16-09-2019, 07:35 AM
" ऐसे चुदक्कड़ भैया की बहिनी , ... "
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तबतक मैंने घडी देखी , हम दोनों के कमरे से बाहर निकले १५ मिनट हो रहे थे , गुड्डो के गोरे गोरे गाल मसलते , मैं चिढ़ाते बोली ,
" ऐसे चुदक्कड़ भैया की बहिनी , ... "
" ... नंबरी चुदवासी , पक्की छिनार , लंडखोर " ....
हँसते हुए गुड्डो ने मेरी बात पूरी की और जोड़ा ,
" तभी तो सुबह सुबह उसे ले आयी , आप के पास , की आप ही कुछ उस का भला सुबह सुबह करवाएंगी। "
" अरे तभी तो उसे , उसके भइया के खूंटे पे बैठा दिया , ... अच्छा ये बोल , गुड्डो , मेरे एलवल वाले देवर की बहिनिया ,
गुड्डी रानी पहले तो अपने भइया के खूंटे पे बैठेंगी फिर ,... "
" फिर हम लोगों के भैया के , एक खूंटे से बंध के रहने वाली थोड़ी है हैं आपकी छुटकी ननदिया , ... "
गुड्डो ने मेरे मन की बात कह दी , लेकिन मैंने शक जताया
" वो तो कहती है मैं अभी बहुत छोटी ,... "
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मेरी बात काट के गुड्डो बोली ,
" अरे उसका मतलब है , छोटा , २८ नंबर का , ...
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तो अपने भइया से दबवा मिजवा के बड़ा करवा ले , ... और अंदर तक डलवा के चौड़ा करवा ले , ... न आप मना करेंगी , न मैं। "
गुड्डो एकदम रंग में थी , रात बाहर दुलारी और मंझली ननद ने रगड़ के फिर सुबह मेरे देवर ने दो राउंड , ...
" तो चल देखते हैं , गुड्डी रानी की हालत, कैसे २८ नंबर वाले टिकोरे अपने दबवा मिजवा रही हैं , "
मैं बोली और मैं और गुड्डो दोनों दबे पाँव कमरे के बाहर ,
जहाँ पंद्रह मिनट पहले मैंने अपनी छुटकी ननद,
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वही दर्जा ८ वाली कच्ची अमिया वाली को इनकी गोद में बैठा दिया था और बाहर से कुण्डी बंद कर दी थी ,
दरवाजा बंद जरूर था था लेकिन उसकी फांक से साफ़ दिख रहा था ,
जस की तस ,
मेरी छुटकी ननदिया वैसे ही ही अपने भैया के खड़े खूंटे पर बैठी , मुस्कराती , खिलखिलाती ,...
मान गयी मैं स्साली पैदायशी छिनार है , ...
उठ कर जा सकती थी, बगल में बैठ सकती थी , लेकिन ,
पिछवाड़े मोटा बांस धंस रहा होगा , ... पर वैसे जैसे मैंने बैठाया था जबरन , उसे उसके भइया के मोटे मूसल पर , उसी तरह बैठी ,
![[Image: sitting-in-lap-guddi-tumblr-pefeaejg-PZ1...o1-400.jpg]](https://i.ibb.co/x6WHCtY/sitting-in-lap-guddi-tumblr-pefeaejg-PZ1x8x9edo1-400.jpg)
स्कर्ट उसकी थोड़ी तुड़ मुड़ कर ऊपर सरक गयी थी , चिकनी गोरी मांसल जाँघे साफ़ साफ उस कच्ची अमिया की दिख रही थीं ,
ये भी न एकदम बुद्धू ,
दूसरा कोई होता तो एक हाथ उस मखमली संदली जाँघों पर जरूर रख देता फिर सरक के सीधे , स्कर्ट के अंदर बुलबुल के पास ,...
पर गुड्डो भी न ,
एकदम तेज थी आँख उसकी और उसे मेरी मन की बात बिना बताये मालूम पड़ जाती थी ,
उसने कुहनी मारी मुझे और इशारा किया , इनके हाथों की ओर ,... मैंने ध्यान से देखा , और मुस्करा पड़ी ,
जब मैंने जबरन गुड्डी को इनकी गोद में बिठाया था , तो भाई बहन दोनों उछल रहे थे चिंचिया रहे थे ,
किसी तरह मैंने जबरदस्ती उनका हाथ उस लौंडिया के नए नए आ रहे उभार के बेस पर रखा , उन्हें पकड़वाया ,...
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वो छोड़ भी तो सकते थे , पर नहीं
जैसे उनकी बहिनिया सिंहासन से नहीं उठी , उसी तरह उनके हाथ भी , ... और जो गुड्डो ने इशारा किया था ,
अब वो उनकी बहिनिया के जुबना के बेस पर नहीं थे , ... सीधे ऊपर , ... हाँ बस निचले हिस्से पर ,
वो दबा मसल रगड़ नहीं रहे थे ( जो मैं चाहती थी ) पर जब मैंने ध्यान से देखा ,
हलके हलके डरते सहमते , बस छू रहे थे , सहला रहे थे ,... और उनके हाथों से ज्यादा गुड्डी के चेहरे से पता चल रहा था ,
जैसे किसी नयी लौंडिया का उभार पहली बार दबाया जाय , रगड़ा जाय और उसे जैसे लगे ,
मन करे , मना भी न कर पाए , और घबड़ा भी हो हल्की , हलकी
एकदम वही भाव उस एलवल वाली के चेहरे पर था , और उससे भी बड़ी बात , उसके कच्ची मटर जैसे निपल ,
टनाटन
![[Image: dress-nip-poking-b73a50975d230dd7d042a878bcfe7d7a.jpg]](https://i.ibb.co/HnrMBdT/dress-nip-poking-b73a50975d230dd7d042a878bcfe7d7a.jpg)
गुड्डो ने कुण्डी हलके से खोल दी ,
और गुड्डी रानी अभी भी अपने भइया के सिंहासन पर बैठीं थीं ,
अब कोई कमरे में आता तो कमरा बाहर से खुला पाता और गुड्डी की इस बात को कोई नहीं मानता की हम लोगों ने
हम दोनों , मैं और गुड्डो , उन दोनों को उसी हालत में छोड़कर दबे पांव सीढ़ी से नीचे ,
लेकिन मैं सोच रही थी , मेरे ये न एकदम पक्के बुद्धूराम है , कुछ ज्यादा ही सीधे ,
दूसरा कोई होता , इस तरह का माल गोद में बैठा होता तो , ...
पर जिस तरह हलके हलके डरे सहमे उन कच्चे टिकोरों को छू रहे थे , ..साफ़ था मन तो कर रहा था बिचारे का , पर बस , ...
और ये भी साफ़ था , अगर वो खोल के भी दे देती न मेरी ननद ,... तो इससे ज्यादा इनके बस का नहीं था , ...
कुछ ज्यादा ही सीधे थे ये , ...
पर मैंने सोच लिया ,
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होंगे ये बुद्धूराम ,...
पर मैं अब आ गयी हूँ न , ... अब बस ,... इस एलवल वाली कच्ची कली का निवान उन्ही से करवाउंगी , वो भी जल्दी , वरना ये कही किसी और के आगे अपनी टांग फैला दे ,...
सीढी से उतरते हुए गुड्डो ने एक और राज की बात बताई ,
सुबह छह बजे वो अनुज के पास से जब वो लौट रही थी , तो उसने एक कमरे से सिसकने की आवाज सुनी ,
मिली थी।
" और साथ में कौन ,... " मैं रोक नहीं पायी अपने को