16-09-2019, 09:00 AM
(This post was last modified: 17-12-2020, 01:59 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लेकिन पंद्रह मिनट में उनकी प्लानिंग फेल हो गयी। बड़ा लंबा सा मुंह मम्मी ने लटकाया लेकिन ,
उनकी एक सहेली थीं ,पक्की वालीं। शहर के दूसरे कोने में रहती थीं ,उनका फोन आ गया था ,लेडीज संगीत था ,ओनली लेडीज।
आल नाइट और डिनर भी।
उन्हें कुछ देर पहले ही पता चला था की मम्मी यहाँ है इसलिए उन्होंने इनवाइट कर लिया।
बिचारि मम्मी ,उनको मना भी नहीं कर सकती और यहां,…
सवा नौ बजे तक हम लोग ऑलमोस्ट तैयार हो गए थे।
मैंने मम्मी को सजेस्ट भी किया की इनको भी ले चलते हैं पर मम्मी ,उन्होंने साफ मना कर दिया।
" अरे नहीं यार , भले ही वो मेरी कितनी भी पुरानी सहेली क्यों न हो ,उसने , इनको तो बुलाया नहीं न , ...इसलिए ठीक नहीं होगा। "
मैं और मम्मी कार में बैठ चुके थे तब तब मुझे एक काम याद आया ,उतर कर जैसे मैं आयी तो ये पोर्च में ही मिल गए।
" मंजू बाई का घर तो तुमने देखा ही है ,पास में ही तो है।
बस , जाके उससे बोल देना सुबह आने की जरुरत नहीं है। तुम तो अकेले ही होंगे तो एक आदमी का क्या बर्तन , और फिर हम लोगों को भी कल आते आते ९-१० तो बज ही जाएगा।
बस अभी चले जाना की कहीं वो सो वो न जाए। "
और मैं वापस गाडी में ,साढ़े नौ के पहले हम लोग रास्ते में थे।
लेकिन उनके घर में घुसते ही मेरा एक मेसेज मिला ,
ग्रीन सिग्नल.
……………………..
और जैसे ही मैं और मम्मी गए ,घर में एक बार फिर सन्नाटा पसर गया , सन्नाटा और अकेलापन,...
वो चुपचाप ड्राइंग में रूम में बैठे बाहर के दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां से कल सुबह तक कोई आनेवाला नहीं था।
रात का इन्तजार सिर्फ मम्मी नहीं वो भी कर रहे थे ,
उन्हें बस बार बार कल रात की ,मम्मी की बात की याद आ रही थी ,
" मादरचोद ,अभी तो कुछ नहीं है ,बस ये शुरुआत है ,अरे अभी ट्रेलर है ,ट्रेलर , असली फिल्लम तो कल रात चलेगी ,रात भर सोने नहीं दूंगी। "
सोने तो मम्मी ने उन्हें कल रात भी नहीं दिया था ,लेकिन , ...आज शाम से बस उन्हें लग रहा था की कब रात होगी ,...कब रात ,....
लेकिन,
कल जो उनके साथ हुआ था रात भर उसे सोच सोच के डर तो लग रहा था उन्हें,... लेकिन मन भी बहुत कर रहा था।
इट वाज लाइक आल ड्रेस्ड अप एंड नो व्हेयर टू गो।
कुछ देर उदासी में वो डूबे रहे , फिर उनकी निगाह बार पे पड़ी। जहां बैठे थे वहीँ ,उन्होंने खोल लिया ,
" इसमें क्या बुरा है ,अरे पीते हो तो स्टाइल से पीयो ,प्रापर ग्लास, मग प्रापर ,... "
ये मॉम की उनके लिए गिफ्ट थी , कल ही तो लायी थीं वो।
उनके घर में पीना तो दूर कोई नाम भी नहीं ले सकता था।
लेकिन यहां एक दो बार थोड़ा जबरदस्ती ,थोड़ा मान मनौवल कर के , धीरे धीरे ,... और अब तो
उन्होंने अपने दिमाग में आ रहे ख्याल को झटक दिया।
अरे उनके ससुराल में सभी पीते हैं ,सभी ,... लेडीज भी तो फिर ,... और उन्होंने बार खोल लिया।
दो मग सामने ही रखे थे।
वही जो मम्मी उनके लिए लायी थीं शाम को,....और उनको याद आया गया ,कैसे मम्मी ने उन्हें छेड़ते हुए कहा था की ,
" तू क्या सोचता था हम तेरे लिए जो लाये हैं उसपे तेरा नाम भी लिखा है ,देखो न। "
और जो बियर का मग था उसपे एक किशोरी की तस्वीर सी बनी थी , उसका हैंडल बस आते हुए उभारों सा था और उस पर इंग्रेव्ड था ,बी सी।
ये कहने का मतलब नहीं था बी सी का मतलब क्या है और उनकी आँखों के सामने गुड्डी की शक्ल घूम गयी।
और उन्होंने बिना कुछ सोचे लबालब बियर से से भर दिया।
लेकिन जैसे ही उनके होंठ बियर से लगे उनका ख्याल दूसरी ओर चला गया ,
गीता की ओर ,
मंजू बाई की बेटी।
उनकी एक सहेली थीं ,पक्की वालीं। शहर के दूसरे कोने में रहती थीं ,उनका फोन आ गया था ,लेडीज संगीत था ,ओनली लेडीज।
आल नाइट और डिनर भी।
उन्हें कुछ देर पहले ही पता चला था की मम्मी यहाँ है इसलिए उन्होंने इनवाइट कर लिया।
बिचारि मम्मी ,उनको मना भी नहीं कर सकती और यहां,…
सवा नौ बजे तक हम लोग ऑलमोस्ट तैयार हो गए थे।
मैंने मम्मी को सजेस्ट भी किया की इनको भी ले चलते हैं पर मम्मी ,उन्होंने साफ मना कर दिया।
" अरे नहीं यार , भले ही वो मेरी कितनी भी पुरानी सहेली क्यों न हो ,उसने , इनको तो बुलाया नहीं न , ...इसलिए ठीक नहीं होगा। "
मैं और मम्मी कार में बैठ चुके थे तब तब मुझे एक काम याद आया ,उतर कर जैसे मैं आयी तो ये पोर्च में ही मिल गए।
" मंजू बाई का घर तो तुमने देखा ही है ,पास में ही तो है।
बस , जाके उससे बोल देना सुबह आने की जरुरत नहीं है। तुम तो अकेले ही होंगे तो एक आदमी का क्या बर्तन , और फिर हम लोगों को भी कल आते आते ९-१० तो बज ही जाएगा।
बस अभी चले जाना की कहीं वो सो वो न जाए। "
और मैं वापस गाडी में ,साढ़े नौ के पहले हम लोग रास्ते में थे।
लेकिन उनके घर में घुसते ही मेरा एक मेसेज मिला ,
ग्रीन सिग्नल.
……………………..
और जैसे ही मैं और मम्मी गए ,घर में एक बार फिर सन्नाटा पसर गया , सन्नाटा और अकेलापन,...
वो चुपचाप ड्राइंग में रूम में बैठे बाहर के दरवाजे की ओर देख रहे थे ,जहां से कल सुबह तक कोई आनेवाला नहीं था।
रात का इन्तजार सिर्फ मम्मी नहीं वो भी कर रहे थे ,
उन्हें बस बार बार कल रात की ,मम्मी की बात की याद आ रही थी ,
" मादरचोद ,अभी तो कुछ नहीं है ,बस ये शुरुआत है ,अरे अभी ट्रेलर है ,ट्रेलर , असली फिल्लम तो कल रात चलेगी ,रात भर सोने नहीं दूंगी। "
सोने तो मम्मी ने उन्हें कल रात भी नहीं दिया था ,लेकिन , ...आज शाम से बस उन्हें लग रहा था की कब रात होगी ,...कब रात ,....
लेकिन,
कल जो उनके साथ हुआ था रात भर उसे सोच सोच के डर तो लग रहा था उन्हें,... लेकिन मन भी बहुत कर रहा था।
इट वाज लाइक आल ड्रेस्ड अप एंड नो व्हेयर टू गो।
कुछ देर उदासी में वो डूबे रहे , फिर उनकी निगाह बार पे पड़ी। जहां बैठे थे वहीँ ,उन्होंने खोल लिया ,
" इसमें क्या बुरा है ,अरे पीते हो तो स्टाइल से पीयो ,प्रापर ग्लास, मग प्रापर ,... "
ये मॉम की उनके लिए गिफ्ट थी , कल ही तो लायी थीं वो।
उनके घर में पीना तो दूर कोई नाम भी नहीं ले सकता था।
लेकिन यहां एक दो बार थोड़ा जबरदस्ती ,थोड़ा मान मनौवल कर के , धीरे धीरे ,... और अब तो
उन्होंने अपने दिमाग में आ रहे ख्याल को झटक दिया।
अरे उनके ससुराल में सभी पीते हैं ,सभी ,... लेडीज भी तो फिर ,... और उन्होंने बार खोल लिया।
दो मग सामने ही रखे थे।
वही जो मम्मी उनके लिए लायी थीं शाम को,....और उनको याद आया गया ,कैसे मम्मी ने उन्हें छेड़ते हुए कहा था की ,
" तू क्या सोचता था हम तेरे लिए जो लाये हैं उसपे तेरा नाम भी लिखा है ,देखो न। "
और जो बियर का मग था उसपे एक किशोरी की तस्वीर सी बनी थी , उसका हैंडल बस आते हुए उभारों सा था और उस पर इंग्रेव्ड था ,बी सी।
ये कहने का मतलब नहीं था बी सी का मतलब क्या है और उनकी आँखों के सामने गुड्डी की शक्ल घूम गयी।
और उन्होंने बिना कुछ सोचे लबालब बियर से से भर दिया।
लेकिन जैसे ही उनके होंठ बियर से लगे उनका ख्याल दूसरी ओर चला गया ,
गीता की ओर ,
मंजू बाई की बेटी।