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Update 4
(काजीरी एक एजेंट है जो प्रॉस्टिट्यूशन का धंधा चलाती है. और उसका मालिक और कोई नही बल्कि विजय है. काजीरी कस्टमर से बात करके वो लड़की सप्लाइ करती है और जो लड़की उसकी पास एक बार कदम
रख ले वो समझ लो इस दुनिया की सबसे बड़ी रंडी
बनकर रह जाती है. उसका हिसाब है जितना मोटा मालदार कस्टमर उतने ज़्यादा पैसा. चाहे
लड़कियों को उस पैसे के लिए कुछ भी क्यों ना
करना पड़े. उससे कोई फरक नही पड़ता. बस
हाथ में पैसा आना चाहिए. और बस लड़की ज़िंदा
वापस आनी चाहिए चाहे वो किसी भी हाल में
मोनिका- नही विजय मैं तुम्हारे लिए सब कुछ
करूँगी पर प्लीज़ मुझे काजीरी के पास मत
भेजना.
विजय- आ गयी ना लाइन पर. चल अब मेरे सारे
कपड़े निकाल और जो सुरू से प्रोसेस होता है वो
शुरू कर वरना मुझे इंसान से हैवान बनने
में ज़्यादा देर नही लगती.
इतना सुनकर मोनिका उसके कपड़े एक एक करके
निकाल देती है. अब विजय मोनिका के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो जाता है अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.मोनिका उसको एक टक उसके लंड को देखते ही रहती है. उसको ऐसा देखकर विजय उससे कहता है.
विजय- क्यों मेरी रंडी ऐसे क्या देख रही है चल
आ जा इधेर.मोनिका इतना सुनकर विजय के पास चली जाती है. और विजय के पास जा कर खड़ी हो जाती है.
विजय- अब बस खड़ी ही रहेगी या मेरा लंड भी अपने मूह में लेगी. चल सबसे पहले तू मेरे पास आ जा मेरी बाहों में.
मोनिका विजय के एक दम करीब जा कर खड़ी हो जाती
है. और विजय ठीक उसके पीछे जाकर अपने दोनो
हाथ से उसके दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर बहुत ज़ोर से मसल देता है.
मोनिका- अऔच............ की सिसकी भरी आवाज़ उसके
मूह से निकल जाती है. कुछ देर तक विजय उसके बूब्स ब्लाउस के उपर से ही मसलता है और फिर अपनी दो उंगलियों से उसके दोनो निपल्स को मसलना सुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके उंगलियों में दबाव बढ़ना शुरू हो जाता है और उधेर मोनिका के मूह से सिसकारी भी तेज़ होने लगती है. उसकी चूत एक दम गीली होने लगती है.
विजय- तेरी निपल्स कितनी मस्त है रे जी करता है इन्हे काट कर अपने पास रख लूं.
मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे मस्लो ना बहुत दर्द
कर रहा है.
विजय- साली नीचे तेरी चूत ज़रूर गीली होगी और
कुतिया कह रही है कि दर्द हो रहा है.
विजय अपना एक हाथ सीधा मोनिका की चूत पर रख देता है और कस कर मसल देता है. विजय- अरे ये तो पूरी गीली है. चल अब अपने ब्लाउस और
पेटिकोट निकाल.
मोनिका भी चुप चाप अपना हाथ बढ़ाकर अपने
ब्लाउस का बटन खोलने लगती है और धीरे
धीरे करके एक एक बटन खोल देती है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी पेटिकोट का नाडा धीरे से सरका देती है. उसका पेटिकोट नीचे ज़मीन पर गिर जाता है. अब मोनिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने खड़ी रहती है.
विजय- अब मेरा मूह क्या देख रही है चल जल्दी से आकर मेरा लंड चूस ना. मोनिका धीरे धीरे विजय के पास आती है और झुक कर नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है. उसको नीचे बैठता हुआ देखकर
विजय- ऐसे नही मेरी जान चल तू मेरे बेडरूम
में.
मोनिका भी कुछ बोलती नही और विजय के पीछे
पीछे उसके बेडरूम में चली जाती है..........
विजय- मुस्कुराते हुए तो चल बेड पर पीठ के बल
लेट जा और अपनी गर्देन बेड से नीचे झूला ले. मैं
आज ये पूरा लंड तेरे हलक में डालना चाहता
हूँ.
मोनिका भी चुप चाप आकर बेड पर लेट जाती है और अपनी गर्दन बेड के नीचे झुका लेती है. थोड़ी देर बाद विजय उसके मूह के नज़दीक आता है और उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता है और कहता है इस लिए तो तू मेरी पर्सनल रंडी है. जो मैं चाहता हूँ वो बस तू ही दे सकती हीं. इतना कहकर दोनो मुस्कुरा देते हैं.
अब विजय अपना पूरा लंड धीरे धीरे मोनिका के
मूह में डालना सुरू करता है. जैसे जैसे उसके
लंड पर प्रेशर बनता है मोनिका की साँस फूलना सुरू हो जाती है और लंड धीरे धीरे मोनिका के मूह में घुसता चला जाता है.
मोनिका अब तक पूरा 5 इंच लंड अपने मूह में ले चुकी थी और अब उसकी साँसे तेज़ होने लगी ही. इधेर विजय एक बार फिर पूरा लंड उसी पोज़िशन में बाहर निकालता है और फिर तेज़ी से अंदर की ओर धकेलने लगता है. मोनिका की आँखें बाहर को आने लगती है.
मोनिका का दम घुटने लगता है मगर वो अपनी
आँखों के इशारे से विजय को मना नही करती और
फिर विजय इस बार एक झटके में अपना लंड बाहर
खीच लेता है और उतनी ही तेज़ी से अंदर को धकेल
देता है. बस फिर क्या था मोनिका की आँखो से
आँसुओ का सैलाब बहने लगता है और उसके मूह से गूओ...........गूऊऊऊओ की आवाज़ें
निकलने लगती है.
तकरीबन 10 सेकेंड तक विजय अपना लंड मोनिका
के हलक के नीचे पहुँचाने में कामयाब हो जाता है और उधेर मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती है ऐसा लगता है कि उसका दम घुटने से वो मर जाएगी.
कुछ देर तक उसी पोज़ीशन में रहने के
बाद विजय अपना पूरा लंड बाहर निकाल लेता है. जैसे ही विजय का लंड बाहर आता है मोनिका ज़ोर से
खांसने लगती है और उसके मूह से लेकर लंड तक
एक डोर की तरह थूक की लाइन नज़र आती है.
फिर देर ना करते हुए विजय एक बार फिर अपना लंड
पूरा मोनिका के हलक में डाल देता है और उसी
पोज़िशन में कुछ देर रहने देता है . पहले के
मुक़ाबले इस बार मोनिका को ज़्यादा तकलीफ़ नही होती
और कुछ देर में विजय का शरीर अकड़ने लगता
है और वो मोनिका के सिर को पकड़ के तेज़ी से लंड आगे पीछे करने लगता है .
कुछ ही मिनिट्स में उसका वीर्य पूरा मोनिका के हलक के नीचे उतर जाता है और वो मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे पूरा अपने पेट में लेना पड़ता है.
विजय- सुन रांड़!! मेरा वीर्य बड़ा कीमती है पूरा पी जाना एक भी बूँद नीचे नही गिरना चाहिए वरना तू जानती है ना .......और विजय हँसने लगता है..
विजय- अरे क्या हुआ तू तो इतनी जल्दी ठंडी पड़ गयी .
अभी तो ये मेरा पहली बार निकला है चल अभी तो
मुझे तेरी चूत और गान्ड की कुटाई भी तो करनी है.
चल दुबारा इसमें जान डाल दे.
मोनिका- बस करो विजय क्या हुआ है तुम्हें ऐसा
जंगली पन मे मैने आज तक तुम्हें कभी नही देखा. मुझे नही चुदवाना तुमसे मैं अपने घर जा रही हूँ. और मोनिका की आँख में आँसू आ जाते हैं. उसको रोता हुआ देखकर विजय भी थोड़ा ठंडा पड़ जाता है.
विजय- आइ अम सॉरी जान पता नही मुझे आज क्या हो
गया था. मैं खुद हैरान हूँ. और वो कैसे
भी करके मोनिका को दुबारा मना लेता है.
लेकिन विजय आज अच्छी तरह से जनता था कि उसके वाइल्ड
सेक्स के पीछे क्या कारण है. क्यों वो आज इतना
जंगली बन गया था. बस राधिका ही वो वजह थी जो उसके जेहन में जो वो चाह कर भी उसे नही भुला पा रहा था. और वो ये सोच रहा था कि राधिका ने उसपर ऐसा क्या जादू कर डाला है .
मोनिका- विजय मैने तुमसे कहा था ना कि जब तुम
ड्रग्स लेते हो तो मुझे तुमसे सेक्स करना बिल्कुल भी
पसंद नही है.
विजय- मोनिका को प्यार से गले लगाते हुए. मेरी
जान मैं क्या करू ये ड्रग्स मेरे रोम रोम में समा चुका है. मैने कितनी बार तुम्हारे कहने पर इसे छोड़ने की कोशिस की है मगर मैं इसे नही छोड़ पाया. जब तक दिन में एक बार मैं नही लेता लगता हैं जैसे मैं पागल हो जाउन्गा .
मोनिका- मैं समझ सकती हूँ विजय पर फिर फिर
तुम्हें ये ज़हर छोड़ ना होगा.
विजय- मोनिका प्लीज़ यार मुझे तेरी चूत मारने का बहुत मन कर रहा है.
मोनिका- तो मार लो ना मैने कब रोका है मगर
प्यार से करोगे तो जैसे कहोगे वैसे दूँगी.
विजय- अपने ब्रा और पैंटी तो निकाल दे ना कब तक
मुझसे छुपाटी फ़िरेगी.
इतना सुनकर मोनिका अपना हाथ पीछे लेजा कर ब्रा
का हुक खोल देती है और फिर धीरे से पैंटी भी
सरका देती है. अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.
विजय- चल ना एक बार मेरे पीछे से होकर पूरा
लंड चाट ले. कसम से बहुत मज़ा आता है फिर मैं तेरी भी चाटूँगा.
मोनिका- तुम नही सुधेरोगे लेकिन मुझे तुम्हारी
गान्ड चाटने में बहुत घिंन आती है.
विजय- लेकिन जान उससे मेरे लंड में जान भी तो आ जाती है.
मोनिका- चलो बहुत बातें बनाते हो. घूम
जाओ . इतना कहकर मोनिका उसकी गान्ड को चाटना सुरू करती है.
मोनिका को बार बार उबकाई जैसा आने लगता है पर विजय की वजह से वो चुप चाप उसकी गान्ड को
चाटती है और थोड़ी देर में विजय का लंड भी
खड़ा हो जाता है.
विजय- वाह मेरी रानी तू तो कमाल का चुसती है. चल अपने पैर फैला कर लेट जा. और विजय उसकी चूत के एक दम नज़दीक आता है और जैसे ही जीभ उसकी चूत के होल पर रखता है मोनिका को एक तेज़ करेंट जैसे लगता है. वो इतनी मदहोश हो जाती है और अपने दोनो आँख बंद कर लेती है . और कुछ देर में मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकलने लगती है. इतनी देर की चूत चुसाइ में मोनिका झरने के बहुत करीब होती है मगर विजय उसको अपनी बाहों में उठा लेता है और खुद नीचे बेड पर लेट जाता है और मोनिका को आपने उपर आने को कहता है.
मोनिका भी उसी पोज़िशन में आ जाती है और फिर शुरू होता है मोनिका की चूत की कुटाई का सिलसिला. विजय एक ही बार में पूरा लंड मोनिका की चूत में डाल देता है. और करीब 10 मिनिट तक उसी पोज़ीशन में चोदने के बाद अपना लंड मोनिका की चूत से निकाल कर उसके गान्ड पर रख देता है और धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता है. मोनिका अऔच..................की ज़ोर से आवाज़ करती है और विजय धीरे धीरे अपना लंड पूरा मोनिका की गान्ड में डालने लगता है.
थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद मोनिका खुद ही उछल
उछल कर विजय से अपनी गान्ड मरवाती है और करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका की गंद में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मूह से अचानक निकल पड़ता है ओह ...........राधिका..............................??????
मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है.
उधेर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नज़रें नही मिला पाता.
मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये
सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नही था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .
मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है
जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़................
मोनिका को शक भारी नज़रो से देख कर एक बार
तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है
विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नही
जानता.
मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या
मतलब है नही जानते . अगर नही जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारी ज़ुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.
विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नही
जानता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर
क्यों छुपाता. विजय ने भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए
कहा.
मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नही होगा.
विजय- नही मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी
राधिका को नही जानता. वो तो बस मैं आज सुबह
राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ
राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ..........
मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर
ये बात झूठी निकली तो समझ लेना मैं सीधा
राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक
दूँगी. उसके बाद तुम समझ लेना राहुल तुम्हारे
साथ क्या करेगा.
विजय- हे जान आर यू सीरीयस. जैसे तुम समझ
रही हो ऐसा कुछ भी नही है. इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.
मोनिका - हो ना हो दाल में कुछ काला ज़रूर है.
मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो
कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नही है
पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका
बहुत देर तक सोचती है पर उसे कुछ नही समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.
दूसरे दिन
राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती
है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है.
वो फोन रिसेव करती है
निशा- अरे मेडम कहाँ पर हो तुम मैं कब से
फोन लगा रही हूँ और तुम रिसेव क्यों नही
कर रही हो.
राधिका- यार तेरा कब कॉल आया था.
निशा- अरे 1/2 घंटा पहले ही तो ट्राइ कर रही थी.
तूने एक भी बार फोन रिसेव नही किया.
तभी उसको याद आता है कि वो उस वक़्त बाथरूम
में थी.
राधिका- ओह सॉरी जान मैं नहा रही थी. बता
कैसे फोन किया.
निशा- तू इस वक़्त कहाँ पर है. मुझे तुझसे एक
ज़रूरी बात करनी है.
राधिका- मैं अभी घर से ही निकली हूँ एक
काम कर मेरे चॉक पर आ जा.
निशा- ठीक है मैं थोड़ी देर में आती हूँ.
राधिका भी जल्दी से उसी जगह जाने के लिए मुड़ती है
तभी वो कुछ ऐसा देखती है की उसके बदते कदम वही पर रुक जाते हैं.
सामने एक अँधा भिकारी बड़े गौर से राधिका को देख रहा था. जब राधिका की नज़र उस पर पड़ती है तो वो अँधा भिकारी इधेर उधेर देखने लगता है. बस फिर क्या था राधिका उसके पास पहुँचती है .
भिकारी- अंधे को कुछ पैसे दे दे बेटी.
राधिका- बेटी!!!! राधिका मन में सोचती है इसको कैसे पता कि मैं लड़की हूँ अभी तो मैने इससे कुछ भी बात तक नही की. इसका मतलब साला आँधा बनने का नाटक कर रहा है. अभी मज़ा चखाती हूँ.
भिकारी- बेटी कुछ पैसे दे दे दो दिन से भूका
हूँ.
राधिका- बाबा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं
लड़की हूँ और मैने तो तुमसे कोई बात भी नही की
है फिर कैसे................
भिकारी- इतना सुनते ही एक वो एकदम से घबरा जाता है और अपने आप को सम्हालते हुए कहता है वो बेटी बस मन की आँखों से देख लिया...
राधिका- ऐसा !!! तो आपका मन की आँखे तो
बहुत स्ट्रॉंग है. तो आप सब कुछ देख सकते हैं
तो फिर भीक क्यों माँगते हो.
बाबा- नही बेटा हर चीज़ मैं मन की आँखों
से नही देख सकता. बस एहसास कर लेता हूँ.
राधिका- कमीना कहीं का अभी देखती हूँ तेरी
मन की आँखें कितनी तेज़ है. राधिका मॅन में
सोचते हुए बोली.
राधिका थोड़े उसके करीब आती है और अपना
दुपट्टा अपने सीने से हटा देती है और अपने हाथ में रख लेती है. फिर उसके सामने अपनी कुरती का एक बटन धीरे से खोल देती है. और राधिका के बूब्स का क्लीवेज सॉफ दिखाई देने लगता है.
राधिका गौर से भिकारी के चेहरे के एक्सप्रेशन
को पढ़ने की कोशिश करती है. अक्टोबर का महीने
में कोई ख़ास ना सर्दी पड़ती ना ज़्यादा गर्मी फिर भी उस भिकारी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे दिखाई देती हैं. अब उसको पूरी बात क्लियर हो जाती है कि वो अँधा नही है. राधिका तो अभी पूरे कपड़ों में कितनो पर बिजली गिरा सकती है . और उपर से उसने अपने हल्के बूब्स के दर्शन करा दिए तो उस भिकारी पर क्या गुज़रे गी भला.
राधिका- बाबा आप कब से अंधे हैं.
भिकारी- एक दम से घबरा जाता है और तोतला कर
बेटा है वो..........मैं.. मैं.... बच.....पा...न से......
राधिका को इस तरह से उस भिकारी के पास बैठा
देख कर आस पास के लोग भी अब राधिका को गौर से देखने लगते हैं और कुछ आदमी तो वही पर
खड़े होकर दूर से तमाशा देखते हैं.
तभी राधिका आसमान की ओर देखकर ज़ोर से बोलती
है -- अरे ये क्या है आसमान में लगता है कोई
बाहरी ग्रह के एलीयेन्स हमारी धरती पर उतर रहे
हैं.
भिकारी तो कुछ पल के लिए ये भी भूल जाता है वो
अँधा है और वो भी आसमान की तरफ देखने लगता है. पर उसको तो कुछ दिखाई नही देता. हो गा तब तो कुछ दिखेगा ना.
वो ग़लती करने के बाद भिकारी के मूह से अचानक निकल पड़ता है- कहाँ है वो एलीयेन्स वाला जहाज़. बस फिर क्या आस पास के लोग भी समझ जाते हैं और जो पिटाई उस भिकारी की होती है बेचारा उल्टे पाँव भाग खड़ा होता है.
राधिका- छी..... ना जाने कैसे कैसे लोग है इस
धरती पर. और राधिका गुस्से से मूड कर अपने
रास्ते चल देती है.
निशा- अरे महारानी अब क्या हुआ क्यों तुम्हारा
मूड अपसेट है. और यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों जमा है. कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया ना किसी का ...
राधिका उसे पूरा बात बता देती है
निशा- हा..हा. हहा ..हहा .हः... ओह माइ गॉड ......हा
हा प्लीज़ राधिका मेरी तो हँसी नही रुक रही. हा
हाहाहा ....
राधिका- तुझे हँसी आ रही है और मेरा खून
खोल रहा है. साला मेरे हाथों से बच गया. अगर हाथ आया होता तो साले की सचमुच आँखें निकाल लेती.
निशा- यार तू हर वक़्त पंगा क्यों लेती रहती है .क्या तूने समाज सुधारने का ठेका ले रखा है
क्या .इतना कहकर निशा फिर से हँसने लगती है.
राधिका- चल ना यार सब लोग हमे ही देख रहे हैं.
निशा- अरे ऐसे ऐसे काम करेगी तो सब लोग
तुझे ही तो देखेंगे ना. इतना कहकर निशा राधिका
को लेकर चली जाती है.
(काजीरी एक एजेंट है जो प्रॉस्टिट्यूशन का धंधा चलाती है. और उसका मालिक और कोई नही बल्कि विजय है. काजीरी कस्टमर से बात करके वो लड़की सप्लाइ करती है और जो लड़की उसकी पास एक बार कदम
रख ले वो समझ लो इस दुनिया की सबसे बड़ी रंडी
बनकर रह जाती है. उसका हिसाब है जितना मोटा मालदार कस्टमर उतने ज़्यादा पैसा. चाहे
लड़कियों को उस पैसे के लिए कुछ भी क्यों ना
करना पड़े. उससे कोई फरक नही पड़ता. बस
हाथ में पैसा आना चाहिए. और बस लड़की ज़िंदा
वापस आनी चाहिए चाहे वो किसी भी हाल में
मोनिका- नही विजय मैं तुम्हारे लिए सब कुछ
करूँगी पर प्लीज़ मुझे काजीरी के पास मत
भेजना.
विजय- आ गयी ना लाइन पर. चल अब मेरे सारे
कपड़े निकाल और जो सुरू से प्रोसेस होता है वो
शुरू कर वरना मुझे इंसान से हैवान बनने
में ज़्यादा देर नही लगती.
इतना सुनकर मोनिका उसके कपड़े एक एक करके
निकाल देती है. अब विजय मोनिका के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो जाता है अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.मोनिका उसको एक टक उसके लंड को देखते ही रहती है. उसको ऐसा देखकर विजय उससे कहता है.
विजय- क्यों मेरी रंडी ऐसे क्या देख रही है चल
आ जा इधेर.मोनिका इतना सुनकर विजय के पास चली जाती है. और विजय के पास जा कर खड़ी हो जाती है.
विजय- अब बस खड़ी ही रहेगी या मेरा लंड भी अपने मूह में लेगी. चल सबसे पहले तू मेरे पास आ जा मेरी बाहों में.
मोनिका विजय के एक दम करीब जा कर खड़ी हो जाती
है. और विजय ठीक उसके पीछे जाकर अपने दोनो
हाथ से उसके दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों में पकड़ कर बहुत ज़ोर से मसल देता है.
मोनिका- अऔच............ की सिसकी भरी आवाज़ उसके
मूह से निकल जाती है. कुछ देर तक विजय उसके बूब्स ब्लाउस के उपर से ही मसलता है और फिर अपनी दो उंगलियों से उसके दोनो निपल्स को मसलना सुरू कर देता है और धीरे धीरे उसके उंगलियों में दबाव बढ़ना शुरू हो जाता है और उधेर मोनिका के मूह से सिसकारी भी तेज़ होने लगती है. उसकी चूत एक दम गीली होने लगती है.
विजय- तेरी निपल्स कितनी मस्त है रे जी करता है इन्हे काट कर अपने पास रख लूं.
मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे मस्लो ना बहुत दर्द
कर रहा है.
विजय- साली नीचे तेरी चूत ज़रूर गीली होगी और
कुतिया कह रही है कि दर्द हो रहा है.
विजय अपना एक हाथ सीधा मोनिका की चूत पर रख देता है और कस कर मसल देता है. विजय- अरे ये तो पूरी गीली है. चल अब अपने ब्लाउस और
पेटिकोट निकाल.
मोनिका भी चुप चाप अपना हाथ बढ़ाकर अपने
ब्लाउस का बटन खोलने लगती है और धीरे
धीरे करके एक एक बटन खोल देती है और नीचे हाथ लेजा कर अपनी पेटिकोट का नाडा धीरे से सरका देती है. उसका पेटिकोट नीचे ज़मीन पर गिर जाता है. अब मोनिका सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने खड़ी रहती है.
विजय- अब मेरा मूह क्या देख रही है चल जल्दी से आकर मेरा लंड चूस ना. मोनिका धीरे धीरे विजय के पास आती है और झुक कर नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है. उसको नीचे बैठता हुआ देखकर
विजय- ऐसे नही मेरी जान चल तू मेरे बेडरूम
में.
मोनिका भी कुछ बोलती नही और विजय के पीछे
पीछे उसके बेडरूम में चली जाती है..........
विजय- मुस्कुराते हुए तो चल बेड पर पीठ के बल
लेट जा और अपनी गर्देन बेड से नीचे झूला ले. मैं
आज ये पूरा लंड तेरे हलक में डालना चाहता
हूँ.
मोनिका भी चुप चाप आकर बेड पर लेट जाती है और अपनी गर्दन बेड के नीचे झुका लेती है. थोड़ी देर बाद विजय उसके मूह के नज़दीक आता है और उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ लेता है और कहता है इस लिए तो तू मेरी पर्सनल रंडी है. जो मैं चाहता हूँ वो बस तू ही दे सकती हीं. इतना कहकर दोनो मुस्कुरा देते हैं.
अब विजय अपना पूरा लंड धीरे धीरे मोनिका के
मूह में डालना सुरू करता है. जैसे जैसे उसके
लंड पर प्रेशर बनता है मोनिका की साँस फूलना सुरू हो जाती है और लंड धीरे धीरे मोनिका के मूह में घुसता चला जाता है.
मोनिका अब तक पूरा 5 इंच लंड अपने मूह में ले चुकी थी और अब उसकी साँसे तेज़ होने लगी ही. इधेर विजय एक बार फिर पूरा लंड उसी पोज़िशन में बाहर निकालता है और फिर तेज़ी से अंदर की ओर धकेलने लगता है. मोनिका की आँखें बाहर को आने लगती है.
मोनिका का दम घुटने लगता है मगर वो अपनी
आँखों के इशारे से विजय को मना नही करती और
फिर विजय इस बार एक झटके में अपना लंड बाहर
खीच लेता है और उतनी ही तेज़ी से अंदर को धकेल
देता है. बस फिर क्या था मोनिका की आँखो से
आँसुओ का सैलाब बहने लगता है और उसके मूह से गूओ...........गूऊऊऊओ की आवाज़ें
निकलने लगती है.
तकरीबन 10 सेकेंड तक विजय अपना लंड मोनिका
के हलक के नीचे पहुँचाने में कामयाब हो जाता है और उधेर मोनिका की बेचैनी बढ़ने लगती है ऐसा लगता है कि उसका दम घुटने से वो मर जाएगी.
कुछ देर तक उसी पोज़ीशन में रहने के
बाद विजय अपना पूरा लंड बाहर निकाल लेता है. जैसे ही विजय का लंड बाहर आता है मोनिका ज़ोर से
खांसने लगती है और उसके मूह से लेकर लंड तक
एक डोर की तरह थूक की लाइन नज़र आती है.
फिर देर ना करते हुए विजय एक बार फिर अपना लंड
पूरा मोनिका के हलक में डाल देता है और उसी
पोज़िशन में कुछ देर रहने देता है . पहले के
मुक़ाबले इस बार मोनिका को ज़्यादा तकलीफ़ नही होती
और कुछ देर में विजय का शरीर अकड़ने लगता
है और वो मोनिका के सिर को पकड़ के तेज़ी से लंड आगे पीछे करने लगता है .
कुछ ही मिनिट्स में उसका वीर्य पूरा मोनिका के हलक के नीचे उतर जाता है और वो मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे पूरा अपने पेट में लेना पड़ता है.
विजय- सुन रांड़!! मेरा वीर्य बड़ा कीमती है पूरा पी जाना एक भी बूँद नीचे नही गिरना चाहिए वरना तू जानती है ना .......और विजय हँसने लगता है..
विजय- अरे क्या हुआ तू तो इतनी जल्दी ठंडी पड़ गयी .
अभी तो ये मेरा पहली बार निकला है चल अभी तो
मुझे तेरी चूत और गान्ड की कुटाई भी तो करनी है.
चल दुबारा इसमें जान डाल दे.
मोनिका- बस करो विजय क्या हुआ है तुम्हें ऐसा
जंगली पन मे मैने आज तक तुम्हें कभी नही देखा. मुझे नही चुदवाना तुमसे मैं अपने घर जा रही हूँ. और मोनिका की आँख में आँसू आ जाते हैं. उसको रोता हुआ देखकर विजय भी थोड़ा ठंडा पड़ जाता है.
विजय- आइ अम सॉरी जान पता नही मुझे आज क्या हो
गया था. मैं खुद हैरान हूँ. और वो कैसे
भी करके मोनिका को दुबारा मना लेता है.
लेकिन विजय आज अच्छी तरह से जनता था कि उसके वाइल्ड
सेक्स के पीछे क्या कारण है. क्यों वो आज इतना
जंगली बन गया था. बस राधिका ही वो वजह थी जो उसके जेहन में जो वो चाह कर भी उसे नही भुला पा रहा था. और वो ये सोच रहा था कि राधिका ने उसपर ऐसा क्या जादू कर डाला है .
मोनिका- विजय मैने तुमसे कहा था ना कि जब तुम
ड्रग्स लेते हो तो मुझे तुमसे सेक्स करना बिल्कुल भी
पसंद नही है.
विजय- मोनिका को प्यार से गले लगाते हुए. मेरी
जान मैं क्या करू ये ड्रग्स मेरे रोम रोम में समा चुका है. मैने कितनी बार तुम्हारे कहने पर इसे छोड़ने की कोशिस की है मगर मैं इसे नही छोड़ पाया. जब तक दिन में एक बार मैं नही लेता लगता हैं जैसे मैं पागल हो जाउन्गा .
मोनिका- मैं समझ सकती हूँ विजय पर फिर फिर
तुम्हें ये ज़हर छोड़ ना होगा.
विजय- मोनिका प्लीज़ यार मुझे तेरी चूत मारने का बहुत मन कर रहा है.
मोनिका- तो मार लो ना मैने कब रोका है मगर
प्यार से करोगे तो जैसे कहोगे वैसे दूँगी.
विजय- अपने ब्रा और पैंटी तो निकाल दे ना कब तक
मुझसे छुपाटी फ़िरेगी.
इतना सुनकर मोनिका अपना हाथ पीछे लेजा कर ब्रा
का हुक खोल देती है और फिर धीरे से पैंटी भी
सरका देती है. अब उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था.
विजय- चल ना एक बार मेरे पीछे से होकर पूरा
लंड चाट ले. कसम से बहुत मज़ा आता है फिर मैं तेरी भी चाटूँगा.
मोनिका- तुम नही सुधेरोगे लेकिन मुझे तुम्हारी
गान्ड चाटने में बहुत घिंन आती है.
विजय- लेकिन जान उससे मेरे लंड में जान भी तो आ जाती है.
मोनिका- चलो बहुत बातें बनाते हो. घूम
जाओ . इतना कहकर मोनिका उसकी गान्ड को चाटना सुरू करती है.
मोनिका को बार बार उबकाई जैसा आने लगता है पर विजय की वजह से वो चुप चाप उसकी गान्ड को
चाटती है और थोड़ी देर में विजय का लंड भी
खड़ा हो जाता है.
विजय- वाह मेरी रानी तू तो कमाल का चुसती है. चल अपने पैर फैला कर लेट जा. और विजय उसकी चूत के एक दम नज़दीक आता है और जैसे ही जीभ उसकी चूत के होल पर रखता है मोनिका को एक तेज़ करेंट जैसे लगता है. वो इतनी मदहोश हो जाती है और अपने दोनो आँख बंद कर लेती है . और कुछ देर में मोनिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकलने लगती है. इतनी देर की चूत चुसाइ में मोनिका झरने के बहुत करीब होती है मगर विजय उसको अपनी बाहों में उठा लेता है और खुद नीचे बेड पर लेट जाता है और मोनिका को आपने उपर आने को कहता है.
मोनिका भी उसी पोज़िशन में आ जाती है और फिर शुरू होता है मोनिका की चूत की कुटाई का सिलसिला. विजय एक ही बार में पूरा लंड मोनिका की चूत में डाल देता है. और करीब 10 मिनिट तक उसी पोज़ीशन में चोदने के बाद अपना लंड मोनिका की चूत से निकाल कर उसके गान्ड पर रख देता है और धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता है. मोनिका अऔच..................की ज़ोर से आवाज़ करती है और विजय धीरे धीरे अपना लंड पूरा मोनिका की गान्ड में डालने लगता है.
थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद मोनिका खुद ही उछल
उछल कर विजय से अपनी गान्ड मरवाती है और करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका की गंद में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मूह से अचानक निकल पड़ता है ओह ...........राधिका..............................??????
मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है.
उधेर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नज़रें नही मिला पाता.
मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये
सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नही था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .
मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है
जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़................
मोनिका को शक भारी नज़रो से देख कर एक बार
तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है
विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नही
जानता.
मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या
मतलब है नही जानते . अगर नही जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारी ज़ुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.
विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नही
जानता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर
क्यों छुपाता. विजय ने भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए
कहा.
मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नही होगा.
विजय- नही मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी
राधिका को नही जानता. वो तो बस मैं आज सुबह
राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ
राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ..........
मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर
ये बात झूठी निकली तो समझ लेना मैं सीधा
राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक
दूँगी. उसके बाद तुम समझ लेना राहुल तुम्हारे
साथ क्या करेगा.
विजय- हे जान आर यू सीरीयस. जैसे तुम समझ
रही हो ऐसा कुछ भी नही है. इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.
मोनिका - हो ना हो दाल में कुछ काला ज़रूर है.
मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो
कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नही है
पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका
बहुत देर तक सोचती है पर उसे कुछ नही समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.
दूसरे दिन
राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती
है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है.
वो फोन रिसेव करती है
निशा- अरे मेडम कहाँ पर हो तुम मैं कब से
फोन लगा रही हूँ और तुम रिसेव क्यों नही
कर रही हो.
राधिका- यार तेरा कब कॉल आया था.
निशा- अरे 1/2 घंटा पहले ही तो ट्राइ कर रही थी.
तूने एक भी बार फोन रिसेव नही किया.
तभी उसको याद आता है कि वो उस वक़्त बाथरूम
में थी.
राधिका- ओह सॉरी जान मैं नहा रही थी. बता
कैसे फोन किया.
निशा- तू इस वक़्त कहाँ पर है. मुझे तुझसे एक
ज़रूरी बात करनी है.
राधिका- मैं अभी घर से ही निकली हूँ एक
काम कर मेरे चॉक पर आ जा.
निशा- ठीक है मैं थोड़ी देर में आती हूँ.
राधिका भी जल्दी से उसी जगह जाने के लिए मुड़ती है
तभी वो कुछ ऐसा देखती है की उसके बदते कदम वही पर रुक जाते हैं.
सामने एक अँधा भिकारी बड़े गौर से राधिका को देख रहा था. जब राधिका की नज़र उस पर पड़ती है तो वो अँधा भिकारी इधेर उधेर देखने लगता है. बस फिर क्या था राधिका उसके पास पहुँचती है .
भिकारी- अंधे को कुछ पैसे दे दे बेटी.
राधिका- बेटी!!!! राधिका मन में सोचती है इसको कैसे पता कि मैं लड़की हूँ अभी तो मैने इससे कुछ भी बात तक नही की. इसका मतलब साला आँधा बनने का नाटक कर रहा है. अभी मज़ा चखाती हूँ.
भिकारी- बेटी कुछ पैसे दे दे दो दिन से भूका
हूँ.
राधिका- बाबा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं
लड़की हूँ और मैने तो तुमसे कोई बात भी नही की
है फिर कैसे................
भिकारी- इतना सुनते ही एक वो एकदम से घबरा जाता है और अपने आप को सम्हालते हुए कहता है वो बेटी बस मन की आँखों से देख लिया...
राधिका- ऐसा !!! तो आपका मन की आँखे तो
बहुत स्ट्रॉंग है. तो आप सब कुछ देख सकते हैं
तो फिर भीक क्यों माँगते हो.
बाबा- नही बेटा हर चीज़ मैं मन की आँखों
से नही देख सकता. बस एहसास कर लेता हूँ.
राधिका- कमीना कहीं का अभी देखती हूँ तेरी
मन की आँखें कितनी तेज़ है. राधिका मॅन में
सोचते हुए बोली.
राधिका थोड़े उसके करीब आती है और अपना
दुपट्टा अपने सीने से हटा देती है और अपने हाथ में रख लेती है. फिर उसके सामने अपनी कुरती का एक बटन धीरे से खोल देती है. और राधिका के बूब्स का क्लीवेज सॉफ दिखाई देने लगता है.
राधिका गौर से भिकारी के चेहरे के एक्सप्रेशन
को पढ़ने की कोशिश करती है. अक्टोबर का महीने
में कोई ख़ास ना सर्दी पड़ती ना ज़्यादा गर्मी फिर भी उस भिकारी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे दिखाई देती हैं. अब उसको पूरी बात क्लियर हो जाती है कि वो अँधा नही है. राधिका तो अभी पूरे कपड़ों में कितनो पर बिजली गिरा सकती है . और उपर से उसने अपने हल्के बूब्स के दर्शन करा दिए तो उस भिकारी पर क्या गुज़रे गी भला.
राधिका- बाबा आप कब से अंधे हैं.
भिकारी- एक दम से घबरा जाता है और तोतला कर
बेटा है वो..........मैं.. मैं.... बच.....पा...न से......
राधिका को इस तरह से उस भिकारी के पास बैठा
देख कर आस पास के लोग भी अब राधिका को गौर से देखने लगते हैं और कुछ आदमी तो वही पर
खड़े होकर दूर से तमाशा देखते हैं.
तभी राधिका आसमान की ओर देखकर ज़ोर से बोलती
है -- अरे ये क्या है आसमान में लगता है कोई
बाहरी ग्रह के एलीयेन्स हमारी धरती पर उतर रहे
हैं.
भिकारी तो कुछ पल के लिए ये भी भूल जाता है वो
अँधा है और वो भी आसमान की तरफ देखने लगता है. पर उसको तो कुछ दिखाई नही देता. हो गा तब तो कुछ दिखेगा ना.
वो ग़लती करने के बाद भिकारी के मूह से अचानक निकल पड़ता है- कहाँ है वो एलीयेन्स वाला जहाज़. बस फिर क्या आस पास के लोग भी समझ जाते हैं और जो पिटाई उस भिकारी की होती है बेचारा उल्टे पाँव भाग खड़ा होता है.
राधिका- छी..... ना जाने कैसे कैसे लोग है इस
धरती पर. और राधिका गुस्से से मूड कर अपने
रास्ते चल देती है.
निशा- अरे महारानी अब क्या हुआ क्यों तुम्हारा
मूड अपसेट है. और यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों जमा है. कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया ना किसी का ...
राधिका उसे पूरा बात बता देती है
निशा- हा..हा. हहा ..हहा .हः... ओह माइ गॉड ......हा
हा प्लीज़ राधिका मेरी तो हँसी नही रुक रही. हा
हाहाहा ....
राधिका- तुझे हँसी आ रही है और मेरा खून
खोल रहा है. साला मेरे हाथों से बच गया. अगर हाथ आया होता तो साले की सचमुच आँखें निकाल लेती.
निशा- यार तू हर वक़्त पंगा क्यों लेती रहती है .क्या तूने समाज सुधारने का ठेका ले रखा है
क्या .इतना कहकर निशा फिर से हँसने लगती है.
राधिका- चल ना यार सब लोग हमे ही देख रहे हैं.
निशा- अरे ऐसे ऐसे काम करेगी तो सब लोग
तुझे ही तो देखेंगे ना. इतना कहकर निशा राधिका
को लेकर चली जाती है.