16-09-2019, 08:48 AM
(This post was last modified: 17-12-2020, 01:02 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मम्मी
और जब वो मम्मी के पास लौटे तो ढेर सार काम उनका इन्तजार कर रहे थे।
पहला तो शापिंग बैग खोलना ,
फिर सामान अरेंज करना।
पहले तो साड़ियां वो भी एक दो नहीं पूरी चार , और साथ में मम्मी की क्विज़ उनसे ,
बोल क्या है सिल्क ,कौन सा सिल्क कोस ,टसर,
और गनीमत थी उन्हें १० में १० मिले वरना आज मम्मी उनके सारे खानदान की,...
फिर बाकी कपडे ,
वो बोल तो नहीं रहे थे लेकिन हर पैकेट खुलते उन्हें लग रहा था शायद उनके लिए कुछ होगा ,लेकिन मेरा या मम्मी का सामान निकलता।
बिचारे और ऊपर से साडी हो या शलवार सूट ,मम्मी ट्राई उन्ही के ऊपर कर के देखतीं और फिर बोल देतीं ,
" देख ये कैसे लगेगा अच्छा न तेरी बीबी के ऊपर "
जब आखिरी पैकेट बचा था तो मम्मी ने सबसे कठिन काम उनको सौंप दिया ,
" अरे सुन ज़रा ये सब साड़ियां ड्रेसेज तहिया के कबर्ड में रख दो और फिर चाय ज़रा कड़क बना लाओ। "
बिचारे सब साड़ियों की तह हमने खोल के रख दी थी ,एक एक उन्होंने फिर से ठीक से अरेंज की।
मम्मी अपनी तेज निगाह से देख रही थीं उन्हें ,लेकिन इसमें भी उन्होंने कोई गलती नहीं की ,
और फिर थोड़ी देर में चाय।
उनकी निगाह बार बार उस अनखुले पैकेट की ओर दौड़ रही थी।
" तेरे माल के लिए लाये हैं , तूने मम्मी को उसकी साइज बतायी थी न ३२ सी बस एक दम उसी साइज की , चाहो तो उसे फोन कर के बता दो " मैंने छेड़ा उन्होंने
लेकिन मम्मी भी उन्होंने जोर से घूरा मुझे , मम्मी की यही बात , ...
उनका बस चले तो हरदम आपने दामाद की ऐसी की तैसी ,लेकिन कोई दूसरा एक बोल ,बोल के तो दिखाए।
उन्होंने जोर से मुझे घूरा और चाय की प्लेटें मुझे ले जाने को बोला।
और जब मैं लौटी तो उनके पैकेट खुल चुके थे
टी शर्ट्स ,शर्ट , और एक दो फार्मल शर्ट भी।
मम्मी उनके पैकेट खोलने के बाद उन्हें खोलने पे तुली थीं।
"अरे तेरा सब कुछ देख तो चुकी हैं हम दोनों ,चल पहन के दिखा न। "
वो पीछे पड़ीं थीं। उनके हाथ में टी शर्ट थी एक हाथ ,आफ कोर्स पिंक।
जब उन्होंने पहन लिया तो मैंने शीशे में दिखाया , पीछे का हिस्सा, उसपर लिखा था ," प्योर बॉटम। "
बाकी टी शर्ट्स भी पिंक थी और सब पे इसी तरह, ' लव बोनी थिंग्स , हार्डर द बेटर " " कम इन हार्ड " इसी तरह के एक से एक।
और फिर जीन्स जो लेडीज थी और मम्मी ने एक कमजोर सा बहाना बनाया ,
" तेरा नम्बर नहीं मालुम था तो इसी के नाप का ले लिया , वैसे भी तू इसके सारे कपडे तो पहनता ही रहता है। "
यहाँ तक तो गनीमत थी लेकिन मम्मी ने उनको वो जीन्स पहना भी दी।
सच बोलूं तो पिंक टी और जीन्स में बहुत मस्त लग रहे थे। उनका बबल बॉटम एकदम चिपका साफ़ साफ़ झलक रहा था।
बॉक्सर शार्ट्स ,साटन के ,मेल थांग और भी उस तरह की मेल लिंजरी
इसके अलावा और भी ट्रिंकेट थे ,दो बियर के मग्स भी मम्मी ने इनके लिए , लिए थे , एक पर एम् सी लिखा था और दूसरे पर बी सी।
" मेरी समधन और इसकी ननद के ऊपर चढ़ने में तो अभी कुछ टाइम है तो तब तक , इसी से गम गलत करना। "
मम्मी ने बड़े गंभीर ढंग से उनसे बोला।
सामान समेटते हुए उन्हें लगा की काम ख़तम हो गया लेकिन मम्मी तो मम्मी है न।
उन्होंने लगा दिया काम पे ,
" अभी तो खाना में देर है ,सुन वो चारों साड़ियां हैं न उन पे ज़रा फाल टांक दे। सुबह तूने बहुत अच्छा टांका था ,बस वैसे। "
और मेरा हाथ पकड़ के मम्मी उठ गयी ,हम दोनों लाउंज में आगये थे उनका कुछ सीरियल छूटा हुआ था
एक डेढ़ घंटे बाद फाल टाकने का काम ख़तम हुआ ,फिर माम को अचानक जल्दी लग गयी।
वो किचेन में कुछ स्नैक्स बना रहे थे की मम्मी ने मुझे भी भेज दिया।
" ज़रा तू भी हेल्प करा दे न जल्दी हो जायेगी। "
घडी की ओर देखते वो बोलीं।
और कुछ देर में खुद भी किचेन में दाखिल हो गयीं , बोलीं
" अरे सवा आठ बज रहे हैं ,बोलो कुछ हेल्प करना हो मैं करा दूँ। "
" मम्मी आज आप को बड़ी जल्दी मच रही है ,कोई खास बात है क्या " मैंने चिढाया उन्हें।
" हाँ हैं न बड़ी ख़ास बात है आज " उनके नितम्बो को सहलाते हुए उन्होंने अपना इरादा जाहिर कर दिया।
वो ब्लश कर रहे थे। पर मम्मी उनके ईयर लोब्स से अपने होंठ छुलाती बोलीं ,
" कुछ लाइट बना लो ,कुछ भी पर जल्दी। मैं हेल्प करा देती हूँ। पराठा सास भी चलेगा। "
" मम्मी आज तो आप का कोई सीरियल भी नहीं आता है न तब भी ,... " पराठे के लिए आटा गूंथते मैं बोलीं।
मम्मी का हाथ अभी भी उनके नितंबों पर था ,एक ऊँगली उन्होंने जोर से बीच की दरार में घुसाते हुए बोला ,
" है न , आज हम सब खुद सीरियल बनाएंगे , एकदम हॉट। "
लेकिन पंद्रह मिनट में उनकी प्लानिंग फेल हो गयी। बड़ा लंबा सा मुंह मम्मी ने लटकाया लेकिन ,
और जब वो मम्मी के पास लौटे तो ढेर सार काम उनका इन्तजार कर रहे थे।
पहला तो शापिंग बैग खोलना ,
फिर सामान अरेंज करना।
पहले तो साड़ियां वो भी एक दो नहीं पूरी चार , और साथ में मम्मी की क्विज़ उनसे ,
बोल क्या है सिल्क ,कौन सा सिल्क कोस ,टसर,
और गनीमत थी उन्हें १० में १० मिले वरना आज मम्मी उनके सारे खानदान की,...
फिर बाकी कपडे ,
वो बोल तो नहीं रहे थे लेकिन हर पैकेट खुलते उन्हें लग रहा था शायद उनके लिए कुछ होगा ,लेकिन मेरा या मम्मी का सामान निकलता।
बिचारे और ऊपर से साडी हो या शलवार सूट ,मम्मी ट्राई उन्ही के ऊपर कर के देखतीं और फिर बोल देतीं ,
" देख ये कैसे लगेगा अच्छा न तेरी बीबी के ऊपर "
जब आखिरी पैकेट बचा था तो मम्मी ने सबसे कठिन काम उनको सौंप दिया ,
" अरे सुन ज़रा ये सब साड़ियां ड्रेसेज तहिया के कबर्ड में रख दो और फिर चाय ज़रा कड़क बना लाओ। "
बिचारे सब साड़ियों की तह हमने खोल के रख दी थी ,एक एक उन्होंने फिर से ठीक से अरेंज की।
मम्मी अपनी तेज निगाह से देख रही थीं उन्हें ,लेकिन इसमें भी उन्होंने कोई गलती नहीं की ,
और फिर थोड़ी देर में चाय।
उनकी निगाह बार बार उस अनखुले पैकेट की ओर दौड़ रही थी।
" तेरे माल के लिए लाये हैं , तूने मम्मी को उसकी साइज बतायी थी न ३२ सी बस एक दम उसी साइज की , चाहो तो उसे फोन कर के बता दो " मैंने छेड़ा उन्होंने
लेकिन मम्मी भी उन्होंने जोर से घूरा मुझे , मम्मी की यही बात , ...
उनका बस चले तो हरदम आपने दामाद की ऐसी की तैसी ,लेकिन कोई दूसरा एक बोल ,बोल के तो दिखाए।
उन्होंने जोर से मुझे घूरा और चाय की प्लेटें मुझे ले जाने को बोला।
और जब मैं लौटी तो उनके पैकेट खुल चुके थे
टी शर्ट्स ,शर्ट , और एक दो फार्मल शर्ट भी।
मम्मी उनके पैकेट खोलने के बाद उन्हें खोलने पे तुली थीं।
"अरे तेरा सब कुछ देख तो चुकी हैं हम दोनों ,चल पहन के दिखा न। "
वो पीछे पड़ीं थीं। उनके हाथ में टी शर्ट थी एक हाथ ,आफ कोर्स पिंक।
जब उन्होंने पहन लिया तो मैंने शीशे में दिखाया , पीछे का हिस्सा, उसपर लिखा था ," प्योर बॉटम। "
बाकी टी शर्ट्स भी पिंक थी और सब पे इसी तरह, ' लव बोनी थिंग्स , हार्डर द बेटर " " कम इन हार्ड " इसी तरह के एक से एक।
और फिर जीन्स जो लेडीज थी और मम्मी ने एक कमजोर सा बहाना बनाया ,
" तेरा नम्बर नहीं मालुम था तो इसी के नाप का ले लिया , वैसे भी तू इसके सारे कपडे तो पहनता ही रहता है। "
यहाँ तक तो गनीमत थी लेकिन मम्मी ने उनको वो जीन्स पहना भी दी।
सच बोलूं तो पिंक टी और जीन्स में बहुत मस्त लग रहे थे। उनका बबल बॉटम एकदम चिपका साफ़ साफ़ झलक रहा था।
बॉक्सर शार्ट्स ,साटन के ,मेल थांग और भी उस तरह की मेल लिंजरी
इसके अलावा और भी ट्रिंकेट थे ,दो बियर के मग्स भी मम्मी ने इनके लिए , लिए थे , एक पर एम् सी लिखा था और दूसरे पर बी सी।
" मेरी समधन और इसकी ननद के ऊपर चढ़ने में तो अभी कुछ टाइम है तो तब तक , इसी से गम गलत करना। "
मम्मी ने बड़े गंभीर ढंग से उनसे बोला।
सामान समेटते हुए उन्हें लगा की काम ख़तम हो गया लेकिन मम्मी तो मम्मी है न।
उन्होंने लगा दिया काम पे ,
" अभी तो खाना में देर है ,सुन वो चारों साड़ियां हैं न उन पे ज़रा फाल टांक दे। सुबह तूने बहुत अच्छा टांका था ,बस वैसे। "
और मेरा हाथ पकड़ के मम्मी उठ गयी ,हम दोनों लाउंज में आगये थे उनका कुछ सीरियल छूटा हुआ था
एक डेढ़ घंटे बाद फाल टाकने का काम ख़तम हुआ ,फिर माम को अचानक जल्दी लग गयी।
वो किचेन में कुछ स्नैक्स बना रहे थे की मम्मी ने मुझे भी भेज दिया।
" ज़रा तू भी हेल्प करा दे न जल्दी हो जायेगी। "
घडी की ओर देखते वो बोलीं।
और कुछ देर में खुद भी किचेन में दाखिल हो गयीं , बोलीं
" अरे सवा आठ बज रहे हैं ,बोलो कुछ हेल्प करना हो मैं करा दूँ। "
" मम्मी आज आप को बड़ी जल्दी मच रही है ,कोई खास बात है क्या " मैंने चिढाया उन्हें।
" हाँ हैं न बड़ी ख़ास बात है आज " उनके नितम्बो को सहलाते हुए उन्होंने अपना इरादा जाहिर कर दिया।
वो ब्लश कर रहे थे। पर मम्मी उनके ईयर लोब्स से अपने होंठ छुलाती बोलीं ,
" कुछ लाइट बना लो ,कुछ भी पर जल्दी। मैं हेल्प करा देती हूँ। पराठा सास भी चलेगा। "
" मम्मी आज तो आप का कोई सीरियल भी नहीं आता है न तब भी ,... " पराठे के लिए आटा गूंथते मैं बोलीं।
मम्मी का हाथ अभी भी उनके नितंबों पर था ,एक ऊँगली उन्होंने जोर से बीच की दरार में घुसाते हुए बोला ,
" है न , आज हम सब खुद सीरियल बनाएंगे , एकदम हॉट। "
लेकिन पंद्रह मिनट में उनकी प्लानिंग फेल हो गयी। बड़ा लंबा सा मुंह मम्मी ने लटकाया लेकिन ,