16-09-2019, 07:13 AM
निहुराकर
"सिर्फ एक बार ,... " मैंने गुड्डो से पूछा।
पहले तो वो थोड़ा लजायी शर्मायी , फिर हलके से उलटे मुझे चिढ़ाते बोली
" आपके देवर इतने सीधे हैं क्या ?"
मेरे बिना बोले उसने बताया ,
वो अनुज की गोद उठ रही थी की अनुज ने उसे धक्का देकर , वहीँ गद्दे के ऊपर निहुराकर , कुतिया बना के , पीछे से ,..
और अबकी पहली बार से भी ज्यादा ताकत से वो धक्के मार रहा था ,
और ज्यादा देर तक भी ,
मुझसे ज्यादा कौन जानता था , 'डॉगी पोज़ ' के दर्द और मज़े ,
हर धक्के में एक एक चूल ढीली हो जाती है , हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर लगता है , ...
और ये तो कल की बछेड़ी , ... मुझसे नहीं रहा गया , और मैंने पूछ ही लिया ,
" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ ."
उसने बहुत बुरा सा मुंह बनाया ,
" सब गलती आप की है , आप ने ही अपने देवर से मेरा टांका भिड़वाया , ... दर्द ,...दर्द के मारे हालत खराब थी , ...
पर आपके देवर जी न , ... जो कहते हैं न जबरा मारे रोवे न देब , बस ,... मैं ज़रा सा चीखी ,
उसने मेरा मुंह बंद कर दिया और साफ़ साफ़ मेरे कान में बोला
" अगर तू जरा भी चीखी न , तो बस मैं ,... बस मैं बाहर निकाल लूंगा , ... समझ ले "
" निकाल लेने देती , तुझे क्या ,... इतना दर्द हो रहा था तुझे तो आराम ही मिला जाता " गुड्डो को मैंने छेड़ा।
वो जोर से खिलखलायी , और मेरी नाक पकड़ के बोली ,
" आप देवर भाभी दोनों ही न ,... आप भी जानती हैं , ... वो आपका देवर भी जानता था ,... मेरा कितना मन कर रहा था उस समय ,...
पहले तो उसने चूँची रगड़ रगड़ ,रगड़ रगड़ के चूत के इतनी कस के आग लगायी थी , मैं कुछ भी हो जाता , उसे जाने नहीं देती , ...
बस , मैं सारा दर्द पी गयी , ...
और दर्द उसके धक्कों से ही नहीं हो रहा था , वो स्साला आपका देवर इतने कस कस जोबन मसल रहा था , ... "
उसकी बात काटते और कुर्ती के ऊपर से चूजों को रगड़ते मीजते मैं बोली
" सही तो कर रहा था , मेरा देवर। अरे तभी तो देखना , देखते देखते तेरी चोली छोटी हो जाएगी , ३० से ३२ , फिर ३२ से ३४ की ,... अरे यार ये जोबन आते ही लौंडो के लिए हैं , उभार उभार के उन्हें ललचाओ और मौका पा के दबवाओ मिजवाओ। लेकिन आगे क्या हुआ ये तो बताओ। "
" मेरे दोनों उभार उसके दोनों हाथों में , मैं गद्दे पकड़ के झुकी और वो कस कस के पेल रहा था , लेकिन भी न ,.. थोड़ी देर बाद हिम्मत कर के मैं भी हलके हलके उसके धक्के का जवाब धक्के से , ...
फिर तो जैसे कोई आग में घी डाले , पूरा का पूरा वो हर बार निकालता , हर बार फिर से पूरा पेल देता ,...
इत्ते जोर जोर के धक्के लग रहे थे , मैं सिसक रही थी , दर्द कितना भी हो चीख नहीं सकती थी , ... उसने मना जो किया था "
गुड्डो बोली
मैंने सोचा , अनुज ने एकदम सही किया , शादी का घर , चलो इन दोनों को एक खाली कमरा सामान वाला मिल गया ,
पर जरा भी चीख निकलती तो कोई कहीं सुन लेता तो फिर मुसीबत हो जाती ,
फिर गुड्डो रानी ने सीख भी लिया , चुदाई का मजा लेना है तो लड़के की बात माननी पड़ेगी।
" झड़ने के बाद भी उसने वैसे ही निहुरा के रखा ,
बड़ी मुश्किल से मैं उसका हाथ पकड़ के सीधी हुयी , फिर कुर्ती शलवार पहन के , ... उसका मन तो छोड़ने का नहीं कर रहा था पर मैंने ही समझाया , छह बजने वाले है ,... फिर मैं कहाँ भागी जा रही हूँ , फिर मौका निकाल के , ... तब छोड़ा।
पहले वो बाहर जाके उसने देखा कोई नहीं था , कोहरा भी खूब था , ...
फिर उसने इशारा किया तो मैं निकल के सीधे ,... " गुड्डो बोली।
गुड्डो तीन बजे उस कमरे में गयी थी , छह बजे वो लौटी , गनीमत था सभी लोग अभी सो रहे थे ,
एक तो जाड़े की रात , सात साढ़े तक सबेरा नहीं होता , फिर भौजाइयों और कच्ची कली ननदों की कबड्डी ढाई तीन बजे रात तक चली , दोनों थक कर , मजे से चूर गाढ़ी नींद में , ... सब घोड़े बेच कर सो रहे थे।
और वो दुलारी और मंझली ननद के बीच घुस कर सो गयी।
तबतक मैंने घडी देखी , हम दोनों के कमरे से बाहर निकले १५ मिनट हो रहे थे , गुड्डो के गोरे गोरे गाल मसलते , मैं चिढ़ाते बोली ,
" ऐसे चुदक्कड़ भैया की बहिनी , ... "
"सिर्फ एक बार ,... " मैंने गुड्डो से पूछा।
पहले तो वो थोड़ा लजायी शर्मायी , फिर हलके से उलटे मुझे चिढ़ाते बोली
" आपके देवर इतने सीधे हैं क्या ?"
मेरे बिना बोले उसने बताया ,
वो अनुज की गोद उठ रही थी की अनुज ने उसे धक्का देकर , वहीँ गद्दे के ऊपर निहुराकर , कुतिया बना के , पीछे से ,..
और अबकी पहली बार से भी ज्यादा ताकत से वो धक्के मार रहा था ,
और ज्यादा देर तक भी ,
मुझसे ज्यादा कौन जानता था , 'डॉगी पोज़ ' के दर्द और मज़े ,
हर धक्के में एक एक चूल ढीली हो जाती है , हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर लगता है , ...
और ये तो कल की बछेड़ी , ... मुझसे नहीं रहा गया , और मैंने पूछ ही लिया ,
" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ ."
उसने बहुत बुरा सा मुंह बनाया ,
" सब गलती आप की है , आप ने ही अपने देवर से मेरा टांका भिड़वाया , ... दर्द ,...दर्द के मारे हालत खराब थी , ...
पर आपके देवर जी न , ... जो कहते हैं न जबरा मारे रोवे न देब , बस ,... मैं ज़रा सा चीखी ,
उसने मेरा मुंह बंद कर दिया और साफ़ साफ़ मेरे कान में बोला
" अगर तू जरा भी चीखी न , तो बस मैं ,... बस मैं बाहर निकाल लूंगा , ... समझ ले "
" निकाल लेने देती , तुझे क्या ,... इतना दर्द हो रहा था तुझे तो आराम ही मिला जाता " गुड्डो को मैंने छेड़ा।
वो जोर से खिलखलायी , और मेरी नाक पकड़ के बोली ,
" आप देवर भाभी दोनों ही न ,... आप भी जानती हैं , ... वो आपका देवर भी जानता था ,... मेरा कितना मन कर रहा था उस समय ,...
पहले तो उसने चूँची रगड़ रगड़ ,रगड़ रगड़ के चूत के इतनी कस के आग लगायी थी , मैं कुछ भी हो जाता , उसे जाने नहीं देती , ...
बस , मैं सारा दर्द पी गयी , ...
और दर्द उसके धक्कों से ही नहीं हो रहा था , वो स्साला आपका देवर इतने कस कस जोबन मसल रहा था , ... "
उसकी बात काटते और कुर्ती के ऊपर से चूजों को रगड़ते मीजते मैं बोली
" सही तो कर रहा था , मेरा देवर। अरे तभी तो देखना , देखते देखते तेरी चोली छोटी हो जाएगी , ३० से ३२ , फिर ३२ से ३४ की ,... अरे यार ये जोबन आते ही लौंडो के लिए हैं , उभार उभार के उन्हें ललचाओ और मौका पा के दबवाओ मिजवाओ। लेकिन आगे क्या हुआ ये तो बताओ। "
" मेरे दोनों उभार उसके दोनों हाथों में , मैं गद्दे पकड़ के झुकी और वो कस कस के पेल रहा था , लेकिन भी न ,.. थोड़ी देर बाद हिम्मत कर के मैं भी हलके हलके उसके धक्के का जवाब धक्के से , ...
फिर तो जैसे कोई आग में घी डाले , पूरा का पूरा वो हर बार निकालता , हर बार फिर से पूरा पेल देता ,...
इत्ते जोर जोर के धक्के लग रहे थे , मैं सिसक रही थी , दर्द कितना भी हो चीख नहीं सकती थी , ... उसने मना जो किया था "
गुड्डो बोली
मैंने सोचा , अनुज ने एकदम सही किया , शादी का घर , चलो इन दोनों को एक खाली कमरा सामान वाला मिल गया ,
पर जरा भी चीख निकलती तो कोई कहीं सुन लेता तो फिर मुसीबत हो जाती ,
फिर गुड्डो रानी ने सीख भी लिया , चुदाई का मजा लेना है तो लड़के की बात माननी पड़ेगी।
" झड़ने के बाद भी उसने वैसे ही निहुरा के रखा ,
बड़ी मुश्किल से मैं उसका हाथ पकड़ के सीधी हुयी , फिर कुर्ती शलवार पहन के , ... उसका मन तो छोड़ने का नहीं कर रहा था पर मैंने ही समझाया , छह बजने वाले है ,... फिर मैं कहाँ भागी जा रही हूँ , फिर मौका निकाल के , ... तब छोड़ा।
पहले वो बाहर जाके उसने देखा कोई नहीं था , कोहरा भी खूब था , ...
फिर उसने इशारा किया तो मैं निकल के सीधे ,... " गुड्डो बोली।
गुड्डो तीन बजे उस कमरे में गयी थी , छह बजे वो लौटी , गनीमत था सभी लोग अभी सो रहे थे ,
एक तो जाड़े की रात , सात साढ़े तक सबेरा नहीं होता , फिर भौजाइयों और कच्ची कली ननदों की कबड्डी ढाई तीन बजे रात तक चली , दोनों थक कर , मजे से चूर गाढ़ी नींद में , ... सब घोड़े बेच कर सो रहे थे।
और वो दुलारी और मंझली ननद के बीच घुस कर सो गयी।
तबतक मैंने घडी देखी , हम दोनों के कमरे से बाहर निकले १५ मिनट हो रहे थे , गुड्डो के गोरे गोरे गाल मसलते , मैं चिढ़ाते बोली ,
" ऐसे चुदक्कड़ भैया की बहिनी , ... "